बहुत दिनों के बाद हमारे दिन भी आखिर फिर ही गये, जब एक महीने में 2 दर्जन से ज्यादा पोस्टे ठेलते थे तो कोई फूछता ही नही था और आज दिन यह है महीने में 2-4 पोस्टें लिखने पर हमें चर्चित चिट्ठाकार की श्रेणी मे लाकर खड़ा कर दिया गया है।
जैसा की आपने पढ़ा ही होगा कि मैने कुछ दिनों पूर्व मेरी और श्री आलोक जी के मध्य इलाहाबाद जक्ंशन पर एक लघु मुलाकात हुई थी जिसकी पोस्ट मैने लिखी और आपने पढ़ी थी। अब यही से हिन्दी फिल्मो की तरह रोमांचक मोड़ आ जाता है। बहुत दिनों बाद जंग खाये ब्लाग राईटर का उपयोग कर पोस्ट लिख रहा था। उसमें महाशक्ति के दो एकान्ट लिख रहे थे, पहला वो जिस पर मै नियमित लिखता हूँ दूसरा वो जिस पर मै टेम्पलेट आदि का टेस्ट करता हूँ। भूल वश वह दूसरे खाते चली गई और प्रकाशित भी हो गई। सबसे बड़ी बात ये कि ये भी भी पढ़ी गई और टिप्प्णी भी बटोरे में सफल रही है। ये सब कुछ हो रहा था और मुझे इसका पता ही नही चला और मै बाट के बटोही महाशक्ति पर की पोस्ट पर टिप्पडियों की बाट जोह रहा था।
मुझे अपनी इस पोस्ट की जानकारी आज चिट्ठाचर्चा के जरिये हुई। जब चिट्ठाचर्चा पर गया तो नये चिट्ठाकार के रूप में महाशक्ति का एक और नाम पाया। आश्चर्य हुआ की हमारी ब्लाग के हेडर पर लिखी पंचलाईन पढ़ने के बाद भी हमसे टकराने की हिम्मत कौन कर रहा है। मन कह रहा था कि शेर बूढ़ा क्या हुआ, सियारो की लोय लग गई। चिट्ठाचर्चा से लिंक खोला लिंक काम नही कर रहा था। और भी सस्पेस जागृत हुआ कि लेख लिखा गया और डीलिट भी होगा गया, और हमें पता नही। लिंक में सुधार किया तो पता चला कि ये तो हम ही है। खोदा पहाड़ निकला चूहिया।
काफी दिनो बाद चिट्ठाचर्चा में अपनी चर्चा होते देख चर्चित होने का भी अनुभव प्राप्त कर लिया। मुझे खेद है कि उस नये ब्लाग पर आई प्रतिक्रियाओं का जवाब नही दे सका। चिट्ठाचर्चा का भी आभार की मुझे मेरे ही लेख की सूचना दी। :)
चलते चलते : आज किसी ब्लाग पर पढ़ा की हमारे श्री समीर लाल जी के सु्पुत्र का शुभ विवाह आगामी हफ्ते में है। हमारी तरफ से बहुत बहुत शुभ कामनाऍं।
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हिन्दी के प्रथम चिट्ठाकार से मुलाकात
काफी दिनो से मुझे समय नहीं मिल रहा था किंतु काफी लोग कहते है कि समय निकाला जाता है, उनमें से मै भी एक हूँ। अपनी व्यस्तताओं के आगे मुझे बहुत कुछ सूझ नहीं रहा था। हिन्दी के प्रथम चिट्ठकार श्री आलोक जी का प्रयाग आने के कार्यक्रम का मेल मुझे दो दिन पूर्व ही मिल गया था। किन्तु मै मेल का प्रतिउत्तर न दे सका और न ही काल के द्वारा कोई सूचना ही किन्तु उनकी आई मेल को मैने तारांकित कर लिया था। 14 दिसम्बर को करीब 11 बजे मैंने श्री आलोक जी से सम्पर्क किया और उन्होंने बताया कि वो करीब 2 बजे की ट्रेन से वापसी कर रहे है, इसी पर एक और इलाहाबाद जंक्शन पर ब्लॉगर मीट की रूपरेखा तैयार हो गई।
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किंतु यही पर एक दिक्कत हो गई, करीब 12.45 पर मेरे मोबाइल की बैटरी काफी काम हो गई थी मुझे भय था कि कहीं यहां मिलने के समय पर समय यह खत्म न हो जाये। मैंने उसे स्विच ऑफ करके चार्जिंग पर लगा दिया। जो करीब 1.05 तक चार्जिंग पर लगा रहा। जैसे ही मैने उसे चर्जिग से हटाया तो आलोक जी का मिस्ड काल की सूचना और उनका SMS दोनो से मिली और मैने उन्हे फोन लगाया और 5 मिनट पर स्टेशन पर पहुँचने की बात कही। इस बार मै काफी जल्दी में था, दूध का जला छांछ भी फूँक फुँक भी पीता है। जब समीर लाल जी आये थे वो दिन हमें याद था अब रिस्क लेने के मूड में नही था। हमने प्लेट फार्म टिकट भी नही लिया, जबकि मेरे भइया बार बार लेने के लिये कह रहे थे। टिकट न लेने का भी कारण था जो मेरे और भइया के बीच रहस्य है।
स्टेशन पर चाय का जिक्र तो श्री आलोक जी कर ही चुके है, पर उन्होने बिस्किट का जिक्र नही किया वो हम कर देने है। आलोक जी ने चाय की कैन्टीन से ग्लूकोस बिस्किट की मॉंग ही किन्तु दुकादार ने कहा कि नही है, मैने उसे प्रियागोल्ड का CnC देने को कहा जो स्वाद में 50-50 और Parle Krack Jack की तरह ही था। इस बार मेरे साथ मेरे भइया मानवेन्द्र प्रताप सिंह भी थे कुछ समय पूर्व मेरे ब्लाग पर मेरी अनुपस्थिति में ब्लाग लेखन किया था। अगर हम लोगों में काफी चर्चाऍं आयोजित हुई, जिसका ज्यादा जिक्र करना समय व्यर्थ करना ज्यादा होगा। क्योकि जब ब्लागर आपस में बात करते है तो बहुत कुछ बातें गोपनीय होती है। :)
अन्तोगत्वा 2 बजे हमारी ब्लागर मीट समाप्त हुई। आलोक जी ने हमें एक बहुत अच्छी पुस्तक भेंट की जो मेरे उपयोगी है। हम जल्दबाजी में ठीक से मेहमान नवाजी न कर सके उसका हमें अफसोस है। जल्द ही मिलने के वायदे के साथ हमें ब्लागर भेंट वार्ता समाप्त हो गई।
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