धारा 44 आईपीसी मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी



मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी

 
मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 44 के अंतर्गत मजिस्ट्रेट को गिरफ्तार करने संबंधी शक्तियां दी गई हैं। इन शक्तियों के अधीन मजिस्ट्रेट गिरफ्तारी कर सकता है। धारा 44 में वर्णित उपबंध के अधीन कार्य पालक मजिस्ट्रेट तथा न्यायिक मजिस्ट्रेट को गिरफ्तारी करने के लिए विशेष रूप से अधिकृत किया गया है।

  1.  जब कार्यपालक या न्यायिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में उसकी अधिकारिता के अन्दर कोई अपराध किया जाता है तब वह अपराधी को स्वयं गिरफ्तार कर सकता है या गिरफ्तार करने के लिए किसी व्यक्ति को आदेश दे सकता है और तब, जमानत के बारे में इसमें अन्तर्विष्ट उपबन्धों के अधीन रहते हुए, अपराधी को अभिरक्षा के लिए सुपुर्द कर सकता है।
  2. कोई कार्यपालक या न्यायिक मजिस्ट्रेट किसी भी समय अपनी स्थानीय अधिकारिता के भीतर किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है, या अपनी उपस्थिति में उसकी गिरफ्तारी का निर्देश दे सकता है, जिसकी गिरफ्तारी के लिए वह उस समय और उन परिस्थितियों में वारण्ट जारी करने के लिए सक्षम है। मजिस्ट्रेट की धारा 44(1) के अधीन शक्तियाँ प्रशासकीय अथवा कार्यपालक है, यद्यपि इनका प्रयोग न्यायिकतः ही किया जाना चाहिए। यदि मजिस्ट्रेट अन्तरस्थ (अल्टिरियर मोटीव) हेतु से अपनी स्थानीय अधिकारिता से बाहर शक्ति का प्रयोग करता है तो वह मिथ्या कारावास की गलती करता है तथा अपकृत्य (टार्ट्स) विधि में हरजाना देने के लिए उत्तरदायी है तथा उसे न्यायिक अधिकारी संरक्षण अधिनियम की धारा 1 के अधीन पूर्ण संरक्षण प्राप्त नहीं है।


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