पर्दे मे रहेगा हाथी



इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने हार्थी को ढ़कने रोकने से सम्‍बन्धित याचिका माननीय मुख्‍य न्‍यायधीश की बेंच ने लोकहित का आधार एवं याचिका मे याची की हैसियत का सही निधारण न होने के कारण खारिज कर दी।


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वैदिक कर्मकाण्ड के सोलह संस्कार



वैदिक कर्मकाण्ड के अनुसार निम्न सोलह संस्कार होते हैं:
  1. गर्भाधान संस्कारः उत्तम सन्तान की प्राप्ति के लिये प्रथम संस्कार।
  2. पुंसवन संस्कारः गर्भस्थ शिशु के बौद्धि एवं मानसिक विकास हेतु गर्भाधान के पश्चात दूसरे या तीसरे महीने किया जाने वाला द्वितीय संस्कार।
  3. सीमन्तोन्नयन संस्कारः माता को प्रसन्नचित्त रखने के लिये, ताकि गर्भस्थ शिशु सौभाग्य सम्पन्न हो पाये, गर्भाधान के पश्चात् आठवें माह में किया जाने वाला तृतीय संस्कार।
  4. जातकर्म संस्कारः नवजात शिशु के बुद्धिमान, बलवान, स्वस्थ एवं दीर्घजीवी होने की कामना हेतु किया जाने वाला चतुर्थ संस्कार।
  5. नामकरण संस्कारः नवजात शिशु को उचित नाम प्रदान करने हेतु जन्म के ग्यारह दिन पश्चात किया जाने वाला पंचम संस्कार।
  6. निष्क्रमण संस्कारः शिशु के दीर्घकाल तक धर्म और मर्यादा की रक्षा करते हुए इस लोक का भोग करने की कामना के लिये जन्म के तीन माह पश्चात् चौथे माह में किया जाने वला षष्ठम संस्कार।
  7. अन्नप्राशन संस्कारः शिशु को माता के दूध के साथ अन्न को भोजन के रूप में प्रदानकिया जाने वाला जन्म केपश्चात् छठवें माह में किया जाने वाला सप्तम संस्कार।
  8. चूड़ाकर्म (मुण्डन) संस्कारः शिशु के बौद्धिक, मानसिक एवं शारीरिक विकास की कामना से जन्म के पश्चात् पहले, तीसरे अथवा पाँचवे वर्ष में किया जाने वाला अष्टम संस्कार।
  9. विद्यारम्भ संस्कारः जातक को उत्तमोत्तम विद्या प्रदान के की कामना से किया जाने वाला नवम संस्कार।
  10. कर्णवेध संस्कारः जातक की शारीरिक व्याधियों से रक्षा की कामना से किया जाने वाला दशम संस्कार।
  11. यज्ञोपवीत (उपनयन) संस्कारः जातक की दीर्घायु की कामना से किया जाने वाला एकादश संस्कार।
  12. वेदारम्भ संस्कारः जातक के ज्ञानवर्धन की कामना से किया जाने वाला द्वादश संस्कार।
  13. केशान्त संस्कारः गुरुकुल से विदा लेने के पूर्व किया जाने वाला त्रयोदश संस्कार।
  14. समावर्तन संस्कारः गृहस्थाश्रम में प्रवेश करने की कामना से किया जाने वाला चतुर्दश संस्कार।
  15. पाणिग्रहण संस्कारः पति-पत् नी को परिणय-सूत्र में बाँधने वाला पंचदश संस्कार।
  16. अन्त्येष्टि संस्कारः मृत्योपरान्त किया जाने वाला षष्ठदश संस्कार। उपरोक्त सोलह संस्कारों में आजकल नामकरण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म (मुण्डन), यज्ञोपवीत (उपनयन), पाणिग्रहण और अन्त्येष्टि संस्कार ही चलन में बाकी रह गये हैं।



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पहला दिन...



आज दिनांक  9 नवम्बर 2011, हाईकोर्ट में माननीय न्यायमूर्ति वाय के सिंह और न्यायमूर्ति डी गुप्ता की डिवीजनल बेंच के सामने अपीयर हुआ.. दिल मे हल्‍की सी घबराहट और मगर एक विश्वास की मुझे आज अपीयर होना है।  मैं अपीयर हुआ अपनी बात रखा, बहुत ही अच्‍छा लगा.. ऑफ्टर लंच माननीय न्‍यायमूर्ति सभाजीत यादव जी की कोर्ट में अपीयर हुआ.... आज जब 11 बजे मुझे कहा गया कि आपको अपीयर होना है तो मेरी कोई तैयारी नही थी और अजीब पन था किन्तु जब बेंच के बारे में पता चला तो दृंढ निश्चय किया कि आज तो मुझे इस कोर्ट में अपनी बात तो रखनी ही है। आज मेरे साथ मेरे साथ मेरे कालेज के फेन्डस भी थे तो लॉ फर्स्ट इयर के स्‍टूडेंट थे.... अपने दोस्‍तो के सामने और पापा जी की ना मौजूदगी मे जिम्‍मेदारी निभाना बड़ा मजेदार रहा। :)

आज से पहले कैट, लेबर कोर्ट और इण्‍ड्रस्ट्रियल कोर्ट में तो कई बार पैरवी कि किन्तु आज का दिन तो कुछ खास ही रहा... जैसा सुना था वैसा पाया भी कि बेंच नये अधिवक्ताओं को सपोंर्ट करती है.. क्योंकि मैंने महसूस भी किया कि कुछ गलतियाँ मेरे से हुई थी। अंत भला तो सब भला... आज दिन अपने आप मे मेरे लिये एक महत्‍वपूर्ण दिन बन गया।


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साबरमती के सन्त के अनोखे कमाल..





दे दी हमें बरबादी चली कैसी चतुर चाल?
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

उन्नीस सौ इक्किस में असहयोग का फरमान,
गान्धी ने किया जारी तो हिन्दू औ मुसलमान.
घर से निकल पड़े थे हथेली पे लिये जान,
बाइस में चौरीचौरा में भड़के कई किसान.

थाने को दिया फूँक तो गान्धी हुए बेहाल,
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

गान्धी ने किया रद्द असहयोग का ऐलान,
यह देख भड़क उट्ठे कई लाख नौजवान,
बिस्मिल ने लिखा इसपे-ये कैसा है महात्मा!
अंग्रेजों से डरती है सदा जिसकी आत्मा.

निकला जो इश्तहार वो सचमुच था बेमिसाल,
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

पैसे की जरूरत थी बड़े काम के लिये,
लोगों की जरूरत थी इन्तजाम के लिये,
बिस्मिल ने नौजवान इकट्ठे कई किये,
छप्पन जिलों में संगठक तैनात कर दिये.

फिर लूट लिया एक दिन सरकार का ही माल,
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

चालीस गिरफ्तार हुए जेल में गये,
कुछ भेदिये भी बन के इसी खेल में गये,
पेशी हुई तो जज से कहा मेल में गये,
हम भी हुजूर चढ़ के उसी रेल में गये.

उनमें बनारसी भी था गान्धी का यक दलाल,
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

उसने किया अप्रूव ये सरकारी खजाना,
बिस्मिल ने ही लूटा है वो डाकू है पुराना,
गर छोड़ दिया उसको तो रोयेगा ज़माना,
फाँसी लगा के ख़त्म करो उसका फ़साना.

वरना वो मचायेगा दुबारा वही बबाल.
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

बिस्मिल के साथ तीन और दार पर चढ़े,
जज्वा ये उनका देख नौजवान सब बढे,
सांडर्सका वध करके भगतसिंह निकल पड़े,
बम फोड़ने असेम्बली की ओर चल पड़े.

बम फोड़ के पर्चों को हवा में दिया उछाल.
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.
इस सबकी सजा मौत भगत सिंह को मिली,
जनता ने बहुत चाहा पे फाँसी नहीं टली,

इरविन से हुआ पैक्ट तो चर्चा वहाँ चली,
गान्धी ने कहा दे दो अभी देर ना भली.
वरना ये कराँची में उठायेंगे फिर सवाल.
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

जब हरिपुरा चुनाव में गान्धी को मिली मात,
दोबारा से त्रिपुरी में हुई फिर ये करामात,
इस पर सवाल कार्यसमिति में ये उठाया,
गान्धी ने कहा फिर से इसे किसने जिताया?

या तो इसे निकालो या फिर दो मुझे निकाल.
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

इस पर सुभाष कांग्रेस से निकल गये,
जिन्दा मशाल बन के अपने आप जल गये,
बदकिस्मती से जंग में जापान गया हार,
मारे गये सुभाष ये करवा के दुष्प्रचार,

नेहरू के लिये कर दिया अम्नो-अमन बहाल.
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

आखिर में जब अंग्रेज गये घर से निकाले,
था ये सवाल कौन सियासत को सम्हाले,
जिन्ना की जिद थी मुल्क करो उनके हवाले,
उस ओर जवाहर के थे अन्दाज निराले.

बँटवारा करके मुल्क में नफरत का बुना जाल.
साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल.

यह रचना KRANT M.L.Verma जी की है .... इसका श्रेय उनको ही दीजिए... मैने इस रचना को प्रवाह दिया है...


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सेक्‍युलर देशों में भी चर्च का हस्‍तक्षेप



  • इंग्लैंड - इंग्लैंड के राजा/रानी का एंग्लिकन चर्च का सदस्य होना अनिवार्य है। 24 बिशप व 2 आर्कबिशप, संसद के उच्च सदन House of Lords के सदस्य मनोनित होते हैं।
  • इटली - वहाँ का संविधान कहता है कि "कैथोलिक मत के ईसाई तत्व ही सार्वजनिक शिक्षा की नींव और शिखर दोनों है" शिक्षकों और उपदेशकों को चर्च अधिकारियों की सहमति लेनी पड़ती है, अन्यथा वे पद से बर्खास्त कर दिये जाते है।
  • पुर्तगाल- शिक्षा चर्च के अधिकारियों की सहमति से ही होनी अनिवार्य है।
  • कोलम्बिया - कैथोलिक मत के अतिरिक्त किसी भी अन्य को अपने पूजा घर से बाहर प्रचार की अनुमति नहीं है।
  • डेनमार्क - यहाँ का राष्‍ट्रीय चर्च लूथेरियन चर्च है। इसी चर्च को राज करने का अधिकार है और चर्च की सभी गतिविधियों के लिए धन सरकार द्वारा दिया जाता है।
  • नार्वे - राजा सदै लूथेरियन चर्च का अनुयायी होगा, आधे से अधिक मन्‍त्रियों का चयन चर्च करेगा। सभी विद्यालयो में ईसाई मत की शिक्षा अनिवार्य है।
  • स्वीडन - ईसाइयों के अतिरिक्त अन्य मत के व्यक्तियों को अपने बच्चों की शिक्षा के लिये विद्यालय चलाने पर प्रतिबंध है।
  • अमेरिका - वहाँ के न्‍यायालयों ने अमेरिका को ईसाई देश माना है। "अमेरिका के बहुसंख्यक लोग ईसाई होने के कारण हमारे कानून और संस्थाएं ईसा के उपदेशों से अनुप्राणित होनी चाहिए!" हमारी नीतियों का प्रारम्भ ईसाई मत द्वारा हुआ है। हमारी न्‍याय व्‍यवस्‍था की मूल चेतना वही है। सरकारी प्रशासन के पार्वभूमि में ईसाई मत है। कुल मिला कर ईसाई मत देश के कानून का हिस्सा है। - अमेरिकन चर्च लॉ0
एक प्रश्‍न
आखिर क्यों जब भारत में हिन्दू विधि विधान से नैतिक शिक्षा, योग शिक्षा, दीप प्रज्ज्वल, सरस्वती वंदना अथवा वंदे मातरम आदि से सेकुलर छवि कैसे भ्रष्ट हो जाती है?


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