बढ़ते बच्चों का दैनिक आहार (The Daily Diet of Growing Children)



सही खुराक व खेलकूद बच्चों की ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी है। आजकल बच्चों को न तो संतुलित आहार ही मिल रहा है और न ही खेलने-कूदने का पर्याप्त समय ही, जिससे उनका शारीरिक व मानसिक विकास किसी न किसी रूप में अवश्य ही प्रभावित होता है।
A Healthy Approach to Your Child's Diet...
बढ़ती उम्र में संतुलित भोजन की अधिक आवश्यकता होती है। क्योंकि लड़कों में 50 प्रतिशत मांसपेशियां व लड़कियों में इस उम्र में चर्बी जमा होती है। संतुलित आहार मोटापे, हाई ब्लडप्रेशर, दिल के रोग, शुगर, हड्डियों की कमजोरी, एनीमिया व विटामिन की कमी आदि से बचाता है।
भोजन की मात्रा कार्य के आधार पर होनी चाहिए। अगर थोड़ा काम करके पूरी खुराक या ज्यादा खुराक बच्चा लेगा तो वह मोटा हो जायेगा। अंदर जाने वाली कैलोरीज व कार्य के रूप में बाहर आने वाली कैलोरीज समान होनी चाहिए।
 Secrets of the benefits of the fruit on health
संतुलित भोजन में 50 प्रतिशत सलाद, सब्जियां व फल होने चाहिए। 25 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट जैसे रोटी, चावल, व 25 प्रतिशत प्रोटीन जैसे दाल, दूध, पनीर आदि होना चाहिए। भोजन में अधिक फाइबर होने चाहिए व सॉफ्ट ड्रिंक को भोजन में कोई जगह न दें।
पौष्टिक और संतुलित भोजन
  • कार्बोहाइड्रेट:- कार्बोहाइड्रेट भोजन में सबसे अधिक होता है व ऊर्जा के सर्वाधिक होता हैं  फल, सब्जियां, मक्का, गेहूं, चावल। बच्चों के भोजन में इन खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
  • वसा:- वसा एसैंशियल फैटी एसिड का खजाना होता है। अनसैच्युरेटिड फैट बच्चों को दें जैसे सरसों का तेल, मूंगफली का तेल, सोयाबीन का तेल आदि। सैच्युरेटिड़ फैट से कोलेस्ट्रोल बढ़ता है।
  • प्रोटीन:- बढ़ते बच्चों को प्रोटीन प्रतिदिन देना चाहिए, जैसे दालें, फलियां, सोयाबीन, पनीर, दूध, दही आदि डेयरी प्रोडक्ट्स इसके प्रमुख होता हैं।
  • आयरन:- आयरन की कमी बढ़ती उम्र में एनीमिया की वजह बन सकती है। आयरन हरी पत्तेवाली सब्जियों, अनाज, फलियों, ड्राई प्रूफड्स आदि से प्राप्त होता है। इनका सेवन बच्चों को पर्याप्त मात्रा में कराएं।
  • कैल्सियम:- हड्डियों की ग्रोथ बढ़ती उम्र में होती है। इस समय एक दिन में 1300 मिग्रा. कैल्सियम की आवश्यकता होती है, पर खाने में कैल्सियम की मात्रा इतनी नहीं होती है और कोल्ड ड्रिंक्स तथा कॉफ़ी ज्यादा पीने से कैल्सियम की और कमी हो जाती है। कैल्सियम दूध, पनीर, दही, केला व डेयरी उत्पाद से प्राप्त होता है।
  • जिंक:- जिंक बढ़ते बच्चों की ग्रोथ के लिए बहुत आवश्यक है। दालें, पनीर, दूध आदि से आसानी से इसे प्राप्त किया जा सकता है। बच्चों के भोजन में इन चींजों को शामिल करें।

नाश्ता जरूर दें:- नाश्ते का जीवन में सर्वाधिक महत्व है। यह दिमाग के लिए जरूरी है। नाश्ता करने से चुस्ती-पफुर्ती बनी रहती है और शरीर मोटा नहीं होता है। नाश्ता न करने से मोटापा घटने के बजाय और बढ़ जाता है। नाश्ता हल्का और पौष्टिक दें।
  • नाश्ते में पफास्ट फ़ूड को शामिल न करें। इनमें कैलोरीज अधिक होती हैं और फाइबर्स न के बराबर होते हैं। इन्हें खाने से मोटापा, उच्च रक्तचाप, दिल के रोग और मधुमेह की बीमारी आदि हो सकती है। सॉफ्ट ड्रिंक्स से दांत खराब होते हैं और हड्डियां भी कमजोर होती हैं। इनमें मिले केमिकल अन्य रोग भी पैदा करते हैं।
  • फ्रूट्स चाट, अंकुरित दालों की चाट, ड्राई फ्रूट्स की चाट बनाकर बच्चों को नाश्ते में दे सकते हैं।
  • कम फैट व कम ऊर्जा वाली चीजें ही बच्चों को नाश्ते में दें।
  • बच्चों को टी. वी. अधिक देर तक न देखने दें क्योंकि वे बैठे-बैठे जंक फ़ूड खाते व कोल्ड ड्रिक्स पीते हैं। और ऊर्जा का व्यय नहीं हो पाता है। अगर टी. वी. देखना है तो खेलना-कूदना भी जरूरी है। प्रतिदिन 30 से 40 मिनट तक शारीरिक श्रम के रूप में बच्चों को खेलने-कूदने दें और पसीना आने दें। पसीना आना बहुत जरूरी है। इससे शरीर निरोग हो जाता है और बच्चों की नींद भी गहरी आती है और नींद अच्छी आने से बच्चों का पाचन संस्थान ही नहीं बल्कि शारीरिक व मानसिक विकास भी समुचित रूप से होता है। खुराक व श्रम के संतुलन से ही बढ़ती उम्र के बच्चे स्वस्थ रहते हैं।
महत्वपूर्ण लेख 


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घुटनों के दर्द - गठिया का आयुर्वेदिक इलाज



आपके घुटनो में कैसा भी दर्द हो इसे मात्र सात दिनों में दूर करने की अचूक घरेलु औषधि मौजूद है। आज के समय में घुटनो का दर्द उम्र बढ़ने के साथ साथ बढ़ता रहता है और कई बार घुटनो में दर्द चोट लगने की वजह से या फिर गठिया रोग के होने की वजह से भी होता है। लेकिन कई लोग ये कहते है की घुटनो की ग्रीस ख़त्म हो गए इसलिए हमें दर्द हो रहा है या फिर यूरिक एसिड का शरीर में जयादा बढ़ जाना भी इसकी दर्द की वजह है। कई बार तो घुटनो का दर्द इतना जयादा बढ़ जाता है की वो सहन भी नहीं होता है और व्यक्ति का बुरा हाल हो जाता है। व्‍यायाम करने से हम इस दर्द से कुछ हद तक मुक्त हो सकते है क्योकि इससे एक तो घुटनो की जकड़न खत्‍म हो जाती है और दूसरे घुटनो की गति को आसान कर देती है जिससे दर्द भी कम हो जाता है।
घुटनों के दर्द - गठिया का आयुर्वेदिक इलाज
जब हमारे घुटने सही काम नहीं करते तो हमें चलने फिरने आदि में दिक्कत हो जाती है और घुटनो को मोड़ने और सीधे करने में भी बहुत दिक्‍कत होती है। घुटनो पर लालिमा व सूजन बनी रहती है। इस कारण से घुटनो को मोड़ते समय चटकने व टूटने जैसी आवाज आने लगती है। जिससे घुटने में दर्द होता है उन पैरो में झुनझुनी होने लगती है। आर्युवेद मे घुटनो में होने वाले दर्द से बचने के लिएअनेक अचूक उपाय मौजूद है। जिससे आपके घुटनो के दर्द को कम ही नहीं करता बलिकी आपके दर्द को जड़ से ख़त्म कर देता है। तो आइये जानते है वो कौन सा उपाय है। इसके लिए जो सामान चाहिए वो बहुत ही आसानी से आपकी किचन में मिल जायेगा : एक छोटा चम्मच हल्दी जोकि एक एंटीसेप्टिक व एंटीबायोटिक का काम करती है, एक चम्मच शहद और चुटकी भर चुना इन तीनो सामान मात्रा को आपस में अच्छे से मिला कर थोड़ा सा पानी डालकर पेस्ट जैसा बना लेना है। आप इस सामान को थोड़ा ज्‍यादा भी ले सकते अगर आपके घुटने पर ये कम पड़ रहा हो। अब इस पेस्ट को अपने घुटनो पर हल्‍के हल्‍के दस मिनट तक मालिश करना है और ये उपाय आपके रात को सोते समय करना है। अब जब आप मालिश कर ले तो इस पर कोई सूती कपडा या फिर बैंडेज बांधकर सो जाये और सुबह गुनगुने पानी से घुटने को धो दे। इस उपाय से आपका दर्द कहला जायेगा और ये उपाय आपको लगातार सात दिनों तक करना है और आपका दर्द कैसा भी हो जड़ से ख़तम हो जायेगा। आपको कुछ बातो का ध्‍यान रखना है जैसे वसा युक्त व प्रोटीनयुक्त खाना खाने से परहेज करे। जैसे-
  1. आलू, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, लाल मिर्च, अत्‍यधिक नमक, बैगन आदि न खाये।
  2. घुटनो की गर्म व बर्फ के पैड्स से सिकाई करे।
  3. घुटनो के निचे तकिया रखे।
  4. वजन कम रखे इसे बढ़ने न दे।
  5. ज्‍यादा लम्बे समय तक खड़े न रहे।
  6. आराम करे दर्द बढ़ाने वाली गति विधिया न करे इससे आपका दर्द और बढता जायेगा और आप इसे सहन नहीं कर पाएंगे।
  7. सुबह खली पेट तीन से चार अखरोट खाये, विटामिन इ युक्त खाना खाये धुप सेके।
इन बातो को ध्‍यान रखने के साथ साथ इस उपाय को करे तो आपके घुटनो का दर्द जड़ से ख़त्म हो जायेग।

गठिया रोग के लक्षण और उसका सरल घरेलू उपचार Gathiya Bai Ka Ayuvedic Upchar
गठिया को आयुर्वेद में संधि शोथ यानि "जोड़ों में दर्द" नाम दिया कहा जाता है। आधुनिक चिकित्सा के अनुसार खून में यूरिक एसिड की अधिक मात्रा होने से गठिया रोग होता है। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है गठिया की समस्या भी बढ़ती चली जाती है। आज कल हमारी दिनचर्या हमारे खान-पान से गठिया का रोग 45 -50 वर्ष के बाद बहुत से लोगो में पाया जा रहा है। गठिया में हमारे शरीर के जोडों में दर्द होता है, गठिया के पीछे यूरिक एसीड की बड़ी भूमिका रहती है। 
गठिया के प्रकार - संधिशोथ दो प्रकार के होते हैं :
  1. तीव्र संक्रामक संधिशोथ - किसी भी तीव्र संक्रमण के समय यह शोथ हो सकता है।
  2. जीर्ण संक्रामक (chronic invective) संधिशोथ - यह शोथ प्राय: शरीर के अनेक अंगों पर होता है। पाइरिया, जीर्ण उंडुक शोथ, जीर्ण पित्ताशय शोथ, जीर्ण वायुकोटर शोथ, जीर्ण टांसिल शोथ, जीर्ण ग्रसनी शोथ (pharyngitis) इत्यादि।

घुटनों के दर्द को ठीक करने के आसान घरेलू उपाय
घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज घुटने के दर्द के लिए राज का रामबाण इलाज़

घुटनों के दर्द का कारण
  1. मानव शरीर में पैर जितने ही महत्त्वपूर्ण हैं, उतने ही उनके बीच में बने घुटने। इन्ही से पैरों को मुड़ने की क्षमता मिलती है और घुटनों में कई कारणों से दर्द होने लग जाता है। शरीर के जोड़ों में सूजन उत्पन्न होने पर गठिया होता है या कहे कि जब जोड़ों में उपास्थि (कोमल हड्डी) भंग हो जाती है। शरीर के जोड़ ऐसे स्थल होते हैं जहां दो या दो से अधिक हड्डियाँ एकदूसरे से मिलती हैं जैसे कि कूल्हे या घुटने। उपास्थि जोड़ों में गद्दे की तरह होती है जो दबाव से उनकी रक्षा करती है और क्रियाकलाप को सहज बनाती है। जब किसी जोड़ में उपास्थि भंग हो जाती है तो आपकी हड्डियाँ एक दूसरे के साथ रगड़ खातीं हैं, इससे दर्द, सूजन और ऐंठन उत्पन्न होती है।
  2. सबसे सामान्य तरह का गठिया हड्डी का गठिया होता है। इस तरह के गठिया में, लंबे समय से उपयोग में लाए जाने अथवा व्यक्ति की उम्र बढ़ने की स्थिति में जोड़ घिस जाते हैं जोड़ पर चोट लग जाने से भी इस प्रकार का गठिया हो जाता है। हड्डी का गठिया अक्सर घुटनों, कूल्हों और हाथों में होता है। जोड़ों में दर्द और स्थूलता शुरू हो जाती है। समय-समय पर जोड़ों के आसपास के ऊतकों में तनाव होता है और उससे दर्द बढ़ता है।
  3. गठिया उस समय भी हो सकता है जब प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली, जो आमतौर से शरीर को संक्रमण से बचाती है, शरीर के ऊतकों पर वार कर देती है। इस प्रकार की गठिया में रियुमेटायड गठिया सबसे सामान्य गठिया होता है। इससे जोड़ों में लाली आ जाती है और दर्द होता है और शरीर के दूसरे अंग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं, जैसे कि हृदय, पेशियाँ, रक्त वाहिकाएँ, तंत्रिकाएं और आँखें।
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गठिया क्या होता है?
गठिया एक लंबे समय तक चलने वाली जोड़ों की स्थिति होती है जिससे आमतौर पर शरीर के भार को वहन करने वाले जोड़ जैसे घुटने, कूल्हे, रीढ़ की हड्डी तथा पैर प्रभावित होते हैं। इसके कारण जोड़ों में काफी अधिक दर्द, अकड़न होती है और जोड़ों की गतिविधि सीमित हो जाती है। समय के साथ साथ गठिया बदतर होता चला जाता है। यदि इसका उपचार नहीं किया जाता है, तो घुटनों के गठिया से व्यक्ति का जीवन काफी अधिक प्रभावित हो सकता है। गठिया से पीडि़त व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की गतिविधियां करने में समर्थ नहीं हो पाते और यहां तक कि चलने-फिरने जैसा सरल काम भी मुश्किल लगता है। इस प्रकार के मामलों में, क्षतिग्रस्त घुटने को बदलने के लिए डॉक्टर सर्जरी कराने के लिए कह सकता है।

क्यों होता है गठिया
अनहेल्दी फूड, एक्सरसाइज की कमी और बढ़ते वजन की वजह से घुटनों का दर्द भारत जैसे देशों में एक बड़ी समस्या का रूप लेता जा रहा है। 40-45 की उम्र में ही घुटनों में दिक्कतें आने लगी हैं। सर्वेक्षण कहते हैं कि दुनिया में करीब 40 प्रतिशत लोग घुटनों में दर्द से परेशान हैं। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से भी जूझ रहे हैं। इनमें से 80 फीसदी अपने घुटनों को आसानी से मोड़ तक नहीं सकते। घुटनों की खराबी के शिकार 25 फीसदी लोग अपने रोजमर्रा के कामों को भी आसानी से नहीं कर पाते हैं। भारत में यह समस्या काफी गंभीर है। घुटनों का दर्द काफी हद तक लाइफ स्टाइल की देन है। यदि लाइफ स्टाइल और खानपान को हेल्दी नहीं बनाया तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। घुटने पूरे शरीर का बोझ सहन करते हैं। इन्हें बचाने का तरीका हेल्दी लाइफ स्टाइल, एक्सरसाइज और हैल्दी खानपान है। खाने में कैल्शियम वाला भोजन सही मात्रा में लें, सब्जियाँ जरूर खायें, फैट और चीनी से परहेज करें और मोटापे का पास भी न फटकने दें।

क्या वजन कम करने से गठिया में लाभ मिलता है?
  1. घुटनो के गठिया से पीडि़त व्यक्ति के लिए निर्धारित वजन से अधिक वजन होना या मोटापा घुटनों के जोड़ों के लिए हानिकारक हो सकता है। अतिरिक्त वजन से जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, मांसपेशियों तथा उसके आसपास की कण्डराओं (टेन्डन्स) में खिंचाव होता है तथा इसके कार्टिलेज में टूट-फूट द्वारा यह स्थिति तेजी से बदतर होती चली जाती है। इसके अलावा, इससे दर्द बढ़ता है जिसके कारण प्रभावित व्यक्ति एक सक्रिय तथा स्वतंत्र जीवन जीने में असमर्थ हो जाता है।
  2. यह देखा गया है कि मोटे लोगों में वजन बढ़ने के साथ साथ जोड़ों (विशेष रूपसे वजन को वहन करने वाले जोड़) का गठिया विकसित करने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि मोटे लोगों को या तो अपने वजन को नियंत्रित करने अथवा उसे कम करने केलिए उचित कदम उठाने चाहिए।
  3. गठिया से पीडि़त मोटापे/अधिक वजन से पीडि़त लोगों में वजन में 1 पाउंड (0.45 किलोग्राम) की कमी से, घुटने पर पड़ने वाले वजन में 4 गुणा कमी होती है। इस प्रकार वजन में कमी करने से जोड़ पर खिंचाव को कम करने, पीड़ा को हरने तथा गठिया की स्थिति के आगे बढ़ने में देरी करने में सहायता मिलती है।
गठिया रोग में रामबाण है अदरक का
हम सब अदरक के गुणों का कई सालों से भरपूर फयदा उठाते आ रहे है। अदरक बहुत सारी बीमारियों से हमारी रक्षा करता है और बहुत सारी शारीरिक समस्‍याओं मेरामबाण की तरह काम करता है। यह हम भली भांति जानते है, अदरक से गठिया रोग को जड़ से खत्म किया जा सकता है। अदरक के इस पानी से मसाज करने से रक्‍त प्रवाह (blood circulation) में भी सुधार आता है। गठिया जैसे जटिल रोगों को जड़ से खत्म करने के लिए अदरक के दो प्रयोग है-
  1. पहले ½ चम्मच अदरक ले और इसको पीस लें और अब इसमे 150 ml गर्म पानी डाल कर अच्छी तरह से मिक्स कर लें और ठंडा होने के बाद इस मिश्रण का सेवन करें। दिन में दो बार लगातार 1 महीने तक इस मिश्रण का सेवन करें इससे इस रोग आपको बहुत अधिक लाभ होगा और आराम की साँस ले पाएंगे।
  2. 30-40 ग्राम सूखा हुआ अदरक ले और अब इसको कपड़े में लपेट कर थैली बना लें अब गर्म पानी ले और इस अदरक की थैली को गर्म पानी में 5 मिनटों तक रखें। इस प्रयोग को करने से पहले ध्यान रखे के पानी गर्म हो। अब इस मिश्रण में सूती कपड़ा भीगों लें और निचोड़ कर कपड़े को प्रभावित जगह पर लगा कर रखें। इस कपड़े को गर्म रखने के लिए उपर से किसी सूखे कपड़े से कवर कर लें। 5 मिनटों के बाद इस कपड़े को फिर से भीगों कर प्रभावित जगेह पर लगा कर रखें इस प्रकिया को 3 बार रिपीट करें ऐसा करने से इस रोग में लाभ होगा।

गठिया रोग के लक्षण
घुटनों के दर्द के निम्नलिखित कारण हैं-
  1. आर्थराइटिस- लूपस जैसा- रीयूमेटाइड, आस्टियोआर्थराइटिस और गाउट सहित अथवा संबंधित ऊतक विकार
  2. बरसाइटिस- घुटने पर बार-बार दबाव से सूजन (जैसे लंबे समय के लिए घुटने के बल बैठना, घुटने का अधिक उपयोग करना अथवा घुटने में चोट)
  3. टेन्टीनाइटिस- आपके घुटने में सामने की ओर दर्द जो सीढ़ियों अथवा चढ़ाव पर चढ़ते और उतरते समय बढ़ जाता है। यह धावकों, स्कॉयर और साइकिल चलाने वालों को होता है।
  4. बेकर्स सिस्ट- घुटने के पीछे पानी से भरा सूजन जिसके साथ आर्थराइटिस जैसे अन्य कारणों से सूजन भी हो सकती है। यदि सिस्ट फट जाती है तो आपके घुटने के पीछे का दर्द नीचे आपकी पिंडली तक जा सकता है।
  5. घिसा हुआ कार्टिलेज (उपास्थि)(मेनिस्कस टियर)- घुटने के जोड़ के अंदर की ओर अथवा बाहर की ओर दर्द पैदा कर सकता है।
  6. घिसा हुआ लिगमेंट (ए सी एल टियर)- घुटने में दर्द और अस्थायित्व उत्पन्न कर सकता है।
  7. झटका लगना अथवा मोच- अचानक अथवा अप्राकृतिक ढंग से मुड़ जाने के कारण लिगमेंट में मामूली चोट
  8. जानुफलक (नीकैप) का विस्थापन
  9. जोड़ में संक्रमण
  10. घुटने की चोट- आपके घुटने में रक्त स्राव हो सकता है जिससे दर्द अधिक होता है
  11. श्रोणि विकार- दर्द उत्पन्न कर सकता है जो घुटने में महसूस होता है। उदाहरण के लिए इलियोटिबियल बैंड सिंड्रोम एक ऐसी चोट है जो आपके श्रोणि से आपके घुटने के बाहर तक जाती है।
  12. अधिक वजन होना, कब्ज होना, खाना जल्दी-जल्दी खाने की आदत, फास्ट-फ़ूड का अधिक सेवन, तली हुई चीजें खाना, कम मात्रा में पानी पीना, शरीर में कैल्सियम की कमी होना।
गठिया/घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज
  1. किसी चोट का दर्द हो या घुटने का दर्द आप इस दर्द निवारक हल्दी के पेस्ट को बनाकर अपनी चोट के स्थान पर या घुटनों के दर्द के स्थान पर लगाइए इससे बहुत जल्दी आराम मिलता है। दर्द निवारक हल्दी का पेस्ट कैसे बनाएं इसके लिए आप सबसे पहले एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर लें और एक चम्मच पिसी हुई चीनी और इसमें आप बूरा या शहद मिला लें, और एक चुटकी चूना मिला दें और थोड़ा सा पानी डाल कर इसका पेस्ट जैसा बना लें। इस लेप को बनाने के बाद अपने चम्मच के स्थान पर यार जो घुटना का दर्द करता है उस स्थान पर स्लिप को लगा ले और ऊपर से किराए बैंडेज या कोई पुराना सूती कपड़ा बांध दें और इसको रातभर लगा रहने दें और सुबह सादा पानी से इसको धो ले इस तरह से लगभग 7:00 से लेकर 1 सप्ताह से लेकर 2 सप्ताह तक ऐसा करने से इसको लगाने से आपके घुटने की सूजन मांसपेशियों में खिंचाव अंदरुनी चोट होने वाले दर्द में बहुत जल्दी आराम मिलता है और यह पृष्ठ आप के दर्द को जड़ से खत्म कर देता है।
  2. सौंठ से बनी दर्द निवारक दवा सौंठ भी एक बहुत अच्छा दर्द निवारक दवा के रूप में फायदेमंद साबित हो सकता है, सौंठ से दर्दनिवारक दवा बनाने के लिए एक आप एक छोटा चम्मच सौंठ का पाउडर व थोड़ा आवश्यकतानुसार तिल का तेल इन दोनों को मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट जैसा बना ले। दर्द या मोच के स्थान पर या चोट के दर्द में आप इस दर्द निवारक सौंठ के पेस्ट को हल्के हल्के प्रभावित स्थान पर लगाएं और इसको दो से 3 घंटे तक लगा रहने दें इसके बाद इसे पानी से धो लें ऐसा करने से 1 सप्ताह में आपको घुटने के दर्द में पूरा आराम मिल जाता है और अगर मांसपेशियों में भी खिंचाव महसूस होता है तो वह भी जाता रहता है।
  3. सर्दियों के मौसम में रोजाना 5-6 खजूर खाना बहुत ही लाभदायक होता है, खजूर का सेवन आप इस तरह भी कर सकते हैं रात के समय 6-7 खजूर पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट इन खजूर को खा ले और साथ ही वह पानी भी पी ले जिनको जिसमें आपने रात में खजूर भिगोए थे. यह घुटनों के दर्द के अलावा आपके जोड़ों के दर्द में भी आराम दिलाता है।
घुटनों के दर्द - गठिया का आयुर्वेदिक इलाज 
गठिया के रोग में अचूक आयुर्वेदिक घरेलू एवं सामान्य उपचार
  1. खाने के एक ग्रास को कम से कम 32 बार चबाकर खाएं। इस साधरण से प्रतीत होने वाले प्रयोग से कुछ ही दिनों में घुटनों में साइनोबियल फ्रलूड बनने लग जाती है।
  2. पूरे दिन भर में कम से कम 12 गिलास तक पानी अवश्य पिए। ध्यान दीजिए, कम मात्रा में पानी पीने से भी घुटनों में दर्द बढ़ जाता है।
  3. भोजन के साथ अंकुरित मेथी का सेवन करें।
  4. बीस ग्राम ग्वारपाठे अर्थात् एलोवेरा के ताजा गूदे को खूब चबा-चबाकर खाएं साथ में 1-2 काली मिर्च एवं थोड़ा सा काला नमक तथा ऊपर से पानी पी लें। यह प्रयेाग खाली पेट करें। इस प्रयोग के द्वारा घुटनों में यदि साइनोबियल फ्रलूड भी कम हो गई हो तो बनने लग जाती है।
  5. चार कच्ची-भिंडी सवेरे पानी के साथ खाएं। दिन भर में तीन अखरोट अवश्य खाएं। इससे भी साइनोबियल फ्रलूड बनने लगती है। अनुभूत प्रयोग है।
  6. एक्यूप्रेशर-रिंग को दिन में तीन बार, तीन मिनट तक अनामिका एवं मध्यमा अंगुलि में एक्यूप्रेशर करें।
  7. प्रतिदिन कम से कम 2-3 किलोमीटर तक पैदल चलें।
  8. दिन में दस मिनट आंखें बंद कर, लेटकर घुटने के दर्द का ध्यान करें। नियमित रूप से अनुलोम-विलोम एवं कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करें। अनुलोम-विलोम धीरे-धीरे एवं कम से कम सौ बार अवश्य करें। इससे लाभ जल्दी होने लगता है।

मुद्रा-चिकित्सा
  1. तर्जनी अंगुलि (इंडेक्स-फिंगर)को अंगूठे के नीचे गद्दी पर लगाएं और अंगूठे से हल्का दबाएं। यह प्रयोग आध-आध घंटा दिन में दो बार करें।
  2. नाभि में अरंड के बीज को छीलकर लगाएं और प्लास्टिक की टेप से चिपका दें। दूसरे दिन नहाने से पहले हटा दें। यह प्रयोग नहाने के लगभग दो घंटे बाद करें।
  3. घुटनों में दर्द होना, साइनोबियल फ्रलूड खत्म होना इत्यादि रोगों से पीडि़तों को दूध नहीं पीना चाहिए, क्योंकि दूध में लैक्टिक-एसिड पाया जाता है, जो कि घुटनों में दर्द को बढ़ाता है। हाँ, दूध को ठंडा करके उसमें शहद, सोंठ मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। सौंठ से अभिप्राय ड्राई-जिंजर है।
  4. स्टेरॉयड के इंजेक्शन भूलकर भी नहीं लगाएं। इनके ढेरों साइड इफेक्ट होने के साथ साथ एक स्थिति ऐसी पैदा हो जाती है-‘‘मर्ज बढ़ता ही गया, ज्यूं-ज्यूं दवा की’’।

गठिया रोग के घरेलू उपचार
एलोवेरा 
त्रिफला जूस, एलोवेरा जूस, एलोवेरा गार्लिक जूस, इनमें से कोई एक रोग के लक्षणों के अनुसार सेवन करने से अवश्य ही रोग से मुक्ति मिल जाती है। पूर्ण धैर्य के साथ तीन-चार महीनों तक नियमित रूप से खाली पेट सेवन करना चाहिए।
 
आयुर्वेद के अनुसार सेवनीय अन्य औषधियां
अमृता सत्व, गोदंती भस्म, प्रवाल पिष्टी, स्वर्ण माक्षिक भस्म, महावत विध्वंसन रस, वृहद वातचितामणि रस, एकांगवीर रस, महायोगराज गुग्गुल, चंद्रप्रभावटी, पुनर्नवा मंडुर इत्यादि औषधियों का कुछ दिनों विशेषज्ञ के परामर्श से सेवन करने से बिना किसी साइडइपैफक्ट के ही आशातीत लाभ मिलता है।
 
सेवन करने से बचें
दही, लस्सी, अचार, दूध्, चाय तथा रात के समय हलका व सुपाच्य आहार लें। रात के समय चना, भिंडी, अरबी, आलू, खीरा, मूली, दही राजमा इत्यादि का सेवन भूलकर भी नहीं करें।

गठिया के दौरान क्या न करें/ गठिया रोग मे परहेज
  1. ऐसे जूतों का प्रयोग करने से बचिए जिनकी पीडि़त ऊंची हैं तथा बहुत ही कठोर हैं तथा सेण्डल पहनने से बचें इसके स्थान पर ऐसे जूतों का प्रयोग करें जिनकी एड़ी नीची है या जिनके फीते बांधे जा सकते हैं तथा जिनसे पैरों को उचित सहायता प्राप्त होती है।
  2. खड़ी ढ़लानों पर चलने तथा बहुत ही नर्म तथा असमान तल या जमीन पर चलने से बचें।
  3. सीढि़यां का प्रयोग करने से बचें जहां संभव हो वहां पर एलेवेटर का प्रयोग करें यदि आपको सीढि़यां का प्रयोग करना ही पड़ता है।
  4. तो एक बार में एक सीढ़ी चढ़ें तथा हैंड रेल को पकड़ कर चलिए।
  5. हमेशा स्वस्थ पैर को आगे रखें।
  6. भारी वस्तुओं को लेकर चलने से बचें भारी वस्तुओं से घुटनों पर अतिरिक्त तनाव या भार पड़ता है।
  7. कुर्सी के पीछे टांगों को मोड़ने से बचें, अपनी टांगों को आराम से फैलाएं तथा बार बार उनकी स्थिति को बदलते रहें।
  8. लंबे समय तक निरन्तर खड़े रहने से बचिए इसके बदले में हर घंटे के बाद एक ब्रेक लें।
  9. बिस्तर या कुर्सी से उठते समय प्रभावित घुटने पर दबाव डालने से बचिए। इसके अलावा उठने के लिए दोनो हाथों के साथ नीचे की ओर बल लगाते हुए उठिए।
  10. कम ऊंचाई वाली कुर्सियों पर बैठने से बचें ऐसी कुर्सियों को चुनें जिनकी सीट ऊंची हैं और उन पर आर्मरेस्ट लगी हुई हैं।
  11. घुटनों को मोड़ने से बचिए अनेक ऐसे कार्य जिनके लिए घुटनों को मोड़ने की जरूरत होती है, उन्हें कम ऊंचाई की कुर्सियों या स्टूल का प्रयोग करके किया जा सकता है।

आपके घुटनो में कैसा भी दर्द हो इसे मात्र सात दिनों में दूर करने की अचूक घरेलु औषधि मौजूद है। आज के समय में घुटनो का दर्द उम्र बढ़ने के साथ साथ बढ़ता रहता है और कई बार घुटनो में दर्द चोट लगने की वजह से या फिर गठिया रोग के होने की वजह से भी होता है। लेकिन कई लोग ये कहते है की घुटनो की ग्रीस ख़त्म हो गए इसलिए हमें दर्द हो रहा है या फिर यूरिक एसिड का शरीर में जयादा बढ़ जाना भी इसकी दर्द की वजह है। कई बार तो घुटनो का दर्द इतना जयादा बढ़ जाता है की वो सहन भी नहीं होता है और व्यक्ति का बुरा हाल हो जाता है। व्‍यायाम करने से हम इस दर्द से कुछ हद तक मुक्त हो सकते है क्योकि इससे एक तो घुटनो की जकड़न खत्‍म हो जाती है और दूसरे घुटनो की गति को आसान कर देती है जिससे दर्द भी कम हो जाता है।

जब हमारे घुटने सही काम नहीं करते तो हमें चलने फिरने आदि में दिक्कत हो जाती है और घुटनो को मोड़ने और सीधे करने में भी बहुत दिक्‍कत होती है। घुटनो पर लालिमा व सूजन बनी रहती है। इस कारण से घुटनो को मोड़ते समय चटकने व टूटने जैसी आवाज आने लगती है। जिससे घुटने में दर्द होता है उन पैरो में झुनझुनी होने लगती है। आर्युवेद मे घुटनो में होने वाले दर्द से बचने के लिएअनेक अचूक उपाय मौजूद है। जिससे आपके घुटनो के दर्द को कम ही नहीं करता बलिकी आपके दर्द को जड़ से ख़त्म कर देता है। तो आइये जानते है वो कौन सा उपाय है। इसके लिए जो सामान चाहिए वो बहुत ही आसानी से आपकी किचन में मिल जायेगा : एक छोटा चम्मच हल्दी जोकि एक एंटीसेप्टिक व एंटीबायोटिक का काम करती है, एक चम्मच शहद और चुटकी भर चुना इन तीनो सामान मात्रा को आपस में अच्छे से मिला कर थोड़ा सा पानी डालकर पेस्ट जैसा बना लेना है। आप इस सामान को थोड़ा ज्‍यादा भी ले सकते अगर आपके घुटने पर ये कम पड़ रहा हो। अब इस पेस्ट को अपने घुटनो पर हल्‍के हल्‍के दस मिनट तक मालिश करना है और ये उपाय आपके रात को सोते समय करना है। अब जब आप मालिश कर ले तो इस पर कोई सूती कपडा या फिर बैंडेज बांधकर सो जाये और सुबह गुनगुने पानी से घुटने को धो दे। इस उपाय से आपका दर्द कहला जायेगा और ये उपाय आपको लगातार सात दिनों तक करना है और आपका दर्द कैसा भी हो जड़ से ख़तम हो जायेगा।
अब आपको कुछ बातो का ध्‍यान रखना है जैसे वसा युक्त व प्रोटीनयुक्त खाना खाने से परहेज करे। आलू, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, लाल मिर्च, अत्‍यधिक नमक, बैगन आदि न खाये। घुटनो की गर्म व बर्फ के पैड्स से सिकाई करे। घुटनो के निचे तकिया रखे।वजन कम रखे इसे बढ़ने न दे। ज्‍यादा लम्बे समय तक खड़े न रहे। आराम करे दर्द बढ़ाने वाली गति विधिया न करे इससे आपका दर्द और बढता जायेगा और आप इसे सहन नहीं कर पाएंगे। सुबह खली पेट तीन से चार अखरोट खाये, विटामिन इ युक्त खाना खाये धुप सेके। इन बातो को धायण रखने के साथ साथ इस उपाय को करे तो आपके घुटनो का दर्द जड़ से ख़त्म हो जायेगा।

महत्वपूर्ण लेख
  1. बकुची - कुष्ठ रोग, दंत कृमि, श्वास, पीलिया एवं अर्श की रामबाण औषधि
  2. बढ़ते बच्चों का दैनिक आहार (The Daily Diet of Growing Children)
  3. उत्तम रोगनाशक रामबाण औषधि - रससिंदूर (Ras Sindoor)
  4. गुर्दे की पथरी का औषधीय चिकित्सा (Pharmacological Therapy of Kidney Stones)
  5. स्वप्नदोष रोकने का आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक इलाज
  6. हाथ और बाँह की सुन्दरता के लिए प्राकृतिक उपचार
  7. उच्च रक्तचाप के लिए घरेलू उपचार
  8. सतावर के प्रमुख औषधीय उपयोग
  9. रात्रि भोजन एवं शयन के मुख्य नियम
  10. मधुमेह नाशिनी जामुन के अन्य लाभ
  11. स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है बरगद, पीपल और गूलर
  12. जटिल समस्या के लिए अचूक औषधि है अलसी
  13. औषधीय गुणों से युक्त अदरक
  14. हिस्टीरिया (Hysteria) : कारण और निवारण
  15. जड़ी बूटी ब्राह्मी - एक औषधीय पौधा
  16. घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज

नोट - चिकित्सीय परामर्श अवश्य ले, यह केवल ज्ञान वर्धन के लिए है।



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उत्तम रोगनाशक रामबाण औषधि - रससिंदूर (Ras Sindoor)



रससिंदूर बहु उपयोगी एक सर्वश्रेष्ठ रसायन है, जो औषधि प्रयोग करने पर शारीरिक तथा मानसिक रोगों को दूर करे, जिससे शीघ्र आने वाला बुढ़ापा रुक जाए, जिससे बुद्धि का विकास हो, जो शारीरिक धातुओं की पुष्टि करें उसे रसायन औषधि कहते हैं, रसायन औषधियों में रससिंदूर एक प्रमुख औषधि है, अनेक रोगों में इसका प्रयोग किया जाता है जो अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है।
Baidyanath ras sindoor is more beneficial for sexual & general debility as well as asthma, urinary problems.
रससिंदूर शरीर के सभी रोगों को नष्ट करता है, मधुमेह के लिए यह चमत्कारिक औषधि है, प्रबल शूल को नष्ट करता है, कुछ दिनों तक रससिंदूर के सेवन से भगंदर- बवासीर का समूल नाश हो जाता है। किसी भी ज्वर के लिए यह संजीवनी का काम करता है, सभी प्रकार की सूजन की यह अचूक औषधि है। इसके सेवन से बुद्धि का विकास और शरीर में अत्यंत आनंद का अनुभव होता है।
Ras Sindur (Shadguna Jarit), Health and Medicine Dabur India Ltd.
रति शक्तिवर्धक रससिंदूर वीर्य विकारों को दूर करने वाला तथा कामोद्दीपक है। अनेक प्रकार की कामोद्दीपक औषधियां टॉनिक आदि सब रससिंदूर के आगे व्यर्थ हैं। यह गुल्म रोगहर (पेट में वायु का गोला) तथा रमण इच्छा को अत्यंत तीव्र करने वाला है। पांडुरोग, मोटापा, व्रण, शरीर की रूक्षता तथा अग्निमांद्य को दूर करता है। कुष्ठ रोगों को नाश करने वाला एवं रतिकला में चतुर स्त्री को प्रसन्नता प्रदान करने वाला है।
रससिंदूर वायु दोष शामक और उसे सम अवस्था में रखने वाली उत्तम औषधि है। इससे धमनियों में रक्त का संचार का काम सुचारू रूप से करती हैं, साथ ही वात नाड़ियों अपना काम सुचारू रूप से करती हैं, साथ ही वात नाड़ियां अपना काम विशेष दक्षता पूर्वक करती हैं। इससे रससिंदूर का सेवन करने वाले सदैव स्वस्थ और रोग रहित रहते हैं।
विविध रोगों में रससिंदूर का प्रयोग
  1. नये ज्वर में रससिंदूर को उचित मात्रा में लेकर फूल वाली तुलसी के पत्ते के रस के साथ अथवा अदरक के रस के साथ या पान के स्वरस के साथ प्रयोग करना चाहिए।
  2. पुराने ज्वर में रससिंदूर का प्रयोग करना हो तो गिलोय, पित्तपापड़ा तथा धनिया के चतुर्थांश अवशेष काढ़े के साथ देना चाहिए। 
  3. प्रमेह (मधुमेह) में रससिंदूर को गिलोय के स्वरस के साथ देना चाहिए। 
  4. प्रदर रोग में इसको अशोक, खरेंटी, लोध्र आदि ग्राही और शोथहर द्रव्यों के कषाय के साथ सेवन करना चाहिए। 
  5. रक्त प्रदर रोग में वसाकषाय अथवा लोध्र कषाय के साथ दिन में दो बार सेवन करने से तुरंत लाभकारी होता है। 
  6. पुराने प्रमेह में इसे वंग भस्म मिलाकर शहद के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से आराम मिलता है। 
  7. अपस्मार (हिस्टीरिया) में वचचूर्ण के साथ रससिंदूर का सेवन करना चाहिए। 
  8. उन्माद रोग में पेठे के स्वरस के साथ सेवन करना गुणकारी होता है। 
  9. मूर्च्छा रोग में रससिंदूर को एक रत्ती मात्रा में लेकर दो रत्ती पिप्पली चूर्ण मिलाकर शहद के साथ सेवन करें और रोगी को ठंडे जल से स्नान कराएं ऐसा करने से कुछ ही दिनों में इस रोग से छुटकारा मिल जाता है। 
  10. श्वास रोग में बहेड़ा क्वाथ अथवा अडूसा के स्वरस के साथ रससिंदूर का सेवन तुरंत लाभ पहुंचाता है। 
  11. कामला (पीलिया) रोग में रससिंदूर को दारूहल्दी क्वाथ के साथ सेवन करना चाहिए। 
  12. पांडुरोग में रससिंदूर को लौह भस्म के साथ सेवन करना चाहिए। 
  13. मूत्र विकारों में रससिंदूर को मिश्री, छोटी इलायची बीज के चूर्ण तथा शिलाजीत - प्रत्येक संभाग के साथ ठंडे दूध से सेवन करना चाहिए। 
  14. पेट दर्द होने पर रससिंदूर को त्रिफला क्वाथ के साथ सेवन करना चाहिए। 
  15. अजीर्ण होने पर रससिंदूर को मधु के साथ देना चाहिए। 
  16. वमन अधिक होने पर बड़ी इलायची के क्वाथ से अथवा मधु के साथ सेवन करना चाहिए। गुल्म में सौंफ और छोटी हरड़ के क्वाथ के साथ अजवाइन चूर्ण या विड लवण के साथ सेवन करने से लाभ होता है। 
  17. शरीर में सूजन होने पर रससिंदूर को पुनर्नवा क्वाथ के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। 
  18. गर्भाशय के रोगों में रससिंदूर में एक माशा काकोली चूर्ण मिलाकर इसे नारियल के तेल के साथ सेवन कराना चाहिए। 
  19. भगंदर रोग में रससिंदूर का सेवन आंवला, हरड़, बहेड़ा और वायविडंग क्वाथ के साथ प्रयोग करना चाहिए। 
  20. पुराने घावों में इसका सेवन कण्टकारी, सुगंधबाला, गिलोय तथा सोंठ के क्वाथ के साथ प्रयोग करना चाहिए। 
  21. पुराने गठिया रोग में रससिंदूर को गुडूची, मोथा, शतावरी, पिप्पली, हरड़, वच तथा सोंठ के कषाय के साथ सेवन अत्यंत गुणकारी होता है। 
  22. काम शक्ति (वाजीकरण) को बढ़ाने के लिए रससिंदूर का सेवन सेमल की कांपल, मूसली चूर्ण के साथ दुग्धानुपान से सेवन करना चाहिए। 
  23. धातु वृद्धि के लिए अभ्रक भस्म अथवा स्वर्ण भस्म के साथ रससिंदूर का सेवन करना उत्तम है। 
  24. स्वप्नदोष को दूर करने के लिए इसमें जायफल, लौंग, कपूर तथा अफीम का चूर्ण मिलाकर जल अथवा शीतल चीनी के कषाय अनुपान से सेवन करने से स्वप्नदोष से कुछ ही दिनों में छुटकारा मिल जाता है। 
  25. साइटिका के भयानक दर्द में लौह भस्म 20 ग्राम + रस सिंदूर 20 ग्राम + विषतिंदुक वटी 10 ग्राम + त्रिकटु चूर्ण 20 ग्राम, इन सबको अदरक के रस के साथ घोंटकर 250 मिलीग्राम के वजन की गोलियां बना लीजिए और दो-दो गोली दिन में तीन बार गर्म जल से लीजिए। 
  26. कमर दर्द में रससिंदूर को जवाखार और सुहागा मिलाकर प्रयोग करना चाहिए।
रससिंदूर की सेवन मात्रा - एक वर्ष की उम्र वाले बच्चों के लिए रससिंदूर की मात्रा रत्ती का सोलहवां हिस्सा, दो वर्ष की आयु वाले रोगी के लिए रत्ती का सातवां भाग, छह वर्ष की आयु वालों के लिए रससिंदूर की मात्रा रत्ती का तीसरा भाग होना चाहिये। बारह वर्ष की आयु वालों के लिए रससिंदूर की आधी रत्ती और इससे अधिक उम्र वालों के लिए एक रत्ती की मात्रा दी जानी चाहिए।

रससिंदूर प्रयोग से पूर्व कर्म - रससिंदूर सेवन करने से पूर्व रोगी को पंचकर्म द्वारा शुद्ध कर लें। पंचकर्म के बाद उचित समय तक पथ्य सेवन करायें और फिर पूर्ण सोच-विचार के साथ रससिंदूर का प्रयोग करके वर्तमान रोग को दूर करें। यदि रसायन सेवन करने वाला रोगी बालक हो अथवा कृश या क्षीण हो तो उसे पंचकर्म नहीं कराएं। लेकिन उसे समय के अनुसार युक्तिपूर्वक रेचन कराना चाहिए।
 
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गुर्दे की पथरी का औषधीय चिकित्सा (Pharmacological Therapy of Kidney Stones)



