कन्नूर: कम्युनिस्ट पार्टी का रक्तरंजित इतिहास



उत्तर केरल के कन्नूर जिले में सी.पी.एम. के कार्यकर्ताओ द्वारा 05-03-2008 के बाद पुन: शुरु किये गये आक्रमणों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मे पांच कार्यकर्ता मारे गये हैं तथा दर्जनों गम्भीर रुप से घायल हुये हैं। इस हिंसा में 40 से अधिक स्वयंसेवक के घर को नष्ट कर दिये गये हैं।
यह माना जाता है कि केरल की कम्युनिस्ट पार्टी का गठन कन्नूर जिले के पिनाराई नामक स्थान पर हुआ था और पार्टी इस जिले को अपना गढ़ मानती है। इस जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य 1943 में शुरु हुआ और 25 वर्ष से अधिक समय तक शान्तिपूर्ण ढँग से चला । इस दैरान सी.पी.एम. के कई कार्यकर्ता संघ के प्रति आकर्षित हुये और बडी़ संख्या में उसमें शामिल हुये। संघ की बढती हुई शक्ति को सी.पी.एम. सहन नहीं कर सकी और 1969 से हत्या की राजनीति पर उतर आई।
एक दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी श्री रामकृष्णन थलसैरी शाखा के मुख्य शिक्षक थे उसने कम्युनिस्टों के आतंक का हिम्म्त से मुकाबला किया और थलसैरी तथा आस-पास के क्षेत्र में कई शाखायें खडी़ कीं। वह कम्युनिस्टों का पहला शिकार बना और 1969 में उसकी निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गयी। वर्तमान में सी.पी.एम. पार्टी के राज्य सचिव श्री पिनराई विजयन, जो इसी जिले के निवासी हैं, इस हत्या के मुख्या अभित्युक्तों में से एक हैं। वर्तमान गृहमंत्री कुडियेरी बालकृष्णन जो कन्नूर जिले के ही निवासी हैं के. सतीशन नामक, दूसरे स्वयंसेवक की हत्या में अभियुक्त थे।
अब तक अकेले इस जिले में 60 से अधिक स्वयंसेवक सी.पी.एम. के हाथों मारे गये हैं। यहाँ तक कि वृद्ध महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। 22 मई 2002 को एक स्वयंसेवक श्री उत्त्मन जिसकी हत्या सी.पी.एम. ने पहले दिन की थी, उसकी अंत्येष्टि में भाग लेकर जीप से वापस आ रहीं श्रीमती अम्मू अम्मा (72 वर्ष ) की सी.पी.एम कार्यकर्ताओं द्वारा बम फेंककर हत्या कर दी गयी।  लेखक - श्री चंदन सिंह


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रोजर फेडरर कहीं ब्योर्न बोर्ग के पुर्नजन्‍म तो नहीं



दुनिया के नंबर एक टेनिस (Tennis) खिलाड़ी स्विट्जरलैंड के रोजर फ़ेडरर (Roger Federer) ने लगातार पांचवीं बार विंबलडन का खिताब जीतकर महान ब्योर्न बोर्ग (Bjorn Borg) के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। अब इसे फेडरर की महानता की कहा जायेगा या ब्योर्न बोर्ग क्योंकि दोनों अपने आप में महान है। नीचे कुछ चित्र है जो यह बताते है कि कि इस जन्म में भी अवतार हो सकता है। ब्योर्न बोर्ग आज फेडरर को देख निश्चित रूप से अपने पिछले दिन याद कर रहे होगा।

ब्योर्न बोर्ग के बारे कहा जाता है कि 1978, 79, 80 में बोर्ग पेरिस के 'क्ले कोर्ट' पर लगातार खिताब (फ्रेंच) जीतने में जुटे हुए थे, उन्हीं वर्षों में वे एक अलग सतह अर्थात लंदन के 'ग्रास कोर्ट' पर भी खिताब जीत रहे थे और वह भी लगातार। जी हाँ 1978, 79 व 80 में बोर्ग ने विम्बलडन खिताब भी जीतकर एक विशिष्ट कीर्तिमान बनाया था।

अपने विजय अभियान में बोर्ग ने यदि फ्रेंच ओपन में जी. विलास (78), वी. पेक्की (79) और जेरुलाइटिस (80) को हराया था तो इन्हीं तीन वर्षों में ग्रास कोर्ट के मास्टर माने जाने वाले जिमी कोनर्स, रास्को टेनर एवं जॉन मेकनरो को विंबलडन में हराया था।
दो विभिन्न सतहों पर खिताबी हैट्रिक बनाना आसान बात नहीं थी किंतु महान बोर्ग ने इसे संभव बनाया था। जब ग्रास कोर्ट के मास्टर पीट सैम्प्रास एक अदद 'फ्रेंच खिताब' के लिए तरसते रहे हों अथवा 'क्ले मास्टर' इवान लेंडल ' विम्बलडन' की आशा में ही मुरझा गए हों, वहाँ बोर्ग की दोनों में हैट्रिक उन्हें विशिष्ट खिलाड़ी ही बनाती है।

फेडरर के दिल में आज सिर्फ यही कसक होगी कि वह आप नहीं जीत पाये है तो सिर्फ फ्रेंच ओपन कहते है कि यह लाल मिट्टी हर किसी को नही सुहाती है, यही कारण है कि आज तक कई दिग्गजो को यह खिताब नहीं जीत पाने का मलाल है।

नीचे चित्रों में ब्योर्न बोर्ग और रोजर फेडरर को एक साथ देखिए।

 


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शहीद भगत सिंह के वास्तविक और दुर्लभ चित्र Original and Rare Photo of Bhagat Singh











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 शहीद भगत सिंह के वास्तविक और दुर्लभ चित्र















Rare documents on Bhagat Singh's trial and life in jail


Rare Death Certificate of Baghat Singh -  Remembrance



Original Pic of Bhagat Singh

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