महात्‍मा गांधी - एक आधुनिक कटु सत्‍य




मैंने कुछ अक्टूबर माह में ऑरकुट पर एक प्रश्न पूछा था कि क्या गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा दिया जाना उचित है? जिस पर इस ब्‍लागर समुदाय में इसे आरकुटिया महाभियोग की संज्ञा दिया गया। था। इस पर काफी लोगों को प्रतिक्रियाएँ देखने और पढ़ने को मिली आपका प्रतिक्रियाएं फिर काभी पढ़ाऊंगा। क्योंकि प्रतिक्रियाएं इन परिणामों से ज्यादा रोचक है, यह मेरा वादा है। किन्तु इस प्रश्‍न का जो परिणाम था वह आश्चर्यजनक है। आज जिस गांधी जी की दुहाई देकर राष्‍ट्र को धोखा दिया जा रहा है उन गांधी जी को 65 प्रतिशत लोग राष्ट्रपिता नहीं मानते है, 34 प्रतिशत लोग उन्हें राष्ट्रपिता के रूप में देखते और 1 प्रतिशत बंधु कोई राय नहीं रखते है।

आज गांधी जी पर प्रश्‍न उठाने पर हो हल्ला किया जाता है कि गांधी जी ने ये किया, गांधी जी ने वो किया, गांधी जी भगवान है, गांधी जी से पहले दाग लगाने से पहले सोचना चाहिए। आदि बाते इस बात की ओर इंगित करती है कि आज के समाज का 35 प्रतिशत हिस्‍सा 65 प्रतिशत हिस्से पर हावी है। जिस प्रकार राम सेतु के मुद्दे पर सरकार द्वारा बहुसंख्यक वर्ग पर कुठाराघात किया गया उसी प्रकार आज के समाज में कुछ प्रभावशाली लोगों का ही राज है। गांधी जी को इस प्रकार पूजा जाता है कि जैसे पहलवान वीर बाबा। गांधी जी को पूजना गलत नहीं किन्तु गांधी वाद के नाम पर अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को ठगा नहीं जाना चाहिए।

संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में जैसा प्रश्‍न भगत सिंह के नाम पर पूछा गया वह सर्व विदित है, आज मुट्ठीभर कुछ लोग देश की जन भावना को आतंकित कर रहे है। भगत सिंह को आतंकवादी बताना यही दर्शाता है कि जो भी काम इस देश में हुआ गांधी के कारण ही हुआ। आज रोड़, गली,योजना, परियोजना, स्‍वास्‍थ केन्द्र, तो बिजली घर, डाक टिकट, नोट, आदि सब कुछ गांधीमय ही कर दिया गया। तथा सरदार भगत सिंह, चन्‍द्रशेखर आजाद आदि को आंतकवादी बताकर देश के नौनिहालों को उनके रास्तों से दूर किया रहा है। आज समय है ऐसी दमनकारी नीतियों का दमन करने का, और ऐसे किसी भी प्रस्ताव का विरोध करने का जिसे देश की जनता मनने को तैयार नही है। गांधी को हम पर थोपने के बजाय उन्हें आत्मसात करवाने की जरूरत है न कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके उन्हें राष्‍ट्रपिता का दर्जा देने की।

यह सर्वेक्षण यह स्पष्ट करता है कि आज से 60 साल पहले भी लोगों पर गांधी जी को लोगों पर थोपा और आज भी थोपा जा रहा है। गाधी जी को थोपना तो मैं मानता हूँ कुछ हद तक ठीक है किन्तु भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, आजाद, तिलक आदि को जनमानस से दूर करके का क्‍या औचित्‍य है, कुछ दिनों पूर्व एक राजनेता ने कहा था कि गाधी भी कुछ सालों बाद भगवान की श्रेणी में आ जायेगें और उन्हे भी पूजा जायेगा। निश्चित रूप से यह सरकार का यह कृत्य भगवान राम को नकार कर, श्रीराम के स्थान पर गांधी जी को भगवान का दर्जा दिलाना ही है। जिस प्रकार देश के इतिहास से एक एक कर शहीदों के नाम गायब हो रहे है वह दिन दूर नहीं कि राष्‍ट्रीय प्रियंका-राहुल मेमोरियल ट्रस्‍ट की स्थापना न हो जाये।

इस सर्वेक्षण का मकसद सिर्फ इतना ही था कि लोग गांधी जी सच्चाई को जाने और खुद पर भरोसा कर गांधी-नेहरू परिवार की भाँति अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का न भूलें। पोल में कुल 1300 से ज्यादा लोगों ने मतदान किया था। भारत नाम कि एक कम्‍यूनिटी में इस प्रश्न को हटा दिया गया किन्तु उसमें भी जब तक प्रश्न था करीब 135 लोगो ने मतदान में हिस्सा लिया था। इस कम्‍यूनिटी के हटने के बाद कुल 1149 मत पड़े जिसमें प्रश्न के पक्ष में 746 विपक्ष में 392 तथा कोई राय नहीं रखने वाले 11 थे। मै नहीं समझता कि मेरा 252 शब्दों का लेख ब्लागर बंधुओं को प्रभावित करता है कि नहीं किन्तु आज ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो देश में परिवर्तन चाहते है। यह सर्वेक्षण हमें प्रेरित करता है कि कि हमें इस बात पर विचार करना होगा कि क्या सरकारों के दबाव में हमें अभी भी महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता मानना उचित है ?

आप इन लेखों पर भी अपने नज़र जरूर डालेगें-

महात्‍मा गाधी पर मेरे विभिन्‍न लेख

गांधी का अहं
गांधी वाद खडा चौराहे पर !
भारत दुर्दशा के जिम्‍मेदार
गांधी के आड़ मे भारतीयता पर चोट
क्‍या गांधी को राष्‍ट्रपिता का दर्जा दिया जाना उचित है? 
 


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महाशक्ति स्‍थापना दिवस



 


हर वर्ष की भातिं इस बार भी हम लोगों ने महाशक्ति का स्‍थापना दिवस 5 नवम्‍बर को मनया। इस मौके पर हमारे सभी साथी उपस्थित थे। यह हमारे लिये एक अनुपम दिन होता है, कि 8 साल पुराने साथी एक फिर से साथ साथ होते है।

कार्यक्रम की शुरूवात ताराचन्‍द्र के द्वारा लाये गये पुष्‍प से सभी ने माता सरस्‍वती के चरणों में पुष्प अर्पण करके हुआ। राजकुमार ने पुरानी यादों को तरोताजा किया। तो कामता प्रसाद भी अपने महाशक्ति से जुड़ाव के सम्‍बन्‍ध में बाते बाताई। अभिषेक शर्मा ने दिल्‍ली से फोन पर ही सभी को बधाईयॉं दी। अन्‍य आमत्रित साथियों ने भी अपनी बात रखी।

अन्‍त में मैने भी बातें रखी और महाशक्ति समूह विषय मुद्दे को चर्चा के लिये रखा, महाशक्ति के नये सामूहिक ब्‍लाग महाशक्ति समूह का सभी ने करतल घ्‍वनि से स्‍वागत किया। इस ब्‍लाग की बात सुनते ही कवि जा़लिम जी ने भी अपने को इस समूह में शामिल करने की बात कही और उन्‍हे भी तत्‍काल निमत्रण दे दिया गया।

महाशक्ति समूह में शामिल सभी सदस्‍यों को विशेष धन्‍यवाद दिया गया कि वे हमारे मनोरथ कार्य के सहभागी बनें। कार्यक्रम का अन्‍त भारत-पाक मैच के साथ चाय और समोसे से किया गया। :)



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