देव दुर्लभ वीर व्रत ले, संगठित हो हिंदू सारा - संघ गीत





देव दुर्लभ वीर व्रत ले, संगठित हो हिंदू सारा
विश्व व्यापी ध्येय पथ पर धर्म विजयी हो हमारा ॥

सत्य पथ अपना सनातन, नित्य नूतन चिर पुरातन
व्यष्टि से परमेष्ठी तक है, चेतना का एक स्पंदन
वेद वाणी के स्वरों में, गुंजति संस्कार धारा ॥1॥

सब सुखी हो सब निरामय, इस धरा का मूल चिंतन
विश्व को मांगल्य देने, कर दिया सर्वस्व अर्पण
गरल पीकर शिव बने हम शक्ति का यह रूप न्यारा ॥2॥

जननी है वसुधा हमारी, मातृ मन का भाव जागे
एकता का मंत्र दे कर, जगति में एकात्म साधे
विश्व गुरु के परम पद पर, हो प्रतिष्ठित धर्म प्यारा ॥3॥

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उठो जवानो हम भारत के स्वाभिमान सरताज़ है - संघ गीत



 

उठो जवानो हम भारत के स्वाभिमान सरताज़ है
अभिमन्यु के रथ का पहिया, चक्रव्यूह की मार है

चमके कि ज्यों दिनकर चमका है
उठे कि ज्यो तूफान उठे
चले चाल मस्ताने गज सी
हँसे कि विपदा भाग उठे

हम भारत की तरुणाई है
माता की गलहार है
अभिमन्यु के रथ का पहिया....

खेल कबड्डी कहकर
पाले में न घुस पाये दुश्मन
प्रतिद्वंदी से ताल ठोक कर
कहो भाग जाओ दुश्मन
मान जीजा के वीर शिवा हम
राणा के अवतार है
अभिमन्यु के रथ का पहिया....

गुरु पूजा में एकलव्य हम
बैरागी के बाण है
लव कुश की हम प्रखर साधना
शकुंतला के प्राण है
चन्द्रगुप्त की दिग्विजयों के
हम ही खेवनहार है
अभिमन्यु के रथ का पहिया....

गोरा, बादल, जयमल, पत्ता,
भगत सिंह, सुखदेव, आज़ाद
केशव की हम ध्येय साधना
माधव बन होती आवाज़
आज नहीं तो कल भारत के
हम ही पहरेदार है
अभिमन्यु के रथ का पहिया....

उठो जवानों हम भारत के स्वाभिमान सरताज है
अभिमन्यु के रथ का पहिया, चक्रव्यूह मार है

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