एग्रीगेटर बिन चिट्ठाकारी



हिन्‍दी चिट्ठाकारी आज अपने परिपक्व रूप में है। मुझे नहीं पता कि कि आज के समय मे चिट्ठाकारो के लिये एग्रीगेटर कितना उपयोगी है कि नहीं क्योंकि मुझे यह भी जानकारी नहीं है कि कौन कौन से एग्रीगेटर वर्तमान समय है और उनकी स्थिति क्या है ?
नारद युग की बादशाहत को जिस प्रकार ब्‍लागवाणी ने तोड़ा और चिट्ठाजगत की चुनौतियो को स्वीकार करते हुये अपना वर्चस्व कायम रखा वाकई यह तारीफ काबिल था। ब्‍लागवाणी के जाने के क्‍या कारण थे यह आज तक जग-जाहिर न हो सके और ब्लागवाणी की वापसी के सारे प्रयास व्यर्थ होने के साथ ब्‍लागवाणी युग का अवसान हो गया। ब्‍लागवाणी अवसान के बाद निश्‍चित रूप से चिट्ठाजगत के पास हिन्‍दी चिट्ठाकारी प्रसारकर्ता के रूप मे आधिपत्‍य धारण करने का अवसर था किन्तु ब्‍लागवाणी के जाने के बाद चिट्ठाजगत का मौन पतन नव ब्लागरो के लिये दुखद रहा।
ब्‍लागवाणी और चिट्ठाजगत के जाने के बाद एग्री‍गेटरो की स्थिति मेरे संज्ञान में नहीं है.... वर्तमान में कौन-कौन से हिन्दी एग्रीगेटर काम कर रहे है। क्योंकि ब्‍लागवाणी और चिट्ठाजगत का अंत हुये एक साल हो रहे है इस एक साल में मेरे ब्‍लाग पर किसी भी एग्रीगेटर से कोई पाठक नहीं आये..... यह भी यक्ष प्रश्न है कि कि कोई एग्रीगेटर है भी अथवा नहीं ? अगर है तो उन एग्रीगेटरो में शामिल होने की प्रक्रिया क्या है ?
इतने दिनों बाद एग्रीगेटर की बात क्यों छेड़ी गई यह वाकई शोचनीय प्रश्न है। इसका सबसे प्रमुख कारण यह है कि एग्रीगेटर से हटने के कारण नये ब्‍लागो और ब्‍लागरो से सम्‍पर्क स्थापित न हो पाना, ब्‍लाग जगत की नवीन हलचलों से अनिभिज्ञ्यता प्रमुख है।
किसी को वर्तमान समय में सक्रिय एग्रीगेटर के बारे में जानकारी हो तो देने का कष्ट करें।


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जहाँ चाह वहाँ राह



यह प्रयाग स्टेशन पर खड़ी सारनाथ एक्‍सप्रेस है...जिसका प्रयाग स्टेशन पर कोई स्‍टॉपेज नहीं है पर जब यह रुकती है तो करीब 3-4 सौ यात्री रोजाना चढ़ते और उतरते है...बिना स्‍टापेज के यह ट्रेन इस स्टेशन पर रुकती कैसे है.. इससे तो यही पता चलता है कि जहाँ चाह वहाँ राह... 300-400 यात्री कम नहीं होते है... :)

28 PLP PHULPUR
13:36 13:37

2
29 JNH JANGHAI JN
14:18 14:19

2
30 BOY BHADOHI
15:03 15:04

2
31 BSB VARANASI JN
16:10 16:30

2


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गुरुपादुका स्तवन (Guru Paduka Staban)



Guru Brahma Shiva Narayan and hari har as one. The ultimate form of guru
Harihar Bhagawan
अनन्तसंसारसमुद्रतार नौकायिताभ्यां गुरुभक्तिदाभ्याम् ।
वैराग्यसाम्राज्यदपृजनाभ्याम् नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥१॥
Anantha samsara samudhra thara naukayithabhyam guru bhakthithabhyam,
Vairagya samrajyadha poojanabhyam, namo nama sri guru padukhabyam.

My prostration to holy sandals of mu Guru, which serve as the boat to cross this endless ocean of Samsara, which endow me with devotion to Guru, and which grace with the valuable dominion of renunciation.

कवित्ववाराशिनिशाकराभ्यां दौर्भाग्यदावाम्बुदमालिकाभ्याम् ।
दूरिकृतानम्रविपत्ततिभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥२॥
Kavithva varasini sagarabhyam, dourbhagya davambudha malikabhyam,
Dhoorikrutha namra vipathithabhyam,, namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which serve as the down pour of water to put out the fire of misfortunes, which remove the groups of distresses of those who prostrate to them.

नना ययोः श्रीपतितां समीयुः कदाचिदप्याशु दरिद्रवर्याः ।
मृकाश्च वाचस्पतितां हि ताभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥३॥
Natha yayo sripatitam samiyu kadachidapyasu daridra varya,
Mookascha vachaspathitham hi thabhyam,namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, adoring which the worst poverty stricken, have turned out to be great possesors of wealth, and even the mutes have turned out to be great masters of speech.
Guru Ardha Narishwar. half part is feminine and half part is masculine called ardhanarishwara
Ardha Narishwora

नालीकनीकाशपदाह्रताभ्यां नानाविमोहादि निवारिकाभ्याम् ।
नमज्जनाभीष्टततिप्रदाभ्या नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥४॥
Naleeka neekasa pada hrithabhyam, nana vimohadhi nivarikabyam,
Nama janabheeshtathathi pradhabhyam namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which remove all kinds of ignorant desires, and which fulfill in plenty, the desire of those who bow down to them.

नृपालिमौलिव्रजरत्नकान्ति सरिद्विराजत् झषकन्यकाभ्याम् ।
नृपत्वदाभ्यां नतलोकपङ्कतेः नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥५॥
Nrupali mouleebraja rathna kanthi sariddha raja jjashakanyakabhyam,
Nrupadvadhabhyam nathaloka pankhthe, namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which shine like the precious stones that adorn the crown of kings, by bowing to which one drowned in worldliness will be lifted up to the great rank of sovereignty.

पापान्धकारार्क परमपराभ्यां तापत्रयाहीन्द्रखगेश्वराभ्याम् ।
जाड्याब्धिसंशोषणवाडवाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥६॥
Papandhakara arka paramparabhyam, thapathryaheendra khageswarabhyam,
Jadyadhi samsoshana vadaveebhyam namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which serve as the Sun smashing all the illusions of sins, which are like garuda birds in front of the serpents of the three pains of Samsara; and which are like the terrific fire that dries away the ocean of jadata or insentience.
Ultimate guru Narayana. Narayana is the guru of all gurus
Narayana

शमादिषट्कप्रदवैभवाभ्यां समाधिदानव्रतदीक्षिताभ्याम् ।
रमाधवाङ्ध्रिस्थिरभक्तिदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥७॥
Shamadhi shatka pradha vaibhavabhyam,Samadhi dhana vratha deeksithabhyam,
Ramadhavadeegra sthirha bhakthidabhyam, namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which endows one with six attributes which can bless with permanent devotion at the feet of the Lord Rama and which is initiated with the vow of charity and self-settledness.

स्वार्चापराणामखिलेष्टदाभ्यां स्वाहासहायाक्षधुरन्धराभ्याम् ।
स्वान्ता च्छभावप्रदपृजनाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥८॥
Swarchaparana makhileshtathabhyam, swaha sahayaksha durndarabhyam,
Swanthachad bhava pradha poojanabhyam, namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which bestows all the wishes of those who are absorbed in the Self, and which grace with one’s own hidden real nature.
Guru of all gurus Narayana with shankha Chakra Gadha Padma Vishnu, mahanarayan, mahavishnu, krishna, shiva
Narayana

कामादिसर्पव्रजगारुडाभ्यां विवेकवैराग्यनिधिप्रदाभ्याम् ।
बोधप्रदाभ्यां द्रुतमोक्षदाभ्यां नमो नमः श्रीगुरुपादुकाभ्याम् ॥९॥
Kaamadhi sarpa vraja garudabhyam, viveka vairagya nidhi pradhabhyam,
Bhodha pradhabhyam drutha mokshathabhyam, namo nama sri guru padukhabyam.

My prostrations to the holy sandals of my Guru, which are like garudas to all the serpents of desire, and which bless with the valuable treasure of discrimination and renumciation, and which enlighten with bodha- the true knowledge, and bless with instant liberation from the shackles of the world.
Guru Dattatraya

Guru Shuk and Parashar

Guru Dattatraya

Guru Gorakhnath

Adi Shankaracharya
Dattatraya, Gorakhnath, Guru, Gurupaduka, Narayan, Shiva, Staban, गुरु, गुरुपादुका, स्तवन,


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श्री पद्मनाभस्वामी मंदिरः न बने सरकारी गुलाम



आखिर क्‍यो हिन्‍दु धर्मिक स्‍थलो से प्राप्‍त सम्‍पदा को ही सरकारी नियत्रण मे लेने का प्रयास किया जाता है ? हाल मे ही दक्षिण के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के विष्‍णु मे लाखो करोड़ की सम्‍पत्ति प्राप्‍त हो रही है। क्‍या भारतीय इतिहास मे कभी जामा मस्जिद या किसी चर्च से प्राप्‍त सम्‍पति को सरकारी सम्‍पत्ति धोषित किया गया ? यदि नही तो हिन्‍दुओ के साथ ही ऐसा क्‍यो ?
माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश पर पद्मनाभस्वामी मंदिर के तहखाने में बंद वस्तुओं की सूची बनाने के दौरान बेशकीमती खजाने का पता चला, इसमें सोने की वस्तुएं, जूलरी, बर्तन और करोड़ों रुपये कीमत के बहुमूल्य पत्थर शामिल हैं। इस मंदिर का देख भाल त्रावणकोर राज परिवार की ओर से नियुक्त एक ट्रस्‍ट करता रहा है। यह सम्‍पदा इतने सालो से सुरक्षित है इसका मललब यही निकाला जाना चाहिये कि राज परिवार ने इस धन का कभी गलत इस्‍तेमाल नही किया। यदि सरकार के हाथ मे यह सम्‍पदा होती तो 1 रूपये मे 5 पैसे ही जनता तक पहुँचे वाली कहावत ही चरित्रार्थ होती और पूरा पैसा स्‍विस बैक के नेताओ की एकाउन्‍ट मे चला गया होता है।
इस मंदिर के सरकारी नियंत्रण का पूर्ण विरोध होना चाहिये..यह हिन्‍दू समाज का मंदिर है और यह पैसा हिन्‍दू समान के लिये ही खर्च होना चाहिये। जाँच के दौरान उन हिन्‍दु रीति रिवाजो और मान्‍यताओ का भी पूर्ण पालन करना चाहिये जो कि सदियो से चली आ रही है।


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चिट्ठाकारी के पाँच साल... छठे साल मे कदम



आज 30 जून है मेरी चिट्ठाकारी के 5 साल पूरे हो रहे है.. और 6वें साल मे कदम रख रहा हूँ। 30 जून 2006 को मेरी पहली पोस्‍ट प्रकाशित हुई थी... दुर्भाग्‍यवस आज वो नही है। मेरे सर्वाधिक खुशी इस बात की भी हो रही है कि आज के दिन मै अपने 5 सालो मे सर्वाधिक व‍िजिट को मै पार कर रहा हूँ... अभी तक 658 पेज लोड हो चुके है सम्‍भवत: रात 12 बजे तक 800 पार हो जायेगी... अभी तक कल के पेज लोड़ 680 था...
434 प्रविष्ठियां और 3238 टिप्पणियां यह बताती है कि लगातार आपका सहयोग व मार्गदर्शन मिला इसके लिये अभार,
आपका अपना महाशक्ति


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देश में हो रहे पांच प्रकार की लूट का समाधान – भारत स्वाभिमान – स्वामी रामदेव



swami ramdev

लूट
  1. इलाज के नाम पर पूरे देश में प्रति वर्ष लगभग 10 लाख करोड़ रुपये की लूट हो रही है। अनावश्यक दत्ता, अनावश्यक परीक्षण पर गैर जरूरी ऑपरेशन का रोज खतरनाक खेल, हो रहा है।
  2. शराब, तंबाकू, गुटखा, अफीम व चर्स आदि नशीले सेवन से देश के प्रति वर्ष लगभग 10 लाख करोड़ रुपया बर्बाद हो रहे है।
  3. विदेशी कंपनियों द्वारा साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, क्रीम, पाउडर, आचार, चटनी, चिप्स, कोका कोला व पेप्सी आदि शून्य तकनीकी से बनी बहुत ही गैर जरूरी अनुपयोगी व स्वास्थ्य के लिए हानिकारक वस्तुएं बेचकर भारत से प्रतिवर्ष लगभग 5 लाख करोड़ रुपये की लूट हो रही है। तथा देश का धन विदेशी लोगों के हाथों में जाने से देश आर्थिक दृष्टि से कमजोर हो रहा है।
  4. यूरिया, डी,ए,पी व अन्य हानिकारक खाद व जहरीले कीटनाशकों से एक ओर जहाँ धरती माता की कोख (खेत) व इंसान का पेट विषैला हो रहा है वहीं गो व पशुधन आधारित कृषि व्यवस्था न होने से प्रतिवर्ष लाखों गायों व अन्य पशुओं का बर्बरता के साथ कत्लखानों में वध हो रहा है। प्रतिवर्ष इन जहरीली खाद व कीटनाशकों से देश के लगभग 5 लाख करोड़ रुपये नष्ट हो रहा है।
  5. टैक्स जस्टिस नेटवर्क, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल, प्रवर्तन निदेशालय, केन्द्रीय सतर्कता आयोग अन्य राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के अनुसार पूरी दुनिया में अब तक 11.5 ट्रिलियन डॉलर क्रास बार्डर ब्लैक मनी जमा है। भारतीय मुद्रा के अनुसार उसकी कीमत 518 लाख करोड रुपये है तथा इसमें से आधा 258 लाख करोड़ भारत के बेईमान लोगों का है। अभी भी यह लूट का सिलसिला रुका नहीं है। प्रतिवर्ष 1.6 ट्रिलियन डॉलर अभी भी देश की सीमाओं से बाहर काला धन जमा होता है। अर्थात प्रतिवर्ष अभी भी लगभग 72 लाख करोड़ रुपये दुनिया के बेईमान लोग अपने-अपने देशों से लूटकर दूसरे देशों में जमा करते है। अत: ये भ्रष्टाचार व काला धन मात्र राष्ट्रीय ही नहीं एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है। इस 72 लाख करोड़ रुपये में आधा रुपये एशियाई देशों का है और इसमें भी आधा अर्थात 18 लाख करोड रुपये भारत का प्रति वर्ष विदेशी बैंकों में जमा हो रहा है। इस धनराशि को यदि महीने व दिनों में विभाजित करें तो प्रतिमाह 1 लाख 50 हजार करोड, प्रतिदिन 4931.5 करोड, प्रतिघंटा 206 करोड एवं प्रति मिनट 3 करोड 42 लाख रुपये की लूट हो रही है। नक्सलवाद, माओवाद, आंतकवाद, गरीबी व बेरोजगारी आदि समस्त ज्वलंत सम्स्याओं व चुनौतियों का मूल कारण भ्रष्टाचार, काला धन एवं पक्षपात की गलत नीतियाँ एवं व्यवस्थाएं भी है व बेरोजगारी आदि समस्त ज्वलंत समस्याओं व चुनौतियों का मूल कारण भ्रष्टाचार, काला धन एवं पक्षपात की गलत नीतियाँ एवं व्यवस्थाएं भी है। जहाँ एक ओर देश के लोग ईमानदारी से मेहनत करके देश के विकास में लगे है और प्रति वर्ष 50 से 60 लाख करोड की जी.डी.पी, देकर देश को ताकतवर बना रहे है वहीं दूसरी और हमारी घटिया सोच, गलत नीतियों व भ्रष्टाचार पर अंकुश न होने से देश का लगभग 50 लाख करोड रुपये प्रतिवर्ष बेरहमी व बेदर्दी से लूटा जा रहा है व देश का विनाश हो रहा है और हमारे अपने घर के 5 लाख रुपये लूटने, नष्ट या बर्बाद होने पर हमे कितता कष्ट होता है। हम 120 करोड देशभक्त, जागरुक-संवेदनशील भारतीयों के होते देश का प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख करोड रुपये लुटता रहता है और हम मौन होकर यह सब देख रहे इससे बडी शर्म, अपमान या बेबसी की बात और क्या हो सकती है? इस लूट के लिए जिम्मेदार कौन? समाज के ताकतवर बडे लोग, चाहे वह बडे डाक्टर्स, हास्पिटल हो, या फिर बड़े व्यापारी, बड़े अधिकारी, पर सबसे ज्यादा जिम्मेदार है बड़े नेता जिनके हाथों में इस देश की सर्वोच्च सत्ता व शक्ति है। भ्रष्टाचार के लिए तो वे 100 फीसदी सीधे जिम्मेदार ही साथ ही दुसरी लूट में भी उनकी भागीदारी है। चाहे बडे हॉस्पिटल हो, दवा निर्माता कंपनियां, हो या फिर शराब तम्बाकू या अन्य नशा बनाने वाली कंपनियां हों अथवा विदेशी कंपनियां जिनके साथ कुछ रसूखदार ताकतवर नेताओं की पार्टनरशिप होती और कई बार तो वे सीधे तौर पर खुद ही मालिक होते हैं।
swami ramdev
लूट का समाधान
  1. नित्य नियमानुसार योगाभ्यास करें, रोगी होने से बचें तथा रोगी योग करके निरोगी बने। योगाभ्यास, नियमित व संयमित जीवन व आयुर्वेद की आयु व स्वास्थ्य वर्धक जड़ी-बूटियों का प्रयोग करें।
  2. नशा मुक्त जीवन जीने का संकल्प लें। योगाभ्यास से रोग मुक्ति के साथ स्वत: नशा मुक्ति भी मिलती है। नशे से तन, धन, मन, आत्मा व धर्म की हानि के बारे में खुद समझे औरों को समझाएं।
  3. 100 प्रतिशत स्वदेशी को अपनाने का व्रत या संकल्प लें। शून्य तकनीकों से बनी विदेशी वस्तुएं खासतौर पर साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, क्रीम, पाउडर, ब्रेड, बिस्कुट, चिप्स, कोकाकोला व पेप्सी आदि का प्रयोग कभी न करें। गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्यवर्धक सस्ते व स्वदेशी उत्पादों की उपलब्धता प्रत्येक प्रान्त व जिला स्तर पर करवाने तथा रोग, नशा व बेरोजगारी मुक्त, पूर्ण स्वस्थ, संस्कारवान व समृद्ध गांवों के निर्माण हेतु 600 जिलों में पतंजलि ग्रामोद्योग योजना शीघ्र ही प्रारम्भ कर रहे हैं।
  4. विष मुक्त अन्न (ऑर्गेनिक फूड) खाएं व गो-दूध व गौघृत आदि के सेवन को प्रोत्साहन दें। जब उपभोक्ता के रूप में हम ऑर्गेनिक बाजार तैयार करेंगे तो किसान भी धीरे-धीरे विष मुक्त कृषि की नीति को अवश्य अपनायेंगे।
  5. भ्रष्टाचार का पूरी ताकत से विरोध करें। न रिश्वत लें और न दें। भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए भारत स्वाभिमान के सदस्य, कार्यकर्ता व शिक्षक बनकर भारत स्वाभिमान की नीतियों का प्रचार करें।


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New Mahakal Status In Hindi 2020



1.
फिदा हो जाऊँ..
तेरी किस-किस अदा पर #महाकाल
अदायें लाख तेरी, बेताब #दिल एक हें मेरा

2.

हम तो एक ही रिश्ता जानते हैं!
दिल वाला रिश्ता...
और दिल में तो
#महाकाल मुस्कुरा रहा है,
तोड़ सारे भ्रम दोष कृपा बरसा रहा है.

3.

यह कलयुग है
यहाँ ताज #अच्छाई को नही
#बुराई को मिलता है,
लेकिन हम तो बाबा #महाकाल के दीवाने है ,
ताज के नही #रुद्राक्ष के दीवाने है.



मौत की गोद में सो रहे हैं
धुंए में हम खो रहे है
महाकाल की भक्ति है सबसे ऊपर
शिव शिव जपते जाग रहे है, सो रहे हैं!

5.

#इश्क मे पागल छोरे छोरिया
वेलेनटाइन डे के गुलाब बिन रहै है,
#हम तो बाबा #महाकाल के दिवाने है
#शिवरात्री के दिन गिन रहे है

6.

जिन्दा #साँस और मुरदा राख
चिलम मे #गाँजा दूध मे #भाँग
देव भी सोचे बार #बार
#दम लगाये #हजार बार
ऐसे है #महाकाल

7.

मुझे अपने आप में कुछ यु बसा लो…
के ना रहू जुदा तुमसे,, और खुद से तुम हो जाऊ…
जय भोलेनाथ.

8.

#खुशबु आ रही है कही से
#गांजे और #भांग की
#शायद खिड़की #खुली रह गयी है
मेरे #महाकाल के दरबार की...




#माया को चाहने वाला
#बिखर जाता है,
और मेरे #महाकाल को चाहने वाला
#निखर जाता है...!

Mahadev Status in Hindi - महादेव स्टेटस


10.

मिलती है तेरी भक्ती
#महाकाल बडे जतन के बाद,
पा ही लूँगा #तुझे मे...
श्मशान मे जलने के बाद।

11.

#महाकाल तुम से छुप जाए मेरी #तकलीफ
#ऐसी कोई बात #नही ।
#तेरी_भक्ती से ही #पहचान है मेरी #वरना
#मेरी कोई #ओकात_नही ।।

12.

कौन कहता है भारत में
#fogg चल रहा है ?
यहाँ तो सिर्फ #महाकाल के भक्तो का
खौफ- चल रहा है.

Mahakaal Attitude Status Hindi

#महाकाल के भक्तो से #पंगा
और भरी महफील मे #दंगा
मत करना #वरना
चोराहे पे नंगा
और #अस्थियो को गंगा में #बहा दूंगा....

14.

कैसे कह दूँ कि मेरी,
हर दुआ बेअसर हो गई,
मैं जब जब भी रोया,
मेरे भोलेनाथ को खबर हो गई .



ना गिन के दिया ना तोल के दिया,
“मेरे महाकाल ने जिसे भी दिया
दिल खोल के दिया”

Bholenath Status - भोलेबाबा स्टेटस in Hindi for Whatsapp


16.

महाकाल तेरी कृपा रही तो
एक दिन अपना भी मुकाम होगा !!
70 लाख की Audi कार होगी
और FRONT शीशे पे
महाकाल तेरा नाम होगा.

17.

मैनें तेरा नाम लेके ही
सारे काम किये है महादेव
और लोग समजतें है
की बन्दा किस्मत वाला है

18.

कृपा जिनकी मेरे ऊपर,
तेवर भी उन्हीं का वरदान है
शान से जीना सिखाया जिसने,
“महाँकाल” उनका नाम है!

19.

शिव की बनी रहे आप पर छाया,
पलट दे जो आपकी किस्मत की काया;
मिले आपको वो सब अपनी ज़िन्दगी में,
जो कभी किसी ने भी न पाया!




शिव की ज्योति से नूर मिलता है,
सबके दिलों को सुरूर मिलता है;
जो भी जाता है भोले के द्वार,
कुछ न कुछ ज़रूर मिलता है!

21.

मिलावट है भोलेनाथ
तेरे इश्क में इत्र और नशे की
तभी तो मैं थोडा महका हुआ
और थोडा बहका हुआ हूँ.

Royal Nawabi Attitude Status Shayari in Hindi 2019

ये केसी घटा छाई हैं,
हवा में नई सुर्खी आई है,
फ़ैली है जो सुगंध हवा में ,
जरुर महादेव ने चिलम लगाई है |

23.

मुझे अपने आप में कुछ यु बसा लो,
के ना रहू जुदा तुमसे,
और खुद से तुम हो जाऊ.
जय भोलेनाथ.

24.

खुल चूका है नेत्र तीसरा
शिव शम्भू त्रिकाल का,
इस कलयुग में वो ही बचेगा
जो भक्त होगा महाकाल का.

Maha Shivratri Status, Quotes, Sms And Wishes Hindi

मैँ और मैरा भोलेनाथ
दोनो ही बङे भुलक्कङ है,
वो मेरी गलतियां भूल जाते है
और मै उनकी मेहरबानियों को.

26.

जिनके रोम-रोम में शिव हैं
वही विष पिया करते हैं ,
जमाना उन्हें क्या जलाएगा ,
जो श्रृंगार ही अंगार से किया करते हैं.

27.

#भोले तने तो सारी #दुनिया पार #तारी हे
#कदे मेरे #सर पे बी #हाथ_धर क कह दे
#चाल_बेटे_आज तेरी #बारी हे
#जय_महाकाल

28.

लोग कहते हैं किसके दम पे #उछलता है तू इतना मैंने
भी कह दिया जिनकी 🀄 चिलम के
हुक्के की दम ⚡ पर चल
रही ये 🔃दुनिया है .उन्हीं ❤
#महाँकाल के 💪 दम पे उछलता ये बंदा है जय राजा महाँकाल।


Rajput Status in Hindi For Banna And Baisa

#चाहे_सुली_ प_चढा_दे_भोले,,,,
चाहे_विष_का_प्याला_प्या_दे_भोले
#एक_तेरे_ए_जितणी_प्यारी_है_
.......
#बस_उस_भगतणी_त_मिलवादे_भोले,,,,,,,
I lovu u........... вhσlє

30.

👉हिन्दूगिरी 👥के बादशाह👑 हैं हम👨...
तलवार 🗡हमारी👨 रानी 👸हैं ..दादागिरी👊तो करते ही है ..
बाकी 🖐महाकाल 👻की मेहरबानी 👊है ...!!👈

31.

✪⇶ *_जब भी मैँ ➪ अपने ⇛बुरे # हालातो ☹ से ➦
# घबराता हूँ..._*
*_तब मेरे ➙ # महाकाल की ⇥ # अवाज 🗣आती है....रूक मैँ ➧आता हूँ...._*

32.

किसी ने #मुझसे कहा इतने #ख़ूबसूरत नहीं हो तुम !! #मैंने कहा #महाकाल के #भक्त #खूंखार👹ही #अच्छे लगते है...💀😘😘 ❤।। जय श्री महाकाल ।।❤

33.

#इतणी_मटक कै ना चाल्लै , हाम #नजर लगा देगे
.
.
.
#भौले के भगत सै #गदर_मचा देगे


34.

#मोहोब्बत_का_तो_पता_नही_पर,
#दिल_लगी_सिर्फ_महाँकाल_से_है।😍😍
#जय_श्री_महाँकाल

35.

 कोई #दौलत का दीवाना? ,,, कोई #शोहरत का दीवाना? ,,,#शीशे
सा मेरा #दिल ♡♡ ,,, मैं तो सिर्फ ••#महादेव?? •• का #दीवाना
!! ? हर हर महादेव ?

36.

माया को चाह ने वाला बिखर जाता हैं।
ओर महाकाल को चाह ने वाला निखर जाता हैं।
हर हर महादेव

Har Har Mahadev Attitude Status In Hindi

घनघोर अँधेरा ओढ़ के...
मैं जन जीवन से दूर हूँ...
श्मशान में हूँ नाचता...
मैं मृत्यु का ग़ुरूर हूँ...
Jay Mahakal

38.

कुत्तो की बढी तादाद से..शेर मरा नही करते..और #महाकाल के दिवाने..किसी के #बाप से ड़रा नही करते..?? जय श्री #महाकाल

39.

राम भी उसका।रावण भी उसका।
जिवन उसका मरण भी उसका।--
जय श्री महाकाल

40.

उसने ही जगत बनाया है, कण कण में वोही समाया है ।
दुःख भी सुख सा ही बीतेगा, सर पे जब शिव का साया है..
🌹🌹🙌🙏हर हर महादेव🙏🙌🌹🌹

41.

જેટલો વ્હાલો છે તમને તમારો "જીવ",
બસ એટલો વ્હાલો છે મને મારો "શિવ"...
શિવ કા દાસ કભી ના ઉદાસ...
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
હર હર મહાદેવ

42.

#महाकाल👺 का ⇏#नारा🗣 लगा के 👉हम ➫#दुनिया 🌎में ➙छा गये...* *_हमारे ➦#दुश्मन 👿😈भी ➩छुपकर😮 बोले 🗣वो☝ देखो 👀#महाकाल 👺के ➧भक्त 🎅आ गये....*
जय श्री महाकाल

43.

बम भोले डमरू वाले शिव का प्यारा नाम है
भक्तो पे दर्श दिखता हरी का प्यारा नाम है
शिव जी की जिसने दिल से है की पूजा
शंकर भगवान ने उसका सवारा काम है!
#जय महाकाल

44.

अकाल मृत्यु वो मरे जो कर्म करे चांडाल का,
काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का
जय महाकाल

45.

मैंने कहा : अपराधी हूं मैं,
👉🏾महाकाल ने कहा : “क्षमा कर दूँगा”
👤मैंने कहा : परेशान हूँ मैं,
👉🏾महाकाल ने कहा : “संभाल लूँगा”
👤मैने कहा : अकेला हूँ मैं
👉🏾महाकाल ने कहा : ‘साथ हूँ मैं”
👤और मैंने कहा :
“आज बहुत उदास हूँ मैं”
👉🏾महाकाल ने कहा :
“नजर उठा के तो देख,
तेरे आस पास हूँ मैं…!”

46.
  
  हर शख्स अपने गम में खोया है..और जिसे गम नहीं
वो
मेरे #महाकाल  की चौखट पर सोया है..
#जय_श्री_महाकाल
 

47.

खुल चूका है नेत्र तीसरा शिव शम्भू त्रिकाल का,,, इस कलयुग में वो ही बचेगा जो भक्त होगा #महाकाल का !

48.

मझधार में नैया है
बड़ा दूर किनारा है
अब तू ही बता मेरे #महाकाल
यहां कौन हमारा है ।

Bholenath Baba Status And Shayari In Hindi

सारा🌍ब्राम्हॉंन्ड  झुकता है
जिसके शरण में
मेरा🙏प्रणाम है उन 🔱#महाकाल के  चरण में
🙏🔱#जय_श्री_महाकाल🕉🚩

50.

माथे का तिलक कभी हटेगा नही
 और जब तक जिन्दा हूँ तब तक
🔱#महाकाल का नाम मुँह से मिटेगा नही
 🙏#जय_महाकाल🚩

51.

हे🔱#महाकाल उन👥सबको मंजिल तक पहुँचा देना
जो खुदसे ज्यादा तुझ पर यकीन करता हो
🙏🔱#जय_श्री_महाकाल🕉🚩

52.

दुनिया की हर मुहब्बत मैने,स्वार्थ से भरी पायी है.. पवित्र प्यार की खुशबू सिर्फ मेरे महादेव के चरणों से आयी है.. जय श्री #महाकाल 🙏🙇🔥🔥🔥🔥🔥🌷🌷🌷🌷🌷

53.

सर्पों के बीच रहने वाला क़लापी ,
दिगम्बर, मशान ही मेरा मूल स्थान है
रूद्र , अघोरा मेरे रूप है
मैं प्रलय रूद्र हूँ
मैं #महाकाल हूँ

54.
 
  खुशबु 😴आ रही है कहीँ से #गांजे और #भांग की !!! 🍯
शायद #खिड़की🚪 खुली रह गयी है ' #मेरे_महांकाल' के #दरबार की...!!
हर_हर_महादेव '...😊

55.

#तन की जाने,
#मन की जाने,
जाने चित की चोरी,
उस #महादेव से क्या छिपावे,
जिसके हाथ है सब की डोरी।
जय श्री #महाकाल
🕉️🔱🕉️🔱🕉️🔱🕉️🔱🕉️
#सुप्रभात

56.

जब दुआ और कोशिश से बात ना बने तो फैसला🔱#महाकाल पे छोड़ दो #महाकाल अपने बच्चों के बारे में बेहतर फैसला करते है
🙏#जय_महाकाल🚩

57.

किसी की गलतियों को बेनक़ाब ना कर,
#महाकाल  बैठा है, तू हिसाब ना कर...
#जय_श्री_महाकाल

58.

👦Paglसा हुँ...मगर ❤दिल का सच्चा हुँ...
थोड़ासा 😉Awara हुँ पर🔱#महाकाल तेरा ही🙏दिवाना हुँ....
🙏🕉#जय_श्री_महाकाल🔱🚩

59.

धराशायी हो जाता है उसके आगे​ ​
चाहे कितना ही बड़ा महारथी हो​ ​उसे क्या हराएगा इस जहां में कोई​ ​
🔱#महाकाल जिसका खुद सारथी हो​
🙏🔱#जय_महाकाल🕉🚩

60.

 तेरी जटाओं का एक छोटा सा बाल हूँ,
तेरे होने से मैं बेमिसाल हूँ,
तेरे होते मुझे कोई छू भी ना पाये,
क्योंकि मेरे #महाकाल# मैं तेरा लाल हूँ ।
  
Jay Mahakal Status For Fb And Whatsapp

#महाकाल सोयम शिव जी माता लक्ष्मी कुबेर देब को धन प्रदान करते ये अद्भुत चित्र.. हर हर महादेव जय माता लक्ष्मी #Say_Happy_Dhanteras_P 🙋.

62.

बहुत दिल भर चुका है खूब रोना चाहता हूँ
मैं #महाकाल तेरी गोद में सिर रख कर
सोना चाहता_हूँ ।
#जय_श्री_महाकाल

63.

मेरे महाकाल तुम्हारे बिना मैं शून्य हूँ ….. तुम साथ हो महाकाल तो में अनंत हूँ #महाकाल #Mahakal

64.

भुलेंगें वो भुलाना जिनका काम है मेरी तो महाकाल के बिना गुजरती नही शाम है कैसे भूलूँ  मै #महाकाल को जो मेरी जिदगी का दुसरा नाम है !! #Mahakal

65.

कसम खाता हूं #महाकाल का वतन के मिट्टी का #दीपक जलाउंगा #चाइना नहीं #हिन्दुस्तानी है अपने मिट्टी की इज्जत करेंगे जय श्री महाकाल

66.

अपने जिस्म को इतना न सँवारो
यह तो मिट्टी में ही मिल जाना है
सँवारना है तो अपनी आत्मा को सँवारो
क्योंकि उस आत्मा को ही🔱#महाकाल के पास जाना है

67.

#चल रहा हूँ धूप में तो #महाकाल तेरी छाया है ।
#शरण  है तेरी सच्ची बाकी तो सब #मोह  माया है ।
   #जय #महाकाल...

68.

लोग पूछते हैं कौन सीदुनिया में जीते हो हमने भी कह दिया#महाकाल की भक्ति मेंदुनिया कहाँनजर आता है...

69.

#महाकाल की #भकती मे #हम ऐसे #खोगए ,, #जल्लने #वाले #समशान #मे #सो #गये! #हमे #क्या #चिंता #किसी #काल #की #महाकाल #Mahakal

70.

महाकाल  का_ भक्त_हु _भैया ज्यादा_इज्जत_देने_की_आदत_नहि_है l #महाकाल #Mahakal

71.

अच्छे कर्मों से बड़ी राहत क्या होगी नेकी से बड़ी
इबादत क्या होगी जिस इंसान के सर पर
सायाहो #महाकाल का उसे जिंदगी से शिकायत
क्या होगी

72.

*हरे_भरे_पेड_पर* *सूखी_डाली_नही_होती* *जो_कोई_महाकाल_के_चरणों_में* *जा_के_नमन_करे* *उसकी_झोली_कभी_खाली_नही_होती* 🚩#महाकाल #Mahakal

Mahakal Bhakt Status And Shayari In Hindi

तेरे दर पर आते आते मेरे #महाकाल जिंदगी की शाम हो गयी .. और जिस दिन तेरा दर दिखा जिंदगी ही तेरे नाम हो गयी...

74.

पहचान बताना हमारी आदत नही
लोग चेहरा देख के ही बोल देते है
ये तो🔱#महाकाल के🙏भक्त है
 🕉#जय_महाकाल🚩

75.

तेरा गुणगान करूँ
तेरी ही भक्ति करूँ
तेरा सानिध्य हो
अलंकरण हो,
भक्ति का अनुकरण हो
मेरे #महाकाल शत् - शत् नमन🙏🙏
  

76.

नही पता कौन हू मै; और कहाँ मुझे जाना है...महादेव ही मेरी मन्जिल.और #महाकाल का दर ही मेरा ठिकाना है.ॐ नम: शिवाय  दीवना महाकाल का आज़ाद परिंदा

77.

माना कि औरों की मुकाबले कुछ ज्यादा पाया नहीं मैंने..!
पर खुश हूं कि खुद को गिरा कर कुछ उठाया नही मैंने..!!
कालो के भी काल जय श्री
 #महाकाल

78.

आपके प्रेम मे हम #महाकाल इतने चूर हो रहे हैं
लिखते आपके बारे मे और खुद #मशहूर हो रहे हैं…

79.

#महाकाल👺 का ⇏#नारा🗣 लगा के 👉हम ➫#दुनिया 🌎में ➙छा गये...* *_हमारे ➦#दुश्मन 👿😈भी ➩छुपकर😮 बोले 🗣वो☝ देखो 👀#महाकाल 👺के ➧भक्त 🎅आ गये....*

80.

जिनके #हाथ_मे_त्रिशुल और #गले_में_मुण्डमाल है, ☝
#हर_लेते मृत्यु को भी क्षण मे,
   #दास_जिनका_काल_है।
#महाकाल

81.

काल भी तुम #महाकाल भी तुम
लोक भी तुम त्रिलोक भी तुम
शिव भी तुम और सत्य भी तुम
जय श्री महाकाल
  🙏 सुप्रभात🙏
आप का दिन शुभ हो
हर हर महादेव

82.

जो समय की चाल है..
अपने भक्तों की ढाल है,
पल में बदल दे सृष्टि को वो #महाकाल हैं 🙌
 🙏जय महाकाल🙏
  🙌हर हर महादेव🙌
#महाकालभक्त

83.

   जैसे #हनुमानजी के सीने में तुमको #सियापति_श्री_राम मिलेंगे सीना चीर के देखो मेरा तुमको बाबा #महाकाल मिलेंगे जय श्री महाकाल 
  

84.

मृत्यु के समय कोई तुम्हारी नही सुनेगा कर्म की गति ही बताएगी तुम्हे कहा घसीटा जायेगा #महाकाल  ( S🆙S)

New Maha Shivratri Status Shayari And Massages 2017

ये #मोदी है या #महाकाल?
हाफिज सईद को कश्मीर के लिए कमांडर
और
कांग्रेस को देश के लिए उम्मीदवार नही मिल रहे😜
जय @narendramodi Ji
Jai Mahakaal

86.

👦हमने तो अपने आप को
 🔱#महाकाल के चरणों में रख दिया
🌍दुनियाँ ही हमारी #महाकाल है
अब इतना समझ📿लिया
 🙏#हर_हर_महादेव🚩

87.

👥लोग पूछते हैं कौन सी🌍दुनिया में जीते हो
👦हमने भी कह दिया🔱#महाकाल की 🙏भक्ति में🌍दुनिया कहाँ👀नजर आता है
🕉#जय_श्री_महाकाल🔱

88.

आंधी🍃तुफान से👥वो डरते है जिनके मन मेँ प्राण बसते हैँ
जिनके मन मे 🔱#महाकाल बसते हैँ
👤वो मौत देखकर भी😊हँसते है
#जय_महाकाल🔱
#जय_हानुमान 🚩

89.

नही पता कौन हु मै !!  और कहा मुझे जाना है !!।  महादेव ही मेरी मँजिल !!  और #महाकाल का दर ही मेरा ठिकाना है !!!

90.

जिंदगी जब🔱#महाकाल पे फिदा हो जाता है
सारी मुश्किले अपने आप
 जीवन से जुदा हो जाता है
🕉#बम_बम_बोले🙏

91.

   #चीलम और चरस के नाम से मत कर #बदनाम ऐ दोस्त!#महादेव को इतिहास उठा के देख ले #महाकाल
ने जहर पिया था #गांजा चरस नहीं।।।
#जय_महांकाल ।।।
 
92.

तन की #जाने, मन की जाने, जाने #चित की चोरी उस #महाकाल से क्या #छिपावे जिसके #हाथ है सब की #डोरी...
#सुप्रभात
#जय_श्री_महाकाल

93.

उसे डर केसा काल का जो भक्त हे स्वयं महाकाल का । हर हर महादेव.#महाकाल #Mahakal

94.

आँधियो में भी जहाँ जलता हुआ चिराग़ मिल जाएगा, उस चिराग़ से पूछना महाकाल का पता मिल जाएगा ।। हर हर महादेव.#महाकाल

95.

सोचने से कहाँ मिलते है... तमन्नाओं के शहर... चलने की जिद भी जरुरी है... महाकाल पाने के लिए. #महाकाल #Mahakal

96.

पहचान बताना हमारी आदत नही
लोग चेहरा देख के ही बोल देते है
ये तो 🔱#महाकाल के 🙏भक्त है
  💀🐂जय श्री महाकाल🕉🚩

  
Mahadev Attitude Status In Hindi And English

जिंदगी जब🔱#महाकाल पे फिदा हो जाता है
सारी मुश्किले अपने आप
 जीवन से जुदा हो जाता है
🕉#बम_बम_बोले🙏

99.

मृत्यु के समय कोई तुम्हारी नही सुनेगा
कर्म की गति ही बताएगी तुम्हे कहा घसीटा जायेगा
#महाकाल

100.

हर शख्स अपने गम में खोया है..और जिसे गम नहीं
वो
मेरे #महाकाल  की चौखट पर सोया है..
#जय_श्री_महाकाल

101.

👦हमने तो अपने आप को
 🔱#महाकाल के चरणों में रख दिया
🌍दुनियाँ ही हमारी #महाकाल है
अब इतना समझ📿लिया
 🙏#हर_हर_महादेव🚩

 102.

 काल अनेक #महाकाल एक
देव अनेक #महादेव एक
शक्ति अनेक #शिवशक्ती एक
नेत्र अनेक #त्रिनेत्रधारी एक
सर्प अनेक#सर्पधारी एक
💀🐂#जय_महाकाल🔱🚩

103.

चिंता नहीं हैं#काल की…बस #कृपा बनी रहे #महाकाल की…🙌🙌

104.

मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में
हे #महाकाल बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते ।

105.

#42_के_बाप_लोग
जो समय की चाल है....
अपने भक्तो की ढाल है
पल में बदल दे🌍सृस्टि को वो
🔱 #महाकाल हैं

106.

वो गुरु है मेरा वो मित्र है मेरा वो साथ है मेरा वो विश्वास है मेरा वो मार्गदर्शक है मेरा वो शासक है मेरा वो मेरा मैं उसका वो #महाकाल है मेरा

107.

जो समय की चाल है....अपने भगतो की ढाल है
पल में बदल दे🌍सृस्टि को वो🔱#महाकाल हैं
🙏जय महाकाल🚩

108.

यह कलयुग है
यहाँ ताज #अच्छाई को नही
#बुराई को मिलता है,
लेकिन हम तो बाबा #महाकाल के दीवाने है ,
ताज के नही #रुद्राक्ष के दीवाने है.

Jay Shree Mahakal Status In English For Whatsapp

सुनले ले दो कौड़ी के फ़िल्म-मेकर #SanjayLeelaBhansali हिन्दू जब तक सोया है बस तब तक ही वो शांत है जब हिन्दू जाग गया वो #महाकाल है..

110.

|||करनी है #महाकाल से गुजारिश आपकी
भक्ति के बिना कोई बन्दगी ना मिले|||
!!!||हर जन्म मे मिले आप जैसा गुरू या फिर ये जिन्दगी ना मिले|||

111.

स्वर्ग मे देवता भी उनका अभिनंदन करते है ...
जो हर पल🔱#महाकाल का 📿वंदन करते है....!!
💀🐂#जय_महाकाल🕉🔱

112.

🔱#महाकाल तेरी मेरी प्रीत पुरानी
शक की ना गुंजाइश है
 रखना हमेशा चरणों में ही छोटी सी ये फरमाइश है !!
🙏#जय_श्री_महाकाल🚩

113.

#कसम_खाई_है * कोई मुजसे मेरा सब कुछ छीन सकता है पर #महाकाल की दीवानगी,मुजसे कोई नही छीन सकता
#जय_श्री_महाकाल

114.

🚩#महाकाल की #भस्म के #लिये दुनिया #भुला देंगे,,
🚩#तो सोचो #श्रीराम के #मंदिर🗼के लिये #कितनो
  को #सुला देंगे!!
   🚩जय जय श्री राम🚩 

115.

गाल 👦सा हुँ... मगर ❤दिल का सच्चा हुँ थोड़ा सा💕आवार हुँ पर 🔱#महाकाल तेरा ही दिवाना हुँ.... 💀🐂जय श्री महाकाल 🙏🚩 (S🆙S)

116.

जिसे मोह नही #मायाजाल का
 वो भक्त है #महाकाल  का
#महाकाल_भक्त
🚩 #जय_श्री_महाकाल 🚩

117.

#मौत जैसी #वफादारी किसी में #नहीं काल #जैसा हम #सफर कोई नहीं #और मेरे #महाकाल जैसा #न्यायाधीश पुरी #दुनिया मै..

118.

मिलती है तेरी भक्ती
#महाकाल बडे जतन के बाद,
पा ही लूँगा #तुझे मे... श्मशान मे जलने के बाद।

119.

#खौफ फैला देना नाम का ,
कोई पुछे तो कह देना #
भक्त लौट आया है #महाकाल का!

120.

में#आशिक हुँ #महाकाल का
#Pagliतू भी #दीवानी बन जा #भोलेनाथ की
#जय_महाकाल...🚩
हर हर महादेव

जय श्री महाकाल स्टेटस

काल भी तुम #महाकाल भी तुम
लोक भी तुम त्रिलोक भी तुम
शिव भी तुम और सत्य भी तुम
जय श्री महाकाल
  🙏 सुप्रभात🙏
🌿आप का दिन शुभ हो🌿

122.

मेरा विश्वास ही मेरी सबसे बड़ी ताकत है #महाकाल ये नाम ही काफी है हर हर महादेव😚😚

123.

यारो_फना_होने_की_इज़ाजत_ली_नहीं_जाती_ये_महाकाल _की_मोहब्बत_है_जनाब_पूछ_के_की_नहीं_जाती!
#महाकाल #Mahakal

124.

Garba to #ladkiyo ka #fashion hai... Hum to #Mahakaal ke #Sewak hai.. Hum to #Tandav karege #Tandav महाकाल  #महाकाल #Mahakal

125.

भूल कर एक भक्त के दर🗿#काल आ गया
उस भक्त की जुबां पर🔱#महाकाल आ गया
सुनकर 🔱#महाकाल का नाम
🗿#काल बेहाल हो गया
💀🐂#_जय_बाबा_महाकाल🔱🚩

126.

ॐ में ही आस्था,
ॐ में ही विश्वास,
ॐ में ही शक्ति,
ॐ में ही सारा संसार,
ॐ से होती है अच्छे दिन की शुरुवात,
बोलो ॐ नमः शिवाय !!
#महाकाल


127.

मृत्यु का भय उनको है जिनके कर्मों मे दाग है, हम #महाकाल के भक्त है, हमारे खून में भी आग है। महाकाल ...

128.

#कर्ता करे न कर सकै, # शिव करै सो होय..। तीन लोक नौ खंड में, #महाकाल से बड़ा न कोय...II . ।। जय जय ... महाकाल


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प्रकृति का पर्व: नागपंचमी



श्रावण मास की शुक्लपक्ष की पँचमी तिथि नागों को समर्पित है। श्रीमद्भागवद गीता के 10वें अध्याय के 29वें श्लोक में भगवान स्वयं कहते हैं-अनंतश्चास्मि नागानां वरूणो यादसामहम्। अर्थात् मैं नागों में शेषनाग और जलचरों का अधिपति वरूण हूँ। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार शेषनाग समस्त नागों के राजा और हजारों फनों से युक्त हैं वे स्वयं श्रीहरि की शैया बनकर सदैव उनकी सेवा में रत रहते हैं।
Naga Panchami
शास्त्रानुसार नागों की उत्पत्ति महर्षि कश्यप की पत्नी कद्रू से हुई है, नागों का मूल निवास स्थान पाताल लोक को माना गया है। पुराणों में नागों की राजधानी भोगवतीपुर विख्यात है। नाग कन्याओं का सौंदर्य किसी भी अप्सरा से कमतर नहीं है और योगसाधना में भी ‘कुण्डलिनी शक्ति’ को सर्पिणी का ही रूप बताया गया है। हमारे देश में नागों की पूजा देवता के रूप में किए जाने की पुरानी परम्परा है। इसका पता पौराणिक ग्रंथों के अतिरिक्त पुरानी सभ्यताओं के अवशेषों से भी लगता है। इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय समाज में नागों को सदैव ही आदरणीय और पूजनीय स्थान प्राप्त है। सनातन ग्रंथों की मान्यता है कि भगवान के नाम का स्मरण करते समय नागों की नामावली का पाठ करना विष नाशक और सर्वत्र विजय दिलाने वाला होता है। नागों के प्रमुख नौ नाम नवनाग देवता कहलाते हैं:-अनंत वासुकिं शेष पद्मनाभ च कंबलम्। शंखपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
Naga Panchami
नागपँचमी का पर्व मनाने के संबंध में एक प्राचीन कथा मिलती है, जिसके अनुसार एक बार नागों ने अपनी माता कद्रू की आज्ञा की अवहेलना की इससे क्रोधित होकर नागमाता ने उन्हें यह श्राप दे दिया कि ‘जब राजा जन्मेजय नाग-यज्ञ करेंगे तो उसकी अग्नि में तुम सब जलकर भस्म हो जाओगे।’ तब नागों ने ब्रह्माजी से श्राप से मुक्त होने का उपाय पूछा। ब्रह्माजी बोले- यायावर वंश में उत्पन्न तपस्वी जरत्कारू तुम्हारे बहनोई होंगे और उनका पुत्र आस्तिक तुम्हारी रक्षा करेगा। इस तरह से ब्रह्माजी ने यह वरदान नागों को शुक्लपक्ष की पँचमी को ही दिया था। इसी तिथि में आस्तीक मुनि ने नागों का परिरक्षण किया था। नागों को संरक्षित करने के प्रयास से आरंभ हुई नागपँचमी आज भी पूर्ण प्रासंगिक है आज भी नागों सहित अन्य सर्पों को बचाने की आवश्यकता है। इसका कारण भी है क्योंकि सर्प हमारे पर्यावरण संतुलन के लिए परमावश्यक जीव हैं और हमारी कृषि के लिए भी ये बहुउपयोगी हैं ये चूहों और कीटपतंगों से फसलों की रक्षा करते हैं।
नागपंचमी नागदेवता की पूजा का मुख्य पर्व है। पंचमी तिथि को नागपंचमी का त्योहार नागदेवता को ही समर्पित है। इस त्योहार पर व्रतपूर्वक नागदेव का पूजन किया जाता है। नागदेव की जाति सर्प है, जोकि भगवान् विष्णु की शय्या के रूप में हैं, भगवान् भोलेशंकर के गले की शोभा है, गणेश दुर्गा आदि देव देवियों के आभूषण स्वरूप हैं। सर्प जाति बहुत ही निडर होती है तथा बिना किसी दोष के कुछ भी नही करती कहा गया है कि- सिंहानां महती निद्रा सर्पाणां च महद्भयम्। ब्राह्मणानां न चैकत्वं तस्माद् जीवन्ति जन्तवः।।
अर्थात् सिंहो को बहुत नींद आती है तथा सर्पों को बहुत भय रहता है तथा ब्राह्मणों में एकता नही है। इसलिए सभी जीव-जन्तु इस धरातल पर जी रहे हैं। श्रीमद्देवीभागवत् महापुराण में नागपँचमी की कथा इस प्रकार से है। इस कथा को कहने वाले सुमंत मुनि तथा सुनने वाले पाण्डव वंश के राजा शतानीक थे- देवताओं और असुरों द्वारा समुन्द्रमँथन से प्राप्त चैदह रत्नों में से उच्चैःश्रवा नामक अश्व आकाश मार्ग से जा रहा था। तभी उस अश्व पर नागमाता कद्रू तथा विमाता विनता की दृष्टि पड़ी दोनों में वार्ता हुई कि-बताओ बहन इस अश्व के बाल किस रंग के हैं। विमाता विनता ने कहा स्वेत तथा नागमाता कद्रू ने उसे चितकबरे रंग का बतलाया, फिर तो अपनी-अपनी बात पर अड़ गई और दोनों माताओं में शर्त लग गई कि एक दूसरे की बात असिद्ध होने पर जिसकी भी बात सिद्ध होगी तो वह दूसरी की दासी बन जाएगी। नागमाता कद्रू ने सभी नागों को आज्ञा दी कि सभी सर्प केश सदृश बनकर उस अश्व के शरीर में प्रवेश करो। किन्तु नागों ने असमर्थता प्रकट कर उनकी आज्ञा का पालन नही किया तभी माता कद्रू ने उन सर्पों को श्राप दे दिया कि पांडववंश के राजा जब अपने पिता की मृत्यु के बदले में नागयज्ञ करेंगे तब उस यज्ञ में तुम सभी सर्प आहुति के रूप में उस अग्नि में प्रवेश करोगे। इस श्राप से भयाक्राँत सभी सर्प वासुकि सर्प के नेतृत्व में ब्रह्माजी के पास गए और इससे निवारण का उपाय पूछा। ब्रह्माजी ने उन्हें उपाय बताते हुए कहा-यायावर वंश में उत्पन्न तपस्वी जरत्कारू को अपना बहनोई बनाओ तथा उसके संयोग से उत्पन्न आस्तिक ही तुम्हारी रक्षा करेगा। ब्रह्माजी ने सर्पों को यह युक्ति पँचमी तिथि को बताई थी अतएव तब से इस तिथि पर आस्तिक मुनि द्वारा नागों का परिक्षण और तभी से नागपँचमी पर्व मनाया जाता है।
हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा नागोपासना के अनेक व्रत पूजन विधानों को बताया गया है। नागों को अत्यंत प्रसन्न करने वाली इस श्रावणशुक्ल की पँचमी पर उनको गोदुग्ध से स्नान व पारणादि कराया जाता है। व्रत के साथ एक ही बार भोजन करने का नियम है। पूजन के समय पृथ्वी पर नागों का चित्रांकन कर सवर्ण, रजत, काष्ठ या फिर मृत्तिका से नाग बनाकर पुष्प, धूप, गन्धादि से पूजन करना चाहिए। नागपूजन में निम्न मंत्रों को पढ़कर नागों को प्रणाम किया जाता है- सर्वें नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले। ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिविसंस्थिता।। ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः। ये च वापीडागेषु तेषु सर्वेषु वै नमः।।
अर्थात् जो नाग पृथ्वी आकाश, स्वर्ग, सूर्य की किरणों, सरोवरों, वापी, कूप तथा तालाबादि में वास करते हैं वे हम सब पर प्रसन्ना हों, हम उनको शत्शत् नमन करते हैं। नागपूजन वनसम्प्रदायों में भारत के विभिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में एवं राजस्थान के कई क्षेत्रों में बड़े ही सम्मान के साथ नागदेवता का पूजन किया जाता है। यथासंभव नागों को न मारने की परंपरा आज भी भारत में जीवित है क्योंकि भारतवर्ष के जनमानस का विचार ‘‘सर्वं खल्विदं ब्रह्म’’ इस उक्ति को ही सिद्ध करता है।
नागपंचमी पर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं, तो ऐसा माना जाता है कि उस व्यक्ति की कुंडली में काल सर्प योग बन गया है। यदि ऐसा होता है तो उस व्यक्ति के द्वारा की गई मेहनत का फल उसे नहीं मिल पाता है। इसी कारण से इस दोष का निवारण करना बहुत ज़रूरी होता है। नागपंचमी का पर्व कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। मान्यता है कि नागपंचमी के दिन मंदिरों में नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष खत्म हो जाता है। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए नागपंचमी पर करें ये उपाय :
  1. नाग पंचमी के दिन भगवान शिव का अभिषेक करें और उन्‍हें चांदी के नाग और नागिन का जोड़ा अर्पित करें, इससे कालसर्प दोष से मुक्‍ति मिल सकती है।
  2. नाग पंचमी के दिन रुद्राभिषेक करने से भी कालसर्प दोष को कम किया जा सकता है।
  3. नव नाग स्तोत्र का 108 बार पाठ करें।
  4. अगर संभव हो तो किसी सपेरे से जीवित नाग और नागिन का जोड़ा खरीदें और उसे जंगल में मुक्त करवाएं
  5. नागपंचमी के दिन बहते हुए जल में 11 नारियल प्रवाहित करें। इससे भी कालसर्प दोष खत्म होता है।
  6. नाग पंचमी के दिन पीपल के पेड़ के नीचे किसी बर्तन में दूध रखें। इन मंत्रों का करें जाप: कालसर्प दोष से पीड़ित लोगों को नाग पंचमी के दिन नाग की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा नाग गायत्री मंत्र- ‘ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्’ का जाप करें। इस दिन ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘ॐ नागदेवताय नम:’ मंत्र का 11 या 21 माला जाप करने से भी कालसर्प दूर होता है।
नागपंचमी पूजा विधि: घर के मुख्यद्वार के दोनों ओर नाग का चिंत्र बनाएं या उनकी प्रतिमा स्थापित करें। फिर धूप, दीपक, कच्चा दूध, खीर आदि से नाग देवता की पूजन करें। भोग में गेंहू, भूने हुए चने और जौं का इस्तेमाल करें। प्रसाद नागों को चढ़ाएं और लोगों को बांटें।

