२००१० में विधि स्नातक होने और फेसबुक पर आने के बाद ब्लॉगर की दुनिया में मेरी दस्तक थोड़ी कम हुई. जिस तरह शादी के बाद लड़का काफी समय तक अपने एक नये जीवन में मस्त हो जाता है, दोस्त क्या कर रहे है कौन दोस्त कहाँ है इस दुनिया से बहुत दूर अपनी एक नयी ज़िन्दगी में व्यक्ति होता है. व्यक्ति की जीवन में नयी नयी पत्तियां कितनी भी प्रभावी क्यों न हो जाये किन्तु उसकी जड़े जितनी ही पुरानी होती है उसको उतनी ही मजबूती देती है.
मैंने पिछले 3 वर्षो में ब्लॉग लिखना बंद तो नहीं किया किन्तु जो नियमितता थी वो जरूर कम हुई, फेसबुक तो सिर्फ टाइम पास का माध्यम है क्योंकि हम जो वहाँ करते है, २४ घंटे बाद वो ऐसा इतिहास हो जाता है जो किसी को भी याद नहीं होता है. सोशल नेटवर्किंग एक संपर्क माध्यम हो सकता है किन्तु व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के प्रचार का माध्यम कभी नहीं. फेसबुक की अपनी एक अलग दुनिया और ब्लॉग की अपनी अलग और फेसबुक कभी भी ब्लॉग की जगह नहीं ले सकता. मैंने कभी लिखना छोड़ा नहीं किन्तु कम जरूर हुआ इसलिए वापसी करने जैसा कोई प्रश्न नहीं है, कोशिश होगी की कम से कम अच्छा और प्रभावी लेखन हो. बाकी राम जी मालिक है.
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