आओं खेले प्रश्‍न पहली, मे मेरे उत्‍तर और प्रश्‍न



समीर लाल जी और श्रीश जी ने मुझे यह प्रश्न पत्र दिया था जो मैने हल कर दिया है, तथा नियमानुसार एक प्रश्‍नपत्र तैयार भी कर दिया है। जिनसे मै मिलना चाहता हूँ वे इन प्रश्‍नों के उत्‍तर देने के पात्र है। काफी कुछ समझ बूझ कर लिखा है, किसी को कुछ खराब लगें तो वे अन्यथा न लें।

प्रश्‍नपत्र समीर लाल जी
  1. आपके लिये चिट्ठाकारी के क्या मायने हैं?
    चिट्ठाकारी लेखक या कवि या जो कुछ भी जो अपने आपको जो कुछ समझे, अपनी अभिव्यक्ति का उद्धार करने का माध्यम है। अपनी आवाज को एक मंच प्रदान करने का स्थान है। अपनी कविता के लिये कवि सम्मेलन है। तथा अपने चित्रो के लिये स्वयं आयोजित चित्र प्रदर्शनी है।
  2. क्या चिट्ठाकारी ने आपके जीवन/व्यक्तित्व को प्रभावित किया है?
    जी हां बहुत ज्यादा, सकारात्मक रूप मे भी और नकारात्मक जरूरत से कुछ ज्यादा। मै अगर अपने सकारात्मक पहलू की ओर देखता हूँ तो पाता हूँ कि मैने एक नया परिवार पा लिया है, हर दिन कोई न कोई नया सदस्य जुड़ता है। मुझे एक नई पहचान मिली- महाशक्ति के रूप मे। मेरे सोचने और समझने का दायरा भी बढ़ा। दुनिया के नये रूप से भी परिचय हुआ, तथा मुझसे बड़ों का प्यार तथा समकक्ष के साथियों से सहयोग। ये तो मेरा सकारात्मक पहलू है। अब मै नकारात्मक पहलू पर आता हूँ जिसका जिक्र मैंने पिछली एक पोस्ट मे किया था। और भी बहुत है, क्योंकि बुराई कितनी भी गिनाई जाये उनकी गिनती कभी कम नहीं होती।
  3. आप किन विषयों पर लिखना पसन्द/झिझकते है?
    मै प्रेम, प्यार, इश्क, मोहब्बत, सेक्‍स, पर लिखना कभी नहीं पसंद करता हूँ, हाँ झूठ नहीं बोलूंगा मैंने आपने एक लेख मे सेक्‍स पर चर्चा की थी, जो मेरे हिसाब से सही भी थी, पर मै अब मै इस पर कोई लेख नहीं लिखूँगा जब तक की मेरे स्‍वाभीमान को जगाया जाए और कविताओं मे मै प्रेम, प्यार, इश्क और मोहब्बत आदि श्रृंगार विषयक कविताओं का प्रश्न है मैंने उसे हमेशा परहेज किया है चूंकि मेरा स्वभावत पाठन मे कभी भी श्रृंगार काव्य पसंद नही रहा है और यही कारण है कि मुझे इन कविताओं को लिखने के लिये शब्द व भाव नही मिलते है। जहाँ तक इन विषयों पर मेरी कविताओं का प्रश्न है। तो मैने हिन्‍द युग्‍म के कुछ कवियों से प्रेरित होकर एक दो कविताओं को लिखने का प्रयास जरूर किया। किन्तु जिस बात से हमेशा डरता था इस प्रकार की कविताओं को लिखने में लेखनी मे धार की कमी। अन्‍तत: मेरे एक बहुत ही अच्‍छे मित्र ने मेरी एक इस प्रकार की कविताओं मे कमी बताई, अत: मैने यही निर्णय लिया कि अब इस प्रकार की कविता नही लिखूँगा। मैने उनसे कहा कि आपको उत्‍तर दूँगा पर दिया नही क्‍योकि मेरी खमोशी ही मेरा उत्‍तर थी। वे भी अन्‍यथा नही लेगें। वह लेख यहाँ है तथा कविता यहॉं और यहॉं है।मैने एक दो बार इन विषयों पर जरूर लिखा शायद इस लिये की मुझे इस बात का अफशोस नही की मैने कभी इन विषयों पर नही लिखा। मै अपने परिवारिक कारणों से भी इन विषयों पर लिखना नही पंसद करता हूँ, आप इसे मेरी कमजोरी मान सकते है पर मेरे लिये यह मेरे परिवार के प्रति सर्मपण, शलीनता व मजबूती मानता हूँ।
  4. यदि आप किसी साथी चिट्ठाकार से प्रत्यक्ष में मिलना चाहते हैं तो वो कौन है?किसी से मिलना चाहता हूँ तो मै सर्वप्रथम अपने आलोचकों से मिलना पसंद करूँगा, क्योंकि जो मुझे पसंद करते है, मै चाहे अच्छा करूँ या बुरा सदा मेरी ही प्रशंसा करेंगे और जो आलोचक होते है, वे सदा आईने की भांति सच्‍चा चेहरा दिखाते है।
    आलोचकों के अलावा मै जिनसे मिलना पसंद करूँगा, और क्‍यों
    1. सागर चन्द्र नाहर**** मेरे सबसे बड़े प्रशंसक तथा आलोचक।
    2. उडन तस्‍तरी***** इसलिये हंसमुख लगते है, और भी बहुत कुछ बता दूंगा तो वे अन्यथा तो नहीं लेंगे पर ले लिये तो इसकी कोई गारंटी नही है।
    3. अनूप शुक्ल **** उनकी छोटों के प्रति सहयोग की भावना से प्रेरित होकर, सही का समर्थन करते है, और भी बहुत कुछ कारण है।
    4. जितेन्‍द्र चौधरी **** मेरी तकरार पहले कभी हुई थी(अब वह प्यार मे बदल गया है) कि जितने वाणी से कठोर है क्या उतने दिल से भी। जहां तक मेरा मानना है कि वाणी की कठोरता वाले दिल से काफी नम्र होते है। ये वे ऐसे दूसरे ऐसे व्यक्ति है जिनसे मैंने गूगल वार्ता किया था। और आज तक भी मै समय मिलने पर जीतेन्द्र जी मेरे बीच हुई पहली वार्ता को को सैकडों बार पढ़ चुका हूँ। और जब भी पढ़ता हूँ तो काफी मजा आता है और आपनी कुछ बातों पर खेद भी होता है।
    5. प्रतीक पाडेंय **** ऐसे व्यक्ति जो मुझे सदा सहयोग दिया।
    6. बेगाणी बन्धु, नीरज दीवान, शुऐब भाई आशीष जी कुवारे मंच के, ईस्‍वामी, श्रीश जी, डा0 प्रभात टंडन जी
    7. अनुराग जी जो अक्सर मेरे अदिति फोटो ब्लॉग पर टिप्पणी करते है।
    8. रामचन्द्र मिश्र **** इस लिये कि मेरे और इनके घर की दूरी ½ किमी भी नही होगी।
    9. अफलातू जी **** शायद कभी इनके अनुभवों से कुछ अच्‍छा सीखने के मिले।
    10. और हर किसी से से जो मुझसे मिलना चाहे या जिससे मुझे मिलने की इच्छा हो। 

  5. आपकी पसँद की कोई दो पुस्तकें जो आप बार बार पढते हैं.
    अपनी अर्थशास्‍त्र पाठ्य पुस्‍तकें जो मुझे समझ मे नही आती है। सामान्‍य ज्ञान की कोई भी पुस्‍तकें
प्रश्‍नपत्र श्रीश जी,
  1. कम्प्यूटर पर हिन्दी टाइपिंग के बारे में सबसे पहले आपने कब सुना और कैसे, अपने कम्प्यूटर में हिन्दी में सबसे पहले किस सॉफ्टवेयर में/द्वारा टाइप किया और कब, आपको उसके बारे में पता कैसे चला ?
    मैने सर्व प्रथम हिन्‍दी यूनिकोड टाइपिंग के बारे मे आपे बड़े भैया मानवेन्द्र प्रताप सिंह से सुना था और लगभग आज से 4-5 साल पहले। उन्होंने ही मुझे Microsoft Word पर ही किया था। फिर इंडिक आईएमई मिल गया। कैसे मिला ? इसकी जानकारी मुझे नहीं है।
  2. आपका हिन्दी चिट्ठाजगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में कैसे पता लगा, पहला हिन्दी चिट्ठा/पोस्ट कौन सा पढ़ा/पढ़ी ? अपना चिट्ठा शुरू करने की कैसे सूझी ?
    अनजाने मे, मुझे पता नही है, याद नही है, ठीक तरह से याद नहीं है शायद यह कि मै भी अपनी साइट बना सकता हूँ।
  3. चिट्ठा लिखना सिर्फ छपास पीड़ा शांत करना है क्या ? आप अपने सुख के लिये लिखते हैं कि दूसरों के (दुख के लिये ;-) क्या इससे आप के व्यक्तित्व में कोई परिवर्तन या निखार आया ? टिप्पणी का आपके जीवन में क्या और कितना महत्व है ?
    मेरे लियें ऐसा कुछ नही है, बस लोग मेरे विचारों से सहमत या असहमत हो शुरुआती दिनों मे ब्लॉग लेखन मेरे लिये नशे के समान था जो अब धीरे धीरे उतर कर समाप्ति की ओर अग्रसर है। टिप्पणी के लिये मेरा यही मानना है कि मिले तो ठीक है न मिले तो भी ठीक है। टिप्‍पणी करने वाले केवल यही कहते है कि अच्छा लिखा है। और अगर नही आती है तो मै मान लेता हूँ कि मैंने अच्छा ही लिखा है, शायद इसी लिये टिप्पणी कर्ताओं कों लेख या कविता में टीका टिप्पणी के लिये कुछ मिला ही न हो। और इस प्रश्‍न का उत्‍तर काफी हद तक प्रश्‍न क्रमांक दो में दिया गया है।
  4. अपने जीवन की कोई उल्लेखनीय, खुशनुमा या धमाकेदार घटनाएं बताएं, यदि न सूझे तो बचपन की कोई खास बात जो याद हो बता दें।
    मै यहाँ केवल अपने ब्लॉग जीवन के बातों का ही जिक्र करूँगा। वह है मेरी और जीतू जी के बीच वाद विवाद, जिसका मैंने काफी मजे से इनज्वाय किया। आपको विभिन्न जगहों पर ये कहानी पढ़ने को मिल जायेगी, बस आपको जाना होगा गूगल की शरण मे।
  5. यदि भगवान आपको भारतवर्ष की एक बात बदल देने का वरदान दें, तो आप क्या बदलना चाहेंगे/चाहेंगी?
    राजनीति में परिवारवाद का अंत उसमें से भी सबसे पहले गांधी परिवार का
मेरे प्रश्न
  • आपके चिट्ठा लेखन के प्रति आपके घर के लोगों का रुख कैसा है? 20 अंक
  • क्‍या आपकी कभी नेट पर किसी प्रकार का विवाद हुआ है? उस पर आपका कैसा दृष्टिकोण था? 10+10 अंक
  • क्‍या आप लेख या कविताओं को पूरी तरह पढ़कर टिप्पणी करते है? 20 अंक
  • आपने किस चिठ्ठाकार से सर्वप्रथम वार्ता(chat) की थी? क्‍या अनुभव था? बात की शुरुवात कैसे हुई? संपर्क आपने किया था कि सामने वाले ने सज्जन ने (केवल चिट्ठाकारों से हुई वार्ता का उल्लेख करें, अन्‍य लोगों का जिक्र होने पर अंक काट लिये जायेगें) 5+5+5+5 अंक
  • वे कौन से गीत जो आप गाहे बगाहे गुनगुना ही देते है किन्ही 5 को लिखे। 4+4+4+4+4 अंक
उपरोक्‍त जिनसे मै मिलना चाहता हूँ तथा जो अन्‍य बन्धु भी इच्छुक हो,(कोई अन्यथा न ले कि मैंने उसका नाम नहीं लिया है, मैने उन्ही का नाम लिया है जिनसे कभी न कभी मेरा सम्‍पर्क हुआ है) वे इन प्रश्नों के परीक्षार्थी होने के पात्र है। अगर पूर्व में इसके समकक्ष किसी परीक्षा में सम्मिलित हो चुके है तो उनके लिये छूट का प्रावधान है। और जिन्‍होने परीक्षा नहीं दिया है उनके लिये कोई बहाना और कोई छूट नहीं चलेगी।


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13 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

aap ke bare me padh ka achchha laga.

Manjula Pathak Allahabad

Rajeev (राजीव) ने कहा…

और अगर नही आती है तो मै मान लेता हूँ कि मैने अच्‍छा ही लिखा है, शायद इसी लिये टिप्‍पणी कर्त्‍ताओं कों लेख या कविता मे टीका टीप्‍पणी के लिये कुछ मिला ही न हो।...


यह बात बहुत खूब रही! चिट्ठाकार और पाठक - दोनों ही प्रसन्न!...

Divine India ने कहा…

बहुत बार आया और देखा भी आपका प्रयास मगर
प्रश्नोतरी में मुझे ईमानदरी की कमी नजर आयी…
ऐसी बाते जो न चाह्ते श्रृंगार को अंधेरे में चाह रहा है…।इन प्रश्नों का महत्व इसमें नहीं है कि आप कितने संस्कारवान हैं वरण इसका मूल्य आपकें वास्तविक उद्गार को व्यक्त करने का है…।धन्यवाद!!

Pramendra Pratap Singh ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Pramendra Pratap Singh ने कहा…

manula जी धन्‍यवाद

राजीव जी, उत्‍साह वर्धन के लिये धन्‍यवाद


Divine India जी, मै किसी को दिखाने के लिये चरित्रवान होने का प्रदर्शन नही कर रहा हूँ, जिस काम को करने मे आपका मन प्रसन्‍न हो वही कार्य करना अच्‍छा होता है। किसी के कहने से मै संस्‍कारवान नही हो जाता हूँ, जो मै हूँ वही सत्‍य है।
मैने पूर्ण रूप से सत्‍य बाते कही है। बाकी जो जिस प्राकर इसे ले।
आपको भी आपकी आलोचनात्‍मक टिप्‍पणी के लिये धन्‍यवाद

अनूप शुक्ल ने कहा…

प्रेमेन्द्र, ये सवाल-जवाब पढ़ना अच्छा अनुभव रहा। इमानदारी से लिखा। खूब पढ़ो और खूब लिखो। धीरे-धीरे लिखने में और निखार आयेगा!

Udan Tashtari ने कहा…

सही दिशा में जा रहे हो, बस संयम बनाये रहो और ज्यादा पढ़ो भले ही कम लिखो. तुम्हारे लेखन में शक्ति है..अनुभव की आग पर चढ़ाओ, बहुत स्वादु होगी. बधाई सटीक जवाबों के लिये. :)

संजय बेंगाणी ने कहा…

अच्छा लगा आपके जवाब पढ़ कर.

आग है तो उसमें न जलो, न जलाओ. उसे अपनी उर्जा बनाओ. शुभकामनाएं.

मसिजीवी ने कहा…

narad se 305 hit, bhaiya mahashakti sach sach batlana maamla kya hai. koi bug hai ki cakai sab ki chhutti kardi hai

Sagar Chand Nahar ने कहा…

बहुत अच्छे, हमसे मिलना चाहते हो जब चाहे आ जाओ हैदराबाद। हम इन्तजार कर रहे हैं तुम्हारा :)
सुन्दर पस्तुति।

ePandit ने कहा…

"अपनी कविता के लिये कवि सम्‍मेलन है। तथा अपने चित्रो के लिये स्‍वंय अयोजित चित्र प्रदर्श‍नी है।"

वाह बहुत अच्छी लगीं ये पंक्तियाँ।

"मै प्रेम, प्‍यार, इश्‍क, मोहब्‍बत, सेक्‍स, पर लिखना कभी नही पंसद करता हूँ।"

सेक्स पर न लिखना तो ठीक है पर बाकी चीजों पर लिखने से क्यूं नफरत है।

वाह प्रमेन्द्र भाई जवाब भी खूब दिए और नई अंक प्रणाली भी शुरु कर दी। बहुत खूब !

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

अनूप शुक्ला जी,
धन्‍यवाद, बस आपका स्‍नेह और अर्शीवाद मिलता रहे, इतनी की कामना है।

उडन तश्तरी जी
आपका भी कहना ठीक है। आपको भी धन्‍यवाद

संजय बेंगाणी जी
धन्‍यवाद, अच्‍छी सीख देने के लिये।

masijeeviजी
मेरे काऊटर मे तो केवल 90 ही आये है।

सागर चन्द नाहर भाई
ईश्‍वर चाहेगा तो हम जल्‍द ही मिलेगें।

Shrish भाई,
मैने कभी भी लिखने को मना नही किया है, मै इन पर भी लिखूँगा इस पर मैने कुछ कहा है कि कब लिखूँगा। पर इन विषयों से थोड़ा परहेज करूँगा।

आप सभी को पुन: धन्‍यवाद

अफ़लातून ने कहा…

प्रमेन्द्र , मैं क्षमा प्रार्थी हूँ कि तुमने मेरी 'उत्तर पुस्तिका' पर टोका तब मैं यहाँ पहुँचा।लेकिन तुम्हारे पर्चे में जो सवाल अलग हैं ,उनके जवाब भी शामिल करने का प्रयास करूँगा।