20 वीं सदी की अति महत्वपूर्ण कालजयी रचनाएँ एवं उनके रचनाकार



सन् 1903 ई०
  • भयानक खून (उपन्यास) - हरेकृष्ण जौहर
सन् 1904 ई०
  • आदर्श दम्पति (उपन्यास)- लज्जाराम मेहता
सन् 1905 ई०
  • तिलस्मी शीशमहल (उपन्यास)- किशोरी लाल गोस्वामी
सन् 1906 ई०
  • इन्दुमती (उपन्यास)- किशोरी लाल गोस्वामी
सन् 1907 ई०
  • अधखिला फूल — अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
सन् 1908 ई०
  • पुतली महल (उपन्यास)- रामलाल वर्मा
सन् 1909 ई०
  • चित्राधार, प्रेमराज्य, उर्वशी (काव्य) - जयशंकर प्रसाद
  • वेणुसंहार (नाटक)- बालकृष्ण भट्ट
सन् 1910 ई०
  • शोकोच्छवास, अयोध्या का उद्धार (काव्य) - जयशंकर प्रसाद
  • इन्द्रजालिक जादु (उपन्यास)- गोपालराम गहमरी
  • सज्जन (नाटक) - जयशंकर प्रसाद
सन् 1911 ई०
  • वभ्रुवाहन (काव्य) - जयशंकर प्रसाद
  • भोजपुरी की ठगी (उपन्यास)- गोपालराम गहमरी
सन् 1912 ई०

  • भारत भारती(काव्य) - मैथिलीशरण गुप्त
  • जार्ज वंदना (काव्य) -श्रीधर पाठक
  • कल्याणी (नाटक)- जयशंकर प्रसाद
सन् 1913 ई०
  • कानन कुसुम, प्रेमपथिक (काव्य) - जयशंकर प्रसाद
  • करुणालय, प्रायश्चित (नाटक)- जयशंकर प्रसाद
सन् 1914 ई०
  • प्रियप्रवास (काव्य) - अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
  • जासूस की ऐयारी(उपन्यास)- गोपाल राम गहमरी
सन् 1915 ई०
  • देहरादून(काव्य) - श्रीधर पाठक
  • राज्यश्री(नाटक)- जयशंकर प्रसाद
सन् 1916 ई०
  • जूही की कली (काव्य) - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की प्रथम कविता
  • चंपा (उपन्यास) - कृष्ण लाल वर्मा
सन् 1917 ई०
  • मिलन (काव्य) - रामनरेश त्रिपाठी
  • रामलाल (उपन्यास) - मनन द्विवेदी
सन् 1918 ई०
  • झरना (काव्य) - जयशंकर प्रसाद
  • अंगूठी का नगीना (उपन्यास) - किशोरी लाल गोस्वामी
  • सेवासदन ( उपन्यास) - प्रेमचंद
  • कृष्णार्जुन युद्ध(नाटक)- माखनलाल चतुर्वेदी
सन् 1919 ई०
  • विश्वप्रेम (नाटक)- सेठ गोविन्द दास
सन् 1920 ई०
  • उच्छवास, ग्रंथि (काव्य) - सुमित्रानंदन पंत
  • पथिक ( काव्य) - रामनेश त्रिपाठी
  • कल्याणी (उपन्यास) - मन्नन द्विवेदी
सन् 1921 ई०

  • प्रेमाश्रम (उपन्यास) - प्रेमचंद
  • विशाख (नाटक) - जयशंकर प्रसाद
सन् 1922 ई०
  • सूर्यास्त (उपन्यास) - गोविन्द बल्लभ पंत
सन् 1923 ई०
  • अनामिका (काव्य) - सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
  • शकुंतला ( काव्य) - मैथिलीशरण गुप्त
  • अंजना (नाटक) - सुदर्शन
  • कंजूस की खोपड़ी ( नाटक) - गोविन्द वल्लभ पंत
सन् 1924 ई०
  • पूर्वादल (काव्य) - सियारामशरण गुप्त
  • चंद हसीनों के खतूत (उपन्यास) - पांडेय बेचन शर्मा उग्र
सन् 1925 ई०
  • आँसू (काव्य) - जयशंकर प्रसाद
  • पंचवटी ( काव्य) - मैथिलीशरण गुप्त
  • रंगभूमि (उपन्यास) - प्रेमचंद
  • देहाती दुनिया ( उपन्यास) - शिवपूजन सहाय
सन् 1926 ई०
  • कायाकल्प (उपन्यास) - प्रेमचंद
  • जनमजेय का नागयज्ञ (नाटक) - जयशंकर प्रसाद
सन् 1927 ई०
  • मानसी (काव्य) - रामनरेश त्रिपाठी
  • गंगावतरण ( काव्य) - जगन्नाथदास रत्नाकर
  • वीणा ( काव्य) - सुमित्रानंदन पंत
  • आद्रा ( काव्य) - सियाराम शरण गुप्त
  • हिन्दू ( काव्य) - मैथिलीशरण गुप्त
  • निर्मला (उपन्यास) - प्रेमचंद
  • चोकलेट, दिल्ली का दलाल ( उपन्यास) - उग्र
  • कामना (नाटक) - जयशंकर प्रसाद
सन् 1928 ई०
  • पल्लव (काव्य) - सुमित्रानंदन पंत
  • बुधुआ की बेटी (उपन्यास) - पांडेय बेचन शर्मा उग्र
  • अनाथ पत्नी ( उपन्यास) - भगवती प्रसाद वाजपेयी
  • स्कंदगुप्त (नाटक) - जयशंकर प्रसाद
  • कर्बला (नाटक) - प्रेमचंद
सन् 1929 ई०
  • विकट भट्ट (काव्य)- मैथिलीशरण गुप्त
  • स्वप्न (काव्य) - रामनरेश त्रिपाठी
  • उद्धव शतक ( काव्य) - जगन्नाथ दास रत्नाकर
  • कंकाल (उपन्यास)- जयशंकर प्रसाद
  • परख ( उपन्यास) - जैनेन्द्र कुमार
  • माँ, भिखारिणी (उपन्यास) - विश्वम्भरनाथ शर्मा कौशिक
सन् 1930 ई०
  • परिमल (काव्य)- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  • निहार ( काव्य) - महादेवी वर्मा
  • गढ़ कुंढार (उपन्यास)- वृन्दावन लाल शर्मा
  • एक घूंट (नाटक)- जयशंकर प्रसाद
  • स्वर्ण विहान ( नाटक) - हरिकृष्ण प्रेमी
सन् 1931 ई०
  • साकेत (काव्य)- मैथिलीशरण गुप्त
  • आत्मोत्सर्ग (काव्य) - सियारामशरण गुप्त
  • गबन (उपन्यास)- प्रेमचंद
  • अप्सरा ( उपन्यास) - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  • हृदय की प्यास ( उपन्यास) आ० चतुरसेन शास्त्री
  • चन्द्रगुप्त (नाटक)- जयशंकर प्रसाद
  • चन्द्रगुप्त मौर्य (नाटक) - उदयशंकर भट्ट
सन् 1932 ई०
  • रश्मि (काव्य)- महादेवी वर्मा
  • गुंजन ( काव्य) - सुमित्रानंदन पंत
  • यशोधरा (काव्य) - मैथिलीशरण गुप्त
  • कर्मभूमि (उपन्यास)- प्रेमचंद
  • राक्षस का मंदिर (नाटक)- लक्ष्मीनारायण मिश्र
सन् 1933 ई०
  • लहर (काव्य)- जयशंकर प्रसाद
  • यशोधरा ( काव्य)- अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
  • भग्नदूत ( काव्य) - सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
  • अलका (उपन्यास)- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  • ध्रुवस्वामिनी (नाटक)- जयशंकर प्रसाद
सन् 1934 ई०
  • सुनीता (उपन्यास)- जैनेन्द्र कुमार
  • चित्रलेखा (उपन्यास) - भगवतीचरण वर्मा
  • रक्षाबंधन (नाटक)- हरिकृष्ण प्रेमी
  • सिंदूर की होली (नाटक) - लक्ष्मीनारायण मिश्र
सन् 1935 ई०
  • कामायनी (काव्य)- जयशंकर प्रसाद
  • मधुशाला (काव्य)- हरिवंश राय बच्चन
  • रेणुका (काव्य) - रामधारी सिंह "दिनकर"
  • नीरजा (काव्य) - महादेवी वर्मा
  • सरोज-स्मृति (शोकगीत) - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  • फूल- पत्ते (कविता)- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
  • तीन वर्ष (उपन्यास)- भगवती चरण वर्मा
  • लक्ष्मी का स्वागत (नाटक)- उपेन्द्रनाथ अश्क
सन् 1936 ई०
  • यूगांत - सुमित्रानन्दन पंत
  • द्वापर — मैथिलीशरण गुप्त
  • सांध्यगीत - महादेवी वर्मा
  • मधुबाला - हरिवंशराय बच्चन
  • कुमकुम - बालकृष्ण शर्मा नवीन
  • मृण्मयी - सियारामशरण गुप्त
  • विसर्जन - उदयशंकर भट्ट
  • गोदान - प्रेमचंद
  • पतिता की साधना - भगवती प्रसाद वाजपेयी
सन् 1937 ई०
  • मधुकलश (काव्य)- हरिवंशराय बच्चन
  • पारिजात, कल्पलता (काव्य) - अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
  • त्यागपत्र (उपन्यास)- जैनेन्द्र कुमार
  • भाग्यचक्र (नाटक)- सुदर्शन
  • अंगूर की बेटी ( नाटक) - गोविन्द बल्लभ पंत
सन् 1938 ई०
  • निशा निमंत्रण (काव्य) - हरिवंशराय बच्चन
  • हुँकार (काव्य) - रामधारी सिंह "दिनकर"
  • ग्रामगीत (काव्य)- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
  • तुलसीदास (काव्य) - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  • चुम्बन (नाटक)- पांडेय बेचन शर्मा उग्र
सन् 1940 ई०
  • वैदेही वनवास(काव्य) - अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
  • यामा (काव्य) - महादेवी वर्मा
  • रसवंती, द्वंद्वगीत (काव्य)- रामधारी सिंह "दिनकर"
  • ग्राम्या (काव्य)- सुमित्रानंदन पंत
  • शेखर: एक जीवनी (उपन्यास)- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
  • छठा बेटा (नाटक)- उपेंद्रनाथ अश्क
सन् 1941 ई०
  • विषपान (काव्य)- सोहनलाल द्विवेदी
  • दादा कामरेड (उपन्यास)- यशपाल
  • छाया (नाटक)- हरिकृष्ण प्रेमी
सन् 1942 ई०
  • कुणालगीत (काव्य)- मैथिलीशरण गुप्त
  • करील (काव्य) - रामेश्वर शुक्ल अंचल
  • दीपशिखा (काव्य) - महादेवी वर्मा
  • पर्दे की रानी (उपन्यास)- इलाचन्द्र जोशी
सन् 1943 ई०
  • अणिमा (काव्य)- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  • हिमकिरीटिनी (काव्य)- माखनलाल चतुर्वेदी
  • आकुल अंतर (काव्य) - हरिवंशराय बच्चन
  • देशद्रोही (उपन्यास)- यशपाल
सन् 1944 ई०
  • अजेय खंडहर (काव्य)- रांगेय राघव
  • लाल चूनर (काव्य) - रामेश्वर शुक्ल अंचल
  • प्रेत और छाया (उपन्यास)- इलाचन्द्र जोशी
सन् 1945 ई०
  • सतरंगिणी (काव्य)- हरिवंशराय बच्चन
  • धरती (काव्य) - त्रिलोचन
  • दिव्या (उपन्यास)- यशपाल
सन् 1946 ई०
  • यशोधरा, कुरुक्षेत्र,सामधेनी(काव्य)- रामधारी सिंह "दिनकर"
  • इत्यलम् (काव्य) - सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
  • हलाहल, बंगाल का अकाल(काव्य)- हरिवंशराय बच्चन
  • पार्टी कामरेड (उपन्यास)- यशपाल
  • निर्वासिता (उपन्यास)- इलाचन्द्र जोशी
  • टेढ़े मेढ़े रास्ते (उपन्यास)- भगवतीचरण वर्मा
  • ताम्बे के कीड़े (नाटक)- भुवनेश्वर प्रसाद मिश्र
सन् 1947 ई०
  • स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि(काव्य)- सुमित्रानंदन पंत
  • नींद के बादल, युग की गंगा(काव्य)- केदारनाथ अग्रवाल
  • कचनार (उपन्यास)- वृन्दावन लाल वर्मा
सन् 1948 ई०
  • युगांतर, युगपथ (काव्य)- सुमित्रानंदन पंत
  • कुक्कुरमुत्ता (काव्य)- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  • खादी के फूल, सूत की माला(काव्य)- हरिवंशराय बच्चन
  • मुक्तिपथ (उपन्यास)- इलाचन्द्र जोशी
  • झांसी की रानी(नाटक)- वृंदावन लाल वर्मा
सन् 1949 ई०
  • हरि घास पर क्षणभर (काव्य)- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
  • हिमतरंगिणी (काव्य)- माखनलाल चतुर्वेदी
  • गुनाहों का देवता (उपन्यास)- धर्मवीर भारती
सन् 1950 ई०
  • मिलन यामिनी (काव्य)- सच्चन
  • प्रदक्षिणा (काव्य)- मैथिलीशरण गुप्त
  • मृगनयनी (उपन्यास)- वृन्दावन लाल वर्मा
  • सन् 1951 ई०
  • रजत शिखर (काव्य)- सुमित्रानंदन पंत
  • धूप और धूँआ (काव्य)- रामधारी सिंह "दिनकर"
  • माता, समर्पण (काव्य)- माखनलाल चतुर्वेदी
  • चीवर (उपन्यास)- रांगेय राघव
  • कोणार्क (नाटक)- जगदीश चंद्र माथुर
सन् 1952 ई०
  • रश्मिरथी (काव्य)- रामधारी सिंह "दिनकर"
  • जयभारत (काव्य)- मैथिलीशरण गुप्त
  • ठंडा लोहा(काव्य)- धर्मवीर भारती
  • क्वासी (काव्य)- बालकृष्ण शर्मा नवीन
  • वितीस्ता की लहरें(नाटक)- लक्ष्मी नारायण मिश्र
सन् 1952 ई०
  • सूरज का सातवाँ घोड़ा - धर्मवीर भारती
  • सुखदा, विवर्त - जैनेंद्र कुमार
  • जिप्सी - इलाचन्द्र जोशी
  • गंगा मैया - भैरव प्रसाद गुप्त
  • बलचलमा - नागार्जुन
  • अपराजिता - चतुरसेन शास्त्री
सन् 1953 ई०
  • .युगधारा (काव्य)- नागार्जुन
  • आराधना (काव्य)- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  • नई पौध (उपन्यास)- नागार्जुन
  • नागफनी का देश (उपन्यास) - अमृतराय
  • व्यतीत (उपन्यास) - जैनेंद्र कुमार
  • अंधेरे के जुगनू (उपन्यास)- रांगेय राघव
सन् 1954 ई०
  • बावरा अहेरी (काव्य)- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
  • वर्षान्त के बादल (काव्य)- रामेश्वर शुक्ल अंचल
  • नील कुसुम (काव्य)- रामधारी सिंह "दिनकर"
  • गीतकुंज(काव्य)- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
  • आलमगीर (उपन्यास)- आ० चतुरसेन शास्त्री
  • अलग अलग रास्ते(नाटक)- उपेंद्र नाथ अश्क
सन् 1955 ई०
  • अतिमा (काव्य)- सुमित्रानंदन पंत
  • प्रणय-पत्रिका (काव्य)- हरिवंशराय बच्चन
  • जहाज का पंछी (उपन्यास)- इलाचन्द्र जोशी
  • सोमनाथ (उपन्यास)- आ० चतुरसेन शास्त्री
  • अंजो दीदी(नाटक)- उपेंद्र नाथ अश्क
  • अंधा कुआं (नाटक)- लक्ष्मीनारायण लाल
सन् 1956 ई०
  • युगचरण (काव्य)- माखनलाल चतुर्वेदी
  • अमीता (उपन्यास)- यशपाल
सन् 1957 ई०
  • इन्द्रधनुष रौंदे हुए ये (काव्य)- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
  • विष्णुप्रिया (काव्य)- मैथिलीशरण गुप्त
  • वाप्पी (काव्य)- सुमित्रानंदन पंत
  • कब तक पुकारुँ (उपन्यास)- रांगेय राघव
  • महाप्रभु वल्लभाचार्य(नाटक)- सेठ गोविंद दास
सन् 1958 ई०
  • झूठा - सच (उपन्यास)- यशपाल
  • दूधगाछ (उपन्यास)- देवेंद्र सत्यार्थी
  • राई और पर्वत (उपन्यास)- रांगेय राघव
  • आषाढ़ का एक दिन(नाटक)- मोहन राकेश
  • डॉक्टर (नाटक)- विष्णु प्रभाकर
सन् 1959 ई०
  • कला और बुढ़ा चान्द, चिदम्बरा (काव्य)- सुमित्रानंदन पंत
  • सत्तरंगें पंखों वाली (काव्य)- नागार्जुन
  • अरी! ओ करुणा प्रभामयी (काव्य)- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
  • कुछ कविताएँ (काव्य)- शमसेर बहादुर सिंह
  • मादा कैक्टस (नाटक)- लक्ष्मीनारायण लाल
  • शारदिया ( नाटक )- जगदीश चंद्र माथुर
सन् 1959 ई०
  • सती मैया का छोरा - भैरवप्रसाद गुप्त
  • भूले बिसरे चित्र - भगवती चरण वर्मा
  • सेमल का फूल - मार्कण्डेय
  • कबूतरखाना - शैलेष मटियानी
सन् 1960 ई०
  1. वेणु लौ गूंजे धरा (काव्य)- माखनलाल चतुर्वेदी
  2. सप्तपर्णा (काव्य) - महादेवी वर्मा
  3. अभी बिलकुल अभी (काव्य)- केदारनाथ सिंह
  4. फागुन के दिन चार (उपन्यास)- पांडेय बेचन शर्मा उग्र
  5. तीन आंखों वाली मछली(नाटक)- लक्ष्मीनारायण लाल
सन् 1961 ई०
  • कुछ और कविताएँ (काव्य)- शमशेर बहादूर सिंह
  • आँगन के पार द्वार (काव्य)- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
  • उर्वशी (काव्य)- रामधारी सिंह "दिनकर"
  • त्रिभंगिमा (काव्य)- हरिवंशराय बच्चन
  • भंवर(नाटक)- उपेंद्र नाथ अश्क
सन् 1961 ई०
  • अपने - अपने अजनबी — सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'
  • बड़ी चम्पा छोटी चम्पा— लक्ष्मीनारायण लाल
  • लौटे हुए मुसाफिर— कमलेश्वर
  • पचपन खम्भे लाल दीवार — उषा प्रियवन्दा
सन् 1962 ई०
  • प्यासी पथराई आँखें (काव्य)- नागार्जुन
  • चार खेमें चौंसठ खूंटे (काव्य)- हरिवंशराय बच्चन
  • संशय की एक रात (काव्य)- नरेश मेहता
  • मित्रों मरजानी (उपन्यास)- कृष्णा सोबती
  • नेफा की एक शाम(नाटक)- ज्ञान अग्निहोत्री
  • सतरानी , दर्पण (नाटक) - लक्ष्मीनारायण लाल
सन् 1963 ई०
  • परशुराम की प्रतीक्षा(काव्य)- रामधारी सिंह "दिनकर"
  • आवाजों के घेरे (काव्य)- दुष्यंत कुमार
  • चारु चन्द्रलेख (उपन्यास)- हजारीप्रसाद द्विवेदी
  • उग्रतारा (उपन्यास) — नागार्जुन
  • लहरों के राजहंस(नाटक)- मोहन राकेश
  • सीमांत के बादल (नाटक)- लक्ष्मीकांत वर्मा
सन् 1964 ई०
  • लोकायतन (काव्य)- सुमित्रानंदन पंत
  • बिजुली काजल आँच रही (काव्य)- माखनलाल चतुर्वेदी
  • चान्द का मुँह टेढ़ा है (काव्य)- मुक्तिबोध
  • जो (उपन्यास)- प्रभाकर माचवे
  • अपना अपना जूता(नाटक)- लक्ष्मीकांत वर्मा
सन् 1965 ई०
  • कोहबर की शर्त (उपन्यास)- केशव प्रसाद मिश्र
  • मुक्तिबोध (उपन्यास) — जैनेंद्र कुमार
  • अप्सरा का शाप (उपन्यास) — यशपाल
  • शिवाजी (नाटक)- रामकुमार वर्मा
1966 ई०
  • आधा गांव— राही मासूम रज़ा
  • कितने चौराहे — फणीश्वरनाथ रेणु
  • अमृत और विष — अमृतलाल नागर
  • मछली मरी हुई — राजकमल चौधरी
  • वतन की आबरू (नाटक)- ज्ञान अग्निहोत्री
सन् 1967 ई०
  • अलग - अलग वैतरणी (उपन्यास)- शिवप्रसाद सिंह
  • एक पति के नोटस (उपन्यास) — महेंद्र भल्ला
  • रुकोगी नहीं राधिका (उपन्यास) — उषा प्रियवंदा
  • बड़े खिलाड़ी (नाटक)- उपेन्द्रनाथ अश्क
सन् 1968 ई०
  • इमरतिया— नागार्जुन
  • जमनिया के बाबा — नागार्जुन
  • रागदरबारी — श्रीलाल शुक्ल
  • अनन्तर — जैनेंद्र कुमार
  • न आने वाला कल — मोहन राकेश
  • शतुरमुर्ग (नाटक)- ज्ञान अग्निहोत्री
सन् 1969 ई०
  • टोपी शुक्ला (उपन्यास)- राही मासूम रज़ा
  • चिड़ियाघर (उपन्यास) — गिरिराज किशोर
  • आधे अधुरे (नाटक)- मोहन राकेश
  • अँधेरे का बेटा (नाटक) - रेवंतीरमण वर्मा
  • पहला राजा (नाटक) - जगदीश चंद्र माथूर
