नवग्रह स्तोत्र - जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं



शास्त्रों में कुल नौ नवग्रह बताए गए हैं और इन नवग्रहों के अनुसार ही हम लोगों का जीवन चलता है। ज्योतिषियों के अनुसार जातक की कुंडली में ये नौ ग्रह किस घर में हैं। इस पर ही जातक का जीवन आधारित होता है। इसलिए ये बेहद ही जरूरी होता है कि आपकी कुंडली में ग्रह आपके अनुकुल ही बनें रहें। ताकि इन ग्रहों के दुष्भाव से बचा जा सके। नौ नवग्रहों के नाम इस प्रकार हैं- सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु। इन सभी ग्राहकों का नाता हमारे शरीर के किसी ना किसी अंग से होता है और इन ग्रहों की खराब दशा चलने पर शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

शरीर के किस अंग से जुड़ा है कौन सा ग्रह-
  1. सूर्य ग्रह की खराब दिशा चलने से आंखों से संबंधित रोग हो जाते हैं। क्योंकि ये ग्रह आंखों से जुड़ा होता है।
  2. चंद्रमा को मन का ग्रह माना जाता है और इसकी बुरी दिशा होने पर मन अशांत रहता है।
  3. मंगल ग्रह को रक्त संचार माना जाता है और जब किसी जातक की कुंडली में ये ग्रह गलत घर में हो, तो जातक को रक्त यानी खून से संबंधित रोग लग जाते हैं।
  4. बुध ग्रह हृदय से जुड़ा होता है और कुंडली में ये ग्रह भारी होने पर इसका असर दिल पर पड़ता है।
  5. बृहस्पति ग्रह अगर कुंडली में गलत स्थान पर हो, तो जातक की बुद्धि पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
  6. शुक्र ग्रह का नाता रस से होता है और शुक्र ग्रह के कुंडली में अशांत होने पर शरीर पर नकारात्मक असर पड़ता है।
  7. शनि, राहू और केतु ये तीनों ग्रह उदर के स्वामी होते हैं और इनकी वजह से पेट से जुड़ी तकलीफें होती हैं।
श्री नवग्रह स्तोत्र का पाठ पढ़ने से मिलने वाले लाभ-
  1. नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने से ग्रह सदा शांत रहते हैं और इनके प्रकोप से आपकी रक्षा होती है।
  2. रोजाना इस स्तोत्र को करने से रोग दूर हो जाते हैं और आपको सेहतमंद शरीर मिलता है।
  3. ग्रह शांत रहने से घर में कलह नहीं होती है और दिमाग शांत रहता है।
  4. ग्रहों की बुरी दशा चलने पर ये जरूरी होता है कि आप इन ग्रहों को शांत रखने के लिए उपाय करें।
श्री नवग्रह स्तोत्र  

सूर्य को मैं प्रणाम करता हूं
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं।
तमोरिसर्व पापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरं ।। (रवि) 
जो जपा पुष्प के समान अरुणिमा वाले महान तेज से संपन्न अंधकार के विनाशक सभी पापों को दूर करने वाले तथा महर्षि कश्यप के पुत्र हैं उन सूर्य को मैं प्रणाम करता हूं
दधिशंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवं।
नमामि शशिनं सोंमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।। (चंद्र)
जो दधि, शंख तथा हिम के समान आभा वाले छीर समुद्र से प्रादुर्भूत भगवान शंकर के सिरो भूषण तथा अमृत स्वरूप है उन चंद्रमा को मैं नमस्कार करता हूं।
धरणीगर्भ संभूतं विद्युत्कांतीं समप्रभं।
कुमारं शक्तिहस्तंच मंगलं प्रणमाम्यहं ।। (मंगळ)
जो पृथ्वी देवी से उद्भूत विद्युत की कांति के समान प्रभाव आ दें कुमारावस्था वाले तथा हाथ में शक्ति लिए हुए हैं उन मंगल को मैं प्रमाण प्रणाम करता हूं।
प्रियंगुकलिका शामं रूपेणा प्रतिमं बुधं।
सौम्यं सौम्य गुणपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहं ।।(बुध)
जो प्रियंगु लता की कली के समान गहरे हरित वर्ण वाले अतुलनीय सौंदर्य वाले तथा सौम्य गुण से संपन्न है उन चंद्रमा के पुत्र बुद्ध को मैं प्रणाम करता हूं।
देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं (गुरु)
जो देवताओं और ऋषियों के गुरु हैं स्वर्णिम आभा वाले हैं ज्ञान से संपन्न है तथा तीनों लोकों के स्वामी हैं उन बृहस्पति को मैं नमस्कार करता हूं।
हिमकुंद मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूं।
सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहं।। (शुक्र)
जो हिमकुंद पुष्प तथा कमलनाल के तंतु के समान श्वेत आभा वाले, दैत्यों के परम गुरु, सभी शास्त्रों के उपदेष्टा तथा महर्षि ध्रुव के पुत्र हैं, उन शुक्र को मैं प्रणाम करता हूं।
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजं।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्वरं।। (शनि)
जो नीले कज्जल के समान आभा वाले, सूर्य के पुत्र यम के जेष्ठ भ्राता तथा सूर्य पत्नी छाया तथा मार्तंड से उत्पन्न है उन शनिश्चर को मैं नमस्कार करता हूं।
नवग्रह स्तोत्र - navagraha stotra in Hindi
 
अर्धकायं महावीर्यं चंद्रादित्य विमर्दनं।
सिंहिका गर्भसंभूतं तं राहूं प्रणमाम्यहं।। (राहू)
जो आधे शरीर वाले हैं महान पराक्रम से संपन्न है, सूर्य तथा चंद्रमा को ग्रसने वाले हैं तथा सिंह ही का के गर्भ से उत्पन्न उन राहों को मैं प्रणाम करता हूं। 
पलाशपुष्प संकाशं तारका ग्रह मस्तकं। 
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहं।।(केतु)
पलाश पुष्प के समान जिनकी आभा है जो रुद्र शोभा वाले और रुद्र के पुत्र हैं भयंकर हैं तारक आधी ग्रहों में प्रधान है उनके तो को मैं प्रणाम करता हूं।
फलश्रुति : 
इति व्यासमुखोदगीतं य पठेत सुसमाहितं दिवा वा यदि वा रात्रौ।
विघ्नशांतिर्भविष्यति नर, नारी, नृपाणांच भवेत् दु:स्वप्न नाशनं ऐश्वर्यंमतुलं तेषां आरोग्यं पुष्टिवर्धनं।। 
भगवान वेद व्यास जी के मुख से प्रकट इस स्तुति को जो दिन में अथवा रात में एकाग्रचित होकर पाठ करता है उसके समस्त दिल शांत हो जाते हैं स्त्री पुरुष और राजाओं के दुख में दुख सपनों का नाश हो जाता है पाठ करने वाले को अतुलनीय ऐश्वर्या और आरोग्य प्राप्त होता है तथा उसके पुष्टि की वृद्धि होती है
 इति श्री व्यासविरचित आदित्यादि नवग्रह स्तोत्रं संपूर्णं


Share:

उत्तर प्रदेश में महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ताओ की मनमानी नियुक्तियां



उत्तर प्रदेश में महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ताओ कि नियुक्ति पर मन में कुछ प्रश्न उपजे है,
  1. क्या महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ताओ कि नियुक्ति वास्तव में सर्वोत्तम है और क्या वास्तव में नवनियुक्त 6 विकल्पों से अच्छे विकल्प संघ, भाजपा और अन्य अनुसांगिक सगठनों में उपलब्ध नहीं थे ?
  2. इन नियुक्ति के समय ग्राउंड लेबल (जमीनी स्तर) पर कार्यकर्ताओं और जिम्मेदार अधिकारीयों से राय ली गयी?
  3. इन नियुक्तियों में अधिवक्ताओं कि योग्यता, कार्य कुशलता, वरिष्ठता और कार्यकर्ताओं के मध्य लोकप्रियता आदि पैमानों पर गढ़ा गया?
मेरे इन प्रश्नों के उत्तर देना उपरी लोगो के लिए कठिन होगा, क्योकि ये चयनित नाम उत्तम हो सकते है किन्तु यह सर्वोत्तम नहीं है इसलिए मैं महाधिवक्ता सहित सभी नियुक्तियों निंदा और भर्त्सना करता हूँ, कोई भी चयन निष्पक्ष नहीं रहा और न ही जनभावना के सम्मान में रख कर किया गया.. वास्तव में यह नियुक्तियां बड़े बड़े राजनैतिक "घाघों" के दबाव में हुई है..
http://images.indianexpress.com/2017/03/up-logo.jpg?w=480

उत्तर प्रदेश में महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता के चयन पर प्रश्न उठ रहा है कि 1 माह बाद खूब खोज बीन कर नियुक्ति भी हुई तो सिफारिशी लोगो की। उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद पहले महाधिवक्ता स्व प्यारेलाल बनर्जी थे। गोविन्द बल्लभ पन्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। महाधिवक्ता से किसी राय की जरूरत थी। महाधिवक्ता को पन्त जी ने इलाहबाद से लखनऊ बुलवाया। बनर्जी साहब ने जो उत्तर दिया वह चकरा देने वाला था।

उन्होंने कहा कि मुवक्किल वकील के पास जाता है, न कि वकील मुवक्किल के पास। पन्त जी ने निर्देश दिया कि चीफ सेक्रेटरी तुरंत इलाहाबाद जा कर महाधिवक्ता से विचार विमर्श करें और चीफ सेक्रेटरी ने ऐसा ही किया। इसके बाद बनर्जी साहब ने इस्तीफा दे दिया। वकालत के कार्य की dignity अर्थात सम्मान का बड़ा महत्व है, बनर्जी साहब का यह कदम वकीलों के सम्‍मान के लिए एक नमूना मात्र है। वर्तमान एक महाधिवक्ता मंत्री और विधायको की चरण वंदना करने से बाज नहीं आयेगे। 

महाधिवक्ता का पद तो अब हर मुख्यमंत्री और राजनेताओं के पसंद का पद हो चुका है। जहाँ तक काबिलियत की कोई कीमत नही है और कबीलीयत की परख तब होती है जब भी कोई तकनिकी विधि का मामला होता है नियु‍क्त महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता हाथ खड़ेकर देते है और सरकार को सलाह और पैरवी के लिये मोटी फीस पर विशेष अधिवक्ता नियुक्त करना पड़ता है, ऐसे कई मामले पिछली सपा सरकार मे आये थे जब महाधिवक्ता वि‍जय बहादुर 7 जजो की बेच के सामने बौने पड़ गये और सरकार को विशेष वकील के रूप मे एसपी गुप्‍ता नियुक्त करना पड़ा और अन्‍य अपर महाधिवक्ता भी सिर्फ मजे मारते रहे। सरकार को अपने द्वारा नियमित ढंग से नियुक्त किये गए वकीलों पर भरोसा नहीं रहता।

प्रदेश की सरकार ठीक काम करे इसका बहुत कुछ दारोमदार महाधिवक्‍ता का होता है। चाटुकारिता करने वालो की ही नियुक्ति होगी तो महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता पुरानी कहावत चरित्रार्थ करेगे कि "काम के न काज के दुश्‍मन अनाज के"


Share: