खांसी की आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक चिकित्सा



खांसी की समस्या प्रायः हर मौसम में होने की सम्भावना होती है किंतु ठंड में अधि‍क होती है।  यह कई अन्य बीमारियों की जड़ भी हो सकती है। अगर खांसी का उपचार समय पर नहीं किया गया तो यह कई बीमारियां दे सकती हैं। यदि उपचार के बाद भी खांसी जल्दी ठीक न हो तो इसे मामूली बिल्कुल न समझें। आयुर्वेद में खांसी को कास रोग भी कहा जाता है। खांसी होने ये पहले रोगी को गले में खरखरापन, खराश, खुजली आदि होती है और गले में कुछ भरा हुआ-सा महसूस होता है। कभी-कभी मुंह का स्वाद बिगड़ जाता है और भोजन के प्रति अरुचि हो जाती है।

खांसी की आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक चिकित्सा

खांसी के प्रकार
  1.  कफज खांसी : कफ के कारण होने वाली खांसी में कफ बहुत निकलता है। इसमें जरा-सा खांसते ही कफ आसानी से निकल आता है। कफज खांसी के लक्षणों में गले व मुंह का कफ से बार-बार भर जाना, सिर में भारीपन व दर्द होना, शरीर में भारीपन व आलस्य, मुंह का स्वाद खराब होना, भोजन में अरुचि और भूख में कमी के साथ ही गले में खराश व खुजली और खांसने पर बार-बार गाढ़ा व चीठा कफ निकलना शामिल है।
  2. क्षतज खांसी : यह खांसी वात, पित्त, कफ, तीनों कारणों से होती है और तीनों से अधिक गंभीर भी। अधि‍क भोग-विलास (मैथुन) करने, भारी-भरकम बोझा उठाने, बहुत ज्यादा चलने, लड़ाई-झगड़ा करते रहने और बलपूर्वक किसी वस्तु की गति को रोकने आदि से रूक्ष शरीर वाले व्यक्ति के गले में घाव हो जाते हैं और खांसी हो जाती है।इस तरह की खांसी में पहले सूखी खांसी होती है, फिर रक्त के साथ कफ निकलता है।
  3. क्षयज खांसी : यह खांसी क्षतज खांसी से भी अधिक गंभीर, तकलीफदेह और हानिकारक होती है। गलत खानपान, बहुत अधि‍क भोग-विलास, घृणा और शोक के के कारण शरीर की जठराग्नि मंद हो जाती है और इनके कारण कफ के साथ खांसी हो जाती है। इस तरह की खांसी में शरीर में दर्द, बुखार, गर्माहट होती है और कभी-कभी कमजोरी भी हो जाती है। ऐसे में सूखी खांसी चलती है, खांसी के साथ पस और खून के साथ बलगम निकलता है। क्षयज खांसी विशेष तौर से टीबी यानि (तपेदिक) रोग की प्रारंभिक अवस्था हो सकती है, इसलिए इसे अनदेखा बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
  4. पित्तज खांसी : पित्त के कारण होने वाली खांसी में कफ निकलता है, जो कि पीले रंग का कड़वा होता है। वमन द्वारा पीला व कड़वा पित्त निकलना, मुंह से गर्म बफारे निकलना, गले, छाती व पेट में जलन होना, मुंह सूखना, मुंह का स्वाद कड़वा रहना, प्यास लगती रहना, शरीर में गर्माहट या जलने का अनुभव होना और खांसी चलना, पित्तज खांसी के प्रमुख लक्षण हैं।
  5. वातज खांसी : वात के कारण होने वाली खांसी में कफ सूख जाता है, इसलिए इसमें कफ बहुत कम निकलता है या निकलता ही नहीं है। कफ न निकल पाने के कारण, खांसी लगातार और तेजी से आती है, ताकि कफ निकल जाए। इस तरह की खांसी में पेट, पसली, आंतों, छाती, कनपटी, गले और सिर में दर्द भी होने लगता है।
एलोपैथिक चिकित्सा के अनुसार निम्न कारणों से होती है-
  1. प्लूरा के रोग, प्लूरिसी, एमपायमा आदि रोग होने से खांसी होती है।
  2. फुफ्फुस के रोग, जैसे तपेदिक (टीबी), निमोनिया, ट्रॉपिकल एओसिनोफीलिया आदि से खांसी होती है।
  3. श्वसन नली के ऊपरी भाग में टांसिलाइटिस, लेरिन्जाइटिस, फेरिन्जाइटिस, सायनस का संक्रमण, ट्रेकियाइटिस तथा यूव्यूला का लम्बा हो जाना आदि से खांसी होती है।
  4. श्वसनी (ब्रोंकाई) में ब्रोंकाइटिस, ब्रोंकियेक्टेसिस आदि होने से खांसी होती है।
खांसी की आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक चिकित्सा
  1. अगर आप खांसी से परेशान हैं तो अदरक का जूस पीएं। इसमें शहद मिला कर आप इसका और ज्यादा फायदा उठा सकते हैं।
  2. अगर खांसी के साथ बलगम भी है तो आधा चम्मच काली मिर्च को देसी घी के साथ मिलाकर खाएं। आराम मिलेगा।
  3. अडूसा के पत्तों के रस (6 मि.ली.) को शहद (4मि.ली.) में मिलाकर पीने से भी खांसी और गले की खराश से राहत मिलती है।
  4. अदरक के रस में तुलसी मिलाएं और इसका सेवन करें। इसमें शहद भी मिलाया जा सकता है।
  5. अदरक को छोटे टुकड़ों में काटें और उसमें नमक मिलाएं। इसे खा लें। इसके रस से आपका गला खुल जाएगा और नमक से कीटाणु मर जाएंगे।
  6. अनार का रस भी खांसी से राहत दिलाता है। लेकिन इसके लिए आपको सिर्फ अनार का नहीं, इसमें जरा सा पिपली पाउडर और अदरक भी डालना होगा।
  7. अनार के जूस में थोडा अदरक और पिपली का पाउडर डालने से खांसी को आराम मिलता है।
  8. अपनी चाय में अदरक, तुलसी, काली मिर्च मिला कर चाय का सेवन कीजिए। इन तीनों तत्वों के सेवन से खांसी-जुकाम में काफी राहत मिलती है।
  9. अलसी के बीजों को मोटा होने तक उबालें और उसमें नीबू का रस और शहद भी मिलाएं और इसका सेवन करें। जुकाम और खांसी से आराम मिलेगा।
  10. आंवला खांसी के लिए काफी असरकारी माना जाता है। आंवला में विटामिन-सी होता है, जो ब्लड सरकुलेश को बेहतर बनाता है। अपने खाने में आंवला शामिल कर आप एंटी-ऑक्सीडेंट्स का सोर्स बढ़ा सकते हैं। यह आपकी इम्यूनिटी को मजबूत करेगा।
  11. आंवला में प्रचुर मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है जो खून के संचार को बेहतर करता है और इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स भी होते हैं जो आपकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा करता है।
  12. आधा चम्मच शहद में एक चुटकी इलायची और कुछ नीबू का जूस डालें। इस मिश्रण को दिन में दो से तीन बार लें। यह घरेलू नुस्खा खांसी की रामबाण दवा साबित हो सकता है।
  13. खांसी की अंग्रेजी दवा तो बहुत से लोग लेते हैं, लेकिन उसे लेने से नींद आने लगती है और उसके साइड इफेक्ट भी बहुत हैं। इसकी जगह आप हल्दी वाला दूध ले सकते हैं। हल्दी वाले दूध एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। इसके अलावा हल्दी में एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण भी होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मददगार होते हैं। तो खांसी की दवा के तौर पर आप हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  14. खांसी की असरकारी दवा के तौर पर आप गर्म पानी और नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आप गर्म पानी में चुटकी भर नमक डालकर उससे गरारे कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको खांसी से हुए गले के दर्द से राहत मिलेगी।
  15. खांसी के साथ अक्सर बलगम भी हो जाती है। यह बेचैनी और दर्द पैदा करती है। इससे बचने के लिए आप काली मिर्च को देसी घी में मिलकार ले सकते हैं। राहत महसूस होगी।
  16. गर्म पानी में चुटकी भर नमक मिला कर गरारे करने से खांसी-जुकाम के दौरान काफी राहत मिलती है। इससे गले को राहत मिलती है और खांसी से भी आराम मिलता है। यह भी काफी पुराना नुस्खा है।
  17. गले में खराश या ड्राई कफ होने पर अदरक के पेस्ट में गुड़ और घी मिलाकर खाएं।
  18. जितना हो सके गर्म पानी पिएं। आपके गले में जमा कफ खुलेगा और आप सुधार महसूस करेंगे।
  19. जुकाम और खांसी के उपचार के लिए आप गेहूं की भूसी का भी प्रयोग कर सकते हैं। 10 ग्राम गेहूं की भूसी, पांच लौंग और कुछ नमक लेकर पानी में मिलाकर इसे उबाल लें और इसका काढ़ा बनाएं। इसका एक कप काढ़ा पीने से आपको तुरंत आराम मिलेगा। हालांकि जुकाम आमतौर पर हल्का-फुल्का ही होता है जिसके लक्षण एक हफ्ते या इससे कम समय के लिए रहते हैं। गेंहू की भूसी का प्रयोग करने से आपको तकलीफ से निजात मिलेगी।
  20. जैसा कि हम बता चुके हैं अदरक और नमक दोनों ही खांसी में गले के दर्द से राहत दिलाते हैं। तो अगर दोनों को एकसाथ खाया जाए तो यह और भी फायदेमंद साबित होंगी। आपको करना बस यह है कि अदरक के टुकड़ों पर नमक लगा कर खाना है।
  21. तुलसी के साथ शहद हर दो घंटे में खाएं। कफ से छुटकारा मिलेगा।
  22. नहाते समय शरीर पर नमक रगड़ने से भी जुकाम या नाक बहना बंद हो जाता है।
  23. नाक बह रही हो तो काली मिर्च, अदरक, तुलसी को शहद में मिलाकर दिन में तीन बार लें। नाक बहना रुक जाएगा।
  24. बचपन में सर्दियों में नानी-दादी घर के बच्चों को सर्दी के मौसम में रोज हल्दी वाला दूध पीने के लिए देती थी। हल्दी वाला दूध जुकाम में काफी फायदेमंद होता है क्योंकि हल्दी में एंटीआक्सीडेंट्स होते हैं जो कीटाणुओं से हमारी रक्षा करते हैं। रात को सोने से पहले इसे पीने से तेजी से आराम पहुचता है. हल्दी में एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरल प्रॉपर्टीज मौजूद रहती है जो की इन्फेक्शन से लडती है. इसकी एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज सर्दी, खांसी और जुकाम के लक्षणों में आराम पहुंचाती है।
  25. ब्रैंडी तो पहले ही शरीर गर्म करने के लिए जानी जाती है। इसके साथ शहद मिक्स करने से जुकाम पर काफी असर होगा।
  26. लगभग 2 कप पानी में अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े और कुछ इमली की कुछ पत्तियां डालें और तब तक उबालें जब तक कि ये एक कप न रह जाए। इसमें 4 चम्मच शक्कर ड़ालकर धीमी आंच पर कुछ देर और उबालें, फिर ठंडा होने दें। ठंडा होने पर इसमें 10 बूंद नीबू रस की डाल दें। हर तीन घंटे में इस सिरप का एक बार सेवन करने से खांसी छू-मंतर हो जाती है।
  27. लहसुन को घी में भून लें और गर्म-गर्म ही खा लें। यह स्वाद में खराब हो सकता है लेकिन स्वास्थ्य के लिए एकदम शानदार है।
  28. लहसुन भी खांसी से राहत दिलाने में कारगर है। इसके लिए आपको लहसुन को घी में भून कर गर्मागरम खाना होगा।
  29. खांसी से परेशान हैं तो गर्म पानी पिएं। यह गले में जमे कफ को कम करने में मदद करेगा।
  30. समान मात्रा में शहद और कच्चे प्याज का रस (लगभग एक चम्मच) मिलाकर 3 से 4 घंटे के लिये किसी अंधेरे स्थान पर रख दें और बाद में इसका सेवन करें। यह खांसी की दवाई के रूप में सटीक कार्यकरता है।
  31. खांसी-जुकाम में गाजर का जूस काफी फायदेमंद होता है लेकिन बर्फ के साथ इसका सेवन न करें।
  32. सूप, चाय, गर्म पानी का सेवन करें और ठंडा पानी, मसालेदार खाना आदि से परहेज करें।


Share:

कोई टिप्पणी नहीं: