खान पान से गंभीर से गंभीर बीमारी को कहें अलविदा



जब भी भोजन किया जाये तो भोजन का एक समय निश्चित होना चाहिए। ऐसा नहीं की कभी भी कुछ भी खा लिया। हमारा ये जो शरीर है वो कभी भी कुछ खाने के लिए नहीं है। इस शरीर में जठर (अमाशय) है, उसमें अग्नि प्रदीप्त होती है। जठर में जब अग्नि सबसे ज्यादा तीव्र हो उसी समय भोजन करें तो आपका खाया हुआ, एक एक अन्न का हिस्सा पाचन में जाएगा और रस में बदलेगा और इस रस में से मांस, मज्जा, रक्त, मल, मूत्र, मेद और आपकी अस्थियाँ इनका विकास होगा। सूर्योदय के लगभग ढाई घंटे तक जठरग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होती है। सूर्य का उदय जैसे ही हुआ उसके अगले ढाई घंटे तक जठराग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होती है। इस समय सबसे ज्यादा भोजन करें। इस समय आप कुछ भी खा सकते हैं।


अगर आप को आलू का पराठा खाना है तो सवेरे के खाने में खाइये, मूली का परांठा भी सुबह के खाने में खाइये। मतलब, आपको जो चीज सबसे ज्यादा पसंद है वह सुबह खाना चाहिये। रसगुल्ला, खाडी जलेबी, आपको पसंद है तो सुबह खाना चाहिये और सुबह पेट भरकर खाइये। पेट की संतुष्टि हुई, मन की भी संतुष्टि हो जाती है। पेट की संतुष्टि से ज्यादा मन की संतुष्टि महत्व की है। हमारा मन खास तरह की वस्तुये जैसे, हार्मोन्स, एंजाईम्स से संचालित है। मन को आज की भाषा में डॉक्टर पिनियल ग्लांड्स कहते हैं , हालाँकि वो है नहीं। पिनियल ग्लॅंड (मन) संतुष्टि के लिए सबसे आवश्यक है । अगर भोजन आपको अगर तृप्त करता है तो पिनियललॅंड आपकी सबसे ज्यादा सक्रिय है तो जो भी एंझाईम्स चाहिए शरीर को वो नियमित रूप में समान अंतर से निकलते रहते है। और जो भोजन से तृप्ति नहीं है तो पिनियल ग्लॅंड में गडबड होती है। और पिनियल ग्लॅंड की गडबड पूरे शरीर में पसर जाती है। और आपको तरह तरह के रोगो का शिकार बनाती है। अगर आप तृप्त भोजन नहीं कर पा रहे तो निश्चित 10-12 साल के बाद आपको मानसिक क्लेश होगा और रोग होंगे। मानसिक रोग बहुत खराब है। आप सिजोफ्रेनिया डिप्रेशन के शिकार हो सकते है आपको कई सारी बीमारियाँ आ सकती है। कभी भी भोजन करें तो, पेट भरे ही ,मन भी तृप्त हो। ओर मन के भरने और पेट के तृप्त होने का सबसे अच्छा समय सवेरे का है। दोपहर को भूख लगे है तो थोडा और खा लीजीए। लेकिन सुबह का खाना सबसे ज्यादा। दोपहर का भोजन थोडा कम करिए नाश्ते (सुबह के भोजन) से एक तिहाई कम कर दीजिए और रात का भोजन दोपहर के भोजन का एक तिहाई कर दीजिए। अगर आप सवेरे 6 रोटी खाते है तो दोपहर को 4 रोटी और शाम को 2 रोटी खाईए। ।भारत में आजकल उल्टा चक्कर चल रहा है। लोग नाश्ता कम करते हैं। लंच थोडा ज्यादा करते हैं और डिनर सबसे ज्यादा करते हैं। भोजन करने का यह तरीका सर्वाधिक नुकसानदायक है। वैदिक नियम है - नाश्ता सबसे ज्यादा लंच थोडा कम और डिनर सबसे कम करना चाहिए। हमें अंग्रेजों की नकल बंद करनी होगी अंग्रेजों की जलवायु भारत की जलवायु से भिन्न है। वे अपनी जलवायु के हिसाब से नाश्ता कम करते हैं क्योंकि वहां पर सूरज के दर्शन कम होते हैं और उनकी जठराग्नि मंद होती है। भारी नाश्ता उनकी प्रकृति के विरुद्ध है। भारत में तो सूर्य हजारों सालो से निकलता है और अगले हजारों सालों तक निकलेगा! जलवायु के हिसाब से हमारी जठराग्नि बहुत तीव्र है। बिना अधिक कसरत किये हमारी जठराग्नि तीव्र रहती है। इसलिए सुबह का खाना आप भरपेट खाईए।


मनुष्य को छोडकर जीव जगत का हर प्राणी इस सूत्र का पालन कर रहा है। आप चिड़िया को देखो, कितने भी तरह की चिड़िया सवेरे सूरज निकलते ही उनका खाना शुरू हो जाता है, और भरपेट खाती है। 6 बजे के आसपास राजस्थान, गुजरात में जाओ सब तरह की चिड़िया अपने काम पर लग जाती है। खूब भरपेट खाती है और पेट भर गया तो चार घंटे बाद ही पानी पीती है। गाय को देखिए सुबह उठते ही खाना शुरू हो जाता है। भैंस, बकरी ,घोड़ा सब सुबह उठते ही खाना खाना शुरू करेंगे और पेट भरकर खाएंगे। फिर दोपहर को आराम करेंगे तो यह सारे जानवर, जीव जंतु जो हमारी आँखो से दिखते है और नहीं भी दिखते ये सबका भोजन का समय सवेरे का हैं। सूर्योदय के साथ ही थे सब भोजन करते है। इसलिए, थे हमसे ज्यादा स्वस्थ रहते है।
तो सुबह के खाने का समय तय कीजिये। सूरज उगने के ढाई घंटे तक। यानी 9.30 बजे तक, ज्यादा से ज्यादा 10 बजे तक आपका भोजन हो जाना चाहिए। और ये भोजन तभी होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे। आप बाहर निकलिए घर के तो सुबह भोजन कर के ही निकलिए। दोपहर एक बजे में जठराग्नी की तीव्रता कम होना शुरू होता है तो उस समय थोडा हलका खाए यानी जितना सुबह खाना उससे कम खाए तो अच्छा है। ना खाए तो और भी अच्छा। खाली फल खाएं, जूस दही मट्ठा पिये। शाम को फिर खाये।
शाम का भोजन भी जठराग्नि के अनुसार ही करना चाहिए। जठराग्नी सुबह सुबह बहुत तीव्र होगी और शाम को जब सूर्यास्त होने जा रहा है, तभी तीव्र होगी। इसलिए शाम का खाना सूरज छिपने से पहले खा लेना चाहिए क्योंकि सूरज अस्त होने के बाद जठराग्नि भी मंद हो जाती है इसलिए सूरज डूबने के पहले 5.30 बजे - 6 बजे खाना चाहिये। उसके बाद अगर रात को भूख लगे तो दूध पीजिये। दूध के अतिरिक्त कुछ भी न लें। इसका कारण यह है की शाम को सूरज डूबने के बाद हमारे पेट में जठर स्थान में कुछ हार्मोन और रस या एंजाइम पैदा होते है जो दूध को पचाते है। इसलिए सूर्य डूबने के बाद जो चीज खाने लायक है वो दूध है। तो रात को दूध पी लीजिए। उसके बाद जितना जल्दी हो सके सो जाइये।
भोजन के बाद विश्राम के नियम: सुबह और दोपहर के भोजन के बाद 20 से 40 मिनट की झपकी लें। लेकिन शाम का खाना खाने के बाद कम से कम 500 कदम टहलना चाहिए।


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घरेलू धनिये के सर्वश्रेष्ठ औषधीय फायदे



धनिये के फायदे और नुकसान
Coriander (Dhaniya) In Hindi
घरेलू धनिये के सर्वश्रेष्ठ औषधीय फायदे

भारतीय भोजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए जितने महत्वपूर्ण मसाले होते हैं, उतना ही योगदान सब्जी, दाल और सलाद को जायकेदार बनाने के लिए गार्निशिंग का होता है। गार्निशिंग के लिए वैसे तो बहुत सारी चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है। मगर सबसे प्रमुख धनिया के पत्ते होते हैं। बाजार में मात्र 5 से 10 रुपए में मिल जाने वाली धनिया खाने के स्वाद को दोगुना कर देती है, साथ ही इसमें सेहत का रस भी घोल देती है। इतना ही नहीं, धनिया की हरी चटनी भी लगभग हर कोई खाना पसंद करता है। ऐसे में देखा जाए तो धनिया के पत्ते भारतीय भोजन को स्वादिष्ट बनाने का मुख्‍य इंग्रीडिएंट हैं। लेकिन धनिया के पत्ते खाने का स्वाद तब ही बढ़ा पाएंगे जब आप बाजार से अच्छी, ताजी और हरी-भरी धनिया लेकर आएंगी। बहुत सारे लोग यह बात नहीं जानते हैं कि बाजार में आपको कई वैरायटी की धनिया पत्ती मिल जाती हैं। मगर खाने को स्वादिष्ट केवल देसी धनिया के पत्ते ही बना सकते हैं।
धनिया एक जड़ी-बूटी के रूप में अपने आप उगने वाला प्राकृतिक पौधा होता है जिसकी पत्तियां और बीजों का प्रयोग हर घर में किया जाता है। धनिया एक हर जगह पर खाने में प्रयोग की जाने वाली हरी पत्तियों की टहनियां होती हैं जो खाने में प्रयोग की जाती हैं। इनसे बहुत ही हल्की और सुगंधित महक आती है जिससे खाने का स्वाद बढ़ता है और खाना सुगंधित भी हो जाता है। इसे सभी जगहों पर प्रयोग किया जाता है। धनिया का प्रयोग सब्जी को सजाने और मसाले के रूप में किया जाता है क्योंकि इसके प्रयोग से सब्जी में स्वाद बढ़ जाता है। धनिये के बीज को सुखाकर सूखे मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। धनिया जितना खाना का स्वाद बढ़ाने के लिए फायदेमंद होता है उतना ही स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। धनिया हर प्रकार से यहाँ तक की धनिया का पानी भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। खाने में भले ही मिर्च-मसले न हो लेकिन अगर उसकी धनिया से सजावट की जाये तो उसके स्वाद में चार-चाँद लग जाते हैं।
घरेलू धनिये के सर्वश्रेष्ठ औषधीय फायदे

धनिया की तासीर (Dhaniya Ki Taseer)
धनिया की तासीर ठंडी होती है। धनिया में बहुत से पोषक तत्व जैसे – फॉस्फोरस, आयरन, कैरोटीन, थियामिन, मैगनीज, जिंक, पोटैशियम, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, विटामिन बी6, मैग्नीशियम, विटामिन ए, विटामिन सी, सोडियम पाए जाते हैं।

