उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या एक गंभीर बीमारी है और इसकी वजह से कई दूसरी गंभीर बीमारियां भी उत्पन्न हो सकती हैं। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को हाइपरटेंशन भी कहते हैं जो कि सेहत के लिए घातक है। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और इसका इलाज करना चाहिए। यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। हाई ब्लड प्रेशर की वजह से कोरोनरी हार्ट डिजीज, हार्ट फेल्योर, स्ट्रोक और किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती हैं। हाई ब्लड प्रेशर की वजह से रक्त वाहिनियों में दबाव पड़ने लगता है और वॉल क्षतिग्रस्त हो जाती है या उनमें ब्लॉकेज आ जाती है। सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि ब्लड प्रेशर 90 और 120 मिलीमीटर के बीच रहे। इससे ज्यादा ब्लड प्रेशर होने पर व्यक्ति हाइपरटेंशन का शिकार हो जाता है। हाइपरटेंशन हमारी कोरोनरी आर्टरी की परतों को नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से हमारे दिमाग से लेकर किडनी तक को क्षति पहुंच सकती है। जब ब्लड प्रेशर उच्च होता है, तो ब्लड धमनियों (आर्टरी) की साइड की परतों को तेजी से हिट करता है। इसकी वजह से धमनियों की परतों को नुकसान पहुंचता है। वो क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। धमनियों में होने वाले इस नुकसान से रुकावट आ जाती है। काफी लंबे वक्त से हाइपरटेंशन होने पर हार्ट की मांसपेशियों में कमज़ोरी आ जाती है। हार्ट फेल होने की संभावना बढ़ जाती है। हाइपरटेंशन चिंता, गुस्सा, मानसिक विकार, अनियमित खान-पान, जीवनशैली में आए बदलाव, सिगरेट और शराब के अधिक सेवन से हो सकता है। मोटापा, तनाव और नमक के ज़्यादा सेवन से हाइपरटेंशन हो सकता है। इसके अलावा, जेनेटिक प्रोब्लम की वजह से भी हाइपरटेंशन की बीमारी होती है। हाइपरटेंशन को बिना किसी ड्रग्स की सहायता से नॉर्मल लेवल पर लाया जा सकता है। इसके लिए हमें अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव करने की जरूरत होती है। वजन को नियंत्रित करना जरूरी होता है। नियमित व्यायाम से हाइपरटेंशन की समस्या से छुटकारा पाया सकता है। वास्तव में हाई ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर माना जाता है। अधिकांश को देर से पता चलता है कि वे इस समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में दवाओं से बचना चाहते हैं तो लाइफस्टाइल में बदलाव करें।
उच्च रक्तचाप एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। इस दबाव की वजह से धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। रक्तचाप में दो माप शामिल होती हैं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक, जो इस बात पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता हो रही है। आमतौर पर 140/90 से ऊपर के रक्तचाप को अति तनाव (हाइपरटेंशन) कहा जाता है। अगर दबाव 180/120 से ऊपर है तो ये खतरनाक माना जाता है। उच्च रक्तचाप का कोई लक्षण नहीं होता। समय के साथ अगर इसका इलाज न हो, तो इससे स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयां जैसे हृदय रोग और स्ट्रोक हो सकते हैं। आइए जानते हैं नेचुरल तरीके कैसे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कम किया जा सकता है :-
- नियंत्रित खानपान : फैटी डाइट व अधिक नमक से परहेज। विशेषज्ञ मानते हैं कि सामान्य व्यक्ति को दिनभर में 5-6 ग्राम नमक खाना चाहिए। सलाद खूब खाएं।
- नींद से बीपी कंट्रोल : अनिद्रा भी इसका एक कारण है। देर रात की पार्टियां ज्यादातर अनिद्रा की वजह बनती हैं जो हार्ट के लिए ठीक नहीं है। 7 से 8 घंटे रोजाना गहरी नींद सोना चाहिए। अच्छी नींद हार्ट के अलावा कई अन्य बीमारियों से बचाव करती है।
- योग से फायदा : दिल के मामले में योग भी बेहतरीन विकल्प हो सकता है। कई शोध में साबित हो चुका है कि रोजाना योग करने से हृदय संबंधी रोगों के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों से भी राहत मिलती है।
- व्यायाम : वजन बीपी का मुख्य कारण है। सामान्य वजन से 4-5 किलो अधिक वजन ब्लड प्रेशर को करीब 4 एमएम-एचजी तक बढ़ा देता है। वॉक, जॉगिंग, जिमिंग व एरोबिक्स एनर्जी लेवल बढ़ाती हैं। डांस से भी वजन घटता है। इससे कैलोरी बर्न होगी और हार्ट की ब्लड पम्पिंग क्षमता बढ़ेगी।
- सांस से आराम : कुछ लोगों का बीपी शाम की तुलना में सुबह ज्यादा होता है। इसका कारण है रात में कम ऑक्सीजन की प्राप्ति। इसके लिए दिन में 10 से 15 बार पेट से गहरी सांस लें। विशेषज्ञों के अनुसार गहरी सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन व रक्त का संचार सुचारू रहता है। मानसिक शांति मिलती है, गुस्सा भी कम आता है। हाई ब्लड प्रेशर के आयुर्वेदिक उपचार
- इसके अलावा लहसुन की दो या तीन कलियों को सुबह खाली पेट पानी के साथ चबाकर खाना चाहिए। चबाने में दिक्कत हो तो लहसुन के रस की 5-6 बूंद 20 मिली पानी में मिलाकर ले सकते हैं।
- इससे निजात पाने के लिए अर्जुन का क्षीरपाक इस्तेमाल कर सकते हैं। क्षीरपाक बनाने के लिए अर्जुन की छाल का 10 ग्राम चूर्ण, 100 मिली दूध और 100 मिली पानी लेते हैं। फिर इसे पकाते हैं, जब सिर्फ दूध बच जाए, मतलब सिर्फ 100 मिली रह जाए तब इसे आंच से उतार कर, ठंडा करके, छानकर इसे पीते हैं।
- इसी तरह से त्रिफला के पानी का प्रयोग भी कर सकते हैं। 20 ग्राम त्रिफला को रात में पानी में भिगो दें और सुबह पानी को सुबह निथारकर दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से हाइपरटेंशन में फायदा मिलता है।
- मेथी और अजवाइन के पानी का प्रयोग भी किया जा सकता है। इसके लिए एक चम्मच मेथी और अजवाइन पाउडर को पानी में भिगोए और सुबह इस पानी को पी लें।
- 2 चम्मच प्याज का रस, 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह और शाम खाली पेट लें। भोजन में कच्ची प्याज नित्य खाना चाहिए।
- उच्च रक्तचाप की शिकायत वाले बुद्धिजीवी वर्ग वालो को प्रतिदिन 2-3 घंटे ससंकल्प मौन व्रत के साथ ही साथ सप्ताह में एक बार 6 घंटे से लेकर 18 घंटे तक मौन व्रत अवश्य करना चाहिये। मौन साधना की अवधि में अनुष्ठानों के अतिरिक्त ऐसी प्रवृत्तियों से बचना चाहिए, जिससे किसी प्रकार की उत्तेजना पैदा होने की जरा भी संभावना हो।
- यदि अच्छी तरह 15 मिनट श्वास का ध्यान किया जाये तो मानसिक तनाव दूर होगा, शांति मिलेगा, बढ़ा हुआ रक्तचाप दूर होगा।
- अब हम बात करेंगे हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप के रोगियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसके बारे में।
- अब हम बात करते हैं आहार की। उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों को कम नमक वाली चीज़ें ही खाना चाहिए, हो सके तो सेंधा नमक का प्रयोग करें।
- खाने में सब्जियों और फलों की मात्रा बढ़ाएं। लगभग सारी हरी सब्जियां और मौसमी फलों फायदेमंद होते हैं।
- छाछ और दूध के साथ ही नारियल पानी को भी अपनी डाइट में शामिल करें।
- ड्राई फ्रूट्स जैसे अखरोट, बादाम, अंजीर, किशमिश खाना भी फायदेमंद रहेगा।
- दूध में हल्दी और दालचीनी का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
- भोजन में लहसुन की मात्रा बढ़ाएं।
- सबसे जरूरी है एक शेड्यूल बनाना। सोने से लेकर उठने, एक्सरसाइज और योग हर एक चीज का समय निर्धारित करें।
- हाइपरटेंशन की सबसे बड़ी वजह है तनाव जिसे दूर करने के लिए योग और प्राणायाम सबसे अचूक उपाय हैं। ताड़ासन, पवनमुक्तासन, शलभासन और योगनिद्रा के अलावा भ्रामरी, अनुलोम-विलोम का प्रयोग भी कर सकते हैं। अगर हम ॐ का जप करते हैं तो इससे भी बहुत फायदा मिलता है।
- हाइपरटेंशन के रोगियों को रोजाना या हफ्ते में तीन से चार बार पूरे शरीर पर तेल से मालिश करनी चाहिए। इन चीजों से बचें
- डिब्बा बंद, बासी, ज़्यादा तला हुआ, मिर्च-मसालेदार, ज्यादा नमक वाला खाना और दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
- हाइपरटेंशन के रोगियों को चिंता, भय और क्रोध से खुद को बचाना है।
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