और डॉ. मुरली मनोहर जोशी का बंगला बिक गया..



प्रयाग त्याग की भूमि है जहां भगवान ऋषभदेव सबसे पहले जेनैश्वरी दीक्षा धारण की और त्याग की परंपरा प्रारंभ की और कन्नौजाधिप महाराज हर्ष का प्रति पांचवें वर्ष प्रयाग के मेले में जाकर सर्वस्व दान कर देने मान्यता है..

इसी कड़ी में संघ के पूर्व सरसंघ चालक पूज्य रज्जू भैया और विहिप के संस्थापक स्व. सिंहल जी का नाम भी दर्ज है जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में न सिर्फ अपना शारीरिक योगदान दिया अपितु अपनी सम्पूर्ण सम्पत्ति भी राष्ट्र को समर्पित कर दिया..
डा. जोशी जी के बंगले के बिकने की खबर उद्द्वेलित कर देने वाली थी, ऐसी नहीं था कि डा. जोशी को धनाभाव में अपना बंगला अंगिरस को बेचना पड़ा हो, सांसद न होते हुए भी आजीविका के रूप में उनके पास प्रतिमाह सांसद और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. के रूप में लाखों रूपये की पेंशन आ रही है...
डॉ. जोशी की दो बेटियां हैं जो आज अच्छे परिवारों में विकसित और पल्लवित हो रही है. उनके समक्ष कोई ऐसी मजबूरी नहीं थी की उनको यह बंगला बेचना मजबूरी ररहा हो, अगर वह चाहते तो अपने इस धरोहर को राष्ट्र निर्माण में समर्पित कर सकते थे जिसका सामाजिक उपयोग होता, अगर ऐसा किया जाता डॉ. जोशी, पूज्य रज्जू भैया और स्व. सिंहल महान त्यागी महापुरुषों की कड़ी में गिने जाते..
डॉ. जोशी की संपत्ति जो उनको जो करना था सो कर दिया, किन्तु उच्च शिक्षित व्यक्ति जरूर थे किन्तु जमीन से जुड़े व्यक्ति कतई नहीं थे...
"देश हमें देता है सब कुछ. देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें" संघ शाखाओ पर आप भले कितना आप कितना चिल्ल्वा कर यह गीत गवा लो किंतु आत्मसात करना बड़ों बड़ों के लिए कठिन है..


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