भांग, चरस और गांजे के चमत्कारिक औषधीय एवं वैज्ञानिक लाभ



 
भांग के गुण और उससे होने वाले आयुर्वेदिक इलाज
भांग, चरस और गांजे की लत शरीर को नुकसान पहुंचाती है किन्तु भारतीय मान्यता है कि यह भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है और उनकी पूजा में यह वस्तुएं चढ़ाई जाती है। लेकिन इसकी सही डोज कई बीमारियों से बचा सकती है। इसकी पुष्टि विज्ञान भी कर चुका है। भांग के बीजों एवं पत्तों में पाए जाने वाले लाभकारी तत्व बहुत सी बीमारियों से छुटकारा पाने में सहायक सिद्ध होते हैं। भांग के नर पौधे के पत्तों को सुखाकर भांग तथा मादा पौधों की पुष्प मंजरियों को सुखाकर गांजा तैयार किया जाता है तथा भांग की शाखाओं और पत्तों पर जमे राल सदृश्य पदार्थ को चरस कहते हैं।
भांग के चमत्कारिक औषधीय एवं वैज्ञानिक लाभ
गुण
भांग कफ/बलगम को दूर करती है। यह कड़वी, ग्राही, हल्की, तीखी, गर्म और पित्त को पैदा करने वाली है। भांग के सेवन से मोह और नशा पैदा होता है, यह बेहोशी लाती है, पाचनशक्ति को बढ़ाती है। भांग गले की आवाज को साफ करती है। भांग कुष्ठ (कोढ़) को नष्ट करती है। यह मेधा (बुद्धि) को उत्पन्न करती है तथा बल और वीर्य को बढ़ाती है। भांग अग्नि-कारक, कफ-नाशक और रसायन उत्पन्न करने वाली है। यह भोजन में रुचि को पैदा करती है, मल को रोकती है तथा अन्न को पचाती है। इसके सेवन से नींद अधिक आती है, काम-शक्ति को बढ़ाती है, तथा वात और कफ को नष्ट करती है।
गांजा पाचक होता है। यह प्यास को पैदा करता है, बल को बढ़ाता है, सेक्स की इच्छा उत्पन्न करता है, मन का उत्तेजित करता है, नींद अधिक लाता है। इसके अधिक उपयोग से गर्भ गिर जाता है। यह पक्षघात (लकवा) को दूर करने वाला तथा मद-कारक होता है। 

भांग के 10 वैज्ञानिक प्रूव्ड फायदे
  • चक्कर से बचाव
    2013 में वर्जीनिया की कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने यह साबित किया कि गांजे में मिलने वाले तत्व एपिलेप्सी अटैक को टाल सकते हैं। यह शोध साइंस पत्रिका में भी छपा। रिपोर्ट के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स कंपाउंड इंसान को शांति का अहसास देने वाले मस्तिष्क के हिस्से की कोशिकाओं को जोड़ते हैं।
  • ग्लूकोमा में राहत
    अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्यूट के मुताबिक भांग ग्लूकोमा के लक्षण खत्म करती है। इस बीमारी में आंख का तारा बड़ा हो जाता है और दृष्टि से जुड़ी तंत्रिकाओं को दबाने लगता है। इससे नजर की समस्या आती है। गांजा ऑप्टिक नर्व से दबाव हटाता है।
  • अल्जाइमर के खिलाफ
    अल्जाइमर से जुड़ी पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक भांग के पौधे में मिलने वाले टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल की छोटी खुराक एमिलॉयड के विकास को धीमा करती है। एमिलॉयड मस्तिष्क की कोशिकाओं को मारता है और अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार होता है। रिसर्च के दौरान भांग का तेल इस्तेमाल किया गया।
  • कैंसर पर असर
    2015 में आखिरकार अमेरिकी सरकार ने माना कि भांग कैंसर से लड़ने में सक्षम है। अमेरिका की सरकारी वेबसाइट के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स तत्व कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम हैं। यह ट्यूमर के विकास के लिए जरूरी रक्त कोशिकाओं को रोक देते हैं। कैनाबिनॉएड्स से कोलन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और लिवर कैंसर का सफल इलाज होता है।
  • कीमोथैरेपी में कारगर
    कई शोधों में यह साफ हो चुका है कि भांग के सही इस्तेमाल से कीमथोरैपी के साइड इफेक्ट्स जैसे, नाक बहना, उल्टी और भूख न लगना दूर होते हैं। अमेरिका में दवाओं को मंजूरी देने वाली एजेंसी एफडीए ने कई साल पहले ही कीमोथैरेपी ले रहे कैंसर के मरीजों को कैनाबिनॉएड्स वाली दवाएं देने की मंजूरी दे दी है।
  • प्रतिरोधी तंत्र की बीमारियों से राहत
    कभी कभार हमारा प्रतिरोधी तंत्र रोगों से लड़ते हुए स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारने लगता है। इससे अंगों में इंफेक्शन फैल जाता है। इसे ऑटोएम्यून बीमारी कहते हैं। 2014 में साउथ कैरोलाइना यूनिवर्सिटी ने यह साबित किया कि भांग में मिलने वाला टीएचसी, संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार मॉलिक्यूल का डीएनए बदल देता है। तब से ऑटोएम्यून के मरीजों को भांग की खुराक दी जाती है।
  • दिमाग की रक्षा
    नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने साबित किया है कि भांग स्ट्रोक की स्थिति में मस्तिष्क को नुकसान से बचाती है। भांग स्ट्रोक के असर को दिमाग के कुछ ही हिस्सों में सीमित कर देती है।
  • एमएस से बचाव
    मल्टीपल स्क्लेरोसिस भी प्रतिरोधी तंत्र की गड़बड़ी से होने वाली बीमारी है। फिलहाल यह असाध्य है। इसके मरीजों में नसों को सुरक्षा देने वाली फैटी लेयर क्षतिग्रस्त हो जाती है। धीरे धीरे नसें कड़ी होने लगती हैं और बेतहाशा दर्द होने लगता है। कनाडा की मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक भांग एमएस के रोगियों को गश खाने से बचा सकती है।
  • दर्द निवारक
    शुगर से पीड़ित ज्यादातर लोगों के हाथ या पैरों की तंत्रिकाएं नुकसान झेलती हैं। इससे बदन के कुछ हिस्से में जलन का अनुभव होता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च में पता चला कि इससे नर्व डैमेज होने से उठने वाले दर्द में भांग आराम देती है। हालांकि अमेरिका के एफडीए ने शुगर के रोगियों को अभी तक भांग थेरेपी की इजाजत नहीं दी है।
  • हैपेटाइटिस सी के साइड इफेक्ट से आराम
    थकान, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना और अवसाद, ये हैपेटाइटिस सी के इलाज में सामने आने वाले साइड इफेक्ट हैं। यूरोपियन जरनल ऑफ गैस्ट्रोलॉजी एंड हेपाटोलॉजी के मुताबिक भांग की मदद से 86 फीसदी मरीज हैपेटाइटिस सी का इलाज पूरा करवा सके। माना गया कि भांग ने साइड इफेक्ट्स को कम किया।
 भांग के चमत्कारिक औषधीय एवं वैज्ञानिक लाभ
भांग के घरेलू उपयोग
  • प्रतिदिन घुटने अथवा अन्य जोड़ों पर भांग के बीजों से निर्मित तेल की मालिश की जाए तो शीघ्र ही जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
  • 250 मिलीग्राम भांग को हींग के साथ देने से स्त्रियों के हिस्टीरिया रोग में बहुत लाभ मिलता है।
  • भांग और मिर्च के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर गुड़ के साथ आधा ग्राम बनाकर रोगी को देने से पेट दर्द मिट जाता है।
  • भांग के रस को कान में डालने से कान के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
  • भांग के पत्तों का रस निकालकर गुदाभ्रंश पर लगायें। इससे गुदाभ्रंश (कांच निकलना) बंद होता है। 
  • मासिक-धर्म के आने से पहले पेट को दस्त लाने वाली कुछ चीज खाकर साफ कर लेना चाहिए। फिर गांजा को दिन में 3 बार लेते रहने पर दर्द कम हो जाता है और मासिक-धर्म नियमानुसार होने लगता है।
  • भांग का ज्यादा सेवन करने से नींद बहुत अच्छी आती है। जिस हालत में अफीम के सेवन से नींद नहीं होती है, उस परिस्थिति में भांग का सेवन अधिक अच्छा होता है, क्योंकि इसके प्रयोग से कोष्ठबद्धता (कब्ज) और मस्तक की पीड़ा नहीं होती है। किसी को यदि नींद न आती हो तो यह बहुत ही लाभकारी औषधि है। नींद न आने की स्थिति में चिकित्सक भांग का औषधि के रूप में प्रयोग करते हैं।
  • पैर के तलुवों पर भांग का तेल मलने से भी नींद आ जाती है।
  • भांग के पत्तों के चूर्ण को घाव और जख्म पर बुरकाने से घाव जल्द ही भर जाते हैं तथा भांग का एक पूरा पेड़ पीसकर नए घाव में लगाने से घाव ठीक होता है। चोट के दर्द को दूर करने के लिए इसका लेप बहुत ही लाभकारी होता है।
  • भांग के चूर्ण से दोगुनी मात्रा में शुंठी का चूर्ण व चार गुना मात्रा में जीरा मिलाकर सेवन करने पर कोलाइटिस अथवा आंवयुक्त अतिसार से छुटकारा मिलेगा।
  • यदि किसी को निरंतर सिरदर्द की शिकायत रहती है तो भांग की पत्तियों के रस का अर्क बनाकर कान में दो-तीन बूंदें डालें। इससे आराम मिलेगा।
  • 1 ग्राम शुद्ध भांग के चूर्ण में 2 ग्राम गुड़ को मिलाकर 4 गोलियां बना लेते हैं। सर्दी का बुखार दूर करने के लिए 1-2 गोली 2-2 घंटे के अंतर से दें या शुद्ध भांग की 1 ग्राम गोली बुखार में एक घंटा पहले देने से बुखार का वेग कम हो जाता है।
  • भांग के पत्तों का रस माथे पर लेप करने से मस्तक की रूसी मिट जाती है और कीडे़ मर जाते हैं।
  • भांग और खीरा या ककड़ी की मगज को पानी में पीसकर और छानकर ठंडई की तरह रोगी को पिलाने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) मिट जाती है।
  • भांग के पत्तों को बारीक पीसकर सूंघने  तथा भांग के पत्तों का रस गर्म करके कान में 2-3 बूंद की मात्रा में डालने से सर्दी और गर्मी की सिर दर्द  मिट जाती है।
  • फूली हुई और दर्दनाक बवासीर पर 10 ग्राम हरी या सूखी भांग और 30 ग्राम अलसी की पोटली बनाकर बांधने से बवासीर का दर्द और खुजली मिट जाती है।
  • गांजे को अरंडी के तेल में पीसकर मूत्रेन्द्रिय पर लेप करने से ताकत बढ़ती है और इन्द्री का टेढ़ापन दूर हो जाता है।
  • विसूचिका (हैजा) होने की शुरुआत में 250 मिलीग्राम गांजा या भांग, छोटी इलायची, कालीमिर्च तथा कपूर आधा-आधा घंटे या 1-1 घंटे पर उबालकर ठंडे पानी के साथ देते रहने से हैजे की बीमारी ठीक हो जाती है।
  • 3 ग्राम भांग को 2 ग्राम देशी घी में भूनकर शहद के साथ रात को खाने से पहले पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है।
 भांग के चमत्कारिक औषधीय एवं वैज्ञानिक लाभ
गुणकारी तत्व
यह भी सत्य है कि भांग का सेवन करने से मानसिक संतुलन बिगड़ता है, लेकिन चिकित्सक उसे उचित मात्रा में उपयोग में लाकर मानसिक रोगियों का इलाज भी करते हैं। मानसिक रोगों में चिकित्सक इसे लगभग 125 मिली ग्राम की मात्रा में आधी मात्रा हींग के साथ मिलाकर मानसिक रोगियों को सेवन कराते हैं।
भांग के चमत्कारिक औषधीय एवं वैज्ञानिक लाभ

चेतावनी -अत्यधिक सेवन से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और शरीर में नशा चढ़ता है। जिसकी वजह से शरीर में कमजोरी आती है, यह पुरुष को नपुंसक, चरित्रहीन और विचारहीन बनाता है। अत: इसका उपयोग सेक्स उत्तेजना या नशे के लिए नहीं करना चाहिए। अत: उपयोग पूर्व चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है।


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