घुटनों के दर्द - गठिया का आयुर्वेदिक इलाज



आपके घुटनो में कैसा भी दर्द हो इसे मात्र सात दिनों में दूर करने की अचूक घरेलु औषधि मौजूद है। आज के समय में घुटनो का दर्द उम्र बढ़ने के साथ साथ बढ़ता रहता है और कई बार घुटनो में दर्द चोट लगने की वजह से या फिर गठिया रोग के होने की वजह से भी होता है। लेकिन कई लोग ये कहते है की घुटनो की ग्रीस ख़त्म हो गए इसलिए हमें दर्द हो रहा है या फिर यूरिक एसिड का शरीर में जयादा बढ़ जाना भी इसकी दर्द की वजह है। कई बार तो घुटनो का दर्द इतना जयादा बढ़ जाता है की वो सहन भी नहीं होता है और व्यक्ति का बुरा हाल हो जाता है। व्‍यायाम करने से हम इस दर्द से कुछ हद तक मुक्त हो सकते है क्योकि इससे एक तो घुटनो की जकड़न खत्‍म हो जाती है और दूसरे घुटनो की गति को आसान कर देती है जिससे दर्द भी कम हो जाता है।
घुटनों के दर्द - गठिया का आयुर्वेदिक इलाज
जब हमारे घुटने सही काम नहीं करते तो हमें चलने फिरने आदि में दिक्कत हो जाती है और घुटनो को मोड़ने और सीधे करने में भी बहुत दिक्‍कत होती है। घुटनो पर लालिमा व सूजन बनी रहती है। इस कारण से घुटनो को मोड़ते समय चटकने व टूटने जैसी आवाज आने लगती है। जिससे घुटने में दर्द होता है उन पैरो में झुनझुनी होने लगती है। आर्युवेद मे घुटनो में होने वाले दर्द से बचने के लिएअनेक अचूक उपाय मौजूद है। जिससे आपके घुटनो के दर्द को कम ही नहीं करता बलिकी आपके दर्द को जड़ से ख़त्म कर देता है। तो आइये जानते है वो कौन सा उपाय है। इसके लिए जो सामान चाहिए वो बहुत ही आसानी से आपकी किचन में मिल जायेगा : एक छोटा चम्मच हल्दी जोकि एक एंटीसेप्टिक व एंटीबायोटिक का काम करती है, एक चम्मच शहद और चुटकी भर चुना इन तीनो सामान मात्रा को आपस में अच्छे से मिला कर थोड़ा सा पानी डालकर पेस्ट जैसा बना लेना है। आप इस सामान को थोड़ा ज्‍यादा भी ले सकते अगर आपके घुटने पर ये कम पड़ रहा हो। अब इस पेस्ट को अपने घुटनो पर हल्‍के हल्‍के दस मिनट तक मालिश करना है और ये उपाय आपके रात को सोते समय करना है। अब जब आप मालिश कर ले तो इस पर कोई सूती कपडा या फिर बैंडेज बांधकर सो जाये और सुबह गुनगुने पानी से घुटने को धो दे। इस उपाय से आपका दर्द कहला जायेगा और ये उपाय आपको लगातार सात दिनों तक करना है और आपका दर्द कैसा भी हो जड़ से ख़तम हो जायेगा। आपको कुछ बातो का ध्‍यान रखना है जैसे वसा युक्त व प्रोटीनयुक्त खाना खाने से परहेज करे। जैसे-
  1. आलू, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, लाल मिर्च, अत्‍यधिक नमक, बैगन आदि न खाये।
  2. घुटनो की गर्म व बर्फ के पैड्स से सिकाई करे।
  3. घुटनो के निचे तकिया रखे।
  4. वजन कम रखे इसे बढ़ने न दे।
  5. ज्‍यादा लम्बे समय तक खड़े न रहे।
  6. आराम करे दर्द बढ़ाने वाली गति विधिया न करे इससे आपका दर्द और बढता जायेगा और आप इसे सहन नहीं कर पाएंगे।
  7. सुबह खली पेट तीन से चार अखरोट खाये, विटामिन इ युक्त खाना खाये धुप सेके।
इन बातो को ध्‍यान रखने के साथ साथ इस उपाय को करे तो आपके घुटनो का दर्द जड़ से ख़त्म हो जायेग।

गठिया रोग के लक्षण और उसका सरल घरेलू उपचार Gathiya Bai Ka Ayuvedic Upchar
गठिया को आयुर्वेद में संधि शोथ यानि "जोड़ों में दर्द" नाम दिया कहा जाता है। आधुनिक चिकित्सा के अनुसार खून में यूरिक एसिड की अधिक मात्रा होने से गठिया रोग होता है। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है गठिया की समस्या भी बढ़ती चली जाती है। आज कल हमारी दिनचर्या हमारे खान-पान से गठिया का रोग 45 -50 वर्ष के बाद बहुत से लोगो में पाया जा रहा है। गठिया में हमारे शरीर के जोडों में दर्द होता है, गठिया के पीछे यूरिक एसीड की बड़ी भूमिका रहती है। 
गठिया के प्रकार - संधिशोथ दो प्रकार के होते हैं :
  1. तीव्र संक्रामक संधिशोथ - किसी भी तीव्र संक्रमण के समय यह शोथ हो सकता है।
  2. जीर्ण संक्रामक (chronic invective) संधिशोथ - यह शोथ प्राय: शरीर के अनेक अंगों पर होता है। पाइरिया, जीर्ण उंडुक शोथ, जीर्ण पित्ताशय शोथ, जीर्ण वायुकोटर शोथ, जीर्ण टांसिल शोथ, जीर्ण ग्रसनी शोथ (pharyngitis) इत्यादि।

घुटनों के दर्द को ठीक करने के आसान घरेलू उपाय
घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज घुटने के दर्द के लिए राज का रामबाण इलाज़

घुटनों के दर्द का कारण
  1. मानव शरीर में पैर जितने ही महत्त्वपूर्ण हैं, उतने ही उनके बीच में बने घुटने। इन्ही से पैरों को मुड़ने की क्षमता मिलती है और घुटनों में कई कारणों से दर्द होने लग जाता है। शरीर के जोड़ों में सूजन उत्पन्न होने पर गठिया होता है या कहे कि जब जोड़ों में उपास्थि (कोमल हड्डी) भंग हो जाती है। शरीर के जोड़ ऐसे स्थल होते हैं जहां दो या दो से अधिक हड्डियाँ एकदूसरे से मिलती हैं जैसे कि कूल्हे या घुटने। उपास्थि जोड़ों में गद्दे की तरह होती है जो दबाव से उनकी रक्षा करती है और क्रियाकलाप को सहज बनाती है। जब किसी जोड़ में उपास्थि भंग हो जाती है तो आपकी हड्डियाँ एक दूसरे के साथ रगड़ खातीं हैं, इससे दर्द, सूजन और ऐंठन उत्पन्न होती है।
  2. सबसे सामान्य तरह का गठिया हड्डी का गठिया होता है। इस तरह के गठिया में, लंबे समय से उपयोग में लाए जाने अथवा व्यक्ति की उम्र बढ़ने की स्थिति में जोड़ घिस जाते हैं जोड़ पर चोट लग जाने से भी इस प्रकार का गठिया हो जाता है। हड्डी का गठिया अक्सर घुटनों, कूल्हों और हाथों में होता है। जोड़ों में दर्द और स्थूलता शुरू हो जाती है। समय-समय पर जोड़ों के आसपास के ऊतकों में तनाव होता है और उससे दर्द बढ़ता है।
  3. गठिया उस समय भी हो सकता है जब प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली, जो आमतौर से शरीर को संक्रमण से बचाती है, शरीर के ऊतकों पर वार कर देती है। इस प्रकार की गठिया में रियुमेटायड गठिया सबसे सामान्य गठिया होता है। इससे जोड़ों में लाली आ जाती है और दर्द होता है और शरीर के दूसरे अंग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं, जैसे कि हृदय, पेशियाँ, रक्त वाहिकाएँ, तंत्रिकाएं और आँखें।
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गठिया क्या होता है?
गठिया एक लंबे समय तक चलने वाली जोड़ों की स्थिति होती है जिससे आमतौर पर शरीर के भार को वहन करने वाले जोड़ जैसे घुटने, कूल्हे, रीढ़ की हड्डी तथा पैर प्रभावित होते हैं। इसके कारण जोड़ों में काफी अधिक दर्द, अकड़न होती है और जोड़ों की गतिविधि सीमित हो जाती है। समय के साथ साथ गठिया बदतर होता चला जाता है। यदि इसका उपचार नहीं किया जाता है, तो घुटनों के गठिया से व्यक्ति का जीवन काफी अधिक प्रभावित हो सकता है। गठिया से पीडि़त व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की गतिविधियां करने में समर्थ नहीं हो पाते और यहां तक कि चलने-फिरने जैसा सरल काम भी मुश्किल लगता है। इस प्रकार के मामलों में, क्षतिग्रस्त घुटने को बदलने के लिए डॉक्टर सर्जरी कराने के लिए कह सकता है।