धनिये के औषधीय फायदे -(Medicinal Benefits of Coriander In Hindi) :
  1. एनीमिया में फायदेमंद (Dhaniya Goods For Anemia)
    अगर किसी व्यक्ति को किसी कारण वश खून की कमी हो जाती है तो उसके लिए धनिया के बीजों का सेवन बहुत अधिक लाभदायक होता है क्योंकि धनिया में आयरन की मात्रा पाई जाती है जो खून में हीमोग्लोबिन बनाता है इसलिए धनिया के बीजों के सेवन से खून की कमी नहीं होती है।
  2. ऑस्टियोपोरोसिस में फायदेमंद (Dhaniya Goods For Osteoporosis)
    आप धनिया के पानी के सेवन से ऑस्टियोपोरोसिस के होने से बच सकते हैं क्योंकि धनिया के पानी में विटामिन ए और विटामिन के पाई जाती हैं जो कैल्शियम संश्लेषण में मदद करती हैं। इसके सेवन से हड्डियों को कैल्शियम मिल जाता है और हम ऑस्टियोपोरोसिस रोग के खतरे से बच जाते हैं।
  3. कोलेस्ट्रोल कम करने में फायदेमंद (Dhaniya Goods For Reduce Cholesterol)
    आज के समय में बहुत से ऐसे कारण होते हैं जिसकी वजह से हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है और हमें बहुत से रोगों का शिकार होना पड़ जाता है लेकिन आप धनिया का प्रयोग करके खराब कोलेस्ट्रोल को कम कर सकते हैं जिससे बहुत से रोगों के होने का खतरा भी कम हो जाता है। विशेषज्ञों के एक प्रयोग से यह पता चला है कि धनिया के बीज में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कोलेस्ट्रोल को कम कर सकते हैं। अगर आपको हाई कोलेस्ट्रोल की समस्या है तो आप धनिया के बीजों को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर पिएं। इस पानी को पीने से हाई कोलेस्ट्रोल की समस्या ठीक हो जाएगी।
  4. डायबिटीज में फायदेमंद-(Dhaniya Goods For Diabetes)
    जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है उनके लिए धनिया का सेवन बहुत अधिक लाभकारी होता है क्योंकि धनिया का सेवन शरीर में शुगर लेवल को कम कर देता है और इंसुलिन की मात्रा को बढ़ा देता है जिससे हमारे शरीर का शुगर लेवल नियंत्रण में रहता है और हमें कोई परेशानी नहीं होती। आप धनिया का सेवन अपना भोजन पकाते समय भोजन में कर सकते हैं इससे भी बहुत लाभ होगा।
  5. थायराइड में फायदेमंद-(Dhaniya Good For Thyroid)
    अगर आपको थायराइड की समस्या है तो आप धनिया का सेवन कर सकते हैं। आप रात के समय धनिया को पानी में भिगोकर रख दें और सुबह के समय उस पानी को पी लें इससे आपकी थायराइड की समस्या ठीक हो जाएगी।
  6. पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद-(Dhaniya Goods For Digestive System)
    किसी व्यक्ति का पूरा शरीर उसके पाचन तंत्र पर निर्भर करता है क्योंकि पाचन तंत्र की वजह से ही शरीर को पूरी ऊर्जा मिलती है और अगर वह सही तरह से काम न करें तो बहुत सी समस्याएं हो जाती हैं जैसे कब्ज, गैस, अपच, पेट दर्द, उल्टी, दस्त आदि। ऐसे में धनिया का सेवन आपके लिए बहुत अधिक फायदेमंद होता है क्योंकि धनिया के सेवन से बहुत सी बीमारियों को दूर किया जा सकता हैं। आप थोडा सा धनिया पाउडर लें और उसमें हींग और काला नमक मिला लें। अब इस मिश्रण को एक गिलास पानी में घोलकर पिएं इससे आपकी पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं ठीक हो जाएंगी।
  7. मासिक धर्म में फायदेमंद-(Dhaniya Goods For Menstrual Cycle)
    जब किसी महिला को मासिक धर्म से संबंधित कोई परेशानी होती है या मासिक धर्म बहुत अधिक होता है तो वह धनिया का सेवन करें यह उसके लिए बहुत अधिक लाभकारी होगा। आप थोड़े से धनिया का बिज लें और उन्हें पानी में डालकर उबालें। अब उस पानी को छान लें और उसमें अपने हिसाब से चीनी मिलाकर सेवन करें। इस पानी के सेवन से मासिक धर्म की समस्या ठीक हो जाएगी।
  8. वजन कम करने में फायदेमंद-(Dhaniya Goods For Weight Loss)
    अगर आपका वजन बहुत अधिक है और आप अपना वजन कम करना चाहते हैं तो आप धनिया का सेवन कर सकते हैं क्योंकि धनिया का सेवन करने से आपका वजन बहुत कम हो जाएगा। अपने वजन को कम करने के लिए सबसे पहले आप धनिया के कुछ बीज लें। अब इन बीजों को एक गिलास पानी में डाल दें और गैस पर उबालने के लिए रख दें। जब पानी की मात्रा आधे गिलास के बराबर हो जाए तो उसे छान लें और इस पानी ओ दिन में दो बार पिएं। इसके सेवन से आपका वजन बहुत अधिक कम हो जाएगा।
  9. सर्दी जुकाम में फायदेमंद-(Dhaniya Goods For Cold)
    सर्दियों और बरसात के मौसम में अक्सर देखा जाता है कि लोगों को सर्दी जुकाम की समस्या हो जाती है जो कुछ जीवाणुओं की वजह से होती है अगर आपको भी यह समस्या है तो आप धनिया का सेवन कर सकते हैं क्योंकि धनिया में जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं जो जीवाणुओं से हमारी रक्षा करते हैं।
हरा धनिया अपनी डेली डायट में शामिल करने के तीन आसान तरीके हैं
  1. आप दाल और सब्जी में हरा धनिया के पत्तियां महीन काटकर मिलाएं। ध्यान रखें सब्जी बनने और दाल पकने के बाद धनिया मिलाया जाता है। धनिया मिलाकर इन्हें नहीं पकाते हैं। क्योंकि ऐसा करने से धनिया के प्राकृतिक गुणों में कमी आती है।
  2. धनिए की चटनी बनाकर खाएं। हरा धनिया के साथ प्याज और हरी मिर्च को पीसकर चटनी तैयार करें बाद में इसमें स्वादानुसार नमक मिलाकर इसका सेवन करें। यह पाचन को दुरुस्त करती है और गैस, बदहजमी जैसी समस्याओं से बचाती है।
  3. तीसरी विधि है कि आप हरे धनिए का रायता बनाकर खाएं। इसे पीसकर रायते में मिला लें। या फिर पिसे हुए हरे धनिया को छाछ, जलजीरा, आम पना इत्यादि में मिलाकर इसका सेवन करें।
सूजन में फायदेमंद (Dhaniya Goods For Swelling)
अगर आपके किसी अंग पर किसी वजह से सूजन आ गई है तो धनिया का प्रयोग आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा क्योंकि धनिया में सूजन को कम करने के गुण पाए जाते हैं । आप धनिया के एशेंशियल ऑइल का प्रयोग सूजन वाले भाग पर करें इससे आपकी सूजन कम हो जाएगी।

धनिये के अन्य फायदे -(Dhaniya Ke Fayde) :
  1. अनिद्रा के लिए : आप नींद लाने वाली दवाइयों के सेवन की जगह पर धनिया का सेवन कर सकते हैं क्योंकि इससे आपको नींद भी आ जाएगी और आपको किसी भी तरह की कोई मानसिक हानि नहीं होगी जबकि दवाइयों का प्रयोग करने से मानसिक रोग होने का खतरा रहता है इसलिए आपके लिए दवाइयों की जगह पर धनिया का प्रयोग करना बहुत लाभकारी होता है।
  2. आँखों के लिए : धनिया में विटामिन ए की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो आँखों की रौशनी बढ़ाने में मदद करती है। आप धनिया को अपने खाने में मिलाकर सेवन कर सकते हैं इससे आपको बहुत अधिक फायदा होगा।
  3. कमजोरी के लिए : धनिया का सेवन करने से कमजोरी और चक्कर आने की समस्या दूर हो जाती है। आप रात के समय में धनिया पाउडर और आंवला पाउडर को पानी में भिगोकर रख दें और सुबह के समय उसका सेवन करें।
  4. जलन के लिए : जब किसी वजह से आपकी आँखों हाथों और पैरों में जलन होती है तो आपको धनिया का सेवन करना चाहिए इससे आपको आँखों, पेट, हाथों और पैरों में जलन होनी बंद हो जाएगी। सबसे पहले आप सौंफ, मिश्री और साबुत धनिया को समान मात्रा में लें और उन्हें पीस लें। भोजन करने के बाद आप एक चम्मच या दो चम्मच उस पाउडर का सेवन करें इससे आपकी जलन की समस्या बिलकुल ठीक हो जाएगी।
  5. त्वचा के लिए : धनिया के सेवन से हमारी त्वचा साफ होने के साथ-साथ ग्लो भी करने लगती है। धनिया का सेवन करके आप त्वचा के बहुत से रोगों से छुटकारा पा सकते हैं क्योंकि धनिया में कीटाणुनाशक, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं जो त्वचा के रोगों को दूर करते हैं।
  6. नकसीर के लिए : हरे धनिये की बीस से इक्कीस ग्राम पत्तियां लें और उसमें चुटकी भर कपूर को मिला लें और पीस लें। इसे पिसने के बाद इसका रस निकालकर छान लें। अब इस रस को एक-एक बूंद करके अपने नाक में डालें इससे आपकी नाक से निकलने वाला खून रुक जाएगा और नकसीर की समस्या ठीक हो जाएगी।
  7. पथरी के लिए : धनिया के प्रयोग से पथरी को आसानी से बाहर निकाला जा सकता है। आप सुबह के समय हरे धनिया को पानी में उबाल लें और ठंडा होने पर उसे छान लें। आप इस पानी का सेवन प्रतिदिन सुबह के समय खाली पेट करें। इस पानी के सेवन से पथरी यूरिन के साथ बाहर निकल जाएगी और आपकी पथरी की समस्या ठीक हो जाएगी।
  8. पेट की बिमारियों के लिए : धनिया के कुछ पत्ते और जीरा लेकर थोड़े से पानी में डालें। इसके थोड़ी देर बाद उसमें चाय की पत्ती और सौंफ डाल दें और अपने स्वादनुसार उसमें चीनी और अदरक डालें। इसे थोड़ी देर उबालने के बाद ठंडा होने के लिए रख दें। हल्का गर्म रहने पर आप इस काढ़े का सेवन करें इससे आपकी पेट से संबंधित समस्या जैसे गैस ठीक हो जाएगी।
  9. मुंह के छालों के लिए : धनिया में किट्रोनेलोल नाम का एक एंटीसेप्टिक पाया जाता है जो मुंह के छालों और घावों को ठीक करने में मदद करता है। धनिया का प्रयोग बहुत से टूथपेस्ट में भी किया जाता है क्योंकि यह आपको खुलकर सांस लेने में बहुत मदद करता है और मुंह से बदबू को भी समाप्त कर देता है।
  10. मुंहासों के लिए : आप धनिया का जूस बनाकर उसमें हल्दी पाउडर मिलाकर लेप बना लें अब इस लेप को दिन में दो बार अपने चेहरे पर लगाएं और कुछ देर बाद इसे पानी से धो दें। इस क्रिया को करने से आपके चेहरे के दाग-धब्बे और मुंहासे ठीक हो जाएंगे और आपके चेहरे का ग्लो भी वापस आ जाएगा। अगर आपको घमोरिया हो गया है तो आप धनिया का पानी लेकर उससे स्नान करें आपकी घमोरिया की परेशानी ठीक हो जाएगी।
  11. रक्तचाप के लिए : धनिया हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम की सहायता से रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। धनिया रक्तचाप में दवा की तरह काम करता है जिसकी वजह से बहुत से रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
  12. संक्रमण के लिए : धनिया के प्रयोग से बहुत से संक्रमण के कणों को अपने शरीर से दूर रखा जा सकता है। जब आप प्रतिदिन धनिया का सेवन करते हैं तो आपकी संक्रमण रोगों से रक्षा होती है क्योंकि इसके सेवन में पेट में होने वाले कीड़े और बैक्टीरिया मर जाते हैं जिससे पेट को आराम और ठंडक मिलती है।
  13. सेमोलिना बैक्टीरिया के लिए : धनिया में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो इस बैक्टीरिया को दूर रखने में मदद करते हैं। आप धनिया का प्रयोग अपने भोजन में कर सकते हैं इससे भी आपको लाभ होगा।
  14. हृदय के लिए : धनिया का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रण में रहता है और रक्तचाप भी ठीक रहता है जिससे हृदय की बहुत सी बीमारियों से हमारा बचाव होता है। धनिया में ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हृदय के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं। धनिया के सेवन से दिल के दौरे की समस्या भी ठीक हो जाती है।
धनिया के नुकसान-(Coriander Side Effects In Hindi)
  1. एलर्जी : हो सकता है कि धनिया का सेवन करने से आपको चक्कर, सूजन, रैशेज, साँस लेने में कठिनाई आदि समस्याएं हो सकती हैं इसलिए धनिया का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
  2. कैंसर : धनिया का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसके सेवन से त्वचा पर सनबर्न की समस्या हो जाती है जिसके लंबे समय तक होने पर कैंसर का कारण भी बन सकती है।
  3. गर्भवती महिला : जब धनिया का सेवन अधिक हो जाता है तो शरीर की ग्रंथिय प्रभावित हो जाती है इसलिए गर्भवती महिलाएं और दूध पिलाने वाली महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से उनके भ्रूण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  4. लीवर : एक नजर से देखा जाए तो धनिया हमारे शरीर के लिए बहुत लाभकारी होता है लेकिन जब धनिया का जरूरत से ज्यादा सेवन किया जाता है तो उससे पित्त पर दवाब पड़ता है जिससे लीवर की परेशानी हो सकती है।
Disclaimer: इस लेख में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव और जानकारी के रूप में लें, इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर/वैद्य/चिकित्सक की सलाह जरूर लें।


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परमवीर चक्र विजेता अब्‍दुल हमीद



अब्दुल हमीद
अब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई, 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित धरमपुर नाम के छोटे से गाँव में गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था, उनके पिता का नाम मोहम्मद उस्मान था। उनके यहां परिवार की आजीविका को चलाने के लिए कपड़ों की सिलाई का काम होता था। लेकिन अब्दुल हमीद का दिल इस सिलाई के काम में बिल्कुल नहीं लगता था, उनका मन तो बस कुश्ती दंगल और दांव पेचों से लगता था, क्योंकि पहलवानी उनके खून में थी जो विरासत के रूप में मिली थी। उनके पिता और नाना दोनों ही पहलवान थे। शुरू से ही लाठी चलाना, कुश्ती करना और बाढ़ में नदी को पार करना, और सोते समय फौज और जंग के सपने देखना तथा अपनी गुलेल से पक्का निशाना लगाना वीर हमीद की खूबियों में था, और वे इन सभी चीजों में सबसे आगे रहते थे।
उनका एक गुण सबसे अच्छा था जो कि दूसरों की हर समय मदद करना, जरूरतमंद लोगों की सहायता करना और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना और बर्दास्त न करना। ऐसी ही घटना एक बार उनके गांव में हुई जब एक गरीब किसान की फसल को जबरदस्ती वहां के जमींदार के लगभग 50 गुंडे काटकर ले जाने के लिये आये, हमीद को इस बात का पता चला और उन्हें यह बात बर्दाश्त नहीं हुई और उन 50 गुंडों से वे अकेले ही भिड़ गए, जिसके कारण उन सभी गुंडों को भागना पड़ा और उस गरीब किसान की फसल बच गयी। एक बार तो उन्होंने अपने प्राणों की बाजी लगाकर गाँव में आयी भीषण बाढ़ में डूबती दो युवतियों की जान बचाई, और अपने साहस का परिचय दिया।


अब्दुल हमीद का बचपन
अब्दुल हमीद की बचपन से ही इच्छा वीर सिपाही बनने की थी। वह अपनी दादी से कहा करते थे कि – “मैं फौज में भर्ती होऊंगा" दादी जब कहती – “पिता की सिलाई की मशीन चला " तब कहते थे “हम जाईब फौज में! तोहरे रोकले ना रुकब हम, समझलू " दादी को उनकी जिद के आगे झुकना पड़ता और कहना पड़ता –“अच्छा-अच्छा जइय फौज में।" हमीद खुश हो जाते इस तरह अपने पिता उस्मान से भी फौज में भर्ती होने की जिद करते थे, और कपड़ा सीने के धंधे से इंकार कर देते।

