मुझे यह कहने मे हिचक नही है कि ब्लागवाणी इस स्थिति मे कि इसकी निन्दा करने वाले भी आज इसे याद कर रहे है।आज जो कुछ भी है ब्लागवाणी कम से कम सभी ब्लागरों को याद आ रही है, आपनी गुणवत्ता के कारण, मै नही कहता कि चिट्ठाजगत अच्छा काम नही कर रहा है। चिट्ठाजगत की अपनी पहचान अधिकतम चिट्ठो के संकलन के कारण है।
मैने किसी पोस्ट मे कहा था कि न तो चिट्ठाकारी किसी एक व्यक्ति से है और न ही किसी एग्रीगेटर के कारण, चिट्ठकारी का अस्तित्व प्रत्येक चिट्ठकाकर के हर छोटी बड़ी पोस्ट के कारण है। आज ब्लागवाणी काम नही कर रही है इसका मतलब यह नही है कि चिट्ठाकारी का अंत हो गया अपितु यह कहना उचित होगा कि जिस प्रकार परिवार के अभिन्न सदस्य के चले जाने से एक शून्य स्थापित होता है, उसी प्रकार चिट्ठकार परिवार से ब्लागवाणी की अनुपस्थिति उस शून्य का आभास करा रही है।
एक बात मै कड़े शब्दो में कहना चाहूँगा कि अक्सर छोटी मोटी बातो को लेकर लोग अपनी शक्ति प्रदर्शन आपने ब्लागो पर करते थे कि ब्लागवाणी ऐसी कि ब्लागवाणी वैसी, ब्लागवाणी ने ये ठीक नही किया कि ब्लागवाणी ने वो ठीक नही किया। आखिर इसका मतलब क्या है ? आखिर ब्लागवाणी ने शुरू मे ही अपनी नीतियों पर काम करने का फैसला लिया था, और मै इसका शुरूवाती से हिमायती रहा हूँ। आज भी अपेक्षा करता हूँ कि ब्लागवाणी अपनी नीतियों पर काम करें, किसी की चिल्ल-पो सुनने की जरूरत नही है। मै अपने लिये भी कह चुका हूँ कि अगर ब्लागवाणी की नीतियों पर मेरा ब्लाग भी न हो तो उसे हटा दिया जाये मुझे कोई अपत्ति नही होगी क्योकि हमने ब्लागवाणी और उनके संचालको को दिया ही क्या है जो अपेक्षा करते है कि हम कुछ पाने की अपेक्षा करें। कुछ बाते बोलनी बहुत आसान होती है किन्तु करना उतना ही कठिन, मैने इसका अनुभव किया है। आज हम ब्लागवाणी से कुछ आशा करते है तो वह अनायास ही नही है।
श्री मैथली जी, श्री अरुण जी हो, या सिरिल भाई या स्वयं में हमारे लिये ब्लॉग हो या ब्लॉगवाणी वह अपनों से बढ़कर नहीं है, मुझे यह कहने में हिचक नहीं है कि हम सब के लिये ब्लॉग साधन है साध्य नही है। अरुण जी ने भी ब्लॉग त्याग में पीछे नहीं रहे, मैने भी पोस्टिंग कम कर दिया किन्तु अभी मोह छोड़ नहीं पा रहा हूँ, मैथली परिवार भी ब्लॉगवाणी से मची नूराकुश्ती से अजीज आ कर ब्लॉगवाणी को बंद कर दिया। क्योंकि हमारे व्यक्तिगत ब्लॉग हमसे है न कि हम अपने ब्लॉग से, यह सत्य है। मुझे इस बात की खुशी है कि जो लोग ब्लॉगवाणी को लेकर मूड़ पीटते थे ब्लागवाणी के निलंबित होने से अब उलूल जुलल हरकत और बयानबाजी कर रहे है। आखिर मे ऐसे लोगो को पता चल गया कि ब्लॉगवाणी का महत्व उनकी चिट्ठाकारी के लिये क्या था, आखिर कुछ लोगों के ब्लागो की दुकान सिर्फ और सिर्फ ब्लॉगवाणी के बल पर ही चलती थी, ऐसे लोगों को ब्लॉगवाणी के जाने से जरूर आघात पहुँचा होगा। ब्लॉगवाणी के बंद होने से मेरे ब्लॉग के पोस्टिंग वाले दिनों में पाठकों पर प्रभाव जरूर पड़ा है किन्तु यह वह प्रभाव नहीं है आज भी नियमित पाठको की आवाजाही होती है। मै आशा करता हूँ कि ब्लॉगवाणी पुन: हम ब्लॉगरों के बीच होगी, ऐसे लोगों की ब्लॉग दुकान नहीं बंद होने देगी जो सिर्फ ब्लॉगवाणी के दम पर ही अपनी दुकान चलाते थे।
Share: