महिला टेनिस की महानतम खिलाडि़यों में से एक किम क्लिस्टर ने बीतों दिनों अपने पेशेवर टेनिस कैरियर से सन्यास ले लिया। इस महान खिलाड़ी के सन्यास के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण था पिछले कई वर्षो से चोटों से जूझना। इस चोटों के कारण उन्हे कई बार मैचों से बहार भी बैठना पड़ा, जो उनकी कैरियर की सफलता पर दाग लगा रहे थें।
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सन 1997 से अपना टेनिस करियर शुरू करने वाली किम ने अपने 10 साल के छोटे से करियर मे वो उपलब्धियाँ प्राप्त की जो बड़े बड़े नामी खिलाड़ी भी पाने मे वंचित रह जाते है। भले ही किम ने सिंगल मे एक ही खिताब जीता था किन्तु उनके समकालीन बड़ी बड़ी महिला टेनिस खिलाड़ी उनसे खौफ खाती थी।
8 जून 1983 को बेल्जियम के बिलेजेन मे जन्मी क्लिस्टर्स ने हर दम चुनौतियों से डटकर मुकाबला किया। चोटों से वे कई बार से परेशान हुई किन्तु उन्होंने मैदान को कभी नहीं छोड़ा, इस समय मैदान छोड़ने के तर्क मे क्लिस्टर कहती है कि मेरी सगाई हो चुकी है जल्द ही शादी होने वाली है और मैं नही चाहती कि मै अपनी शादी में बैसाखी पर चलते हुए जाऊ।
अपने संन्यास के बारे में किम क्लिस्टर्स ने अपनी वेब डायरी में लिखा है- मेरा सफ़र बहुत अच्छा रहा है लेकिन अब इसे छोड़ने का समय आ गया है। किम ने वर्ष 2005 में यूएस ओपन का खिताब जीता था. दो बार वे फ़्रेंच ओपन में उप विजेता रही हैं और एक बार ऑस्ट्रेलियन ओपन की। विंबलनड में उनका रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा लेकिन वे दो बार इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के सेमीफाइनल तक पहुँची। क्लिस्टर्स ने अपना आखिरी डब्ल्यूटीए खिताब इस साल जनवरी में सिडनी में जीता था. लेकिन इस सप्ताह वे वॉरसा में चल रहे जे एंड एस कप के दूसरे दौर में हारकर बाहर हो गई थी।
किम क्लिस्टर्स का भी मानना है कि हर अच्छी चीज का अंत तो होता ही है. उन्होंने स्वीकार किया कि लगातार चोटों से वे परेशान रही हैं और अब उनके लिए खेल जारी रखना मुश्किल होता जा रहा था और खेल को खेलते रहने की इच्छा के बाद भी सन्यास लेना ही उचित है।
8 जून 1983 को बेल्जियम के बिलेजेन मे जन्मी क्लिस्टर्स ने हर दम चुनौतियों से डटकर मुकाबला किया। चोटों से वे कई बार से परेशान हुई किन्तु उन्होंने मैदान को कभी नहीं छोड़ा, इस समय मैदान छोड़ने के तर्क मे क्लिस्टर कहती है कि मेरी सगाई हो चुकी है जल्द ही शादी होने वाली है और मैं नही चाहती कि मै अपनी शादी में बैसाखी पर चलते हुए जाऊ।
अपने संन्यास के बारे में किम क्लिस्टर्स ने अपनी वेब डायरी में लिखा है- मेरा सफ़र बहुत अच्छा रहा है लेकिन अब इसे छोड़ने का समय आ गया है। किम ने वर्ष 2005 में यूएस ओपन का खिताब जीता था. दो बार वे फ़्रेंच ओपन में उप विजेता रही हैं और एक बार ऑस्ट्रेलियन ओपन की। विंबलनड में उनका रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं रहा लेकिन वे दो बार इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता के सेमीफाइनल तक पहुँची। क्लिस्टर्स ने अपना आखिरी डब्ल्यूटीए खिताब इस साल जनवरी में सिडनी में जीता था. लेकिन इस सप्ताह वे वॉरसा में चल रहे जे एंड एस कप के दूसरे दौर में हारकर बाहर हो गई थी।
किम क्लिस्टर्स का भी मानना है कि हर अच्छी चीज का अंत तो होता ही है. उन्होंने स्वीकार किया कि लगातार चोटों से वे परेशान रही हैं और अब उनके लिए खेल जारी रखना मुश्किल होता जा रहा था और खेल को खेलते रहने की इच्छा के बाद भी सन्यास लेना ही उचित है।
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4 टिप्पणियां:
मैं इस खबर को miss कर गया था आपके चिट्ठे से जाना ! वे एक जुझारु खिलाड़ी रहीं ।
अच्छी जानकारी दी. हमें तो मालूम ही नहीं था कि सन्यास ले लिया. धन्यवाद.
aaap ki tippari se jankari prapta kiya.aage aur bhi kuch aur logon per likiye.dhanabad
भाई जी अब तय करलो हफ़्ते १० दिन मे कोई भुली बिसरी बडी महानूभूती से मिलवाते ही रहोगे फ़ोटो बहुत अच्छी है
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