वरिष्‍ठ चिट्ठाकारों से एक अनुरोध



मैने आदरर्णीय XYZ को लेकर एक पोस्‍ट लिखी थी, इस लेख को लेकर मेरा उद्देश्‍य किसी को दोष देना या चोट पहुँचाना नही था। किन्तु मेरे द्वारा XYZ जी को टिप्‍पणी के माध्‍यम से इस लेख के बारें मे सूचित करने पर जो टिप्‍पड़ी आई, वह मुझे खल गई ओर दर्शा गई कि मै अपराधी हूँ, उनकि द्वारा टिप्‍पणी जो क्षमा नामक शब्‍द प्रयुक्‍त हुआ है वह हम छोटों को फिर कभी अपनी बात बड़ों के सामने रखने में हिचक पैदा करता है। हम लेखन से इसलिए जुडें है कि हम आपस में संवाद खड़ा कर परिष्‍कृत बाते सामने लाये किन्‍तु बड़ों द्वारा छोटों के समक्ष क्षमा आदि शब्‍द हमें यह सोचने पर मजबूर कर देते है कि अब दोबारा मत लिखना।

मेरा यह यह मानना है कि हमें एक लेखक की भातिं आपस में संवाद खड़ा करना चाहिए, किन्‍तु वरिष्‍ठों द्वारा इस प्रकार के वचन हमें लज्जित कर देतें है। मेरा सभी वरिष्‍ठों से निवेदन है कि लेखनी की इस तरह अनादर नही करना चाहिए। और कम से कम छोटों से इस प्रकार के कटु वचनों को बोल कर संवाद के माध्‍यम को बंद होने से बचाइऐं।


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