आय-कर अधिनियम, 1961 Income Tax Act 1961






  • अध्याय 1 - प्रारंभिक
    • धारा - 1 : संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ
    • धारा - 2 : परिभाषाएं
    • धारा - 3 : "पूर्व वर्ष" की परिभाषा
  • अध्याय 2 - प्रभार का आधार
    • धारा - 4 : आय-कर का प्रभार
    • धारा - 5 : कुल आय की परिधि
    • धारा - 5क : पुर्तगाली सिविल कोड द्वारा शासित पति या पत्नी के बीच आय का प्रभाजन
    • धारा - 6 : भारत में निवास
    • धारा - 7 : प्राप्त हुई समझी गयी आय
    • धारा - 8 : लाभांश आय
    • धारा - 9 : भारत में प्रोद्भूत या उद्भूत हुई समझी गयी आय
    • धारा - 9क : भारत में कारबार संबंध गठित न करने वाले क्रियाकलाप
  • अध्याय 3 - आय जो कुल आय का भाग नहीं है
    • धारा - 10 : आय जो कुल आय के अंतर्गत नहीं आती है
    • धारा - 10क : मुक्त व्यापार क्षेत्र में नवस्थापित औद्योगिक उपक्रमों आदि के बारे में विशेष उपबंध
    • धारा - 10कक : विशेष आर्थिक जोनों में नए सिरे से स्थापित यूनिटों की बाबत विशेष उपबंध
    • धारा - 10ख : नवस्थापित शत-प्रतिशत निर्यातोन्मुख उपक्रमों की बाबत विशेष उपबंध
    • धारा - 10खक : कतिपय वस्तुओं या चीजों के निर्यात के संबंध में विशेष उपबंध
    • धारा - 10खख : कतिपय मामलों में कम्प्यूटर कार्यक्रमों का अर्थ
    • धारा - 10ग : पूर्वोत्तर क्षेत्र में कतिपय औद्योगिक उपक्रमों की बाबत विशेष उपबंध
    • धारा - 11 : पूर्त या धार्मिक प्रयोजनों के लिए धारित संपत्ति से आय
    • धारा - 12 : अभिदायों से होने वाली न्यासों या संस्थाओं की आय
    • धारा - 12क : धारा 11 और 12 को लागू किए जाने संबंधी शर्तें
    • धारा - 12कक : रजिस्ट्रीकरण के लिए प्रक्रिया
    • धारा - 13 : कतिपय दशाओं में धारा 11 का लागू न होना
    • धारा - 13क : राजनैतिक दलों की आय के संबंध में विशेष उपबंध
    • धारा - 13ख : निर्वाचन न्यास को प्राप्त स्वैच्छिक अभिदायों से संबंधित विशेष उपबंध
  • अध्याय 4 - कुल आय की संगणना
    • धारा - 14 : आय के शीर्ष
    • धारा - 14क : ऐसी आय के संबंध में किया गया व्यय, जो कुल आय 27 में सम्मिलित नहीं किया जा सकता
    • धारा - 15 : वेतन
    • धारा - 16 : वेतन से कटौतियां
    • धारा - 17 : ''वेतन'', ''परिलब्धि'' और ''वेतन के बदले में लाभ'' की परिभाषा
    • धारा - 18 : धारा 18 से 21 का वित्त अधिनियम, 1988 द्वारा 1.4.1989 से लोप किया गया।
    • धारा - 22 : गृह संपत्ति से आय
    • धारा - 23 : वार्षिक मूल्य किस प्रकार अवधारित किया जाता है
    • धारा - 24 : गृह संपत्ति से होने वाली आय में से कटौतियां
    • धारा - 25 : गृह संपत्ति से आय में से कटौती न किए जाने योग्य रकमें
    • धारा - 25क : किराए के बकाया और वसूल न किए गए किराए के पश्चात्वर्ती प्राप्त होने के संबंध में विशेष उपबंध
    • धारा - 26 : सह-स्वामियों के स्वामित्वाधीन संपत्ति
    • धारा - 27 : ''गृह संपत्ति का स्वामी'', ''वार्षिक प्रभार'' आदि की परिभाषा
    • धारा - 28 : कारबार या वृत्ति के लाभ और अभिलाभ
    • धारा - 29 : कारबार या वृत्ति के लाभ और अभिलाभ से आय की संगणना कैसे की जाएगी
    • धारा - 30 : भवनों के लिए किराया, रेट, कर, मरम्मत और बीमा
    • धारा - 31 : मशीनरी, संयंत्र और फर्नीचर की मरम्मत और बीमा
    • धारा - 32 : अवक्षयण
    • धारा - 32क : विनिधान मोक
    •  धारा - 32कख : विनिधान निक्षेप लेखा
    • धारा - 32कग : नए संयंत्र या मशीनरी में विनिधान
    • धारा - 32कघ : कतिपय राज्यों में अधिसूचित पिछडे़ क्षेत्रों में नए संयंत्र या मशीनरी में विनिधान
    • धारा - 33 : विकास रिबेट
    • धारा - 33क : विकास मोक
    • धारा - 33कख : चाय विकास खाता, काफी विकास खाता और रबड़ विकास खाता
    • धारा - 33कखक : स्थल पुन:स्थापन निधि
    • धारा - 33कग : पोत परिवहन कारबार के लिए आरक्षितियां
    • धारा - 33ख : पुनर्वास मोक
    • धारा - 34 : अवक्षयण मोक और विकास रिबेट के लिए शर्तें
    • धारा - 34क : कुछ देशी कंपनियों की दशा में सीमित अवधि के लिए शेष अवक्षयण और शेष विनिधान मोक पर निर्बन्धन (पाबंदियां)
    • धारा - 35 : वैज्ञानिक अनुसंधान पर व्यय
    • धारा - 35क : पेटेंट अधिकारों या कापीराइट (प्रतिलिप्याधिकारों) के अर्जन पर व्यय
    • धारा - 35कख : व्यवहार ज्ञान पर व्यय
    • धारा - 35कखक : दूर-संचार सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम के उपयोग का अधिकार अभिप्राप्त करने के लिए व्यय
    • धारा - 35कखख : दूरसंचार सेवाएं चलाने के लिए लाइसेंस लेने में व्यय
    • धारा - 35कग : पात्र परियोजनाओं और स्कीमों पर व्यय
    • धारा - 35कघ : विनिर्दिष्ट कारबार पर व्यय की बाबत कटौती
    • धारा - 35ख : निर्यात मार्केट विकास मोक
    • धारा - 35ग : कृषि विकास मोक
    • धारा - 35गग : ग्रामीण विकास मोक
    • धारा - 35गगक : ग्राम विकास कार्यक्रमों को चलाने के लिए संगमों और संस्थाओं को संदाय के रूप में व्यय
    • धारा - 35गगख : प्राकृतिक स्रोतों के संरक्षण के कार्यक्रमों को चलाने के लिए संगमों या संस्थाओं को संदाय के रूप में व्यय
    • धारा - 35गगग : कृषि विस्तार परियोजना संबंधी व्यय
    • धारा - 35घ : कतिपय प्रारम्भिक व्ययों पर अपाकरण (अमोरटाइजेशन)
    • धारा - 35घघ : समामेलन या अविलयन की दशा में व्यय का अपाकरण (अमोरटाइजेशन)
    • धारा - 35घघक : स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्कीम के अधीन उपगत व्यय का अपाकरण
    • धारा - 35ड़ : कतिपय खनिजों के लिए पूर्वेक्षण आदि पर व्यय के लिए कटौती
    • धारा - 36 : अन्य कटौतियां
    • धारा - 37 : साधारण
    • धारा - 38 : भवन आदि जिनका कारबार आदि के लिए भागत: उपयोग किया जाता है या इस प्रकार अनन्यत: उपयोग नहीं किया जाता है
    • धारा - 39 : प्रबंध अभिकरण कमीशन
    • धारा - 40 : कटौती न करने योग्य रकमें
    • धारा - 40क : कुछ परिस्थितियों में व्यय या भुगतान का कटौती योग्य न होना
    • धारा - 41 : कर से प्रभार्य लाभ
    • धारा - 42 : खनिज तेल के पूर्वेक्षण आदि के कारबार की दशा में कटौतियों के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 43 : कारबार या वृत्ति के लाभ और अभिलाभ से होने वाली आय से सुसंगत कतिपय पदों की परिभाषा
    • धारा - 43क : करेंसी की विनिमय दर में परिवर्तनों के परिणामस्वरूप विशेष उपबंध
    • धारा - 43ख : वास्तविक संदाय पर ही की जाने वाली कुछ कटौतियां
    • धारा - 43ग : कुछ आस्तियों के अर्जन की लागत की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 43गक : कतिपय मामलों में पूंजी आस्तियों से भिन्न आस्तियों के अंतरण के लिए प्रतिफल के पूर्ण मूल्य के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 43घ : लोक वित्तीय संस्थाओं, पब्लिक कंपनियों आदि की आय की दशा में विशेष उपबंध
    • धारा - 44 : बीमा कारबार
    • धारा - 44क : व्यापारिक, वृत्तिक या समरूप संगम की दशा में कटौती के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 44कक : वृत्ति या कारबार चलाने वाले कुछ व्यक्तियों द्वारा लेखा रखना
    • धारा - 44कख : वृत्ति या कारबार चलाने वाले कुछ व्यक्तियों के लेखाओं की संपरीक्षा
    • धारा - 44कग : कुछ माल में व्यापार करने के कारबार से लाभ और अभिलाभ की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 44कघ : उपधारणात्मक आधार पर कारबार के लाभों और अभिलाभों की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 44कघक : लाभ और अभिलाभों का उपधारणात्मक आधार पर संगणित करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 44कड़ : माल वाहन चलाने, किराए या पट्टे पर देने के कारबार के लाभ और अभिलाभ की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 44कच : खुदरा कारबार के लाभ और अभिलाभ की संगणना के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 44ख : अनिवासी की दशा में पोत परिवहन के कारबार के लाभ और अभिलाभ की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 44खख : खनिज तेलों की खोज, आदि के कारबार के संबंध में लाभ और अभिलाभ की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 44खखक : अनिवासी की दशा में विमान चलाने के कारबार के लाभ और अभिलाभ की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 44खखख : कुछ टर्न-की विद्युत परियोजनाओं में सिविल सन्निर्माण के कारबार आदि में लगी विदेशी कंपनियों के लाभ और अभिलाभ की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 44ग : अनिवासियों की दशा में मुख्यालय व्यय की कटौती
    • धारा - 44घ : विदेशी कंपनियों की दशा में स्वामिस्व आदि के रूप में आय की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 44घक : अनिवासियों की दशा में स्वामिस्व आदि के रूप में आय की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 44घख : सहकारी बैंकों के कारबार के पुनर्गठन की दशा में कटौतियों की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 45 : पूंजी अभिलाभ
    • धारा - 46 : समापनाधीन कंपनियों द्वारा आस्तियों के वितरण पर पूंजी अभिलाभ
    • धारा - 46क : कंपनी द्वारा अपने स्वयं के शेयरों या अन्य विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों के क्रय पर पूंजी अभिलाभ
    • धारा - 47 : अंतरण न समझे जाने वाले संव्यवहार
    • धारा - 47क : कुछ दशाओं में छूट का वापिस लिया जाना
    • धारा - 48 : संगणना करने का ढंग
    • धारा - 49 : अर्जन के कुछ ढंगों के संबंध में लागत
    • धारा - 50 : अवक्षयणीय आस्तियों की दशा में पूंजी अभिलाभों की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 50क : अवक्षयणीय आस्ति की दशा में अर्जन की लागत के विशेष उपबंध
    • धारा - 50ख : मंदी विक्रय की दशा में पूंजी अभिलाभ की संगणना के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 50ग : कतिपय दशाओं में प्रतिफल के पूर्ण मूल्य के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 50गक : कोट किए गए शेयर से भिन्न शेयर के अंतरण के लिए प्रतिफल के पूर्ण मूल्य हेतु विशेष उपबंध।
    • धारा - 50घ : कतिपय मामलों में उचित बाजार मूल्य को प्रतिफल का पूर्ण मूल्य समझा जाना
    • धारा - 51 : प्राप्त अग्रिम धन
    • धारा - 52 : अवकथन के मामलों में अंतरण के लिए प्रतिफल
    • धारा - 53 : निवास गृह से पूंजी अभिलाभ की छूट
    • धारा - 54 : निवास के लिए उपयोग में लार्इ गर्इ संपत्ति के विक्रय पर लाभ
    • धारा - 54क : कुछ मामलों में पूंजी अभिलाभों पर राहत
    • धारा - 54ख : कृषि प्रयोजनों के लिए प्रयुक्त भूमि के अंतरण से होने वाले पूंजी अभिलाभों को कुछ दशाओं में प्रभारित न किया जाना
    • धारा - 54ग : निजी उपयोग हेतु धारित आभूषणों के अंतरण पर पूंजी अभिलाभों का कुछ दशाओं में प्रभारित न किया जाना
    • धारा - 54घ : भूमि और भवनों के अनिवार्य अर्जन पर पूंजी अभिलाभ कुछ दशाओं में प्रभारित नहीं किया जाना
    • धारा - 54ड़ : पूंजी आस्तियों के अंतरण से होने वाले पूंजी अभिलाभों का कुछ दशाओं में प्रभारित न किया जाना
    • धारा - 54ड़क : दीर्घकालिक पूंजी आस्तियों के अंतरण पर पूंजी अभिलाभों का 72[विनिर्दिष्ट प्रतिभूतियों] में विनिधान की दशा में प्रभारित न किया जाना
    • धारा - 54ड़ख : दीर्घकालिक पूंजी आस्तियों के अंतरण पर पूंजी अभिलाभ का कुछ मामलों में प्रभारित न किया जाना
    • धारा - 54ड़ग : कतिपय बंधपत्रों में विनिधान पर पूंजी अभिलाभ प्रभारित न किया जाना
    • धारा - 54ड़घ : कुछ सूचीबद्ध प्रतिभूतियों या यूनिटों के अंतरण पर पूंजी अभिलाभ का कुछ मामलों में प्रभारित न किया जाना
    • धारा - 54ड़ड़ : पूंजी अभिलाभ, किसी विनिर्दिष्ट निधि की यूनिटों में विनिधान पर प्रभारित नहीं किया जाएगा
    • धारा - 54च : निवास गृह में विनिधान की दशा में कतिपय पूंजी आस्तियों के अंतरण पर पूंजी लाभ का प्रभारित न किया जाना
    • धारा - 54छ : नगरीय क्षेत्र से औद्योगिक उपक्रम के स्थानांतरण की दशा में आस्तियों के अंतरण पर पूंजी अभिलाभों को छूट
    • धारा - 54छक : औद्योगिक उपक्रम को शहरी क्षेत्र से किसी विशेष आर्थिक जोन में स्थानान्तरित करने की दशा में आस्तियों के अंतरण पर पूंजी अभिलाभों की छूट
    • धारा - 54छख : आवासिक संपत्ति के अंतरण पर पूंजी अभिलाभ का कतिपय दशाओं में प्रभारित न किया जाना
    • धारा - 54ज : नर्इ आस्ति अर्जित करने या पूंजी अभिलाभ की रकम का निक्षेप या विनिधान करने के लिए समय का विस्तार
    • धारा - 55 : ''समायोजित'', ''सुधार की लागत'' और ''अर्जन की लागत'' के अर्थ
    • धारा - 55क : मूल्यांकन अधिकारी को निर्देश
    • धारा - 56 : अन्य स्रोतों से आय
    • धारा - 57 : कटौतियां
    • धारा - 58 : कटौती न करने योग्य रकमें
    • धारा - 59 : कर से प्रभार्य लाभ
  • अध्याय 5 - अन्य व्यक्तियों की आय जो निर्धारिती की कुल आय में सम्मिलित है
    • धारा - 60 : जहां आस्तियों का अंतरण न हो वहां आय का अंतरण
    • धारा - 61 : आस्तियों का प्रतिसंहरणीय अंतरण
    • धारा - 62 : विनिर्दिष्ट कालावधि के लिए अप्रतिसंहरणीय अंतरण
    • धारा - 63 : ''अंतरण'' और ''प्रतिसंहरणीय अंतरण'' की परिभाषा
    • धारा - 64 : व्यष्टि की आय में पति या पत्नी, अवयस्क संतान आदि की आय का भी सम्मिलित होना
    • धारा - 65 : व्यक्ति का ऐसी आय की जो अन्य व्यक्ति की आय में सम्मिलित है बाबत दायित्व
  • अध्याय 6 - आय का संकलन और हानि का मुजरा करना या उसे अग्रनीत करना
    • धारा - 66 : कुल आय
    • धारा - 67 : फर्म की आय में भागीदार के अंश की संगणना करने की पद्धति
    • धारा - 67क : व्यक्ति-संगम या व्यष्टि-निकाय की आय में सदस्य के अंश की संगणना करने की पद्धति
    • धारा - 68 : रोकड़ जमा
    • धारा - 69 : अस्पष्टीकृत विनिधान
    • धारा - 69क : अस्पष्टीकृत धनराशि, आदि
    • धारा - 69ख : विनिधानों आदि की रकम जो लेखा पुस्तकों में पूरी तरह से प्रकट न की गर्इ हो
    • धारा - 69ग : अस्पष्टीकृत व्यय आदि
    • धारा - 69घ : हुंडी पर उधार ली गर्इ या लौटार्इ गर्इ रकम
    • धारा - 70 : आय के एक ही शीर्ष के अधीन एक स्रोत से होने वाली हानि का दूसरे स्रोत से होने वाली आय के प्रति मुजरा किया जाना
    • धारा - 71 : एक शीर्ष से होने वाली हानि का अन्य शीर्ष से होने वाली आय के प्रति मुजरा किया जाना
    • धारा - 71क : ''गृह संपत्ति से आय'' शीर्ष के अधीन हानि का मुजरा किए जाने के लिए संक्रमणकालीन उपबंध
    • धारा - 71ख : गृह संपत्ति से हानि का अग्रनीत किया जाना और मुजरा किया जाना।
    • धारा - 72 : कारबार की हानियों का अग्रनीत किया जाना और मुजरा किया जाना
    • धारा - 72क : समामेलन या अविलयन आदि में संचयित हानि और शेष अवक्षयण मोक के अग्रनयन और मुजरा करने से संबंधित उपबंध
    • धारा - 72कक : कुछ दशाओं में बैंककारी कंपनी के समामेलन की स्कीम में संचयित हानि और शेष अवक्षयण मोक के अग्रनयन और मुजरा करने से संबंधित उपबंध
    • धारा - 72कख : सहकारी बैंकों के कारबार के पुनर्गठन में संचयित हानि या शेष अवक्षयण मोक के अग्रनयन और मुजरे से संबंधित उपबंध
    • धारा - 73 : सट्टे के कारबार में हानियां
    • धारा - 73क : विनिर्दिष्ट कारबार द्वारा हानियों का अग्रनयन और मुजरा
    • धारा - 74 : ''पूंजी अभिलाभ'' शीर्ष के अधीन हानियां
    • धारा - 74क : ''अन्य स्रोतों से आय'' शीर्ष के अधीन आने वाले कतिपय विनिर्दिष्ट स्रोतों से हानियां
    • धारा - 75 : फर्म की हानियां
    • धारा - 78 : फर्म के गठन की तब्दीली की दशा में या उत्तराधिकार पर हानियों का अग्रनीत किया जाना और उनका मुजरा किया जाना
    • धारा - 79 : कुछ कंपनियों की दशा में हानियों का अग्रनीत किया जाना और उनका मुजरा किया जाना
    • धारा - 80 : हानियों के लिए विवरणी का प्रस्तुत किया जाना
  • अध्याय 6क - कुल आय की संगणना करने में की जाने वाली कटौतियां
    • धारा - 80झ : निश्चित तारीख के पश्चात् औद्योगिक उपक्रमों से लाभों और अभिलाभों की बाबत कटौती आदि
    • धारा - 80झक : अवसंरचना विकास आदि में लगे हुए औद्योगिक उपक्रमों या उद्यमों से लाभों और अभिलाभों की बाबत कटौती
    • धारा - 80झकख : विशेष आर्थिक जोन के विकास में लगे किसी उपक्रमों या उद्यमों के लाभों और अभिलाभों की बाबत कटौतियां
    • धारा - 80झकग : विनिर्दिष्ट कारबार के संबंध में विशेष उपबंध
    • धारा - 80झख : अवसंरचना विकास उपक्रमों से भिन्न कुछ औद्योगिक उपक्रमों से लाभों और अभिलाभों की बाबत कटौती
    • धारा - 80झखक : गृह निर्माण परियोजनाओं से लाभों और अभिलाभों की बाबत कटौती
    • धारा - 80झग : कतिपय विशेष प्रवर्ग के राज्यों में कतिपय उपक्रमों या उद्यमों की बाबत विशेष उपबंध
    • धारा - 80झघ : विनिर्दिष्ट क्षेत्र में होटलों और कन्वेंशन केन्द्रों के कारबार से लाभों और अभिलाभों की बाबत कटौती
    • धारा - 80झड़ : पूर्वोत्तर राज्यों में कतिपय उपक्रमों की बाबत विशेष उपबंध
    • धारा - 80ण : कतिपय विदेशी उद्यमों से स्वामिस्व आदि के संबंध में कटौती
    • धारा - 80क : कुल आय की संगणना करने में की जाने वाली कटौतियां
    • धारा - 80कक : धारा 80ड के अधीन कटौती की संगणना
    • धारा - 80कख : सकल कुल आय में सम्मिलित आय के निर्देश में कटौतियों का किया जाना
    •  धारा - 80कग : जब तक आय की विवरणी प्रस्तुत नहीं कर दी जाती तब तक कटौती का अनुज्ञात न किया जाना
    • धारा - 80ख : परिभाषाएं
    • धारा - 80ग : जीवन बीमा प्रीमियम, आस्थगित वार्षिकी, भविष्य निधि में अभिदाय कतिपय साधारण शेयरों या डिबेंचरों आदि में अभिदान की बाबत कटौती
    •  धारा - 80गग : कुछ नए शेयरों में विनिधान की बाबत कटौती
    • धारा - 80गगक : राष्ट्रीय बचत स्कीम के अधीन निक्षेप या आस्थगित वार्षिकी योजना में जमा की बाबत कटौती
    • धारा - 80गगख : साधारण शेयर बचत स्कीम के अधीन किए गए विनिधान की बाबत कटौती
    • धारा - 80गगग : कुछ पेंशन निधियों में अभिदाय की बाबत कटौती
    • धारा - 80गगघ : केन्द्रीय सरकार की पेंशन स्कीम में अभिदाय के संबंध में कटौती
    • धारा - 80गगड़ : धारा 80ग, धारा 80गगग और धारा 80 गगघ के अधीन कटौतियों की सीमा
    • धारा - 80गगच : दीर्घकालिक अवसंरचना बंधपत्रों के अभिदाय की बाबत कटौती
    • धारा - 80गगछ : किसी साधारण बचत स्कीम के अधीन किए गए विनिधान की बाबत कटौती
    • धारा - 80घ : स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के संबंध में कटौती
    • धारा - 80घघ : ऐसे किसी आश्रित के, जो नि:शक्त व्यक्ति है, चिकित्सीय उपचार सहित भरण-पोषण की बाबत कटौती
    • धारा - 80घघख : चिकित्सीय उपचार आदि की बाबत कटौती
    • धारा - 80ड़ : उच्चतर शिक्षा हेतु लिए गए उधार पर ब्याज की बाबत कटौती
    • धारा - 80ड़ड़ : आवासीय गृह संपत्ति के लिए, लिए गए उधार पर ब्याज की बाबत कटौती
    • धारा - 80च : कुछ मामलों में शिक्षा संबंधी व्ययों की बाबत कटौती
    • धारा - 80चच : कतिपय मामलों में उच्चतर शिक्षा पर व्यय की बाबत कटौती
    • धारा - 80छ : कुछ निधियों, पूर्त संस्थाओं आदि को दान की बाबत कटौती
    • धारा - 80छछ : संदत्त किराए की बाबत कटौती
    • धारा - 80छछक : वैज्ञानिक अनुसंधान या ग्राम विकास के लिए कुछ संदानों की बाबत कटौती
    • धारा - 80छछख : कंपनियों द्वारा राजनैतिक दलों को दिए गए अभिदायों की बाबत कटौती
    • धारा - 80छछग : किसी व्यक्ति द्वारा राजनैतिक दलों के दिए गए अभिदायों की बाबत कटौती
    • धारा - 80ज : विस्थापित व्यक्तियों को नियोजित करने वाले नए औद्योगिक उपक्रमों की दशा में कटौती, आदि
    • धारा - 80जज : पिछड़े क्षेत्रों में नए स्थापित औद्योगिक उपक्रमों या होटल कारबार से लाभ और अभिलाभ के संबंध में कटौती
    • धारा - 80जजक : कुछ क्षेत्रों में लगाए गए नए लघु उद्योग उपक्रमों के लाभ और अभिलाभ के बारे में कटौती
    • धारा - 80जजख : भारत से बाहर की परियोजनाओं से लाभ और अभिलाभ के संबंध में कटौती
    • धारा - 80जजखक : कतिपय दशाओं में आवास परियोजना से लाभों और अभिलाभों की बाबत कटौती
    • धारा - 80जजग : निर्यात कारबार के लिए प्रतिधारित लाभों की बाबत कटौती
    • धारा - 80जजघ : संपरिवर्तनीय विदेशी मुद्रा में उपार्जनों के संबंध में कटौती
    • धारा - 80जजड़ : कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर आदि के निर्यात से लाभ की बाबत कटौती
    • धारा - 80जजच : फिल्म सॉफ्टवेयर के निर्यात या अन्तरण से लाभों और अभिलाभों की बाबत कटौतियां
    • धारा - 80ञ : कतिपय दशाओं में नवस्थापित औद्योगिक उपक्रमों या पोतों या होटल के कारबार से लाभ और अभिलाभ की बाबत कटौती
    • धारा - 80ञञ : कुक्कट पालन के कारबार से लाभ और अभिलाभ की बाबत कटौती
    • धारा - 80ञञक : जैव-अवक्रमणीय अपशिष्ट के संग्रहण और प्रसंस्करण के कारबार से लाभ और अभिलाभ की बाबत कटौती।
    • धारा - 80ञञकक : नए कर्मचारियों के नियोजन के संबंध में कटौती
    • धारा - 80ट : नए औद्योगिक उपक्रमों या पोत या होटल के कारबार से लाभ और अभिलाभ के लिए माने जा सकने वाले लाभांशों की बाबत कटौती
    • धारा - 80ठ : कुछ प्रतिभूतियों, लाभांशों, आदि पर ब्याज की बाबत कटौतियां
    • धारा - 80ठक : अपतट बैंककारी यूनिटों और अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र की कतिपय आय की बाबत कटौतियां
    • धारा - 80ड : कतिपय अंतर्निगमित लाभांशों के संबंध में कटौती
    • धारा - 80डड : भारत में किसी समुत्थान से प्राप्त स्वामिस्व आदि के संबंध में भारतीय कंपनी की दशा में कटौती
    • धारा - 80ढ : कुछ विदेशी कंपनियों से प्राप्त लाभांशों के संबंध में कटौती
    • धारा - 80त : सहकारी सोसाइटियों की आय के संबंध में कटौती
    • धारा - 80थ : पुस्तकों के प्रकाशन के कारबार से लाभों और अभिलाभों के संबंध में कटौती
    • धारा - 80थथ : पुस्तकों के प्रकाशन के कारबार से लाभ और अभिलाभ के संबंध में कटौती
    • धारा - 80थथक : भारतीय भाषाओं में पाठ्य-पुस्तकों के लेखकों की वृत्तिक आय के संबंध में कटौतियां
    • धारा - 80थथख : पाठ्य-पुस्तकों से भिन्न कतिपय पुस्तकों के लेखकों की स्वामिस्व आय, आदि की बाबत कटौती
    • धारा - 80द : प्राचार्यों, शिक्षकों आदि की दशा में, कुछ विदेशी स्रोतों से पारिश्रमिक के संबंध में कटौती
    • धारा - 80दद : कतिपय दशाओं में विदेशी स्रोतों से वृत्तिक आय के संबंध में कटौती
    • धारा - 80ददक : भारत से बाहर की गर्इ सेवाओं के लिए प्राप्त पारिश्रमिक के संबंध में कटौती
    • धारा - 80ददख : पेटेंटों पर स्वामिस्व की बाबत कटौती
    • धारा - 80ध : कंपनियों से भिन्न निर्धारितियों की दशा में प्रबंध अभिकरण आदि की समाप्ति के लिए प्रतिकर के संबंध में कटौती
    • धारा - 80न : कंपनियों से भिन्न निर्धारितियों की दशा में दीर्घकालिक पूंजी अभिलाभ के संबंध में कटौती
    • धारा - 80नन : लाटरी से जीत के संबंध में कटौती
    • धारा - 80ननक : बचत खाते में निक्षेपों पर ब्याज की बाबत कटौती
    • धारा - 80प : किसी नि:शक्त व्यक्ति की दशा में कटौती
    • धारा - 80फ : कुछ दशाओं में माता या पिता की सकल कुल आय में से कटौती
    • धारा - 80फफ : अधिनियम के अधीन कुछ कार्यवाहियों के संबंध में किए गए व्यय की बाबत कटौती
  • अध्याय 7 - कुल आय की भागरूप आय जिस पर कोर्इ आय-कर संदेय नहीं है
    • धारा - 81 से 85ग : वित्त (सं. 2) अधिनियम, 1967 द्वारा 1.4.1968 से लोप किया गया
    • धारा - 86 : व्यक्ति-संगम या व्यष्टि-निकाय की आय में ऐसे संगम या निकाय के सदस्य का अंश
    • धारा - 86क : कतिपय प्रतिभूतियों पर कर की बाबत कटौती
  • अध्याय 8 - रिबेट और राहत
    • धारा - 87 : आय-कर की संगणना करने में अनुज्ञात किया जाने वाला रिबेट
    • धारा - 87क : कतिपय व्यष्टियों की दशा में आय-कर का रिबेट
    • धारा - 88 : जीवन बीमा प्रीमियम, भविष्य निधि में अभिदाय आदि पर रिबेट
    • धारा - 88क : कुछ नये शेयरों या यूनिटों में विनिधान की बाबत रिबेट
    • धारा - 88ख : पैंसठ वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यष्टियों की दशा में आय-कर रिबेट
    • धारा - 88ग : पैंसठ वर्ष से कम आयु की स्त्रियों की दशा में आय-कर रिबेट
    • धारा - 88घ : कतिपय व्यष्टियों की दशा में आय-कर रिबेट
    • धारा - 88ड़ : प्रतिभूति संव्यवहार कर की बाबत रिबेट
    • धारा - 89 : उस दशा में राहत जिसमें वेतन आदि का भुगतान बकाया या अग्रिम के रूप में किया जाता है
    • धारा - 89क : निर्यात के कुल आवर्त के संबंध में कर राहत
  • अध्याय 9 - दोहरे कराधान से राहत
    • धारा - 90 : [विदेशों या विनिर्दिष्ट राज्यक्षेत्रों से करार
    • धारा - 90क : दोहरे कराधन राहत के लिए विनिर्दिष्ट संगमों के बीच हुए करारों का केंद्रीय सरकार द्वारा अंगीकार किया जाना
    • धारा - 91 : वे देश जिनके साथ कोर्इ करार नहीं है
  • अध्याय 10 - कर के परिवर्जन के संबंध में विशेष उपबंध
    • धारा - 92 : असन्निकट कीमत को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय संव्यवहार से आय की संगणना
    • धारा - 92क : सहयुक्त उद्यम का अर्थ
    • धारा - 92ख : अंतरराष्ट्रीय संव्यवहार का अर्थ
    • धारा - 92खक : विनिर्दिष्ट देशी संव्यवहार का अर्थ
    • धारा - 92ग : असन्निकट कीमत की संगणना
    • धारा - 92गक : अंतरण मूल्यांकन अधिकारी को निर्देश
    • धारा - 92गख : सुरक्षित बंदरगाह नियम बनाने की बोर्ड की शक्ति
    • धारा - 92गग : अग्रिम मूल्यांकन करार
    • धारा - 92गघ : अग्रिम मूल्यांकन करार को प्रभावी रूप देना
    • धारा - 92गड़ : कतिपय मामलों में द्वितीय समायोजन।
    • धारा - 92घ : अंतरराष्ट्रीय संव्यवहार या विनिर्दिष्ट देशी संव्यवहार करने वाले व्यक्तियों द्वारा जानकारी और दस्तावेजों का रखा जाना और उन्हें बनाए रखा जाना
    • धारा - 92ड़ : अंतरराष्ट्रीय संव्यवहार या विनिर्दिष्ट देशी संव्यवहार करने वाले व्यक्तियों द्वारा लेखापाल से प्राप्त रिपोर्ट का दिया जाना
    • धारा - 92च : असन्निकट कीमत, आदि की संगणना से संबंधित कुछ पदों की परिभाषाएं
    • धारा - 93 : अनिवासियों को आय के अंतरण में परिणत होने वाले संव्यवहारों द्वारा आय-कर का परिवर्जन
    • धारा - 94 : प्रतिभूतियों में कुछ संव्यवहारों द्वारा कर का परिवर्जन
    • धारा - 94क : अधिसूचित अधिकारिता वाले क्षेत्र में अवस्थित व्यक्तियों से संव्यवहार के संबंध में विशेष अध्युपाय
    • धारा - 94ख : कतिपय मामलों में ब्याज कटौती को सीमित करना।
  • अध्याय 10क - सामान्य परिवर्जनरोधी नियम
    • धारा - 95 : सामान्य परिवर्जनरोधी नियम का लागू होना
    • धारा - 96 : अननुज्ञेय परिवर्जन ठहराव
    • धारा - 97 : ठहरावों में वाणिज्यिक सारतत्व का न होना
    • धारा - 98 : अननुज्ञेय परिवर्जन ठहराव का परिणाम
    • धारा - 99 : संबद्ध व्यक्ति और अनुकूलक पक्षकार का निरूपण
    • धारा - 100 : अध्याय का लागू होना
    • धारा - 101 : मार्गदर्शक सिद्धांतों का विरचित किया जाना
    • धारा - 102 : परिभाषाएं
  • अध्याय 11 - अवितरित लाभों पर अतिरिक्त आय कर
    • धारा - 104 : कुछ कंपनियों की अवितरित आय पर आय-कर
    • धारा - 105 : कुछ कंपनियों के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 106 : धारा 104 के अधीन आदेश करने का परिसीमा काल
    • धारा - 107 : धारा 104 के अधीन आदेशों के लिए सहायक आयुक्त (निरीक्षण) का अनुमोदन
    • धारा - 107क : कुछ मामलों में न्यूनतम वितरण को घटाना
    • धारा - 108 : उस कंपनी के लिए व्यावृत्तियां जिनमें जनता पर्याप्त रूप से हितबद्ध है
    • धारा - 109 : ''वितरण योग्य आय'' ''विनिधान कंपनी'' और ''कानूनी प्रतिशतता'' की परिभाषा
  • अध्याय 12 - कुछ विशेष दशाओं में कर का अवधारण
    • धारा - 110 : जहां कुल आय के अंतर्गत ऐसी आय है जिस पर कोर्इ कर संदेय नहीं है वहां कर का अवधारण
    • धारा - 111 : मान्यताप्राप्त भविष्य निधि के संचित अतिशेष पर कर
    • धारा - 111क : कतिपय मामलों में अल्पकालिक पूंजी अभिलाभों पर कर
    • धारा - 112 : दीर्घकालिक पूंजी अभिलाभों पर कर
    • धारा - 112क : राष्ट्रीय बचत पत्रों (प्रथम निर्गम) पर ब्याज पर कर
    • धारा - 113 : तलाशी के मामलों के समूह निर्धारण की दशा में करधारा - 114 : कंपनियों से भिन्न निर्धारितियों के मामले में पूंजी अभिलाभ पर कर
    • धारा - 115 : कंपनियों की दशा में पूंजी अभिलाभ पर कर
    • धारा - 115क : विदेशी कंपनियों की दशा में लाभांश, स्वामिस्व और तकनीकी सेवाओं की फीस पर कर
    • धारा - 115कख : विदेशी मुद्रा में क्रय किए गए यूनिटों या उनके अंतरण से उद्भूत पूंजी अभिलाभों से आय पर कर
    • धारा - 115कग : विदेशी करेंसी में क्रय किए गए बंधपत्रों या ग्लोबल निक्षेपागार रसीदों से आय पर अथवा उनके अंतरण से होने वाले पूंजी अभिलाभों से उद्भूत आय पर कर
    • धारा - 115कगक : विदेशी करेन्सी में खरीदी गर्इ ग्लोबल निक्षेपागार रसीदों से आय या उनके अंतरण से होने वाले पूंजी अभिलाभ पर कर
    • धारा - 115कघ : विदेशी संस्थागत विनिधानकर्ताओं की प्रतिभूतियों से अथवा उनके अंतरण से उद्भूत पूंजी अभिलाभों से आय पर कर
    • धारा - 115ख : जीवन-बीमा कारबार के लाभ और अभिलाभ पर कर
    • धारा - 115खक : कतिपय देशी कंपनियों की आय पर कर
    • धारा - 115खख : लाटरी, वर्ग पहेली, दौड़, जिसके अंतर्गत घुड़दौड़ भी है, ताश के खेल और अन्य सभी प्रकार के खेल या हर प्रकार या प्रकृति के जुए या दाव से जीत पर कर
    • धारा - 115खखख : भारतीय यूनिट ट्रस्ट की खुली साधारण शेयरोन्मुखी निधि या पारस्परिक निधियों की यूनिटों से आय पर कर
    • धारा - 115खखग : कतिपय मामलों में अनाम संदानों पर कर लगाया जाना
    • धारा - 115खखघ : विदेशी कंपनियों से प्राप्त कतिपय लाभांशों पर कर
    • धारा - 115खखघक : देशी कंपनियों से प्राप्त कतिपय लाभाशों पर कर
    • धारा - 115खखड़ : धारा 68 या धारा 69 या धारा 69क या धारा 69ग या धारा 69घ में निर्दिष्ट आय पर कर
    • धारा - 115खखच : पेटेंट से आय पर कर
  • अध्याय 12क - अनिवासियों की कुछ आय के संबंध में विशेष उपबंध
    • धारा - 115झ : यदि निर्धारिती चाहे तो अध्याय का लागू न होना
    • धारा - 115ग : परिभाषाएं
    • धारा - 115घ : अनिवासियों की कुल आय की संगणना के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 115ड़ : विनिधान आय और दीर्घकालिक पूंजी अभिलाभ पर कर
    • धारा - 115च : विदेशी मुद्रा आस्तियों के अंतरण पर पूंजी अभिलाभ का कुछ दशाओं में प्रभारित न होना
    • धारा - 115छ : कुछ मामलों में आय की विवरणी का फाइल न किया जाना
    • धारा - 115ज : निर्धारिती के निवासी हो जाने के बाद भी कुछ दशाओं में इस अध्याय के अधीन फायदों का उपलभ्य होना
  • अध्याय 12घ - देशी कंपनियों के वितरित लाभों पर कर संबंधी विशेष उपबंध
    • धारा - 115ण : देशी कंपनियों के वितरित लाभों पर कर
    • धारा - 115त : देशी कंपनियों द्वारा कर न देने के लिए संदेय ब्याज
    • धारा - 115थ : कंपनी को व्यतिक्रमी कब समझा जाता है
  • अध्याय 12ख - कुछ कंपनियों के संबंध में विशेष उपबंध
    • धारा - 115ञ : कुछ कंपनियों के संबंध में विशेष उपबंध
    • धारा - 115ञक : कुछ कंपनियों के संबंध में समझी गर्इ आय
    • धारा - 115ञकक : कुछ कंपनियों से सम्बद्ध समझी गर्इ आय पर संदत्त कर की बाबत कर क्रेडिट
    • धारा - 115ञख : कुछ कंपनियों द्वारा कर संदाय के लिए विशेष उपबंध

  • अध्याय 12खक - कंपनी से भिन्न कतिपय व्यक्तियों] के संबंध में विशेष उपबंध
    • धारा - 115ञग : कंपनी से भिन्न कतिपय व्यक्तियों द्वारा कर के संदाय के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 115ञघ : अनुकल्पी न्यूनतम कर के लिए कर प्रत्यय
    • धारा - 115ञड : इस अधिनियम के अन्य उपबंधों का लागू होना
    • धारा - 115ञड़ड़ : इस अध्याय का कतिपय व्यक्तियों को लागू होना
    • धारा - 115ञच : इस अध्याय का निर्वचन
  • अध्याय 12खख - किसी विदेशी बैंक की भारतीय शाखा के समनुषंगी कंपनी में संपरिवर्तन के संबंध में विशेष उपबंध
    • धारा - 115ञछ : किसी विदेशी कंपनी की भारतीय शाखा का समनुषंगी भारतीय कंपनी में संपरिवर्तन
  • अध्याय 12खग - भारत में निवासी के रूप में कथित विदेशी कंपनी से संबंधित विशेष उपबंध
    • धारा - 115ञज : भारत में निवासी के रूप में कथित विदेशी कंपनी
  • अध्याय 12ग - खुदरा व्यापार आदि के संबंध में विशेष उपबंध
    • धारा - 115ट : कुछ दशाओं में आय की संगणना करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 115ठ : कुछ दशाओं में आय की विवरणी का दाखिल न किया जाना
    • धारा - 115ड : कटौतियों और आय-कर रिबेट नामंजूर करने के लिए विशेष उपबंध
    • धारा - 115ढ : कुछ मामलों में कार्यवाहियों का वर्जन
  • अध्याय 12घक - शेयरों के क्रय द्वारा वापस लिए जाने के लिए देशी कंपनी की वितरित आय पर कर से संबंधित विशेष उपबंध
    • धारा - 115थक : शेयर धारकों को वितरित आय पर कर
    • धारा - 115थख : कंपनी द्वारा कर का संदाय न किए जाने पर संदेय ब्याज
    • धारा - 115थग : कंपनी को कब व्यतिक्रमी निर्धारिती माना जाएगा
  • अध्याय 12ड़ - वितरित आय पर कर से संबंधित विशेष उपबंध
    • धारा - 115द : यूनिट धारकों को वितरित आय पर कर
    • धारा - 115ध : कर न देने के लिए संदेय ब्याज
    • धारा - 115न : भारतीय यूनिट ट्रस्ट या पारस्परिक निधि का व्यतिक्रमी निर्धारिती होना
  • अध्याय 12ड़क - प्रतिभूतिकरण न्यासों द्वारा वितरित आय पर कर से संबंधित विशेष उपबंध
    • धारा - 115नक : विनिधानकर्ताओं को वितरित आय पर कर
    • धारा - 115नख : कर का संदाय न करने के लिए संदेय ब्याज
    • धारा - 115नग : प्रतिभूतिकरण न्यास का व्यतिक्रमी निर्धारिती होना
    • धारा - 115नगक : प्रतिभूतिकरण न्यासों से आय पर कर
  • अध्याय 12ड़ख - कतिपय न्यासों और संस्थाओं की अनुवर्धित आय पर कर से संबंधित विशेष उपबंध
    • धारा - 115नघ : अनुवर्धित आय पर कर
      धारा - 115नड़ : न्यास या संस्था द्वारा कर के असंदाय के लिए संदेय ब्याज
    • धारा - 115नच : न्यास या संस्था को कब व्यतिक्रमी निर्धारिती माना जाएगा
  • अध्याय 12च - जोखिम पूंजी कंपनी और जोखिम पूंजी निधि से प्राप्त आय पर कर से संबंधित विशेष उपबंध
    • धारा - 115प : कुछ मामलों में आय पर कर
  • अध्याय 12चक - कारबार न्यास से संबंधित विशेष उपबंध
    • धारा - 115पक : यूनिट धारक और कारबार न्यास की आय पर कर
  • अध्याय 12चख - विनिधान निधियों की आय और ऐसी निधियों से प्राप्त आय पर कर से संबंधित विशेष उपबंध
    • धारा - 115पख : विनिधान निधि और इसके यूनिट धारकों की आय पर कर
  • अध्याय 12छ - पोत परिवहन कंपनियों की आय से संबंधित विशेष उपबंध
    • धारा - 115फ : परिभाषाएं
    • धारा - 115फझ : सुसंगत पोत परिवहन आय
    • धारा - 115फण : धारा 115ञख के उपबंधों से अपवर्जन
    • धारा - 115फक : अर्हक पोतों के प्रचालन के कारबार से होने वाले लाभों और अभिलाभों की संगणना
    • धारा - 115फख : पोत प्रचालन
    • धारा - 115फग : अर्हक कंपनी
    • धारा - 115फघ : अर्हक पोत
    • धारा - 115फड़ : टनभार कर स्कीम के अधीन आय की संगणना करने की रीति
    • धारा - 115फच : टनभार आय
    • धारा - 115फछ : टनभार आय की संगणना
    • धारा - 115फज : संयुक्त प्रचालन, आदि की दशा में गणना
    • धारा - 115फञ : सामान्य खर्चों का अवधारण
    • धारा - 115फट : अवक्षयण
    • धारा - 115फठ : कटौती और मुजरा आदि का साधारण अपवर्जन
    • धारा - 115फड : हानि का अपवर्जन
    • धारा - 115फढ : टनभार कर आस्तियों के अंतरण से प्रभार्य अभिलाभ
    • धारा - 115फत : टनभार कर स्कीम संबंधी विकल्प अपनाने की पद्धति और समय
    • धारा - 115फथ : वह अवधि, जिसके लिए टनभार कर विकल्प प्रवृत्त रहेगा
    • धारा - 115फद : टनभार स्कीम का नवीकरण
    • धारा - 115फध : कतिपय मामलों में टनभार कर स्कीम संबंधी विकल्प अपनाने का प्रतिषेध
    • धारा - 115फन : टनभार कर आरक्षिति खाते में लाभों का अंतरण
    • धारा - 115फप : टनभार कर कंपनी के लिए न्यूनतम प्रशिक्षण की अपेक्षा
    • धारा - 115फफ : टनभार के भाड़े पर लेने के लिए सीमा
    • धारा - 115फब : लेखाओं का रखा जाना और संपरीक्षा
    • धारा - 115फभ : टनभार का अवधारण
    • धारा - 115फम : समामेलन
    • धारा - 115फय : अविलयन
    • धारा - 115फयक : अर्हक पोतों का अस्थायीतौर पर प्रचालन बंद करने का प्रभाव
    • धारा - 115फयख : कर का परिवर्जन
    • धारा - 115फयग : टनभार कर स्कीम में अपवर्जन
  • अध्याय 12ज - अनुषंगी फायदों पर आय-कर
    • धारा - 115ब : परिभाषाएं
    • धारा - 115बक : अनुषंगी फायदा कर प्रभारण
    • धारा - 115बख : अनुषंगी फायदे
    • धारा - 115बग : अनुषंगी फायदों का मूल्य
    • धारा - 115बघ : अनुषंगी फायदों की विवरणी
    • धारा - 115बड़ : निर्धारण
    • धारा - 115बच : सर्वोत्तम विवेकबुद्धि के अनुसार निर्धारण
    • धारा - 115बछ : निर्धारण से छूट गए अनुषंगी फायदे
    • धारा - 115बज : जहां अनुषंगी फायदे निर्धारण से छूट गए हैं वहां सूचना का जारी किया जाना
    • धारा - 115बझ : अनुषंगी फायदा कर का संदाय
    • धारा - 115बञ : अनुषंगी फायदों की बाबत अग्रिम कर
    • धारा - 115बट : अनुषंगी फायदों की विवरणी देने में व्यतिक्रम करने के लिए ब्याज
    • धारा - 115बटक : नियोजक द्वारा कर्मचारी से अनुषंगी फायदा कर की वसूली
    • धारा - 115बटख : कर्मचारी द्वारा कर का समझा गया संदाय
    • धारा - 115बठ : इस अधिनियम के अन्य उपबंधों का लागू होना
    • धारा - 115बड : अध्याय 12ज का निश्चित तारीख के पश्चात् लागू न होना
  • अध्याय 13 - आय-कर प्राधिकारी
    • धारा - 116 : आय-कर प्राधिकारी
    • धारा - 117 : आय-कर प्राधिकारियों की नियुक्ति
    • धारा - 118 : आय-कर प्राधिकारियों का नियंत्रण
    • धारा - 119 : अधीनस्थ प्राधिकारियों को अनुदेश
    • धारा - 120 : आय-कर प्राधिकारियों की अधिकारिता
    • धारा - 121 : आयुक्तों की अधिकारिता
    • धारा - 121क : आयुक्त (अपील) की अधिकारिता
    • धारा - 122 : सहायक आयुक्त (अपील) की अधिकारिता
    • धारा - 123 : सहायक आयुक्त (निरीक्षण) की अधिकारिता
    • धारा - 124 : निर्धारण अधिकारियों की अधिकारिता
    • धारा - 125 : विनिर्दिष्ट क्षेत्र, मामलों, व्यक्तियों आदि की बाबत आयुक्त की शक्तियां
    • धारा - 125क : सहायक आयुक्त (निरीक्षण) और आय-कर अधिकारी की समवर्ती अधिकारिता
    • धारा - 126 : विनिर्दिष्ट क्षेत्र, व्यक्तियों या आय के वर्गों की बाबत बोर्ड की शक्तियां
    • धारा - 127 : मामले अंतरित करने की शक्ति
    • धारा - 128 : आय-कर निरीक्षकों के कार्य
    • धारा - 129 : किसी पद के धारक की तब्दीली
    • धारा - 130 : किसी कृत्य या किन्हीं कृत्यों को करने के लिए सक्षम आयुक्त
    • धारा - 130क : किसी कृत्य या किन्हीं कृत्यों को करने के लिए सक्षम आय-कर अधिकारी
    • धारा - 131 : साक्ष्य के प्रकटीकरण, पेश करने आदि के बारे में शक्ति
    • धारा - 132 : तलाशी और अभिग्रहण
    • धारा - 132क : लेखा बहियों आदि की अध्यपेक्षा करने की शक्ति
    • धारा - 132ख : अभिगृहीत या अध्यपेक्षित आस्तियों का उपयोजन
    • धारा - 133 : जानकारी मांगने की शक्ति
    • धारा - 133क : सर्वेक्षण की शक्ति
    • धारा - 133ख : कुछ सूचना एकत्र करने की शक्ति
    • धारा - 133ग : विहित आय-कर प्राधिकारी द्वारा सूचना मंगाने की शक्ति
    • धारा - 134 : कंपनियों के रजिस्टरों का निरीक्षण करने की शक्ति
    • धारा - 135 : प्रधान महानिदेशक या महानिदेशक या प्रधान निदेशक या निदेशक, प्रधान मुख्य आयुक्त या मुख्य आयुक्त या प्रधान आयुक्त या आयुक्त तथा संयुक्त आयुक्त की शक्ति
    • धारा - 136 : आय-कर प्राधिकारियों के समक्ष की कार्यवाहियों का न्यायिक कार्यवाहियां होना
    • धारा - 137 : सूचना का प्रकटीकरण प्रतिषिद्ध होना
    • धारा - 138 : निर्धारितियों के संबंध में जानकारी का प्रकटीकरण
  • अध्याय 14 - निर्धारण के लिये प्रक्रिया
    • धारा - 139 : आय की विवरणी
    • धारा - 139क :
    • धारा - 139ख : कर विवरणी तैयार करने वालों के माध्यम से विवरणियां प्रस्तुत करने संबंधी स्कीम
    • धारा - 139ग : विवरणी के साथ दस्तावेज आदि प्रस्तुत करने से अभिमुक्ति देने की बोर्ड की शक्ति
    • धारा - 139घ : इलेक्ट्रानिक रूप में विवरणी का फाइल किया जाना
    • धारा - 140 : विवरणी किसके द्वारा सत्यापित हो
    • धारा - 140क : स्वत: निर्धारण
    • धारा - 141 : अनंतिम निर्धारण
    • धारा - 141क : प्रतिदाय के लिए अनंतिम निर्धारण
    • धारा - 142 : निर्धारण के पूर्व जांच
    • धारा - 142क : मूल्यांकन प्राधिकारी द्वारा आस्तियों के मूल्य का प्राक्कलन
    • धारा - 143 : निर्धारण
    • धारा - 144 : सर्वोत्तम विवेकबुद्धि के अनुसार निर्धारण
    • धारा - 144क : संयुक्त आयुक्त की कुछ मामलों में निर्देश देने की शक्ति
    • धारा - 144ख : कुछ मामलों में उपायुक्त को निर्देश
    • धारा - 144खक : कतिपय मामलों में प्रधान आयुक्त या आयुक्त को निर्देश
    • धारा - 144ग : विवाद समाधान पैनल को निर्देश
    • धारा - 145 : लेखा पद्धति
    • धारा - 145क : कतिपय मामलों में लेखा पद्धति
    • धारा - 146 : निर्धारिती की प्रेरणा पर निर्धारण को पुन: खोलना
    • धारा - 147 : निर्धारण से छूट गर्इ आय
    • धारा - 148 : जहां आय निर्धारण से छूट गर्इ है, वहां सूचना का जारी किया जाना
    • धारा - 149 : सूचना के लिए समय सीमा
    • धारा - 150 : ऐसे मामलों के लिए उपबंध जिनमें निर्धारण अपील आदि पर आदेश के अनुसरण में किया गया है
    • धारा - 151 : सूचना जारी करने की मंजूरी
    • धारा - 152 : अन्य उपबंध
    • धारा - 153 : निर्धारण, पुन: निर्धारण और पुन: संगणना को पूरा करने के लिए समय-सीमा
    • धारा - 153क : तलाशी या अध्यपेक्षा की दशा में निर्धारण
    • धारा - 153ख : धारा 153क के अधीन निर्धारण पूरा करने के लिए समय सीमा
    • धारा - 153ग : किसी अन्य व्यक्ति की आय का निर्धारण
    • धारा - 153घ : तलाशी या अध्यपेक्षा के मामलों में निर्धारण के लिए पूर्व अनुमोदन का आवश्यक होना
    • धारा - 154 : भूल सुधार
    • धारा - 155 : अन्य संशोधन
    • धारा - 156 : मांग की सूचना
    • धारा - 157 : हानि की जानकारी
    • धारा - 158 : फर्म के निर्धारण की जानकारी
  • अध्याय 14क - पुनरावर्ती अपीलों से बचने के लिये विशेष उपबंध
    • धारा - 158क : जब निर्धारिती दावा करता है कि विधि का वैसा ही प्रश्न उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है
    • धारा - 158कक : प्रक्रिया, जब राजस्व द्वारा किसी अपील में, विधि का समरूप प्रश्न उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित हो।
  • अध्याय 14ख - तलाशी के मामलों के निर्धारण के लिये विशेष प्रक्रिया
    • धारा - 158ख : परिभाषाएं
    • धारा - 158खक : तलाशी के परिणामस्वरूप अप्रकट आय का निर्धारण
    • धारा - 158खख : ब्लाक अवधि की अप्रकट आय की संगणना
    • धारा - 158खग : समूह निर्धारण संबंधी प्रक्रिया
    • धारा - 158खघ : किसी अन्य व्यक्ति की अप्रकट आय
    • धारा - 158खड़ : समूह निर्धारण पूरा करने के लिए समय-सीमा
    • धारा - 158खच : कुछ ब्याजों और शास्तियों का उद्गृहीत या अधिरोपित न किया जाना
    • धारा - 158खचक : कुछ मामलों में ब्याज और शास्ति का उद्ग्रहण
    • धारा - 158खछ : समूह निर्धारण करने में सक्षम प्राधिकारी
    • धारा - 158खज : इस अधिनियम के अन्य उपबंधों का लागू होना
    • धारा - 158खझ : अध्याय का निश्चित तारीख के पश्चात् लागू न होना
  • अध्याय 15 - विशेष दशाओं में दायित्व
    • धारा - 159 : विधिक प्रतिनिधि
    • धारा - 160 : प्रतिनिधि निर्धारिती
    • धारा - 161 : प्रतिनिधि निर्धारिती का दायित्व
    • धारा - 162 : संदत्त कर को वसूल करने का प्रतिनिधि निर्धारिती का अधिकार
    • धारा - 163 : अभिकर्ता कौन समझे जा सकेंगे
    • धारा - 164 : जहां हिताधिकारियों का अंश अज्ञात हो वहां कर का प्रभारण
    • धारा - 164क : मौखिक न्यास की दशा में कर प्रभारित किया जाना
    • धारा - 165 : ऐसे मामले जिनमें न्यास की आय का भाग प्रभार्य हो
    • धारा - 166 : प्रत्यक्ष निर्धारण या वसूली का वर्जित न होना
    • धारा - 167 : प्रतिनिधि निर्धारितियों की दशा में संपत्ति के विरुद्ध उपचार
    • धारा - 167क : फर्म की दशा में कर का प्रभारण
    • धारा - 167ख : जहां व्यक्ति संगम या व्यष्टि निकाय के सदस्यों के अंश अज्ञात हैं वहां कर प्रभारित किया जाना आदि
    • धारा - 167ग : परिसमापन में सीमित दायित्व भागीदारी के भागीदारों का दायित्व
    • धारा - 168 : निष्पादक
    • धारा - 169 : निष्पादक का संदत्त कर वसूल करने का अधिकार
    • धारा - 170 : मृत्यु पर से अन्यथा कारबार का उत्तराधिकार
    • धारा - 171 : हिन्दू अविभक्त कुटुम्ब का विभाजन के पश्चात् निर्धारण
    • धारा - 172 : अनिवासियों का पोत परिवहन कारबार
    • धारा - 173 : अनिवासी की बाबत कर की उसकी आस्तियों से वसूली
    • धारा - 174 : भारत छोड़ने वाले व्यक्तियों का निर्धारण
    • धारा - 174क : किसी विशिष्ट घटना या प्रयोजन के लिए बनाए गए व्यक्तियों के संगम या व्यष्टियों के निकाय या कृत्रिम विधिक व्यक्ति का निर्धारण
    • धारा - 175 : ऐसे व्यक्तियों का निर्धारण जिनके द्वारा कर से बचने के लिए संपत्ति का अंतरित किया जाना संभाव्य है
    • धारा - 176 : बंद कर दिया गया कारबार
    • धारा - 177 : विघटित संगम या बंद कर दिया गया कारबार
    • धारा - 178 : समापनाधीन कंपनी
    • धारा - 179 : समापनाधीन प्राइवेट कंपनी के निदेशकों का दायित्व
    • धारा - 180 : साहित्यिक या कलात्मक कृति के लिए स्वामिस्व या प्रतिलिप्याधिकार फीसें
    • धारा - 180क : व्यवहार ज्ञान के लिए प्रतिफल
    • धारा - 181 : वित्त अधिनियम, 1988 द्वारा 1.4.1989 से धारा 181 और उपशीर्ष ''ण–राज्य सरकारों का दायित्व'' का लोप किया गया।
  • अध्याय 16 - फर्मों को लागू विशेष उपबंध
    • धारा - 182 : रजिस्ट्रीकृत फर्मों का निर्धारण
    • धारा - 183 : अरजिस्ट्रीकृत फर्मों का निर्धारण
    • धारा - 184 : फर्म के रूप में निर्धारण
    • धारा - 185 : जब धारा 184 का अनुपालन न हो तब निर्धारण
    • धारा - 186 : फर्म के गठन में तब्दीली
    • धारा - 187 : एक फर्म का दूसरी फर्म द्वारा उत्तराधिकार
    • धारा - 188क : फर्म द्वारा देय कर के लिए भागीदारों का संयुक्त और पृथक दायित्व
    • धारा - 189 : विघटित फर्म या बंद किया गया कारबार
    • धारा - 189क : फर्मों के पूर्व निर्धारणों को लागू उपबंध
  • अध्याय 17 - कर संग्रहण और वसूली
    • धारा - 190 : स्रोत पर कटौती और अग्रिम संदाय
    • धारा - 191 : प्रत्यक्ष भुगतान
    • धारा - 192 : वेतन
    • धारा - 192क : किसी कर्मचारी को शोध्य संचयित अतिशेष का संदाय
    • धारा - 193 : प्रतिभूतियों पर ब्याज
    • धारा - 194 : लाभांश
    • धारा - 194झ : किराया
    • धारा - 194क : 'प्रतिभूतियों पर ब्याज'' से भिन्न ब्याज
    • धारा - 194ख : लाटरी या वर्ग पहेली से जीत
    • धारा - 194खख : घुड़दौड़ से जीत
    • धारा - 194ग : ठेकेदारों को संदाय
    • धारा - 194घ : बीमा कमीशन
    • धारा - 194घक : जीवन बीमा पालिसी के संबंध में संदाय
    • धारा - 194ड़ : अनिवासी खिलाड़ियों या खेलकूद संघों (एसोसिएशनों) को संदाय
    • धारा - 194ड़ड़ : राष्ट्रीय बचत स्कीम आदि के अधीन निक्षेपों की बाबत संदाय
    • धारा - 194च : पारस्परिक निधि या भारतीय यूनिट ट्रस्ट द्वारा यूनिटों के पुन: क्रय मद्धे संदाय
    • धारा - 194छ : लाटरी टिकटों के विक्रय पर कमीशन आदि
    • धारा - 194ज : कमीशन या दलाली
    • धारा - 194झक : कृषि भूमि से भिन्न कतिपय स्थावर संपत्ति के अंतरण पर संदाय
    • धारा - 194झख : कतिपय व्यष्टियों या हिन्दू अविभक्त कुटुंब द्वारा किराए का संदाय
    • धारा - 194झग : विनिर्दिष्ट करार के अधीन संदाय
    • धारा - 194ञ : वृत्तिक या तकनीकी सेवाओं के लिए फीस
    • धारा - 194ट : यूनिटों की बाबत आय
    • धारा - 194ठ : पूंजी आस्ति के अर्जन पर प्रतिकर का संदाय
    • धारा - 194ठक : कतिपय स्थावर संपत्ति के अर्जन पर प्रतिकर का संदाय
    • धारा - 194ठख : अवसंरचना ऋण निधि के ब्याज के रूप में आय
    • धारा - 194ठखक : किसी कारबार न्यास की यूनिटों से कतिपय आय
    • धारा - 194ठखख : विनिधान निधि की यूनिटों के संबंध में आय
    • धारा - 194ठखक : प्रतिभूतिकरण न्यास में विनिधान के संबंध में आय
    • धारा - 194ठग : कतिपय कारबार में लगी हुर्इ भारतीय कंपनी से ब्याज के रूप में आय
    • धारा - 194ठघ : कतिपय बंधपत्रों और सरकारी प्रतिभूतियों पर ब्याज के रूप में आय
    • धारा - 195 : अन्य राशियां
    • धारा - 195क : आय, जिस पर "शुद्ध कर" संदेय है
    • धारा - 196 : सरकार, रिजर्व बैंक या कुछ निगमों को संदेय ब्याज या लाभांश या अन्य राशियां
    • धारा - 196क : अनिवासियों के यूनिटों की बाबत आय
    • धारा - 196ख : यूनिटों से आय
    • धारा - 196ग : भारतीय कंपनी के विदेशी मुद्रा में बंधपत्रों या शेयरो से आय
    • धारा - 196घ : प्रतिभूतियों से विदेशी संस्थागत विनिधानकर्ताओं की आय
    • धारा - 197 : निम्नतर दर पर कटौती के लिए प्रमाणपत्र
    • धारा - 197क : कुछ दशाओं में कटौती का न किया जाना
    • धारा - 198 : कटौती किया गया कर प्राप्त हुर्इ आय है
    • धारा - 199 : कटौती किए गए कर की बाबत मुजरा
    • धारा - 200 : कर की कटौती करने वाले व्यक्ति का कर्त्तव्य
    • धारा - 200क : स्रोत पर काटे गए कर के विवरण की प्रक्रिया
    • धारा - 201 : कटौती करने की या संदाय करने में असफल रहने के परिणाम
    • धारा - 202 : वसूल करने के ढंगों में कटौती का केवल एक ढंग होना
    • धारा - 203 : कटौती किए गए कर के लिए प्रमाणपत्र
    • धारा - 203क : कर कटौती और संग्रहण लेखा संख्यांक
    • धारा - 203कक : कटौती किए गए कर, आदि का विवरण दिया जाना
    • धारा - 204 : 'संदाय करने के लिए उत्तरदायी'' व्यक्ति का अर्थ
    • धारा - 205 : निर्धारिती पर प्रत्यक्ष मांग का वर्जन
    • धारा - 206 : कर की कटौती करने वाले व्यक्तियों द्वारा विहित विवरणी का दिया जाना
    • धारा - 206क : निवासियों को कर की कटौती के बिना ब्याज के संदाय की बाबत तिमाही विवरणी का दिया जाना
    • धारा - 206कक : स्थायी खाता संख्यांक देने की अपेक्षा
    • धारा - 206ख : कर की कटौती किए बिना कुछ निवासियों को लाभांश का संदाय करने वाले व्यक्ति द्वारा विहित विवरणी का दिया जाना
    • धारा - 206ग : एल्कोहाली लिकर, वनोत्पाद, स्क्रैप आदि में व्यापार के कारबार से लाभ और अभिलाभ
    • धारा - 206गक : कर-संग्रहण खाता संख्यांक
    • धारा - 206गख : स्रोत पर संगृहीत कर के विवरणों का तैयार किया जाना
    • धारा - 206गग : उस व्यक्ति द्वारा, जिससे संग्रह किया गया है, स्थायी खाता संख्यांक दिए जाने की अपेक्षा
    • धारा - 207 : अग्रिम कर का संदाय करने का दायित्व
    • धारा - 208 : अग्रिम कर का संदाय करने के दायित्व की शर्तें
    • धारा - 209 : अग्रिम कर की संगणना
    • धारा - 209क : निर्धारिती द्वारा अग्रिम कर की संगणना तथा संदाय
    • धारा - 210 : निर्धारिती द्वारा स्वप्रेरणा से या निर्धारण अधिकारी के आदेश के अनुसरण में अग्रिम कर का संदाय
    • धारा - 211 : अग्रिम कर की किस्तें और नियत तारीखें
    • धारा - 212 : निर्धारिती द्वारा प्राक्कलन
    • धारा - 213 : कमीशन प्राप्तियां
    • धारा - 214 : सरकार द्वारा संदेय ब्याज
    • धारा - 215 : निर्धारिती द्वारा संदेय ब्याज
    • धारा - 216 : अव-प्राक्कलन आदि की दशा में निर्धारिती द्वारा संदेय ब्याज
    • धारा - 217 : निर्धारिती द्वारा उस दशा में संदेय ब्याज जिसमें कोर्इ प्राक्कलन नहीं किया गया है
    • धारा - 218 : निर्धारिती कब व्यतिक्रमी समझा जाएगा
    • धारा - 219 : अग्रिम कर के लिए मुजरा
    • धारा - 220 : कर कब देय होगा और निर्धारिती कब व्यतिक्रमी समझा जाएगा
    • धारा - 221 : कर में व्यतिक्रम होने पर देय शास्ति
    • धारा - 222 : कर वसूली अधिकारी द्वारा प्रमाणपत्र
    • धारा - 223 : कर वसूली अधिकारी जिसके द्वारा वसूली की जानी है
    • धारा - 224 : प्रमाणपत्र की विधिमान्यता और उसका रद्द किया जाना या उसका संशोधन
    • धारा - 225 : प्रमाणपत्र के अनुसरण में कार्यवाहियों का रोका जाना और उसका संशोधन या रद्द किया जाना
    • धारा - 226 : वसूली के अन्य ढंग
    • धारा - 227 : राज्य सरकार की मार्फत वसूली
    • धारा - 228 : पाकिस्तान में भारतीय कर और भारत में पाकिस्तानी कर की वसूली
    • धारा - 228क : विदेशों से करार के अनुसरण में कर की वसूली
    • धारा - 229 : शास्तियों, जुर्माने, ब्याज तथा अन्य राशियों की वसूली
    • धारा - 230 : कर-समाशोधन प्रमाणपत्र
    • धारा - 230क : कतिपय दशाओं में अचल संपत्ति के अंतरण के रजिस्ट्रीकरण पर निर्बंधन
    • धारा - 231 : वसूली कार्यवाहियां प्रारंभ करने के लिए अवधि
    • धारा - 232 : वाद के द्वारा या अन्य विधि के अंतर्गत वसूली का प्रभावित न होना
    • धारा - 233 : अनंतिम निर्धारण के अधीन संदेय कर की वसूली
    • धारा - 234 : कटौती या अग्रिम संदाय द्वारा संदत कर
    • धारा - 234क : आय की विवरणी देने में व्यतिक्रम के लिए ब्याज
    • धारा - 234ख : अग्रिम कर के भुगतान में व्यतिक्रम के लिए ब्याज
    • धारा - 234ग : अग्रिम कर के आस्थगन के लिए ब्याज
    • धारा - 234घ : अधिक प्रतिदाय पर ब्याज
    • धारा - 234ड़ : विवरण प्रस्तुत करने में व्यतिक्रमों के लिए फीस
    • धारा - 234च : आय की विवरणी देने में व्यतिक्रम के लिए फीस
  • अध्याय 18 - कुछ दशाओं में लाभांशों पर कर विषयक राहत
    • धारा - 235 : लाभांशों के मद्दे मानी जाने वाली कृषि आय के कर बाबत शेयरधारकों को राहत
    • धारा - 236 : पहले कर लगे लाभों में से अदा लाभांश की बाबत कंपनी को राहत
    • धारा - 236क : कुछ लाभांशों की बाबत कुछ पूर्त संस्थाओं या निधियों को राहत
  • अध्याय 19 - प्रतिदाय (रिफंड)
    • धारा - 237 : प्रतिदाय
    • धारा - 238 : कुछ विशेष दशाओं में प्रतिदाय का दावा करने के लिए हकदार व्यक्ति
    • धारा - 239 : प्रतिदाय के दावे का प्ररूप और परिसीमा
    • धारा - 240 : अपील आदि पर प्रतिदाय
    • धारा - 241 : कुछ दशाओं में प्रतिदाय को रोक रखने की शक्ति
    • धारा - 241क : कतिपय मामलों में प्रतिदाय को रोके रखना।
    • धारा - 242 : निर्धारण के सही होने को प्रश्नगत न किया जाना
    • धारा - 243 : विलंबित प्रतिदायों पर ब्याज
    • धारा - 244 : जहां किसी दावे का किया जाना आवश्यक नहीं है, वहां प्रतिदाय पर ब्याज
    • धारा - 244क : प्रतिदायों पर ब्याज
    • धारा - 245 : ऐसे कर के प्रति, जो संदेय है, प्रतिदायों का मुजरा
  • अध्याय 19क - मामलों का समझौता
    • धारा - 245क : परिभाषाएं
    • धारा - 245ख : आय-कर समझौता आयोग
    • धारा - 245खक : समझौता आयोग की अधिकारिता और शक्तियां
    • धारा - 245खख : कुछ परिस्थितियों में उपाध्यक्ष का अध्यक्ष के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वहन करना
    • धारा - 245खग : एक न्यायपीठ से दूसरे न्यायपीठ को मामले अन्तरित करने की अध्यक्ष की शक्ति
    • धारा - 245खघ : बहुमत द्वारा विनिश्चय का किया जाना
    • धारा - 245ग : मामलों के समझौते के लिए आवेदन
    • धारा - 245घ : धारा 245ग के अधीन आवेदन की प्राप्ति पर प्रक्रिया
    • धारा - 245घघ : राजस्व संरक्षण के लिए अनन्तिम कुर्की का आदेश करने की समझौता आयोग की शक्ति
    • धारा - 245ड़ : पूरी की गर्इ कार्यवाहियों को पुन: आरम्भ करने की समझौता आयोग की शक्ति
    • धारा - 245च : समझौता आयोग की शक्तियां और प्रक्रिया
    • धारा - 245छ : रिपोर्टों का निरीक्षण आदि
    • धारा - 245ज : अभियोजन और शास्ति से उन्मुक्ति देने की समझौता आयोग की शक्ति
    • धारा - 245जक : समझौता आयोग के समक्ष कार्यवाही का उपशमन
    • धारा - 245जकक : कार्यवाहियों के उपशमन की दशा में संदत्त कर के लिए प्रत्यय
    • धारा - 245झ : समझौता आदेश का निश्चायक होना
    • धारा - 245ञ : समझौता आदेश के अधीन शोध्य राशि की वसूली
    • धारा - 245ट : समझौते के लिए पश्चात्वर्ती आवेदन का वर्जन
    • धारा - 245ठ : समझौता आयोग के समक्ष कार्यवाहियों का न्यायिक कार्यवाहियां होना
    • धारा - 245ड : कुछ व्यक्तियों का जिन्होंने अपील अधिकरण में अपील की है, समझौता आयोग के पास आवेदन करने का हकदार होना
  • अध्याय 19ख - अग्रिम विनिर्णय (एडवांस रूलिंग्स)
    • धारा - 245ढ : परिभाषाएं
    • धारा - 245ण : अग्रिम विनिर्णय प्राधिकरण
    • धारा - 245त : रिक्तियों आदि से कार्यवाहियों का अविधिमान्य न होना
    • धारा - 245थ : अग्रिम विनिर्णय के लिए आवेदन
    • धारा - 245द : आवेदन की प्राप्ति पर प्रक्रिया
    • धारा - 245दद : कुछ मामलों में अपील प्राधिकरण का कार्यवाही न करना
    • धारा - 245ध : अग्रिम विनिर्णय का लागू होना
    • धारा - 245न : कुछ परिस्थितियों में अग्रिम विनिर्णय का शून्य होना
    • धारा - 245प : प्राधिकरण की शक्तियां
    • धारा - 245फ : प्राधिकरण की प्रक्रिया
  • अध्याय 20 - अपीलें और पुनरीक्षण
    • धारा - 246 : अपीलीय आदेश
    • धारा - 246क : आयुक्त (अपील) के समक्ष अपीलीय आदेश
    • धारा - 247 : भागीदार द्वारा अपील
    • धारा - 248 : कतिपय मामलों में कर की कटौती करने के दायित्व से इन्कार करने वाले व्यक्ति द्वारा अपील
    • धारा - 249 : अपील का प्ररूप और परिसीमा
    • धारा - 250 : अपील में प्रक्रिया
    • धारा - 251 : [* * *] आयुक्त (अपील) की शक्तियां
    • धारा - 252 : अपील अधिकरण
    • धारा - 252क : अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की अर्हता और सेवा के अन्य निबंधन तथा शर्तें
    • धारा - 253 : अपील अधिकरण को अपीलें
    • धारा - 254 : अपील अधिकरण के आदेश
    • धारा - 255 : अपील अधिकरण की प्रक्रिया
    • धारा - 256 : उच्च न्यायालय को मामलों का कथन
    • धारा - 257 : कुछ दशाओं में उच्चतम न्यायालय को मामलों का कथन
    • धारा - 258 : उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय को कथन का संशोधन करने की अपेक्षा करने की शक्ति
    • धारा - 259 : उच्च न्यायालय के समक्ष मामला दो से कम न्यायाधीशों द्वारा न सुना जाना
    • धारा - 260 : कथित मामले पर उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय का विनिश्चय
    • धारा - 260क : उच्च न्यायालय में अपील
    • धारा - 260ख : उच्च न्यायालय के समक्ष मामला दो से कम न्यायाधीशों द्वारा न सुना जाना
    • धारा - 261 : उच्चतम न्यायालय में अपील
    • धारा - 262 : उच्चतम न्यायालय के समक्ष सुनवार्इ
    • धारा - 263 : राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले आदेशों का पुनरीक्षण
    • धारा - 264 : अन्य आदेशों का पुनरीक्षण
    • धारा - 265 : निर्देश आदि के होते हुए भी कर दिया जाना
    • धारा - 266 : उच्चतम न्यायालय द्वारा दिलवाए गए खर्चों का निष्पादन
    • धारा - 267 : अपील पर निर्धारण का संशोधन
    • धारा - 268 : प्रतिलिपि लेने में लगे समय का अपवर्जन
    • धारा - 268क : आय-कर प्राधिकारी द्वारा अपील या निर्देश के लिए आवेदन का फाइल किया जाना
    • धारा - 269 : 'उच्च न्यायालय'' की परिभाषा
  • अध्याय 20क - कर अपवंचन रोकने के लिए अंतरण की कुछ दशाओं में स्थावर सम्पत्ति का अर्जन
    • धारा - 269क : परिभाषाएं
    • धारा - 269कख : कुछ संव्यवहारों का रजिस्ट्रीकरण
    • धारा - 269ख : सक्षम प्राधिकारी
    • धारा - 269ग : स्थावर सम्पत्ति जिसकी बाबत अर्जन की कार्यवाहियां की जा सकती हैं
    • धारा - 269घ : प्रारम्भिक सूचना
    • धारा - 269ड़ : आक्षेप (आपत्तियां)
    • धारा - 269च : आक्षेपों की सुनवार्इ
    • धारा - 269छ : अर्जन के आदेश के विरुद्ध अपील
    • धारा - 269ज : उच्च न्यायालय में अपील
    • धारा - 269झ : केन्द्रीय सरकार में संपत्ति का निहित होना
    • धारा - 269ञ : प्रतिकर
    • धारा - 269ट : प्रतिकर का संदाय या निक्षेप
    • धारा - 269ठ : मूल्यांकन अधिकारियों द्वारा सहायता
    • धारा - 269ड : सक्षम प्राधिकारी की शक्तियां
    • धारा - 269ढ : भूल सुधार
    • धारा - 269ण : प्राधिकृत प्रतिनिधि या रजिस्ट्रीकृत मूल्यांकक द्वारा हाजिरी
    • धारा - 269त : स्थावर सम्पत्ति के अन्तरणों की बाबत विवरण दिया जाना
    • धारा - 269थ : अध्याय का नातेदारों को किए जाने वाले अन्तरणों को लागू न होना
    • धारा - 269द : इस अध्याय के अधीन अर्जन की दायित्वाधीन संपत्तियों का अन्य विधियों के अधीन अर्जन न किया जाना
    • धारा - 269दद : किसी निश्चित तारीख के पश्चात् किए गए स्थावर संपत्ति के अंतरण को इस अध्याय का लागू न होना
    • धारा - 269ध : अध्याय का विस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य पर न होना
    • धारा - 269धन : संव्यवहार करने का ढंग
  • अध्याय 20ख - कर अपवंचन को रोकने के लिए कुछ दशाओं में स्वीकृति, संदाय या प्रतिसंदाय के ढंग के बारे में अपेक्षा
    • धारा - 269धध : कुछ उधार, निक्षेप या विनिर्दिष्ट राशियां लेने या प्रतिगृहीत करने का ढंग
    • धारा - 269न : कुछ उधारों और निक्षेपो के प्रतिसंदाय का ढंग
    • धारा - 269नन : विशेष वाहक बंधपत्र, 1991 के प्रतिसंदाय का ढंग
  • अध्याय 20ग - अंतरण के कुछ मामलों में स्थावर संपत्ति का केन्द्रीय सरकार द्वारा क्रय
    • धारा - 269प : अध्याय का प्रारम्भ
    • धारा - 269पक : परिभाषाएं
    • धारा - 269पख : समुचित प्राधिकरण
    • धारा - 269पग : स्थावर संपत्ति के अंतरण पर निर्बन्धन
    • धारा - 269पघ : केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थावर संपत्ति के खरीदे जाने के लिए समुचित प्राधिकरण द्वारा आदेश
    • धारा - 269पड़ : केन्द्रीय सरकार में संपत्ति का निहित होना
    • धारा - 269पच : केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थावर संपत्ति के क्रय के लिए प्रतिफल
    • धारा - 269पछ : प्रतिफल का संदाय या निक्षेप
    • धारा - 269पज : प्रतिफल के न देने या जमा न करने पर संपत्ति का अंतरण में पुन: निहित होना
    • धारा - 269पझ : समुचित प्राधिकरण की शक्तियां
    • धारा - 269पञ : भूल सुधार
    • धारा - 269पट : स्थावर संपत्ति के अंतरण संबंधी कुछ करारों के प्रतिसंहरण या परिवर्तन पर अथवा कुछ स्थावर सम्पत्ति के अंतरण पर निर्बन्धन
    • धारा - 269पठ : स्थावर संपत्ति के अंतरण की बाबत दस्तावेजों के रजिस्ट्रीकरण आदि पर निर्बन्धन
    • धारा - 269पड : अंतरिती के अंतरण के दावे से अन्तरक को उन्मुक्ति
    • धारा - 269पढ : समुचित प्राधिकरण के आदेश का अंतिम और निश्चायक होना
    • धारा - 269पण : कुछ अंतरणों को अध्याय का लागू न होना
    • धारा - 269पत : अध्याय का वहां लागू न होना जहां स्थावर संपत्ति का अंतरण निश्चित तारीख के पश्चात् होता है।
  • अध्याय 21 - अधिरोपणीय शास्तियां
    • धारा - 270 : प्रतिभूतियों आदि के बारे में जानकारी देने में असफलता
    • धारा - 270क : आय की कम रिपोर्ट करने और मिथ्या रिपोर्ट करने के लिए शास्ति
    • धारा - 270कक : शास्ति आदि के अधिरोपण से उन्मुक्ति
    • धारा - 271 : विवरणियां न देना, सूचनाओं का पालन न करना, आय छिपाना, आदि
    • धारा - 271-झ : धारा 195 के अधीन जानकारी देने में असफलता या गलत सूचना देने के लिए शास्ति
    • धारा - 271क : लेखा बहियां, दस्तावेज आदि रखने, बनाए रखने या रखे रखने में असफलता
    • धारा - 271कक : कतिपय संव्यवहारों की बाबत जानकारी और दस्तावेज रखने और बनाए रखने में असफल रहने के लिए शास्ति
    • धारा - 271ककक : जहां तलाशी आरंभ की गई वहां शास्ति
    • धारा - 271ककख : जहां तलाशी आरंभ की गई है, वहां शास्ति
    • धारा - 271ख : लेखाओं की संपरीक्षा कराने में असफलता
    • धारा - 271खक : धारा 92ड़ के अधीन रिपोर्ट देने में असफल रहने पर शास्ति
    • धारा - 271खख : उपयुक्त पूंजी पुरोधरण में अभिदाय करने में असफलता
    • धारा - 271ग : स्रोत पर कर की कटौती करने में असफलता के लिए शास्ति
    • धारा - 271गक : स्रोत पर कर का संग्रहण करने में असफल रहने के लिए शास्ति
    • धारा - 271घ : धारा 269धध के उपबंधों के पालन में असफलता के लिए शास्ति
    • धारा - 271घक : धारा 269घन के उपबंधों का अनुपालन करने में असफलता के लिए शास्ति
    • धारा - 271ड़ : धारा 269न के उपबंधों के पालन में असफलता के लिए शास्ति
    • धारा - 271च : आय की विवरणी न देने के लिए शास्ति
    • धारा - 271चक : वित्तीय संव्यवहार या रिपोर्ट योग्य खाते का विवरण देने में असफलता के लिए शास्ति
    • धारा - 271चकक : वित्तीय संव्यवहार या रिपोर्ट योग्य खाते का गलत विवरण प्रस्तुत करने के लिए शास्ति
    • धारा - 271चकख : किसी पात्र विनिधान निधि द्वारा विवरण या सूचना या दस्तावेज देने में असफल रहने के लिए शास्ति
    • धारा - 271चख : अनुषंगी फायदों की विवरणी देने में असफलता के लिए शास्ति
    • धारा - 271छ : धारा 92घ के अधीन जानकारी या दस्तावेज देने में असफल रहने पर शास्ति
    • धारा - 271छक : धारा 285क के अधीन सूचना या दस्तावेज देने में असफलता के लिए शास्ति
    • धारा - 271छख : धारा 286 के अधीन रिपोर्ट देने में असफलता या अयथार्थ रिपोर्ट देने के लिए शास्ति
    • धारा - 271ज : विवरण, आदि प्रस्तुत करने में असफल रहने के लिए शास्ति
    • धारा - 272 : बंद करने की सूचना देने में असफलता
    • धारा - 272क : प्रश्नों का उत्तर देने, कथन पर हस्ताक्षर करने, जानकारी, विवरणियां या कथन देने, निरीक्षण की अनुज्ञा देने आदि में असफलता के लिए शास्ति
    • धारा - 272कक : धारा 133ख के उपबंधों के पालन में असफलता के लिए शास्ति
    • धारा - 272ख : धारा 139क के उपबंधों का पालन करने में असफल रहने के लिए शास्ति
    • धारा - 272खख : धारा 203क के उपबंधों के पालन करने में असफलता के लिए शास्ति
    • धारा - 272खखख : धारा 206गक के उपबंधों का पालन करने में असफल रहने के लिए शास्ति
    • धारा - 273 : अग्रिम कर का मिथ्या प्राक्कलन या उसके संदाय में असफलता
    • धारा - 273क : कुछ दशाओं में शास्ति आदि घटाने या अधित्यजन (वेव) करने की शक्ति
    • धारा - 273कक : शास्ति से उन्मुक्ति प्रदान किए जाने की प्रधान आयुक्त या आयुक्त की शक्ति
    • धारा - 273ख : कुछ दशाओं में शास्ति अधिरोपित न किया जाना
    • धारा - 274 : प्रक्रिया
    • धारा - 275 : शास्ति अधिरोपित करने के लिए परिसीमा का वर्जन
  • अध्याय 22 - अपराध और अभियोजन
    • धारा - 275क : धारा 132 की उपधारा (3) के अधीन किए गए आदेश का उल्लंघन
    • धारा - 275ख : धारा 132 की उपधारा (1) के खंड (iiख) के उपबंधों का पालन करने में असफल रहना
    • धारा - 276 : कर वसूली को विफल करने के लिए सम्पत्ति को हटाना, छिपाना या उसका अंतरण या परिदान
    • धारा - 276क : धारा 178 की उपधारा (1) और (3) के उपबंधों के अनुपालन में असफलता
    • धारा - 276कक : धारा 269कख या धारा 269झ के उपबंधों के अनुपालन में असफलता
    • धारा - 276कख : धारा 276पग, धारा 276पड़ और धारा 276पठ के उपबंधों के अनुपालन में असफलता
    • धारा - 276ख : अध्याय 12घ या 17ख के अधीन केन्द्रीय सरकार के जमा खाते कर संदाय करने में असफलता
    • धारा - 276खख : स्रोत पर संग्रहित कर देने में असफलता
    • धारा - 276ग : जानबूझकर कर आदि का अपवंचन करने का प्रयास
    • धारा - 276गग : आय की विवरणी देने में असफल रहना
    • धारा - 276गगग : तलाशी के मामलों में आय की विवरणी देने में असफलता
    • धारा - 276घ : लेखा और दस्तावेजें पेश करने में असफलता
    • धारा - 276घघ : धारा 269धध के उपबंधों के अनुपालन में असफलता
    • धारा - 276ड़ : धारा 269न के उपबंधों के अनुपालन में असफलता
    • धारा - 277 : सत्यापन आदि में मिथ्या कथन
    • धारा - 277क : लेखा बहियों या दस्तावेजों आदि का मिथ्याकरण
    • धारा - 278 : मिथ्या विवरणी आदि का दुष्प्रेरण
    • धारा - 278क : दूसरे और बाद के अपराधों के लिए दण्ड
    • धारा - 278कक : कुछ दशाओं में दंड अधिरोपित न किया जाना
    • धारा - 278कख : अभियोजन से उन्मुक्ति प्रदान किए जाने की प्रधान आयुक्त या आयुक्त की शक्ति
    • धारा - 278ख : कंपनियों द्वारा अपराध
    • धारा - 278ग : हिन्दू अविभक्त कुटुंब द्वारा अपराध
    • धारा - 278घ : कुछ मामलों में आस्तियों, लेखा बहियों, आदि के बारे में उपधारणा
    • धारा - 278ड़ : आपराधिक मन:स्थिति के बारे में उपधारणा
    • धारा - 279 : अभियोजन का प्रधान मुख्य आयुक्त या मुख्य आयुक्त या प्रधान आयुक्त या आयुक्त की प्रेरणा से होना
    • धारा - 279क : कुछ अपराधों का असंज्ञेय होना
    • धारा - 279ख : अभिलेखों या दस्तावेजों में प्रविष्टियों का सबूत
    • धारा - 280 : लोक सेवकों द्वारा विशिष्टियों का प्रकटन
    • धारा - 280क : विशेष न्यायालय
    • धारा - 280ख : विशेष न्यायालय द्वारा विचारणीय अपराध
    • धारा - 280ग : अपराधों का समन मामले के रूप में विचारण
    • धारा - 280घ : दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 का विशेष न्यायालय के समक्ष की कार्यवाहियों को लागू होना
  • अध्याय 22ख - कर क्रेडिट प्रमाणपत्र
    • धारा - 280म : परिभाषाएं
    • धारा - 280य : कुछ साधारण शेयरधारकों को कर क्रेडिट प्रमाणपत्र
    • धारा - 280यक : औद्योगिक उपक्रम को शहरी क्षेत्र से स्थानांतरित करने के लिए कर क्रेडिट प्रमाणपत्र
    • धारा - 280यख : कुछ दशाओं में कुछ विनिर्माण करने वाली कंपनियों को कर क्रेडिट प्रमाणपत्र
    • धारा - 280यग : निर्यातों के बारे में कर क्रेडिट प्रमाणपत्र
    • धारा - 280यघ : कुछ मामलों के वर्धित उत्पादन के संबंध में कर क्रेडिट प्रमाणपत्र
  • अध्याय 23 - प्रकीर्ण
    • धारा - 281 : कुछ अन्तरणों का शून्य होना
    • धारा - 281क : बेनामी धारित संपत्तियों के संबंध में जानकारी देने में असफल रहने का प्रभाव
    • धारा - 281ख :
    • धारा - 282 : साधारणतया सूचना की तामील
    • धारा - 282क : सूचनाओं और अन्य दस्तावेजों का अधिक प्रमाणीकरण
    • धारा - 282ख : दस्तावेज पहचान संख्यांक का आवंटन
    • धारा - 283 : सूचना की तामील जब कुटुम्ब विभाजित हो गया है या फर्म, आदि, विघटित हो गर्इ है
    • धारा - 284 : बंद किए गए कारबार की दशा में सूचना की तामील
    • धारा - 285 : ऐसे अनिवासी द्वारा, जिसका संपर्क कार्यालय है, विवरण प्रस्तुत किया जाना
    • धारा - 285क : कतिपय मामलों में भारतीय समुत्थान द्वारा सूचना या दस्तावेजों का प्रस्तुत किया जाना
    • धारा - 285ख : चलचित्र फिल्मों के निर्माताओं द्वारा विवरणियों का दिया जाना
    • धारा - 285खक : वित्तीय संव्यवहार या रिपोर्ट योग्य खाते का विवरण प्रस्तुत करने के लिए बाध्यता
    • धारा - 286 : अंतरराष्ट्रीय समूह के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करना
    • धारा - 287 : कुछ दशाओं में निर्धारितियों संबंधी जानकारी का प्रकाशन
    • धारा - 287क : कुछ मामलों में रजिस्ट्रीकृत मूल्यांकक द्वारा उपस्थिति
    • धारा - 288 : प्राधिकृत प्रतिनिधि द्वारा उपस्थिति
    • धारा - 288क : आय का पूर्णांकन
    • धारा - 288ख : संदेय रकम और शोध्य प्रतिदाय का पूर्णांकित किया जाना
    • धारा - 289 : रसीद का दिया जाना
    • धारा - 290 : परित्राण (इन्डेम्निटी)
    • धारा - 291 : अभियोजन से उन्मुक्ति देने की शक्ति
    • धारा - 292 : अपराधों का संज्ञान
    • धारा - 292क : दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 360 का और अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, 1958 का लागू न होना
    • धारा - 292ख : कुछ आधारों पर आय की विवरणी, आदि का अविधिमान्य न होना
    • धारा - 292खख : कतिपय परिस्थितियों में सूचना का विधिमान्य समझा जाना
    • धारा - 292ग : आस्तियों, लेखा बहियों आदि के बारे में उपधारणा
    • धारा - 292गग : तलाशी या अध्यपेक्षा की दशा में प्राधिकार और निर्धारण
    • धारा - 293 : सिविल न्यायालयों में वादों का वर्जन
    • धारा - 293क : खनिज तेलों के पूर्वेक्षण, निष्कर्षण आदि के कारबार में भाग लेने के संबंध में छूट आदि देने की शक्ति
    • धारा - 293ख : अनुमोदन प्राप्त करने में विलम्ब के लिए माफी देने की केन्द्रीय सरकार या बोर्ड की शक्ति
    • धारा - 293ग : अनुमोदन वापस लेने की शक्ति
    • धारा - 294 : कर के प्रभार के लिए विधायी उपबंध के लंबित रहने तक अधिनियम का प्रभावी रहना
    • धारा - 294क : कुछ संघ राज्य क्षेत्रों के संबंध में छूट आदि देने की शक्ति
    • धारा - 295 : नियम बनाने की शक्ति
    • धारा - 296 : नियमों और कुछ अधिसूचनाओं का संसद के समक्ष रखा जाना
    • धारा - 297 : निरसन और व्यावृत्तियां
    • धारा - 298 : कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति


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