नागपंचमी में नागों की पूजा से संबंधित कई कथाएं
  1. दूध की कटोरी से नागिन हुई प्रसन्न - नागपंचमी की कई कथाओं में एक कथा आंध्रप्रदेश में काफी लोकप्रिय है। किसी समय एक किसान अपने दो पुत्रों और एक पुत्री के साथ रहता था। एक दिन खेतों में हल चलाते समय किसान के हल के नीचे आने से नाग के तीन बच्चे मर गए। नाग के मर जाने पर नागिन ने रोना शुरू कर दिया और उसने अपने बच्चों के हत्यारे से बदला लेने का प्रण किया। रात में नागिन ने किसान व उसकी पत्नी सहित उसके दोनों लड़कों को डस लिया। अगले दिन प्रात: किसान की पुत्री को डसने के लिये नागिन फिर चली तो किसान की कन्या ने उसके सामने दूध से भरा कटोरा रख दिया। और नागिन से हाथ जोड़कर क्षमा मांगने लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुन: जीवित कर दिया। कहते हैं कि उस दिन श्रावण मास की पंचमी तिथि थी। उस दिन से नागों के कोप से बचने के लिये नागों की पूजा की जाती है और नाग -पंचमी का पर्व मनाया जाता है।
  2. नाग भाई ने दिए बहन को उपहार - एक धनवान सेठ के छोटे बेटे की पत्नी रूपवान होने के साथ ही बहुत बुद्धिमान भी थी। उसका कोई भाई नहीं था। एक दिन सेठ की बहुएं घर लीपने के लिए जंगल से मिट्टी खोद रही थीं तभी वहां एक नाग निकला। बड़ी बहू उसे खुरपी से मारने लगी तो छोटी बहू ने कहा ‘सांप को मत मारो’। यह सुनकर बड़ी बहू ने रुक गई। जाते-जाते छोटी बहू सांप से थोड़ी देर में लौटने का वादा कर गई। मगर बाद में वह घर के कामकाज में फंसकर वहां जाना भूल गई। दूसरे दिन जब उसे अपना वादा याद आया तो वह दौड़कर वहां पहुंची जहां सांप बैठा था और कहा, ‘सांप भैया प्रणाम!’ सांप ने कहा कि आज से मैं तेरा भाई हुआ, तुम्हें जो कुछ चाहिए मुझसे मांग लो। छोटी बहू ने कहा, ‘तुम मेरे भाई बन गये यही मेरे लिए बहुत बड़ा उपहार है।’ कुछ समय बाद सांप मनुष्य रूप में छोटी बहू के घर आया और कहा कि मैं दूर के रिश्ते का भाई हूं और इसे मायके ले जाना चाहता हूं। ससुराल वालों ने उसे जाने दिया। विदाई में सांप भाई ने अपनी बहन को बहुत गहने और धन दिये। इन उपहारों की चर्चा राजा तक पहुंच गयी। रानी को छोटी बहू का हार बहुत पसंद आया और उसने वह हार रख लिया। रानी ने जैसे ही हार पहना वह सांप में बदल गया। राजा को बहुत क्रोध आया मगर छोटी बहू ने राजा को समझाया कि अगर कोई दूसरा यह हार पहनेगा तो यह सांप बन जाएगा। तब राजा ने उसे क्षमा कर दिया और साथ में धन देकर विदा किया। जिस दिन छोटी बहू ने सांप की जान बचायी थी उस दिन सावन कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि थी इसलिए उस दिन से नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।
  3. नाग की पूजा से मिला संतान सुख - नाग पंचमी से संबंधित एक अन्य कथा के अनुसार एक राजा के सात पुत्र थे। सभी का विवाह हो चुका था। उनमें से छ: पुत्रों के यहां संतान का जन्म हो चुका था। राजा के सातवें पुत्र के घर संतान का जन्म नहीं हुआ था। संतानहीन होने के कारण उन दोनों को घर और समाज में तानों का सामना करना पड़ता था। समाज की बातों से उसकी पत्नी परेशान हो चुकी थी। परन्तु पति यही कहकर समझाता था, कि संतान होना या न होना तो ईश्वर के हाथ है। इसी प्रकार उनकी जिन्दगी संतान की प्रतीक्षा में गुजर रहे थे। एक दिन श्रवण मास की पंचमी तिथि के दिन रात में राजा की छोटी बहू ने सपने में पांच सांप देखे। उनमें से एक सांप ने कहा कि, पुत्री तुम संतान के लिए क्यों दुःखी होती हो, हमारी पूजा करो तुम्हारे घर संतान का जन्म होगा। प्रात: उसने यह स्वप्न अपने पति को सुनाया, पति ने कहा कि जैसे स्वप्न में देखा है, उसी के अनुसार नागों का पूजन करो। उसने उस दिन व्रत कर नागों का पूजन किया, और कुछ समय बाद उनके घर में संतान का जन्म हुआ।


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स्‍पीक एशिया का झूठ पर झूठ और रही जनता को लूट



 
युवाओं को बरगलाने वाली स्पीक एशिया ऑनलाइन पर सरकारी शिकंजा कसता जा रहा है। नई खबरों के मुताबिक सिंगापुर के यूनाइटेड ओवरसीज बैंक ने स्पीक एशिया के खातों को बंद कर दिया है। जबकि स्पीक एशिया ग्राहकों को बरगलाने मे कोई कसर नहीं छोड़ रही है, इस घटनाक्रम के बाद स्पीक एशिया ने एक बयान में कहा, ‘सिंगापुर में हमारे खातों को फ्रीज नहीं किया गया है, बल्कि हम सिर्फ कंपनी के खातों को दूसरे बैंक में ले जा रहे हैं।' कंपनी दूसरे बैंक मे खाता खोलने की बात कर रही है जबकि सिंगापुर में नया बैंक अकाउंट खोलने में छह माह से भी ज्यादा का समय लगेगा। ऐसे में किसी भी निवेशक को पैसे वापस नहीं किए जा सकते हैं।
जबकि भारत मे भी कड़ा कदम उठाते हुये रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के एजीएम आर माहेश्वरी ने साफ कर दिया है कि भारत में स्पीक एशिया को कारोबार करने या गैर बैंकिंग वित्तीय संस्था के रूप में काम करने की अनुमति नहीं दी गई है। शुक्रवार सुबह कंपनी के खाते फ्रीज किए जाने की खबर मिलते ही राजधानी के निवेशकों में खलबली मच गई।
 ग्राहकों को बरगलाने के मामले मे स्पीक एशिया जरा भी पीछे नही दिख रही है है, वह सार्वजनिक स्थानों पर झूठ पर झूठ बोले जा रही है। कंपनी ने कहा था कि आईसीआईसीआई, बाटा, एयरटेल, नेस्ले उसके ग्राहक, यह तथ्य झूठ पाए गए, भारत में तीन ऑफिस खुलने की बात कही जबकि अभी तक एक भी ऑफिस नहीं है। कई रिटेल कंपनियों के पार्टनर बनने की बात कही थी किन्तु हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है। सिंगापुर में कारोबार करने की बात की थी किन्तु तथ्यों से मेल नहीं खाए।
स्पीक एशिया का भारत में करीब 19 लाख लोगों को डायरेक्ट एजेंट बना चुकी स्पीक-एशिया के खातों में 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक की रकम जमा है और यह पूरा पैसा भारत से बाहर जा चुका है या जाने की प्रक्रिया में है। भारत के युवा वर्ग को इस प्रकार चालो मे फंसने से बचना चाहिए। और उद्यमिता की ओर रुख करना चाहिये।


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महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक रहस्य



भारतीय जन-मानस में यह मान्यता है कि शिव में सृजन और संहार की क्षमता है। उनकी यह भी मान्यता है कि शिव ‘आशुतोष' हैं अर्थात् जल्दी और सहज ही प्रसन्न हो जाने वाले हैं। इसी भावना को लेकर वे शिव पर जल चढ़ाते और उनकी पूजा करते हैं। परन्तु प्रश्न उठता है कि जीवन भर नित्य शिव की पूजा करते रहने पर भी तथा हर वर्ष श्रद्धापूर्वक शिवरात्रि पर जागरण, व्रत इत्यादि करने पर भी मनुष्य के पाप एवं संतान क्यों नहीं मिटते? उसे मुक्ति और जीवनमुक्ति अथवा शक्ति क्यों नहीं मिलती? उसे राज्य भाग्य का अमर वरदान क्यों नहीं प्राप्त होता? आखिर शिव को प्रसन्न करने की सहज विधि क्या है? शिवरात्रि का वास्तविक रहस्य क्या है? हम सच्ची शिवरात्रि कैसे मनाए? 'शिव' का ‘रात्रि' के साथ क्या सम्बन्ध है जबकि अन्य देवताओं की पूजा-अर्चना दिन में होती है। शिवरात्रि से जुड़े इन प्रश्नों का उत्तर इसके आध्यात्मिक रहस्य का उद्घाटन करते हैं।
Mahashivratri 2023
महारात्रि अज्ञानता और पापाचार की सूचक है ‘शिवरात्रि' फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अंतिम रात्रि (अमावस्या) से एक दिन पहले मनाई जाती है। परमपिता परमात्मा शिव का अवतरण इस लोक में कलियुग के पूर्णान्त से कुछ ही वर्ष पहले हुआ था जबकि सारी सृष्टि अज्ञान अन्धकार में थी। इसलिए 'शिव' का सम्बन्ध ‘रात्रि' से जोड़ा जाता है और परमात्मा शिव की रात्रि में पूजा को अधिक महत्व दिया जाता है। श्री नारायण तथा श्रीराम आदि देवताओं का पूजन तो दिन में होता है क्योंकि श्री नारायण और श्री राम का जन्म क्रमश: सतयुग एवं त्रेता युग में हुआ था। मन्दिरों में उन देवताओं को रात्रि में 'सुला' दिया जाता है और दिन में ही उन्हें जगाया जाता है। परन्तु परमात्मा शिव की पूजा के लिए तो भक्त लोग स्वयं भी रात्रि को जागरण करते हैं।
आज पूर्व लिखित रहस्य को न जानने के कारण कई लोग कहते हैं कि 'शिव' तमोगुण के अधिष्ठाता (आधार) है इसलिए शिव की पूजा रात्रि को होती है और इसकी याद में शिवरात्रि मनाई जाती है। क्योंकि 'रात्रि' तमोगुण की प्रतिनिधि है परन्तु उनकी यह मान्यता बिल्कुल गलत है क्योंकि वास्तव में शिव तमोगुण के अधिष्ठाता नहीं है बल्कि तमोगुण के संहारक अथवा नाशक है। यदि शिव तमोगुण के अधिष्ठाता होते तो उन्हें शिव अर्थात कल्याणकारी, पापकटेश्वर एवं मुक्तेश्वर आदि कहना ही निरर्थक हो जाता। 'शिव' का अर्थ है- 'कल्याणकारी।' शिव का कर्तव्य आत्माओं का कल्याण करना है जबकि तमोगुण का अर्थ अकल्याणकारी होता है। यह पाप वर्धक एवं मुक्ति में बाधक है। अत: वास्तव में 'शिवरात्रि' इसलिए मनाई जाती है क्योंकि परमात्मा शिव ने कल्प के अंत में अवतरित होकर अज्ञानता, दु:ख और अशांति को समाप्त किया था।
Mahashivratri 2023
महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व महाशिवरात्रि के बारे में एक मान्यता तो यह भी है कि इस रात्रि को परमपिता परमात्मा शिव ने महासंहार कराया था और दूसरी मान्यता यह है कि इसी रात्रि को अकेले ईश्वर ने अम्बा इत्यादि शक्तियों से सम्पन्न होकर रचना का कार्य प्रारम्भ किया था। परन्तु प्रश्न उठता है कि शिव तो ज्योर्तिलिंगम् और अशरीरी हैं। वह संहार कैसे और किस द्वारा कराते हैं और नई दुनिया स्थापना की स्पष्ट रूपरेखा क्या है?
ज्योतिस्वरूप परमपिता परमात्मा शिव प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सतयुगी सतोप्रधान सृष्टि की स्थापना और शंकर द्वारा कलियुगी तमोप्रधान सृष्टि का महाविनाश करते हैं। कलियुग के अन्त में ब्रह्मा के तन में प्रवेश करके उसके मुख द्वारा ज्ञान-गंगा बहाते हैं। इसलिए शिव को 'गंगाधर' भी कहते हैं और ‘सुधाकर' अर्थात् 'अमृत देने वाला' भी कहते हैं। प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा जो भारत-माताएं और कन्याएं ‘गंगाधर' शिव की ज्ञान-गंगा में स्नान करती अथवा ज्ञान सुधा (अमृत) का पान करती हैं, वे ही शिव-शक्तियां अथवा अम्बा, सरस्वती इत्यादि नामों से विख्यात होती हैं। ये चैतन्य ज्ञान-गंगाएं अथवा ब्रह्मा की मानस पुत्रियां ही शिव का आदेश पाकर भारत के जन-मन को शिव-ज्ञान द्वारा पावन करती हैं इसलिए शिव 'नारीश्वर' और 'पतित-पावन' अथवा 'पाप-कटेश्वर' भी कहलाते हैं क्योंकि मनुष्यात्माओं को शक्ति-रूपा नारियों अथवा माताओं द्वारा ज्ञान देकर पावन करते हैं तथा उनके विकारों रूपी हलाहल को पीकर उनका कल्याण करते हैं और उन्हें सहज ही मुक्ति तथा जीवन मुक्ति का वरदान देते हैं। वे सभी मनुष्यात्माओं को शरीर से मुक्त करके शिवलोक को ले जाते हैं। इसलिए वे मुक्तेश्वर भी कहलाते हैं। परन्तु ये दोनों कार्य कलियुग के अन्त में अज्ञान रूपी रात्रि के समय शिव के द्वारा ही सम्पन्न होते हैं।
Mahashivratri 2023

इसलिए स्पष्ट है कि ‘शिवरात्रि' एक अत्यन्त महत्वपूर्ण वृत्तांत का स्मरणोत्सव है। यह सारी सृष्टि की समस्त मनुष्यात्माओं के पारलौकिक परमपिता परमात्मा के दिव्य जन्म का दिन है और सभी की मुक्ति और जीवन मुक्ति रूपी सर्वश्रेष्ठ प्राप्ति की याद दिलाती है। इस कारण से शिवरात्रि सभी जन्मोत्सवों अथवा जयन्तियों की भेंट में सर्वोत्कृष्ट है क्योंकि अन्य सभी जन्मोत्सव तो मनुष्य आत्माओंअथवा देवताओं के जन्म दिन की याद में मनाये जाते हैं जबकि शिवरात्रि मनुष्य को देवता बनाने वाले, देवों के भी देव, धर्म पिताओं के भी पिता, सद्गति दाता, परम प्रिय, परमपिता परमात्मा के दिव्य और परम कल्याणकारी जन्म का स्मरणोत्सव है। इसे सारी सृष्टि के सभी मनुष्यों को बड़े उत्साह से मनाना चाहिए परन्तु आज मनुष्य आत्माओं को परमपिता परमात्मा का यथार्थ परिचय न होने के कारण अथवा परमात्मा शिव को नाम-रूप से न्यारा मानने के कारण शिव जयन्ति का महात्म्य बहुत कम हो गया है और लोग धर्म के नाम पर ईर्ष्या और लड़ाई करते हैं।
Mahashivratri 2023
सच्ची शिवरात्रि मनाने की रीति भक्त लोग शिवरात्रि के दिन होने वाले उत्सव पर सारी रात्रि जागरण करते हैं और यह सोचकर कि खाना खाने से आलस्य, निद्रा और मादकता का अनुभव होने लगता है, वे अन्न भी नहीं खाते हैं ताकि उनके उपवास से भगवान शिव प्रसन्न हों परन्तु मनुष्यात्माओं को तमोगुण में सुलाने वाली और रुलाने वाली मादकता तो पांच विकार हैं। जब तक मनुष्य इन विकारों का त्याग नहीं करता तब तक उसकी आत्मा का पूर्ण जागरण हो ही नहीं सकता और तब तक आशुतोष भगवान शिव भी उन पर प्रसन्न नहीं हो सकते हैं क्योंकि भगवान शिव तो स्वयं ‘कामारि' (काम के शत्रु) हैं, वे भला 'कामी' मनुष्य पर कैसे प्रसन्न हो सकते हैं? दूसरी बात यह है कि फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी रात्रि को मनाया जाने वाला शिवरात्रि महोत्सव तो कलयुग के अंत के उन वर्षों का प्रतीक है, जिसमें भगवान शिव ने मनुष्यों को ज्ञान द्वारा पावन करके कल्याण का पात्र बनाया था। अत: शिवरात्रि का व्रत सारे वर्ष मनाना चाहिए क्योंकि वर्तमान संगमयुग में परमात्मा का अवतरण हो चुका है। इस कलियुगी सृष्टि के महाविनाश की सामग्री एटम, हाइड्रोजन, परमाणु बमों के रूप में तैयार हो चुकी है व परम प्रिय परमात्मा द्वारा विश्व नव-निर्माण का कर्तव्य भी सम्पन्न हो रहा है। अब महाविनाश के समय तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें ताकि मनोविकारों पर ज्ञान-योग द्वारा विजय प्राप्त कर सकें। यही महा व्रत है जो कि 'शिवव्रत' के नाम से प्रसिद्ध है और यही वास्तव में शिव का मन्त्र (मत) है जो कि 'तारक-मन्त्र' के नाम से प्रसिद्ध है क्योंकि इसी व्रत से अथवा मन्त्र से मनुष्यात्माएं इस संसार रूपी विषय सागर से तैर कर, मुक्त होकर शिवलोक को चली जाती हैं। इस वर्ष परमात्मा शिव को इस सृष्टि पर अवतरित हुए 81 वर्ष हो रहे हैं। परमात्मा शिव ईश्वरीय ज्ञान और राजयोग की शिक्षा से सर्व मनुष्यात्माओं को पावन बना रहे हैं। आप भी परमात्मा के साथ सच्ची शिवरात्रि मनाकर जन्मजन्मान्तर के लिए श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त कर सकते हैं।


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सिक्खों के आठवें गुरु श्री गुरु हरकिशन साहब जी



श्री गुरु हरि किशन साहब जी का जन्म श्री गुरू हरिराय जी के गृह माता किशन कौर की कोख से संवत 1713 सावन माह शुक्ल पक्ष 8 को तदनुसार 23 जुलाई 1656 को कीरतपुर, पंजाब हुआ। आप हरिराय जी के छोटे पुत्र थे। आपके बड़े भाई रामराय आप से 10 वर्ष बड़े थे। श्री हरिकिशन जी का बाल्यकाल अत्यन्त लाड़ प्यार से व्यतीत हुआ। परिवार जन तथा अन्य निकटवर्ती लोगों को बाल हरिकिशन जी के भोले भाले मुख मण्डल पर एक अलौकिक आभा छाई दिखाई देती थी, नेत्रों में करुणा के भाव दृष्टि गोचर होते थे। छोटे से व्यक्तित्व में गजब का ओज रहता था। उनका दर्शन करने मात्रा से एक आत्मिक सुख सा मिलता था। गुरू हरिराय अपने इस नन्हे से बेटे की ओर दृष्टि डालते तो उन्हें प्रतीत होता था कि जैसे प्रभु स्वयं मानव रूप धरण कर किसी महान उद्देय की पूर्ति के लिए इस घर में पधारे हो। भाव श्री हरिकिशन में उन्हें ईश्वरीय पूर्ण प्रतिबिम्ब नजर आता। वह हरिकिशन के रूप में ऐसा पुत्र पाकर परम सन्तुष्ट थे। गुरू हरिराय जी ने दिव्य दृष्टि से अनुभव किया कि शिशु हरिकिशन की कीर्ति भविष्य में विश्व भर में फैलेगी। अतः इस बालक का नाम लोग आदर और श्रद्धा से लिया करेंगे। शिशु का भविष्य उज्ज्वल है। यह उन्हें दृष्टि मान हो रहा था और उनका विश्वास फलीभूत हुआ। श्री हरिकिशन जी ने गुरू पद की प्राप्ति के पश्चात अपना नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवा दिया।
सिक्खों के आठवें गुरु श्री गुरु हरकिशन साहब जी
गुरु गद्दी की प्राप्ति
श्री गुरू हरिराय जी की आयु केवल 31 वर्ष आठ माह की थी तो उन्होंने आत्मज्ञान से अनुभव किया कि उनकी श्वासों की पूंजी समाप्त होने वाली है। अतः उन्होंने गुरू नानक देव जी की गद्दी का आगामी उत्तराधिकारी के स्थान पर सिक्खों के अष्टम गुरू के रूपमें श्री हरिकिशन जी की नियुक्ति की घोषणा कर दी। इस घोषणा से सभी को प्रसन्नता हुई। श्री हरिकिशन जी उस समय केवल पाँच वर्ष के थे। फिर भी गुरू हरिराय जी की घोषणा से किसी को मतभेद नहीं था। जन साधारण अपने गुरूदेव की घोषणा में पूर्ण आस्था रखते थे। उन्हें विश्वास था कि श्री हरिकिशन के रूप में अष्टम गुरू सिक्ख सम्प्रदाय का कल्याण ही करेंगे। परन्तु गुरू हरिराय जी की इस घोषणा से उनके बड़े पुत्र रामराय को बहुत क्षोभ हुआ। रामराय जी को गुरूदेव ने निष्कासित किया हुआ था और वह उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र की तलहटी में एक नया नगर बसाकर निवास कर रहे थे। जिस का नाम कालान्तर में देहरादून प्रसिद्ध हुआ है। यह स्थान औरंगजेब ने उपहार स्वरूप दिया था। रामराय भले ही अपने पिता जी के निर्णय से खुश नहीं था किन्तु वह जानता था कि गुरू नानक की गद्दी किसी की धरोहर नहीं, वह तो किसी योग्य पुरुष के लिए सुरक्षित रहती है और उसका चयन बहुत सावधानी से किया जाता है। श्री गुरू हरिराय जी अपने निर्णय को कार्यान्वित करने में जुट गये। उन्होंने एक विशाल समारोह का आयोजन किया, जिसमें सिक्ख परम्परा अनुसार विधिवत हरिकिशन को तिलक लगवा कर गुरू गद्दी पर प्रतिष्ठित कर दिया। यह शुभ कार्य अश्विन शुक्ल पक्ष 10 संवत 1718 तदनुसार इसके पश्चात आप स्वयँ कार्तिक संवत 1718 को परलोक सिधार गए। इस प्रकार समस्त सिक्ख संगत नन्हें से गुरू को पाकर प्रसन्न थी।

नन्हें गुरु के नेतृत्त्व में
श्री गुरू हरिराय जी के ज्योति-ज्योत समा जाने के पचात् श्री गुरू हरिकिशन साहब जी के नेतृत्त्व में कीरतपुर में सभी कार्यक्रम यथावत जारी थे। दीवान सजता था संगत जुड़ती थी। कीर्तन भजन होता था। पूर्व गुरूजनों की वाणी उच्चारित की जाती थी, लंगर चलता था और जन साधारण बाल गुरू हरिकिशन के दर्शन पाकर संतुष्टी प्राप्त कर रहे थे। गुरू हरिकिशन जी भले ही साँसारिक दृष्टि से अभी बालक थे परंतु आत्मिक बल अथवा तेजस्वी की दृष्टि से पूर्ण थे, अतः अनेक सेवादार उनकी सहायता के लिए नियुक्त रहते थे। माता श्रीमती किशन कौर जी सदैव उनके पास रह कर उनकी सहायता में तत्पर रहती थी। भले ही वह कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभा रहे थे तो भी भविष्य में सिक्ख पंथ उनसे बहुत सी आशाएं लगाए बैठा था। उनकी उपस्थिति का कुछ ऐसा प्रताप था कि सभी कुछ सुचारू रूप से संचालित होता जा रहा था। समस्त संगत और भक्तजनों का विश्वास था कि एकदिन बड़े होकर गुरू हरिकिशन जी उनका सफल नेतृत्व करेंगे और उनके मार्ग निर्देशन में सिक्ख आन्दोलन दिनों दिन प्रगति के पथ पर अग्रसर होता चला जाएगा।

कुष्ठ का आरोग्य होना
श्री गुरू हरिकिशन जी की स्तुति कस्तूरी की तरह चारों ओर फैल गई। दूर-दराज से संगत बाल गुरू के दर्शनों को उमड़ पड़ी। जनसाधरण को मनो-कल्पित मुरादें प्राप्त होने लगी। स्वाभाविक ही था कि आपके या के गुण गायन गांव-गांव, नगर-नगर होने लगे। विशेष कर असाध्य रोगी आपके दरबार में बड़ी आशा लेकर दूर दूर से पहुँचते। आप किसी को भी निराश नहीं करते थे। आप का समस्त मानव कल्याण एक मात्रा उद्देश्य था। एक दिन कुछ ब्राह्मणों द्वारा सिखाये गये कुष्ठ रोगी ने आपकी पालकी के आगे लेट कर ऊँचे स्वर में आपके चरणों में प्रार्थना की कि हे गुरूदेव! मुझे कुष्ठ रोग से मुक्त करें। उसके करूणामय रूदन से गुरूदेव जी का हृदय दया से भर गया, उन्होंने उसे उसी समय अपने हाथ का रूमाल दिया और वचन किया कि इस रूमाल को जहाँ जहाँ कुष्ठ रोग है, फेरो, रोगमुक्त हो जाओगे। ऐसा ही हुआ। बस फिर क्या था आपके दरबार के बाहर दीर्घ रोगियों का तांता ही लगा रहता था। जब आप दरबार की समाप्ति के बाद बाहर खुले आंगन में आते तो आपकी दृष्टि जिस पर भी पड़ती, वह निरोग हो जाता। यूं ही दिन व्यतीत होने लगे।

श्री गुरू हरिकिशन जी को सम्राट द्वारा निमंत्रण
दिल्ली में रामराय जी ने अफवाह उड़ा रखी थी कि श्री गुरू हरिकिशन अभी नन्हें बालक ही तो हैं, उससे गुरू गद्दी का कार्यभार नहीं सम्भाला जायेगा। किन्तु कीरतपुर पँजाब से आने वाले समाचार इस भ्रम के विपरीत संदेश दे रहे थे। यद्यपि श्री हरिकिशन जी केवल पाँच साढ़े पाँच साल के ही थे तदापि उन्होंने अपनी पूर्ण विवेक बुद्धि का परिचय दिया और संगत का उचित मार्गर्दान किया। परिणाम स्वरूप रामराय की अफवाह बुरी तरह विफल रही और श्री गुरू श्री हरिकिशन जी का तेज प्रताप बढ़ता ही चला गया। इस बात से तंग आकर रामराय ने सम्राट औरंगजेब को उकसाया कि वह श्री हरिकिशन जी से उनके आत्मिक बल के चमत्कार देखे। किन्तु बादशाह को इस बात में कोई विशेष रूचि नहीं थी। वह पहले रामराय जी से बहुत से चमत्कार जो कि उन्होंने एक मदारी की तरह दिखाये थे, देख चुका था। अतः बात आई गई हो गई। कितु रामराय को ईर्ष्या वश शांति कहाँ वह किसी न किसी बहाने अपने छोटे भाई के मुकाबले बड़प्पन दर्शाना चाहता था। अवसर मिलते ही एक दिन रामराय ने बादशाह औरंगजेब को पुनः उकसाया कि मेरा छोटा भाई गुरू नानकदेव की गद्दी का आठवां उत्तराधिकारी है, स्वाभाविक ही है कि वह सर्वकला समर्थ होना चाहिए क्योंकि उसे गुरू ज्योति प्राप्त हुई है। अतः वह जो चाहे कर सकता है किन्तु अभी अल्प आयु का बालक है, इसलिए आपको उसे दिल्ली बुलवा कर अपने हित में कर लेना चाहिए, जिससे प्रशासन के मामले में आपको लाभ हो सकता है।
सम्राट को यह बात बहुत युक्ति संगत लगी। वह सोचने लगा कि जिस प्रकार रामराय मेरा मित्र बन गया है। यदि श्री हरिकिशन जी से मेरी मित्रता हो जाए तो कुछ असम्भव बातें सम्भव हो सकती हैं जो बाद में प्रशासन के हित में सिद्ध हो सकती हैं क्योंकि इन गुरू लोगों की देा भर में बहुत मान्यता है।
अब प्रश्न यह था कि श्री गुरू हरिकिशन जी को दिल्ली कैसे बुलवाया जाये। इस समस्या का समाधन भी कर लिया गया कि हिन्दू को हिन्दू द्वारा आदरणीय निमंत्रण भेजा जाए, शायद बात बन जायेगी। इस युक्ति को क्रियान्वित तुम गुरू घर के सेवक हो। अतः कीरतपुर से श्री गुरू हरिकिशन जी को हमारा निमंत्रण देकर दिल्ली ले आओ। मिर्ज़ा राजा जय सिंह ने सम्राट को आश्वासन दिया कि वह यह कार्य सफलता पूर्वक कर देगा और उसने इस कार्य को अपने विश्वास पात्र दीवान परसराम था। इस प्रकार राजा जय सिंह ने अपने दीवान परसराम को पचास घोड़ सवार दिये और कहा कि मेरी तरफ से कीरतपुर में श्री गुरू हरिकिशन को दिल्ली आने के लिए निवेदन करें और उन्हें बहुत आदर से पालकी में बैठाकर पूर्ण सुरक्षा प्रदान करते हुए लायें। जैसे कि 1660 ईस्वी में औरंगजेब ने श्री गुरू हरिराय जी को दिल्ली आने के लिए आमंत्रित किया था वैसे ही अब 1664 ईस्वी में दूसरी बार श्री गुरू हरिकिशन जी को निमंत्रण भेजा गया। सिक्ख सम्प्रदाय के लिए यह परीक्षा का समय था।श्री गुरू अर्जुन देव भी जहाँगीर के राज्यकाल में लाहौर गये थे और श्री गुरू हरिगोविद साहब भी ग्वालियर में गये थे। विवेक बुद्वि से श्रीगुरू हरि किशन जी ने सभी तथ्यों पर विचार विमर्श किया। उन दिनों आपकी आयु 7 वर्ष की हो चुकी थी। माता किशन कौर जी ने दिल्ली के निमंत्रण को बहुत गम्भीर रूप में लिया। उन्होंने सभी प्रमुख सेवकों को सतर्क किया कि निर्णय लेने में कोई चूक नहीं होनी चाहिए।गुरूदेव ने दीवान परस राम के समक्ष एक शर्त रखी कि वह सम्राट औरंगजेब से कभी नहीं मिलेंगे और उनको कोई भी बाध्य नहीं करेगा कि उनके बीच कोई विचार गोष्ठी का आयोजन हो। परसराम को जो काम सौंपा गया था, वह केवल गुरूदेव को दिल्ली ले जाने का कार्यथा, अतः यह शर्त स्वीकार कर ली गई। दीवान परसराम ने माता किशन कौर को सांत्वना दी और कहा - आप चिंता न करें। मैं स्वयं गुरूदेव की पूर्ण सुरक्षा के लिए तैनात रहूँगा। तत्पचात् दिल्ली जाने की तैयारियाँ होने लगी। जिसने भी सुना कि गुरू श्री हरिकिशन जी को औरंगजेब ने दिल्ली बुलवाया है, वही उदास हो गया। गुरूदेव की अनुपस्थिति सभी को असहाय थी किन्तु सभी विवश थे। विदाई के समय अपार जनसमूह उमड़ पड़ा। गुरूदेवने सभी श्रद्वालुओं को अपनी कृपा दृष्टि से कृतार्थ किया और दिल्ली के लिए प्रस्थान कर गये।

एक ब्राह्मण की शंका का समाधान
कीरतपुर से दिल्ली पौने दौ सौ मील दूर स्थित है। गुरूदेव के साथ भारी संख्या में संगत भी चल पड़ी। इस बात को ध्यान में रखकरआप जी ने अम्बाला शहर के निकट पंजोखरा नामक स्थान पर शिविर लगा दिया और संगत को आदेा दिया कि आप सब लौट जायें। पंजोखरा गाँव के एक पंडित जी ने शिविर की भव्यता देखी तो उन्होंने साथ आये विशिष्ट सिक्खों से पूछा कि यहाँ कौन आये हैं उत्तर में सिक्ख ने बताया कि श्री गुरू हरिकिशन महाराज जी दिल्ली प्रस्थान कर रहे हैं, उन्हीं का शिविर है। इस पर पंडित जी चिढ़ गये और बोले कि द्वापर में श्री कृष्ण जी अवतार हुए हैं, उन्होंने गीता रची है। यदि यह बालक अपने आपको हरिकिशन कहलवाता है तो भगवत गीता के किसी एक लोक का अर्थ करके बता दे तो हम मान जायेंगे। यह व्यंग जल्दी ही गुरूदेव तक पहुंच गया। उन्होंने पंडित जी को आमंत्रित किया और उससे कहा - पंडित जी आपकी शंका निराधर है। यदि हमने आपकी इच्छा अनुसार गीता के अर्थ कर भी दिये तो भी आपके भ्रम का निवारण नहीं होगा क्योंकि आप यह सोचते रहेंगे कि बड़े घर के बच्चे हैं, सँस्कृत का अध्ययन कर लिया होगा इत्यादि। किन्तु हम तुम्हें गुरू नानक के घर की महिमा बताना चाहते हैं। अतः आप कोई भी व्यक्ति ले आओ जो तुम्हें अयोग्य दिखाई देता हो,हम तुम्हें गुरू नानक देव जी के उत्तराधिकारी होने के नाते उस से तुम्हारी इच्छा अनुसार गीता के अर्थ करवा कर दिखा देंगे। चुनौती स्वीकार करने पर समस्त क्षेत्रा में जिज्ञासा उत्पन्न हो गई कि गुरूदेवे पंडित को किस प्रकार संतुष्ट करते हैं। तभी पंडित कृष्णलाल एक झींवर (पानी ढ़ोने वाला) को साथ ले आया जो बैरा और गूँगा था। वह गुरूदेव जी से कहने लगा कि आप इस व्यक्ति से गीता के लोकों के अर्थ करवा कर दिखा दे। गुरूदेव ने झींवर छज्जूराम पर कृपा दृष्टि डाली और उसके सिर पर अपने हाथ की छड़ी मार दी। बस फिरक्या था छज्जूराम झींवर बोल पड़ा और पंडित जी को सम्बोधन करके कहने लगा - पंडित कृष्ण लाल जी, आप गीता के लोक उच्चारण करें। पंडित कृष्ण लाल जी आश्चर्य में चारों ओर झांकने लगा। उन्हें विवशता के कारण भगवत गीता के लोक उच्चारण करने पड़े। जैसे ही झींवर छज्जू राम ने पंडित जी के मुख से लोक सुना, वह कहने लगा कि पंडित जी आपके उच्चारण अद्भुत हैं, मैं आपको इसी लोक का शुद्ध उच्चारण सुनाता हूँ और फिर अर्थ भी पूर्ण रूप में स्पष्ट करूँगा। छज्जूराम ने ऐसा कर दिखाया। पंडित कृष्ण लाल का संशय निवृत्त्तहो गया। वह गुरू चरणों में बार बार नमन करने लगा। तब गुरूदेव जी ने उसे कहा - आपको हमारी शशरीरिक आयु दिखाई दी है, जिस कारण आपको भ्रम हो गया है, वास्तव में ब्रह्म ज्ञान का शारीरिक आयु से कोई सम्बन्ध नहीं होता। यह अवस्था पूर्व संस्कारों के कारण किसी को भी किसी आयु में प्राप्त हो सकती है। आपने सँस्कृत भाषा के श्लोको के अर्थों को कर लेने मात्रा से पूर्ण पुरूष होने की कसौटी मान लिया है, जबकि यह विचार धारा ही गलत है। महापुरूष होना अथवा शाश्वत ज्ञान प्राप्त होना, भाषा ज्ञान की प्राप्ति से ऊपर की बात है। आध्यात्मिक दुनिया में ऊँची आत्मिक अवस्था उसे प्राप्त होती है, जिसने निष्काम, समस्त प्राणी मात्र के कल्याण के कार्य किये हों अथवा जो प्रत्येक वास को सफल करता है। प्रभु चिन्तन मनन में व्यस्त रहता है। इस मार्मिक प्रसंग की स्मृति में आज भी पंजोखरा गाँव में श्री हरिकिशन जी के कीर्ति स्तम्भ के रूप में एक भव्य गुरूद्वारा बना हुआ है।

श्री गुरू हरिकिशन जी दिल्ली पधारे
श्री गुरू हरिकिशन जी की सवारी जब दिल्ली पहुँची तो राजा जय सिंह ने स्वयं उनकी आगवानी की और उन्हें अपने बंगले में ठहराया। जहाँ उनका भव्य स्वागत किया गया। राजा जय सिंह के महल के आसपास के क्षेत्र का नाम जयसिंह पुरा था। जयसिंह की रानी के हृदय में गुरूदेव जी के दर्शनों की तीव्र अभिलाषा थी, किन्तु रानी के हृदय में एक संशय ने जन्म लिया। उसके मन में एक विचार आया कि यदि बालगुरू पूर्ण गुरू हैं तो मेरी गोदी में बैठे। उसने अपनी इस परीक्षा को किर्यान्वित करने के लिए बहुत सारी सखियों को भी आमंत्रित कर लिया था। जब महल में गुरूदेव का आगमन हुआ तो वहाँ बहुत बड़ी संख्या में महिलाएं सजधज कर बैठी हुई गुरूदेव जी की प्रतीक्षा कर रही थीं। गुरूदेव सभी स्त्रियों को अपनी छड़ से स्पर्श करते हुए कहते गये कि यह भी रानी नहीं, यह भी रानी नहीं, अन्त में उन्होंने रानी को खोज लिया और उसकी गोद में जा बैठे। तद्पश्चात उसे कहा - आपने हमारी परीक्षा ली है, जो कि उचित बात नहीं थी। औरंगजेब को जब सूचना मिली कि आठवें गुरू श्री हरिकिशन जी दिल्ली राजा जय सिंह के बंगले पर पधरे हैं तो उसने उनसे मुलाकात करने का समय निश्चित करने को कहा - किन्तु श्री हरिकिशन जी ने स्पष्ट इन्कार करते हुए कहा - हमने दिल्ली आने से पूर्व यह शर्त रखी थी कि हम औरंगजेब से भेंट नहीं करेंगे। अतः वह हमें मिलने का कष्ट न करें। बादशाह को इस उत्तर की आशा नहीं थी। इस कोरे उत्तर को सुनकर वह बहुत निराा हुआ और दबाव डालने लगा कि किसी न किसी रूप में गुरूदेव को मनाओं, जिससे एक भेंट सम्भव हो सके।

दिल्ली में महामारी का आतंक
श्री गुरू हरिकिशन जी के दिल्ली आगमन के दिनों में वहाँ हैजा रोग फैलता जा रहा था, नगर में मृत्यु का ताण्डव नृत्य हो रहा था, स्थान स्थान पर मानव शव दिखाई दे रहे थे। इस आतंक से बचने के लिए लोगों ने तुरन्त गुरू चरणों में शरण ली और गुहार लगाई कि हमें इन रोगों से मुक्ति दिलवाई जाये। गुरूदेव तो जैसे मानव कल्याण के लिए ही उत्पन्न हुए थे। उनका कोमल हृदय लोगों के करूणामय रूदन से द्रवित हो उठा। अतः उन्होंने सभी को सांत्वना दी और कहा - प्रभु भली करेंगे। आप सब उस सर्वशक्तिमान पर भरोसा रखें और हमने जो प्रार्थना करके जल तैयार किया है, उसे पियो, सभी का कष्ट निवारण हो जायेगा। सभी रोगियों ने श्रद्धा पूर्वक गुरूदेव जी के कर-कमलों से जल ग्रहण कर, अमृत जान कर पी लिया और पूर्ण स्वस्थ हो गये। इस प्रकार रोगियों का गुरू दरबार में तांता लगने लगा। यह देखकर गुरूदेव जी के निवास स्थान के निकट एक बाउड़ी तैयार की गई, जिसमें गुरूदेव जी द्वारा प्रभु भक्ति से तैयार जल डाल दिया जाता, जिसे लोग पी कर स्वास्थ्य लाभ उठाते। जैसे ही हैजे का प्रकोप समाप्त हुआ, चेचक रोग ने बच्चों को घेर लिया। इस संक्रामक रोग ने भयंकर रूप धरण कर लिया। माताएं अपने बच्चों को अपने नेत्र के सामने मृत्यु का ग्रास बनते हुए नहीं देख सकती थी। गुरू घर की महिमा ने सभी दिल्ली निवासियों को गुरू नानक देव जी के उत्तराध्किारी श्री हरिकिशन जी के दर पर खड़ा कर दिया। इस बार नगर के हर श्रेणी तथा प्रत्येक सम्प्रदाय के लोगथे। लोगों की श्रद्धा भक्ति रंग लाती, सभी को पूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिला। गुरू घर में प्रातःकाल से रोगियों का आगमन आरम्भ हो जाता, सेवादार सच्चे मन से चरणामृत रोगियों में वितरित कर देते, स्वाभाविक ही था कि लोगों के हृदय में श्री गुरू हरिकिशन जी के प्रति श्रद्धा बढ़ती चली गई। इस प्रकार बाल गुरू की स्तुति चारों ओर फैलने लगी और उन पर जन साधरण की आस्था और भी सुदृढ़ हो गई।

देहावसान
श्री गुरु हरिकिशन जी ने अनेकों रोगियों को रोग से मुक्त दिलवाई। आप बहुत ही कोमल व उद्धार हृदय के स्वामी थे। आप किसीको भी दुखी देख नहीं सकते थे और न ही किसी की आस्था अथवा श्रद्धा को टूटता हुआ देख सकते थे। असंख्य रोगी आपकी कृपा के पात्र बने और पूर्ण स्वास्थ्य लाभ उठाकर घरों को लौट गये। यह सब जब आपके भाई रामराय ने सुना तो वह कह उठा कि श्री गुरू हरिकिशनपूर्व गुरूजनों के सिद्धांतों के विरूद्ध आचरण कर रहे हैं। पूर्व गुरूजन प्रकृति के कार्यों में हस्ताक्षेप नहीं करते थे और न ही सभी रोगियों को स्वास्थ्य लाभ देते थे। यदि वह किसी भक्त जन पर कृपा करते भी थे तो उन्हें अपने औषद्यालय की दवा देकर उसका उपचार करतेथे। एक बार हमारे दादा श्री गुरदिता जी ने आत्म बल से मृत गाय को जीवित कर दिया था तो हमारे पितामा जी ने उन्हें बदले में शरीर त्यागने के लिए संकेत किया था। ठीक इसी प्रकार दादा जी के छोटे भाई श्री अटल जी ने सांप द्वारा काटने पर मृत मोहन को जीवित किया था तो पितामा श्री हरिगोविद जी ने उन्हें भी बदले में अपने प्राणों की आहुति देने को कहा था। ऐसी ही एक घटना कुछ दिन पहले हमारे पिता श्री हरिराय जी के समय में भी हुई है, उनके दरबार में एक मृत बालक का शव लाया गया था, जिस के अभिभावक बहुत करूणामय रूदन कर रहे थे। कुछ लोग दया वश उस शव को जीवित करने का आग्रह कर रहे थे और बता रहे थे कि यदि यह बालक जीवित हो जाता है तो गुरू घर की महिमा खूब बढ़ेगी किन्तु पिता श्री ने केवल एक शर्त रखी थी कि जो गुरू घर की महिमा को बढ़ता हुआ देखना चाहता है तो वह व्यक्ति अपने प्राणों का बलिदान दे जिससे मृत बालक को बदले में जीवन दान दिया जा सके। उस समय भाई भगतू जी के छोटे सुपुत्र जीवन जी ने अपने प्राणों की आहुति दी थी और वह एकांत में शरीर त्याग गये थे, जिसके बदले में उस मृत ब्राह्मण पुत्र को जीवनदान दिया गया था। परन्तु अब श्री हरिकिशन बिना सोच विचार के आत्मबल का प्रयोग किये जा रहे हैं। जब यह बात श्रीगुरू हरिकिशन जी के कानों तक पहुंची तो उन्होंने इस बात को बहुत गम्भीरता से लिया। उन्होंने स्वयं चित्त में भी सभी घटनाओं पर क्रमवार एक दृष्टि डाली और प्रकृति के सिधान्तों का अनुसरण करने का मन बना लिया, जिसके अन्तर्गत आपने अपनी जीवन लीला रोगियों पर न्योछावर करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने का मन बना लिया। बस फिर क्या था आप अकस्मात् चेचक रोग से ग्रस्त दिखाई देने लगे। जल्दी ही आपके पूरे बदन पर फुंसियां दिखाई देने लगी और तेज़ बुखार होने लगा। सक्रांमक रोग होने के कारण आपको नगर के बाहर एक विशेष शिविर में रखा गया किन्तु रोग का प्रभाव तीव्रगति पर छा गया। आप अधिकांश समय बेसुध पड़े रहने लगे। जब आपको चेतन अवस्था हुई तो कुछ प्रमुख सिक्खों ने आपका स्वास्थ्य जानने की इच्छा से आपसे बातचीत की तब आपने सन्देश दिया कि हम यह नश्वर शरीर त्यागने जा रहे हैं, तभी उन्होंने आपसे पूछा कि आपके पश्चात सिक्ख संगत की अगुवाई कौन करेगा इस प्रश्न के उत्तर में अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति वाली परम्परा के अनुसारकुछ सामग्री मंगवाई और उस सामग्री को थाल में सजाकर सेवक गुरूदेव के पास ले गये। आपने अपने हाथ में थाल लेकर पाँच बार घुमाया मानों किसी व्यक्ति की आरती उतारी जा रही हो और कहा बाबा बसे बकाले ग्राम-(बाबा बकाले नगर में हैं)। इस प्रकार सांकेतिक संदेश देकर आप ज्योतिजोत समा गये। श्री गुरू हरिकिशन साहब जी का निधन हो गया है । यह समाचार जंगल में आग की तरह समस्त दिल्ली नगर में फैल गया और लोग गुरूदेव जी के पार्थिव शरीर के अन्तिम दर्शनों के लिए आने लगे। यह समाचार जब बादशाह औरंगजेब को मिला तो वह गुरूदेव जी के पार्थिव शरीर के दर्शनों के लिए आया। जब वह उस तम्बू में प्रवेश करने लगा तो उसका सिर बहुत बुरी तरह से चकराने लगा किन्तु वह बलपूर्वक शव के पास पहुँच ही गया, जैसे ही वह चादर उठा कर गुरूदेव जी के मुखमण्डल देखने को लपका तो उसे किसी अदृश्य शक्ति ने रोक लिया और विेकराल रूप धर कर भयभीत कर दिया। सम्राट उसी क्षण चीखता हुआ लौट गया। यमुना नदी के तट पर ही आप की चिता सजाई गई और अन्तिम विदाई देते हुए आपके नवर शरीर की अन्त्येष्टि क्रिया सम्पन्न कर दी गई। आप बाल आयु में ही ज्योतिजोत समा गये थे। इसलिए इस स्थान का नाम बाल जी रखा गया।आपकी आयु निधन के समय 7 वर्ष 8 मास की थी। आपके शरीर त्यागने की तिथि 16 अप्रैल सन् 1664 तदानुसार 3 वैशाख संवत 1721 थी।


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Speak Asia की खुल रही पोल कुछ बैंको ने किये खातों को फ्रीज



Speak Asia 

ऑनलाइन सर्वे के नाम पर लाखों लोगों से करोड़ों रुपये वसूल रही "स्पीक एशिया" पर शिकंजा कसता जा रहा है। स्‍टार न्‍यूज और फिर आज तक पर स्‍पीक एशिया से सम्‍बन्‍धित फर्जी बाड़े की खबरो से स्‍पीक एशिया के फ्रेन्‍चा‍ईजियों के खाते जिन बैंको मे है उन्‍होने प्रभावी कदम उठाना शुरू कर दिया है। देश के दो प्रमुख बैंक आईसीआईसीआई बैंक और आईएनजी वैश्य बैंक ने देश भर में स्पीक एशिया से ताल्लुक रखने वाले खातों को फ्रीज कर दिया है और बाकायदा इसकी पुष्टि कर दी है।

चूकिं भारत में स्‍पीक एशिया का कोई पंजीकृत दफ्तर न होने के कारण बैंक खातों के लिए जरूरी केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) मानकों को पूरा नहीं करती। इसलिए स्‍पीक एशिया (Speak Asia) नाम से कोई भी बैंक खाता नहीं है। इसी कमी को पूरा करने के लिये स्‍पीक एशिया न देश भर में तमाम फ्रेंचाइजी बना रखे हैं, ताकि वह इन फ्रेंचाइजी के जरिये अपना बैंक खाता बना सके और अपना गोरखधंधा जारी रखे। इनमें से कुछ चुनिंदा नाम हैं – ग्रो रिच एसोसिएट्स, स्पीक इंडिया ऑनलाइन, बालाजी एसोसिएट्स, ऋषिकेष इनवेस्टमेंट्स, बीटीसी वर्ल्ड, श्रीराम इनफोटेक, स्टार एंटरप्राइसेज, एबीएन रिसर्च ऑनलाइन व ब्रह्मनाथ एंटरप्राइसेज सहित पूरे देश मे इसका जाल फैला हुआ है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, दिल्‍ली व महाराष्ट्र जैसे राज्‍यो में 100 से ज्‍यादा फ्रेंचाइजी हैं। स्‍पीक एशिया अपनी वेबसाईट पर फेंचाइजी का नाम और उनके बैंकों के नाम व खाता संख्‍या की जानकारी अपनी साइट पर दी हुई है। इनके खाते आईसीआईसीआई बैंक, आईएनजी वैश्य बैंक, जम्‍मू कश्‍मीर बैक, भारतीय स्टेट बैंक व फेडरल बैंक समेत करीब दर्जन भर बैंकों में हैं। इन तमाम खातों में जमा रकम बाद इन फ्रेंचाइजियों द्वारा मुंबई के पंजीकृत एक कंपनी तुलसियाटेक के खातों में चली जाती है, जहां से इसे सिंगापुर की कंपनी हरेन वेंचर्स के खाते में सर्वे सॉफ्टवेयर खरीदने के नाम पर डाल दिया जाता है। हरेन वेंचर्स की प्रमुख हरेन्दर कौर हैं। हरेन्दर कौर ही स्पीक एशिया की मुख्य प्रवर्तक हैं।

 स्पीक एशिया जिस सिंगापुर की कंपनी है, और कहा जाता है कि इसकी मुख्‍य शाखा वर्जिन आईलैंड मे है। सिंगापुर में भी पिरामिड मार्केटिंग स्कीमों या एमएलएम कंपनियों को गैरकानूनी करार दिया गया है और तो और अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, चीन, जापान, मलेशिया, नीदरलैंड व डेनमार्क जैसे देशों ने इस तरह की कंपनियों पर बैन लगा रखा है। सबसे बड़ा यक्ष प्रश्‍न आज यह है कि भारत जैसे विशाल बेरोजगारी वाले देश मे यहाँ कि सरकार इसे क्यों पोषण दे रही है ? क्‍या सरकार का कोई प्रभावी तंत्र इसे संचालित कर रहा है? यह एक गंभीर व सोचनीय मुद्दा है। क्योंकि भारत वह देश है जहाँ की 70 फीसदी युवा बेरोजगार है और इतनी ही आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है। इस वर्ग से 12 हजार रूपये की बड़ी राशि चपत करना शायद किसी सरकार के लिये बड़ी बात न हो किन्तु यह राशि उस परिवार के लिये काफी सपने पूरे करने वाली होती है।



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