
साहित्य से लगाव के कारण इन्हे अपना नाम काव्य परिपाटी के अनुरूप नही लगा तो इन्होने ने अपना नाम सूर्ज कुमार तेवारी से बदल कर सूर्य कान्त त्रिपाठी कर लिया, और निराला उपाख्य के साथ साहित्य सृजन करने लगें। यह कहना गलत न होगा कि स्वाभिमान का दूसरा नाम निराला है। निराला का जो भी अतीत था निश्चित रूप से सघर्षमय था। बाल्यकाल से लेकर काव्य जीवन के अन्तिम पड़ाव के तक संघर्ष ही किया। जीवन के प्रारम्भिक 8 साल कलकत्ता और फिर 14 साल तक लखनऊ में रह कर गंगा पुस्तकमाला और सुधा प्रकाशन में काम करनें लगे। फिर आगें के सफर में इन्हे जयशंकर प्रसाद और सुमित्रानंदन पंत की मित्रता प्राप्त होती है और सबसे बड़ी बात यह कि एक बहुत बड़ा पाठक वर्ग मिला जो निराला के लिये संजीवनी का काम किया। निराला छायावाद के महत्वपूर्ण स्तम्भ कहे जाते थे। इन्होने अनामिका, परिमल, अप्सरा, अलका, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता अपरा, आराधना तथा नये पत्ते अादि की रचना भी की।
निराला के जीवन के कुछ अमूल्य प्रसंग भी याद आ जाते है। एक बार निराला जी काफी ठंड में एक साल ओढकर चले जा रहे थे कि उन्होने देखा कि एक भिखारी काँप रहा था। और वो अपनी वो शॉल उस भिखारी को देकर आगे बढ जाते है। वह शॉल उनके लिये कोई मामूली शॉल नही थी वह शॉल वेशकिमती शॉल उन्हे एक सम्मान समारोह में मिली थी वरन निराला के वश में कहॉं था इतनी महँगी शॉल को खरीदना। दूसरी घटना वो याद आती है कि जब पंडि़त नेहरू इलाहाबाद के प्रवास पर थे, और वे निराला से मिलने की इच्छा प्रकट करते है। एक वाहक निराला के पास संदेश लेकर आता है कि पंडि़त नेहरू ने आपसे मिलने की इच्छा प्रकट की है। किन्तु अपनी बात कह लेने के बाद वह संदेश वाहक निराला का उत्तर पाकर ठगा सा रह गया। निरला का उत्तर था कि पंडि़त जी को मिलने से मना किसने किया है। वाहक को लगा था कि निराला पंडित जी का नाम सुन कर दौड़ पड़ेगें किन्तु निराला कि फितरत में यह न था। पं नेहरू भी एक समझदार व्यक्ति थे और निराला का उत्तर सुन कर वे स्वयं उनसे मिलने आते है। यह गलत न होगा कि निराला का जीवन सदा निराला ही था।
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6 टिप्पणियां:
‘साधु साधु साधक धीर, धर्म धन धन्य राम
कह, लिया भगवती ने राघव का हस्त थाम ।‘
‘राम की शक्ति पूजा’
भाई बहुत बहुत धन्यवाद, बहुत सारी कवितायें स्मृतियों में छा गई, निराला मेरे आदर्श कवि हैं ।
“आरंभ” संजीव का हिन्दी चिट्ठा
बडे समय बाद निराला जी के बारे मे पढा । और ये बाते बांटने के लिए धन्यवाद ।
निराला जी को याद करने का धन्यवाद जी..:)
निराला जी के बारे में कुछ नई बातें मालूम हुईं। धन्यवाद।
निराला को याद करते रहो..कराते रहो.. कल्याण होगा.. :)
sury kant ke bare me padhkar bahut accha laga. likhte rahiye. dhanyvad.....................................................
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