लॉ के पेपर में राम और सीता का पुत्र शंकर के बीच आज का अपना क्रिकेट मैच



कल मेरी परीक्षा खत्म हो गई, जाते जाते विवाद हो हवा दे गई। आज सुबह पेपर देखा तो पता चला कि कानपुर में प्रश्‍नपत्र में आये एक प्रश्‍न के लिये काफी विवाद हुआ। प्रश्‍न ऐसा था भी जो विवाद को पैदा करना स्‍वाभाविक भी था। प्रश्‍न में राम व सीता के पुत्र के रूप में शंकर का उल्‍लेख था, जो कुछ परीक्षार्थी को ठीक नही लगा, मुझे भी ठीक नही लग रहा था। क्‍या प्रश्‍न पत्र निर्माताओं को करोड़ो नामों में उक्‍त ही नाम मिले थे। प्रश्‍न निम्‍न था- सीता एवं राम का विवाह जून 1988 को हुआ था। सीता की फेलोपियन ट्यूब बंद होने की वजह से वह गर्भवती नहीं हो सकी। डॉक्टरों ने कृत्रिम रूप से विकसित उसके स्वयं के भ्रूण को अन्य महिला के गर्भ में विकसित भ्रूण प्रत्यारोपित करके शिशु के जन्म का विकल्प दिया। 'सीता' ने अपनी माँ शीला से बात की। शीला ने अपनी बेटी के शिशु को 'सेरोगेटेड' माँ के रूप में जन्म देना स्वीकार किया। नियत समय पर उसने एक शिशु 'शंकर' को जन्म दिया। पर्चे में शिशु 'शंकर' एवं 'सीता' के मध्य क्या नातेदारी हुई इस बारे में सवाल करते हुए हिंदू विधि के प्रावधान के साथ इसकी व्याख्या करने को कहा गया था।

कल की बारिस के बाद आज किक्रेट खेलने के आनंद कुछ और ही था, मस्तिष्‍क से परीक्षा का बोझ हट गया था। इस करीब 20-30 मैचों के बाद आज इस सत्र का पहला चौका लगाने का अवसर मिला, चौका तो लगा ही साथ साथ आज बोनस में दो छक्‍के भी लगाया, काफी अच्‍छा लगा रहा था जमी हुई पारी खेलेने में, अन्‍तोंगत्वा आज आठ ओवरों के मैच में 42 रन की अविजित पारी खेलने का मौका मिला। आज अपने पूरे क्रिकेट कैरियर में दूसरी बार नॉट आउट आया हूँ। किसी भी काम में निश्चित रूप से आत्‍मविश्वास काफी मायने रखता है। आज मेरा ही दिन था, अच्‍छे दिन रोज रोज नही आते है। अगर रोज ही अच्‍छे दिन होते हो हर मैच में लारा 400 रन तथा युवराज 6 छक्के मारता होता है।

परीक्षा खत्‍म हो गई है अब लिखने का दौर सक्रिय हो जायेगा, फिर मिलेगे, आप सभी का दिन मंगलमय हो।


Share:

हिन्दु जगे तो विश्व जगेगा मानव का विश्वास जगेगा






हिन्दु जगे तो विश्व जगेगा मानव का विश्वास जगेगा
भेद भावना तमस ह्टेगा समरसता अमर्त बरसेगा
हिन्दु जगेगा विश्व जगेगा
हिन्दु सदा से विश्व बन्धु है जड चेतन अपना माना है
मानव पशु तरु गीरी सरीता में एक ब्रम्ह को पहचाना है
जो चाहे जिस पथ से आये साधक केन्द्र बिंदु पहुचेगा ॥१॥
इसी सत्य को विविध पक्ष से वेदों में हमने गाया था
निकट बिठा कर इसी तत्व को उपनिषदो में समझाया था
मन्दिर मथ गुरुद्वारे जाकर यही ज्ञान सत्संग मिलेगा ॥२॥
हिन्दु धर्म वह सिंधु अटल है जिसमें सब धारा मिलती है
धर्म अर्थ ओर काम मोक्ष की किरणे लहर लहर खिलती है
इसी पुर्ण में पुर्ण जगत का जीवन मधु संपुर्ण फलेगा
इस पावन हिन्दुत्व सुधा की रक्षा प्राणों से करनी है
जग को आर्यशील की शिक्षा निज जीवन से सिखलानी है
द्वेष त्वेष भय सभी हटाने पान्चजन्य फिर से गूंजेगा ॥३॥


Share:

इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय परिसर खाली करने के आदेश



सुबह से अराचक स्थिति के बाद न्‍यायालय ने मृतक परिवार के लिये काफी रहत की घोषणा की, न्‍यायालय ने अपने आदेश में कहा कि मृतक के परिवार को 10 लाख रूपये तथा उसकी पूत्री की सम्‍पूर्ण खर्च सरकार वहन करेगी। किन्‍तु अधिवक्‍ता कौम भी अपने आपको गिराने से बाज नही आती है। उक्‍त राहत के बाद भी अधिवक्‍ताओं के एक वर्ग ने अपने रूख में परिवर्तन नही किया, तथा कुछ कुछ न्‍यायकक्षों में जमकर तोड़फोड़ की यहॉं तक कि कुछ न्‍यायाधीश पर हमले का प्रयास भी किया।

उक्‍त स्थिति को देखते हुऐ, माननीय मुख्‍यन्‍यायमूर्ति श्री लक्षमण गोखले ने न्‍यायायल परिसर को तुरंत खाली कराने के आदेश दे दिये, इस आदेश के बाद तुरंत ही जो अधिवक्‍ता अभी तक 20 पड़ने वाले अधिवकता, बैकफुट पर आ गये। 
 
न्‍यायालय के उक्‍त राहत के फैसले के बाद, अधिवक्‍ताओं का यह व्‍यवहार निन्‍दनीय था, क्‍योकि न्‍यायलय जो कुछ कर सकता था किया। कुछ अधिवक्‍ता जिनका कोई उद्देश्‍य और काम नहीहोता वही यह प्रवृत्ति पालते है। उक्‍त मृतक अधिवक्‍ता पिछले नवम्‍बर से जेल में बंद था किसी ने उसकी कुशल क्षेम नही पूछी किन्‍तु आज उसकी मौत पर खुद तांडव कर रहे है। 
 
आगे की खबर फिर दी जायेगी ......


Share: