महाशक्ति मनाऐगा महार्षि अरविन्‍द का जन्‍मोत्‍सव




महाशक्ति मनाऐगा महार्षि अरविन्‍द का जन्‍मोत्‍सव 
15 अगस्‍त को स्‍वतंत्रता दिवस के साथ-साथ महर्षि अरविन्‍द जी की जायंती भी थी। मुझे भी याद नही था पर कही पढ़ा तो दुख भी हुआ। किन्‍तु अब महाशक्ति उनका जन्‍म दिवस तो नही मना सकी पर अब जन्‍म माह मनने की तैयारी है। इसके लिये महाशक्ति पर महर्षि अरविन्‍द से सम्‍बन्धित लेख और उनके कथन प्रकाशित किये जायेगें। यह को‍ई बहुत बड़ा काम तो नही होगा किन्‍तु निश्चित रूप से एक सच्‍ची श्रद्धाजंली देने की कोशिस होगी ताकि आज की युवा पीढ़ी उनके विचारों से सीख ले सके।


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कालेज की लड़कियॉं



खामोश हैं उदास है पागल हैं लड़किया।
देखों किसी के प्‍यार में घायल है लडकिया।।
ऐ कालेज के लड़कों नज़र से इनको समझों।
पैरो की बेडि़यॉं नही, पायल है लड़कियॉं।।
समझे तेरे दिल जज्‍बात को फिर भी।
अपने मंजर जिन्दगी की कायल है लड़कियॉं।।
बे खौफ़ तेरे जीवन में, यूं साथ न छोड़े।
हर जिन्‍दगी में नदियों की साहिल है लड़कियॉं।।


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कविता- एक आनोखा टेनिस का मैच



देखा एक शाम टीवी खेल , चल रहा था ,
टेनिस का एक मैच बेगाना।
रिमोट बटन की बढ़ती गति को कुछ नया देख,
मैने इस न्‍यारें खेल को रोकने समझना चाहा।
थोड़ी देर बाद पता चला कि यह तो बिबंडन का फाइनल है।
जहॉं फेडरर मुकाबला स्‍पेन के नाडल से होने वाला है।
क्रिकेट वर्ड कप से हार कर मेरा मन भी गया था क्रिकेट से ऊब,
अन्‍तत: मुझे भी इस खेल में लगी रोचकता खूब।
कुछ ही देर में इस खेल ने पकड़ लिया।
फिर मैने भी उसको अपनी बाहों में जकड़ लिया।
फेडरर के एक एक फोरहैन्‍ड शॉट का नही था कोई जवाब,
पर शायद दूसरे सेट के बाद चढ़ना था अभी नडाल का शबाब।
मै भी कभी नाडाल तो कभी फेडरर की तरफ से आवाज लगाने लगा,
इसी बीच हॉक आई ने भी की नाडाल की वकालत,
पर तभी फेडरर ने खुद की गलतियों से खिलाफत,
मै में अब सर्विस फाल्‍ट की गललियों का नाडाल का था कारोबार
जिसके कारन विबलंडल की ट्राफी से हुआ फेडरर का साक्षात्‍कार
पर क्ले कोर्ट के बादशाह ने ग्रास कोर्ट पर भी जीता सबका दिल,
और मुझे क्रिकेट का विकल्‍प गया था मिला।
कवि - विवेक कुमार मिश्र, इलाहाबाद विवि के स्‍नातक छात्र है।


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