महार्षि अरविन्‍द का जन्‍मोत्‍सव- भाग तीन



महर्षि अरविन्‍द ने कहा है - 
समस्‍म विश्‍व शक्ति इस विराट पुरूष की प्रकृति या सक्रिय सचेतन शक्ति है। इस विराट पुरूष को हम प्राप्‍त की सकते है तथा यहीं बन भी सकते है तथा यही बन भी सकते हैं। पर इसके लिये हमें अहं की दीवारों को अपने चारों ओर से तोड़कर मानो एकमेव सर्वभूतों के साथ तादात्‍म्यता स्‍थापित करनी होगी अथवा इन्‍हो ऊपर की ओर से तोड़कर शुद्ध आत्‍मा या निरपेक्ष सत्‍ता का उसके आविर्भावशील अंतर्यामी, सर्वग्राही तथा सर्वनियमक ज्ञान से एवं आत्म-सर्जन की शक्ति से सम्‍पन्‍न रूप में साक्षात्‍कार करना होगा। - श्री अरविंद साहित्‍य समग्र, खण्‍ड-3, योग-समन्‍वय, पूर्वार्द्व, पृष्‍ठ 469-470 सें


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विजेन्‍द्र एस. विज को जन्‍मदिन शुभकामनाए



हिन्‍दी ब्‍लाग के प्रशिद्ध चित्रकार विजेन्‍द्र एस. विज को महाशक्ति परिवार की ओर से ह‍ार्दिक शुभकामनाऐं। विज भाई के बारें में ज्‍यादा कुछ बताना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा होगा। इनके बारें में मै सिर्फ इतना ही बताऊँगा कि आज जिस महानगर में मै रहता हूँ उस इलाहाबाद में ही इन्‍होने शिक्षा प्राप्‍त की और अपने जीवन के नये आधार की शुरूवात की। इन्‍होने कई प्रशिद्ध लेखको के अवरणों के लिये चित्र बनाऐं है। जिसमें कुमार विश्‍वास की पुस्‍तके शामिल है।

विज जी के जन्‍म दिन के अलावॉं आप सभी पाठकों को भाई-बहन के प्‍यार तथा राष्‍ट्र एकता के प्रतीक पर्व रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाऐं।


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