क्या आप कटती हुई गायों को बचाना चाहते है ?



प्रिय भारतवासियों,
उत्तर प्रदेश के बिजनेसमेन (व्यापारी गण) अब स्वचालित आधुनिक मशीन से युक्त कत्ल खाने गायों को काटने के लिए बहुत जल्द बनाने जा रहे है ताकि गायों को तीव्र गति से काटा जा सके, उनके मांस को विदेशों में भेजा जा सके और उन्हें बहुत बड़ा लाभ प्राप्त हो सके | अगर ये लोग इसमें कामयाब हो जाते है तो फिर इन कत्लखानो की संख्या पूरे भारत में बहुत तेजी से बढ़ेगी | पूरे देश के लोग इन कत्लखानो को खोलने का पुरजोर विरोध कर रहे है और उत्तर प्रदेश की सरकार ने कहा है कि अगर एक करोड़ लोग भी कत्लखाने खोलने का विरोध करें और इस आन्दोलन की हिमायत करें तो स्वचालित आधुनिक मशीन से युक्त कत्ल खाने खोलने की इजाजत व्यापारियों को नहीं दी जाएगी|
हम गायों की पूजा करते है | भारतीय होने के नाते और मानवता के नाते हम ऐसा होते हुवे हरगिज नहीं देख सकते ................ कृपया आप अपना समर्थन अवश्य दें |
अगर आपको लगता है कि इस तरह के कत्लखाने नहीं खुलने चाहिए तो आप कृपा करके 0522-3095743 पर एक मिस कोल जरूर करे| एक घंटी बजने के बाद कोल अपने आप डिस-कनेक्ट हो जाएगी |
जिस तरह से आपने अन्ना हजारे के जन लोकपाल बिल के आन्दोलन को सफल बनाया उसी तरह से आप अपना समर्थन दें | इसमें आपका कोई खर्चा नहीं है, बल्कि आपके इस एक मिस कोल से प्रतिदिन कटने वाली हजारों लाखों गायें बच जाएगी |कृपया आप अपने मोबाइल से मिस्कोल जरूर करें और इसे जितने लोगों तक पंहुचा सके पहुचाये |
मैने मिस कोल कर दिया है ........ अब आपकी बारी है क्‍योकि क्‍या आप अपनी माँओ को कटते देख सकते है ? अभी मिस कोल करे - नंबर है - 05223095743





तो वह कौन से गुण हैं जो देसी गाय को पावन बनाते हैं जबकि वो विदेशी नस्लों की गायों के मुकाबले कम दूध देती है?
विश्व हिन्दू परिषद की गोरक्षा समिति के हुकुमचंद कहते हैं, "हमारी देसी गाय जब बछड़े को जन्म देती है तब वो दूध देती है. विदेशी नस्ल की गाय के दूध देने के लिए बछड़ा होना ज़रूरी नहीं है. देसी गाय का दूध जल्दी पच जाता है जबकि भैंस और विदेशी नस्ल की गाय के दूध को पचने में ज़्यादा वक़्त लगता है."




गोरक्षा समिति के अनुसार देसी गाय का सिर्फ़ दूध ही नहीं, उसका गोबर भी गुणकारी होता है जिससे बीमारियां दूर होती हैं. वहीं विदेशी नस्ल की गायों के गोबर से बीमारियां पैदा होती हैं. करनाल स्थित राष्ट्रीय पशु आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो के एक शोध में देसी गाय के दूध की गुणवत्ता को भी विदेशी नस्ल की गायों से बेहतर बताया गया है. मगर भारत में अब देसी गायों के मुकाबले विदेशी नस्ल की गाय ज़्यादा लाभकारी साबित हो रही है क्योंकि वो ज़्यादा दूध देती है. इसी वजह से इन्हें पालने का चलन बढ़ रहा है.

देशी भारतीय गाय का घी के फायदे

गाय के घी को अमृत कहा गया है। जो जवानी को कायम रखते हुए, बुढ़ापे को दूर रखता है। काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है। गाय के घी से बेहतर कोई दूसरी चीज नहीं है।
दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ढीक होता है।
सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।
नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तारो ताजा हो जाता है।
गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ढीक होता है।
20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।
फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।
गाय के घी की झाती पर मालिश करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।
सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।
अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।
गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मनाही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।
यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन संतुलित होता है यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।
गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है।
देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।
गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।
गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।
गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर चेतना वापस लोट आती है।
गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।
गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।
गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ठीक हो जाता है।
गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
स्वस्थ व्यक्ति भी हर रोज नियमित रूप से सोने से पहले दोनों नशिकाओं में हल्का गर्म (गुनगुना ) देसी गाय का घी डालिए ,गहरी नींद आएगी, खराटे बंद होंगे और अनेको अनेक बीमारियों से छुटकारा भी मिलेगा।


 
अच्छा लगा हो तो आगे प्रसार दीजिए, फॉरवर्ड कीजिये, और भारतीय भाषाओं में अनुवादित कीजिये, अपने ब्लॉग पर डालिए, मेरा नाम हटाइए, अपना नाम /मोबाईल नंबर डालिए| मुझे कोई आपत्ति नहीं है| मतलब बस इतना है कि ज्ञान का प्रवाह होते रहने दीजिये|


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मैथली जी आप बधाई के पात्र है



ब्लॉगवाणी आज जनवाणी बन कर उभरा है, यही कारण है कि आज ब्लॉगवाणी के आगे अन्‍य एग्रीगेटरों 20 साबित हो रहा है। यही कारण है ब्लॉगवाणी कुछ लोगों की आँख की किरकिरी बना रहता है। अरुण जी का पिछला लेख पढ़ा अच्छा लगा और लेख से अच्छा एक बात और लगी श्री मैथली जी की टिप्‍पणी

Maithily said... मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आप ब्लागवाणी को परिवार के साथ देख पाएंगे. जो आप नहीं देखना चाहते उसे आपको जबरदस्ती नहीं दिखाया जाएगा। 

मैथली जी की उपरोक्‍त बात से स्पष्ट है कि पर्दे की आड़ में ब्लॉगवाणी एक पारिवारिक पार्क बना रहेगा, साथ ही साथ पर्दा हटने पर सब कुछ खुला मिलेगा। यह जरूरी भी है जो कुछ भी बातें आज ब्लागजगत में आ रही है हम इसे मन की भड़ास कह सकते है किन्तु किसी के मन की भड़ास हर किसी को अच्छी नही लगती है, और जब भड़ास निकलती है तो वह लिहाज भूल जाती है, जैसे कि मोहल्ले के चौराहे पर चोखेरबालियों को देखकर आवारें सीटीयां मारते है। इन मोहल्ले के आवारों की सीटियों पर भी हस्तक्षेप करना होगा। क्योंकि दिल के दौरे की तरह समय समय पर इन्हें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दौरे पड़ते रहते है। मनचाही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बिल्कुल वैसी ही होनी चाहिए जैसी की अरुण जी ने अपने पोस्ट पर की थी।
मैंने जानना चाहा कि आखिर क्या बात है कि विवादों में ब्लॉगवाणी को घसीटे जाने का कारण क्या है मैंने किसी और के ब्लॉग का परीक्षण करने के अपेक्षा अपने ब्लॉग को ही टटोलने की कोशिश कि तो निम्न नजीते पर पहुँचा, कि ब्‍लावाणी के मायने क्या है? और क्यों ब्लॉगवाणी को कटघरे में खड़ा किया जाता है। यह नतीजे आपके सामने है।


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