मुंशी प्रेमचंद के जीवनोपयोगी अनमोल विचार व कथन



मुंशी प्रेमचंद के जीवनोपयोगी अनमोल विचार व कथन
Life-useful thoughts and statements of Munshi Premchand
प्रेमचंद जमीन से जुड़े हुए कथाकार और उपन्यासकार थे और उनका बचपन काफी संघर्षों भरा था, जो उनकी रचनाओं में भी दिखता है। उन्हें ग्राम्य जीवन की बहुत अनोखी परख थी। उनका सम्‍पूर्ण साहित्य दलित, दमित, स्त्री, किसान और समाज में हाशिये पर जी रहे लोगों की लड़ाई का साहित्य है, जिसमें समता, न्याय, चेतना और सामाजिक परिवर्तन की घोषणा है। आम जन की आसान और प्रचलित भाषा उनके लेखन की सबसे बड़ी खासियत थी, इसलिए तो इन्हें कलम का सिपाही भी कहा जाता है। प्रस्तुत हैं उनके साहित्य से लिये गये कुछ अनमोल विचार-

मुंशी प्रेमचंद के अनमोल विचार व कथन
मुंशी प्रेमचंद के अनमोल विचार व कथन
  • अगर मूर्ख, लोभ और मोह के पंजे में फंस जाएं तो वे क्षम्य हैं, परंतु विद्या और सभ्यता के उपासकों की स्वार्थांधता अत्यंत लज्जाजनक है।
  • अच्छे कामों की सिद्धि में बड़ी देर लगती है, पर बुरे कामों की सिद्धि में यह बात नहीं।
  • अज्ञान की भांति ज्ञान भी सरल, निष्कपट और सुनहले स्वप्न देखने वाला होता है। मानवता में उनका विश्वास इतना दृढ़,इतना सजीव होता है कि वह इसके विरुद्ध व्यवहार को अमानुषीय समझने लगता है। यह वह भूल जाता है की भेड़ियों ने भेडो को निरीहता का जवाब सदैव पंजों और दांतों से दिया है। वह अपना एक आदर्श संसार बनाकर आदर्श मानवता से अवसाद करता है और उसी में मग्न रहता है।
  • अज्ञान में सफाई है और हिम्मत है, उसके दिल और जुबान में पर्दा नहीं होता, ना कथनी और करनी में। क्या यह अफसोस की बात नहीं, ज्ञान अज्ञान के आगे सिर झुकाए?
  • अतीत चाहे जैसे भी हो उनकी स्मृतियाँ प्राय: सुखद होती हैं।
  • अधिकार में स्वयं एक आनंद है, जो उपयोगिता की परवाह नहीं करता।
  • अनाथ बच्चों का हृदय उस चित्र की भांति होता है जिस पर एक बहुत ही साधारण पर्दा पड़ा हुआ हो। पवन का साधारण झकोरा भी उसे हटा देता है।
  • अनाथों का क्रोध पटाखे की आवाज है, जिससे बच्चे डर जाते हैं और असर कुछ नहीं होता।
  • अनुराग, यौवन, रूप या धन से उत्पन्न नहीं होता। अनुराग, अनुराग से उत्पन्न होता है।
  • अन्याय को बढ़ाने वाले कम अन्यायी नहीं।
  • अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है।
  • अपनी भूल अपने ही हाथ सुधर जाए तो,यह उससे कहीं अच्छा है कि दूसरा उसे सुधारे।
  • अपनी भूल अपने ही हाथों से सुधर जाए, तो यह उससे कहीं अच्छा है कि कोई दूसरा उसे सुधारे।
  • अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित व्यवहारों का सुधारक होता है।
  • अपमान का भय कानून के भय से किसी तरह कम क्रियाशील नहीं होता।
  • आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपने घर की याद आती है।
  • आत्मसम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है।
  • आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन गुरूर है।
  • आलस्य वह राजयोग है जिसका रोगी कभी संभल नहीं पाता।
  • आलोचना और दूसरों की बुराइयां करने में बहुत फर्क है। आलोचना क़रीब लाती है और बुराई दूर करती है।
  • आशा उत्साह की जननी है। आशा में तेज है, बल है, जीवन है। आशा ही संसार की संचालक शक्ति है।
Munshi Premchand Quotes Thoughts In Hindi
Munshi Premchand Quotes Thoughts In Hindi
  • इंसान का कोई मूल्य नहीं, केवल दहेज का मूल्य है।
  • इंसान सब हैं पर इंसानियत विरलों में मिलती है।
  • इतना पुराना मित्रता रुपी वृक्ष सत्य का एक झोंका भी न सह सका। सचमुच वह बालू की ही जमीन पर खड़ा था।
  • उपहास और विरोध तो किसी भी सुधारक के लिए पुरस्कार जैसे हैं।
  • ऐश की भूख रोटियों से कभी नहीं मिटती। उसके लिए दुनिया के एक से एक उम्दा पदार्थ चाहिए।
Munshi Premchand Sayings - Anmol Vachan
Munshi Premchand Sayings - Anmol Vachan
  • कभी-कभी हमें उन लोगों से शिक्षा मिलती है, जिन्हें हम अभिमान वश अज्ञानी समझते हैं।
  • कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता, कर्तव्य पालन में ही चित्त की शांति है।
  • कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता। कर्तव्य~पालन में ही चित्त की शांति है।
  • कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है।
  • कायरता की तरह, बहादुरी भी संक्रामक है।
  • कायरता की भांति वीरता भी संक्रामक होती है।
  • कार्यकुशलता की व्यक्ति को हर जगह जरूरत पड़ती है।
  • किसी कश्ती पर अगर फर्ज का मल्लाह न हो तो फिर उसके लिए दरिया में डूब जाने के सिवाय और कोई चारा नहीं।
  • कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सद्व्यवहार से होती है, हेकड़ी और रुआब दिखाने से नहीं।
  • केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है।
  • कोई वाद जब विवाद का रूप धारण कर लेता है तो वह अपने लक्ष्य से दूर हो जाता है।
  • क्रांति बैठे-ठालों का खेल नहीं है। वह नई सभ्यता को जन्म देती है।
  • क्रोध और ग्लानि से सद्भावनाएं विकृत हो जाती हैं। जैसे कोई मैली वस्तु निर्मल वस्तु को दूषित कर देती है।
  • क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है।
  • क्रोध में व्यक्ति अपने मन की बात नहीं कहता, वह तो केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है।
प्रेमचंद की सूक्तियां
प्रेमचंद की सूक्तियां
  • ख़तरा हमारी छिपी हुई हिम्मतों की कुंजी है। खतरे में पड़कर हम भय की सीमाओं से आगे बढ़ जाते हैं।
  • खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है, जीवन नाम है, आगे बढ़ते रहने की लगन का।
  • ख्याति-प्रेम वह प्यास है जो कभी नहीं बुझती। वह अगस्त ऋषि की भांति सागर को पीकर भी शांत नहीं होती।
  • गरज वाले आदमी के साथ कठोरता करने में लाभ है लेकिन बेगरज वाले को दाव पर पाना जरा कठिन है।
  • गलती करना उतना ग़लत नहीं जितना उन्हें दोहराना है।
  • घर सेवा की सीढ़ी का पहला डंडा है। इसे छोड़कर तुम ऊपर नहीं जा सकते।
  • चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझकर पी न जाएं।
  • चिंता एक काली दीवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है, जिसमें से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती।
  • चिंता रोग का मूल है।
  • चोर केवल दंड से नहीं बचना चाहता, वह अपमान से भी बचना चाहता है। वह दंड से उतना नहीं डरता है, जितना कि अपमान से।
प्रेमचंद सुभाषित और सूक्तियां
Premchand Subhashits and Sayings

प्रेमचंद सुभाषित और सूक्तियां
  • जब दूसरों के पांवों तले अपनी गर्दन दबी हुई हो, तो उन पांवों को सहलाने में ही कुशल है।
  • जब हम अपनी भूल पर लज्जित होते हैं, तो यथार्थ बात अपने आप ही मुंह से निकल पड़ती है।
  • जवानी जोश है, बल है, साहस है, दया है, आत्मविश्वास है, गौरव है और वह सब कुछ है जो जीवन को पवित्र, उज्ज्वल और पूर्ण बना देता है।
  • जिस तरह सुखी लकड़ी जल्दी से जल उठती है, उसी तरह भूख से बावला मनुष्य जरा-जरा सी बात पर तिनक जाता है।
  • जिस प्रकार नेत्रहीन के लिए दर्पण बेकार है उसी प्रकार बुद्धिहीन के लिए विद्या बेकार है।
  • जिस बंदे को पेट भर रोटी नहीं मिलती, उसके लिए मर्यादा और इज्जत ढोंग है।
  • जिस साहित्य से हमारी सुरुचि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न मिले, हममें गति और शक्ति न पैदा हो, हमारा सौंदर्य प्रेम न जागृत हो, जो हममें संकल्प और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने की सच्ची दृढ़ता न उत्पन्न करें, वह हमारे लिए बेकार है वह साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं है।
  • जिसके पास जितनी ही बड़ी डिग्री है, उसका स्वार्थ भी उतना ही बड़ा हुआ है मानो लोभ और स्वार्थ ही विद्वता के लक्षण हैं।
  • जीवन एक दीर्घ पश्चाताप के सिवा और क्या है?
  • जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में है, उनका सुख लूटने में नहीं।
  • जीवन का सुख दूसरों को सुखी करने में है, उनको लूटने में नहीं।
  • जीवन की दुर्घटनाओं में अक्‍सर बड़े महत्‍व के नैतिक पहलू छिपे हुए होते हैं।
  • जीवन में सफल होने के लिए आपको शिक्षा की ज़रूरत है न की साक्षरता और डिग्री की।
  • जो प्रेम असहिष्णु हो, जो दूसरों के मनोभावों का तनिक भी विचार न करे, जो मिथ्या कलंक आरोपण करने में संकोच न करे, वह उन्माद है, प्रेम नहीं।
  • जो शिक्षा हमें निर्बलों को सताने के लिए तैयार करे, जो हमें धरती और धन का ग़ुलाम बनाए, जो हमें भोग-विलास में डुबाए, जो हमें दूसरों का ख़ून पीकर मोटा होने का इच्छुक बनाए, वह शिक्षा नहीं भ्रष्टता है।
प्रेमचंद कोट्स
प्रेमचंद कोट्स
  • डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है।
  • दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है।।
  • दुखियारों को हमदर्दी के आँसू भी कम प्यारे नहीं होते।
  • दुनिया में विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई भी विद्यालय आज तक नहीं खुला है।
  • देश का उद्धार विलासियों द्वारा नहीं हो सकता। उसके लिए सच्चा त्यागी होना आवश्यक है।
  • दोस्ती के लिए कोई अपना ईमान नहीं बेचता।
  • दौलत से आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्‍मान है।
  • द्वेष का मायाजाल बड़ी-बड़ी मछलियों को ही फसाता है। छोटी मछलियां या तो उसमें फंसती ही नहीं या तुरंत निकल जाती हैं। उनके लिए वह घातक जाल क्रीडा की वस्तु है, भय का नहीं।
  • धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें तो यह कोई महंगा सौदा नहीं।
  • धर्म सेवा का नाम है, लूट और कत्ल का नहीं।