पथरी रोग आधुनिक जीवन-शैली और खानपान की देन है यह रोग स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषो में अधिक पाया जाता है। बच्चे और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी ज्यादा होती है, जबकि वयस्कों में अधिकतर गुर्दो और मूत्रनली में पथरी बनजाती है, गुर्दे की पथरी अत्यधिक पीड़ादायक होती है, यदि समय पर इसका इलाज नहीं हुआ तो यह गुर्दे को क्षतिग्रस्त कर देती है जिससे जिंदगी खतरे में पड़ जाती है।
Urinary calculi/ kidney stone and its Ayurveda management
गुर्दे की पथरी पीडि़त रोगी को चाहिए कि वह प्रतिदिन 2-3 लीटर पानी पीएं जिससे मूत्र खुलकर आता रहे। गुर्दे की पथरी का एक मुख्य कारण ऑक्जेलेट है। इसलिए यदि आपको कभी गुर्दे में पथरी की समस्या रही हो तो कम ऑक्जेलेट युक्त खाद्य लेना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति गुर्दे में पथरी काली या गहरी भूरी, खुरदरी, कठोर, कांटेदार तथा वेदनायुक्त होती है। कैल्शियम ऑक्जेलेट तथा कैल्शियम फास्फेट की मिश्रित पथरी भी होती है। सरसो का साग, करी पत्ता, सहजन की पत्तियां बथुआ, गोगू (पिटवा या अंबाड़ी), कमल नाल, काजू, आवला, बादाम, फालसा, स्ट्राबेरी, प्लम, खेंदचीनी, लालमिर्च, चाकलेट, चाय, कोको, पालक, चैराई में ऑक्जेलेट की अधिक मात्रा पाई जाती है। इसलिए भोजन में इससे परहेज करना चाहिए।
My brother once caught up with the pain of Kidney due to kidney stone. It was the first time I saw my elder brother screaming in the pain.
गुर्दे की पथरी के लिए कुछ उपयोगी आयुवेदिक नुस्खे निम्न प्रकार है जो अत्यन्त लाभकारी है:-
  1. कुलत्थ क्वाथ: 25 ग्राम क्वाथ में सेंधा नमक मिलाकर दिन में एक बार पिलाएं।
  2. शुठादि क्वाथ: शुठादि क्वाथ 25 ग्राम में यवक्षार, सेंधा नमक मिलकार दो रत्ती हींग के साथ देने से लाभ होता है।
  3. पाषाणभेदादि क्वाथ: 25 ग्राम क्वाथ में गुड़ डालकर उसे शिलाजीत 3-4 रत्ती के साथ पिलाएं।
  4. गोखरू चूर्ण: गोखरू के चूर्ण को स्वल्प स्वर्णमाक्षिक भस्म के साथ, 3 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ प्रतिदिन दें, अथवा गोक्षुर चूर्ण और यवक्षार मिलाकर जल से दें।
  5. शिलाजतु योग: शिलाजीत 4 से 6 रत्ती की मात्रा में शहद के साथ मिलकार चटाएं या दूध के साथ दें।
  6. हरिद्रा योगः हल्दी चूर्ण 3 ग्राम तथा गुड़ 10 ग्राम एक साथ मिलकार रोगी को खिलाएं।
  7. तिलादिक्षारः तिलनाल के क्षार या तिलनाल, अपामार्ग, पलाशकाष्ठ, यवकाण्ड और कदलीपत्र में से 2-4 द्रव्यों के क्षार को दूध के साथ दें, मात्रां 1 ग्राम, दिन में दो बार अथवा तिलनाल, अपामार्ग, करेले की बेल, जौ के डंठल आदि की भस्म को कपडे से छान कर रख लें, इसे 1 से 2 ग्राम की मात्रा में सात दिन तक दूध के साथ दें।
  8. कुलत्थादि घृतः इसे 10 ग्राम की मात्रा में दिन में एक साथ दें।
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पानी पीने के फायदे और नुकसान



 
 

पानी पीने के फायदे और नुकसान 

थकान दूर करने में सहायक 

सुबह खाली पेट पानी पीने के अनेको फायदे हैं। अगर आप अपनी बीमारियों को काबू में करना चाहते हैं तो रोज सुबह उठ कर ढेर सारा गुनगुना पियें। खाली पेट पानी गुनगुना पीने से पेट की सारी गंदगी दूर हो जाती है और खून शुद्ध होता है जिससे आपका शरीर बीमारियों से दूर रहता है। हमारा शरीर 70% पानी से ही बना हुआ है इसलिये पानी हमारे शरीर को ठीक से चलाने के लिये कुछ हद तक जिम्‍मेदार भी है। क्या आप जानते हैं कि सुबह खाली पेट पानी पीने का चलन कहां से शुरु हुआ? यह चलन जापान के लोगों ने शुरु किया था। वहां के लोग सुबह होते ही, बिना ब्रश किये 4 गिलास पानी पी जाते हैं। इसके बाद वे आधा घंटे तक कुछ भी नहीं खाते। अगर आपको हमेशा थकान महसूस होती है, तो सुबह की शुरुआत एक गिलास गुनगुने पानी से ही करें।इससे आप दिन भर तरोताज़ा महसूस करेंगे। इसके इलावा गर्म पानी पीने से बॉडी के टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और बॉडी के फ्कंशन्स भी हैल्दी होते हैं।

पानी पीने के फायदे और नुकसान

सर्दी जुकाम से राहत दिलाने में सहायक
यदि बेमौसम ही आपको छाती में जकड़न और जुकाम की शिकायत रहे तो ऐसे में सुबह सुबह गुनगुना पानी पीना आपके लिए किसी रामबाण दवा से कम नहीं। गौरतलब है, कि गर्म पानी पीने से गला भी ठीक रहता है। इससे गले की नसे खुलती हैं और ख़राश आदि में भी आराम मिलता है। 3। कब्ज दूर करने में सहायक।। सुबह सुबह एक गिलास गुनगुना पानी, कब्ज़ को जड़ से खत्म कर देता है। इससे पेट साफ होता है और डाइजेशन सुधरता है। खाली पेट, गर्म पानी का सेवन करने से शरीर के टोक्सिन बाहर निकल जाते हैं।


वजन घटाने में मददगार
यदि आपका वज़न लगातार बढ़ रहा है और लाख कोशिशों के बावजूद भी कुछ फर्क नहीं पड़ रहा तो यह उपाय आपके लिए बिलकुल सही है। ऐसे में गुनगुने पानी में शहद और नींबू मिलाकर लगातार तीन महीने तक पीए, इससे आपको फर्क ज़रूर महसूस होगा। इससे वज़न घटता है और प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब हम गुनगुना पानी पीते हैं, तो हमारे शरीर का तापमान सामान्य से कुछ अधिक हो जाता है। ऐसा करने से मेटाबोल्जिम की दर बढ़ जाती है और साथ ही यह एक ज़ीरो केलोरी की ड्रिंक की तरह भी काम करता है। यह आपकी भूख को कम करता है और वज़न को कण्ट्रोल करता है।


स्किन को हेल्थी रखने में सहायक
यदि आप भी स्किन प्रॉब्लम्स से परेशान हैं और ग्लोइंग स्किन के लिए तरह तरह के कॉस्मेटिक्स उपयोग करके थक चुके हैं, तो आप रोजाना एक गिलास गर्म पानी पीना शुरू कर दें। इससे आपकी स्किन प्रॉब्लम फ्री हो जाएगी और चमकने लगेगी। इसके इलावा अगर स्किन पर रैशेज़ पड़ जाये या त्वचा सिकुड़ जाये तो रोज़ सुबह गुनगुना पानी पीएं। वो इसलिए क्योंकि गर्म पानी पीने से पिंपल्स और ब्लैक हैड्स की समस्या दूर होती है। इससे आपकी त्वचा के रोमछिद्र खुल जाएंगे और त्वचा खुलकर सांस ले सकेगी।


आंतरिक अंगों के लिए लाभकारी
इसके इलावा गर्म पानी का सेवन आपके शरीर के आन्तरिक अंगो के लिए भी लाभदायक होता है। इससे आपके शरीर की त्वचा की कोमलता बढ़ती है। साथ ही गुनगुना पानी पीने से शरीर के अंदरूनी अंगो में विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की दर भी बढ़ जाती है। इससे आपका शरीर पहले के मुक़ाबले कईं अधिक योग्यता से काम करने लगता है।


बालों के लिए फायदेमंद

गर्म पानी का सेवन बालों और त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इससे बाल चमकदार बनते हैं और यह उनकी ग्रोथ के लिए भी बहुत फायदेमंद है। दरअसल सिर की त्वचा सूखने पर बालों को सही पोषण नहीं मिल पाता। इसलिए यह आवश्यक है, कि सुबह उठकर गुनगुने पानी का सेवन किया जाये।


ब्लड सर्कुलेशन को सही रखने में सहायक

शरीर को सुचारू रूप से चलाने के लिए खून का संचार पूरी बॉडी में सही तरह से होना बहुत जरूरी है। इसलिए गर्म पानी पीना बहुत फायदेमंद रहता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि गु्र्दों के लिए ठंडा पानी हानिकारक हो सकता है। तो वही गुनगुना पानी पीने से गुर्दे ठीक रहते है। इसके साथ ही गुनगुना पानी शरीर में जमी हुई गंदगी को भी बाहर निकाल देता है। इसलिए आप भी गुनगुना पानी जरूर पीए और अपने शरीर को स्वस्थ बनाये।


निम्नलिखित दिक्कत या स्थिति में भी पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।

  1. बुखार होने पर।
  2. ज्यादा वर्कआउट करने पर।
  3. अगर आप गर्म वातावरण में हैं।
  4. प्यास लगे या न लगे, बीच-बीच में पानी पीते रहें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं रहेगी।
  5. बाल झड़ने पर।
  6. टेंशन के दौरान।
  7. पथरी होने पर।
  8. स्किन पर पिंपल्स होने पर।
  9. स्किन पर फंगस, खुजली होने पर।
  10. यूरिन इन्फेक्शन होने पर।
  11. पानी की कमी होने पर।
  12. हैजा जैसी बीमारी के दौरान।

आयुर्वेद के अनुसार: आयुर्वेद के अनुसार हल्का गर्म पानी पीने से पित्त और कफ दोष नहीं होता और डायजेस्टिव सिस्टम सही रहता है। 10 मिनट पानी को उबालें और रख लें। प्यास लगने पर धीरे-धीरे पीते रहें। ऐसा करने से यह पता चलता है कि आप दिन में कितना पानी पीते हैं और कितने समय में पीते हैं। आप पानी उबालते समय उसमें अदरक का एक टुकड़ा भी डाल सकते हैं। इससे फायदा होगा।
उबालने के बाद ठंडा हुआ पानी कफ और पित्त को नहीं बढ़ाता, लेकिन एक दिन या उससे ज़्यादा हो जाने पर वही पानी नहीं पीना चाहिए, क्योंकि बासी हो जाने पर पानी में कुछ ऐसे जीवाणु विकसित हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। बासी पानी वात, कफ और पित्त को बढ़ाता है।

क्यों नहीं पीना चाहिए खड़े होकर पानी
पानी! यह एक ऐसा प्राकृतिक संसाधन है जिसके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इसलिए पानी को धरती का अमृत कहा गया हैं। पानी मानव शरीर के लिए अनिवार्य और आवश्यक तत्वों में से एक है। मानव शरीर पाँच तत्वों से निर्मित जीव है जिसमें 70% हिस्सा पानी से बना हुआ है। इसलिए 7-8 गिलास पानी का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए। इससे पाचन तंत्र, बाल व त्वचा स्वस्थ रहते है। पानी शरीर से बेकार पदार्थ को बाहर निकालता है और खून को साफ रखने में मदद करता है। पीने का पानी स्वच्छ और ताजा हो, बासी पानी में कुछ ऐसे जीवाणु पैदा हो जाते है जिसे पीने से वात, कफ और पित्त बढ़ता है। आगे हम अपने लेख में यह भी बताएंगे खड़े होकर पानी पीने के क्या-क्या शारीरिक नुकसान है। लेकिन उससे पहले पानी की महत्वता को देखते हुए आइये, जानें पानी किस स्थिति में, कब और कैसे पिये।


शारीरिक दृष्टि से पानी पीने का सही समय क्या है?

  1. 2-3 गिलास पानी सुबह खाली पेट पीने से शरीर की आंतरिक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है। सुबह खाली पेट पानी पीने की मात्रा आप अपने शरीर की क्षमतानुसार बढ़ा या घटा सकते है। लेकिन दो गिलास पानी पीने की कोशिश अवश्य करे।
  2. एक गिलास पानी स्नान के पश्चात पीने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।
  3. दो गिलास पानी भोजन के आधे घंटे पहले पीने से हाजमा दुरुस्त रहता है।
  4. आधा गिलास पानी सोने से ठीक पहले पीने से हार्ट अटैक से बचाता है।
  5. प्यास लगने पर घुट-घुट पानी कभी भी पिया जा सकता है। इससे पानी की कमी नहीं होगी। 

खड़े होकर पानी पीने के शारीरिक नुकसान - इस अनियमित जीवनशैली में आजकल किसी के पास स्वयं के लिए भी समय नहीं है। जिसका घातक परिणाम शरीर को भुगतना पड़ता है। आज अधिकांश लोग जल्दबाजी में खड़े होकर पानी का सेवन करते है जिसका गलत प्रभाव शरीर पर जरूर पड़ता है।

  1. पाचन तंत्र – खड़े होकर पानी पीने से यह आसानी से प्रवाह हो जाता है और एक बड़ी मात्रा में नीचे खाद्य नलिका के द्वारा निचले पेट की दीवार पर गिरता है। इससे पेट की दीवार और आसपास के अंगों को क्षति पहुँचती है। एक दो बार इस तरह से पानी पीने से ऐसा नहीं होता। लेकिन लंबे समय तक ऐसा होने से पाचन तंत्र, दिल और किडनी में समस्या की संभावना बढ़ जाती है।
  2. ऑर्थराइटिस – खड़े होकर पानी पीने की आदत से घुटनों पर दबाव पड़ता है और इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। इस आदत से जोड़ों में हमेशा दर्द रहने लगता है। इसलिए पानी का सेवन बैठकर करें और आराम से धीरे-धीरे पिए।
  3. गठिया – खड़े होकर पानी पीने से शरीर के अन्य द्रव्य पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है। जिससे हड्डियों के जोड़ वाले भागों में आवश्यक तरल पदार्थों की कमी होने लगती है और हड्डियां कमजोर होने लगती है। कमजोर हड्डियों के कारण जोड़ों में दर्द और गठिया जैसी समस्या पैदा हो जाती है। यह समस्या अन्य कई बीमारियों का भी कारण बनती है।
  4. किडनी – खड़े होकर पानी पीने के दौरान पानी तेजी से गुर्दे के माध्यम से होते हुए बिना ज्यादा छने गुजर जाता है। जिसके कारण खून में गंदगी जमा होने लगती है। इस गंदगी के कारण मूत्राशय, गुर्दे (किडनी) और दिल की बीमारियां होने की संभावना अधिक हो जाती हैं।
  5. पेट की समस्या – खड़े होकर पानी पीने से पानी की मात्रा शरीर में जरूरत से ज्यादा चली जाती है। शरीर में मौजूद वह पाचन रस काम करना बंद कर देता है, जिससे खाना पचता है। अधिक पानी की वजह से खाना देर से पचने लगता है और कई बार खाना पूरी तरह से डाइजेस्ट भी नहीं होता। जिसके परिणाम स्वरूप अपच, गैस, अल्सर आदि पेट की समस्या उत्पन्न हो जाती है। पानी हमेशा बैठकर ही पिए। कभी भी लेटकर या खड़े होकर पानी का सेवन ना करे।

अति करे क्षति, इस बात से सभी वाकिफ है। पानी अच्छी सेहत के लिए अनिवार्य है इसमें कोई मतभेद नहीं, लेकिन अनुचित तरीका और अनुचित मात्रा अच्छी सेहत को कब खराब कर दे पता भी नहीं चलता। जब भी प्यास लगे बैठकर पानी पीने का संकल्प ले। यह संकल्प आपकी सेहत को दुरुस्त बना के रखेगा। एक बात का विशेष ध्यान रखे, भोजन के पश्चात ठंडा पानी पीने से नुकसान होता है। दरअसल, गर्म खाने पर ठंडा पानी पीने से खाया हुआ ऑयली खाना जमने लगता है। जो धीरे-धीरे बाद में फैट में बदल जाता है। इससे पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। इसलिए भोजन के आधे घंटे पश्चात गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है। इस बात की पुष्टि हेल्थ विशेषज्ञों के द्वारा भी हुई है। स्वच्छ और ताजा पानी सेहत की लिहाज से दवा का काम करता है। अगर आप इसका सेवन सही तरीके से करते है तो यह आपको कई बीमारियों से बचा के रखेगा। इस लेख से आपको यह महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी की कभी भी खड़े होकर पानी का सेवन नहीं करना चाहिए। यह आदत शरीर की सेहत के लिए घातक है। आदत छोटी सी है लेकिन इसके परिणाम बहुत खतरनाक है। अगर आप किसी भी तरह की बीमारी से पीड़ित है तो उचित होगा आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि कई ऐसी भी समस्या होती है जिसमें कुछ मामलों में कम पानी पीने की सलाह दी जाती है।



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