जानिये राजीव गांधी ( Rajeev Gandhi ) के बारे में 10 महत्वपूर्ण बातें



  1. 21 मई 1991 को तमिल आतंकियों ने चुनाव प्रचार के दौरान इनकी हत्या कर दी।
  2. 40 वर्ष की उम्र में राजीव गांधी भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने।
  3. इनकी शादी इटली की नागरिक सोनिया गांधी से हुई जिनसे इनको 2 संतान हैं, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी।
  4. इनके कार्यकाल में का बोफोर्स घोटाला इनके पतन का कारण बना, बोफोर्स घोटाला तोप खरीदी में घुस से संबंधित है।
  5. उनके आधुनिक सोच से ही भारत मे सूचना क्रांति आई थी, उनके कार्यकाल में सूचना के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य हुआ।
  6. राजीव गांधी 31 अक्टूबर 1984 से 02 दिसंबर 1989 तक भारत के प्रधानमंत्री थे। वे भारत के सातवें प्रधानमंत्री हुये।
  7. राजीव गांधी ने लंदन के इम्पीरियल कॉलेज से मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी।
  8. राजीव गांधी पहली बार अमेठी लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर संसद पहुंचे। अमेठी लोकसभा क्षेत्र उत्तरप्रदेश राज्य में आता है।
  9. राजीव गांधी, भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एवं फिरोज गांधी के पुत्र थे।
  10. संजय गांधी इनके भाई थे जिनकी विमान दुर्घटना ( 1980 ) में मौत हो गयी।


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वियना संधि ( Vienna Convention ) क्या है ?



वियना संधि ( Vienna Convention ) क्या है ?
1961 में सबसे पहले आजाद और संप्रभु देशों के बीच आपसी राजनयिक संबंधो को लेकर वियना कन्वेंशन हुआ था। जिसके तहत ऐसे अंतर्राष्टरीय संधि का प्रावधान हुआ जिसमें राजनयिकों को विशेष अधिकार दिए गए। वियना कन्वेंशन के दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इससे मिलती-जुलती एक और संधि का प्रावधान किया, जिसे ‘वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस’ कहा गया। इसका ड्राफ्ट इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने तैयार किया था। जिसे 1964 में इसे लागू किया गया और तभी वियना संधि अस्तित्व में आई। इस संधि के प्रमुख प्रावधानों के तहत कोई भी देश दूसरे देश के राजनियकों को किसी भी कानूनी मामले में गिरफ्तार नहीं कर सकता है। इसके साथ ही राजनयिक के ऊपर मेजबान देश में किसी तरह का कस्टम टैक्स नहीं लगेगा।

  1. वियना संधि एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसमे अबतक लगभग 191 देशों ने अपनी सहमति जताकर हस्ताक्षर किए हैं।
  2. वियना संधि में कुल 54 आर्टिकल ( अनुच्छेद ) हैं।
  3. 1961 में वियना कन्वेंशन हुआ था जिसमे इस अंतराष्ट्रीय संधि का प्रावधान किया गया।
  4. इस संधि के तहत दूसरे देशों में जाकर कार्य कर रहे राजनयिकों को विशेष अधिकार दिया गया।
  5. इसके 2 वर्ष उपरांत संयुक्त राष्ट्र संघ ने " वियना कन्वेंशन ऑन कंसुलर रिलेशन्स " के नाम से नए संधि का प्रावधान किया जिसमें 179 देशों की सहमति अबतक बानी है और 79 अनुच्छेद हैं।
  6. भारत द्वारा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ( I.C.J. ) में इसी नए संधि के आधार पर जाधव वाला मामला उठाया गया है।
  7. इसके दो साल बाद 1963 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसी संधि से मिलती जुलती एक और संधि का प्रावधान किया। इस संधि को वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस’के नाम से जाना जाता है।
  8. भारत ने आईसीजे में इसी जाधव का मामला इसी संधि के तहत उठाया है। इस संधि पर अभी तक 179 देश सहमत हो चुके हैं। इस संधि के तहत कुल 79 आर्टिकल हैं।
  9. इस संधि के आर्टिकल 31 के तहत मेजबान देश दूतावास में नहीं घुस सकता है और उसे दूतावास के सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उठानी है। इसके आर्टिकल 36 के तहत अगर किसी विदेशी नागरिक को कोई देश अपनी सीमा के भीतर गिरफ्तार करता है तो संबंधित देश के दूतावास को बिना किसी देरी के तुरंत इसकी सूचना देनी पड़ेगी।
  10. गिरफ्तार किए गए विदेशी नागरिक के आग्रह पर पुलिस को संबंधित दूतावास या राजनयिक को फैक्स करके इसकी सूचना भी देनी पड़ेगी। इस फैक्स में पुलिस को गिरफ्तार व्यक्ति का नाम, गिरफ्तारी की जगह और गिरफ्तारी की वजह भी बतानी होगी। यानी गिरफ्तार विदेशी नागरिक को राजनयिक पहुंच देनी होगी।
नोट - इसके प्रावधानों में संशोधन की मांग समय समय पर उठती रही राय क्योकि कई बार राजनयिक गलत फायदा उठाकर अपने देश भाग जाते हैं।


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रैनसमवेयर क्या है ? कैसे बचें ? | Computer General Knowledge |




 
रेनसमवेयर वायरस क्या है ?
रैनसमवेयर ( Ransomware) एक प्रकार का दुर्भावनापूर्ण फिरौती मांगने वाला सॉफ़्टवेयर है। इसे इस तरह से बनाया जाता है कि वह किसी भी कंप्यूटर सिस्टम के सभी फाइलों को इनक्रिप्ट कर दे। जैसे ही सॉफ्टवेयर इन फाइलों को इनक्रिप्ट कर देता है, वैसे ही वह फिरौती मांगने लगता है और धमकी देता है कि यदि उतनी राशि नहीं चुकाई तो वह कंप्यूटर के सभी फाइलों को बर्बाद कर देगा। इसके बाद इन फाइलों तक कंप्यूटर उपयोगकर्ता तब तक देख या उपयोग नहीं कर सकता जब तक वह फिरौती में मांगी गई राशि का भुगतान न कर दे। खास बात यह है कि इसमें फिरौती की रकम चुकाने हेतु समयसीमा निर्धारित की जाती है और यदि कोई समय से पैसा नहीं चुकाता तो उसके लिए फिरौती की रकम बढ़ जाती है।

जैसा कि वायरस के नाम से स्पष्ट है अब बात आती है फिरौती की - हैकर्स व्यक्ति/संस्था से संपर्क करके रकम की मांग करते हैं और न देने की स्थिति में निजी जानकारी को इंटरनेट पर साझा करने अथवा डिलीट करने की धमकी भी देते है। समय पर पैसा न देने से रकम बढ़ाया जाता है। फिरौती बिटकॉइन के रूप में मांगी जाती है ताकि पेमेंट को जल्द से जल्द उचित ढंग से व्यवस्थित किया जा सके।

रैनसमवेयर से कैसे बचें?

इंटरनेट पर ब्राउज़िंग करते समय सतर्क रहें और किसी भी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे ईमेल की सामग्री को पड़ताल करने के बाद ही डाउनलोड करें। विश्वस्त वेबसाइट से ही डाउनलोड करें। अपने कंप्यूटर पर रखे जानकारियों का समय समय पर बैकअप बनाते रहें। हाल ही में इस वायरस ने भारत सहित लगभग 100 देशों के 2 लाख से भी ज्यादा कंप्यूटर सिस्टम के सिक्योरिटी को ध्वस्त किया है यह एक बेहद शातिर वायरस है।


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