  • युगे युगे क्रांति (नाटक) - विष्णु प्रभाकर
सन् 1970 ई०
  • कड़ियाँ (उपन्यास)- भीष्म साहनी
  • अग्निशिखा (नाटक)- डॉ० रामकुमार वर्मा
सन् 1971 ई०
  • कदा नैमिषारण्य — अमृतलाल नागर
  • एक चूहे की मौत— बद्दीउजमा
  • बेघर— ममता कालिया
  • आपका बंटी— मन्नु भंडारी
  • मिस्टर अभिमन्यु (नाटक)- लक्ष्मीनारायण लाल
सन् 1972 ई०
  • मानस का हंस (उपन्यास)- अमृतलाल नागर
  • अंतराल (उपन्यास) — मोहन राकेश
  • द्रौपदी , सेतुबंध (नाटक)- सुरेन्द्र वर्मा
  • कर्फ्यू (नाटक)- लक्ष्मीनारायण लाल
  • लौटता हुआ दिन (नाटक) - उपेन्द्रनाथ अश्क
  • देवयानी का कहना है (नाटक) - रमेश बक्शी
सन् 1973 ई०
  • तमस (उपन्यास)- भीष्म साहनी
  • अब्दुल्ला दीवाना (नाटक)- लक्ष्मीनारायण लाल
  • शताब्दी, हम लोग (नाटक) - अमृत राय
सन् 1974 ई०
  • अनाम स्वामी (उपन्यास)- जैनेंद्र कुमार
  • तीस चालीस पचास (उपन्यास) — प्रभाकर माचवे
  • यॉर्स फेथफुली , मरजीवा (नाटक)- मुद्राराक्षस
  • सिंहासन खाली है (नाटक) - सुशील कुमार सिंह
  • टूटते परिवेश (नाटक) - विष्णु प्रभाकर
  • रोशनी एक नदी है (नाटक) - लक्ष्मीकांत वर्मा
सन् 1975 ई०
  • नरक दर नरक (उपन्यास)- ममता कालिया
  • तीसरा हाथी (नाटक)- रमेश बक्शी
सन् 1976 ई०
  • तीसरा आदमी (उपन्यास)- जैनेंद्र कुमार
  • आगामी अतीत (उपन्यास) - जैनेंद्र कुमार
  • शह ये मात (नाटक)- बृजमोहन शाह
सन् 1977 ई०
  • पागल कुत्तों का मसीहा(उपन्यास)- नरेश मेहता
  • एक और द्रोणाचार्य (नाटक)- शंकर शेष
  • आठवाँ सर्ग (नाटक) - सुरेन्द्र वर्मा
  • कथा एक कंस की (नाटक) - दया प्रकाश सिन्हा
  • हानुष (नाटक) - भीष्म साहनी
  • सगुन पंछी (नाटक)- लक्ष्मीनारायण लाल
सन् 1978 ई०
  • गोबर गणेश (उपन्यास)- रमेशचंद्र शाह
  • घरोंदा (नाटक)- विष्णु प्रभाकर
  • बुलबुल सराय, दुलारी बाई (नाटक) - मणि मधुकर
  • तेन्दुआ (नाटक) - मुद्राराक्षस
सन् 1979 ई०
  • एक चिथड़ा सुख (उपन्यास)- निर्मल वर्मा
  • चितकोबरा (उपन्यास)- मृदुला गर्ग
  • राम की लड़ाई (नाटक)- लक्ष्मीनारायण लाल
  • कसे हुए तार (नाटक)- रमेश बक्शी
  • उत्तर उर्वशी (नाटक) - हम्मीदुला
  • पांचवाँ सवार (नाटक) - बलराज पंडित
  • बादशाह गुलाम बेगम (नाटक) - गिरिराज किशोर
सन् 1980 ई०
  • कुरु कुरु स्वाह (उपन्यास)-मनोहर श्याम जोशी
  • बसंती (उपन्यास) — भीष्म साहनी
  • इकतारे की आँख (नाटक)- मणि मधुकर
  • ठहरी हुई जिन्दगी (नाटक) - लक्ष्मीकांत वर्मा
  • कजरी वन (नाटक) - लक्ष्मीनारायण लाल
सन् 1981 ई०
  • बीच की दीवार — अमरकांत
  • किशनगढ़ का अहेरी- संजीव
  • खंजननयन— अमृतलाल नागर
सन् 1982 ई०
  • सुबह दोपहर शाम (उपन्यास)- कमलेश्वर
  • छोटे सैयद बड़े सैयद (नाटक)- सुरेन्द्र वर्मा
सन् 1983 ई०
  • दशार्क (उपन्यास)- जैनेंद्र कुमार
  • बलराम की तीर्थ यात्रा (नाटक)- लक्ष्मीनारायण लाल
सन् 1984 ई०
  • मैं और मैं (उपन्यास)- मृदुला गर्ग
  • बिना दरवाजे का मकान (उपन्यास) — रामदरश मिश्र
  • माधवी (नाटक)- भीष्म साहनी
  • दंगा (नाटक) - ज्ञान अग्निहोत्री
सन् 1985 ई०
  • करवट (उपन्यास)- अमृतलाल नागर
  • काजर की कोठरी (नाटक)- मृणाल पांडेय
सन् 1986 ई०
  • दूसरा घर - रामदरश मिश्र
  • सावधान! नीचे आग है- संजीव
सन् 1987 ई०
  • शाल्मली (उपन्यास)- नासीरा शर्मा
  • कहै कबीर सूनो भाई साधो (नाटक) नरेंद्र मोहन
सन् 1988 ई०
  • यादास की माड़ी — भीष्म साहनी
  • नीला चान्द — शिवप्रसाद सिंह
  • बंधन — नरेंद्र कोहली
सन् 1989 ई०
  • रात का रिपोर्टर — निर्मल वर्मा
  • ठीकरे की मंगनी — नासीरा शर्मा
सन् 1990 ई०
  • आओ पे पे घर चलें (उपन्यास)- प्रभा खेतान
  • शकुंतला की अँगुठी (नाटक)- सुरेन्द्र वर्मा
सन् 1991 ई०
  • ढ़ाई घर (उपन्यास)- गिरिराज किशोर
सन् 1992 ई०
  • मीनारें (उपन्यास)- शशिप्रभा शास्त्री
सन् 1993 ई०
  • जिन्दा मुहावरे -(उपन्यास)— नासिरा शर्मा
सन् 1994ई०
  • अपने - अपने चेहरे (उपन्यास)- प्रभा खेतान
सन् 1995 ई०
  • अपने - अपने कोणार्क (उपन्यास)- चन्द्रकांता
सन् 1996 ई०
  • हमजाद (उपन्यास)- मनोहर श्याम जोशी
सन् 1997 ई०
  • यातनाघर (उपन्यास)- गिरिराज किशोर
  • एक पत्नी के नोटस (उपन्यास) — ममता कालिया
सन् 1998 ई०
  • कलिकथा -बायां बाईपास(उपन्यास)-अल्का सरावगी
सन् 1999 ई०
  • सुनो भाई साधो (उपन्यास)- शत्रुघ्न प्रसाद
  • पहला गिरमिटिया (उपन्यास) — गिरिराज किशोर
सन् 2000 ई०

  • नीलू नीलिमा निलोफर — भीष्म साहनी
  • अंतिम अरण्य — निर्मल वर्मा
  • कितने पाकिस्तान— कमलेश्वर
  • समय सरगम - कृष्णा सोबती
  • खुले गगन के लाल सितारे- मधु कांकरिया


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भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की प्रमुख धाराएं और सजा की सूची



भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code) किसे कहते है?
भारत भारतीय दण्ड संहिता (Indian Penal Code, IPC) भारत के अंदर (जम्मू एवं कश्मीर को छोड़कर) भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा व दण्ड का प्रावधान करती है। किन्तु यह संहिता भारत की सेना पर लागू नहीं होती। जम्मू एवं कश्मीर में इसके स्थान पर रणबीर दण्ड संहिता (RPC) लागू होती है।भारतीय दण्ड संहिता ब्रिटिश काल में सन् 1962 में लागू हुई। इसके बाद इसमें समय-समय पर संशोधन होते रहे (विशेषकर भारत के स्वतंत्र होने के बाद)। पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही लागू किया। लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन अन्य ब्रिटिश उपनिवेशों (बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि) में भी लागू की गयी थी।

भारतीय समाज को क़ानूनी रूप से व्यवस्थित रखने के लिए सन 1860 में लार्ड मेकाले की अध्यक्षता में भारतीय दंड संहिता बनाई गई थी। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) भारत की मुख्य आपराधिक कोड है। इस संहिता में भारतीय संविधान की विभिन्न आपराधिक धाराओं और उनकी सजा का उल्लेख किया गया है। इसमें कुल मिला कर 511 धाराएं हैं। आइये जाने भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की कौन सी धारा किस अपराध के लिए लगाई जाती है और उसमें क्या सजा दी जाती है:-

भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की धाराएं और सजा की सूची

List of Indian Penal Code Sections, Offenses and their Punishments in Hindi


धाराओं के नाम अपराध सजा
13 जुआ खेलना/सट्टा लगाना 1 वर्ष की सजा और 1000 रूपये जुर्माना
34 सामान आशय
99से 106 व्यक्तिगत प्रतिरक्षा के लिए बल प्रयोग का अधिकार
110 दुष्प्रेरण का दण्ड, यदि दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कार्य करता है तीन वर्ष
120 षडयंत्र रचना
141 विधिविरुद्ध जमाव
147 बलवा करना 2 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों
156 (3) स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का उपद्रव के निवारण के लिए कानूनी साधनों का उपयोग न करना। आर्थिक दंड
156 स्वामी या अधिवासी जिसके फायदे के लिए उपद्रव किया गया हो के अभिकर्ता का उपद्रव के निवारण के लिए क़ानूनी साधनों का उपयोग न करना। आर्थिक दंड
161 रिश्वत लेना/देना 3 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों
171 चुनाव में घूस लेना/देना 1 वर्ष की सजा/500 रुपये जुर्माना
177 सरकारी कर्मचारी/पुलिस को गलत सूचना देना 6 माह की सजा/1000 रूपये जुर्माना
186 सरकारी काम में बाधा पहुँचाना 3 माह की सजा/500 रूपये जुर्माना
191 झूठे सबूत देना 7 साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान
193 न्यायालयीन प्रकरणों में झूठी गवाही 3/ 7 वर्ष की सजा और जुर्माना
201 सबूत मिटाना
217 लोक सेवक होते हुए भी झूठे सबूत देना 2 साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान
216 लुटेरे/डाकुओं को आश्रय देने के लिए दंड
224/25 विधिपूर्वक अभिरक्षा से छुड़ाना -2 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों
231/32 जाली सिक्के बनाना -7 वर्ष की सजा और जुर्माना
255 सरकारी स्टाम्प का कूटकरण 10 वर्ष या आजीवन कारावास की सजा
264 गलत तौल के बांटों का प्रयोग 1 वर्ष की सजा/जुर्माना या दोनों
267 औषधि में मिलावट करना
272 खाने/पीने की चीजों में मिलावट 6 महीने की सजा/1000 रूपये जुर्माना
274 /75 मिलावट की हुई औषधियां बेचना
279 सड़क पर उतावलेपन/उपेक्षा से वाहन चलाना 6 माह की सजा या 1000 रूपये का जुर्माना
292 अश्लील पुस्तकों का बेचना 2 वर्ष की सजा और 2000 रूपये जुर्माना
294 किसी धर्म/धार्मिक स्थान का अपमान 2 वर्ष की सजा
302 हत्या/कत्ल आजीवन कारावास/मौत की सजा
306 आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण 10 वर्ष की सजा और जुर्माना
308 गैर-इरादतन हत्या की कोशिश 7 वर्ष की सजा और जुर्माना
309 आत्महत्या करने की चेष्टा करना 1 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों
310 ठगी करना आजीवन कारावास और जुर्माना
312 गर्भपात करना
323 जानबूझ कर चोट पहुँचाना
326 चोट पहुँचाना
351 हमला करना
354 किसी स्त्री का शील भंग करना 2 वर्ष का कारावास/जुर्माना/दोनों
362 अपहरण
363 किसी स्त्री को ले भागना 7 वर्ष का कारावास और जुर्माना
366 नाबालिग लड़की को ले भागना
376 बलात्कार करना 10 वर्ष/आजीवन कारावास
377 अप्राकृतिक कृत्य अपराध 5 वर्ष की सजा और जुर्माना
379 चोरी (सम्पत्ति) करना 3 वर्ष का कारावास /जुर्माना/दोनों
392 लूट 10 वर्ष की सजा
395 डकैती 10 वर्ष या आजीवन कारावास
396 डकैती के दौरान हत्या
406 विश्वास का आपराधिक हनन 3 वर्ष कारावास/जुर्माना/दोनों
415 छल करना
417 छल/दगा करना 1 वर्ष की सजा/जुर्माना/दोनों
420 छल/बेईमानी से सम्पत्ति अर्जित करना 7 वर्ष की सजा और जुर्माना
445 गृहभेदंन
446 रात में नकबजनी करना
426 किसी से शरारत करना 3 माह की सजा/जुर्माना/दोनों
463 कूट-रचना/जालसाजी
477(क) झूठा हिसाब करना
489 जाली नोट बनाना/चलाना 10 वर्ष की सजा/आजीवन कारावास
493 धोखे से शादी करना 10 वर्षों की सजा और जुर्माना
494 पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना 7 वर्ष की सजा और जुर्माना
495 पति/पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना और दोनों रिश्तें चलाना 10 साल की सजा और जुर्माना
496 बगैर रजामंदी के शादी करना या जबरदस्ती विवाह करना 07 साल की सजा और जुर्माना
497 जारकर्म करना 5 वर्ष की सजा और जुर्माना
498 विवाहित स्त्री को भगाकर ले जाना या धोखे से ले जाना 2 साल का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों
499 मानहानि
500 मानहानि 2 वर्ष की सजा और जुर्माना
506 आपराधिक धमकी देना
509 स्त्री को अपशब्द कहना/अंगविक्षेप करना सादा कारावास या जुर्माना
511 आजीवन कारावास से दंडनीय अपराधों को करने के प्रयत्न के लिए दंड


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शिवताण्डवस्तोत्रम् - Shiva Tandava Stotra



Lord Shiva Dancing Shiva Tandava Nritya, with fire around him. Shiva Tandava Nritya is the devine dancing of Lord Shiva for creation, and destruction of the universe. Shiva Tandava Stotra was created by Ravana one of the greatest Shiva Bhakta of All times
Shiva Tandav Nritya शिव तांडव नृत्य

जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् । डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं
चकार चण्ड्ताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥
The Shiva, Who having held a long-garland of the Snakes at the, purified by the flow of trickling water-drops in the forest-like hair-locks, danced the fierce Tāṇḍava-dance to the music of a sounding-drum - Damaru (डमरु), - May that Shiva extend my bliss. [1]

जटाकटाहसंभ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी-
विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि । धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥
At every moment, may I find pleasure in Shiva, Whose head is situated in between the creeper-like unsteady waves of Nilimpanirjharī (Gańgā गंगा Ganga) which is roaming unsteadily in the frying-pan like twisted hair-locks, Who has crackling and blazing fire at the surface of forehead at his third eye, and Who has a crescent-moon (young moon) at the forehead [2]

धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर
स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।
कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरे( क्वचिच्चिदंबरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥
May my mind seeks happiness in Śiva, Whose mind has the shining universe and all the living-beings inside, Who is the charming sportive-friend of the daughter of the mountain-king of the Earth (i.e. Himālaya हिमालय daughter Parvati पार्वती), Whose uninterrupted series of merciful-glances conceals immense-troubles, and Who has direction as His clothes.[3]

लताभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।
मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥
May my mind hold in Shiva, by Whom - with the light from the jewels of the shining-hoods of creeper-like yellow-snakes — the face of Dikkanyās’ are smeared with Kadamba-juice like red Kuńkuma, Who looks dense due to the glittering skin-garment of an intoxicated elephant, and Who is the Lord of the ghosts.[4]

सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।
भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक
श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥
For a long time, may Shiva — Whose foot-basement is grey due to the series of pollen dust from flowers at the head of Indra (Sahasralocana सहस्रलोचन इन्द्र) and all other demi-gods, Whose matted hairlocks are tied by a garland of the king of snakes, and Who has a head-jewel of the friend of cakora bird — produce prosperity.[5]

ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा-
निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।
सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥
May we acquire the possession of tress-locks of Shiva, Which absorbed the five-arrows (of Kāmadeva) in the sparks of the blazing fire stored in the rectangular-forehead, Which are being bowed by the leader of supernatural-beings, Which have an enticing-forehead with a beautiful streak of crescent-moon.[6]

करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-
द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।
धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक-
प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥७॥
May I find pleasure in Trilocana, Who offered the five great-arrows (of Kāmadeva) to the blazing and chattering fire of the plate-like forehead, and Who is the sole-artist placing variegated artistic lines on the breasts of the daughter of Himālaya (Pārvatī पार्वती Parvati).[7]

नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्-
कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥८॥
May Shiva — Whose cord-tied neck is dark like a night with shining-moon obstructed by a group of harsh and new clouds, Who holds the River Gańgā (Ganga गंगा), Whose cloth is made of elephant-skin, Who has a curved and crescent moon placed at the forehead, and Who bears the universe — expand [my] wealth.[8]

प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा-
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकछिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥९॥
I adore Śiva, Who supports the dark glow of blooming blue lotus series at around the girdle of His neck, Who cuts-off Smara (Kāmadeva कामदेव), Who cuts-off Pura, Who cuts-off the mundane existence, Who cuts-off the sacrifice (of Dakṣa दक्ष), Who cuts-off the demon Gaja, Who cuts-off Andhaka, and Who cuts-off Yama (death यम).[9]

अखर्व(अगर्व)सर्वमङ्गलाकलाकदंबमञ्जरी
रसप्रवाहमाधुरी विजृंभणामधुव्रतम्  ।
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥१०॥

I adore Shiva, Who only eats the sweet-flow of nectar from the beautiful flowers of Kadamba-trees which are the abode of all important auspicious qualities, Who destroys Smara (Kamadeva कामदेव), Who destroys Pura, Who destroys the mundane existence, Who destroys the sacrifice (of Dakṣa दक्ष), Who destroys the demon Gaja, Who destroys Andhaka, and Who destroys Yama (death यम).[10]

जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस-
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल
ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥११॥ 
May Shiva, Whose dreadful forehead has oblations of plentiful, turbulent and wandering snake-hisses — first coming out and then sparking, Whose fierce tāṇḍava-dance is set in motion by the sound-series of the auspicious and best-drum (ḍamaru Damaru डमरु) — which is sounding with ‘dhimit-dhimit’ sounds, be victorious.[11]

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्-
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।
तृष्णारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समप्रवृतिकः (समं प्रवर्तयन्मनः)कदा सदाशिवं भजे ॥१२॥
When will I adore Sadashiva सदाशिव with an equal vision towards varied ways of the world, a snake or a pearl-garland, royal-gems or a lump of dirt, friend or enemy sides, a grass-eyed or a lotus-eyed person, and common men or the king.[12]

कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्
विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।
विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः
शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥१३॥
Living in the hollow of a tree in the thickets of River Ganga गंगा, always free from ill-thinking, bearing añjali at the forehead, free from lustful eyes, and forehead and head bonded, when will I become content while reciting the mantra ‘‘Shiva?’’[13]

इदम् हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।
हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥१४॥
Reading, remembering, and reciting this eternal, having spoken thus, and the best among best eulogy indeed incessantly leads to purity. In preceptor Hara (Shiva हर) immediately the state of complete devotion is achieved; no other option is there. Just the thought of Shiva (Sankara, Shankara, शंकर)is enough for the people.[14]

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं
यः शंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः  ॥१५॥
At the time of prayer-completion, that who reads this song by Daśavaktra (Dasavaktra Ravan दशबक्त्र रावण) after the prayer of Shambhu — Shambhu (शंभो) gives him stable wealth including chariots, elephants and horses, and beautiful face.[15] ॥

इति श्रीरावणविरचितं शिवताण्डवस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
Thus ends the Shiva Tandava Stotra written by Ravana.    