क्यों होता है गठिया
अनहेल्दी फूड, एक्सरसाइज की कमी और बढ़ते वजन की वजह से घुटनों का दर्द भारत जैसे देशों में एक बड़ी समस्या का रूप लेता जा रहा है। 40-45 की उम्र में ही घुटनों में दिक्कतें आने लगी हैं। सर्वेक्षण कहते हैं कि दुनिया में करीब 40 प्रतिशत लोग घुटनों में दर्द से परेशान हैं। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से भी जूझ रहे हैं। इनमें से 80 फीसदी अपने घुटनों को आसानी से मोड़ तक नहीं सकते। घुटनों की खराबी के शिकार 25 फीसदी लोग अपने रोजमर्रा के कामों को भी आसानी से नहीं कर पाते हैं। भारत में यह समस्या काफी गंभीर है। घुटनों का दर्द काफी हद तक लाइफ स्टाइल की देन है। यदि लाइफ स्टाइल और खानपान को हेल्दी नहीं बनाया तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। घुटने पूरे शरीर का बोझ सहन करते हैं। इन्हें बचाने का तरीका हेल्दी लाइफ स्टाइल, एक्सरसाइज और हैल्दी खानपान है। खाने में कैल्शियम वाला भोजन सही मात्रा में लें, सब्जियाँ जरूर खायें, फैट और चीनी से परहेज करें और मोटापे का पास भी न फटकने दें।

क्या वजन कम करने से गठिया में लाभ मिलता है?
  1. घुटनो के गठिया से पीडि़त व्यक्ति के लिए निर्धारित वजन से अधिक वजन होना या मोटापा घुटनों के जोड़ों के लिए हानिकारक हो सकता है। अतिरिक्त वजन से जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, मांसपेशियों तथा उसके आसपास की कण्डराओं (टेन्डन्स) में खिंचाव होता है तथा इसके कार्टिलेज में टूट-फूट द्वारा यह स्थिति तेजी से बदतर होती चली जाती है। इसके अलावा, इससे दर्द बढ़ता है जिसके कारण प्रभावित व्यक्ति एक सक्रिय तथा स्वतंत्र जीवन जीने में असमर्थ हो जाता है।
  2. यह देखा गया है कि मोटे लोगों में वजन बढ़ने के साथ साथ जोड़ों (विशेष रूपसे वजन को वहन करने वाले जोड़) का गठिया विकसित करने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि मोटे लोगों को या तो अपने वजन को नियंत्रित करने अथवा उसे कम करने केलिए उचित कदम उठाने चाहिए।
  3. गठिया से पीडि़त मोटापे/अधिक वजन से पीडि़त लोगों में वजन में 1 पाउंड (0.45 किलोग्राम) की कमी से, घुटने पर पड़ने वाले वजन में 4 गुणा कमी होती है। इस प्रकार वजन में कमी करने से जोड़ पर खिंचाव को कम करने, पीड़ा को हरने तथा गठिया की स्थिति के आगे बढ़ने में देरी करने में सहायता मिलती है।
गठिया रोग में रामबाण है अदरक का
हम सब अदरक के गुणों का कई सालों से भरपूर फयदा उठाते आ रहे है। अदरक बहुत सारी बीमारियों से हमारी रक्षा करता है और बहुत सारी शारीरिक समस्‍याओं मेरामबाण की तरह काम करता है। यह हम भली भांति जानते है, अदरक से गठिया रोग को जड़ से खत्म किया जा सकता है। अदरक के इस पानी से मसाज करने से रक्‍त प्रवाह (blood circulation) में भी सुधार आता है। गठिया जैसे जटिल रोगों को जड़ से खत्म करने के लिए अदरक के दो प्रयोग है-
  1. पहले ½ चम्मच अदरक ले और इसको पीस लें और अब इसमे 150 ml गर्म पानी डाल कर अच्छी तरह से मिक्स कर लें और ठंडा होने के बाद इस मिश्रण का सेवन करें। दिन में दो बार लगातार 1 महीने तक इस मिश्रण का सेवन करें इससे इस रोग आपको बहुत अधिक लाभ होगा और आराम की साँस ले पाएंगे।
  2. 30-40 ग्राम सूखा हुआ अदरक ले और अब इसको कपड़े में लपेट कर थैली बना लें अब गर्म पानी ले और इस अदरक की थैली को गर्म पानी में 5 मिनटों तक रखें। इस प्रयोग को करने से पहले ध्यान रखे के पानी गर्म हो। अब इस मिश्रण में सूती कपड़ा भीगों लें और निचोड़ कर कपड़े को प्रभावित जगह पर लगा कर रखें। इस कपड़े को गर्म रखने के लिए उपर से किसी सूखे कपड़े से कवर कर लें। 5 मिनटों के बाद इस कपड़े को फिर से भीगों कर प्रभावित जगेह पर लगा कर रखें इस प्रकिया को 3 बार रिपीट करें ऐसा करने से इस रोग में लाभ होगा।

गठिया रोग के लक्षण
घुटनों के दर्द के निम्नलिखित कारण हैं-
  1. आर्थराइटिस- लूपस जैसा- रीयूमेटाइड, आस्टियोआर्थराइटिस और गाउट सहित अथवा संबंधित ऊतक विकार
  2. बरसाइटिस- घुटने पर बार-बार दबाव से सूजन (जैसे लंबे समय के लिए घुटने के बल बैठना, घुटने का अधिक उपयोग करना अथवा घुटने में चोट)
  3. टेन्टीनाइटिस- आपके घुटने में सामने की ओर दर्द जो सीढ़ियों अथवा चढ़ाव पर चढ़ते और उतरते समय बढ़ जाता है। यह धावकों, स्कॉयर और साइकिल चलाने वालों को होता है।
  4. बेकर्स सिस्ट- घुटने के पीछे पानी से भरा सूजन जिसके साथ आर्थराइटिस जैसे अन्य कारणों से सूजन भी हो सकती है। यदि सिस्ट फट जाती है तो आपके घुटने के पीछे का दर्द नीचे आपकी पिंडली तक जा सकता है।
  5. घिसा हुआ कार्टिलेज (उपास्थि)(मेनिस्कस टियर)- घुटने के जोड़ के अंदर की ओर अथवा बाहर की ओर दर्द पैदा कर सकता है।
  6. घिसा हुआ लिगमेंट (ए सी एल टियर)- घुटने में दर्द और अस्थायित्व उत्पन्न कर सकता है।
  7. झटका लगना अथवा मोच- अचानक अथवा अप्राकृतिक ढंग से मुड़ जाने के कारण लिगमेंट में मामूली चोट
  8. जानुफलक (नीकैप) का विस्थापन
  9. जोड़ में संक्रमण
  10. घुटने की चोट- आपके घुटने में रक्त स्राव हो सकता है जिससे दर्द अधिक होता है
  11. श्रोणि विकार- दर्द उत्पन्न कर सकता है जो घुटने में महसूस होता है। उदाहरण के लिए इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम एक ऐसी चोट है जो आपके श्रोणि से आपके घुटने के बाहर तक जाती है।
  12. अधिक वजन होना, कब्ज होना, खाना जल्दी-जल्दी खाने की आदत, फास्ट-फ़ूड का अधिक सेवन, तली हुई चीजें खाना, कम मात्रा में पानी पीना, शरीर में कैल्सियम की कमी होना।
गठिया/घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज
  1. किसी चोट का दर्द हो या घुटने का दर्द आप इस दर्द निवारक हल्दी के पेस्ट को बनाकर अपनी चोट के स्थान पर या घुटनों के दर्द के स्थान पर लगाइए इससे बहुत जल्दी आराम मिलता है। दर्द निवारक हल्दी का पेस्ट कैसे बनाएं इसके लिए आप सबसे पहले एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर लें और एक चम्मच पिसी हुई चीनी और इसमें आप बूरा या शहद मिला लें, और एक चुटकी चूना मिला दें और थोड़ा सा पानी डाल कर इसका पेस्ट जैसा बना लें। इस लेप को बनाने के बाद अपने चम्मच के स्थान पर यार जो घुटना का दर्द करता है उस स्थान पर स्लिप को लगा ले और ऊपर से किराए बैंडेज या कोई पुराना सूती कपड़ा बांध दें और इसको रातभर लगा रहने दें और सुबह सादा पानी से इसको धो ले इस तरह से लगभग 7:00 से लेकर 1 सप्ताह से लेकर 2 सप्ताह तक ऐसा करने से इसको लगाने से आपके घुटने की सूजन मांसपेशियों में खिंचाव अंदरुनी चोट होने वाले दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलता है और यह पृष्ठ आप के दर्द को जड़ से खत्म कर देता है।
  2. सौंठ से बनी दर्द निवारक दवा सौंठ भी एक बहुत अच्छा दर्द निवारक दवा के रूप में फायदेमंद साबित हो सकता है, सौंठ से दर्दनिवारक दवा बनाने के लिए एक आप एक छोटा चम्मच सौंठ का पाउडर व थोड़ा आवश्यकतानुसार तिल का तेल इन दोनों को मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट जैसा बना ले। दर्द या मोच के स्थान पर या चोट के दर्द में आप इस दर्द निवारक सौंठ के पेस्ट को हल्के हल्के प्रभावित स्थान पर लगाएं और इसको दो से 3 घंटे तक लगा रहने दें इसके बाद इसे पानी से धो लें ऐसा करने से 1 सप्ताह में आपको घुटने के दर्द में पूरा आराम मिल जाता है और अगर मांसपेशियों में भी खिंचाव महसूस होता है तो वह भी जाता रहता है।
  3. सर्दियों के मौसम में रोजाना 5-6 खजूर खाना बहुत ही लाभदायक होता है, खजूर का सेवन आप इस तरह भी कर सकते हैं रात के समय 6-7 खजूर पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट इन खजूर को खा ले और साथ ही वह पानी भी पी ले जिनको जिसमें आपने रात में खजूर भिगोए थे. यह घुटनों के दर्द के अलावा आपके जोड़ों के दर्द में भी आराम दिलाता है।
घुटनों के दर्द - गठिया का आयुर्वेदिक इलाज 
गठिया के रोग में अचूक आयुर्वेदिक घरेलू एवं सामान्य उपचार
  1. खाने के एक ग्रास को कम से कम 32 बार चबाकर खाएं। इस साधरण से प्रतीत होने वाले प्रयोग से कुछ ही दिनों में घुटनों में साइनोबियल फ्रलूड बनने लग जाती है।
  2. पूरे दिन भर में कम से कम 12 गिलास तक पानी अवश्य पिए। ध्यान दीजिए, कम मात्रा में पानी पीने से भी घुटनों में दर्द बढ़ जाता है।
  3. भोजन के साथ अंकुरित मेथी का सेवन करें।
  4. बीस ग्राम ग्वारपाठे अर्थात् एलोवेरा के ताजा गूदे को खूब चबा-चबाकर खाएं साथ में 1-2 काली मिर्च एवं थोड़ा सा काला नमक तथा ऊपर से पानी पी लें। यह प्रयेाग खाली पेट करें। इस प्रयोग के द्वारा घुटनों में यदि साइनोबियल फ्रलूड भी कम हो गई हो तो बनने लग जाती है।
  5. चार कच्ची-भिंडी सवेरे पानी के साथ खाएं। दिन भर में तीन अखरोट अवश्य खाएं। इससे भी साइनोबियल फ्रलूड बनने लगती है। अनुभूत प्रयोग है।
  6. एक्यूप्रेशर-रिंग को दिन में तीन बार, तीन मिनट तक अनामिका एवं मध्यमा अंगुलि में एक्यूप्रेशर करें।
  7. प्रतिदिन कम से कम 2-3 किलोमीटर तक पैदल चलें।
  8. दिन में दस मिनट आंखें बंद कर, लेटकर घुटने के दर्द का ध्यान करें। नियमित रूप से अनुलोम-विलोम एवं कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करें। अनुलोम-विलोम धीरे-धीरे एवं कम से कम सौ बार अवश्य करें। इससे लाभ जल्दी होने लगता है।

मुद्रा-चिकित्सा
  1. तर्जनी अंगुलि (इंडेक्स-फिंगर)को अंगूठे के नीचे गद्दी पर लगाएं और अंगूठे से हल्का दबाएं। यह प्रयोग आध-आध घंटा दिन में दो बार करें।
  2. नाभि में अरंड के बीज को छीलकर लगाएं और प्लास्टिक की टेप से चिपका दें। दूसरे दिन नहाने से पहले हटा दें। यह प्रयोग नहाने के लगभग दो घंटे बाद करें।
  3. घुटनों में दर्द होना, साइनोबियल फ्रलूड खत्म होना इत्यादि रोगों से पीडि़तों को दूध नहीं पीना चाहिए, क्योंकि दूध में लैक्टिक-एसिड पाया जाता है, जो कि घुटनों में दर्द को बढ़ाता है। हाँ, दूध को ठंडा करके उसमें शहद, सोंठ मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। सौंठ से अभिप्राय ड्राई-जिंजर है।
  4. स्टेरॉयड के इंजेक्शन भूलकर भी नहीं लगाएं। इनके ढेरों साइड इफेक्ट होने के साथ साथ एक स्थिति ऐसी पैदा हो जाती है-‘‘मर्ज बढ़ता ही गया, ज्यूं-ज्यूं दवा की’’।

गठिया रोग के घरेलू उपचार
एलोवेरा 
त्रिफला जूस, एलोवेरा जूस, एलोवेरा गार्लिक जूस, इनमें से कोई एक रोग के लक्षणों के अनुसार सेवन करने से अवश्य ही रोग से मुक्ति मिल जाती है। पूर्ण धैर्य के साथ तीन-चार महीनों तक नियमित रूप से खाली पेट सेवन करना चाहिए।
 
आयुर्वेद के अनुसार सेवनीय अन्य औषधियां
अमृता सत्व, गोदंती भस्म, प्रवाल पिष्टी, स्वर्ण माक्षिक भस्म, महावत विध्वंसन रस, वृहद वातचितामणि रस, एकांगवीर रस, महायोगराज गुग्गुल, चंद्रप्रभावटी, पुनर्नवा मंडुर इत्यादि औषधियों का कुछ दिनों विशेषज्ञ के परामर्श से सेवन करने से बिना किसी साइडइपैफक्ट के ही आशातीत लाभ मिलता है।
 
सेवन करने से बचें
दही, लस्सी, अचार, दूध्, चाय तथा रात के समय हलका व सुपाच्य आहार लें। रात के समय चना, भिंडी, अरबी, आलू, खीरा, मूली, दही राजमा इत्यादि का सेवन भूलकर भी नहीं करें।

गठिया के दौरान क्या न करें/ गठिया रोग मे परहेज
  1. ऐसे जूतों का प्रयोग करने से बचिए जिनकी पीडि़त ऊंची हैं तथा बहुत ही कठोर हैं तथा सेण्डल पहनने से बचें इसके स्थान पर ऐसे जूतों का प्रयोग करें जिनकी एड़ी नीची है या जिनके फीते बांधे जा सकते हैं तथा जिनसे पैरों को उचित सहायता प्राप्त होती है।
  2. खड़ी ढ़लानों पर चलने तथा बहुत ही नर्म तथा असमान तल या जमीन पर चलने से बचें।
  3. सीढि़यां का प्रयोग करने से बचें जहां संभव हो वहां पर एलेवेटर का प्रयोग करें यदि आपको सीढि़यां का प्रयोग करना ही पड़ता है।
  4. तो एक बार में एक सीढ़ी चढ़ें तथा हैंड रेल को पकड़ कर चलिए।
  5. हमेशा स्वस्थ पैर को आगे रखें।
  6. भारी वस्तुओं को लेकर चलने से बचें भारी वस्तुओं से घुटनों पर अतिरिक्त तनाव या भार पड़ता है।
  7. कुर्सी के पीछे टांगों को मोड़ने से बचें, अपनी टांगों को आराम से फैलाएं तथा बार बार उनकी स्थिति को बदलते रहें।
  8. लंबे समय तक निरन्तर खड़े रहने से बचिए इसके बदले में हर घंटे के बाद एक ब्रेक लें।
  9. बिस्तर या कुर्सी से उठते समय प्रभावित घुटने पर दबाव डालने से बचिए। इसके अलावा उठने के लिए दोनो हाथों के साथ नीचे की ओर बल लगाते हुए उठिए।
  10. कम ऊंचाई वाली कुर्सियों पर बैठने से बचें ऐसी कुर्सियों को चुनें जिनकी सीट ऊंची हैं और उन पर आर्मरेस्ट लगी हुई हैं।
  11. घुटनों को मोड़ने से बचिए अनेक ऐसे कार्य जिनके लिए घुटनों को मोड़ने की जरूरत होती है, उन्हें कम ऊंचाई की कुर्सियों या स्टूल का प्रयोग करके किया जा सकता है।

आपके घुटनो में कैसा भी दर्द हो इसे मात्र सात दिनों में दूर करने की अचूक घरेलु औषधि मौजूद है। आज के समय में घुटनो का दर्द उम्र बढ़ने के साथ साथ बढ़ता रहता है और कई बार घुटनो में दर्द चोट लगने की वजह से या फिर गठिया रोग के होने की वजह से भी होता है। लेकिन कई लोग ये कहते है की घुटनो की ग्रीस ख़त्म हो गए इसलिए हमें दर्द हो रहा है या फिर यूरिक एसिड का शरीर में जयादा बढ़ जाना भी इसकी दर्द की वजह है। कई बार तो घुटनो का दर्द इतना जयादा बढ़ जाता है की वो सहन भी नहीं होता है और व्यक्ति का बुरा हाल हो जाता है। व्‍यायाम करने से हम इस दर्द से कुछ हद तक मुक्त हो सकते है क्योकि इससे एक तो घुटनो की जकड़न खत्‍म हो जाती है और दूसरे घुटनो की गति को आसान कर देती है जिससे दर्द भी कम हो जाता है।

जब हमारे घुटने सही काम नहीं करते तो हमें चलने फिरने आदि में दिक्कत हो जाती है और घुटनो को मोड़ने और सीधे करने में भी बहुत दिक्‍कत होती है। घुटनो पर लालिमा व सूजन बनी रहती है। इस कारण से घुटनो को मोड़ते समय चटकने व टूटने जैसी आवाज आने लगती है। जिससे घुटने में दर्द होता है उन पैरो में झुनझुनी होने लगती है। आर्युवेद मे घुटनो में होने वाले दर्द से बचने के लिएअनेक अचूक उपाय मौजूद है। जिससे आपके घुटनो के दर्द को कम ही नहीं करता बलिकी आपके दर्द को जड़ से ख़त्म कर देता है। तो आइये जानते है वो कौन सा उपाय है। इसके लिए जो सामान चाहिए वो बहुत ही आसानी से आपकी किचन में मिल जायेगा : एक छोटा चम्मच हल्दी जोकि एक एंटीसेप्टिक व एंटीबायोटिक का काम करती है, एक चम्मच शहद और चुटकी भर चुना इन तीनो सामान मात्रा को आपस में अच्छे से मिला कर थोड़ा सा पानी डालकर पेस्ट जैसा बना लेना है। आप इस सामान को थोड़ा ज्‍यादा भी ले सकते अगर आपके घुटने पर ये कम पड़ रहा हो। अब इस पेस्ट को अपने घुटनो पर हल्‍के हल्‍के दस मिनट तक मालिश करना है और ये उपाय आपके रात को सोते समय करना है। अब जब आप मालिश कर ले तो इस पर कोई सूती कपडा या फिर बैंडेज बांधकर सो जाये और सुबह गुनगुने पानी से घुटने को धो दे। इस उपाय से आपका दर्द कहला जायेगा और ये उपाय आपको लगातार सात दिनों तक करना है और आपका दर्द कैसा भी हो जड़ से ख़तम हो जायेगा।
अब आपको कुछ बातो का ध्‍यान रखना है जैसे वसा युक्त व प्रोटीनयुक्त खाना खाने से परहेज करे। आलू, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, लाल मिर्च, अत्‍यधिक नमक, बैगन आदि न खाये। घुटनो की गर्म व बर्फ के पैड्स से सिकाई करे। घुटनो के निचे तकिया रखे।वजन कम रखे इसे बढ़ने न दे। ज्‍यादा लम्बे समय तक खड़े न रहे। आराम करे दर्द बढ़ाने वाली गति विधिया न करे इससे आपका दर्द और बढता जायेगा और आप इसे सहन नहीं कर पाएंगे। सुबह खली पेट तीन से चार अखरोट खाये, विटामिन इ युक्त खाना खाये धुप सेके। इन बातो को धायण रखने के साथ साथ इस उपाय को करे तो आपके घुटनो का दर्द जड़ से ख़त्म हो जायेगा।

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नोट - चिकित्सीय परामर्श अवश्य ले, यह केवल ज्ञान वर्धन के लिए है।



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