अच्छी बातें और अच्छे विचार करें व्यक्तित्व का विकास



  • मन की वह शान्ति जो विघ्न बाधाओं के समय भंग नहीं होती और दूसरों द्वारा अपने ऊपर दोषारोपण करते समय जिसमें कोई विकार नहीं आता, वह उच्च आत्मिक बल से प्राप्त होती है।
  • बर्तन के पानी में काला रंग डाल देने पर हम उसमें अपना प्रतिबिम्ब ठीक- ठीक नहीं देख सकते। इसी प्रकार जिसका चित्त विकारों से मैला हो रहा है वह अपने हित अनहित का ज्ञान नहीं रखता।
  • सदाचार युक्त और ज्ञानपूर्वक एक दिन जीना, सौ वर्ष दुराचार पूर्ण और अव्यवस्थित जीने से कहीं अच्छा है।
  • किसी की निंदा मत करो। याद रखो इससे तुम्हारी जबान गन्दी होगी, तुम्हारी वासना मलिन होगी। जिसकी निंदा करते हो उससे बैर होने की संभावना रहेगी और चित्त में कुसंस्कारों के चित्र अंकित होंगे।
  • अहा। उसे कैसा विश्राम और शान्ति उपलब्ध है जो मिथ्या चिन्ता से मुक्त रह कर सदा ईश्वर और आत्मोद्धार का चिंतन करता है।
  • मनुष्य तभी दुःख में ग्रसित होता है, जब उसके आंतरिक विचारों और बाह्य परिस्थितियों में मेल नहीं होता।
  • किसी मनुष्य की शुद्धता का आप्त पुरुषों में विश्वास से बढ़कर कोई प्रमाण नहीं है।
  • किसी मनुष्य की शुद्धता का आप्त पुरुषों में विश्वास से बढ़कर कोई प्रमाण नहीं है।
  • अशान्त मनुष्य को अज्ञानी कहना चाहिए क्योंकि वह स्वार्थ में अन्धा होकर अँधेरे में भटक रहा है। शान्त पुरुष सब प्रकार की परिस्थितियों में अपने लिए आनन्द ढूँढ़ निकालते हैं।
  • हमें दुनियाँ में जितने दुःख और पाप दिखाई देते हैं उनका मूल कारण अज्ञान है। यह समझकर विचारवान पुरुष पापियों और पीड़ितों से घृणा न करके उन्हें दया की दृष्टि से देखता है।
  • लोग नेक बनने की अपेक्षा विद्वान बनने का प्रयत्न अधिक करते हैं, फलस्वरूप वे भ्रम में पड़ जाते हैं।दुनियाँ में कालापन बहुत है, पर वह सफेदी से अधिक नहीं है। यदि ऐसा न होता तो यह दुनियाँ रहने के सर्वथा अयोग्य होती।
  • धर्म जीवन की आशा है, आत्मरक्षा का अवलम्बन है, उसी के द्वारा दूषित वृत्तियों से मुक्ति होती है।
  • जो उपकार जताने का इच्छुक है, वह द्वार खटखटाया है। जिसमें प्रेम है, उसके लिए द्वार खुला है।
  • जो दूसरों को दिये बिना खुद लेना चाहता है वह पाता तो कुछ नहीं, खोता बहुत है।
  • लोग डरते तो हैं अपने आप से और कहते हैं हम दूसरों से डरते हैं। यह एक मानसिक रोग है और शास्त्र के अज्ञान का परिणाम है।
  • हम न एक दूसरे को धोखा दें, न एक दूसरे का अपमान करें और न खिज या द्वेष बुद्धि से एक दूसरे को दुःख देने की नीयत रखें।
  • पाप का प्रायश्चित पश्चाताप है। पश्चाताप का अर्थ है पाप की पुनरावृत्ति न करना।


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भाजपा, आरके सिंह और नैतिकता



अख़बार से पता चला कि पूर्व गृहसचिव और भाजपा सांसद आरके सिंह ने भाजपा नेतृत्व पर आरोप लगाया है कि बिहार में पैसे लेकर अपराधियों को टिकट दिया जा रहा है..
 
भाजपा की ओर से भी इस पर सफाई दिया जा रहा है और बचाव में अपनी तरह से बातें प्रस्तुत की जा रही है..

