रैनसमवेयर क्या है ? कैसे बचें ? | Computer General Knowledge |




 
रेनसमवेयर वायरस क्या है ?
रैनसमवेयर ( Ransomware) एक प्रकार का दुर्भावनापूर्ण फिरौती मांगने वाला सॉफ़्टवेयर है। इसे इस तरह से बनाया जाता है कि वह किसी भी कंप्यूटर सिस्टम के सभी फाइलों को इनक्रिप्ट कर दे। जैसे ही सॉफ्टवेयर इन फाइलों को इनक्रिप्ट कर देता है, वैसे ही वह फिरौती मांगने लगता है और धमकी देता है कि यदि उतनी राशि नहीं चुकाई तो वह कंप्यूटर के सभी फाइलों को बर्बाद कर देगा। इसके बाद इन फाइलों तक कंप्यूटर उपयोगकर्ता तब तक देख या उपयोग नहीं कर सकता जब तक वह फिरौती में मांगी गई राशि का भुगतान न कर दे। खास बात यह है कि इसमें फिरौती की रकम चुकाने हेतु समयसीमा निर्धारित की जाती है और यदि कोई समय से पैसा नहीं चुकाता तो उसके लिए फिरौती की रकम बढ़ जाती है।

जैसा कि वायरस के नाम से स्पष्ट है अब बात आती है फिरौती की - हैकर्स व्यक्ति/संस्था से संपर्क करके रकम की मांग करते हैं और न देने की स्थिति में निजी जानकारी को इंटरनेट पर साझा करने अथवा डिलीट करने की धमकी भी देते है। समय पर पैसा न देने से रकम बढ़ाया जाता है। फिरौती बिटकॉइन के रूप में मांगी जाती है ताकि पेमेंट को जल्द से जल्द उचित ढंग से व्यवस्थित किया जा सके।

रैनसमवेयर से कैसे बचें?

इंटरनेट पर ब्राउज़िंग करते समय सतर्क रहें और किसी भी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे ईमेल की सामग्री को पड़ताल करने के बाद ही डाउनलोड करें। विश्वस्त वेबसाइट से ही डाउनलोड करें। अपने कंप्यूटर पर रखे जानकारियों का समय समय पर बैकअप बनाते रहें। हाल ही में इस वायरस ने भारत सहित लगभग 100 देशों के 2 लाख से भी ज्यादा कंप्यूटर सिस्टम के सिक्योरिटी को ध्वस्त किया है यह एक बेहद शातिर वायरस है।


Share:

International Court Of Justice ( ICJ) - अंतराष्ट्रीय न्यायलय



International Court Of Justice
अंतराष्ट्रीय न्यायालय
अंतरराष्‍ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का प्रधान न्यायिक अंग है और इस संघ के पांच मुख्य अंगों में से एक है। इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्रसंघ के घोषणा पत्र के अंतर्गत हुई है। इसका उद्घाटन अधिवेशन 18 अप्रैल 1946 ई. को हुआ था। इस न्यायालय ने अंतर्राष्ट्रीय न्याय के स्थाई न्यायालय की जगह ले ली थी। न्यायालय हेग में स्थित है और इसका अधिवेशन छुट्टियों को छोड़ सदा चालू रहता है। न्यायालय के प्रशासन व्यय का भार संयुक्त राष्ट्रसंघ पर है। 1980 तक अंतर्राष्ट्रीय समाज इस न्यायालय का ज़्यादा प्रयोग नहीं करती थी, पर तब से अधिक देशों ने, विशेषतः विकासशील देशों ने, न्यायालय का प्रयोग करना शुरू किया है। फ़िर भी, कुछ अहम राष्ट्रों ने, जैसे कि संयुक्त राज्य, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के निर्णयों को निभाना नहीं समझा हुआ है। ऐसे देश हर निर्णय को निभाने का खुद निर्णय लेते है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में समान्य सभा द्वारा 15 न्यायाधीश चुने चाते है। यह न्यायाधीश नौ साल के लिए चुने जाते है और फ़िर से चुने जा सकते है। हर तीसरे साल इन 15 न्यायाधीशों में से पांच चुने जा सकत्ते है। इनकी सेवानिव्रति की आयु, कोई भी दो न्यायाधीश एक ही राष्ट्र के नहीं हो सकते है और किसी न्यायाधीश की मौत पर उनकी जगह किसी समदेशी को दी जाती है। इन न्यायाधीशों को किसी और ओहदा रखना मना है। किसी एक न्यायाधीश को हटाने के लिए बाकी के न्यायाधीशों का सर्वसम्मत निर्णय जरूरी है। न्यायालय द्वारा सभापति तथा उपसभापति का निर्वाचन और रजिस्ट्रार की नियुक्ति होती है। न्यायालय में न्यायाधीशों की कुल संख्या 15 है, गणपूर्ति संख्या नौ है। निर्णय बहुमत निर्णय के अनुसार लिए जाते है। बहुमत से सहमती न्यायाधीश मिलकर एक विचार लिख सकते है, या अपने विचार अलग से लिख सकते है। बहुमत से विरुद्ध न्यायाधीश भी अपने खुद के विचार लिख सकते है। 

प्रमुख तथ्य 
  • स्थापना - 1945
  • कार्य प्रारंभ - 1947
  • मुख्यालय - द हेग ( नीदरलैंड )
  • अध्याय एवं अनुच्छेद - 5 अध्याय 79 अनुच्छेद।
  • न्यायधीशों की संख्या - 15
  • न्यायधीशों की नियुक्ति - 9 वर्ष के लिए।
  • ICJ में प्रथम भारतीय न्यायधीश - डॉ. नागेंद्र सिंह।
  • प्रत्येक 3 वर्ष में सेवानिवृत्त न्यायधीश की संख्या - 5
  • कार्यकारी भाषा - फ्रेंच और अंग्रेजी।
  • न्यायधीश नियुक्ति की मुख्य शर्त - दो न्यायधीश एक देश से नही हो सकते।


Share: