कुछ बात मुसलमानों के प्रति



मुस्लिम कत्तई बुरे नहीं है.. मेरे भी कुछ अच्छे दोस्त है.. कही न कही कोई कमी रही उसे हमें विचार करना चाहिए.. मगर के प्रश्न ये की मुस्लिमो के अन्दर इतना ही प्यार था तो भारत विभाजन की नींव क्यों रखी गयी... ? 
मुस्लिम इतने ही प्रेमी जीव है तो भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में समान अनुपात में हिन्दू और मुस्लिम रहते थे, आज ये अनुपात पाकिस्तान और बांग्लादेश में क्यों नहीं बचा रहा जहां मुस्लिम बहुसंख्यक है? 
रेल को रफ़्तार में चलने के लिए दोनों पटरी को मजबूत होना जरूरी है और यही भारत में है जो मुस्लिम फल-फूल रहे है वरन ये जीव प्रेमी कौम जिस देश में बहुत संख्यक हुई है वहां इसने अल्पसंख्को का भक्षण किया है.. 
इसका मूल कारण है मदरसे की शिक्षा जहाँ यही पढाया जाता है कि इसे मारो तो ख़ुदा जन्नत देगा, जन्नत में मजे के लिए 72 हूर मिलेगी, और भारत के नेता वोट के लिए 72 हूरो के पास जाने वाले पढाई पर रोक लगा ही नहीं सकते वास्तव में दक्षिण एशिया के मुस्लिम दोयम दर्जे के मुस्लिम है जो आज तक दकियानूसी में जी रहे है.. 
वास्तव में जिन्ह मुस्लिमों में उच्च शिक्षा पाई है वो देश हित की भावना के साथ रह रहे है, मेरे फेसबुक अकाउंट और मेरे रियल लाइफ में ऐसे उच्च विचारों वाले मुस्लिम है, मुझे उनका मित्र होने का गर्व भी है.. जो एक सच्चे मुस्लिम होने के साथ साथ सच्चे भारतीय भी है..


Share:

समाजवादी सरकार की धर्मनिरपेक्षता के नए आयाम, मंदिर गिराया गया



नोयडा के निलौनी गाव में निजी जमीन पर बने के मंदिर और गौशाला को नगर विकास मंत्री आज़म खान के शह पर ३०-६-२०१३ को बिना कारण बताओ नोटिस दिए गिरा दिया.. मेरे पास हार्ड कॉपी फोटोग्राफ है जो मैंने अपलोड नहीं कर पा रहा हूँ.. 
आख़िर मदिरों को क्यों गिराया जाता है? क्योकि मंदिरों में ख़ुदा नहीं रहते ? या हिन्दू मुस्लिमो कि तरह बावली नहीं है? या सत्ता के समाजवादी दलालों के लिए हिन्दू कोई वोट बैंक नहीं है?


Share:

उच्च रक्तचाप : सुझाव



उच्च रक्तचाप : सुझाव

उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या एक गंभीर बीमारी है और इसकी वजह से कई दूसरी गंभीर बीमारियां भी उत्पन्न हो सकती हैं। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को हाइपरटेंशन भी कहते हैं जो कि सेहत के लिए घातक है। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और इसका इलाज करना चाहिए। यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। हाई ब्लड प्रेशर की वजह से कोरोनरी हार्ट डिजीज, हार्ट फेल्योर, स्ट्रोक और किडनी फेल्योर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती हैं। हाई ब्लड प्रेशर की वजह से रक्त वाहिनियों में दबाव पड़ने लगता है और वॉल क्षतिग्रस्त हो जाती है या उनमें ब्लॉकेज आ जाती है। सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि ब्लड प्रेशर 90 और 120 मिलीमीटर के बीच रहे। इससे ज्यादा ब्लड प्रेशर होने पर व्यक्ति हाइपरटेंशन का शिकार हो जाता है। हाइपरटेंशन हमारी कोरोनरी आर्टरी की परतों को नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से हमारे दिमाग से लेकर किडनी तक को क्षति पहुंच सकती है। जब ब्लड प्रेशर उच्च होता है, तो ब्लड धमनियों (आर्टरी) की साइड की परतों को तेजी से हिट करता है। इसकी वजह से धमनियों की परतों को नुकसान पहुंचता है। वो क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। धमनियों में होने वाले इस नुकसान से रुकावट आ जाती है। काफी लंबे वक्त से हाइपरटेंशन होने पर हार्ट की मांसपेशियों में कमज़ोरी आ जाती है। हार्ट फेल होने की संभावना बढ़ जाती है। हाइपरटेंशन चिंता, गुस्सा, मानसिक विकार, अनियमित खान-पान, जीवनशैली में आए बदलाव, सिगरेट और शराब के अधिक सेवन से हो सकता है। मोटापा, तनाव और नमक के ज़्यादा सेवन से हाइपरटेंशन हो सकता है। इसके अलावा, जेनेटिक प्रोब्लम की वजह से भी हाइपरटेंशन की बीमारी होती है। हाइपरटेंशन को बिना किसी ड्रग्स की सहायता से नॉर्मल लेवल पर लाया जा सकता है। इसके लिए हमें अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव करने की जरूरत होती है। वजन को नियंत्रित करना जरूरी होता है। नियमित व्यायाम से हाइपरटेंशन की समस्या से छुटकारा पाया सकता है। वास्तव में हाई ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर माना जाता है। अधिकांश को देर से पता चलता है कि वे इस समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में दवाओं से बचना चाहते हैं तो लाइफस्टाइल में बदलाव करें।
उच्च रक्तचाप एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। इस दबाव की वजह से धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। रक्तचाप में दो माप शामिल होती हैं, सिस्टोलिक और डायस्टोलिक, जो इस बात पर निर्भर करती है कि हृदय की मांसपेशियों में संकुचन हो रहा है या धड़कनों के बीच में तनाव मुक्तता हो रही है। आमतौर पर 140/90 से ऊपर के रक्तचाप को अति तनाव (हाइपरटेंशन) कहा जाता है। अगर दबाव 180/120 से ऊपर है तो ये खतरनाक माना जाता है। उच्च रक्तचाप का कोई लक्षण नहीं होता। समय के साथ अगर इसका इलाज न हो, तो इससे स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयां जैसे हृदय रोग और स्ट्रोक हो सकते हैं। आइए जानते हैं नेचुरल तरीके कैसे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कम किया जा सकता है :-
  1. नियंत्रित खानपान : फैटी डाइट व अधिक नमक से परहेज। विशेषज्ञ मानते हैं कि सामान्य व्यक्ति को दिनभर में 5-6 ग्राम नमक खाना चाहिए। सलाद खूब खाएं।
  2. नींद से बीपी कंट्रोल : अनिद्रा भी इसका एक कारण है। देर रात की पार्टियां ज्यादातर अनिद्रा की वजह बनती हैं जो हार्ट के लिए ठीक नहीं है। 7 से 8 घंटे रोजाना गहरी नींद सोना चाहिए। अच्छी नींद हार्ट के अलावा कई अन्य बीमारियों से बचाव करती है।
  3. योग से फायदा : दिल के मामले में योग भी बेहतरीन विकल्प हो सकता है। कई शोध में साबित हो चुका है कि रोजाना योग करने से हृदय संबंधी रोगों के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों से भी राहत मिलती है।
  4. व्यायाम : वजन बीपी का मुख्य कारण है। सामान्य वजन से 4-5 किलो अधिक वजन ब्लड प्रेशर को करीब 4 एमएम-एचजी तक बढ़ा देता है। वॉक, जॉगिंग, जिमिंग व एरोबिक्स एनर्जी लेवल बढ़ाती हैं। डांस से भी वजन घटता है। इससे कैलोरी बर्न होगी और हार्ट की ब्लड पम्पिंग क्षमता बढ़ेगी।
  5. सांस से आराम : कुछ लोगों का बीपी शाम की तुलना में सुबह ज्यादा होता है। इसका कारण है रात में कम ऑक्सीजन की प्राप्ति। इसके लिए दिन में 10 से 15 बार पेट से गहरी सांस लें। विशेषज्ञों के अनुसार गहरी सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन व रक्त का संचार सुचारू रहता है। मानसिक शांति मिलती है, गुस्सा भी कम आता है। हाई ब्लड प्रेशर के आयुर्वेदिक उपचार
  6. इसके अलावा लहसुन की दो या तीन कलियों को सुबह खाली पेट पानी के साथ चबाकर खाना चाहिए। चबाने में दिक्कत हो तो लहसुन के रस की 5-6 बूंद 20 मिली पानी में मिलाकर ले सकते हैं।
  7. इससे निजात पाने के लिए अर्जुन का क्षीरपाक इस्तेमाल कर सकते हैं। क्षीरपाक बनाने के लिए अर्जुन की छाल का 10 ग्राम चूर्ण, 100 मिली दूध और 100 मिली पानी लेते हैं। फिर इसे पकाते हैं, जब सिर्फ दूध बच जाए, मतलब सिर्फ 100 मिली रह जाए तब इसे आंच से उतार कर, ठंडा करके, छानकर इसे पीते हैं।
  8. इसी तरह से त्रिफला के पानी का प्रयोग भी कर सकते हैं। 20 ग्राम त्रिफला को रात में पानी में भिगो दें और सुबह पानी को सुबह निथारकर दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से हाइपरटेंशन में फायदा मिलता है।
  9. मेथी और अजवाइन के पानी का प्रयोग भी किया जा सकता है। इसके लिए एक चम्मच मेथी और अजवाइन पाउडर को पानी में भिगोए और सुबह इस पानी को पी लें।
  10. 2 चम्मच प्याज का रस, 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह और शाम खाली पेट लें। भोजन में कच्ची प्याज नित्य खाना चाहिए।
  11. उच्च रक्तचाप की शिकायत वाले बुद्धिजीवी वर्ग वालो को प्रतिदिन 2-3 घंटे ससंकल्प मौन व्रत के साथ ही साथ सप्ताह में एक बार 6 घंटे से लेकर 18 घंटे तक मौन व्रत अवश्य करना चाहिये। मौन साधना की अवधि में अनुष्ठानों के अतिरिक्त ऐसी प्रवृत्तियों से बचना चाहिए, जिससे किसी प्रकार की उत्तेजना पैदा होने की जरा भी संभावना हो।
  12. यदि अच्छी तरह 15 मिनट श्वास का ध्यान किया जाये तो मानसिक तनाव दूर होगा, शांति मिलेगा, बढ़ा हुआ रक्तचाप दूर होगा।
  13. अब हम बात करेंगे हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप के रोगियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसके बारे में।
  14. अब हम बात करते हैं आहार की। उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों को कम नमक वाली चीज़ें ही खाना चाहिए, हो सके तो सेंधा नमक का प्रयोग करें।
  15. खाने में सब्जियों और फलों की मात्रा बढ़ाएं। लगभग सारी हरी सब्जियां और मौसमी फलों फायदेमंद होते हैं।
  16. छाछ और दूध के साथ ही नारियल पानी को भी अपनी डाइट में शामिल करें।
  17. ड्राई फ्रूट्स जैसे अखरोट, बादाम, अंजीर, किशमिश खाना भी फायदेमंद रहेगा।
  18. दूध में हल्दी और दालचीनी का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
  19. भोजन में लहसुन की मात्रा बढ़ाएं।
  20. सबसे जरूरी है एक शेड्यूल बनाना। सोने से लेकर उठने, एक्सरसाइज और योग हर एक चीज का समय निर्धारित करें।
  21. हाइपरटेंशन की सबसे बड़ी वजह है तनाव जिसे दूर करने के लिए योग और प्राणायाम सबसे अचूक उपाय हैं। ताड़ासन, पवनमुक्तासन, शलभासन और योगनिद्रा के अलावा भ्रामरी, अनुलोम-विलोम का प्रयोग भी कर सकते हैं। अगर हम ॐ का जप करते हैं तो इससे भी बहुत फायदा मिलता है।
  22. हाइपरटेंशन के रोगियों को रोजाना या हफ्ते में तीन से चार बार पूरे शरीर पर तेल से मालिश करनी चाहिए। इन चीजों से बचें
  23. डिब्बा बंद, बासी, ज़्यादा तला हुआ, मिर्च-मसालेदार, ज्यादा नमक वाला खाना और दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
  24. हाइपरटेंशन के रोगियों को चिंता, भय और क्रोध से खुद को बचाना है।


Share:

फेसबुक ब्लॉग की जगह नहीं ले सकता



२००१० में विधि स्नातक होने और फेसबुक पर आने के बाद ब्लॉगर की दुनिया में मेरी दस्तक थोड़ी कम हुई. जिस तरह शादी के बाद लड़का काफी समय तक अपने एक नये जीवन में मस्त हो जाता है, दोस्त क्या कर रहे है कौन दोस्त कहाँ है इस दुनिया से बहुत दूर अपनी एक नयी ज़िन्दगी में व्यक्ति होता है. व्यक्ति की जीवन में नयी नयी पत्तियां कितनी भी प्रभावी क्यों न हो जाये किन्तु उसकी जड़े जितनी ही पुरानी होती है उसको उतनी ही मजबूती देती है.
मैंने पिछले 3 वर्षो में ब्लॉग लिखना बंद तो नहीं किया किन्तु जो नियमितता थी वो जरूर कम हुई, फेसबुक तो सिर्फ टाइम पास का माध्यम है क्योंकि हम जो वहाँ करते है, २४ घंटे बाद वो ऐसा इतिहास हो जाता है जो किसी को भी याद नहीं होता है. सोशल नेटवर्किंग एक संपर्क माध्यम हो सकता है किन्तु व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के प्रचार का माध्यम कभी नहीं. फेसबुक की अपनी एक अलग दुनिया और ब्लॉग की अपनी अलग और फेसबुक कभी भी ब्लॉग की जगह नहीं ले सकता. मैंने कभी लिखना छोड़ा नहीं किन्तु कम जरूर हुआ इसलिए वापसी करने जैसा कोई प्रश्न नहीं है, कोशिश होगी की कम से कम अच्छा और प्रभावी लेखन हो. बाकी राम जी मालिक है.


Share:

Real Thakur Raghuraj Pratap Singh Raja Bhaiya



परवीन ने गाँव का नाम बदलवाने की शर्त क्यों रखी मुझे समझ नहीं आया... ऐसा क्या कर दिया ज़िया साहब ने उस गाँव के लिए जो उसका नाम उनके नाम पर रखा जाए? मरने की जगह का नाम मरने वाले पुलिस अफसर के नाम पर रखा जाने लगा तो हर घंटे किसी न किसी शहर या गाँव का नाम बदल जायेगा... फिर क्या होगा? चिट्ठी पोस्ट करने से पहले लोग अखिलेश यादव को फ़ोन करके गाँव का ताज़ा नाम कन्फर्म किया करेंगे... और यदि एक ही जगह पर एक से अधिक लोग मुठभेड़ में मारे गए तो एकता कपूर के सीरियल की तर्ज पर उनकी बेवाओं के बीच जंग होगी कि किसके पति के नाम पर गाँव का नाम रखा जाए.... उफ़! मुझे तो सोचकर ही डर लग रहा है..



Share:

Hanuman Mantra for Strength & Power





मानसिक तथा आध्यात्मिक शक्तिदायक हनुमान मंत्र
Lord Hanuman

सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर मंगलवार या शनिवार के दिन शुद्ध आसन पर विराजमान होकर श्री राम दरबार को सामने स्थापित कर श्री हनुमान जी का ध्यान करना चाहिए, ध्यान करने हेतु मंत्र दिया गया है:-

श्री हनुमान ध्यान मंत्र:-
उद्यन्मार्तण्ड कोटि प्रकटरूचियुतं चारूवीरासनस्थं।
मौंजीयज्ञोपवीतारूण रूचिर शिखा शोभितं कुंडलांकम्‌
भक्तानामिष्टदं तं प्रणतमुनिजनं वेदनाद प्रमोदं।
ध्यायेद्नित्यं विधेयं प्लवगकुलपति गोष्पदी भूतवारिम॥

भावार्थ:- उदय होते हुए करोड़ों सूर्यों के समान तेजस्वी, मनोरम वीर तथा आसन में स्थित मुंज की मेखला और यज्ञोपवीत धारण किए हुए कुंडली से शोभित मुनियों द्वारा बारम्बार वंदित, वेद नाद से प्रहर्षित वानर कुल स्वामी, समुद्र को एक पैर में लांघने वाले देवता स्वरूप, भक्तों को अभीष्ट फल देने वाले श्री रामभक्त हनुमान जी मेरी रक्षा करें।

इस प्रकार हनुमान जी का ध्यान कर लेने के पश्चात श्री राम दरबार का ध्यान मन में करते हुए पूर्ण श्रद्धा तथा आस्था रखकर मंत्रों में विश्वास करते हुए श्रद्धा सहित मंत्र का जाप आरम्भ करना चाहिए | मंत्र इस प्रकार है:-


In Hindi:-
ॐ ह्राँ ह्रीं ह्रैं हनुमते श्री रामदूताय नमो नमः
ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ||
In English:-
Ohm Hram Hrim Hraim Hanumate Shree Ramdutay Namo Namah:
Ohm Namo Bhagawate Aanjneyay Mahabalay Swaha ||
इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार अवश्य ही करना चाहिए तथा संभव हो सके तो प्रतिदिन संध्या कल में 21 बार इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य कि सारी चिंताओ तथा पीडाओ को हनुमान जी हर लेते है तथा मानसिक तथा शारीरिक शांति प्रदान करते है।

Mantra For Strength and Power, Hanuman Mantras,


Share:

आपसी प्रेम और भाईचारा प्रेरक प्रसंग



बहुत पुरानी कथा है। किसी गांव में दो भाई रहते थे।बडे की शादी हो गई थी। उसके दो बच्चे भी थे। लेकिन छोटा भाई अभी कुंवारा था। दोनों साझा खेती करते थे।
एक बार उनके खेत में गेहूं की फसल पककर तैयार हो गई। दोनों ने मिलकर फसल काटी और गेहूं तैयार किया।
इसके बाद दोनों ने आधा-आधा गेहूं बांट लिया। अब उन्हें ढोकर घर ले जाना बचा था । रात हो गई थी, इसलिए यह काम अगले दिन ही हो पाता। रात में दोनों को फसल की रखवाली के लिए खलिहान पर ही रुकना था। दोनों को भूख भी लगी थी।
दोनों ने बारी-बारी से खाने की सोची। पहले बड़ा भाई खाना खाने घर चला गया। छोटा भाई खलिहान पर ही रुक गया। वह सोचने लगा- भैया की शादी हो गई है, उनका परिवार है, इसलिए उन्हें ज्यादा अनाज की जरूरत होगी।
यह सोचकर उसने अपने ढेर से कई टोकरी गेहूं निकालकर बड़े भाई वाले ढेर में मिला दिया। बड़ा भाई थोड़ी देर में खाना खाकर लौटा। उसके बाद छोटा भाई खाना खाने घर चला गया। बड़ा भाई सोचने लगा - मेरा तो परिवार है, बच्चे हैं, वे मेरा ध्यान रख सकते हैं, लेकिन मेरा छोटा भाई तो एकदम अकेला है, इसे देखने वाला कोई नहीं है। इसे मुझसे ज्यादा गेहूं की जरूरत है। उसने अपने ढेर से उठाकर कई टोकरी गेहूं छोटे भाई वाले गेहूं के ढेर में मिला दिया।
इस तरह दोनों के गेहूं की कुल मात्रा में कोई कमी नहीं आई। हां, दोनों के आपसी प्रेम और भाईचारे में थोड़ी और वृद्धि जरूर हो गई।


Share:

सूक्ति महाभारत से



कुर्वतो नार्थसिद्धिर्मे भवतीति ह भारत।
निर्वेदो नात्र कर्तव्यो द्वावन्यौ ह्रत्र कारणम्।। - वेदव्यास (महाभारत,वनपर्व, 32/50)

हे भारत! पुरुषार्थ करने पर भी यदि सिद्धि न प्राप्त हो तो खिन्न नहीं होना चाहिए, क्योंकि फल-सिद्धि में पुरुषार्थ के अतिरिक्त भी प्रारब्ध तथा ईश्वर कृपा दो अन्य कारण हैं।


Share:

महाकुंभ भगदड़ - मृतकों व घायलों की सूची



इलाहाबाद जंक्शन और कुम्भ मेले में भगदड़ निश्चित रूप से प्रदेश और केंद्र सरकार की विफलता को दर्शाता है, स्टेशन पर 6.50 पर घटना हुई किन्तु SRN अस्पताल में पहला शव/घायल रात 11.15 पर पंहुचा.. बेहद विचलित कर देने वाली SRN अस्पताल ये तस्वीरे है जहाँ संघ के स्वयंसेवकों ने प्रथम राहत कार्य किया, संघ के स्वयंसेवकों ने विभिन्न शहर के अस्पतालों व घटना स्थल पर रहत कार्य में सवेदना के साथ राहत कार्य में सहयोग किया.. विभाग प्रचारक मनोज जी, जिला प्रचारक आलोक जी, देवेन्द्र प्रताप सिंह , चिंतामणि जी, नागेन्द्र जी और अनेको स्वयंसेवकों सहित मैं SRN में थे, बेली और रेलवे अस्पताल में भी अपनी स्वयंसेवकों की टीम अन्य अधिकारियो के साथ काम कर रही थी

अगर आपके परिजन इलाहाबाद में है और उनका फ़ोन नहीं लग रहा हो तो घबराने की जरूरत नहीं है, यहाँ भारी जनसमुदाय होने के कारण संचार प्रणाली टीक काम नहीं कर रही है..

मृतक :-
1. उर्मिला देवी (70), पत्‍‌नी छोटे लाल, रामबाग, बक्सर 
2. बिपताबाई (60), पत्‍‌नी देवप्रसाद मझौली, जबलपुर
3. नत्थूलाल द्विवेदी (72), पिता दिवंगत श्रीराम द्विवेदी, आशा नगर, हरदोई 
4. संध्या शुक्ला (46), पत्‍‌नी राजेश कुमार, चकेरी, कानपुर
5. कामताबाई (65), पत्‍‌नी गोपीनाथ, औरंगाबाद, महाराष्ट्र
6. रामकला श्रीवास्तव, पुत्र गंगा प्रसाद, मेहंदीनगर, प्रतापगढ़
7. रामसुती, भिंड, मध्य प्रदेश 
8. शिवकुमारी, आरा, बिहार
9. आशा देवी, आरा, बिहार 
10. चौथी लाल मीणा (46), पुत्र सुखराम
11. बबिता (35)
12. शिवकुमार देवी (45), पत्‍‌नी रमेशचंद्र, कृष्णगढ़, आरा, बिहार
13. इंद्रा सना देवी पत्नी गुप्तेश्वर राय, चंदवा बिहार
 
 घायल :-
1. प्रवीण (25), सोनीपत, हरियाणा
2. राम निवास (45), सोनीपत, हरियाणा
3. पार्वर्ती (45), धनबाद, झारखंड
4. शेष बहादुर (32), सोन बिहार, दिल्ली
5. सुमित्रा (60), बिगर, कर्नाटक
6. छोटे लाल यादव (60), बक्सर, बिहार
7. मुनीश देवी (40), मॉडल टाउन, दिल्ली
8. राजेश गुप्ता (22), दिल्ली
9. शगुनबाई (35), बड़गांव
10. ज्योति (18), बड़गांव
11. देवकी यादव (55), झारखंड
12. बिल्लो (35), जौनपुर, उप्र
13. कृष्णादेवी (40), बक्सर, बिहार
14. कमलेश मिश्रा (40), नवादा, बिहार
15. शकुंतला (35)
16. सत्यम भावना (30)
17. शेष बहादुर (55)
18. शाहबहादुर (45), इटावा, उप्र
19. लक्ष्मी अवस्थी (35), फतेहपुर, उप्र
20. बिट्टन (55) सतना, मध्य प्रदेश
21. प्रवीण कुमार (40), सोनीपत, हरियाणा
22. सरस्वती (30), छिंदवाड़ा, छत्तीसगढ़
23. राजीव गुप्ता (50), फरीदाबाद, हरियाणा
24. राधिका देवी (40), मेहरौली, दिल्ली
25. शाकराबाई (40)
26. सनंत कुमार, मिश्र पुत्र राजकुमार मिश्र, विध्ववासिनी अकबरपुर बांदा, उप्र
27. लक्ष्मीकांत विमल (36), पुत्र कृष्णकांत विमल, लोहना मधुबनी, बिहार
28. रंजना झा (35), पत्‍‌नी नागेंद्र झा, कटवरिया, दिल्ली
29. सविता झा (42), पत्‍‌नी मणेश्वर झा, दिल्ली
30. बिट्ट (55), पत्‍‌नी सालिगराम सिविल लाइंस, सतना, मध्य प्रदेश
31. शुकनबाई (35), पत्‍‌नी मुनीश बड़ागांव रीठी, कटनी, मध्य प्रदेश
32. ज्योति (12), पुत्री मुनीश बड़ागांव रीठी कटनी, मध्य प्रदेश


Share:

भाग्य और कर्मफल - बोधकथा



एक गरीब किसान था। एक साल तक उसके खेतों में अच्छी फसल नहीं हुई, तो वह अपने बूढ़े माता-पिता के साथ जंगल चला गया। जंगल में इन तीनों को प्यास लगी। और ये लोग एक साधु की कुटिया में पहुंचे। वहां इन लोगों ने पानी पीने के बाद अपनी आपबीती भी उस फकीर को सुनायी। इसके बाद फकीर ने इन लोगों के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। किन्तु ईश्वर ने साधू से कहा इन लोगों के भाग्य में ही कष्ट है। परन्तु साधु काफी दयालु था, उसने फिर ईश्वर से प्रार्थना की। इसके बाद ईश्वर ने कहा, ठीक है तुम नहीं मानते हो, तो इन तीनों की एक-एक इच्छा पूरी की जाएगी। फकीर से यह बात पता चलते ही ये तीनों घर वापस जाने लगे। रास्ते में बूढ़ी को शंका हुई कि कहीं यह साधू हम तीनों को मूर्ख तो नहीं बना रहा है। अत: उसने ईश्वर से मांग की कि "मुझे इतिहास प्रसिद्ध सुन्दरी जुलेखा जैसी बना दो।' उसकी मांग पूरी हुई और वह एक सुन्दर युवती बन गई। उसी समय वहां एक राजकुमार आया। उस युवती ने राजकुमार से कहा, "मुझे इन दोनों से बचा लो। ये लोग मुझे जबरदस्ती ले जा रहे हैं।' राजकुमार यह चाहता भी था। अत: उसने तुरन्त उसे अपने घोड़े पर बैठा लिया और वहां से चल दिया। बूढ़े को युवती (पूर्व में बुढ़िया) की इस झूठी बात पर गुस्सा आया। अत: उसने भी ईश्वर से मांग की कि "भगवान! उस युवती को शूकरी बना दो।' उसकी मांग भी पूरी हुई और युवती शूकरी बन गई। शूकरी बनते ही राजकुमार ने उसे रास्ते में गिरा दिया। फिर वह अपने पति और बेटे के पास लौट आयी। काफी विनती करने पर उसके बेटे ने ईश्वर से प्रार्थना की कि "इसे मेरी मां की तरह बना दो।' इस तरह वह शूकरी फिर बुढ़िया ही बन गई।


Share:

कौमार्य की शुद्धता खो रहे हैं भारतीय



विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार अशोक सिंघल ने कहा कि भारत में कौमार्य संरक्षित रखा जाता था। लेकिन अब तो इसकी शुद्धता भंग हो गयी है और हम इसे खो रहे हैं। ‘भारत’ नहीं ‘इंडिया’ में बलात्कार की घटनाएं होने संबंधी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान के एक दिन बाद शनिवार को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने बलात्कार और महिलाओं से छेड़छाड़ की वारदात में इजाफे के लिए ‘पश्चिमी मॉडल’ को जिम्मेदार करार दिया और कहा कि शहरों के नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है। विहिप के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार अशोक सिंघल ने रहन-सहन के पश्चिमी तरीके को ‘‘खतरनाक’’ करार दिया और कहा कि यह संस्कृति अमेरिका से इस देश में आयी है। पश्चिमी मॉडल खतरनाक देश में बलात्कार की घटनाओं में हो रही बढ़ोत्तरी के बारे में कहा कि यह पश्चिमी मॉडल खतरनाक है। दरअसल हो यह रहा है कि हम अमेरिका की नकल कर रहे हैं। हमने अपने शहरों के मूल्यों को खो दिया है।
VHP supremo Ashok Singhal
लिव-इन रिश्तों की जीवनशैली को गलत करार देते हुए सिंघल ने कहा कि यह न केवल हमारी संस्कृति के खिलाफ है बल्कि यह कभी हमारी संस्कृति का हिस्सा भी नहीं रही है। कौमार्य की ‘शुद्धता’ भंग सिंघल ने दावा किया कि अंग्रेजों के आने से पहले भारतवासी एक ‘शुद्ध’ जीवन जीते थे। उन्होंने कौमार्य की ‘शुद्धता’ को ‘ब्रह्मचर्य’ करार दिया और कहा कि यह अपवित्र हुई है। उन्होंने कहा कि कौमार्य संरक्षित रखा जाता था। लेकिन अब तो इसकी शुद्धता भंग हो गयी है. हम इसे खो रहे है।


Share:

Aasan Shuddhi Mantra or Purification Of Worship Seat



आसन शुद्धि मंत्र
किसी भी तरह की पूजा स्तुति और शुभारंभ से पहले जिस आसन पर आप विराजमान होना चाहते है उस पर बैठने से पहले नीचे दिए गए इस मंत्र से आसन को शुद्ध का लेना चाहिए तथा पूजन करने के लिए आसन का शुद्ध होना अति आवश्यक है।

आसन शुद्धि:- आसन अर्थात वह स्थान जहाँ से आप परम पिता परमेश्वर के आराधना करते है, अतएव आसन का शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है। पूजा करने के आसन को शास्त्रों में उच्च स्थान का दर्जा प्राप्त है क्योंकि यही आसन परमेश्वर से मनुष्य के जुडाव का हेतु है। अत: इस सेतु अर्थात आसन की शुद्धि होना अति आवश्यक है।


Kusha Aashan
आसन शुद्धि मंत्र इस प्रकार से है :-

Mantra in Hindi:-
ऊँ पृथ्वीत्वया धृता लोकादेवि त्वं विष्णुना धृता,
त्वं च धारय मां देवि पवित्र कुरु चासनम् ||

Mantra in English:-
Ohm Prithvitvaya Dhrita Lokadevi Tvam Vishnuna Dhrita,
Tvam Cha Dharay Maam Devi Pavitra Kuru Chasanam ||

आसन शुद्धि करने हेतु इस मंत्र को बोलते समय जल से आसन पर जल के छीटें देवें। इस प्रकार से आसन कि शुद्धि होती है तथा आसन शुद्धि से ही पूजा तथा जप कि पवित्रता बढती है तथा उच्च विचारों का आवागमन होता है और शांति तथा ध्यान कि प्राप्ति होती है। यह शुद्धि आसन के साथ साथ आपके विचारों तथा मन के विचारणीय वेग को आध्यात्मिकता कि ओर अग्रसर कर जीवन को निर्मल कर देती है। अत: कभी भी पूजन अथवा स्तुति करते समय बिना शुद्धि किये आसन पर नहीं बैठना चाहिए।

Shuddhikaran Mantras, Devotion Mantras


Share:

जानिये पैन कार्ड के बारे में



परमानेंट अकाउंट नम्बर कार्ड (PAN) आयकर विभाग द्वारा निर्गत 10 अंकों के अल्फा न्युमेरिक नम्बर युक्त एक फोटो पहचान पत्र है, जिसमें प्रत्येक कार्डधारी के लिए आवंटित की जाती है। आयकर के समुचित प्रबंधन के साथ साथ पैन टैक्स की चोरी और ब्लैकमनी पर नियंत्रण लगाने के लिए सबसे असरदार हथियार साबित हुआ है। इसका इसका विधयिक नियन्त्र भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा किया जाता है और आयकर रिटर्न फ़ाइल करते समय पैन नंबर का उल्लेख करना आवश्यक होता है। इसके अलावे, पैन का उपयोग बैंक में खाता खुलवाने, पासपोर्ट बनवाने, ट्रेन में ई-टिकट के साथ यात्रा करते समय पहचान पत्र के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
नया पैन कार्ड (PAN card) बनवाने जा रहे लोगों के लिए अच्‍छी और बड़ी खबर है कि अब पैनकार्ड के लिए 15 से 20 दिनों का इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। अब मात्र 3 से 4 दिनों के भीतर आवेदनकर्ता को पैनकार्ड मिल जाएगा। इसके लिए पैन नंबर को आधार कार्ड से जोड़ा जा रहा है। जिसके चलते अब पैन कार्ड के लिए एप्‍लाई करने वाले व्‍यक्ति की जानकारी आधार कार्ड के जरिए तुरंत वैरिफाई कर ली जाएगी। अभी पैन कार्ड बनवाने में 15 से 20 दिन का समय लगता है। अब एनएसडीएल और यूटीआईएसएल की वेबसाइट पर पैन नंबर के लिए आवेदन देने पर उसे आधार नंबर के जरिए वेरिफाई किया जा सकेगा। ऐसा करने से समय की बचत होगी और आवेदकों को उनका पैन नंबर जल्द से जल्द मिल सकेगा।
Permanent Account Number
(Know About <abbr title="Permanent Account Number">PAN</abbr> Card)

पैन का उपयोग इन कार्यों के लिए अनिवार्य रूप से किया जाता है:
  1. आयकर (आईटी) रिटर्न दाखिल करने के लिए,
  2. शेयरों की खरीद-बिक्री हेतु डीमैट खाता खुलवाने के लिए,
  3. एक बैंक खाता से दूसरे बैंक खाता में 50,000 रुपये या उससे अधिक की राशि निकालने अथवा जमा करने अथवा हस्तांतरित करने पर,
  4. टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) जमा करने व वापस पाने के लिए।
  5. अगर किसी की सालाना आमदनी टैक्सेबल है तो उसे पैन लेना अनिवार्य है। ऐसे लोग अगर एम्प्लॉयर को पैन उपलब्ध नहीं कराते हैं तो एम्प्लॉयर उनका स्लैब रेट या 20 फीसदी में से जो ज्यादा है, उस दर से टीडीएस काट सकता है।
  6. आय यदि कर योग्य (टैक्सेबल) नहीं है, तो पैन लेना अनिवार्य नहीं है। फिर भी बैंकिंग और दूसरी तरह के फाइनैंशल ट्रांजैक्शन के मामलों (जैसे : बैंक अकाउंट खोलना, प्रॉपर्टी बेचना-खरीदना, इनवेस्टमेंट करना आदि) में पैन की जरूरत होती है, इसलिए पैन सभी को ले लेना चाहिए।
  7. अब म्यूचुअल फंड के सभी निवेशकों को अपने पैन (परमानेंट एकाउंट नंबर) का ब्योरा अनिवार्य तौर पर देना होगा, भले ही निवेश का आकार कितना ही बड़ा या छोटा हो।
  8. पैन कार्ड के लिए कौन आवेदन कर सकता है
  9. पत्येक भारतीय नागरिक पैन कार्ड के लिए आवेदन कर सकता है। कोई भी व्यक्ति, फर्म या संयुक्त उपक्रम पैन कार्ड के लिए आवेदन कर सकता है।
  10. आवेदक का किसी नौकरी, व्यवसाय या कारोबार से संलग्न रहना आवश्यक नही है
  11. इसके लिए कोई न्यूनतम अथवा अधिकतम उम्र सीमा नहीं है। आयु, लिंग, शिक्षा, निवास स्थान पैन कार्ड आवेदन के लिए बाधक नहीं है।
  12. बालको और नवजात बच्चों के लिए भी पैन कार्ड बनवाया जा सकता है।
  13. पैन कार्ड आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज और औपचारिकताये
  14. अच्छी गुणवत्ता वाली पासपोर्ट आकार की दो रंगीन फोटो
  15. शुल्क के रूप में 94 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट या चेक
  16. व्यक्तिगत पहचान के प्रमाण की छायाप्रति
  17. आवासीय पता के प्रमाण की छायाप्रति
पैन कार्ड के लिए व्यक्तिगत पहचान व आवासीय पता पहचान दोनों सूची में से अलग-अलग दो दस्तावेज जमा करना होता है दोनों की सूची अलग से संलग्न है
  1. व्यक्तिगत पहचान के लिए प्रमाण
  2. विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र
  3. मैट्रिक का प्रमाणपत्र
  4. मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान की डिग्री
  5. डिपोजिटरी खाता विवरण
  6. क्रेडिट कार्ड का विवरण
  7. बैंक खाते का विवरण/ बैंक पासबुक
  8. पानी का बिल
  9. राशन कार्ड
  10. संपत्ति कर मूल्यांकन आदेश
  11. पासपोर्ट
  12. मतदाता पहचान पत्र
  13. ड्राइविंग लाइसेंस
  14. सांसद अथवा विधायक अथवा नगरपालिका पार्षद अथवा राजपत्रित अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित पहचान प्रमाण पत्र।
आवासीय पता के प्रमाण के लिए
  1. बिजली बिल
  2. टेलीफोन बिल
  3. डिपोजिटरी खाता विवरण
  4. क्रेडिट कार्ड का विवरण
  5. बैंक खाता विवरण/ बैंक पास बुक
  6. घर किराये की रसीद
  7. नियोक्ता का प्रमाणपत्र
  8. पासपोर्ट
  9. मतदाता पहचान पत्र
  10. संपत्ति कर मूल्यांकन आदेश
  11. ड्राइविंग लाइसेंस
  12. राशन कार्ड
  13. सांसद अथवा विधायक अथवा नगरपालिका पार्षद अथवा राजपत्रित अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित पहचान प्रमाण पत्र।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि यदि आवासीय पता के प्रमाण के लिए क्रम संख्या 1 से 7 तक में उल्लिखित दस्तावेज का उपयोग जा रहा हो, तो वह जमा करने की तिथि से छः माह से अधिक पुराना नहीं होनी चाहिए।

पैन कार्ड के लिए शुल्क व भुगतान की प्रक्रिया

  1. पैन आवेदन के लिए शुल्क 94 रुपये है (85.00 रुपये + 10.3% सेवा शुल्क)
  2. शुल्क का भुगतान डिमांड ड्राफ्ट, चेक अथवा क्रेडिट कार्ड द्वारा किया जा सकता है,
  3. डिमांड ड्राफ्ट या चेक NSDL- PAN के नाम से बना हों,
  4. डिमांड ड्राफ्ट मुम्बई में भुगतेय होनी चाहिए और डिमांड ड्राफ्ट के पीछे आवेदक का नाम तथा पावती संख्या लिखा होना चाहिए,
  5. चेक द्वारा शुल्क का भुगतान करनेवाले आवेदक देशभर में एचडीएफसी बैंक के किसी भी शाखा (दहेज को छोड़कर) पर भुगतान कर सकते हैं। आवेदक को जमा पर्ची पर NSDLPAN का उल्लेख करनी चाहिए।


Share:

मनुस्मृति वर्णित विवाह



मनुस्मृति वर्णित विवाह
वि’ उपसर्ग पूर्वक ‘वह्’ प्रापणे धातु से घ प्रत्यय के योग से विवाह शब्द निष्पन्न होता है। विवाह अर्थात् विशिष्ट ढंग से कन्या को ले जाना। विवाह-संबंधी शब्द परिणय या परिणयन (अग्नि की प्रदक्षिणा करना) एवं पाणिग्रहण कन्या का हाथ पकड़ना) विवाह सम्बन्धी शब्द है यद्यपि ये शब्द विवाह संस्कार का केवल एक-एक तत्व बताते हैं। संस्कार शब्द पहले स्पष्ट किया जा चुका है विवाह संस्कार अर्थात् वर व वधू के शरीर व आत्मा को सुविचारों से अलंकृत कर इस योग्य बनाना कि वो गृहस्थाश्रम का निर्वहण कर सकें। आज विवाह संस्कार एक संस्कार न होकर परम्परा का निर्वहण मात्र रह गया है। इस संस्कार की मर्यादा आज छिन्न-भिन्न हो गयी है परिणामतः गृहस्थ जीवन में स्वर्ग जैसा सुख अब दिखाई नहीं पड़ता। गृह्यसूत्रों, धर्मसूत्रों एवं स्मृतियों के काल से ही विवाह आठ प्रकार के कहे गये हैं-

ब्राह्मो दैवस्तथैवार्षः प्राजापत्यस्तथाऽसुरः।
गान्धर्वोराक्षश्चैव पैशाचश्चाष्टमोऽधमः।। मनुस्मृति 3/21 
अर्थात् ब्राह्म, दैव, आर्ष, प्राजापत्य, आसुर, गन्धर्व, राक्षस, पैशाच ये विवाह आठ प्रकार के होते हैं।

महर्षि मनु द्वारा वर्णित विवाह पद्धतियां इस प्रकार हैं-
चतुर्णामपि वर्णानां प्रेत्य चेह हिताहितान।
अश्ताविमान्स मासेन सत्रीविवाहान्निबोधत ।।
चारों वर्णों के लिए हित तथा अहित करने वाले इन आठ प्रकार के स्त्रियों से होने वाले विवाहो को संक्षेप से जानो, सुनो

ब्राह्म अथवा स्वयंवर विवाह 
आच्छाद्य चार्चयित्वा च श्रुतिशीलवते स्वयं
आहूय दानं कन्याया ब्राह्मो धर्म: प्रकीर्तित: 
कन्या के योग्य सुशील, विद्वान पुरुष का सत्कार करके कन्या को वस्त्रादि से अलंकृत करके उत्तम पुरुष को बुला अर्थात जिसको कन्या ने प्रसन्न भी किया हो उसको कन्या देना - वह 'ब्राह्म' विवाह कहलाता है।
दैव विवाह
यज्ञे तु वितते सम्यगृत्विजे कर्म कुर्वते
अलं कृत्य सुतादानं दैवं धर्मं प्रचक्षते 
विस्तृत यज्ञ में बड़े बड़े विद्वानों का वरण कर उसमे कर्म करने वाले विद्वान् को वस्त्र आभूषण आदि से कन्या को सुशोभित करके देना 'दैव विवाह' कहा जाता है। विशेष टिप्पणी - ऋत्विक शब्द का अर्थ प्रसंग के अनुकूल किया जाता है और यहाँ प्रसंग के अनुसार विवाह के लिए आए सभी विद्वानों से है न कि केवल ब्राह्मणों के लिए


आर्ष विवाह
एकं गोमिथुनं द्वे वा वरादादाय धर्मत:
कन्या प्रदानं विधिवदार्षो धर्म: स उच्यते 
जो वर से धर्म अनुसार एक गाय बैल का जोड़ा अथवा दो जोड़े लेकर विधि अनुसार कन्या का दान करना है वह आर्ष विवाह कहा जाता है।

प्राजापत्य विवाह सहोभौ चरतां धर्ममिति वाचानुभाष्य च
कन्याप्रदानमभ्यचर्य प्राजापत्यो विधि: स्मृत: 
कन्या और वर को, यज्ञशाला में विधि करके सब के सामने 'तुम दोनों मिलके गृहाश्रम के कर्मों को यथावत करो', ऐसा कहकर दोनों की प्रसन्नता पूर्वक पाणिग्रहण होना - वह प्राजापत्य विवाह होता है।

आसुर विवाह 
ज्ञातिभ्यो द्रविणं दत्त्वा कन्यायै चैव शक्तितः।
कन्याप्रदानं स्वाच्छन्द्यासुरो धर्म उच्यते ।। 
वर की जाति वालों और कन्या को यथाशक्ति धन दे कर अपनी इच्छा से अर्थात वर अथवा कन्या की प्रसन्नता और इच्छा की उपेक्षा कर ,के होम आदि विधि कर कन्या देना 'आसुर विवाह' कहलाता है।

गान्धर्व विवाह 
इच्छयाअन्योन्यसन्योग: कन्यायाश्च यरस्य च।
गान्धर्व: स तू विज्ञेयी मैथुन्य: कामसंभव: ।।
वर और कन्या की इच्छा से दोनों का संयोग होना और अपने मन में यह मान लेना कि हम दोनों स्त्री पुरुष हैं, ऐसा काम से उत्पन्न विवाह 'गान्धर्व विवाह कहलाता है।

राक्षस विवाह हत्वा छित्त्वा च भित्त्वा च क्रोशन्तीं रुदतीं गृहात।
प्रसह्य कन्याहरणं राक्षसो विधिरुच्यते।। 
हनन छेदन अर्थात कन्या के रोकने वालों का विदारण कर के, रोती, कांपती और भयभीत कन्या का घर से बलात अपहरण करके विवाह करना राक्षस विवाह कहा जाता है।

पिशाच विवाह 
सुप्तां मत्तां प्रमत्तां वा रहो यत्रोपगच्छति ।
स पापिष्ठो विवाहानां पैशाचश्चाष्टमोअधम: ।। 
जो सोती, पागल हुई अथवा नशे में उन्मत्त हुई कन्या को एकांत पाकर दूषित कर देना है, यह सब विवाहों में नीच से नीच विवाह 'पिशाच विवाह' कहा जाता है।

प्रथम चार विवाह उत्तम हैं
ब्राह्मादिषु विवाहेषु च्तुष् र्वेवानुपूर्वशः।
ब्रह्मवर्चस्विनः पुत्रा जायन्ते शिष्टसंमता ॥ 
ब्रह्म, दैव, आर्ष तथा प्राजापत्य ; इन चार विवाहों में पाणिग्रहण किए हुए स्त्री पुरुषों से जो सन्तान उत्पन्न होती है वह वेदादि विद्या से तेजस्वी, आप्त पुरुषों के संगति से अत्युत्त्म होती है।

रूपसत्तवोवुणोपेता धनवन्तो यशस्विनः।
पर्याप्तभोगा धर्मिष्ठा जीवन्ति च शतं समाः॥ 
वे सन्तानें सुन्दर रूप, बल - पराक्रम, शुद्ध बुद्धि आदि उत्तम गुणों से युक्त, बहुधन युक्त, कीर्तिमान और पूर्ण भोग के भोक्ता धर्मात्मा हो कर सौ वर्ष तक जीते हैं।

अन्य चार विवाह अधम अथवा निंदनीय हैं
इतरेषु तु शिष्टेषु नृशंसानृतवादिनः।
जायन्ते दुर्विवाहेषु ब्रह्मधर्मद्विषः सुताः॥ 
उपरोक्त चार विवाहो से इतर जो अन्य चार - असुर, गंधर्व, राक्षस और पैशाच विवाह हैं, इन चार दुष्ट विवाहो से उत्पन्न हुए संतान निन्दित कर्म कर्ता, मिथ्यावादी, वेद धर्म के द्वेषी अत्यंत नीच स्वभाव वाले होते हैं।


Share:

॥ श्री राम चालीसा ॥ (in Hindi Script)






श्री रघुवीर भक्त हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई । ता सम भक्त और नहिं होई ।।

ध्यान धरे शिवजी मन माहीं । ब्रहृ इन्द्र पार नहिं पाहीं ।।
दूत तुम्हार वीर हनुमाना । जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना ।।

तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला । रावण मारि सुरन प्रतिपाला ।।
तुम अनाथ के नाथ गुंसाई । दीनन के हो सदा सहाई ।।

ब्रहादिक तव पारन पावैं । सदा ईश तुम्हरो यश गावैं ।।
चारिउ वेद भरत हैं साखी । तुम भक्तन की लज्जा राखीं ।।

गुण गावत शारद मन माहीं । सुरपति ताको पार न पाहीं ।।
नाम तुम्हार लेत जो कोई । ता सम धन्य और नहिं होई ।।

राम नाम है अपरम्पारा । चारिहु वेदन जाहि पुकारा ।।
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो । तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो ।।

शेष रटत नित नाम तुम्हारा । महि को भार शीश पर धारा ।।
फूल समान रहत सो भारा । पाव न कोऊ तुम्हरो पारा ।।

भरत नाम तुम्हरो उर धारो । तासों कबहुं न रण में हारो ।।
नाम शक्षुहन हृदय प्रकाशा । सुमिरत होत शत्रु कर नाशा ।।

लखन तुम्हारे आज्ञाकारी । सदा करत सन्तन रखवारी ।।
ताते रण जीते नहिं कोई । युद्घ जुरे यमहूं किन होई ।।

महालक्ष्मी धर अवतारा । सब विधि करत पाप को छारा ।।
सीता राम पुनीता गायो । भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो ।।

घट सों प्रकट भई सो आई । जाको देखत चन्द्र लजाई ।।
सो तुमरे नित पांव पलोटत । नवो निद्घि चरणन में लोटत ।।

सिद्घि अठारह मंगलकारी । सो तुम पर जावै बलिहारी ।।
औरहु जो अनेक प्रभुताई । सो सीतापति तुमहिं बनाई ।।

इच्छा ते कोटिन संसारा । रचत न लागत पल की बारा ।।
जो तुम्हे चरणन चित लावै । ताकी मुक्ति अवसि हो जावै ।।

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरुपा । नर्गुण ब्रहृ अखण्ड अनूपा ।।
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी । सत्य सनातन अन्तर्यामी ।।

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै । सो निश्चय चारों फल पावै ।।
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं । तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं ।।

सुनहु राम तुम तात हमारे । तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे ।।
तुमहिं देव कुल देव हमारे । तुम गुरु देव प्राण के प्यारे ।।

जो कुछ हो सो तुम ही राजा । जय जय जय प्रभु राखो लाजा ।।
राम आत्मा पोषण हारे । जय जय दशरथ राज दुलारे ।।

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरुपा । नमो नमो जय जगपति भूपा ।।
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा । नाम तुम्हार हरत संतापा ।।

सत्य शुद्घ देवन मुख गाया । बजी दुन्दुभी शंख बजाया ।।
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन । तुम ही हो हमरे तन मन धन ।।

याको पाठ करे जो कोई । ज्ञान प्रकट ताके उर होई ।।
आवागमन मिटै तिहि केरा । सत्य वचन माने शिर मेरा ।।

और आस मन में जो होई । मनवांछित फल पावे सोई ।।
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै । तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै ।।

साग पत्र सो भोग लगावै । सो नर सकल सिद्घता पावै ।।
अन्त समय रघुबरपुर जाई । जहां जन्म हरि भक्त कहाई ।।

श्री हरिदास कहै अरु गावै । सो बैकुण्ठ धाम को पावै ।।

।। दोहा ।।
सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय । हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय ।।
राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय । जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्घ हो जाय ।।





Share:

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं ।



Shri Raam -Balak Raam with his mother
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं ।
नवकंज-लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि नवनील-नीरद सुन्दर ।
पटपीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं ॥

भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंश-निकन्दनं ।
रघुनन्दन आनन्द कंद कौशलचन्द दशरथ्-नन्दनं ॥
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणं ।
आजानु-भुज-शर-चाप-धर- संग्राम जित-खरदूषणं ॥

इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजन ।
मम हृदय-कंज निवास कुरु कामादि खलदल-गंजन ॥
मनु हाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर साँवरो ।
करुणा निधाअन सुजान सील सनेह जानत रावरो ॥

एहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हियँ हरषी अली ।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली ॥


Share:

उच्च न्यायालय न्यायाधीश का स्थानान्तरण अवधि तक बहिष्कार



उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं के उत्पीड़न व हत्या के विरोध में उ० प्र० बार कौंसिल के द्वारा आहूत कि गयी हड़ताल के दौरान इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश सुनील अम्बानी द्वारा विरुद्ध कोर्ट रूम में अधिवक्ताओं के विरुद्ध अपशब्दों का उपयोग किया गया.. जिसके खिलाफ़ हाई कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा निम्न प्रस्ताव पारित किया गया.
  • न्यायाधीश सुनील अम्बानी की अदालत का उनके स्थानान्तरण अवधि तक बहिष्कार किया जायेगा.
  • न्यायाधीश सुनील अम्बानी के खिलाफ़ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही किया जायेगा.
  • उनकी सम्पत्ति की सीबीआई जाँच हो.
  • उनके परिवार के सदस्यों की सम्पत्ति की सीबीआई जाँच हो.
किसी न्यायाधीश द्वारा अधिवक्ताओं अपमान करना अनुचित व विधि विरूद्ध है, यह प्रस्ताव खुले मंच पर सर्व सम्मति से अधिवक्ताओं द्वारा पारित किया..


Share:

करवा चौथ (Karwa Chauth)



करवा चौथ की पौराणिक कथा के अनुसार एक समय की बात है, जब नीलगिरी पर्वत पर पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने गए। तब किसी कारणवश उन्हें वहीं रूकना पड़ा। उन्हीं दिनों पांडवों पर गहरा संकट आ पड़ा। तब चिंतित व शोकाकुल द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान किया तथा कृष्ण के दर्शन होने पर पांडवों के कष्टों के निवारण हेतु उपाय पूछा।
करवा चौथ (Karwa Chauth)

तब कृष्ण बोले- हे द्रौपदी! मैं तुम्हारी चिंता एवं संकट का कारण जानता हूं। उसके लिए तुम्हें एक उपाय करना होगा। जल्दी ही कार्तिक माह की कृष्ण चतुर्थी आने वाली है, उस दिन तुम पूरे मन से करवा चौथ का व्रत रखना। भगवान शिव, गणेश एवं पार्वती की उपासना करना, तुम्हारे सारे कष्ट दूर हो जाएंगे तथा सब कुछ ठीक हो जाएगा।
कृष्ण की आज्ञा का पालन कर द्रोपदी ने वैसा ही करवा चौथ का व्रत किया। तब उसे शीघ्र ही अपने पति के दर्शन हुए और उसकी सारी चिंताएं दूर हो गईं।
जब मां पार्वती द्वारा भगवान शिव से पति की दीर्घायु एवं सुख-संपत्ति की कामना की विधि पूछी तब शिव ने 'करवा चौथ व्रत’ रखने की कथा सुनाई थी। करवा चौथ का व्रत करने के लिए श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को निम्न कथा का उल्लेख किया था।
पुराणों के अनुसार करवा नाम की एक पतिव्रता धोबिन अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित गांव में रहती थी। उसका पति बूढ़ा और निर्बल था। एक दिन जब वह नदी के किनारे कपड़े धो रहा था तभी अचानक एक मगरमच्छ वहां आया, और धोबी के पैर अपने दांतों में दबाकर यमलोक की ओर ले जाने लगा। वृद्ध पति यह देख घबराया और जब उससे कुछ कहते नहीं बना तो वह करवा..! करवा..! कहकर अपनी पत्नी को पुकारने लगा।
पति की पुकार सुनकर धोबिन करवा वहां पहुंची, तो मगरमच्छ उसके पति को यमलोक पहुंचाने ही वाला था। तब करवा ने मगर को कच्चे धागे से बांध दिया और मगरमच्छ को लेकर यमराज के द्वार पहुंची। उसने यमराज से अपने पति की रक्षा करने की गुहार लगाई और साथ ही यह भी कहा कि मगरमच्छ को उसके इस कार्य के लिए कठिन से कठिन दंड देने का आग्रह किया और बोली- हे भगवन्! मगरमच्छ ने मेरे पति के पैर पकड़ लिए है। आप मगरमच्छ को इस अपराध के दंड-स्वरूप नरक भेज दें।
करवा की पुकार सुन यमराज ने कहा- अभी मगर की आयु शेष है, मैं उसे अभी यमलोक नहीं भेज सकता। इस पर करवा ने कहा- अगर आपने मेरे पति को बचाने में मेरी सहायता नहीं कि तो मैं आपको श्राप दूंगी और नष्ट कर दूँगी।
करवा का साहस देख यमराज भी डर गए और मगर को यमपुरी भेज दिया। साथ ही करवा के पति को दीर्घायु होने का वरदान दिया। तब से कार्तिक कृष्ण की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत का प्रचलन में आया। जिसे इस आधुनिक युग में भी महिलाएं अपने पूरे भक्ति भाव के साथ करती है और भगवान से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।


Share:

अध्धयन के लिए दिशा विचार



पढ़ाई की दिशा उत्तर-पूर्व


वर्तमान युग प्रतियोगिता का है यहाँ छोटी से छोटी कक्षा से लेकर बड़े से बड़े व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में कड़ी प्रतिस्पर्धा है। पढ़ाई और मेहनत तो सभी करते हैं लेकिन पढ़ाई में यदि हम उचित दिशा का ज्ञान भी शामिल कर लें तो बेहतर परिणाम मिल सकते हैं पर बच्चों को पढ़ाई के लिए बैठते समय हम इस महत्वपूर्ण बात को भूल ही जाते हैं कि उसे किस दिशा की ओर मुँह कर के पढ़ने बैठाना है। साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पढ़ाई का स्थान कहाँ होना चाहिए जिससे पढ़ाई सुचारु रुप से व निर्विघ्न संपन्न हो और परीक्षा में उत्तम से उत्तम परिणाम आए।
जो युवक-युवतियाँ पश्चिम की ओर मुँह कर के पढ़ते हैं, देखा गया है कि उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता। यदि वे पढ़ते भी हैं तो उत्तम परिणाम नहीं मिल पाते। पश्चिम दिशा ढलती हुई शाम की तरह चेतना में सुस्तपन को विकसित करती है। दक्षिण दिशा भी पढ़ाई हेतु उपयुक्त नहीं रहती, क्योंकि यह दिशा हमेशा निराशा का संचार कराती है। मन बेचैन रहता है, पढ़ने में भी मन नहीं लगता। परिणाम तो वे लोग भलीभाँति जानते होंगे जो दक्षिण ओर मुँह करके पढ़ते हैं।
उचित प्रकाश में ठंडे पानी से हाथ-मुंह धो कर जहाँ तक हो सके खुशबूदार अगरबत्ती लगाकर उत्तर की ओर मुंह करके पढ़ने से एक तो पढ़ाई के क्षेत्र में उन्नति होती है वहीं पढ़ा हुआ भी याद रहता है। और फिर परिणाम तो उत्तम ही रहेंगे। यदि सदा ही पूर्व दिशा की ओर मुँह करके पढ़ाई की जाए तो सदैव उत्तम परिणाम के साथ-साथ आगे बढ़ने के अवसर भी आते हैं।
पूर्व दिशा से ही नई चेतना व स्फूर्ति का संचार होता है और सूर्योदय इसी दिशा में होने के कारण सूर्य की तरह उन्नति पाने के योग बनते हैं। साथ ही उत्तर दिशा शीतलता भी प्रदान करती है और हम जानते ही हैं कि पढ़ाई के लिए दिमाग ठंडा होना आवश्यक है। जब मन स्थिर होगा तो पढ़ाई में अच्छी तरह से ध्यान केंद्रित होगा। इस प्रकार हम अध्ययन के लिए बैठक व्यवस्था उत्तर-पूर्व की ओर रखें तो निश्चित ही उत्तम परिणाम पाएँगे और हमारी मेहनत भी रंग लाएगी।


Share:

श्री जगन्नाथ जी की आरती




आरती श्री जगन्नाथ मंगलकारी,
परसत चरणारविन्द आपदा हरी।
निरखत मुखारविंद आपदा हरी,
कंचन धूप ध्यान ज्योति जगमगी।
अग्नि कुण्डल घृत पाव सथरी। आरती..
देवन द्वारे ठाड़े रोहिणी खड़ी,
मारकण्डे श्वेत गंगा आन करी।
गरुड़ खम्भ सिंह पौर यात्री जुड़ी,
यात्री की भीड़ बहुत बेंत की छड़ी। आरती ..
धन्य-धन्य सूर श्याम आज की घड़ी। आरती ..




Share: