भारत की एक बड़ी इस्लामी संस्था ने फतवा दिया है कि अगर वर्तमान बच्चे के लालन-पालन में अगले बच्चे के जन्म से दिक्कत होने या स्वास्थ्य संबंधी कारणों से पत्नी के फिर से गर्भवती होने से समस्या की आशंका हो तो पति पत्नी द्वारा कंडोम सहित परिवार नियोजन के अन्य उपाय करना शरीयत सम्मत है।
देवबंद दारूल उलूम से एक व्यक्ति ने सवाल किया था कि क्या पत्नी के साथ सेक्स में कंडोम का प्रयोग करने की शरीयत में अनुमति है।इसके जवाब में जारी फतवे में कहा गया कि कम आय और अधिक बच्चे के डर या केवल मजे के लिए कंडोम आदि का इस्तेमाल जायज नहीं है, लेकिन अगर अगला बच्चा होने से वर्तमान बच्चे के लालन-पालन में कठिनाई आए या पत्नी की सेहत ऐसी हो कि एक और गर्भ धारण करने में उसे परेशानी उठानी पड़े तो गर्भ निरोधक उपाय करने की शरीयत में मनाही नहीं है। बच्चे खुदा की मर्जी से पैदा होते है और वही उसका पालन पोषण भी करेगा।
देवबंद दारूल उलूम से एक व्यक्ति ने सवाल किया था कि क्या पत्नी के साथ सेक्स में कंडोम का प्रयोग करने की शरीयत में अनुमति है।इसके जवाब में जारी फतवे में कहा गया कि कम आय और अधिक बच्चे के डर या केवल मजे के लिए कंडोम आदि का इस्तेमाल जायज नहीं है, लेकिन अगर अगला बच्चा होने से वर्तमान बच्चे के लालन-पालन में कठिनाई आए या पत्नी की सेहत ऐसी हो कि एक और गर्भ धारण करने में उसे परेशानी उठानी पड़े तो गर्भ निरोधक उपाय करने की शरीयत में मनाही नहीं है। बच्चे खुदा की मर्जी से पैदा होते है और वही उसका पालन पोषण भी करेगा।
मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करने वाली सच्चर समिति ने इस अवधारणा को गलत बताया है कि भारत में मुस्लिम समुदाय परिवार नियोजन से परहेज करता है। इसकी रिपोर्ट में बताया गया कि मुस्लिम समाज का लगभग 40 प्रतिशत परिवार नियोजन के लिए आधुनिक गर्भ निरोधकों का इस्तेमाल करता है। इसके अनुसार दो करोड़ से अधिक मुस्लिम दंपत्ति गर्भ निरोधक उपाय प्रयोग में ला रहे हैं।
फतवे में कहा गया है कि कंडोम या अन्य गर्भ निरोधक तीन कारणों से इस्तेमाल होते हैं। एक कारण कम आय है। लोग इस डर के कारण कंडोम आदि का इस्तेमाल करने लगते हैं कि कम आमदनी और बच्चे अधिक होने से उनका लालण पोषण कैसे होगा। इसमें कहा गया कि इस सोच के तहत कंडोम आदि का इस्तेमाल करने की शरीयत में इजाजत नहीं है क्योंकि यह सोच इस आस्था में कमजोरी की निशानी है कि सबका पालनहार अल्लाह है। ऐसा सोचने वाला अल्लाह की जगह खुद को पालनहार मान लेता है, जो कुफ्र और हराम है।
हालाँकि मिस्र के विश्वविख्यात इस्लामी विद्वान शेख अल शाराबास्सी दारूल उलूम के इस मत से सहमत नहीं है। उनका कहना है अगर कोई पति यह समझता है कि वह और अधिक बच्चों के लालन-पालन का भार वहन नहीं कर सकता है, तो उसे गर्भ निरोधक उपाय करने का पूरा अधिकार है। भारत के बाहर की सोच यह है किन्तु भारतीय मुसलमान कूपमंडूप ही रहना चाहते है किन्तु सच्चर उन्हे उठा के ही रहेगें पर कब तक ?
फतवे के अनुसार कंडोम उपयोग की दूसरी वजह सेक्स का आनंद उठाना है, जो गलत है। इसमें कहा गया कि पत्नी के साथ सेक्स के आनंद में कोई बाधा नहीं आने देने के इरादे से गर्भ धारण से बचने के लिए कंडोम आदि का इस्तेमाल मकरूह (अवांछित) है। ऐसा करना निकाह के उद्देश्य के विरुद्ध है।
दारूल उलूम ने कहा कि कंडोम आदि के प्रयोग का तीसरा कारण बच्चे या पत्नी का स्वास्थ्य कारण हैं। स्वास्थ्य कारणों से एक प्रसूति के बाद अगर अगले बच्चे का जन्म वर्तमान बच्चे के लालन-पोषण में बाधा बने या पत्नी एक और गर्भ धारण करने की हालत में नहीं हो तो शरीयत गर्भ निरोधक उपाय करने की पूरी अनुमति देता है।
उपरोक्त रिपोर्ट अभी मैने वेवदुनिया पर पढ़ी और पढ़ने के बाद लगा कि जब तक खुदा बच्चे पैदा करेगा, तब तक सच्चर क्या मनमोहन और सोनिया भी लग जाये तो मुसलमानों का उत्थान नही हो सकता। आरक्षण तो एक छलावा है क्योकि आरक्षण से किसी का हक जाता है किन्तु शरीयत का उल्लंघन नही होता है। जब कंडोम ओर गर्भनिरोधक गोलिया शरीयत के खिलाफ है तो कंडोम तो सच्चर जी के फुलाने के काम काम आ जायेगें और गोलिया रक्षामंत्री एंटनी के वो सेना में भिजवा देगें, किन्तु मुसलमानों की शरीयत पर आँच नही आने देगें।
उपरोक्त रिपोर्ट अभी मैने वेवदुनिया पर पढ़ी और पढ़ने के बाद लगा कि जब तक खुदा बच्चे पैदा करेगा, तब तक सच्चर क्या मनमोहन और सोनिया भी लग जाये तो मुसलमानों का उत्थान नही हो सकता। आरक्षण तो एक छलावा है क्योकि आरक्षण से किसी का हक जाता है किन्तु शरीयत का उल्लंघन नही होता है। जब कंडोम ओर गर्भनिरोधक गोलिया शरीयत के खिलाफ है तो कंडोम तो सच्चर जी के फुलाने के काम काम आ जायेगें और गोलिया रक्षामंत्री एंटनी के वो सेना में भिजवा देगें, किन्तु मुसलमानों की शरीयत पर आँच नही आने देगें।
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