महात्मा गांधी जी ने देश की आजादी में अहम योगदान दिया इसे अस्वीकार करना असम्भव है पर यह गीत वास्तव मे देश की आजादी में अपना बलिदान देने वाले लोगों को कमतर बताता है। आज स्वयं आकालन करने की जरूरत है कि क्या आजादी हमें खड्ग, बिना ढाल के ही मिली है ? ईमानदारी से कहे तो गीत लिखने वाले भी इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई 1857 और उससे भी पहले छोटी मोटे तौर पर लड़ी जा रही थी, शहीद मंगल पांडेय, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई और अनगिनत ऐसे लोगों ने अपने जान की परवाह न करते हुये भारत माता को आजाद करने के लिये हर सम्भव प्रहार किया। गांधी जी के भारत आने के बाद की परिस्थिति दूसरी थी, गांधी जी 1915 में भारत आये और 1916 से विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया। आज हम अपने बच्चों तो जो पढ़ा रहे हे कि हमें आजादी बिना खड्ग और ढाल के मिली है इससे तो यही सिद्ध करना चाहते है कि गांधी से पहले स्वतंत्रता के नाम पर सिर्फ मजाक हो रहा था? और गांधी जी के आने के बाद यथावत स्वतंत्रता की लड़ाई बिना खड्ग और ढाल के लड़ी गई ?
जो सम्मान गांधी का हो रहा है उसी प्रकार का सम्मान हर स्वतंत्रता सेनानी के साथ होना चाहिये। अगर इतिहासकारों की माने तो गांधी युग न होता तो 20 साल पहले भारत आजाद हो चुका होता और भारत विभाजन की नौबत ही नहीं आती। गांधी जी का यह गुणगान सिर्फ गांधी वादियो को ही सुहा सकता है, उन्हें ही इसे गाना चाहिये। अगर देश की आत्मा के साथ यह गान बहुत बड़ा मजाक है। यह गाना तो सीधे सीधे यही कह रहा है कि गांधी बाबा एक तरफ और सारे शहीद क्रान्तिकारी एक तरफ और तब पर भी गांधी भारी ? क्या यही सही है ?
भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई 1857 और उससे भी पहले छोटी मोटे तौर पर लड़ी जा रही थी, शहीद मंगल पांडेय, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई और अनगिनत ऐसे लोगों ने अपने जान की परवाह न करते हुये भारत माता को आजाद करने के लिये हर सम्भव प्रहार किया। गांधी जी के भारत आने के बाद की परिस्थिति दूसरी थी, गांधी जी 1915 में भारत आये और 1916 से विभिन्न आंदोलनों में भाग लिया। आज हम अपने बच्चों तो जो पढ़ा रहे हे कि हमें आजादी बिना खड्ग और ढाल के मिली है इससे तो यही सिद्ध करना चाहते है कि गांधी से पहले स्वतंत्रता के नाम पर सिर्फ मजाक हो रहा था? और गांधी जी के आने के बाद यथावत स्वतंत्रता की लड़ाई बिना खड्ग और ढाल के लड़ी गई ?
जो सम्मान गांधी का हो रहा है उसी प्रकार का सम्मान हर स्वतंत्रता सेनानी के साथ होना चाहिये। अगर इतिहासकारों की माने तो गांधी युग न होता तो 20 साल पहले भारत आजाद हो चुका होता और भारत विभाजन की नौबत ही नहीं आती। गांधी जी का यह गुणगान सिर्फ गांधी वादियो को ही सुहा सकता है, उन्हें ही इसे गाना चाहिये। अगर देश की आत्मा के साथ यह गान बहुत बड़ा मजाक है। यह गाना तो सीधे सीधे यही कह रहा है कि गांधी बाबा एक तरफ और सारे शहीद क्रान्तिकारी एक तरफ और तब पर भी गांधी भारी ? क्या यही सही है ?
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