दहेज मृत्यु - Dowry Death



दहेज से मृत्यु भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 ख के अन्तर्गत दहेज से मृत्यु के सम्बन्ध में प्रावधान है। यह प्रावधान दहेज निषेध (संशोधन) अधिनियम, 1986 की धारा 10 द्वारा भारतीय दण्ड संहिता में निविष्ट किया गया है। यह धारा यह प्रावधान करती है-

धारा 304 (ख). जहाँ किसी, स्त्री की मृत्यु-उसके विवाह होने के सात वर्ष के अन्दर जलने या किसी शारीरिक क्षति होने अथवा सामान्य परिस्थितियों के अंतर्गत जैसी मृत्यु होती है, उससे अन्यथा प्रकार से होती है और यह दिखाया जाता है कि अपनी मृत्यु के तुरंत पूर्व वह अपने पति या अपने पति के किसी संबंधी की निर्दयता या प्रताड़ना का शिकार बनी थी अथवा ऐसी मृत्यु दहेज की किसी मांग के सम्बन्ध में हुई थी तो ऐसी मृत्यु दहेज से मृत्यु ऐसे पति या सम्बन्धी द्वारा कारित हुई समझी जाएगी।

रविन्द्र त्रिम्बक बनाम महाराष्ट्र राज्य [(1996) 4 S.C.C. 148] के मामले में 25,000 रु० की दहेज मांग पूरी न होने पर पत्नी को मार डाला। उच्चतम न्यायालय ने भी निर्धारित किया कि यह दहेज मृत्यु है, इस पर रोक लगने के लिए कठोर सजा देनी चाहिए। क्योंकि यह समाज में घृणित अपराध है।




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