प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व निवारक तकनीक (लिंग चयन निषेध) अधिनियम, 1994 (PNDT Act, 1994)



इस कानून की आवश्यकता क्यों हुई ?
यह सत्य है कि लिंग अनुपात में निरन्तर कमी के कारण या कानून बनाना जरूरी हो गया था, जिसका उद्देश्य है:
  • प्रसवधारण से पहले और बाद भ्रूण के लिंग की जाँच को रोकना।
  • प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व निवारक तकनीक (लिंग चयन निषेध) का लिंग जाँच/निर्धारण के लिए दुरूपयोग प्रतिबन्धित करना।
  • प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व निवारक तकनीक का सही ढंग से विधिपूर्वक प्रयोग करना।
 प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व निवारक तकनीक (लिंग चयन निषेध) अधिनियम, 1994 (PNDT Act, 1994)

इस कानून के अन्तर्गत अपराध क्या हैं ?
  • प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व लिंग चयन जिसमें शामिल है, प्रयोग का तरीका, सलाह और कोई भी उपबन्ध जिससे यह सुनिश्चित होता हो कि लड़के के जन्म की सम्भावनाओं को बढ़ावा मिल रहा हो, जिसमें आयुर्वेदिक दवाईयां और अन्य कोई वैकल्पिक चिकित्सा और पूर्व गर्भधारण विधियां/प्रयोग जैसे कि एरिकशन विधि का प्रयोग, इस चिकित्सा के द्वारा लड़के के जन्म की सम्भावना का पता लगता है, शामिल है।
  • प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व के तरीकों का दुरूपयोग चाहे किसी योग्य द्वारा लिंग निर्धारण और वैसे हालातों में इन तरीकों द्वारा किया गया हो जो कि इस अधिनियम के अन्तर्गत न आते हों।
  • जो व्यक्ति मानदेय पर कार्य कर रहा है और उसके पास अधिनियम में निर्धारित की गई योग्यता और अनुभव/प्रशिक्षण भी नहीं है उसे प्रसवधारणपूर्व का निर्धारण करना भी शामिल है।
  • प्रति या स्वयं पत्नी द्वारा, जहाँ तक कि उसको इस विधि का प्रयोग करने के लिए मजबूर न किया गया हो, के बारे में प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व की विधि के बारे में किसी महिला या पुरूष या किसी रिश्तेदार द्वारा लिंग निर्धारण के दुरूपयोग के बारे में बतलाना या उत्साहित करना।
  • किसी व्यक्ति द्वारा, जो कि प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व की तकनीक का प्रयोग कर रहा है, के द्वारा भ्रूण के लिंग के बारे में पत्नी या उसके पति या उसके रिश्तेदार को शब्दों द्वारा, इशारों द्वारा या किसी अन्य तरीके द्वारा बताना।
  • प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व से पहले या बाद भ्रूण के लिंग में चयन की सुविधा के बारे में किसी प्रकार का इश्तहार या प्रकाशन और पत्र आदि निकालना। इस प्रकार का विज्ञापन चाहे वह किसी भी तरह का हो जैसे कि सूचना पत्र पोस्टर या अन्य कोई पत्र विज्ञापन, इन्टरनेट द्वारा या किसी अन्य इलेक्ट्रानिक प्रिन्ट मीडिया या प्रिन्ट के रूप में होर्डिंग, दीवार में छापना, इशारा, प्रकाश, ध्वनि, धुआं या गैस।
  • उन स्थानों का पंजीकरण न करना जहाँ पर प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व के प्रयोग का संचालन किया जा रहा है। जैसे कि जनन उत्पति सम्बन्धी समझौता केन्द्र (प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व, दोनों प्रकार के तरीके और प्रयोग के बारे में सलाह देना, जनन उत्पति प्रयोगशाला (प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व प्रयोग) जिसमें ऐसे वाहन भी शामिल हैं जो जनन उत्पति क्लीनिक के तौर पर प्रयोग किये जा रहे हैं।
  • ऐसे गैर पंजीकृत स्थानों जहाँ पर प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व के प्रयोग किये जा रहे हैं।
  • ऐसी मशीनों या उनके हिस्सों को किसी गैर पंजीकृत संस्था या ऐसे किसी चिकित्सा पेशेवर, जिनके द्वारा भ्रूण के लिंग का पता चलता हो, को बेचना।
  • चिकित्सा रिकार्ड (कानून के तहत फार्म डी, ई और एफ) के ब्यौरे का सही रख रखाव न रखना।
  • प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व प्रयोग करने वाले के द्वारा प्रसवपूर्व और प्रसवधारणपूर्व निवारण तकनीक (लिंग चयन निषेध) अधिनियम, 1994 (PNDT Act,1994) को उपलब्ध न करवाना।
  • इस कानून के अन्तर्गत प्रत्येक जुर्म संज्ञेय व गैर जमानती है और समझौता योग्य नहीं है।
  • अगर यह अपराध किये जा रहे हैं तो आँखें बन्द करके न बैठें और इनकी शिकायत करें।
भ्रूण हत्या से भविष्य में होने वाली घटनायें ?
  • पुरूषों के मुकाबले स्त्रियों के अनुपात में लगातार कमी।
  • स्त्रियों के विरूद्ध यौन अपराधों में वृद्धि।
  • बच्चों के प्रति यौन अपराधों में वृद्धि।
  • यौन शोषण के लिए स्त्रियों की देह व्यापार में वृद्धि।
  • स्त्रियों के विरूद्ध घरेलू और अन्य सभी तरह की हिंसा में वृद्धि।
  • स्त्रियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में कमी।
  • दुल्हन के मोलभाव और अन्य परिवर्तन जैसे सामाजिक, मातृक या परिवारिक रिश्तों की घटनाओं में बढ़ावा।
  • यह झूठ है कि जनसंख्या में स्त्रियों की कमी से समाज में स्त्रियों का रूतबा बढ़ेगा।
इस कानून के तहत क्या सुविधाएं हैं ?
यह कानून प्रसवपूर्व निवारक तकनीक केवल क्रोमोसोम्स की अनियमितता, जनन उत्पति बीमारी, हीमोग्लोबीन, यौन प्रक्रिया, जन्मजात अनियमितता/बीमारियाँ जो कि भ्रूण में इस कानून के तहत वर्णित की गई है, की जांच की अनुमति देता है। परन्तु प्रसवपूर्व निवारक तकनीक का प्रयोग इन अनियमितताओं को दूर करने के लिए केवल पंजीकृत स्थानों/शाखाओं (जिसमें वाहन भी सम्मिलित हैं) और केवल योग्य व्यक्ति द्वारा ही किया जायेगा। 
जब गर्भवती महिला या तो:-
  1. 35 वर्ष की उम्र से अधिक हो।
  2. दो या अधिक बार स्वैच्छिक तौर पर गर्भपात कराया हो।विकृतांग सृजन करने वाला जैसे औषधि, विकीरण, रसायनी, संक्रमण या शक्तिषाली घटना को अभिव्यक्त करना।
  3. जनन उत्पत्ति से सम्बन्धित बीमारी या ऐसी वंशगत बीमारी जिसमें मानसिक कमजोरी के लक्षण हों।
इस शर्त पर कि महिला कि अनुमति ली गई हो या इस कानून में वर्णित या अन्य किसी दशा में (जैसे अल्ट्रासांउंड का प्रयोग 23 प्रकार की दषाओं में करवाया जा सकता है) जो कि उक्त कानून के फार्म एफ में दर्शायें गये हैं जिसका कि सख्त तौर पर ब्यौरे का रख-रखाव जरूरी है।


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अभिभावक एवं वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007)



वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा आज समाज के लिए सर्वाधिक चिंता का विषय है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देष्य वरिष्ठ नागरिकों और अभिभावकों को समर्थता प्रदान करने वाली व्यवस्था की रचना करना है, जिससे वे एक विशेष ट्रिब्युनल (अधिकरण) के समक्ष निर्धारित 90 दिन की समय सीमा के अंदर भरण पोषण के अधिकार को सुलभता और शीघ्रता से प्राप्त कर सकें।
अभिभावक एवं वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 2007 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007)
अभिभावक एवं वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 2007 की मुख्य विशेषताएं
  • वे अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक जो कि अपनी आय अथवा अपनी संपति के द्वारा होने वाली आय से अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हैं, वे अपने वयस्क बच्चों अथवा संबंधियो से भरण पोषण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकतें है। इस भरण पोषण में समुचित भोजन, आश्रय, वस्त्र एवं चिकित्सा सुविधाएं सम्मिलित हैं।
  • अभिभावकों में सगे और दत्तक माता-पिता और सौतेले माता और पिता सम्मिलित हैं, चाहे वे वरिष्ठ नागरिक हों या न हों।
  • प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक जो कि 60 वर्ष या उससे अधिक आयु का है, वह अपने संबंधियो से भी भरण पोषण की मांग कर सकता है जिनका उनकी संपति पर स्वामित्व है अथवा जो कि उनकी संपति के उतराधिकारी हो सकते हैं।
  • भरण पोषण के लिए आवेदन स्वयं वरिष्ठ नागरिकों के द्वारा किया जा सकता है या वे अन्य व्यक्ति को या किसी स्वेच्छिक संगठन को ऐसा करने के लिए अधिकृत कर सकते हैं।
  • यदि ट्रिब्युनल (अधिकरण) इस बात से संतुष्ट है कि बच्चों अथवा संबंधियों ने अपने अभिभावकों अथवा वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा की हैं अथवा उनकी देखभाल करने से इन्कार किया है तो ट्रिब्युनल (अधिकरण) उन्हें मासिक भरण पोषण, जो कि अधिकतम 10000 रू0 प्रतिमाह तक हो सकता है, देने का आदेष दे सकता है।
  • वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा अथवा परित्याग एक संज्ञेय अपराध है जिसके लिए 5000 रू0 जुर्माना या तीन महीने की सजा या दोनो हो सकते है।
  • राज्य सरकारें प्रत्येक 150 परित्यक्त वरिष्ठ नागरिकों और अभिभावकों के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम एक वृद्धाश्रम स्थापित करेंगी। इस आश्रमों 128 में वरिष्ठ नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं जैसे भोजन, वस्त्र, और मनोरंजन की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
  • सभी सरकारी अस्पतालों और उन अस्पतालों जिन्हें सरकार से सहायता प्राप्त होती है उनके जहां तक संभव हो वरिष्ठ नागरिकों को बिस्तर उपलब्ध करवाएं जाऐगें। चिकित्सालयों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष पंक्तियों का प्रबंध किया जाएगा।


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