शिवताण्डवस्तोत्रम् by Ravan with commentary and meaning

Shiva Tandava Stotram (शिवताण्डवस्तोत्रम्) is a very beautifully created hymn of praise in the Hindu tradition that describes Shiva's power and beauty. It was sung by the son of Rishi Vishrawas (aka Vishrava), Ravana whose brother is Kubera. Both the fourth and fifth quatrains of this hymn conclude with lists of Shiva's epithets as destroyer, even the destroyer of death itself. Alliteration and onomatopoeia create roiling waves of resounding beauty in this example of Hindu devotional poetry.
Ravan was one of the greatest follower of Lord Shiva of all the times. He created the popular Shiva Tandav Stotra. He has created many stotras and mantras Specially for lord Shiva. His father was Rishi Vishrava, His brothers - Kuber, the lord of wealth, Kumbhakarna, Vivishana, and sister Suparnakha. He was ruler of Lanka as described in Ramayan and killed by Lord Ram, the Incarnation of Vishnu
One of the greatest Shiva Bhakta Ravan Meditating
In the final quatrain of the poem, after tiring of rampaging across the Earth, Ravana asks, "When will I be happy?" Because of the intensity of his prayers and ascetic meditation, of which this hymn was an example, Ravana received from Shiva the boon of indestructibility by all powers on heaven and earth — except by a human being. Disdaining the seeming weakness of humans, Ravana abducted the wife of Rama, Lord Vishnu incarnate. India's great epic, the Ramayana, tells the story of this abduction and of the battle between Lord Rama and Ravana which shook the universe.'
Shiva Tandava Stotra 

शिवताण्डवस्तोत्र In English
Natraj Shiva in Ardha Narishwor Form. Shiva is described as the union of Shakti and Sava. In this form. he is half man and half woman form. Dancing the devine dance of creation. Shiva Tandav Nritya
Shiva Dancing in Ardha Narishwor अर्ध नारीश्वर form
Jatatavee gala jjala pravaha pavitha sthale, 
Gale avalabhya lambithaam bhujanga thunga malikaam, 
Dama ddama dama ddama ninnadava damarvayam,
Chakara chanda thandavam thanothu na shiva shivam. [1] 

Jata kataha sambhramabrama nillimpa nirjari, 
Vilola veechi vallari viraja mana moordhani, 
Dhaga dhaga daga jjwala lalata patta pavake, 
Kishora Chandra shekare rathi prathi kshanam mama. [2] 

Dara darendra nandini vilasa bhandhu bhandura, 
Sphuradigantha santhathi pramodha mana manase, 
Krupa kadaksha dhorani niruddha durdharapadi, 
Kwachi digambare mano vinodhamethu vasthuni. [3] 

Jada bhujanga pingala sphurath phana mani prabha, Kadamba kumkuma drava praliptha digwadhu mukhe, Madhandha sindhura sphurathwagu utthariya medhure, Mano vinodhamadhbutham bibarthu bhootha bharthari. [4] 

Sahasra lochana prabhoothyasesha lekha shekhara, 
Prasoona dhooli dhorani vidhu sarangri peedabhu, 
Bhujangaraja Malaya nibhadha jada jhootaka, 
Sriyai chiraya jayatham chakora bandhu shekhara. [5] 

Lalata chathwara jwaladhanam jaya sphulingabha, 
Nipeetha pancha sayagam saman nilimpanayakam, 
Sudha mayookha lekhaya virajamana shekharam,
Maha kapali sampade, siro jadalamasthu na. [6]

Karala bhala pattika dhagadhaga jjwala, 
Ddhanam jayahuthi krutha prachanda pancha sayage , 
Dharadharendra nandhini kuchagra chithrapathraka, 
Prakalpanaika shilpini, trilochane rather mama. [7]

Naveena megha mandali nirudha durdharath sphurath, 
Kahoo niseedhi neethama prabhandha bandha kandhara, 
Nilimpa nirjari darsthanothu kruthi sindhura, 
Kala nidhana bandhura sriyam jagat durandhara. [8] 

Prafulla neela pankaja prapancha kalima prabha, 
Valambhi kanda kanthali ruchi prabandha kandharam, 
Smarschidham puraschidham bhavaschidham makhachidham, 
Gajachidandakachidham tham anthakachidham bhaje. [9] 

Agarva sarva mangalaa kalaa kadamba manjari,
Rasa pravaha madhuri vijrumbha mana madhu vrtham, 
Suranthakam, paranthakam, bhavanthakam, makhandakam, 
Gajandhakandhakandakam thamanthakanthakam bhaje. [10] 

Jayathwadhabra vibramadbujaamga maswasath, 
Vinirgamath, kramasphurath, karala bhala havya vat, 
Dhimi dhimi dhimi dhwanan mrudanga thunga mangala, 
Dhwani karma pravarthitha prachanda thandawa shiva. [11] 

Drusha dwichi thra thalpayor bhujanga moukthika srajo, 
Garishta rathna loshtayo suhrudhwi paksha pakshayo, 
Trunara vinda chakshusho praja mahee mahendrayo, 
Samapravarthika kadha sadashivam bhajamyaham. [12]

Kada nilampa nirjaree nikunja kotare vasan, 
Vimuktha durmathee sada sirasthanjaleem vahan, 
Vilola lola lochano lalama bhala lagnaka, 
Shivethi manthamucharan kada sukhee bhavamyaham. [13] 

Imam hi nithya meva muktha muthamothamam sthavam, 
Padan, smaran broovan naro vishudhimethi santhatham, 
Hare Gurou subhakthimasu yathi nanyadha gatheem, 
Vimohinam hi dehinaam sushakarasya chithanam. [14] 

Poojavasana samaye dasa vakhra geetham, 
Ya shambhu poojana param padthi pradhoshe, 
Thasya sthiraam radha gajendra thuranga yuktham, 
Lakshmeem sadaiva sumukheem pradadathi shambu. [15] 

Ithi Ravana krutham, Shiva thandava stotram, Sampoornam,


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