क्यों परेशां हो बदलने को धर्म दूसरों का?



पोप ने उड़ीसा में हुई हिंसा पर दुख प्रकट किया और निंदा की. लेकिन यह दुख और निंदा दोनों अपने ईसाई भाई-बहनों के लिए थी. हिंदू भाई-बहनों के लिए न उनके पास दिल है और न समय. जो ईसाई इस हिंसा में मरे उनके लिए पोप ने आंसू बहाए, पर स्वामीजी और उनके चार चेलों के लिए न उनके पास आंसू हैं और न कोई सहानुभूति का शब्द.
शुरुआत किसने की? स्वामीजी और उनके चार चेलों को क्यों मारा गया? क्या यह धर्म के नाम पर हिंसा नहीं है? इन लोगों को मार कर ईसाई क्या सोच रहे थे कि हिंदुओं को दुख नहीं होगा? क्या वह चुपचाप कभी मुस्लिम आतंकवादियों और कभी ईसाईयों द्वारा मारे जाते रहेंगे और कुछ नहीं कहेंगे? क्या हिन्दुओं को तकलीफ नहीं होती? क्या जब उनकी दुर्गा माता की नंगी तस्वीर बनाई जाती है तो उनका दिल नहीं दुखता? इन सवालों का जवाब क्या है और कौन यह जवाब देगा?
अब भी कभी किसी मुसलमान या ईसाई के साथ अन्याय होता है, सारे मुसलमान, सारे ईसाई और बहुत सारे हिंदू खूब चिल्लाते हैं. हिंदुओं को गालियां देते हैं. उनके संगठनों पर पाबंदी लगाने की बात करते हैं. भारतीय प्रजातंत्र तक को गालियां दी जाने लगती हैं. पर जब हिन्दुओं के साथ अन्याय होता है तो यह सब चुप रहते हैं. कश्मीर से पंडित बाहर निकाल दिए गए, कौन बोला इन में से? जम्मू में आतंकवादियों ने कई हिन्दुओं को मार डाला, कौन बोला इन में से? मुझे लगता है कि मुसलमान और ईसाईयों से ऐसी उम्मीद करना सही नहीं है कि वह कभी किसी हिंदू पर अन्याय होने पर दुःख प्रकट करेंगे. शायद उनके धर्म में ही यह नहीं है. पर हिंदू तो हिन्दुओं को गाली देना बंद करें. जब हिंदू हिंदू को गाली देता है तो मुसलमान और ईसाइयों का हौसला बढ़ता है. मुझे यकीन है कि अगर हिंदू हिंदू को गाली देना बंद कर दे तो भारत में धर्म के नाम पर दंगे कम हो जायेंगे. हिन्दुओं का एक होना जरूरी है, मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ नहीं, बल्कि मुसलमानों और ईसाईयों को यह बताने के लिए कि भारत में हिंदुओं के साथ मिलजुल कर रहो. इसी में सबकी भलाई है.

न हिंदू बुरा है,
न मुसलमान बुरा है,
करता है जो नफरत,
वो इंसान बुरा है.
और अब एक निवेदन पोप से:
क्यों परेशान हो?
बदलने को धर्म दूसरों का,
खुदा का कोई धर्म नहीं होता.


Share:

मेरा नेट कई दिनों से ख़राब है ppp



मेरा नेट कई दिनों से ख़राब है, काफी दिनों से ठीक करवाने के लिए दौड़ रहा हूँ पर अभी तक ठीक नही हुआ! पता चला की तर चोरी हो गया है! जल्द ही मिलते है! वैसे मई नेट का उपयोग करने के लिए कैफे में नही जाता हूँ किंतु आज जरूरी काम था सो आना पड़ा, मुझे नही लगता है की आने वंले दिनों में ठीक हो पायेगा, तब तक मई बीएसएनएल को ३५ रु के हिसाब से रोज भुगतान करता ही रहूँगा। :) देखिये आपसे कब मुआकत होती है। आज देखा ते पाया की काफी कमेन्ट मोड्रेसशन में थी!
 
भगवान तार चोरो और बीएसएनएल के अधिकारियो का भला का बाला करे!


Share:

पंगेबाज की कंडोलेंस डायरी - पेज नं 302



दीप जो जलता रहा

मुझे पंगेबाज की अंत्येष्टि कार्यक्रम में डोम कार्य का दायित्व माननीय सुरेश जी के सानिध्य में सौंपा गया था, उस कड़ी में जारी है पंगेबाज की कंडोलेंस डायरी का पेज नं 302

पंगेबाज बहुत अच्छे आदमी थे, मुझे तो उनके लेखों में आत्मीयता झलकती थी। उनके सारे लेखों पर मैने ''अच्छा, बहुत अच्छा और सार‍गर्भित की ही टिप्पणी की।अत्यंत दुख के साथ कहना पड़ना रहा है कि पंगेबाज के जाने से मेरे लिये टिप्पणी करने का एक ब्लाग कम हो गया। अब वो स्‍थान कैसे भरेगा ? पंगेबाज भगवान तुम्हारी आत्मा को शान्ति प्रदान करें।

आपको सदा याद करने वाला
तुम्हारा
समीर

''सही है'' जिसे आना है जायेगा, जिसे आना होगा आयेगा। हिन्दी ब्‍लागिंग में पंगेबाज बहुत महत्वपूर्ण स्‍थान रखते थे। ये बात भी सत्य है कि पंगेबाज के जाने के बाद पंगेबाजी खत्म होने वाली है। तुम्हारी रंगों में बह रहा खून, एक ब्‍लागर का खूर था, और पंगेबाजी तो हर ब्‍लागर के नस नस में रची बसी है। मुझे दुख है कि मेरे ब्‍लाग की एक टिप्‍पणी कम हो गई, मै अपने ब्लाग पर आये इस एक टिप्पणी के शुन्‍य को खोज रहा हूँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि उनके एकाध प्रतिस्पर्धी को भी अपने पास बुला ले ताकि पंगेबाज की आत्मा पंगेबाजी के लिये उद्वलित करे, तो स्वर्ग में सुविधा उपलब्ध हो जाये, उनकी आत्मा को धरती की ओर रूख न करना पडे़।

तुम्हारा
फुरसतिया

उड़ी बाबा, पोगेबाज चोला गया! , कोय को गया ? , ओब मी केसे लोड़ाई कोरबो ? ओब मेरी सोंड वाली फोस्टिंग के कोरेगा ? मेरे लिखे पर के खुरपैच निकोलेगा ? अब मेरे स्वादिष्ट पुस्तचिन्ह को कौन खोयेगा ? उड़ी भोगवान हम ओब क्‍या कोरेगा ? किसके ब्‍लोग पर एनिनोमिस टिप्‍पोनी कोरेबे ? हे भोगवान, तेरे ओगे किसी की नही चोलने का, जो हुआ ठीक हुआ, प्लीज गोड जी एक कोम कोरने का, एक नेट कोनेक्सन लोगवा लो, हम पंगेबोज से स्‍वर्ग से ही पोंगा कोरेगा।

तुम्‍हारा
(पोगेबाज होमको जोनता है, हम ओपना नाम नही लिखेगा।)

बड़ा अच्छा आदमिवा रहा ई पंगेबजवा। हम राजनेतवन का ई शब्दवा तो हम मरै वाले आदमी के बदै कहै कर पड़ता है, तबै तो हमरे पेशे का नेतागीरी कहा जात है। देखा हरकिशन के मरै पर हर नेता पहुँचा रहै कंडोलेंस करै, कि ई बहुत बड़ा और अच्छा नेतावा रहै।
अब पंगेबाजवा के मरै पर तो हमरै फर्ज रहै कि ई काम हमहु काम करी, कहै कि हर आदमी का अपने भविष्‍य के चिन्ता होत है। हे ईश्वरवा एक ठो ई आत्मा जात अहै एका शान्ति दिहो, काहे कि अब एकरे पहुँचे के बाद तोहका शान्ति न मिली।

तोहार परम मित्तर,
अफलातून

आप भी पंगेबाज को अपनी शोक संवेदना देना चाहते है तो [email protected] पर अपना संदेश और नाम ईमेल करें। आज हम बहुत दुखी है इसलिये स्माईली नहीं लगा रहे है।






द्वारा
प्रमेन्द्र प्रताप सिंह
क्रिया कर्म विशेषज्ञ पगेबाज,
क्रमश: जारी ...........


Share: