वैलेन्‍टाईन डे - टिप्‍पणी को लेख का दर्जा नही दिया जाना चाहियें



आज सुबह से वैलेन्‍टाईन डे पर लिखने को सोच रहा था, मैटर बहुत था किन्‍तु कहॉ से लिखूँ यह सोच पाना कठिन था। अचानक योगेश समदर्शी जी का लेख पढ़ा और लिखने का कोना मुझे मिल ही गया। अब मै टिप्‍पणी को लेख का दर्जा नही दूँगा, अगर आप योगेश जी के साथ मेरे विचार भी पढ़ना चाहे तो उक्‍त लिंक ("प्यार के व्यापारिकरण का उत्सव....") पर किल्‍क कर वही पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करें।

आप सभी को माता-पिता पूजन दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं :)  महाशक्ति समूह - एक हो सारा भारत


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फेमली प्रॉब्लम



दो व्यक्ति एक बार में बैठे थे 
एक ने कहा .." यार.... बहुत बड़ी फेमिली प्रॉब्लम है "..
दूसरा व्यक्ति : तु पहले मेरी सुन...
मैंने एक विधवा महिला से शादी की जिसके एक लड़की थी ..कुछ दिनों बाद पता चला कि मेरे पिताजी को उस विधवा महिला कि पुत्री से प्यार है ...और उन्होने इस तरह मेरी ही लड़की से शादी कर ली ..अब मेरे पिताजी मेरे दामाद बन गए और मेरी बेटी मेरी माँ बन गयी....और मेरी ही पत्नी मेरी नानी हो गयी !!

ज्यादा प्रॉब्लम तब हुई जब जब मेरे लड़का हुआ ..अब मेरा लड़का मेरी माँ का भाई हो गया तो इस तरह मेरा मामा हो गया ....... परिस्थिति तो तब ख़राब हुई जब मेरे पिताजी को लड़का हुआ ....मेरे पिताजी का लड़का यानी मेरा भाई मेरा ही नवासा( दोहिता ) हो गया और इस तरह मैं स्वयम का ही दादा हो गया और स्वयं का ही पोता बन गया .....
" और तू कहता है कि तुझे फेमिली प्रॉब्लम है .". 
सूचना - ये रचना संकलन मात्र है, मेरी स्‍वयं की नही कै।


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