मुंशी प्रेमचंद के अनमोल वचन
Priceless words of Munshi Premchandमुंशी प्रेमचंद के अनमोल वचन
  • नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है।
  • नाटक उस वक्त पसंद होता है, जब रसिक समाज उसे पसंद कर लेता है। बारात का नाटक उस वक्त पास होता है, जब राह चलते आदमी उसे पसंद कर लेते हैं।
  • नारी और सब कुछ बर्दाश्त कर लेगी, पर अपने मायके की बुराई कभी नहीं।
  • निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है।
  • नीति चतुर प्राणी अवसर के अनुकूल काम करता है, जहाँ दबना चाहिए वहां दब जाता है, जहाँ गरम होना चाहिए वहां गरम होता है, उसे मान अपमान का, हर्ष या दुःख नहीं होता उसकी दृष्टि निरंतर अपने लक्ष्य पर रहती है।
  • नीतिज्ञ के लिए अपना लक्ष्य ही सब कुछ है। आत्मा का उसके सामने कुछ मूल्य नहीं। गौरव सम्‍पन्‍न प्राणियों के लिए चरित्र बल ही सर्वप्रधान है।
  • नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत दो, यह तो पीर का मजार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए।
  • न्याय और नीति लक्ष्मी के खिलौने हैं, वह जैसे चाहती है नचाती है।
  • पंच के दिल में खुदा बसता है।
  • पहाड़ों की कंदराओं में बैठकर तप कर लेना सहज है, किन्तु परिवार में रहकर धीरज बनाये रखना सबके वश की बात नहीं।
  • प्रेम एक बीज है, जो एक बार जमकर फिर बड़ी मुश्किल से उखड़ता है।
  • बल की शिकायतें सब सुनते हैं, निर्बल की फरियाद कोई नहीं सुनता।
  • बल की शिकायतें सब सुनते हैं, निर्बल की फरियाद कोई नहीं सुनता।
  • बालकों पर प्रेम की भांति द्वेष का असर भी अधिक होता है।
  • बुढ़ापा तृष्णा रोग का अंतिम समय है, जब संपूर्ण इच्छाएं एक ही केंद्र पर आ लगती है।
  • बूढ़ों के लिए अतीत में सुखो और वर्तमान के दुःखों और भविष्य के सर्वनाश से ज्यादा मनोरंजक और कोई प्रसंग नहीं होता।
  • भरोसा प्यार करने के लिए पहला कदम है।
  • भाग्य पर वह भरोसा करता है जिसमें पौरुष नहीं होता।
मुंशी प्रेमचंद के प्रेरणादायक सुविचार
Munshi Premchand Thoughts and Quotes
मुंशी प्रेमचन्द्र के प्रेरणादायक सुविचार  Munshi Premchand Thoughts and Quotes
  • मन एक भीरु शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है।
  • मनुष्य का उद्धार पुत्र से नहीं, अपने कर्मों से होता है। यश और कीर्ति भी कर्मों से प्राप्त होती है। संतान वह सबसे कठिन परीक्षा है, जो ईश्वर ने मनुष्य को परखने के लिए दी है। बड़ी~बड़ी आत्माएं, जो सभी परीक्षाओं में सफल हो जाती हैं, यहाँ ठोकर खाकर गिर पड़ती है।
  • मनुष्य का मन और मस्तिष्क पर भय का जितना प्रभाव होता है, उतना और किसी शक्ति का नहीं। प्रेम, चिंता, हानि यह सब मन को अवश्य दुखित करते हैं, पर यह हवा के हल्के झोंके हैं और भय प्रचंड आधी है।
  • मनुष्य कितना ही हृदयहीन हो, उसके हृदय के किसी न किसी कोने में पराग की भांति रस छिपा रहता है। जिस तरह पत्थर में आग छिपी रहती है, उसी तरह मनुष्य के हृदय में भी चाहे वह कितना ही क्रूर क्यों न हो, उत्कृष्ट और कोमल भाव छिपे रहते हैं।
  • मनुष्य को देखो, उसकी आवश्यकता को देखो तथा अवसर को देखो उसके उपरांत जो उचित समझा, करो।
  • मनुष्य बराबर वालों की हंसी नहीं सह सकता, क्योंकि उनकी हंसी में ईर्ष्या, व्यंग्य और जलन होती है।
  • मनुष्य बिगड़ता है या तो परिस्थितियों से अथवा पूर्व संस्कारों से। परिस्थितियों से गिरने वाला मनुष्य उन परिस्थितियों का त्याग करने से ही बच सकता है।
  • महान व्यक्ति महत्वाकांक्षा के प्रेम से बहुत अधिक आकर्षित होते हैं।
  • महिला सहानुभूति से हार को भी जीत बना सकती है।
  • माँ के बलिदानों का ऋण कोई बेटा नहीं चुका सकता, चाहे वह भूमंडल का स्वामी ही क्यों न हो।
  • मासिक वेतन पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है।
  • मोहब्बत रूह की खुराक है। यह वह अमृत की बूंद है जो मरे हुए भावों को जिंदा कर देती है। मुहब्बत आत्मिक वरदान है। यह जिंदगी की सबसे पाक, सबसे ऊंची, सबसे मुबारक बरकत है।
  • मेरी ज़िन्दगी सादी व कठोर है।
  • मैं एक मजदूर हूँ, जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं।
  • मैं एक मजदूर हूँ। जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं।
प्रेमचंद कुछ विचार
Premchand some thoughts
''मुशी प्रेमचंद'' के 10 अनमोल विचार
  • यदि झूठ बोलने से किसी की जान बचती हो तो, झूठ पाप नहीं पुण्य है।
  • यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं।
  • युवावस्था आवेश मय होती है, वह क्रोध से आग हो जाती है तो करुणा से पानी भी।
  • लगन को काँटों की परवाह नहीं होती।
  • लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है। जिन्होंने धन और भोग विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया, वो क्या लिखेंगे?
  • लोक निंदा का भय इसलिए है कि वह हमें बुरे कामों से बचाती है। अगर वह कर्तव्य मार्ग में बाधक हो तो उससे डरना कायरता है।
  • वर्तमान ही सब कुछ है। भविष्य की चिंता हमें कायर बना देती है और भूत का भार हमारी कमर तोड़ देता है।
  • वही तलवार, जो केले को नहीं काट सकती। शान पर चढ़कर लोहे को काट देती है। मानव जीवन में आग बड़े महत्व की चीज है। जिसमें आग है वह बूढ़ा भी तो जवान है। जिसमे आग नहीं है, गैरत नहीं, वह भी मृतक है।
  • विचार और व्यवहार में सामंजस्य न होना ही धूर्तता है, मक्कारी है।
  • विजयी व्यक्ति स्वभाव से, बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।
  • विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नहीं खुला।
  • विलास सच्चे सुख की छाया मात्र है।
  • विषय-भोग से धन का ही सर्वनाश नहीं होता, इससे कहीं अधिक बुद्धि और बल का भी नाश होता है।
  • वीरात्माएं सत्कार्य में विरोध की परवाह नहीं करतीं और अंत में उस पर विजय ही पाती हैं।
  • व्यंग्य शाब्दिक कलह की चरम सीमा है उसका प्रतिकार मुंह से नहीं हाथ से होता है।
''मुंशी प्रेमचंद'' के 10 अनमोल विचार
10 priceless thoughts of "Munshi Premchand"मुंशी प्रेमचंद के जीवनोपयोगी अनमोल विचार व कथन
  • शत्रु का अंत शत्रु के जीवन के साथ ही हो जाता है।
  • संतान वह सबसे कठिन परीक्षा है जो ईश्वर ने मनुष्य को परखने के लिए गढ़ी है।
  • संसार के सारे नाते स्नेह के नाते हैं, जहां स्नेह नहीं वहां कुछ नहीं है।
  • संसार में गऊ बनने से काम नहीं चलता, जितना दबो, उतना ही दबाते हैं।
  • सफलता दोषों को मिटाने की विलक्षण शक्ति है।
  • सफलता में अनंत सजीवता होती है, विफलता में असह्य अशक्ति।
  • सफलता में दोषों को मिटाने की अनोखी शक्ति है।
  • सफलता में दोषों को मिटाने की विलक्षण शक्ति है।
  • समानता की बात तो बहुत से लोग करते हैं, लेकिन जब उसका अवसर आता है तो खामोश रह जाते हैं।
  • साक्षरता अच्छी चीज है और उससे जीवन की कुछ समस्याएं हल हो जाती है, लेकिन यह समझना कि किसान निरा मूर्ख है, उसके साथ अन्याय करना है।
  • सोई हुई आत्मा को जगाने के लिए भूलें एक प्रकार की दैविक यंत्रणाएं जो हमें सदा के लिए सतर्क कर देती हैं।
  • सौंदर्य को गहने की जरूरत नहीं है। मृदुता गहनों का वजन सहन नहीं कर सकता।
  • सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं।
  • स्त्री गालियां सह लेती है, मार भी सह लेती है, पर मायके की निंदा उससे नहीं सही जाती।
  • स्वार्थ में मनुष्य बावला हो जाता है।
  • हम जिनके लिए त्याग करते हैं, उनसे किसी बदले की आशा न रखकर भी उनके मन पर शासन करना चाहते हैं। चाहे वह शासन उन्हीं के हित के लिए हो। त्याग की मात्रा जितनी ज्यादा होती है, यह शासन भावना उतनी ही प्रबल होती है।
  • हिम्मत और हौसला मुश्किल को आसान कर सकते हैं, आंधी और तूफ़ान से बचा सकते हैं, मगर चेहरे को खिला सकना उनके सामर्थ्य से बाहर है।


Share:

कक्षा एक में प्रवेश के लिए इंटरव्यू में किया फेल, कोर्ट ने कहा, 'मनमानी नहीं चलेगी'



अलीगढ़ मुस्लिम विश्‍वविद्यालय मे हमेंशा से जो मुस्लिम शब्‍द है वह हावी रहा है। यह मुस्लिम शब्‍द कक्षा 1 के छात्र के साथ भी पक्षपात करने मे बाज नही आया और अनिवार्य शिक्षा के कानून के बाद भी इंटरव्‍यू के आधार पर प्रवेश से वंचित कर दिया जबकि छात्र ने अच्‍छे नम्‍बर से लिखित परीक्षा उत्तीण की थी। उच्‍च न्‍यायालय ने अपने आदेश मे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि साक्षात्कार लिखित परीक्षा के अंक से 15 फीसदी से नहीं होगा और साक्षात्कार में 33 फीसदी अंक देना अनिवार्य है। विश्वविद्यालय ने इस आदेश का खुला उल्लंघन किया है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय के रवैये पर आश्चर्य व्यक्त किया कि ऐसी मनमानी की अनुमति नहीं दी जा सकती। मा. उच्‍च न्‍यायालय मे इस विभेद को छात्र के अभिवावक ने चुनौती दी और हाई कोर्ट ने रिट याचिका को स्‍वीकार करते हुये इसे जनहित याचिका मे तब्‍दील कर दिया है।
हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से वित्तपोषित एबीके हाईस्कूल में कक्षा एक में प्रवेश परीक्षा में सफल छात्र को छह सदस्यों की टीम के समक्ष साक्षात्कार के बाद मनमाने ढंग से फेल करने के खिलाफ याचिका को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि एक छोटे बच्चे को कक्षा एक में प्रवेश देने के लिए शैक्षिक योग्यता की परीक्षा लेने व साक्षात्कार में 40 फीसदी अंक की अनिवार्यता सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के विपरीत है। कोर्ट ने यह भी कहा कि उसे ऐसे मामले की सुनवाई कर मनमानी पर अंकुश लगाने का क्षेत्रधिकार नहीं है, इसलिए कोर्ट स्वत: याचिका को जनहित याचिका में बदलते हुए जनहित याचिका की सुनवाई करने वाली पीठ के समक्ष दो हफ्ते में पेश करने का आदेश दे रही है। यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा ने छात्र प्रिंस के पिता विजय सिंह की याचिका पर दिया है।
याचिका पर अधिवक्ता बीएन सिंह व प्रमेंद्र प्रताप सिंह ने बहस की। याची का कहना है कि उसके पुत्र ने कक्षा एक में प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उसे छह अध्यापकों के पैनल के समक्ष साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। हर सदस्य ने एक सवाल पूछा। उसने सही जवाब दिया, किंतु जब परिणाम घोषित हुआ तो उसे फेल दिखाया गया। साक्षात्कार में केवल आठ अंक दिए गए। नियम यह है कि 100 अंक की लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थी को 25 अंक के साक्षात्कार का 40 फीसदी अंक पाना अनिवार्य है। मनमाने तौर पर कम अंक देकर फेल कर दिया गया। आरटीआइ में कारण पूछा गया तो कोई जवाब नहीं आया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि साक्षात्कार लिखित परीक्षा के अंक से 15 फीसदी से नहीं होगा और साक्षात्कार में 33 फीसदी अंक देना अनिवार्य है। विश्वविद्यालय ने इस आदेश का खुला उल्लंघन किया है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय के रवैये पर आश्चर्य व्यक्त किया कि ऐसी मनमानी की अनुमति नहीं दी जा सकती।


Share:

महात्मा गांधी के अनमोल वचन Mahatma Gandhi Anmol Vachan



महात्मा गांधी के अनमोल वचन
Best Mahatma Gandhi Quotes in Hindi
Best Mahatma Gandhi Quotes in Hindi
  1. अक्लमंद काम करने से पहले सोचता है और मूर्ख काम करने के बाद।
  2. अगर आप सच की ओर अल्पमत में भी हों, पर सच तो सच है।
  3. अगर कुछ कार्य करते हो तो उसे प्रेम से करो या फिर उसे कभी करो ही मत।
  4. अगर धैर्य लायक कुछ भी है, तो कोई भी आखिरी वक्त तक और अगर जिन्दा विश्वास एक काले घने तूफान में भी खड़े रहने की शक्ति रखता है।
  5. अगर मुझ में हास्य की भावना ना होती तो में कब का आत्महत्या कर चूका होता।
  6. अच्छा आदमी सभी जीवित चीजों का दोस्त है।
  7. अन्याय के अधीन होना कायरता है और उसका विरोध करना पुरुषार्थ है।
  8. अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के सामान है जो धरातल की सतह को चमकदार और साफ़ कर देती है।
  9. अपनी बुद्धिमानी को लेकर बेहद निश्चित होना बुद्धिमानी नहीं है। यह याद रखना चाहिए की ताकतवर भी कमजोर हो सकता है और बुद्धिमान से भी बुद्धिमान गलती कर सकता है।
  10. अपने आपको को जीवन में ढूँढना है तो लोगों की मदद में खो जाओ।
  11. अपने ज्ञान के प्रति जरूरत से अधिक यकीन करना मूर्खता है। यह याद दिलाना ठीक होगा कि सबसे मजबूत कमजोर हो सकता है और सबसे बुद्धिमान गलती कर सकता है।
  12. अपने प्रयोजन में दृढ़ विश्वास रखने वाला एक सूक्ष्म शरीर इतिहास के रुख को बदल सकता है।
  13. अपने से हो सके, वह काम दूसरे से न कराना।
  14. अहिंसा को दो प्रकार से विश्वास की जरूरत होती है, भगवन पर विश्वास और मनुष्य पर विश्वास।
  15. अहिंसा मानवता के लिए सबसे बड़ी ताकत है। यह आदमी द्वारा तैयार विनाश के ताकतवर हथियार से अधिक शक्तिशाली है।
  16. अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है।
  17. अहिंसात्मक युद्ध में अगर थोड़े भी मर मिटने वाले लड़ाके मिलेंगे तो वे करोड़ों की लाज रखेंगे और उनमें प्राण फूँकेंगे। अगर यह मेरा स्वप्न है, तो भी यह मेरे लिए मधुर है।
  18. आँख के बदले में आँख पूरे विश्व को अँधा बना देगी।
  19. आदमी अकसर वो बन जाता है जो वो होने में यकीन करता है। अगर मैं खुद से यह कहता रहूँ कि मैं फलां चीज नहीं कर सकता, तो यह संभव है कि मैं शायद सचमुच वो करने में असमर्थ हो जाऊं। इसके विपरीत, अगर मैं यह यकीन करूँ कि मैं ये कर सकता हूँ, तो मैं निश्चित रूप से उसे करने की क्षमता पा लूँगा, भले ही शुरू में मेरे पास वो क्षमता ना रही हो।
  20. आदमी की जरूरत के लिए नहीं बल्कि आदमी के लालच के लिए दुनिया में एक निर्भरता है।
  21. हमारे निजी राय हो सकते हैं परन्तु वह दो दिलों के बिच आने का विषय क्यों बनें।
  22. हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म के पूर्ण सामंजस्य का लक्ष्य रखें। हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने का लक्ष्य रखें और सब कुछ ठीक हो जायेगा।
  23. हर रात, जब मैं सोने जाता हूँ, मैं मर जाता हूँ। और अगली सुबह, जब मैं उठता हूँ, मेरा पुनर्जन्म होता है।
  24. हर व्यक्ति अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुन सकता है। वह सबके अन्दर है।
  25. हो सकता है आप कभी ना जान सकें कि आपके काम का क्या परिणाम हुआ, लेकिन यदि आप कुछ करेंगे नहीं तो कोई परिणाम नहीं होगा।
  26. हो सकता है हम ठोकर खाकर गिर पड़ें पर हम उठ सकते हैं, लड़ाई से भागने से तो इतना अच्छा ही है।
महात्मा गांधी के अनमोल विचार 
महात्मा गांधी के अनमोल विचार
  1. आप आज जो करते हैं उसपर भविष्य निर्भर करता है।
  2. आप उस समय तक यह नहीं समझ पाते कि आपके लिए कौन महत्त्वपूर्ण है जब तक आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देते।
  3. आप जो भी करते है आपको तुच्छ लग सकता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि आप कर सकते हैं।
  4. आप तब तक यह नहीं समझ पाते की आपके लिए कौन महत्त्वपूर्ण है जब तक आप उन्हें वास्तव में खो नहीं देते।
  5. आप नम्र तरीके से दुनिया को हिला सकते है।
  6. आप मानवता में विश्वास मत खोइए। मानवता सागर की तरह है, अगर सागर की कुछ बूँदें गन्दी हैं, तो सागर गन्दा नहीं हो जाता।
  7. आप मुझे जंजीरों में जकड़ सकते हैं, यातना दे सकते हैं, यहाँ तक की आप इस शरीर को नष्ट कर सकते हैं, लेकिन आप कभी मेरे विचारों को कैद नहीं कर सकते।
  8. आपकी आदतें आपके मूल्य बन जाते हैं, आपके मूल्य आपकी नियति बन जाती है।
  9. आपकी मान्यताएं आपके विचार बन जाते हैं,आपके विचार आपके शब्द बन जाते हैं, आपके शब्द आपके कार्य बन जाते हैं,आपके कार्य आपकी आदत बन जाते हैं,आपकी आदतें आपके मूल्य बन जाते हैं, आपके मूल्य आपकी नियति बन जाती है।
  10. आपके शब्द आपके कार्य बन जाते हैं, आपके कार्य आपकी आदत बन जाते हैं,
  11. आपको इंसानियत पर कभी भी भरोसा नहीं तोडना चाहिए क्योंकि इस दुनिया में इंसानियत एक ऐसा समुद्र है जहाँ अगर कुछ बूँदें गंदी हो भी जाए तो भी समुद्र गंदा।
  12. आपको ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं वो वास्तविक में हो।
  13. इंसान अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है वह जो सोचता है वही बन जाता है।
  14. इस दुनिया के सभी धर्म, वैसे तो अन्य बातों में सभी धर्म अलग-अलग हैं ! लेकिन अगर हम सोचें सच्चाई के सिवा इस दुनिया में कुछ नहीं है।
  15. ईमानदार असहमति अक्सर प्रगति का एक अच्छा संकेत है।
  16. ईश्वर का कोई धर्म नहीं है।
  17. एक अधिनियम के अनुसार एक भी दिल को खुशी देने के लिए प्रार्थना में झुकना एक हजार सिर से बेहतर है।
  18. एक आँख के बदले आँख ही पूरी दुनिया को अँधा बना कर समाप्त होता है।
  19. एक आदमी या औरत की लाचारी पर निर्भर करता है कि नैतिकता सिफारिश करने के लिए काफी नहीं है। नैतिकता हमारे दिल की शुद्धता में निहित है।
  20. एक कायर प्यार का प्रदर्शन करने में असमर्थ होता है, प्रेम बहादुरों का विशेषाधिकार है।
महात्मा गांधी के शैक्षिक विचार 
महात्मा गांधी के शैक्षिक विचार
  1. एक कृत्य द्वारा किसी एक दिल को ख़ुशी देना, प्रार्थना में झुके हज़ार सिरों से बेहतर है।
  2. एक देश की महानता और नैतिक प्रगति को इस बात से आँका जा सकता है कि वहां जानवरों से कैसे व्यवहार किया जाता है।
  3. एक देश की संस्कृति दिलों में और अपने लोगों की आत्मा में रहता है।
  4. एक धर्म जो व्यावहारिक मामलों के कोई दिलचस्पी नहीं लेता है और उन्हें हल करने में कोई मदद नहीं करता है वह कोई धर्म नहीं है।
  5. एक राष्ट्र की संस्कृति उमसे रहने वाले लोगों के दिलों में और आत्मा में रहती है।
  6. एक विनम्र तरीके से, आप दुनिया को हिला सकते हैं।
  7. ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।
  8. और जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने के लिए हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है वो खुद को गलत स्थिति में पहुंचा देता है।
  9. कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते। क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है।
  10. कर्म प्राथमिकताओं को व्यक्त करता है।
  11. काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है।
  12. काम के बिना धन, अंतरात्मा के बिना सुख, मानवता के बिना विज्ञान, चरित्र के बिना ज्ञान, सिद्धांत के बिना राजनीति, नैतिकता के बिना व्यापार, त्याग के बिना पूजा।
  13. कायरता से कहीं ज्यादा अच्छा है, लड़ते-लड़ते मर जाना।
  14. कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है इसके बारे में सोचो- हमेशा।
  15. किसी के सर की रक्षा के लिए, किसी के कमर पर लटकने से तो अच्छा है, टूटे हुए सर के साथ खड़े रहें।
  16. किसी घटना में किसी एक दिल को ख़ुशी देना, प्रार्थना में झुके हज़ार सिरों से बेहतर है।
  17. किसी चीज में यकीन करना और उसे ना जीना बेईमानी है।
  18. किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के ह्रदय और आत्मा में बसती है।
  19. किसी भी राष्ट्र की महानता उस राष्ट्र के पशुओं के प्रति प्रेम और व्यवहार से पता चलता है।
  20. किसी राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के दिलों और आत्माओं में बसती है।
गरीबी पर महात्मा गांधी के विचार
Mahatma Gandhi Quotes
  1. किसी व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं बल्कि उसके चरित्र से आंकी जाती है।
  2. कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के जीने वाले हो।
  3. कुछ करना है, प्यार से करें या तो ना करें
  4. कुछ करने में, या तो उसे प्रेम से करें या उसे कभी करें ही नहीं।
  5. कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं।
  6. कुरीति के अधीन होना कायरता है, उसका विरोध करना पुरुषार्थ है।
  7. केवल प्रसन्नता ही एकमात्र इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़के तो उसकी कुछ बूँदें अवश्य ही आप पर भी पड़ती है।
  8. कोई गलती तर्क – वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकता और न ही कोई सत्य इसलिए गलती नहीं बन सकता है क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा।
  9. कोई त्रुटि तर्क-वितर्क करने से सत्य नहीं बन सकती और ना ही कोई सत्य इसलिए त्रुटि नहीं बन सकता है क्योंकि कोई उसे देख नहीं रहा।
  10. कोई भी संस्कृति जीवित नहीं रह सकती यदि वह अपने को हम दबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते।
  11. क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है।
  12. खुद वो बदलाव बनिए जो दुनिया में आप देखना चाहते हैं।
  13. ख़ुशी तब मिलेगी जब आप जो सोचते हैं, जो कहते हैं और जो करते हैं, सामंजस्य में हों।
  14. गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानव रचित षड्यन्त्र है ।
  15. गरीबी हिंसा का सबसे बुरा रूप है।
  16. गर्व लक्ष्य को पाने के लिए किये गए प्रयत्न में निहित है, ना कि उसे पाने में।
  17. गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती है। वह तो केवल अपनी ख़ुशी बिखेरता है। उसकी खुशबु ही उसका संदेश है।
  18. गुस्सा और असहिष्णुता, अच्छी सोच के दुश्मन हैं।
  19. गुस्से को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है।
  20. चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए।
महात्मा गांधी सन्देश
Mahatma Gandhi Quotes
  1. चलिए सुबह का पहला काम ये करें कि इस दिन के लिए संकल्प करें कि- मैं दुनिया में किसी से डरूंगा नहीं। मैं केवल भगवान से डरूं। मैं किसी के प्रति बुरा भाव ना रखूं। मैं किसी के अन्याय के समक्ष झुकूं नहीं। मैं असत्य को सत्य से जीतुं और असत्य का विरोध करते हुए, मैं सभी कष्टों को सह सकूँ।
  2. चिंता से अधिक कुछ और शरीर को इतना बर्बाद नहीं करता, और वह जिसे ईश्वर में थोडा भी यकीन है उसे किसी भी चीज के बारे में चिंता करने पर शर्मिंदा होना चाहिए।
  3. जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।
  4. जब भी आपका सामना किसी विरोधी से हो तो उसे प्रेम से जीतें।
  5. जब भी आपका सामना किसी विरोधी से हो, उसे प्रेम से जीतें।
  6. जब में सूर्यास्त और चन्द्रमा के सौंदर्य की प्रसंशा करता हूँ, मेरी आत्मा इसके निर्माता के पूजा के लिए विस्तृत हो उठती है।
  7. जब मैं निराश होता हूँ, मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेशा विजय होती है। कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है। इसके बारे में सोचो हमेशा।
  8. जहां प्रेम है वहां जीवन है।
  9. जिंदगी ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो और ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।
  10. जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता | दुःख के बिना सुख नहीं होता।
  11. जिस दिन प्रेम की शक्ति, शक्ति के प्रति प्रेम पर हावी हो जायेगी, दुनिया में अमन आ जायेगा।
  12. जीवन की गति बढाने की अपेक्षा भी जीवन में बहुत कुछ है।
  13. जो काम खुद से हो जाये वह काम दूसरे से न कराये।
  14. जो भी चाहे अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुन सकता है, वह सबके भीतर है।
  15. जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है।
  16. जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है।
  17. डर का उपयोग होता है, लेकिन कायरता का कुछ नहीं है।
  18. तुम जो भी करोगे वो नगण्य होगा, लेकिन यह ज़रूरी है कि तुम वो करो।
  19. तुम मुझे चैन में बांधो, या मेरे साथ यंत्रणा या अत्याचार करो, या मेरे पूरे शरीर को नष्ट कर दो, परन्तु तुम मेरे मन को कैद नहीं कर सकते।
  20. थोडा सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है।
गांधी जी के दस अनमोल वचन 
Mahatma Gandhi Quotes
  1. दुनिया के सभी धर्म, भले ही और चीजों में अंतर रखते हों लेकिन सभी इस बात पर एकमत हैं कि दुनिया में सत्य जीवित रहता है।
  2. दुनिया में ऐसे लोग हैं जो इतने भूखे हैं कि भगवान उन्हें किसी और रूप में नहीं दिख सकता सिवाय रोटी के रूप में।
  3. धर्म दिल का विषय है। कोई शारीरिक असुविधा किसी के अपने धर्म का परित्याग आश्वासन नहीं देता।
  4. निजी जीवन की पवित्रता एक ध्वनि शिक्षा के निर्माण के लिए एक अनिवार्य शर्त है।
  5. निरंतर विकास जीवन का नियम है,
  6. निरंतर विकास जीवन का नियम है, और जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने के लिए हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है वो खुद को गलत स्थिति में पहुंचा देता है।
  7. नैतिकता युद्ध में वर्जित है।
  8. पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे।
  9. पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो।
  10. पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं।
40 महात्मा गाँधीजी के अनमोल विचार
40 महात्मा गाँधीजी के अनमोल विचार
  1. पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है, किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी।
  2. पूर्ण धारणा के साथ बोला गया “नही” सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए “हाँ” से बेहतर है।
  3. पृथ्वी सभी मनुष्यों की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन लालच पूरी करने के लिए नहीं।
  4. पैसा अपने-आप में बुरा नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है। किसी ना किसी रूप में पैसे की जरूरत हमेशा रहेगी।
  5. प्रक्रिया प्राथमिकता व्यक्त करती है।
  6. प्रार्थना पूछना नहीं है, यह तो आत्मा की लालसा है, यह दुर्बलता का दैनिक स्वीकारोक्ति है। प्रार्थना के समय दिल लगाना बिना वचन के वचन के साथ दिल ना होने से तो बेहतर है।
  7. प्रार्थना या भजन जीभ से नहीं ह्रदय से होता है। इसी से गूंगे, तोतले और मूढ भी प्रार्थना कर सकते है।
  8. प्रार्थना सुबह की कुंजी है और शाम का सोंदर्य।
  9. प्रेम की शक्ति दण्ड की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है।
  10. प्रेम दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति है और फिर भी हम जिसकी कल्पना कर सकते हैं उसमें सबसे नम्र है।
  11. बिना जिज्ञासा के ज्ञान नहीं मिलता और दुःख के बिना सुख नहीं होता।
  12. भगवान कभी कभी सम्पूर्ण रूप से मदद नहीं करते जिन्हें वे आशीर्वाद देने की छह रखते हैं।
  13. भगवान का कोई धर्म नहीं है।
  14. भविष्य में क्या होगा, मै यह नहीं सोचना चाहता। मुझे वर्तमान की चिंता है। ईश्वर ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।
  15. भूल करने में पाप तो है ही, परन्तु उसे छुपाने में उससे भी बड़ा पाप है।
  16. मनुष्य अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है।
  17. मनुष्य की प्रकृति हमेशा बुरी नहीं होती। बुरा स्वभाव उत्पन्न होता है प्यार की कमी से। अपने मानव स्वभाव को कभी निराश नहीं करना चाहिए।
  18. महिला का वास्तविक आभूषण उसका चरित्र, उसका पवित्रता है।
  19. मृत, अनाथ, और बेघर को इससे क्या फर्क पड़ता है कि यह तबाही सर्वाधिकार या फिर स्वतंत्रता या लोकतंत्र के पवित्र नाम पर लायी जाती है?
  20. में सिर्फ लोगों के अच्छे गुणों को देखता हूँ , ना की उनकी गलतियों को गिनता हूँ।
  21. में हिंसा का विरोध करता हूँ क्योंकि जब ऐसा दिखता है वह अच्छा कर रहा है तब वह अच्छाई अस्थाई होती है, और जो बुराई करती है वह स्थाई होती है।
  22. मेरा जीवन मेरा सन्देश है।
  23. मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है सत्य मेरा भगवान है अहिंसा उसे पाने का साधन।
  24. मेरी अनुमति के बिना कोई भी मुझे ठेस नहीं पहुंचा सकता।
  25. मै हिंदी के जरिये प्रांतीय भाषाओं को दबाना नहीं चाहता, किन्तु उनके साथ हिंदी को भी मिला देना चाहता हूं।
  26. मैं किसी को भी गंदे पाँव के साथ अपने मन से नहीं गुजरने दूंगा।
  27. मैं किसी भी व्यक्ति को गंदे पाँव के साथ अपने मन से नहीं गुजरने दूंगा।
  28. मैं तुम्हें शांति का प्रस्ताव देता हूँ। मैं तुम्हें प्रेम का प्रस्ताव देता हूँ। मैं तुम्हारी सुन्दरता देखता हूँ। मैं तुम्हारी आवश्यकता सुनता हूँ। मैं तुम्हारी भावना महसूस करता हूँ।
  29. मैं पश्चिमी सभ्यता के बारे में क्या सोचता हूँ ? मैं सोचता हूँ यह बहुत ही अच्छा विचार है।
  30. मैं मरने के लिए तैयार हूं, लेकिन यहाँ कोई कारण नहीं है जिसके लिए मैं मरने के लिए तैयार हूँ।
  31. मैं सभी की समानता में विश्वास रखता हूँ, सिवाय पत्रकारों और फोटोग्राफरों की।
  32. मैं सभी की समानता में विश्वास रखता हूँ, सिवाय पत्रकारों और फोटोग्राफरों की।
  33. मैं सभी की समानता में विश्वास रखता हूँ, सिवाय पत्रकारों और फोटोग्राफरों के।
  34. मैं हिंसा का विरोध करता हूँ क्योंकि जब ऐसा लगता है कि वो अच्छा कर रही है तब वो अच्छाई अस्थायी होती है, और वो जो बुराई करती है वो स्थायी होती है।
  35. मौन सबसे शाशक्त भाषण है। धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी।
  36. यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है।
  37. यद्यपि आप अल्पमत में हों, पर सच तो सच है।
  38. यह धरती सभी मनुष्यों की ज़रुरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है लेकिन लालच पूरा करने के लिए नहीं।
  39. यह स्वास्थ्य ही है जो हमारा सही धन है, सोने और चांदी का मूल्य इसके सामने कुछ नहीं।
  40. राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।
महात्‍मा गांधी जी के 10 अनमोल विचार
महात्‍मा गांधी जी के 10 अनमोल विचार
  1. लक्ष्य को पाने के लिए किये गए प्रयत्न में गर्व निहित होता है, न कि उसे पाने में।
  2. लम्बे-लम्बे भाषणों से कही अधिक मूल्यवान है इंच भर कदम बढ़ाना।
  3. लेकिन सभी इस बात पर एकमत हैं कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य जीवित रहता है।
  4. वहाँ न्याय के न्यायालयों की तुलना में एक उच्च न्यायालय है और जो कि अंतरात्मा की अदालत है। यह अन्य सभी अदालतों को प्रति स्थापित करता है।
  5. वास्तविक सौन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है।
  6. विभाजन बुरा है। लेकिन जो कुछ अतीत है अतीत है। हम भविष्य की ओर देखने के लिए ही मजबूर है।
  7. विश्व इतिहास में आजादी के लिए लोकतान्त्रिक संघर्ष हमसे ज्यादा वास्तविक किसी का नहीं रहा है। मैंने जिस लोकतंत्र की कल्पना की है, उसकी स्थापना अहिंसा से होगी। उसमें सभी को समान स्वतंत्रता मिलेगी। हर व्यक्ति खुद का मालिक होगा।
  8. विश्व के सभी धर्म, भले ही और चीजों में अंतर रखते हों, लेकिन सभी इस बात पर एकमत हैं कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य जीवित रहता है।
  9. विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है।
  10. विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए। जब विश्वास अँधा हो जाता है तो मर जाता है।
महात्मा गांधी जी के 25 अनमोल विचार
महात्मा गांधी जी के 25 अनमोल विचार
  1. विश्वास कोई बटोरने की चीज नहीं है, यह तो विकसित करने की चीज है।
  2. व्यक्ति अक्सर वो बन जाता है जो वो होने में यकीन करता है। अगर मैं खुद से यह कहता रहूँ कि मैं यह चीज नहीं कर सकता तो यह संभव है कि मैं शायद सचमुच वह करने में असमर्थ हो जाऊं।
  3. व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है।
  4. व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं अपितु उसके चरित्र से आंकी जाती है।
  5. शक्ति दो प्रकार के होते हैं ! एक उत्तपन होता है दंड के डर से और एक प्यार से। प्यार की शक्ति हमेशा हज़ार गुना ज्यादा प्रभावी होता है।
  6. शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती है। एक अदम्य इच्छा शक्ति से आता है।
  7. शांति का कोई रास्ता नहीं है, केवल शांति है।
  8. शारीरिक उपवास के साथ-साथ मन का उपवास न हो तो वह दम्भ पूर्ण और हानिकारक हो सकता है।
  9. श्रद्धा का अर्थ है आत्मविश्वास और आत्मविश्वास का अर्थ है ईश्वर में विश्वास।
  10. संतोष प्रयास में निहित है, ना ही प्राप्ति में, पूरा प्रयास ही पूर्ण विजय है।
  11. सत्य एक विशाल वृक्ष है, उसकी ज्यों-ज्यों सेवा की जाती है, त्यों-त्यों उसमे अनेक फल आते हुए नजर आते है, उनका अंत ही नहीं होता।
  12. सत्य एक है, मार्ग कई।
  13. सत्य कभी कभी ऐसे कारण को क्षति नहीं पहुंचता जो उचित हो।
  14. सत्य कभी भी क्षति नहीं करता ! सिर्फ यही एक कारण है।
  15. सत्य बिना जन समर्थन के भी खड़ा रहता है, वह आत्मनिर्भर है।
  16. सभी धर्मों का सार एक है। केवल उनके दृष्टिकोण अलग हैं।
  17. समाज में से धर्म को निकाल फेंकने का प्रयत्न बांझ के पुत्र करने जितना ही निष्फल है और अगर कहीं सफल हो जाय तो समाज का उसमें नाश होता है।
  18. सात घनघोर पाप: काम के बिना धन, अंतरात्मा के बिना सुख, मानवता के बिना विज्ञान, चरित्र के बिना ज्ञान, सिद्धांत के बिना राजनीति, नैतिकता के बिना व्यापार, त्याग के बिना पूजा।
  19. सिर्फ प्रसन्नता ही एकमात्र ऐसा इत्र है, जिसे आप दूसरों पर छिड़के तो उसकी कुछ बूँदें अवश्य ही आप पर भी पड़ती है।
  20. सुख बाहर से मिलने की चीज नहीं, मगर अहंकार छोड़े बगैर इसकी प्राप्ति भी होने वाली नहीं।
  21. स्वयं को जानने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है स्वयं को औरों की सेवा में डुबो देना।
  22. स्वस्थ असंतोष प्रगति के लिए प्रस्तावना है।
  23. हंसी मन की गांठो को बड़ी आसानी से खोल देती है।
  24. हम जिसकी पूजा करते है उसी के समान हो जाते है।
  25. हम जो दुनिया के जंगलों के साथ कर रहे हैं वो कुछ और नहीं बस उस चीज का प्रतिबिम्ब है जो हम अपने साथ और एक दूसरे के साथ कर रहे हैं।
महात्मा गाँधी चित्र संग्रह
Mahatma Gandhi Photos Collection

















    Share: