एक बार की बात है ब्रह्मा जी मनुष्यों की हरकातों से काफी परेशान थे और एक दिन उन्होनें अपनी इस समस्या के निराकरण के लियें देवाताओं की एक बैठक बुलाई और अपनी समस्या रखते हुऐ कहा कि मै मनुष्यों की रचना कर के मुसीबत मे पड़ गया हूँ। यह जाति हर समय शिकायत करती रहती है। मै न तो चैंन से सो सकता हूँ न कि चैन से किसी स्थान पर रह सकता हूँ। इसलिये मै किसी ऐसे गुप्त स्थान पर जाना चाहता हूँ जहाँ मनुष्यों की पहुँच न हो।
ब्रह्मदेव की भावनाओं का समादर करते हुऐ एक देव ने निवेदन किया कि आप हिमालय पर गौरीशंकर की चोटी पर चले जायें। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि वहाँ भी मुझे चैन नही मिलेगा उस स्थान पर भी तेन सिंह नोर्क और एडमंड हिलेरी आदि पहुँच चुके है।किसी अन्य देवता ने सलाह दिया कि आप प्रशान्त महासागर मे चले जाइये तो किसी ने कहा कि चन्द्रमा पर तो ब्रह्मदेव ने कहा कि वैज्ञानिक वहाँ भी पहुँच गये है। फिर किसी ने कहा कि अन्तरिक्ष मे चले जाये तो फिर ब्रह्मदेव बोले अगले 6 माह तक सुनीता वहॉं निवास करेंगी।तभी देवताओं कि पक्तिं मे सबसे बुर्जुग आदमी ने कहा कि आप मनुष्य के हृदय मे बैठ जाइये।
ब्रह्मा जी को अनुभवी की बात जंच गई और सलाह मान लिया उस दिन से मनुष्य शिकायत के लिये ब्रह्म देव को यहॉं वहॉं सब जगह खोजता फिर रहा है किन्तु ब्रह्म देव नही मिल रहे है क्योकि व्यक्ति अपने अन्दर ब्रह्मदेव को नही पुकार रहा है।उस दिन से ब्रह्मा जी चैन की बंशी बजा रहे है।
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7 टिप्पणियां:
लिखा हुआ दोहरा नहीं रहे हैं |
काश, लोग इस बात को समझ पाते।
अच्छा लिखा है, लिखते रहें।
सही जगह पकड़ी है..
जानते हैं कि लोग अन्दर नहीं देखेंगे।
प्रेरक है और लिखे
aapko ye kahani kis ne sunayi... Kya aap us waqt wahan the... mangadat baat hai. koi nahi bataa sakta ki bhagwan kahan rahte hai.....
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