मनुष्य को छोडकर जीव जगत का हर प्राणी इस सूत्र का पालन कर रहा है। आप चिड़िया को देखो, कितने भी तरह की चिड़िया सवेरे सूरज निकलते ही उनका खाना शुरू हो जाता है, और भरपेट खाती है। 6 बजे के आसपास राजस्थान, गुजरात में जाओ सब तरह की चिड़िया अपने काम पर लग जाती है। खूब भरपेट खाती है और पेट भर गया तो चार घंटे बाद ही पानी पीती है। गाय को देखिए सुबह उठते ही खाना शुरू हो जाता है। भैंस, बकरी ,घोड़ा सब सुबह उठते ही खाना खाना शुरू करेंगे और पेट भरकर खाएंगे। फिर दोपहर को आराम करेंगे तो यह सारे जानवर,जीव जंतु जो हमारी आँखो से दीखते है और नहीं भी दिखते ये सबका भोजन का समय सवेरे का हैं। सूर्योदय के साथ ही थे सब भोजन करते है। इसलिए, थे हमसे ज्यादा स्वस्थ रहते है।
तो सुबह के खाने का समय तय कीजिये। सूरज उगने के ढाई घंटे तक। यानी 9.30 बजे तक, ज्यादा से ज्यादा 10 बजे तक आपका भोजन हो जाना चाहिए। और ये भोजन तभी होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे। आप बाहर निकलिए घर के तो सुबह भोजन कर के ही निकलिए। दोपहर एक बजे में जठराग्नी की तीव्रता कम होना शुरू होता है तो उस समय थोडा हलका खाए यानी जितना सुबह खाना उससे कम खाए तो अच्छा है। ना खाए तो और भी अच्छा। खाली फल खाएं, जूस दही मट्ठा पिये। शाम को फिर खाये।
शाम का भोजन भी जठराग्नि के अनुसार ही करना चाहिए। जठराग्नी सुबह सुबह बहुत तीव्र होगी और शाम को जब सूर्यास्त होने जा रहा है, तभी तीव्र होगी। इसलिए शाम का खाना सूरज छिपने से पहले खा लेना चाहिए क्योंकि सूरज अस्त होने के बाद जठराग्नि भी मंद हो जाती है इसलिए सूरज डूबने के पहले 5.30 बजे - 6 बजे खाना चाहिये। उसके बाद अगर रात को भूख लगे तो दूध पीजिये। दूध के अतिरिक्त कुछ भी न लें। इसका कारण यह है की शाम को सूरज डूबने के बाद हमारे पेट में जठर स्थान में कुछ हार्मोन और रस या एंजाइम पैदा होते है जो दूध को पचाते है। इसलिए सूर्य डूबने के बाद जो चीज खाने लायक है वो दूध है। तो रात को दूध पी लीजिए। उसके बाद जितना जल्दी हो सके सो जाइये।
भोजन के बाद विश्राम के नियम: सुबह और दोपहर के भोजन के बाद 20 से 40 मिनट की झपकी लें। लेकिन शाम का खाना खाने के बाद कम से कम 500 कदम टहलना चाहिए।
तो सुबह के खाने का समय तय कीजिये। सूरज उगने के ढाई घंटे तक। यानी 9.30 बजे तक, ज्यादा से ज्यादा 10 बजे तक आपका भोजन हो जाना चाहिए। और ये भोजन तभी होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे। आप बाहर निकलिए घर के तो सुबह भोजन कर के ही निकलिए। दोपहर एक बजे में जठराग्नी की तीव्रता कम होना शुरू होता है तो उस समय थोडा हलका खाए यानी जितना सुबह खाना उससे कम खाए तो अच्छा है। ना खाए तो और भी अच्छा। खाली फल खाएं, जूस दही मट्ठा पिये। शाम को फिर खाये।
शाम का भोजन भी जठराग्नि के अनुसार ही करना चाहिए। जठराग्नी सुबह सुबह बहुत तीव्र होगी और शाम को जब सूर्यास्त होने जा रहा है, तभी तीव्र होगी। इसलिए शाम का खाना सूरज छिपने से पहले खा लेना चाहिए क्योंकि सूरज अस्त होने के बाद जठराग्नि भी मंद हो जाती है इसलिए सूरज डूबने के पहले 5.30 बजे - 6 बजे खाना चाहिये। उसके बाद अगर रात को भूख लगे तो दूध पीजिये। दूध के अतिरिक्त कुछ भी न लें। इसका कारण यह है की शाम को सूरज डूबने के बाद हमारे पेट में जठर स्थान में कुछ हार्मोन और रस या एंजाइम पैदा होते है जो दूध को पचाते है। इसलिए सूर्य डूबने के बाद जो चीज खाने लायक है वो दूध है। तो रात को दूध पी लीजिए। उसके बाद जितना जल्दी हो सके सो जाइये।
भोजन के बाद विश्राम के नियम: सुबह और दोपहर के भोजन के बाद 20 से 40 मिनट की झपकी लें। लेकिन शाम का खाना खाने के बाद कम से कम 500 कदम टहलना चाहिए।
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