भारत के स्‍वर्ग की दुर्दशा




भारत का स्वर्ग कहा जाने वाला क्षेत्र आज बन्दूकों व दहशतगर्दों की मिसाल बन गई है जिसका पटाक्षेप कर पाना कैंसर जैसा रोग माना जा रह है , जैसे की एक रोगी व्यक्ति को दवा सी कुछ गोलियों का कैप्सूल का सहारा दे दिया जता है, ठीक उसी प्रकार से जम्मू कश्मीर की समस्या आज भी बरकरार है। मैं जब अपने कुछ साथियों के साथ कश्मीर घाटी के बारामुला क्षेत्र मे पहुँचा तो वहां के रहने वाले कुछ मूल निवासियों से मिला, हम लोगो ने सोचा, यहाँ पहले से आराम होगा वा दहशतगर्दों से मुक्ति मिली होगी, तो कुछ महिलाओं कि व्यथा बाहर निकल आयी। कहते हैं की घाव की परत को निकालने से ही दर्द का एहसास होता है। ध्यान से समझा तो कुछ और ही नजारा देखने को मिला बल्कि महिलाओं ने कहा कि भैया आप इधर थोड़ा होशियारी से घूमियेगा क्योंकि यहाँ पर कब किसके ऊपर कहर आ जाये कोई नही जानता फिर उन लोगो ने बताया कि आप लोगो को आये दिन होने वाली घटनाएँ बताते हैं।कश्मीर मे हिंदुओं की औरतों को प्रताड़ित करना व आतंकियों द्वारा जब यह पूछा जाता है कि आप लोग हिंदू हैं और उनके घरों मे युवा वर्ग की लड़कियाँ होती हैं उन्हे कहते हैं की अच्छा बाद मॆं देखेंगे, पहले इनसे निपटेंगे। फिर आतंकियों द्वारा बडे बुजुर्गों को घर से निकालकर रस्सी से खम्भों मॆं बाँध दिया जाता है और नौजवान बहु बेटियों को माँ-बाप,सास-ससुर और भाईयों के सामने नीचे लिटा दिया जाता है,फिर उनके साथ बारी-बारी से आतंकियों द्वारा बलात्कार किया जाता है। हिंदुओं की बहु-बेटियों के साथ इस प्रकार की हिंसात्मक गतिविधियां आये दिन होती रहती हैं। जो नौजवान युवतियाँ चिल्लाने का प्रयास करती हैं उन्हे बेहोशी लगा दिया जाता है,और उनके शरीर का सारा ख़ून निकाल लिया जाता है,और उनको टुकडों मे करके नदी नालों मे फेंक दिया जाता के माँ-बाप के सामने इस प्रकार की हरकत देख उनके हार्ट फेल हो जाते हैं।कुछ बेहोश हो कर उसी खम्भे के सहारे लटके रह जाते हैं।कुछ-कुछ जगहों पर ऐसी घटनाएँ देखने को मिलती हैं की छोटे-छोटे बच्चों को आतंकियों द्वारा उनके माँ-बाप की गोद से छीन लिया जाता है और टांग पर टांग रखकर चीर दिया जाता है,और जानवरों के सामने फेंक दिया जाता है। हम लोगो को कुछ महिलाओं ने अपने शरीर पर हुये जख्म भी दिखाए जिन पर यह गुदवाया गया था कि पाकिस्तान जिंदाबाद। ये लफ्ज लोहे के सांचों को गर्म करके शरीर पर दागा गया था ,जिनकी वजह से हिंदू औरतें कई दिनों तक तिलमिलाती वा चिल्लाती रही।बाद मे उन्हे आतंकियों ने इस गर्ज से छोड़ दिया कि वे अपने पारिवारिक खानदानों को अपनी आप बतायें और सबके दिलो मे खौफ पैदा हो जाये कि सब हिंदू औरतों को इसी तरह से दागा जाएगा।


आलोक यायावर-अतिथि लेखक



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6 टिप्‍पणियां:

Arun Arora ने कहा…

अरे भाइ इस तरह मत लिखो वरना प्रथम पुरुष तुम्हे कैटस्कैन कराने की राय देगा..और बाकी सारे समर्थन..
सच उनसे ना देखा जाता है ना सुना ना पढा..बस सवादिष्ट चीजे ही अच्छी लगती है..बे सिर पैर की...:)

MEDIA GURU ने कहा…

yuvao ko aise hi lekh ki jarurat hi. alok ji ko badhai.

ePandit ने कहा…

बहुत ही दुःखद, यह दुर्भाग्य है कि अपने ही देश में हिन्दूओं को ऐसा अन्याय सहना पड़ रहा है।

Unknown ने कहा…

आलोक जी कश्मीर की समस्या तो जटिल है ही आप ने यह मुद्दा चुना ये तो ठीक हे पर आप शब्दों पर पकड़ मजबूत करें । प्रयास अच्छा है पर सुधार की जरूरत है।

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

आलोक जी आपने बहुत ही सटीक बात कही है। आज देश के समक्ष जटिल समस्‍याऐ है और आज समय है जागने का, सरकार द्वारा जो कदम उठाये जा रहे है वह निश्चित रूप से गलत है। और आने वाले वर्षो में देश को भीषण समस्‍या से रूबरू होना होगा।

आपकी शब्‍दों की धार निश्चित रूप से आज के युवाओं को दिशा प्रदान करेगी।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

दुखद यह है कि अपने ही देश में "नागरिकों" को यह सब झेलना पड़ रहा है।

याद रहे आतंक और आतंकी का कोई मज़हब नही होता!!