यहाँ गौरतलब यह है कि यदि आरके सिंह सच बोल रहे है तो बीजेपी परिवार को इस विषय में सोचना चाहिए कि सत्ता कुछ भी किया जाना उचित है ? जो भाजपा विचार और सिधान्तों की पार्टी नहीं परिवार कहा जाती है वह आज सत्ता और पैसे के लिए सौदा करने को तैयार हो रही है? पूर्व में इलाहबाद विश्वविद्यालय में भी विद्यार्थी परिषद् के टिकट भी बिकने की बात सामने आई थी. क्या विचारधारा परिवार इतना कमजोर और कामचोर हो रहा है कि वह जनता के बीच चुनाव फेस नहीं कर पा रहा है ?


और यदि आरके सिंह झूठ बोल रहे है तो भाजपा को यह सोचना चाहिए कि ऐसे भाड़े के लोगो को बुला बुला कर बीजेपी ज्वाइन करा कर टिकट देना कितना उचित होगा जो बीजेपी के लिए विषबीज हो रहे है..अक्सर बीजेपी के सत्तासीन होने पर बीजेपी और संघ से कई पीढ़ियों से जुड़े होने के नाम पर बीजेपी से नजदीकियां दिखाने की कोशिश की जाती है जबकि यही लोग बीजेपी के बुरे वक्त में दूर दूर तक नजर नहीं आते है और अन्य दलों में अपने हित लाभ खोजते है जैसे आज वह भाजपा और संघ में खोज रहे होते है..

मैं पहले भी कहता आया हूँ कि जमीनी स्तर के लोगो को नजरअंदाज भाड़े के लोगो पर भरोसा करके भाजपा बहुत दिनों तक सफल नहीं हो सकेगी. दिल्ली चुनाव में किरण बेदी के रूप में परिणामदेखा भी जा चूका है. कि किस प्रकार मूल कार्यकर्त्ता की अनदेखी करके बाहरी को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करना खुद दिल्ली में बीजेपी को 4 सीट समेट दिया.

कुछ भी हो इस प्रकरण में या तो आरके सिंह नंगे होगे या वो बीजेपी के अन्दर का सच उजागिर करेगे..

डर यो यह है कि कहीं मिस्टर सिंह यह न कह दे मैंने भी पैसा लोक सभा का देकर टिकट खरीदा थ


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शुभ काम करे और उसे शुभ फल प्राप्त हो




शुभ काम करे और उसे शुभ फल प्राप्त हो

कहा जाता है कि सुख-दुख इंसान के कर्मों के फल हैं। वह जैसा बीज बोता है उसे वैसा ही फल मिल जाता है। वास्तु, अध्यात्म और ज्योतिष आदि में सफल व सुखी जीवन के सूत्र इसीलिए बनाए गए हैं ताकि मनुष्य शुभ काम करे और उसे शुभ फल प्राप्त हो। अनजाने में किए गए कुछ कार्य उसके दुख का कारण भी बन सकते हैं। सभी शास्त्र ऐसे कार्यों से दूर रहने का उपदेश देते हैं। आप भी जानिए सुखी जीवन के लिए किन कार्यों से दूर रहना चाहिए।
  • मुख्य द्वार के पास या सामने कूड़ादान न रखें और न ही वहां पानी इकट्ठा होने दें। इससे पड़ोसी भी शत्रु हो जाते हैं।
  • रात को सोने से पहले रसोई में एक बाल्टी पानी भरकर रखें। इससे घर में सुख व समृद्धि का वास होता है। खाली बाल्टी घर में तनाव और चिंता लेकर आती है।
  • सूर्यास्त के बाद किसी के घर दूध, दही, नमक, तेल और प्याज लेने न जाएं। इससे जीवन में बाधाएं आती हैं और कष्टों का सामना करना पड़ता है। साथ ही परिजनों का मान-सम्मान कमजोर होता है।
  • जब यात्रा के लिए निकलें तो घर से पूरे परिवार को एक साथ नहीं निकलना चाहिए। इससे घर की लक्ष्मी और यश का नाश होता है।
  • छत पर पुराने मटके या फूटे हुए बर्तन नहीं रखने चाहिए। खासतौर से रसाईघर की छत पर पुरानी चीजें न रखें। ये गरीबी को आमंत्रण देते हैं।
  • कभी किसी की गरीबी, अपंगता या रोग का मजाक न बनाएं और न उसकी नकल करें। संभव हो तो उसकी यथाशक्ति सहायता करें। किसी की लाचारी का मजाक बनाने से जीवन में दुर्भाग्य का आगमन होता है और उस व्यक्ति को उसका दंड मिलता है।
  • टूटे हुए दर्पण में चेहरा देखना या टूटे हुए कंघे का उपयोग करने से भी अशुभ फल मिलता है। माना जाता है कि इससे जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है जो शुभ कार्यों में बाधा पहुंचाती है।


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