भक्‍तों के पिटाई के विरोध में एक दिन का लेखन कार्य बन्‍द किया



पिछले कुछ दिनों से इलाहाबाद कर्फ्यू ग्रस्त रहा है। किन्तु यह कर्फ्यू पूरे इलाहाबाद में नहीं था। एक घटना ने सच में भारतीय जनमानस को झकझोर का रख दिया। इलाहाबाद सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में हनुमान के मंदिर के पास से इस्‍कान समूह द्वारा भगवान श्री कृष्ण की शोभा यात्रा निकला जाना काफी दिनों से तय था किंतु प्रशासन ने अंतिम समय में अनुमति वापस लेकर और भक्तों की पिटाई की वह निंदनीय था। इस सरकार तथा प्रशासन द्वारा हिन्दुओं की धार्मिक भावना से खिलवाड़ के विरोध कल पूरे दिन महाशक्ति के किसी भी ब्लॉग पर लेख व पोस्ट नहीं करने का निर्णय किया गया था। उक्त समाचार मै आपके लिये यहाँ उधृत कर रहा हूँ- शोभायात्रा में इस्कॉन भक्तों पर जमकर बरसी लाठियां इलाहाबाद।

Allahabad Police

श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के प्रथम दिन इस्कॉन भक्तों पर पुलिस का कहर टूटा। सिविल लाइन्स हनुमत निकेतन के पास पूजा अर्चना कर रहे लोगों पर पुलिस ने जमकर लाठियां बरसायीं जिससे इस्कॉन के कई वरिष्ठ सदस्यों समेत श्रद्धालु महिलाएं घायल हो गई। एक सदस्य मनमोहन कृष्ण दास का हाथ टूट गया। उनके साथ आधा दर्जन लोगों को हिरासत में लेकर सिविल लाइन्स थाने ले जाया गया। सोमवार को इस्कॉन की ओर आयोजित सात दिवसीय महोत्सव के प्रथम दिन हनुमत निकेतन से शोभा यात्रा निकलनी थी। इस बीच लोग पूजा अर्चना करने लगे। शहर में क‌र्फ्यू होने की वजह से प्रशासन ने दोपहर में शोभा यात्रा की अनुमति को वापस ले लिया। इस बीच पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बड़ी संख्या में श्रद्धालु घटना स्थल पर पहुंच चुके थे। शोभा यात्रा रद की सूचना विलंब से प्राप्त होने से बड़ी संख्या में महिलाएं व बच्चे भी यात्रा व पूजन में शामिल हो गए। इस बीच वहां तैनात पुलिस कर्मियों ने इस्कॉन को केवल पूजा अर्चना की अनुमति दे दी। पूजा अर्चना व कीर्तन जैसे ही परवान चढ़ा, कि पुलिस की लाठियां बरसने लगीं। कोई कुछ समझ पाता कि इससे पहले भगदड़ मच गई। लाठियों की चपेट में कई महिलाएं भी आयीं जिसमें चार महिलाएं घायल हो गई। उनके परिचितों ने उन्हें नजदीक के अस्पताल ले जाकर उपचार कराया। पुलिस कमेटी के करीब आधा दर्जन लोगों को सिविल लाइन्स थाने ले गई। जहां कई घंटो तक घायल मनमोहन कृष्ण दास कराहते रहे। जिलाधिकारी आशीष गोयल ने इस संबंध में पूछने पर कहा कि इस्कान को शोभा यात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी गई थी। फिर भी उन्होंने जुलूस को चौक की ओर ले जाने का प्रयास किया। दूसरी ओर इस्कान मंदिर इलाहाबाद के अध्यक्ष सुरपति दास ने कहा कि जबरदस्ती नजरबन्द कर दिया गया। निरीह भक्तों पर लाठियां बरसाना बर्बरता व संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है। उन्होंने कहा कि समिति ने शोभा यात्रा न निकालने का निर्णय ले लिया था। वे सिर्फ पूजा करने का जा रहे थे तभी पुलिस लाठियां चलाने लगी।


निश्चित रूप से शासन और प्रशासन हिन्दू हितों के साथ भेदभाव कर रही है, और देश के धर्मनिरपेक्ष छवि को धूमिल कर रही है। अत: इस घटना की तीव्र निंदा और भर्त्सना की जानी चाहिए। महाशक्ति समूह इस घटना की निंदा करती है।




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भारत के स्‍वर्ग की दुर्दशा




भारत का स्वर्ग कहा जाने वाला क्षेत्र आज बन्दूकों व दहशतगर्दों की मिसाल बन गई है जिसका पटाक्षेप कर पाना कैंसर जैसा रोग माना जा रह है , जैसे की एक रोगी व्यक्ति को दवा सी कुछ गोलियों का कैप्सूल का सहारा दे दिया जता है, ठीक उसी प्रकार से जम्मू कश्मीर की समस्या आज भी बरकरार है। मैं जब अपने कुछ साथियों के साथ कश्मीर घाटी के बारामुला क्षेत्र मे पहुँचा तो वहां के रहने वाले कुछ मूल निवासियों से मिला, हम लोगो ने सोचा, यहाँ पहले से आराम होगा वा दहशतगर्दों से मुक्ति मिली होगी, तो कुछ महिलाओं कि व्यथा बाहर निकल आयी। कहते हैं की घाव की परत को निकालने से ही दर्द का एहसास होता है। ध्यान से समझा तो कुछ और ही नजारा देखने को मिला बल्कि महिलाओं ने कहा कि भैया आप इधर थोड़ा होशियारी से घूमियेगा क्योंकि यहाँ पर कब किसके ऊपर कहर आ जाये कोई नही जानता फिर उन लोगो ने बताया कि आप लोगो को आये दिन होने वाली घटनाएँ बताते हैं।कश्मीर मे हिंदुओं की औरतों को प्रताड़ित करना व आतंकियों द्वारा जब यह पूछा जाता है कि आप लोग हिंदू हैं और उनके घरों मे युवा वर्ग की लड़कियाँ होती हैं उन्हे कहते हैं की अच्छा बाद मॆं देखेंगे, पहले इनसे निपटेंगे। फिर आतंकियों द्वारा बडे बुजुर्गों को घर से निकालकर रस्सी से खम्भों मॆं बाँध दिया जाता है और नौजवान बहु बेटियों को माँ-बाप,सास-ससुर और भाईयों के सामने नीचे लिटा दिया जाता है,फिर उनके साथ बारी-बारी से आतंकियों द्वारा बलात्कार किया जाता है। हिंदुओं की बहु-बेटियों के साथ इस प्रकार की हिंसात्मक गतिविधियां आये दिन होती रहती हैं। जो नौजवान युवतियाँ चिल्लाने का प्रयास करती हैं उन्हे बेहोशी लगा दिया जाता है,और उनके शरीर का सारा ख़ून निकाल लिया जाता है,और उनको टुकडों मे करके नदी नालों मे फेंक दिया जाता के माँ-बाप के सामने इस प्रकार की हरकत देख उनके हार्ट फेल हो जाते हैं।कुछ बेहोश हो कर उसी खम्भे के सहारे लटके रह जाते हैं।कुछ-कुछ जगहों पर ऐसी घटनाएँ देखने को मिलती हैं की छोटे-छोटे बच्चों को आतंकियों द्वारा उनके माँ-बाप की गोद से छीन लिया जाता है और टांग पर टांग रखकर चीर दिया जाता है,और जानवरों के सामने फेंक दिया जाता है। हम लोगो को कुछ महिलाओं ने अपने शरीर पर हुये जख्म भी दिखाए जिन पर यह गुदवाया गया था कि पाकिस्तान जिंदाबाद। ये लफ्ज लोहे के सांचों को गर्म करके शरीर पर दागा गया था ,जिनकी वजह से हिंदू औरतें कई दिनों तक तिलमिलाती वा चिल्लाती रही।बाद मे उन्हे आतंकियों ने इस गर्ज से छोड़ दिया कि वे अपने पारिवारिक खानदानों को अपनी आप बतायें और सबके दिलो मे खौफ पैदा हो जाये कि सब हिंदू औरतों को इसी तरह से दागा जाएगा।


आलोक यायावर-अतिथि लेखक



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