आज कल नेट पर कम ही बैठ रहा था, किन्तु मैसेज आज चेक करने के लिये थोड़ी देर के लिये आना जाना हो ही जाता है। अब कल की बात को ले लीजिए जैसे कुछ देर के लिये आनलाईन हुआ वैसे ही एक टनटनाते आवाज के साथ गूगल टाँक का मेसेज बोर्ड हाजिर हो गया। यह संदेश था मित्र चंदन सिंह का जो महाशक्ति समूह और हिन्दू चेतना पर हिन्दू चेतना के नाम से लिखते है। उन्होने कहा कि प्रमेन्द्र भाई जय श्रीराम, मेरी आपसे मिलने की बड़ी हार्दिक इच्छा है, क्या कल आप मुझसे मिल सकते है ? यह मेरे लिये समस्या का प्रश्न था और मैने अचम्भित होकर कहा कि मै अभी दिल्ली नही आ सकता हूँ। उन्होने कहा कि नही भाई कल मै इलाहाबाद से हो कर गुजऊँगा अगर समय हो तो लगे हाथ अपने मिलना हो जायेगा। मैने भी लगे हाथ हॉं कर दिया। और अगली ब्लागर मीट के आयोजन के समय की प्रतीक्षा करने लगा। लगे हाथ सारी अन्य जानकारी भी उपलब्ध हो गई कि मित्र पुरूषोंत्तम से आ रहे है।
हर बार की तरह मुझे पता था कि ट्रेन जरूर लेट होगी, और मैने अगली सुबह पुरूषोत्तम के समयानुसार 7.30 पर चंदन भाई को फोन किया और पूछा कि भाई आप कहॉं है? तो उन्होने कहा कि ट्रेन इस समय कानपुर से चल चुकी है, मै भी अंदाजे से कि कानपुर से ट्रेन को आने में ज्यादा से ज्यादा 3 घन्टे लगते है ठीक 9.30 बजे घर से निकल दिया और इलाहाबाद जंक्शन पर जा पहुँचा। तो वह पूछने पर पता चला कि ट्रेन सवा तीन धन्टे लेट है फिर मै कुछ दूर स्थित राजकुमार के घर पर चल दिया कि लगे हाथ उनके घर पर कुछ मदत कर दूँगा। इसी आशय के साथ मै राजकुमार के घर पर पहुँच गया और आवाश्यक मदत आदि की। लगभग 10.40 पर चंदन भाई फिर से फोन करते है कि मै इलाहाबाद से 30 मिनट की दूरी पर हूँ। फिर हम भी आसवस्त होकर स्टेशन की ओर चल दिये किन्तु ट्रेन अपने मूल समय से लगभग 4 घन्टे देर थी। हम लोग प्लेटफार्म नम्बर 6 पर चल दिये, और प्लेटफार्म पर पहुँचते ही रेल आ भी गई। और उसी के साथ चंदन भाई का फोन भी, कि मै अमुक अमुक कपड़ा पहना हूँ और यहॉं हूँ वहॉं हूँ, रूकिए भाई आप मुझे दिख रहे है। अन्तिम ये शब्द सुनते ही लगा कि हॉं अब कुछ बात बनी। पुन: जय श्री राम के उद्घोष के साथ हमारा मिलन हुआ। पता नही चंदन भाई को मेरी कमजोर कैसे पता चला गई कि चाकलेट और टाफियॉं मुझे पंसद है? उन्होने मेरे लिये कुछ चाकलेट आदि लाये और मुझे भेंट किया साथ ही मैने भी उन्हे कुछ पुस्तकें भेंट की।
पुरूषोत्तम का जंक्शन पर रूकने का समय करीब 10 मिनट है और हमारे पास चिट्ठाकार मिलन का केवल यही समय था। इन दस मिनटों में हम लोगों ने दिल्ली से लेकर प्रयाग की सभी चर्चाऐं कर लिया, साथ ही साथ प्रथम मिलन के दौरान एक दूसरे को नजदीकी से जानने का भी मौका मिला, मुझे यह पता चला कि वह दिल्ली में किसी अच्छी कम्पनी में कार्यरत है, और मैने भी अपना सम्पूर्ण परिचय दिया, तथा मेरे साथ महाशक्ति समूह के राजकुमार ने भी अपना सम्पूर्ण परिचय दिया। परिचय की समाप्ति पर हम लोग अपने मेन मुद्दे पर आये और उस पर लग कर सामूहिक काम करने वचन लिया।
यह ब्लागर मीट केवल 10 मिनट चली किन्तु भविष्य के लिये नये आयामों को सृजन करने को कटिबद्ध हो समाप्त हुई, यह अपने आप में खास थी, क्योकि यह वह व्यक्ति है जो आज तक बिना किसी एग्रीगेटर पर रहे बिना ब्लागिंग की है। आज किसी को टिप्पणी नही मिलती है तो हाय-हाय करता है किन्तु सही मायने में सोचा जाये तो पता चलेगा कि एक यह भी ब्लागर है कि इनके प्रारम्भिक लेखों पर जो मुझे अच्छे लगे उन पर टिप्पणी कर देता था। यह बड़ी बात है कि कोई ब्लागर बिना टिप्पणी के अपेक्षा के भी ब्लागगिंग करता है। आज महाशक्ति समूह में मित्र चंदन की काफी सक्रिय भूमिका है और अपने ज्वलंत वैचारिक लेखों से एक अलग अलख जला रहे है। जो किसी अन्य सक्रिय ब्लाग से अगल है। क्योकि यह हिन्दी ब्लाग के सबसे निचले स्तर के ब्लागरों का मिलन था।
हर बार की तरह मुझे पता था कि ट्रेन जरूर लेट होगी, और मैने अगली सुबह पुरूषोत्तम के समयानुसार 7.30 पर चंदन भाई को फोन किया और पूछा कि भाई आप कहॉं है? तो उन्होने कहा कि ट्रेन इस समय कानपुर से चल चुकी है, मै भी अंदाजे से कि कानपुर से ट्रेन को आने में ज्यादा से ज्यादा 3 घन्टे लगते है ठीक 9.30 बजे घर से निकल दिया और इलाहाबाद जंक्शन पर जा पहुँचा। तो वह पूछने पर पता चला कि ट्रेन सवा तीन धन्टे लेट है फिर मै कुछ दूर स्थित राजकुमार के घर पर चल दिया कि लगे हाथ उनके घर पर कुछ मदत कर दूँगा। इसी आशय के साथ मै राजकुमार के घर पर पहुँच गया और आवाश्यक मदत आदि की। लगभग 10.40 पर चंदन भाई फिर से फोन करते है कि मै इलाहाबाद से 30 मिनट की दूरी पर हूँ। फिर हम भी आसवस्त होकर स्टेशन की ओर चल दिये किन्तु ट्रेन अपने मूल समय से लगभग 4 घन्टे देर थी। हम लोग प्लेटफार्म नम्बर 6 पर चल दिये, और प्लेटफार्म पर पहुँचते ही रेल आ भी गई। और उसी के साथ चंदन भाई का फोन भी, कि मै अमुक अमुक कपड़ा पहना हूँ और यहॉं हूँ वहॉं हूँ, रूकिए भाई आप मुझे दिख रहे है। अन्तिम ये शब्द सुनते ही लगा कि हॉं अब कुछ बात बनी। पुन: जय श्री राम के उद्घोष के साथ हमारा मिलन हुआ। पता नही चंदन भाई को मेरी कमजोर कैसे पता चला गई कि चाकलेट और टाफियॉं मुझे पंसद है? उन्होने मेरे लिये कुछ चाकलेट आदि लाये और मुझे भेंट किया साथ ही मैने भी उन्हे कुछ पुस्तकें भेंट की।
पुरूषोत्तम का जंक्शन पर रूकने का समय करीब 10 मिनट है और हमारे पास चिट्ठाकार मिलन का केवल यही समय था। इन दस मिनटों में हम लोगों ने दिल्ली से लेकर प्रयाग की सभी चर्चाऐं कर लिया, साथ ही साथ प्रथम मिलन के दौरान एक दूसरे को नजदीकी से जानने का भी मौका मिला, मुझे यह पता चला कि वह दिल्ली में किसी अच्छी कम्पनी में कार्यरत है, और मैने भी अपना सम्पूर्ण परिचय दिया, तथा मेरे साथ महाशक्ति समूह के राजकुमार ने भी अपना सम्पूर्ण परिचय दिया। परिचय की समाप्ति पर हम लोग अपने मेन मुद्दे पर आये और उस पर लग कर सामूहिक काम करने वचन लिया।
यह ब्लागर मीट केवल 10 मिनट चली किन्तु भविष्य के लिये नये आयामों को सृजन करने को कटिबद्ध हो समाप्त हुई, यह अपने आप में खास थी, क्योकि यह वह व्यक्ति है जो आज तक बिना किसी एग्रीगेटर पर रहे बिना ब्लागिंग की है। आज किसी को टिप्पणी नही मिलती है तो हाय-हाय करता है किन्तु सही मायने में सोचा जाये तो पता चलेगा कि एक यह भी ब्लागर है कि इनके प्रारम्भिक लेखों पर जो मुझे अच्छे लगे उन पर टिप्पणी कर देता था। यह बड़ी बात है कि कोई ब्लागर बिना टिप्पणी के अपेक्षा के भी ब्लागगिंग करता है। आज महाशक्ति समूह में मित्र चंदन की काफी सक्रिय भूमिका है और अपने ज्वलंत वैचारिक लेखों से एक अलग अलख जला रहे है। जो किसी अन्य सक्रिय ब्लाग से अगल है। क्योकि यह हिन्दी ब्लाग के सबसे निचले स्तर के ब्लागरों का मिलन था।
महाशक्ति समूह पर मित्र अाशुतोष मासूम की रचना हाँ बाबूजी, मै वेश्या हूँ पर एक नज़र जरूर डालिये।
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3 टिप्पणियां:
चलिये जी, जै श्री राम!
shandar rahi aapki bloger meet
बधाई!!
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