परवीन ने गाँव का नाम बदलवाने की शर्त क्यों रखी मुझे समझ नहीं आया... ऐसा क्या कर दिया ज़िया साहब ने उस गाँव के लिए जो उसका नाम उनके नाम पर रखा जाए? मरने की जगह का नाम मरने वाले पुलिस अफसर के नाम पर रखा जाने लगा तो हर घंटे किसी न किसी शहर या गाँव का नाम बदल जायेगा... फिर क्या होगा? चिट्ठी पोस्ट करने से पहले लोग अखिलेश यादव को फ़ोन करके गाँव का ताज़ा नाम कन्फर्म किया करेंगे... और यदि एक ही जगह पर एक से अधिक लोग मुठभेड़ में मारे गए तो एकता कपूर के सीरियल की तर्ज पर उनकी बेवाओं के बीच जंग होगी कि किसके पति के नाम पर गाँव का नाम रखा जाए.... उफ़! मुझे तो सोचकर ही डर लग रहा है..
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