सेना में भर्ती
21 वर्ष के अब्दुल हमीद जीवन यापन के लिये रेलवे में भर्ती होने के लिये गये परन्तु उनके संस्कार उन्हें प्रेरित कर रहे थे, सेना में भर्ती होकर देश सेवा के लिये। अतः उन्होंने एक सैनिक के रूप में 1954 में अपना कार्य प्रारम्भ किया। हमीद 27 दिसम्बर, 1954 को ग्रेनेडियर्स इन्फेंट्री रेजिमेंट में शामिल किये गये थे। जम्मू कश्मीर में तैनात हमीद पाकिस्तान से आने वाले घुसपैठियों की खबर लेते हुए मजा चखाते रहते थे, ऐसे ही एक आतंकवादी डाकू इनायत अली को जब उन्होंने पकड़ लिया तो प्रोत्साहन स्वरूप उनको पदोन्नति देकर सेना में लांस नायक बना दिया गया। 1962 में जब चीन ने भारत की पीठ में छुरा भोंका तो अब्दुल हमीद उस समय नेफा में तैनात थे, उनको अपने अरमान पूरे करने का विशेष अवसर नहीं मिला। उनका अरमान था कोई विशेष पराक्रम दिखाते हुए शत्रु को मार गिराना।
1965 का युद्ध
8 सितम्बर 1965 की रात में पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमला करने पर, उस हमले का जवाब देने के लिये भारतीय सेना के जवान उसका मुकाबला करने को खड़े हो गये। वीर अब्दुल हमीद तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे। पाकिस्तान ने उस समय का अपराजेय माने जाने वाले अमेरिकन पैटन टैंकों के साथ, खेमकरन सेक्टर के असल उताड़ गांव पर हमला कर दिया। भारतीय सैनिकों के पास न तो टैंक थे और न ही बड़े हथियार, लेकिन उनके पास था भारत माताकी रक्षा के लिये लड़ते हुए मर जाने का हौसला। भारतीय सैनिक अपनी साधारण “ थ्री नॉट थ्री रायफल" और एल. एम. जी. के साथ पैटन टैंकों का सामना करने लगे। हवलदार वीर अब्दुल हमीद के पास “गन माउनटेड जीप" थी जो पैटन टैंकों के सामने मात्र एक खिलौने के समान थी। 
वीर अब्दुल हमीद ने अपनी जीप में बैठकर अपनी गनसे पैटन टैंकों के कमजोर अंगों पर एकदम सटीक निशाना लगाकर एक-एक कर ध्वस्त करना प्रारम्भ किया। उनको ऐसा करते देख अन्य सैनिकों का भी हौसला बढ़ गया और देखते ही देखते पाकिस्तानी फौज में भगदड़ मच गयी। वीर अब्दुल हमीदने अपनी 'गन माउन्टेड जीप' से सात पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट किया था। देखते ही देखते भारत का असल उताड़ गाँव पाकिस्तानी पैटन टैंकों की कब्रगाह बन गया। लेकिन भागते हुए पाकिस्तानियों का पीछा करते वीर अब्दुल हमीद की जीप पर एक गोला गिर जाने से वे बुरी तरह से घायल हो गये और अगले दिन 9 सितम्बर को उनका स्वर्गवास हो गया लेकिन उनके स्वर्ग सिधारने की आधिकारिक घोषणा 10 सितम्बर को की गयी थी।

सम्मान और पुरस्कार
इस युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिये उन्हें पहले महावीर चक्र और फिर सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया। 28 जनवरी 2000 को भारतीय डाक विभाग द्वारा वीरता पुरस्कार विजेताओं के सम्मान में पाँच डाक टिकटों के सेट में उनके सम्मान में ३ रुपये का एक सचित्र डाक टिकट जारी किया गया। इस डाक टिकट पर रिकॉइललेस राइफल से गोली चलाते हुए जीप पर सवार वीर अब्दुल हमीद का रेखाचित्र बना हुआ है। चौथी ग्रेनेडियर्स ने अब्दुल हमीद की स्मृति में उनकी कब्र पर समाधि का निर्माण किया है। हर साल उनकी शहादत के दिन यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है। उताड़ निवासी उनके नाम से गाँव में एक डिस्पेंसरी, पुस्तकालय और स्कूल चलाते हैं। सैन्य डाक सेवाने 10 सितंबर, 1979 को उनके सम्मान में एक विशेष आवरण जारी किया है। सारा देश उनकी बहादुरी को प्रणाम करता है।

अब्दुल हमीद प्रश्नोत्तरी
अब्दुल हमीद ने कितने टैंक तोड़े थे?
परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध (1965 Indo-Pak War) में अपना पराक्रम दिखाया था। 'असल उत्‍तर की लड़ाई' (Battle Of Asal Uttar) में हमीद ने अकेले ही पाकिस्तान के आठ पैटन टैंक बर्बाद कर दिए। पाकिस्तान के तरण तारण जिले में एक गांव हैं, आसल उत्‍ताड़।

अब्दुल हमीद ने दुश्मन के टैंकों को कैसे नष्ट किया?
इस बार हमीद ने देर ना करते हुए अपनी जीप में बैठे और टैंकों की ओर निकल पड़े। सामने से फायरिंग भी हो रही थी, लेकिन हमीद को कपास की खड़ी फसल का फायदा हुआ और दुश्मन उन्हें सीधे निशाने पर ना ले सका। वहीं हमीद ने पहले प्रमुख टैंक को नष्ट किया और फिर अपनी स्थिति बदल कर दो और टैंक ध्वस्त कर दिए।

वीर अब्दुल हमीद कैसे शहीद हुए थे?
साल 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान वीर अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानी दुश्मनों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी थी। उन्होंने पाकिस्तान के 7 पैटर्न टैंकों के परखच्चे उड़ा दिए थे। इसी दौरान वह शहीद हो गए थे।

अब्दुल हमीद कब शहीद हुए थे?
युद्धक्षेत्र में ही 10 सितंबर, 1965 को अब्दुल हमीद शहीद हुए, लेकिन तब तक वह अप्रतिम शौर्य की अविस्मरणीय दास्तां लिख चुके थे। इससे पहले कि अब्दुल हमीद की जांबाजी का किस्सा याद करें, आइए उनके निजी जीवन के बारे में जानते हैं। यूपी के गाजीपुर जिले के धरमपुर गांव में 1 जुलाई, 1933 को हमीद का जन्म हुआ था।

अब्दुल हमीद को परमवीर चक्र कब मिला?
57 साल पहले, 10 सितंबर 1965 को अब्‍दुल हमीद ने देश पर सर्वस्‍व न्‍योछावर कर दिया। मरणोपरांत परमवीर चक्र (भारत का सबसे बड़ा वीरता पदक) से सम्मानित अब्दुल हमीद को 'टैंक डिस्‍ट्रॉयर' के नाम से जाना जाता है।

1965 के युद्ध में शहीद वीर अब्दुल हमीद को कौन से वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया?
उनकी नज़र 4 ग्रेनेडियर के क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद के पोस्टर पर पड़ी। अब्दुल हमीद को 1965 की भारत-पाकिस्तान लड़ाई में खेमकरन सेक्टर में पाकिस्तान के कई पैटन टैंक नष्ट करने के लिए परमवीर चक्र मिला था

अब्दुल हमीद को परम वीर चक्र क्यों मिला?
अविचलित, सीक्यूएमएच अब्दुल हमीद ने गोलीबारी जारी रखी और गंभीर रूप से घायल होने से पहले अपनी टुकड़ी को पाकिस्तान के सात टैंकों को नष्ट करने के लिए प्रेरित किया। उनकी विशिष्ट बहादुरी, प्रेरक नेतृत्व और सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया था।


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एक अंग्रेज जिलाधिकारी पर श्री राम कृपा



मधुरांतकम चेंगलपेट जिले का एक छोटा-सा शहर है, जो मद्रास (वर्तमान में चेन्नई) से पांडिचेरी के रास्ते पर है। वहां पर श्री रामचन्द्र जी का एक छोटा-सा मंदिर है। उस मंदिर के नजदीक एक बड़ी झील भी है। मद्रास से पांडिचेरी जाने वालों को उसी सड़क से जाना पड़ता है, जो मधुरांतकम की उस झील के बांध पर है। वह झील इतनी सुन्दर और काफी बड़ी है कि जिन लोगों को उस रास्ते पर जाना पड़ता है, उन लोगों का मन उस झील की तरफ आकर्षित हो जाता है और वे लोग उस झील के सुन्दर और मनोहर दृश्य को कभी भूल नहीं सकते।
उपर्युक्त झील और श्री रामचन्द्र जी के मंदिर के बारे में एक विचित्र लेकिन सच्ची कहानी प्रचलित है, जिससे मालूम होता है कि एक ईसाई अंग्रेज साहब भी श्री रामचन्द्र जी के भक्त बन सके और उनको भगवान के दर्शन भी मिले थे।
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बात १८८२ ई० की है। उस समय लियानल प्राइस साहब चेंगलपेट जिले के कलक्टर थे। उनको मधुरांतकम की झील देखने की बड़ी इच्छा हुई। झील इतनी बड़ी थी कि उसके आस-पास के कई गाँवों की खेती बारी के लिये उसका जल पर्याप्त था। लेकिन दुर्भाग्य से हर साल बरसात में जब झील भर जाती थी, तब उसका बाँध टूटकर सारा पानी बाहर चला जाता था और झील हमेशा सूखी-की-सूखी ही रह जाती थी।
इलाके वाले प्रतिवर्ष गर्मी के दिनों में उस झील के बांध की मरम्मत करते थे। हर साल मरम्मत के समय मि० प्राइस खुद वहाँ आकर पड़ाव डालते और अपनी मौजूदगी में ही सारा काम कराते थे। बरसात में बाढ़ से इसका बाँध हर साल टूट जाया करता था। कलक्टर साहब की झील की बड़ी चिंता होती थी। सन् १८८२ में भी सदा की तरह झील की मरम्मत शुरू हुई। स्वयं कलेक्टर साहब उसका निरीक्षण कर रहे थे। एक बार आप मंदिर के पास से निकले। उनकी इच्छा हुई कि चलकर मन्दिर देख आवें।
वे मंदिर में आये। ब्राह्मणों ने उनको मंदिर दिखाया। साहब ने देखा कि एक स्थान पर ढेरों पत्थर जमा हैं। साहब ने ब्राह्मणों से पत्थरों के जमा कर रखने का कारण पूछा। ब्राह्मणों ने जवाब दिया- 'साहब! श्री सीता जी का मंदिर बनाना है। लेकिन उसके लिये हम लोग सिर्फ पत्थर ही जमा कर सके हैं। शेष काम के लिये काफी धन जमा करने में हम असमर्थ हैं। ऐसे सत्कार्य के सफलतापूर्वक सिद्ध होने में धन का अभाव ही एक बाधा हो रही है। ' 'मुझे भी तुम्हारी देवी जी से एक प्रार्थना करने दो।'
वहां के भक्त ब्राह्मण अपनी-अपनी मनोवृत्ति के अनुसार भगवान श्री रामचंद्र जी और माता सीताजी के गुणों और महिमाओं का वर्णन करने लगे। उसे सुनकर साहब ने उन लोगों से पूछा- 'क्या तुम लोग विश्वास करते हो कि तुम्हारी देवी भक्तों की मनोकामना पूरी करेंगी ?"
ब्राह्मणों ने दृढ़तापूर्वक जवाब दिया- 'निस्सन्देह।' कलक्टर साहब ने फिर पूछा-'अच्छा, यदि मैं भी तुम्हारी देवी जी से कुछ प्रार्थना करूं तो मेरी भी इच्छा उनकी कृपा से पूरी होगी?' ब्राह्मणों ने जवाब दिया जरूर।' तब साहब ने उन लोगों से कहा, 'यदि तुम लोगों की बात सच हो तो मैं भी तुम्हारी देवी जी से प्रार्थना करता हूँ कि इस झील की रक्षा, जिसकी मरम्मत हर साल हो रही है और पीछे जिसका नाश भी होता आ रहा है, यदि तुम्हारी देवी जी की कृपा से हो जाये, तो तुम्हारी देवी जी का मंदिर बनाने का भार मैं अपने ऊपर लूँगा।' प्रार्थना करके साहब वहां से लौट गए। मरम्मत का काम पूरा हो जाने के बाद साहब अपने घर चले गये।
फिर वर्षा शुरू हुई। साहब को बड़ी चिंता लगी। अबकी बार साहब घर में चुप न बैठ सके। उन्होंने मधुरांतकम में अपना पड़ाव डाला। एक रात को बहुत जोर से पानी बरस रहा था। इतने जोर से वृष्टि हो रही थी कि उस समय बाहर निकलना भी बहुत कठिन था। साहब बहुत अधीर हो उठे। उनको जरा भी चैन न मिला। वे तुरंत हाथ में छतरी लेकर झील की तरफ लपके। उनके दो नौकर, जो उस समय जाग रहे थे, पीछे-पीछे चले। उनको साहब के काम पर बड़ा अचरज हो रहा था।
साहब झील के बांध पर आकर खड़े हो गये। आकाश से मूसलाधार वृष्टि हो रही थी। रह-रहकर बिजली चमकती थी। बिजली के प्रकाश में साहब ने देखा कि झील पानी से ठसाठस भरी है। अब यदि थोड़ा भी जल उसमें ज्यादा पड़ जाएगा तो बस, सारा परिश्रम व्यर्थ हो जायेगा।
साहब घबड़ाये हुए वहाँ आकर खड़े हो गये, जहाँ हर साल बांध टूटता था। लेकिन वहाँ उन्हें कहीं टूट जाने का कोई लक्षण नहीं दिखाई पड़ा। अकस्मात् वहाँ बिजली की रोशनी दीख पड़ी। उस तेज:पुंज के बीच में श्याम और गौर वर्ण के दो सुन्दर युवक हाथ में धनुष-बाण लिए खड़े नजर आये। उन दोनों के सुन्दर और सुदृढ़ शरीर और उनके अनुपम रूप-लावण्य को देखकर साहब को बड़ा अचंभा हुआ। एक साथ आश्चर्य और भय का अनुभव होने लगा। वे एकाग्र दृष्टि से उसी तरफ देखने लगे, जहाँ दोनों वीर खड़े थे। अब साहब को पक्का विश्वास हो गया कि वे दोनों अलौकिक और अतुलनीय हैं। साहब अपनी छतरी और टोपी दूर फेंक कर उन करुणा मूर्तियों के पैरों पर गिर पड़े और हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगे।
नौकरों को साहब का यह अद्भुत आचरण देखकर संदेह हुआ कि कहीं हमारे साहब पागल तो नहीं हो गये। वे दोनों दौड़कर साहब के पास आये और घबड़ाये हुए से पूछने लगे– 'साहब! आपको क्या हो गया?" साहब उन लोगों से गद्गद स्वर में कहने लगे- 'नादानो। उधर देखते नहीं हो ?' देखो उधर, उधर ! कैसे सुन्दर दो सुन्दर और बलवान् युवक हाथों में धनुष-बाण लिये खड़े हैं। उनके चारों ओर बिजली की रोशनी सी  फैल रही है। उनमें एक हैं श्याम वर्ण के और दूसरे गौर वर्ण के। उनकी आँखों से करुणा की मानो वर्षा हो रही है। उनको देखते ही हमारी व्यग्रता मिटती जा रही है। अभी उन दोनों को देख लो। उधर देखो, उधर !!!'
नौकरों को कुछ भी दिखाई नहीं पड़ा। साहब को पूरा विश्वास हो गया कि स्वयं श्री रामचन्द्रजी और लक्ष्मण जी ने ही झील की रक्षा की। दूसरे दिन सवेरे ही मधुरांतकम के लोगों ने पहली बार देखा कि झील पानी से परिपूर्ण है। लोगों के आनन्द की कोई सीमा न थी। साहब ने अपने कथनानुसार दूसरे ही दिन से श्रीसीताजी के मंदिर का काम शुरू कर दिया। जब तक मंदिर का काम पूरा न हुआ, तब तक वे वहीं रहे। जिस दिन झील की रक्षा हुई, उस दिन से वहाँ के श्री रामचंद्र जी का नाम पड़ा 'एरि कात्त पेरुमाल' अर्थात 'भगवान जिसने झील की रक्षा की है।'
श्री जानकी जी के मंदिर में एक पत्थर पर तमिल में यह बात खुदी हुई है, जिसके माने यह है कि, 'यह धर्म कार्य जान कंपनी की जागीर - कलेक्टर लियानल प्राइसका है।' इस विचित्र घटना से हम लोगों को मालूम होता है कि एक अंग्रेज ईसाई सज्जन श्री रामचंद्र जी के भक्त बनकर उनके दर्शन पा सके और श्रीसीता जी के मन्दिर के निर्माता बने। जो मनुष्य भगवान का सच्चा भक्त है और भगवान पर विश्वास करके उनको मानता है, वह चाहे जिस कुल का भी क्यों न हो, उसपर दया सिन्धु भगवान की पूर्ण रूप से अनुकम्पा रहती है।

संकलन


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लंगोट पहनने के फायदे और लाभ



जब भी लंगोट का नाम आता है तो मन में हनुमान जी का नाम सबसे पहले आता है क्योंकि वे हमेशा लंगोट पहनते है, दूसरा लंगोट साधकों का भी प्रतीक है क्योंकि जब पहले के साधु साधना करते थे तो वे अपने शरीर पर लंगोट के अलावा कुछ भी धारण नहीं करते थे, ऐसे साधकों को आज भी देखा जा सकता है। इसके अलावा लंगोट ब्रह्मचर्य का भी प्रतीक है क्योंकि माना जाता है कि जो व्यक्ति लंगोट पहनता है उसका उसकी काम वासना पर नियंत्रण रहता है। लंगोट त्रिकोण आकार में बना एक अन्तः वस्त्र है और इसे अधिकतर कुश्ती करने वाले पहलवान व जिम जाने वाले व्यक्ति अपने अभ्यास के दौरान पहनते है। अभ्यास के दौरान ये अन्तः अंगों को ढके भी रखता है और उन्हें चोट से भी बचाए रखता है। इसके अलावा भी लंगोट की अन्य खासियत होती है। लंगोट में किसी खास तरह के रंग की प्राथमिकता नहीं दी जाती लेकिन फिर भी लाल रंग का लंगोट बहुत लोकप्रिय होता हैं। इसके पीछे लोगों के अपने अपने मत है कोई इसे आस्था से जोड़ता है तो कोई इसे चिकित्सा शास्त्र से। पहले के समय में अनेक लोग और साधु ब्रह्मचर्य का पालन करते थे जिसके कारण वे हमेशा लंगोट धारण किये हुए रखते थे क्योंकि उनका मानना है कि लंगोट कामेच्छा पर नियंत्रण बनाए रखने में बहुत सहायक होता है।

Langot Nappies Pahanne ke Fayde Laabh

अकसर आपने पहलवान लोगों को लंगोट पहनते देखा होगा जो अखाड़े में जाते हैं। अखाड़े में जाने वाले लोग लंगोट पहनना जरूरी मानते हैं। लंगोट भारतीय पुरुषों द्वारा एक लुंगी या अंडरक्लॉकिंग के रूप में पहना जाने वाला एक अंडरगारमेंट है। मलयालम में, इसका नाम लैंकोटी / लंगोटी कहते है। लंगोट को “कौपीन” भी कहा जाता हैं। लेकिन लंगोट पहना अखाड़े में ही नहीं अब कुछ जि‍म्‍स में जटिल वर्कआउट के दौरान लंगोट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। आइए जानते हैं कि लंगोट पहनना पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए कितना जरूरी है।
अखाड़े में वर्जिश या कुश्ती समय पुरुष लंगोट जरूर पहनते हैं। लंगोट आज से नहीं बल्कि वैदिक काल से हमारे देश में पुरुष अंडरवियर के तौर पर लंगोट पहनते आ रहे हैं। धीरे-धीरे पुरुषों का ये पारंपरिक अंतर्वस्‍त्र अखाड़े या योग तक ही सीमित कर रह गया है। इसे कई नाम से जाना जाता था। कौपिनम, कौपीन, लंकौटी, लंगौटी और लंगौट। आपको जानकर हैरानी होगी कि पारम्परिक तौर पर अंडरवियर के तौर पर लंगोट पहनना पुरुष के जननांगों के लिए बेहतरीन होता हैं। बल्कि ये सेक्सुअल लाइफ को भी बेहतर बनाता हैं।
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इसका संबंध पुरुषों के स्वास्थ्य से भी है। लंगोट पहनना उनकी सेक्सुअल लाइफ को भी बेहतर बनाता है। इसलिए अब कुछ जिम में जटिल वर्कआउट के दौरान लंगोट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। आपने अकसर उन लोगों को लंगोट पहनते देखा होगा जो अखाड़े में जाते हैं। अखाड़े में जाने वाले लोग लंगोट पहनना जरूरी मानते हैं। पर क्‍या आप जानते हैं कि इसका संबंध पुरुषों के स्वास्थ्य से भी है। लंगोट पहनना उनकी सेक्सुअल लाइफ को भी बेहतर बनाता है। इसलिए अब कुछ जि‍म्स में जटिल वर्कआउट के दौरान लंगोट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। आइए जानते हैं कि लंगोट पहनना पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए कितना जरूरी है।
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अन्तःवस्त्र लंगोट द्वारा ऊर्जा संरक्षण, लंगोट बांधने का सबसे बड़ा फायदा पहुंचता है आपके टेस्टिल्स यानी अंडकोशों को। कई बार ज्यादा मेहनत करने की वजह से उनका साइज बढ़ जाता है। आम भाषा में हम ये भी कहते हैं कि उनमें पानी भर गया है। अगर एक बार ऐसा हो गया तो फिर वो आपरेशन से ही ठीक होता है। लंगोट आपके अंडकोशों को टाइट करके रखता है इससे पानी भरने की समस्या नहीं होती। इसके अलावा इससे लोवर एबडॉमिन की मसल्स को सपोर्ट मिलता है। जिनके पेट के निचले हिस्से में ज्यादा हैवी कसरत करने से सूजन आ जाती है उन्हें भी इसका इस्तेमाल करना चाहिए। रनिंग करते वक्त भी लंगोट पहनना चाहिए इससे नीचे की चीजें इधर उधर नहीं भागतीं। वैसे तो लंगोट किसी भी कलर का हो सकता है मगर लाल लंगोट अनुशासन का प्रतीक होता है। लाल रंग बजरंग बली से भी जुड़ता है। अखाड़ों में आमतौर पर हनुमान जी की ही प्रतिमा लगी होती है। लाल रंग की निशानी भी होती है।
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जिस तरह से हमारे पूर्वज लंगोट का इस्तेमाल करते थे उसे देखकर ये कहा जा सकता है कि लंगोट हमारी परम्पराओं में से एक है, किन्तु पीढ़ी को हमारे पुराने रिवाजों के बारे में पता नहीं हैं, जिसके फलस्वरूप वे इन सब चीजों से वंचित रह जाते हैं। हमारी पीढ़ी को लंगोट की महानता के बारे में कुछ नहीं पता और यही वजह है कि हम अपनी परम्परा को पीछे छोड़ते जा रहे हैं, जिसका खामियाजा हमें आने वाले समय में भोगना होगा। मांगलिक कार्यों खासकर रामचरितमानस के अखंड पाठ, किसी भी तरह का यज्ञ, महा यज्ञ आदि में जो ध्वज लगता है वह लंगोट के आकार का ही होता है जो ब्रह्मचर्य की ओर जाने का इशारा करता है, यानी ऊर्जा संरक्षण का संदेश देता है। कुल मिलाकर यह ऊर्जा संरक्षण का प्रतीक चिह्न है। आज भी यह बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी सहित अनेक देवताओं को चढ़ाया जाता है। मन्नतें पूरी होने पर अनेक देव स्थानों पर लंगोट चढ़ाने की परंपरा आज भी जीवित है।
वाराणसी घाट पर लंगोट पहना हुआ व्‍यक्ति
वाराणसी घाट पर लंगोट पहना हुआ व्‍यक्ति

क्या है लंगोट - लंगोट असल में पुरुषों का अंडरगारमेंट है। इसे पुरुषों का अंत: वस्त्र भी कहा जाता है। यह अनस्टिच्ड यानी बिना सिला तिकोना कपड़ा होता है। जिसे विशेष तौर पर पुरुष जननांग यानी टेस्टिकल्‍स और पेनिस एरिया को ढकने के लिए बनाया जाता है। पर इसे बांधने का एक खास तरीका होता है। जिसके कारण यह पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।
लंगोट का अर्थ - लंगोट दो शब्दों का मेल है। लंगोट को समझने के लिए इसको तोड़ कर इसका वास्तविक रूप देखा जा सकता हैं। लंगोट = लं + गोट मतलब जो लं.. और गोट दोनों को ही सम्हाल कर रखें, उनकी रक्षा करें वो लंगोट कहलाता है।
लंगोट कैसे पहनी जाती है - लंगोट देखने में भले ही साधारण लगे पर इसे बांधने का एक खास तरीका होता है। जिसे आप किसी भी जिम में जाकर सीख सकते हैं। लंगोट को टेस्टिकल्‍स और पेनिस एरिया पर इस तरह लपेटा जाता है कि उसे सपोर्ट मिले और अनावश्यक दबाव भी न बनें। यह अंडकोषों के आकार को संतुलित रखता है।
  • लंगोट बांधने के लिए लंगोट के तीन हिस्से होते है,
  • ऊपर की और दो पतली रस्सी होती है।
  • उनको कमर पर बांधा जाता है, की तरफ से उसके पश्चात तीसरे हिस्से को पीछे की तरफ रखते है।
  • उसको नीचे की तरफ से प्राइवेट पार्ट के साथ ऊपर की बंदी दो रसिया के बीच में से निकलकर वापस पीछे की तरफ लेकर जाना होता है।
  • इस प्रकार पीछे की तरफ दोनों रस्सियों के मध्य लगा देते है।
Langot Nappies Pahanne ke Fayde Laabh


लंगोट कैसे पहनें
लंगोट एक प्रकार का अंडरवियर जो पारंपरिक रूप से भारतीय उप महाद्वीप में पुरुष पहनते है। जॉकस्ट्रैप के समान, यह कपड़े के त्रिकोण से बना होता है जिसमें शीर्ष पर टाई होती है और नीचे से कपड़े की एक लंबी पट्टी लटकती है। एक बार जब आप इसे अपनी जगह पर स्थापित कर लेते हैं, तो पट्टियों को सही ढंग से लपेटना और बांधना एक साधारण बात है। कुछ लोग वजन उठाते समय, योग करते समय, या कुश्ती जैसे खेल में लंगोट पहनते हैं, जहां उन्हें जननांगों की सुरक्षा में इसको पहनते है।

लंगोट बांधना
1. लंगोट एक तरफ ऐसा होना चाहिए जहां आप सीम को महसूस कर सकें और एक तरफ जहां आप नहीं कर सकें। इसे और अधिक आरामदायक बनाने के लिए, जब आप इसे अपनी जगह पर लगाना शुरू करें तो इसका निर्बाध भाग आपके शरीर की ओर होना चाहिए।
2. त्रिकोण के लंबे, सपाट किनारे को, जिसमें से दो पट्टियाँ फैली हुई होनी चाहिए, अपनी पीठ के शीर्ष पर रखें। प्रत्येक हाथ में एक पट्टा पकड़ें और प्रत्येक को सामने की ओर लाएँ ताकि आप कपड़े को खींच सकें। आपका तल कपड़े की लंबी पट्टी, या त्रिकोण का बिंदु, आपके पीछे और आपके पैरों के बीच लटका होना चाहिए।
3. कपड़े के लंबे टुकड़े को अपने पैरों से होते हुए अपने कंधे के ऊपर खींचें। अपने पैरों के बीच पहुंचें और कपड़े को पकड़ें। इसे अपने पैरों के बीच खींचें, यह सुनिश्चित करते हुए कि आप इसे सीधा और चिकना रखें। इसे अपनी कमर तक लाएँ और सिरे को अपने कंधे पर फेंकें।  कपड़े को कस कर खींचते समय, सुनिश्चित करें कि आपके गुप्तांग आपके शरीर से टिके हुए हैं और पीछे की ओर निर्देशित हैं। लंबे टुकड़े को अपने कंधे पर फेंकने से जब आप अपना लंगोट सामने बांधेंगे तो वह रास्ते से हट जाएगा। 
4. डोरियों को अपने सामने लाएँ और उन्हें एक बार पार करें। उन्हें चारों ओर खींचें ताकि वे कस जाएं और फिर एक धागे को दूसरे के ऊपर लपेटें जैसे कि आप एक चौकोर गाँठ बाँधना शुरू कर रहे हों, या जैसे आप अपने जूते बाँधना शुरू कर रहे हों। यह आपकी प्राकृतिक कमर के बराबर होना चाहिए।
5. पीछे की ओर डोरियों को फिर से क्रास करें। डोरियों को कस कर खींचते हुए, उन्हें अपनी पीठ के चारों ओर लपेटें। उन्हें एक-दूसरे के पास से गुजारें और विपरीत दिशा में फिर से सामने लाएँ। जब आप ऐसा कर रहे हों तो तारों को कस कर रखें।
6. डोरियों को सामने एक सुरक्षित धनुष में बाँधें। डोरियों को अपने शरीर के केंद्र की बजाय अपने कूल्हों के एक तरफ थोड़ा सा बांधें - इससे लंगोट बंधने के बाद थोड़ा अधिक आरामदायक हो जाएगा। फिर, डोरियों को कसकर खींचें और फिर एक धनुष बांधें, जैसे कि आप जूते के फीते बांध रहे हों। इससे लंगोट सुरक्षित हो जाएगा और आप चौकोर गाँठ भी बाँध सकते हैं ।

7. कपड़े के लंबे टुकड़े को पीठ में सुरक्षित करने के लिए अपने पैरों के माध्यम से पीछे खींचें। कपड़े के लंबे टुकड़े को अपने कंधे से खींच लें और इसे उस गाँठ पर लटका दें जिसे आपने अभी बाँधा है। पीछे से अपने पैरों के माध्यम से पहुंचें और इसे अपने पैरों के माध्यम से खींचने के लिए पकड़ें। इसे तना हुआ खींचें, और फिर सिरे को पीछे त्रिकोण के शीर्ष पर दबा दें।
 

कार्डियो के समय है जरूरी - जब भी आप कोई जटिल एक्सरसाइज या वर्कआउट करें तो उस समय लंगोट जरूर पहने। यह पुरुषों के प्राइवेट पार्ट की हेल्‍थ के लिए जरूरी है। इससे उस पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता। कार्डियो करते समय भी आप इस तरह अपना ख्याल रख सकते हैं।

सेहत से है लंगोट का संबंध - इससे पुरुषों के टेस्टिकल्स यानी अंडकोशों की सेहत अच्छी रहती है। कई बार ज्यादा वर्कआउट या मेहनत करने की वजह से उनका आकार बढ़ जाता है। जिससे उनमें दर्द होने लगता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि प्रजनन क्षमता बनाए रखने के लिए टेस्टिकल्‍स की सेहत का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। कई बार इनमें पानी भर जाने की समस्या भी हो जाती है। जो सेक्‍स लाइफ पर बुरा असर डालती है। इन सब समस्याओं से बचाने में लंगोट काफी मददगार है।

स्किन फ्रेंडली - लंगोट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सादा सूती कपड़े यानी काटन का बना होता है। जिससे किसी भी तरह के रैशेज या अन्‍य समस्याएं नहीं होती। इसे स्किन फ्रेंडली माना जाता है। जिससे अनावश्यक हीट जनरेट नहीं होती। इसलिए भी लंगोट पहनना पुरुषों की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।

क्या लंगोट बांधना जरूरी है - लंगोट बांधने के क्या फायदे होते हैं ये हमने आपको बता दिए हैं। बहुत से ऐसे लोग हैं जो सालों से जिम कर रहे हैं और लंगोट भी नहीं बाँधते और उन्हें कोई प्रॉब्लम भी नहीं हुई है। आप सपोर्टर या टाइट अंडरवियर पहनकर भी काम चला सकते हैं, लेकिन ये जरूरी तो नहीं कि अगर बाकी लोगों को कोई परेशानी नहीं हुई है तो आपको भी नहीं होगी। दूसरी बात ये भी है कि अकसर लोग ये बताते ही नहीं हैं कि उनके अंडकोषों में पानी भर गया है। अगर आपको लंगोट बांधने से एलर्जी नहीं है तो फिर इसे बांधने में हिचकिचाहट कैसी। ये आपकी तैयारी का एक हिस्सा होता है। अगर आप स्पोर्ट्स शूज नहीं पहनेंगे तब भी उतनी ही बेंच प्रैस लगाएंगे जितनी शूज पहनकर मगर शूज, ट्रैक पैंट, टी शर्ट हमारी तैयारी का हिस्सा होता है। इसी तरह से लंगोट हमारी तैयारी का हिस्सा होता है। आप भारतीय हैं तो इसका सम्मान करें और कसरत से पहले लंगोट पहने। इससे आपका माइंड और बॉडी कड़ी मेहनत के लिए तैयार हो जाएंगे।


लंगोट पहनने के फायदे
  1. लंगोटी शारीरिक व्यायाम या योग अभ्यास के दौरान हड्डी और अंग के विस्थापन और तंत्रिकाओं पर खिंचाव को रोकता हैं।
  2. लंगोट पहनने से पुरुषों के टेस्टिल्स यानी अंडकोषों की सेहत अच्छी रहती है। कई बार ज्यादा वर्कआउट या मेहनत करने की वजह से उनका आकार बढ़ जाता है। जिससे उनमें दर्द होने लगता है।
  3. वैज्ञानिक मानते हैं कि प्रजनन क्षमता बनाए रखने के लिए टेस्टिकल्‍स की सेहत का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी है। कई बार इनमें पानी भर जाने की समस्या भी हो जाती है। जो सेक्स लाइफ पर बुरा असर डालती है।
  4. यह ऊर्जा को पूरे शरीर में सही और सही अनुपात में प्रवाहित करने में सक्षम बनाता है।
  5. लंगोटी के उपयोग से व्यायाम या योग अभ्यास के दौरान ऊर्जा, शक्ति और सहनशक्ति मिलती है।
  6. लंगोट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सादा सूती कपड़े यानी कॉटन का बना होता है। जिससे किसी भी तरह के रैशेज या अन्य समस्या नहीं होती। इसे स्किन फ्रेंडली माना जाता है। जिससे अनावश्यक हीट जनरेट नहीं होती। इसलिए भी लंगोट पहनना पुरुषों की सेहत के लिए अच्‍छा माना जाता है।
  7. जब भी आप कोई हैवी एक्सरसाइज या वर्कआउट करते है तो लंगोट पहनना एक तरह मदद करता है। इसे पहनने से एक्सरसाइज के दौरान पुरुषों के प्राइवेट पार्ट पर ज्यादा दबाव नहीं बनता है और पुरुष इसमें ज्यादा आराम महसूस करते हैं।
  8. पारम्परिक तौर पर अंडरवियर के तौर पर लंगोट पहनना पुरुष के जननांगों के लिए बेहतरीन होता हैं। बल्कि ये सेक्सुअल लाइफ को भी बेहतर बनाता हैं।
  9. अंत:वस्‍त्र लंगोट काम वासना पर नियंत्रण तो करता ही है, इसे पहनने वाले को कभी हाइड्रोशील की बीमारी नहीं होती और अंडकोश को यह चोट से बचाता है, ख़ासकर साइकिल, मोटर साइकिल आदि से गिरने पर लगने वाली चोट से। दौड़ने, चलने, योगासन व व्यायाम में सुविधाजनक है।
लंगोट पहनने के कोई नुकसान नहीं है
लंगोट बांधने का सबसे बड़ा फायदा पहुंचता है आपके टेस्टिल्स यानी अंडकोशों को कई बार ज्‍यादा मेहनत करने की वजह से उनका साइज बढ़ जाता है। आम भाषा में हम ये भी कहते हैं कि उनमें पानी भर गया है। अगर एक बार ऐसा हो गया तो फिर वो आपरेशन से ही ठीक होता है। लंगोट आपके अंडकोशों को टाइट करके रखता है इससे पानी भरने की समस्या नहीं होती। इसके अलावा इससे लोवर एबडॉमिन की मसल्स को सपोर्ट मिलता है। जिनके पेट के निचले हिस्से में ज्यादा हैवी कसरत करने से सूजन आ जाती है उन्हें भी इसका इस्तेमाल करना चाहिए। रनिंग करते वक्त भी लंगोट पहनना चाहिए इससे नीचे की चीजें इधर उधर नहीं भागतीं। वैसे तो लंगोट किसी भी कलर का हो सकता है मगर लाल लंगोट (lal langot) अनुशासन का प्रतीक होता है। लाल रंग बजरंग बली से भी जुड़ता है। अखाड़ों में आमतौर पर हनुमान जी की ही प्रतिमा लगी होती है। लाल रंग की निशानी भी होती है।
वर्तमान समय में लंगोट के स्थान पर ज़्यादातर लोग लंगोट की जगह इलास्टिक स्प्पोर्टर को उपयोग करते है। जो लंगोट की तरह ही होता है। उसे बांधने की जरूरत नहीं होती है। इसका उपयोग लंगोट की तरह ही होता है। ये लंगोट से भिन्न है। लंगोट और सपोटर दोनों उसे प्रकार है। जिस प्रकार अंडरवियर और निक्कर अब कपडे दोनों ही पहनने के परन्तु अलग अलग यूज़ है दोनों का। सपोर्टर के ऊपर की तरफ एक इलास्टिक रबर होता है। उसके अलावा उसके अंदर की तरफ ग्रोइन एरिया में डबल लेयर होती है कपड़े की जिसका यूज़ ग्रोइन गार्ड डालने में किया जाता है। बाकी इसकी संरचना अंडरवियर की तरह ही होती है।

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Unlimited Best Sad Shayari in Hindi




Unlimited Best Sad Shayari in Hindi


कुछ अधूरा पन था जो
पूरा हुआ नहीं,
कोई मेरा होकर भी मेरा
हुआ नहीं…!

परवाह करने वाले अक्सर रुला जाते है,
अपना कहकर पराया कर जाते है,
वफ़ा जितनी भी करो कोई फर्क नहीं,
“मुझे मत छोड़ना” कहकर खुद छोड़ जाते.!

किसी को चाहकर छोड़ देना
बहुत आसान है
किसी को छोड़कर भी चाहो तो
पता चलेगा मुहब्बत किसे कहते हैं.!

बरबाद करना था तो किसी और
तरीके से करते
जिन्दगी बनकर जिन्दगी से जिन्दगी
ही छीन ली तुमने.!

बहुत तकलीफ देती है न मेरी बातें
तुम्हें देख लेना मेरी खामोशी एक
दिन तुम्हें रुला देगी.!

सब कुछ करो बुरा भला कहलो
थप्पड़ मारलो, मगर याद रखो
दोराहे पर लाकर किसी का साथ मत
छोड़ो इंसान जीते जी मर जाता है

आजाद कर देंगे तुम्हें
अपनी चाहत की कैद से,
मगर वो शख्स तो लाओ,
जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी..

मरने वाले तो एक दिन बिना बताए
मर जाते है
रोज़ तो वो मरते है जो
खुद से ज़्यादा किसी को चाहते है.

मेरी मौत की खबर उसे न देना
मेरे दोस्तों घबराहट होती है
कही पागल न हो जाये
वो इस खुशी में🥹

कभी-कभी इंसान इतना
अकेला होता है
की वो बस अपने आँसूओं को ही
अपना सहारा समझता है!!

जब दर्द सहने की
आदत हो जाती है ना
तो आंसू आना
खुद ही बंद हो जाते है.!

कुछ यादें ऐसी होती हैं जिन्हें ना हम
भुला सकते हैं,
और ना ही किसी को
बता सकते हैं.!!

क्यूं शर्मिंदा करते हो रोज
हाल हमारा पूछ कर
हाल हमारा वही है जो तुमने
बना रखा है.!!

जो जाहिर करना पड़े
वो दर्द कैसा
और जो दर्द ना समझ सके
वो हमदर्द कैसा..!!

जिंदगी गुजर रही है,
इम्तिहानों के दौर से,
एक ज़ख्म भरता नही,
और दूसरा आने की जिद करता है।

चेहरे ” अजनबी” हो जाये तो
कोई बात नही, लेकिन
रवैये “अजनबी” हो जाये तो
बड़ी “तकलीफ” होती है!

जिंदगी की तलाश में मौत की
राह चलते गए,
समझ आया जब तक, तब तक
तनहाइयों में डूबते चले गए।

मोहब्बत जब रहती है
तब समझ नहीं रहती,
और जब समझ आती है तब
मोहब्बत नहीं रहती !!

ऐसा भी क्या जीना मेरा,
की पल पल तड़पता हूं मैं,
किसी की याद में किसी के इंतजार में,
रोज़ जीता रोज़ मरता हूं मैं ।💔

वक़्त पर सीखो
अपने प्यार की कदर करना
लोग वापस नहीं आते
एक बार चले जाने के बाद.!

सांसों से बंधी थी एक डोर
जो तोड़ दी हमने,
अब हम भी चैन से सोयेंगे,
मोहब्बत छोड़ दी हमने..!

बात वफ़ा की होती
तो कभी ना हारते
बात नसीब की थी
कुछ कर ना सके..!

मेरी तलाश का है जुर्म
या मेरी वफ़ा का कसूर,
जो दिल के करीब आया
वही बेवफा निकला।

भर जायेंगे जख्म मेरे भी तुम
जमाने से जिक्र मत करना,
मैं ठीक हूं तुम दुबारा कभी
मेरी फिक्र मत करना।

उसके दर पर दम तोड़ गईं
तमाम ख्वाहिशें मेरी,
मगर वो पूछ रहा है
तेरे रोने की वजह मैं तो नहीं।।

मुझे डर नहीं है अब
कुछ खोने का क्योंकि
मैंने अपनी जिंदगी में
जिंदगी को खोया है !!

उसने दोस्ती चाही
मुझे प्यार हो गया,
मै अपने ही कत्ल का
गुनहगार हो गया।

जिस फूल की परवरिश हम ने
अपनी मोहब्बत से की,
जब वो खुशबु के काबिल हुआ
तो औरो के लिए महकने लगा.।

तरसेगा जब तेरा दिल
मुझसे मिलने को,
तब हम तेरे ख्यालों में तो क्या
इस दुनिया में भी नहीं होंगे।

बड़े ही अजीब हैं ये जिंदगी के रास्ते,
अंजान मोड़ पर कुछ लोग अपने बन जाते हैं,
मिलने की खुशी दें या न दें,
मगर बिछड़ने का गम ज़रूर दे जाते हैं।

कुछ पल की ख़ुशी देकर
जिंदगी रुलाती क्यूं है
जो लकीरो में नहीं होते
जिंदगी उनसे मिलाती क्यूं है।

वो करीब तो बहुत हैं
मगर कुछ दूरियों के साथ
हम दोनों जी तो रहे हैं
मगर मजबूरियों के साथ.!

जिसने अपनों को बदलते देखा है
वो जिन्दगी में हर परिस्थिति का
सामना कर सकता है ।

यूँ ना कहो की
ये क़िस्मत की बात है
मुझे बर्बाद करने में तुम्हारा भी
हाथ है ।

आसूं आ जाते हैं रात को
यह सोच कर की
कोई था जो कहता था की पागल
सोना मत बात करनी हैं । 

ख़ुदा करें मैं मर जाऊँ
तुझे खबर तक ना मिले
तू ढूँढता रहे मुझे पागलों की तरह
पर तुझे कब्र तक ना मिले ।

हम उन हालातों से गुजरे है दोस्तों,
जहाँ सुनने वाला हिम्मत छोड़ देता है,
और देखने वाला दम…।

हमें रोता देखकर
वो ये कह के चल दिए की
रोता तो हर कोई है
क्या हम सबके हो जाए ।

आज खुद को
इतना तन्हा महसूस किया
जैसे लोग दफना कर चले गए
हों …। 

वो मिली भी तो क्या मिली बन के
बेवफा मिली,
इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे
सजा मिली।

रात भर जलता रहा ये दिल
उसी की याद में
समझ नहीं आता दर्द प्यार करने से
होता है या याद करने से । 

सब चले जाते हैं महफिल से
पर तेरी खुशबू नहीं जाती
जिंदगी गुजरी चली जाती है
पर तेरी यादें नहीं जाती । 

प्यार का मतलब सिर्फ उन्हें
पाना नहीं होता
उनकी खुशी के लिए खुद को
कुर्बान कर देना भी प्यार होता है ।

एक दिन हम भी कफन ओढ़ जाएंगे…
हर एक रिश्ता इस ज़मीन से तोड़े जाएंगे
जितना जी चाहे सता लो यारो,
एक दिन रुलाते हुए सबको छोड़ जाएंगे…। 

दर्द बताऊँ कब ज़्यादा
होता है दोस्तों
जब आपसे कोई झूट बोल रहा हो
और आपको सच पता हो ।  

जितने दिन तक जी गई
बस उतनी ही है जिन्दगी
मिट्टी के गुल्लकों की कोई उम्र
नहीं होती ।

एक बात बोलूं
अगर जिंदगी प्यारी है तो
ज़िन्दगी में कभी मोहब्बत मत करना ।

अगर मेरी कोई बात बुरी
लगी हो
तो दुआओं में मेरी मौत
मांग लेना ।


कहने वाले तो कुछ भी कह देते हैं,
कभी सोचा है…
सुनने वाले पर क्या गुजरती
है।

“ज़िंदगी” नहीं “रूलाती” है रुलाते तो वह,
“लोग” हैं जिन्हें हम अपनी …
ज़िन्दगी “समझ” बैठते हैं ..!!  
  

वो आएगी नहीं
मैं फिर भी इंतजार करता हूँ
एक तरफ ही सही पर सच्चा प्यार करता हूँ ।

दर्द बनकर ही रह जाओ
हमारे साथ
सुना है दर्द बहुत देर तक
साथ रहता है ।

आज़ाद कर देंगे तुझे
अपनी मोहब्बत की क़ैद से,
करे जो हमसे बेहतर कदर
पहले वो शख्स तो ढूंढ़ ! 

बचपन कितना खूबसूरत था
तब खिलौने ज़िन्दगी थे
आज
ज़िन्दगी खिलौना है…। 

नफरत करनी है तो
इस कदर करना
की हम दुनिया से चले जाए पर
तेरी आँख मे आंसू ना आए ।

ऐ मोहब्बत बता क्या दिल तोड़ना ही
तेरा पेशा है !
मर जाती है रूह
मैंने मोहब्बत में लाशों को चलते हुए देखा है !


टूट जायेगी तुम्हारी
जिद की आदत भी उस दिन,
जब पता चलेगा की
याद करने वाला अब याद बन गया ।  

क्या रोग दे गई है ये
नये मौसम की बारिश,
बहुत याद आ रहे हैं मुझे भूल
जाने वाले ।

आप हर रोज कहते हो मुझसे थोड़ी
देर में बात करेंगे
थोड़ी देर में हमारी आँख ही न खुली
तो आप क्या करेंगे । 

मेरी मौत की खबर उसे न देना
मेरे दोस्तों घबराहट होती है
कही पागल न हो जाये
वो इस खुशी में ।  

मरता नहीं कोई किसी के बग़ैर,
ये हक़ीक़त है, पर क्या सिर्फ
सांस लेने को ही जीना कहते
हैं! !

दर्द क्या होता है कोई उस शख्स से पूछो
जो अपनी मोहब्बत को किसी और की
बांहों में देखे । 
 

इतनी रात को जागते हुए
अहसास हुआ
अगर मोहब्बत ना होती तो हम भी
सौ जाते ।

बड़े ही अजीब हैं ये जिंदगी के रास्ते,
अंजान मोड़ पर कुछ लोग अपने बन जाते हैं,
मिलने की खुशी दें या न दें,
मगर बिछड़ने का गम ज़रूर दे जाते हैं ।

अपना बनाकर फिर कुछ दिनों मे
बेगाना बना दिया
भर गया दिल हमसे और मजबूरी का
बहाना बना दिया । 

इस नाज़ुक दिल में किसी के लिए
इतनी मोहब्बत आज भी है यारों
की हर रात जब तक आँखें ना भीग जाए
नींद नहीं आती ।

दिल को तोड़ कर जाने से
क्या हासिल हुआ तुमको
मार ही देते तो यूँ रात की तनहाई में
रोना नहीं पड़ता ।

अकेले रोना भी
क्या खूब कारीगरी है !
सवाल भी खुद के होते है
और जवाब भी खुद के ।  

लोग मुझसे पूछते हैं कि तुम्हारी
आंखें हमेशा लाल क्यूं रहती है
हम भी हंसकर कह देते हैं
हम नशा करते हैं किसी की यादों का । 

बहुत आसाँ है
इश्क़ में हार के खुदकुशी कर लेना,
कितना मुश्किल है जीना,
ये हमसे पूछ लेना…।

मुझे किसी के बदल जाने का
कोई गम नहीं
बस कोई था जिससे
ये उम्मीद नहीं थी । 

इतना दर्द तो मौत भी नहीं
देती,
जितना तेरी ख़ामोशी दे रही
है !  

औकात से ज्यादा
मोहब्बत करली
इसलिए बर्दाश्त से ज्यादा
दर्द मिला ।

झूठी मोहब्बत.. वफ़ा के वादे..
साथ निभाने की कसमें..
इतना सब किया तुमने,
सिर्फ मेरे साथ वक़्त गुजरने के लिए । 

तेरा हाल पूछे भी तो
किस तरह पूछे सुना है
मोहब्बत करने वाले बोला कम
और रोया ज़्यादा करते है ।  

अजीब है ये मोहब्बत का
दर्द… हँसता खेलता इंसान
दुआओं में मौत मांगने
लगता है…।

“जो फुर्सत मिले तो मुड़कर देख लेना मुझे
एक दफा तेरे प्यार में पागल होने की चाहत
मुझे आज भी है !”

बरबाद कर देती है मोहब्बत हर
मोहब्बत करने वाले को
क्योंकि इश्क हार नहीं मानता और दिल
बात नहीं मानता ।


बहुत तकलीफ देते है
वो ज़ख़्म
जो बिना कसूर के
मिले हो ।

पलकों में आँसू और दिल में दर्द सोया है,
हँसने वालों को क्या पता रोनेवाला किस
कदर रोया है ।


अब ना करूँगा
दर्द को बयान किसी के सामने
जब दर्द मुझको सहना है
तो तमाशा क्यूं करना ।

किसी दिन नींद आएगी तो
हम सोयेंगे इस तरह की
तडप जाओगे मुझे जगाने के लिए ।

दिल तोड़कर ये मत सोचना की
तुमको भूल जायेंगे,
मोहब्बत की थी हमने तुम्हारी तरह
टाइमपास नही…। 

जीते जी कौन करता है
कदर किसी की
ये तो मौत ही है जो इंसान को
अनमोल बना देती है । 

उठाकर कफ़न
ना दिखाना चेहरा मेरा उसको
उसे भी तो पता चले की
यार का दीदार ना हो तो कैसा लगता है।

पागल हो जो अब तक
याद कर रहे हो उसे
उसने तो तेरे बाद भी हज़ारो को
भुला दिया ।



ज़िंदगी में खुद को कभी किसी
इंसान का आदी मत बनाना,
क्यूंकि इंसान केवल अपने मतलब से
ही प्यार करता है ।  

मैं उस किताब का आखरी
पन्ना था
मैं ना होता तो
कहानी खत्म न होती ….।

एक तेरा ही दिल नहीं पिघलता जालिम मेरे लफ्ज़ अब पत्थर को रुला देते हैं
मेरे दोस्त भी अब मेरे दर्द का मज़ा लेते हैं,
मुझे अक्सर तेरे नाम से बुला लेते हैं ।

दुआ करना
दम भी इस तरह निकले
जिस तरह
तेरे दिल से हम निकले ।

इंसान इसलिये अकेला हो जाता है
क्योंकि अपनों को छोड़ने की सलाह
गैरों से ले लेता है ।

एक साँस सबके हिस्से से
हर पल घट जाती हैं,
कोई जी लेता हैं ज़िन्दगी
किसी की कट जाती हैं.।  

हुनर मोहब्बत का
हर किसी को कहाँ आता है,
लोग हुस्न पर फ़िदा होकर
उसे इश्क़ कह देते हैं.।

नींद भी क्या गजब की चीज है
आ जाए तो सब कुछ भुला देती है
और ना आए तो
सब कुछ याद दिला देती है ।

जब तेरा दर्द मेरे साथ वफ़ा करता है,
एक समंदर मेरी आंखों से बहा करता है !

मोहब्बत जिसे हो जाए
उसे मरने की ज़रूरत ही नहीं
ज़िन्दगी ख़ुद ही
अलविदा कह देगी ।

उसकी दर्द भरी आँखों ने जिस जगह कहा
था, अलविदा आज भी वही खड़ा है दिल
उसके आने के इंतजार में ।

आंसुओं की हमें ऐसी आदत हुई
के खुशियों से अब मन भरा ही नहीं
ग़म हमें सिर्फ इस बात का है सनम
तुमने वो भी कहा जो हुआ ही नहीं । 

सनम बेवफा है,
ये वक्त बेवफा है,
हम शिकवा करें भी तो किस्से,
कमबख्त ज़िन्दगी भी तो वेबफा है..!!

मुस्कुरा के दूर हुए वो
दिल ने मेरे रो दिया
ऐसा महसूस हुआ जैसे की
अपने जिस्म से मैंने जान खो दिया ।

हर किसी को नहीं मिलती
मोहब्बत में वफ़ा
कोई सोता है रात भर
कोई रोता है रात भर ।

झगडा तभी होता हैं जब
दर्द होता है,
और दर्द तब होता हैं
जब प्यार होता है

दुनिया का दस्तूर है ये
जिसे टूट कर चाहोगे
वही तोड़ कर जाएगा ।

किसी ने मुझसे पूछा
वादें ” और ” यादें” में क्या अन्तर है
मैंने कहा वादें इन्सान तोड़ता है
और यादें इन्सान को तोड़ती हैं..।

  

दर्द कम नहीं हुआ मेरा बस सहने
की आदत हो गयी हैं ।

सारी रात जागा जिसके लिए
वो अब
किसी और के लिए
जागने लगी है।

मुझे पता था कि,
आज नहीं तो कल तुम मेरा
साथ छोड़ ही दोगे,
लेकिन इतनी जल्दी छोड़ दोगे,
ये नहीं पता था ।

मोहब्बत अब नहीं रही
ज़माने मे
अब लोग इश्क़ नहीं
मज़ाक़ किया करते है..।

कहाँ छिपी है खुशियाँ हमारी,
कहाँ खोई है दुनियाँ हमारी,
समझ नहीं आ रहा है क्या करे
दर्द पर दर्द दे रही है जिंदगी हमारी …|

नसीब का प्यार और
गरीब की दोस्ती
कभी धोखा नही देतीं ।

आजकल धोरखा भी लोग
बड़े धोखे से देते हैं…
इधर प्यार जताते हैं
दिल कहीं और लगाते हैं.. !

हर कोई सो जाता है
अपने कल के लिए मगर
ये नहीं सोचते की आज जिसका दिल दुखाया
वो सोया होगा या नहीं । 

तड़पोगे तुम एक दिन यह सोच कर
की थी कोई जिद्दी चाहनेवाली…!
कहां चली गई अब वो
अपनी जिद छोडकर…!

मेरी ज़िन्दगी मुझे
ऐसे मोड़ पे लाकर खड़ा कर चुकी है
कि मजबूरी हैं जीने की
और चाहत है मरने की…।

कोई ठुकरा दे तो हंसकर जी लेना
क्योंकि
मोहब्बत की दुनिया में जबरदस्ती
नहीं होती ।

जिनके दिल पर
चोट लगती है ना…
वो लोग आँखों से कम और दिल से
ज्यादा रोते है…।

सब कुछ आसानी से मिल जाये,
ऐसा कभी मेरा नसीब ना रहा..
सुख दुःख में बराबर का हिस्सा बनें,
इतना कोई मेरे करीब ना रहा..।

न जाने इतना दर्द क्यों देती है
ये मोहब्बत
हँसता हुआ इंसान भी
दुआओ में मौत मांगता है ।

क़ाश कोई ऐसा हो, जो गले लगा कर
कहे…!! तेरे दर्द से मुझे भी तकलीफ
होती है

आज खुद को
इतना तन्हा महसूस किया
जैसे लोग दफना कर चले गए
हों …।

जिंदगी मे अगर कोई अच्छा लगे तो,
उसे सिर्फ चाहना प्यार मत करना,
क्योकि प्यार खतम हो जाता है
पर चाहत कभी नही खतम होती

मौत आ जाये पर जो नसीब में ना हो,
उस पर दिल कभी न आये..!! 

मोहब्बत का कानून अलग है
साहिब इसकी अदालत मे वफादार
सज़ा पाते है।  Boys

हर किसी को एक बार तो
प्यार करना ही चाहिए
ताकि उसको पता चल सके कि
प्यार क्यों नहीं करना चाहिए ।

याद रखना एक बात
किसी की आँख में आँसू दे
कर आप अपने खुद के सपने
कभी नहीं सजा सकते…।

मेरे अलावा काफ़ी लोग है उसकी
जिंदगी में,
अब मैं रहूं याँ ना रहूं क्या फ़र्क
पड़ता है।

दुनिया में सबसे
बेहतरीन भीख मोहब्बत की
होती है
और मैंने वो भी मांगी थी ।

मन से वहम निकाल दो कि
कोई याद करता है क्योंकि
जो रुला सकता है
वो भूला भी सकता है ।

अकेले ही गुजरती हैं जिंदगी,
लोग तसल्लियां तो देते हैं पर साथ नहीं…।

एक ही ईसान था जिंदगी में
जिसे देख कर लगता था
कि ये कभी साथ नहीं छोड़ेगा
लेकिन वो भी अकेला छोड़ दिया ।

काश आज मेरी साँस रुक जाए,
सुना है की साँस रुक जाए तो रूठे हुए भी
देखने आते है ।

जब तुम पर बीतेगी तो तुम भी
जान जाओगे कि
कितना दर्द होता है नज़र अंदाज़
करने से ।

मोहब्बत दोनों ही करते थे
में उसी से वो किसी और से ।

तन्हाई से तंग आकर हम मोहब्बत की
तलाश में निकले थे
लेकिन मोहब्बत भी ऐसी मिली की और
तनहा कर गयी ।

मन में जो दर्द छुपा था आँखों
से खली करने लगा हूँ…
और जब कोई उन आँसुओं कोई देख लेता है
उन्हें आँखों की खराबी कहने लगा हूँ ।

सुकून की तलाश में हम अपना दिल
बेचने निकले थे
खरीददार ऐसा मिला के
दर्द भी दे गया और दिल भी ले गया ।

जो दर्द समझता था
वही इंसान
जब दर्द देता है तो बहुत दर्द होता है…।

जिंदगी नहीं रुकती
किसी के बगैर
बस उस शख्स की जगह हमेशा
खाली रह जाती है ?

दर्द दो तरह के होते है
एक दर्द आपको दर्द देता है
और दूसरा दर्द आपको बदल देता है ।

जब मर्द की आंखों से
आंसू छलकने लगे
तो समझलो मुसीबत पहाड़ से भी
ज़्यादा बड़ी और संगीन है ।

ये जो तुम लफ़्ज़ों से बार बार
चोट देते हो ना
दर्द वही होता है जहां
तुम रहते है ।

कभी कभी सोचती हूँ यार
इतनी बूरी भी नही मैं
जितना मेरे साथ बूरा होता है…।

प्यार में दर्द पता है कब मिलता
है जब कोई पहले जी भर के प्यार करे
और बाद में बदल जाये तब
दिल नही हिम्मत टूट जाती है यार ।

तुम निभा न सके वो अलग बात है,
मगर वादे तुमने कमाल के किये थे।

मैने दिल से कहा थोड़ा कम याद किया कर उसे !!
दिल ने मुझसे कहा याद मैं कर रहा हु उसे !!
फिर तकलीफ क्या है तुझे।

ना मौत से दूर हूं, ना
जिंदगी के पास हूं, साँसे
चल रही हैं, एक जिंदा
लाश हूं.!!

अगर कोई अपना हो तो आइने
जैसा हो,
हंसे भी साथ और रोए भी
साथ..!

कुछ ना बचा मेरे इन,
दो खाली हाथों में,
एक हाथ से किस्मत रूठ गई,
तो दूसरे हाथ से मोहब्बत छूट गई ।।

मेरी निगाहो मे देखके कह दे
की हम तेरे काबिल नही
क़सम है तेरी चलती साँसों की
तेरी दुनिया ही छोड़ देंगे ।

बाज़ आजाओ मोहब्बत से
मोहब्बत करने वालों
हमने इसमे एक उम्र गुज़ारी
मिला कुछ भी नहीं ।

मोहब्बत सीखनी है तो
मौत से सीखो
जो एक बार गले लगा ले तो फिर
किसी का होने नहीं देतीं । 




उस से कहना तेरे भूल जाने से
कुछ भी तो नहीं बदला
बस पहले जहा दिल हुआ करता था
अब वहा दर्द होता है ।

जो लोग दूसरों की आँखों में
आँसूं भरते है
वो क्यूँ भूल जाते है की उनके पास भी
दो आँखें है…!!!

सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें।

दिन हुआ है, तो रात भी होगी,
मत हो उदास, उससे कभी बात भी होगी।
वो प्यार है ही इतना प्यारा,
ज़िंदगी रही तो मुलाकात भी होगी।

वो बिछड़ के हमसे ये दूरियां कर गई,
न जाने क्यों ये मोहब्बत अधूरी कर गई,
अब हमे तन्हाइयां चुभती है तो क्या हुआ,
कम से कम उसकी सारी तमन्नाएं तो पूरी हो गई।


होले होले कोई याद आया करता है,
कोई मेरी हर साँसों को महकाया करता है,
उस अजनबी का हर पल शुक्रिया अदा करते हैं,
जो इस नाचीज़ को मोहब्बत सिखाया करता है।

अब तेरे बिना जिंदगी गुजारना मुमकिन नही है,
अब और किसी को इस दिल में बसाना आसान नही है,
हम तो तेरे पास कब के चले आये होते सब कुछ छोड़ कर,
लेकिन तूने कभी हमे दिल से पुकारा ही नही है।

मंजिल भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था,
एक मैं ही अकेला था, बाकि सारा काफिला भी उसका था,
एक साथ चलने की सोच भी उसकी थी,
और बाद में रास्ता बदलने का फैसला भी उसी का था।



चिंगारी का ख़ौफ़ न दिया करो हमे,
हम अपने दिल में दरिया बहाय बैठे है,
अरे हम तो कब का जल गये होते इस आग में,
लेकिन हमतो खुद को आंसुओ में भिगोये बैठे है।


कोई मिला ही नही हमे कभी हमारा बन कर,
वो मिला भी तो हमे सिर्फ किनारा बनकर,
हर ख्वाब बन कर टुटा है यहां,
अब बस इंतज़ार ही मिला है एक सहारा बन कर।  

हम जानते है आप जीते हो जमाने के लिए,
एक बार तो जीके देखो सिर्फ हमारे लिए,
इस नाचीज़ की दिल क्या चीज़ है,
हम तो जान भी देदेंगे आप को पाने के लिए।   

हम तो ख्वाबो की दुनिया में बस खोते गये,
होश तो था फिर भी मदहोश होते गये,
उस अजनबी चेहरे में क्या जादू था,
न जाने क्यों हम उसके होते गये।
 Top   

वफ़ा का दरिया कभी रुकता नही,
मोहब्बत में प्रेमी कभी झुकता नही,
किसी की खुशियों के खातिर चुप है,
पर तू ये न समझना की मुझे दुःखता नही।   

हर पल साथ देने का वादा करते हैं तुझसे,
क्यों अपनापन इतना ज्यादा है तुझसे,
कभी ये मत सोचना भूल जायेंगे तुझे हम,
हर पल साथ निभाने का वादा है तुझसे।


तेरा यूँ मेरे सपनो में आना ये तेरा कसूर था,
और तुझ से दिल लगाना ये मेरा कसूर था,
कोई आया था पल दो पल को जिंदगी में,
और सर अपना समझ लेना वो मेरा कसूर था।

कितना दर्द है इस दिल में लेकिन हमे एहसास नही है,
कोई था बहुत खास पर वो पास नही है,
हमे उनके इश्क ने बर्बाद कर दिया,
और वो कहते है की ये कोई प्यार नही है।

इस दिल में आग सी लग गई जब वो खफा हुए,
फर्क तो तब पड़ा जब वो जुदा हुए,
हमे वो वफ़ा करके तो कुछ दे न सके,
लेकिन दे गये वो बहुत कुछ जब वो वेबफा हुए।

जब कोई ख्याल इस दिल से टकराता है,
तो दिल न चाहते हुए भी खामोश हो जाता है,
कोई सब कुछ कह कर भी कुछ नही कह पाता है,
और कोई बिना कुछ कह भी सब कुछ कह जाता है।

गम कितना है हम आपको दिखा नही सकते है,
ज़ख्म कितने गहरे है ये आपको दिखा नही सकते है,
जरा हमारे इन आंसुओ को तो देख लो,
ये आंसू गिरे है कितने ये हम आपको गिना नही सकते है।  

अब तो हम दर्द से खेलना सीख गये है,
अब तो हम वेबफाई के साथ जीना सीख गये है,
क्या बताये यारो की कितना दिल टूटा है हमारा,
अब तो हम मौत से पहले कफ़न ओढ़ कर सोना सीख गये है।
   

ये वक्त बदला और बदली ये कहानी है,
अब तो बस मेरे पास उनकी यादें पुरानी है,
न लगाओ मेरे ज़ख्मो पे मरहम,
क्योंकि मेरे पास बस उनकी यही बची हुई निशानी है।  

वो करते है मोहब्बत की बात,
लेकिन मोहब्बत के दर्द का उन्हें एहसास नही,
मोहब्बत तो वो चाँद है जो दिखता तो है सबको,
लेकिन उसको पाना सबके बस की बात नही।Top  

वक्त के बदल जाने से इतनी तकलीफ नही होती है,
जितनी किसी अपने के बदल जाने से तकलीफ होती है।
    
हर बात में आँसू बहाया नही करते,
हर बात दिल की हर किसी से कहा नही करते,
ये नमक का शहर है,
इसलिए ज़ख्म यहाँ हर किसी को दिखाया नही करते।

हम अगर खो गये तो कभी न पा सकोगे,
हम वहाँ चले जायेंगे जहाँ कभी नही आ सकोगे,
जिस दिन मेरी मोहब्बत का एहसास हो गया तुम्हे,
पछताओगे बहुत क्योंकि,
हम वहाँ चले जायेंगे जहाँ से फिर न बुला सकोगे।

उसे हमने बहुत चाहा था पर प न सके,
उसके सिवा ख्यालो में किसी और को ला न सके,
आँखों के आँसू तो सूख गये उन्हें देख कर,
लेकिन किसी और को देख कर मुस्कुरा न सके।

जब तक दर्द न हो किसी के आंसू आया नही करते,
बिना वजह किसी का दिल दुखाया नही करते,
ये बात सुन लो कान खोल कर,
किसी के सपने तोड़ कर अपने सपने सजाया नही करते।
   

चाहत इतनी थी की उनको दिखाई न गई,
चोट दिल पर लगी इसलिए दिखाई न गई,
हम चाहते तो थे सारी दूरियां मिटाना,
लेकिन दूरियां इतनी थी की मिटाई न गई।  

हमारी चाहत ने उस वेबफा को ख़ुशी देदी,
और उस वेबफा ने बदले में ख़ामोशी देदी,
मांगी तो उस रब से दुआ मरने की थी,
लेकिन उसने भी हमे तड़पने के लिए जिंदगी देदी।
    

जरूरी नही जीने के लिए सहारा हो,
जरूरी नही जिसे हम अपना माने वो हमारा हो,
कई कस्तियां बीच भबर में डूब जाया करती हैं,
जरूरी नही हर कस्ती को किनारा हो।Top   

जो पल बीत गये वो बापस आ नही सकते,
सूखे फूलो को बापस खिला नही सकते,
कभी ऐसा लगता है वो हमे भूल गये होंगे,
पर ये दिल कहता है वो हमे कभी भुला नही सकते।    

हम दुआएं करेंगे उनपर एतवार रखना,
न कोई हमसे कभी सवाल रखना,
अगर दिल में चाहत हो हमे खुश देखने की,
बस हमेशा मुश्कुराना और अपना ख्याल रखना।


कभी किसी को इतना सताया न करो,
अपने लिए कभी किसी को तड़पाया न करो,
जिनकी साँसे ही वो आपके लव्ज़ हो,
उन लफ़्ज़ों के लिए कभी किसी को तरसाया न करो।

हमे तो सिर्फ जिंदगी से एक ही गिला है,
क्यों हमे खुशियां न मिल सकी क्यों ये गम मिला है,
हमने तो उनसे इश्क-ए-वफ़ा की थी,
क्यों वफ़ा करने के बाद वेबफाई ही सिला है।

मुझे जिसने जिंदगी दी, वो मरता छोड़ गये,
जिससे मोहब्बत की वो मुझे तन्हा छोड़ गये,
थी हमे भी एक हमसफ़र साथ चलने को जरूरत,
जो साथ चलने बाले थे वही रास्ता मोड़ गये।

मोहब्बत उससे करो जो आपसे प्यार करे,
अपने आप से भी ज्यादा आप पर एतवार करे,
आप उससे एक बार दो पल के लिए रुकने को तो कहो,
और उन दो पलो के लिए सारी जिंदगी इंतज़ार करे।

प्यार मोहब्बत तो सब करते है,
इसको खोने से भी सब डरते है,
हम तो न प्यार करते है न मोहब्बत करते है,
हमतो बस आपकी एक मुस्कुराहट पाने को तरसते है।
  

हम आँखों से रोये और होठो से मुस्कुरा बैठे,
हमतो बस यूँ ही उनसे इश्क-ए-वफ़ा निभा बैठे,
वो हमे अपनी मोहब्बत का एक लम्हा भी न दे सके,
और हम उन पर यूही हर लम्हा लूट बैठे।   

प्यार हर किसी को जीना सिखा देता है,
वफ़ा के नाम पर मरना सिखा देता है,
प्यार नही किया तो करके देखो,
ये हर दर्द सहना सिखा देता है।  

आज तेरी याद को सीने से लगा कर हम रोये,
हम तुझे तन्हाई में पास बुलाकर रोये,
पाना तो बहुत चाहा था हर बार तुझे,
पर हर बार तुझे न पाकर हम रोये।

Top   

वो नही आती पर अपनी निशानी भेज देती है,
ख्वाबो में दास्ताँ पुरानी भेज देती है,
उसकी यादों के पल कितने भी मीठे हैं,
मगर कभी कभी आँखों में पानी भेज देती है।
    

इन आँखों में कभी हमारे आंसू आये न होते,
अगर वो पीछे मुड़ कर मुस्कुराये न होते,
उनके जाने के बाद यही गम रहेगा,
के काश वो हमारी जिंदगी में आये न होते।


अब तो हमे उदास रहना भी अच्छा लगता है,
किसी के पास न होना भी अच्छा लगता है,
अब मैं दूर हूँ तो मुझे कोई फर्क नही पड़ता,
क्योंकि मुझे किसी की यादो में आना भी अच्छा लगता है।


अगर कोई खता हो गई हो तो सजा बता दो,
क्यों है इतना दर्द बस इसकी वजह बता दो,
भले ही देर हो गई हो तुम्हे याद करने में,
लेकिन तुम्हे भूल जायेंगे ये ख्याल दिल से मिटा दो।

क्यों अनजाने में हम अपना दिल गवां बैठे,
क्यों प्यार में हम धोखा खा बैठे,
उनसे हम अब क्या शिकवा करे क्योंकि गलती हमारी ही थी,
क्यों हम वेदिल इंसान से दिल लगा बैठे।



इस इश्क की किताब से,
बस दो ही सबक याद हुए,
कुछ तुम जैसे आबाद हुए,
कुछ हम जैसे बर्बाद हुए।


हम तो आपसे पलके बिछा कर प्यार करते हैं,
ये वो गुनहा है जो हम बार बार करते हैं,
दिल में ख्वाइशों के कई चिराग जलाकर,
हम सुबहो शाम तेरे मिलने का इंतज़ार करते हैं।

जब कोई आपसे मजबूरी में जुदा होता है,
जरूरी नही वो इंसान वेबफा होता है,
जब कोई देता आपको जुदाई के आँसू,
तन्हाइयों में वो आपसे ज्यादा रोता है।

मुझे दिल से यूँ पुकारा न करो,
यूँ आँखों से हमे इशारा न करो,
दूर हूँ तुझसे मजबूरी है मेरी,
यूँ तन्हाइयों में मुझे तड़पाया न करो।

ये तेरी चाहत मुझे किस मोड़ पर ले आई,
इस दिल में गम है,और दुनिया में रुसबाई,
अब तो कटता है हर पल सदियों के बराबर,
अब तो लगता है के मार ही डालेगी तेरी ये जुदाई।

यादों में तेरी आहे भरता है कोई,
हर साँस के साथ तुझे याद करता है कोई,
मरना तो सभी को है वो एक हकीकत है,
लेकिन तेरी यादों में हर दिन मरता है कोई।   

हर घड़ी इस जिंदगी को आज़माया है हमने,
इस जिंदगी में सिर्फ गम पाया है हमने,
जिस ने हमारी कभी कदर ही न जानी,
उस वेबफा को इस दिल में बसाया है हमने।  

तुम हमे क्यों इतना दर्द देते हो,
जब जी में आये तब रुला देते हो,
लफ़्ज़ों में तीखा पन और नजरो में बेरुखी,
ये कैसा इश्क है जो तुम हमसे करते हो।

बीच सफर में तुम हमसे अलविदा कह गये,
पहले अपना बनाया फिर पराया कर गये,
जब जिंदगी की जरूरत सी बन गये,
तभी वो हमसे किनारा कर गये।

छोड़ने से पहले कहते तो आप,
दर्दे दिल एक बार हमे सुनाते तो आप,
ऐसी क्या मजबूरी थी आपकी,
जो हमे जिंदगी के सफर में छोड़ गये आप।

हमे दिल में बसाया था तो साथ निभाया क्यों नही,
जब नजरे मिलाई थी हमसे तो नजर में बसाया क्यों नही,
तूने तो हमसे जिंदगी भर साथ निभाने का वादा किया था,
तो छोड़ कर जाने से पहले एक बार बताया क्यों नही।

मेरे ख्यालो में सिर्फ तुम हो तुम्हे कैसे भुला दूँ,
इस दिल की धड़कन हो सिर्फ तुम, तुम्हे कैसे निकाल दूँ।

सच कहो तो उन्हें ख्वाब लगता है,
और शिकवा करो तो उन्हें मज़ाक लगता है,
हम कितनी शिद्दत से उन्हें याद करते है,
और एक वो हैं जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है।

ख्वाइशें तमाम पिघलने लगी है,
फिर से एक और शाम ढलने लगी है,
उनसे मुलाकात के इंतज़ार में बैठे है,
अब ये जिद भी तो हद से गुजर ने लगी है।

कितनी दूर निकल आये हम इश्क निभाते निभाते,
खुद को खो दिया हमने उनको पाते पाते,
लोग कहते है दर्द बहुत है तेरी आँखों में,
और हम दर्द छुपाते रहे मुस्कुराते मुस्कुराते।

किसी की चाहत पर हमे अब एतवार न रहा,
अब किसी भी ख़ुशी का हमे एहसास न रहा,
इन आँखों ने सपनो को टूटते देखा है,
इसलिए अब जिंदगी में किसी का इंतज़ार न रहा।

तू क्या जाने की क्या है तन्हाई,
टूटे हर पत्ते से पूंछो की क्या है जुदाई,
हमको तू कभी वे वेबफाई का इलज़ाम न देना,
तू उस वक्त से पूछ की मुझे तेरी याद कब नही आई।  

तू याद आता है बहुत इसलिए तेरी याद में खो लेते है,
तेरी याद जब आती है तो आंसुओ से रो लेते है,
नींद तो अब हमे आती नही,
तू हमारे सपनो में आयेगा ये सोच कर सो लेते है।  

कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ नही देखा,
तेरे जाने के बाद किसी और को नही देखा,
तेरा इंतज़ार करना तो है लाज़िम,
इसलिए कभी हमने घड़ी की तरफ नही देखा।   

सारे फासले मिटा कर तू हमसे प्यार रखना,
हमारा रिश्ता हमेशा बरकरार रखना,
अगर कभी इत्तेफाक से हम आपसे जुदा हो जाये,
तो कुछ पलों के लिए मेरा अपनी आँखों में इंतज़ार रखना।

वक्त नूर को बेनूर कर देता है,
छोटे से जख्म को नासूर कर देता है,
कोन चाहता अपनी मोहब्बत से दूर रहना,
लेकिन वक्त सबको मजबूर कर देता है।    

अपनी मोहब्बत की बस इतनी कहानी है,
डूबी हुई कस्ती और ठहरा हुआ पानी है।

यूँ सजा न दे मुझे बेकसूर हूँ मैं,
अपना ले मुझे गमों से चूर हूँ मैं,
तू छोड़ गई हो गया मैं पागल,
और लोग कहते है बड़ा मगरूर हूँ मैं।


न जाने क्यों ये लहरे समंदर से टकराती है,
और फिर समंदर में लौट जाती है,
कुछ समझ नही पाते की किनारों से वेबफाई करती है,
या समंदर से वफ़ा निभाती है।

कभी गम तो कभी वेबफाई मार गई,
कभी उनकी याद आई तो जुदाई मार गई,
जिसको हमने बेइन्तहा मोहब्बत की,
आखिर में हमे उसी की वेबफाई मार गई।
  

उनके इश्क की पहचान अभी बाकी है,
नाम उसका लवो पर है और मुझ में जान बाकी है,
वो हमे देख कर मुँह फेर लेते है तो क्या हुआ,
कम से कम उनके चेहरे की पहचान तो बाकि है।  

कभी दूर तो कभी पास थे वो,
न जाने किस किस के करीब थे वो,
हमे तो उन पर खुद से भी ज्यादा भरोसा था,
लेकिन ठीक ही कहता था ये जमाना, वेबफा थे वो।   

हमने तो देखा है खुद को कई बार आजमा कर,
अक्सर लोग धोखा देते है करीब आकर,
इस जमाने ने समझाया था लेकिन दिल नही माना,
छोड़ जाओगे एक दिन हमे अपना बना कर।

तुझे मोहब्बत करना नही आता,
और मुझे मोहब्बत के सिवा कुछ नही आता,
जिंदगी जीने के दो ही तरीकें है,
एक तुझे नही आता, और दूसरा मुझे नही आता।     

“सजा न दे मुझे बे-कसूर हूँ मैं,
थाम ले मुझको गमो से चूर हूँ मैं,
तेरी दूरी ने कर दिया है पागल मुझे,
और लोग कहते हैं कि मगरूर हूँ मैं।”

   
“दूरियाँ बहुत है पर इतना समझ लो,
पास रहकर कोई रिस्ता खास नहीं होता,
तुम मेरे दिल के इतने हो पास के,
मुझे दूरियों का एहसास नहीं होता।”  –  

“तेरे लिए खुद को मजबूर कर लिया,
जख्मो  को अपने हमने नासूर कर लिया,
मेरे दिल में क्या था ये जाने बिना,
तूने खुद  को हमसे कितना दूर कर लिया।”

“गलतियों से जुदा तू भी नहीं और में भी नहीं,
दोनों इंसान हैं खुदा तू भी नहीं मैं भी नहीं,
गलत-फह्मिओं ने कर दी दोनों में पैदा दूरियाँ,
वरना फितरत का बुरा तू भी  नहीं मैं भी नहीं।”


“मिलना इत्तेफाक था बिछड़ना नसीब था,
वो उतना ही दूर चला गया जितना करीब था,
हम उसको देखने के लिए तरसते रहे,
जिस शख्स कि हथेली पे हमारा नसीब था।”

“दूर रहना आपका हमसे सहा नहीं जाता,
जुदा हो के आपसे हमसे रहा नहीं जाता,
अब तो वापस लौट आईये हमसे  पास,
दिल  का हाल अब किसी से कहा नहीं जाता।”


“मोहब्बत ऐसी थी कि बतायी न गयी,
चोट दिल पर थी इसलिए दिखाई न गयी,
चाहते नहीं थे उनसे दूर रहना,
दूरी इतनी थी उनसे के मिटायी न गयी।”


“मरने की दुआएँ क्यूँ माँगूँ
जीने की तमन्ना कौन करे..
ये दुनिया हो या वो दुनिया अब
ख़्वाहिश-ए-दुनिया कौन करे।”  –  


“हर तन्हा रात में एक नाम याद आता है,
कभी सुबह कभी शाम याद आता है,
जब सोचते हैं कर लें दोबारा मोहब्बत,
फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है।”

   
“चल मेरे हमनशीं अब कहीं और चल,
इस चमन में अब अपना गुजारा नहीं,
बात होती गुलों तक तो सह लेते हम,
अब काँटों पे भी हक हमारा नहीं।”


“सपनों से दिल लगाने की आदत नहीं रही,
हर वक्त मुस्कुराने की आदत नहीं रही,
ये सोच के कि कोई मनाने नहीं आएगा,
अब हमको रूठ जाने की आदत नहीं रही।”


“मुद्दत से कोई शख्स रुलाने नहीं आया,
जलती हुई आँखों को बुझाने नहीं आया,
जो कहता था कि रहेंगे उम्र भर साथ तेरे,
अब रूठे हैं तो कोई मनाने नहीं आया।”


“हम तो मौजूद थे रात में उजालों की तरह​,
लोग निकले ही नहीं ढूढ़ने वालों की तरह​,
दिल तो क्या हम रूह में भी उतर जाते​,
तुमने चाहा ही नहीं चाहने वालों की तरह​।”


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