दीपावली और पटाखे



दीपावली पर पटाखे के संबध में दो बाते आ रही है..

1. पटाखे फोड़ने के बारे में और
2. पटाखे न फोड़ने के बारे में
 पटाखे जरूर फोड़े पर इतना ध्यान रहे कि दीपावली के पटाखे हिंदू फैक्ट्रियों में बने हो अन्यथा जिन फटाखे से आप मुस्लिमों के कान खाने वाले हो वही पटाखे उनके घर को आबाद करगे, एक अनुमान के अनुसार दीपावली के पटाखों के निर्माण में मुस्लिमों भागीदारी 70% है इस प्रकार हिंदुवो का 70% पैसा सिर्फ धमको में मुस्लिमों कि प्रगति कर रहा है और उनको आतंकियों के समर्थन में धन मुहैया करवा रहा है... 
 
 
दीपावली में पटाखे के समर्थन के संबध में कोई पौराणिक साक्ष्य नहीं मिलते है, कि पटाखे दीपावली का अनिवार्य तत्व है और इसके बिना दीपावली नहीं मनाई जा सकती है.. 
 
 
दीपावली दैवी साधना का दिन है और साधना शांति के बिना संभव नहीं है, पटाखों की धूम में शांति कैसे हो सकती है और बिना शांति के साधना भी असम्भव है... 
 
लक्ष्मी पूजा के संबध में मान्यता है कि लक्ष्मी जी की पूजा के समय घंटी बजाने का प्राविधान नहीं है क्योकि घंटी बजाने से जिस उल्लू की सावरी पर लक्ष्मी जी आती है वह घंटी की आवाज सुन कर घरों में नहीं आता है वह पटाखों के धमको कि आवाज सुन कर कैसे आ सकता है?
 
मैं पटाखा विरोधी नहीं हूँ किन्तु इस बात का जरूर विरोधी हूँ कि दीपावली का पटाखों से कोई पौराणिक वास्ता नहीं है, अगर दीपावली पटाखों का पर्व होता तो इसका नाम दीपावली नहीं पटाखावली होता..


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