मेरी प्रिय कविता - सुमित्रा नंदन पन्त रचित "नारी"



मेरी प्रिय कविता - सुमित्रा नंदन पन्त रचित "नारी"

यदि स्वर्ग कहीं है पृथ्वी पर, तो वह नारी उर के भीतर,
दल पर दल खोल हृदय के अस्तर
जब बिठलाती प्रसन्न होकर
वह अमर प्रणय के शतदल पर!
मादकता जग में कहीं अगर, वह नारी अधरों में सुखकर,
क्षण में प्राणों की पीड़ा हर,
नव जीवन का दे सकती वर
वह अधरों पर धर मदिराधर।
यदि कहीं नरक है इस भू पर, तो वह भी नारी के अन्दर,
वासनावर्त में डाल प्रखर
वह अंध गर्त में चिर दुस्तर
नर को ढकेल सकती सत्वर!


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3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

आप से मैं जानना चाहता हूँ (Ubaid Ansari) ऊपर के जो पूरे लेख मे मैंने पढ़ा है उसकी जानकारी मैं आप से चाहता हूँ क्या आप को मालूम है
अगर मालूम हो तो क्रप्या सही जानकारी का आन्सर मुझे दे
अगर नहीं मालूम हो तो किसी भी तरह का अपनी मर्जी से कुछ बनाकर मत बतायें जो आप ने कंही से पढ़ा हो
उसको भी साथ मे बताए जानकारी अधुरी मत डाले किसी की किताब या किसने कहा है उसका नाम और किताब का नाम डालकर आप अपनी बात समझाने की कोसिस करे
जो है सत्ये है

Unknown ने कहा…

आप से मैं जानना चाहता हूँ (Ubaid Ansari) ऊपर के जो पूरे लेख मे मैंने पढ़ा है उसकी जानकारी मैं आप से चाहता हूँ क्या आप को मालूम है
अगर मालूम हो तो क्रप्या सही जानकारी का आन्सर मुझे दे
अगर नहीं मालूम हो तो किसी भी तरह का अपनी मर्जी से कुछ बनाकर मत बतायें जो आप ने कंही से पढ़ा हो
उसको भी साथ मे बताए जानकारी अधुरी मत डाले किसी की किताब या किसने कहा है उसका नाम और किताब का नाम डालकर आप अपनी बात समझाने की कोसिस करे

Unknown ने कहा…

नारी तूं नारायणी। जन्म देने वाले से उसे पालने वाला बडा होता है। जैसे धरती पर बना बनाया जीवन धन्यवाद।