इलाहाबाद छात्र संघ में रोहित शुक्ला जीत अद्भुत है किंतु जिस प्रकार यह बताया जा रहा है कि यह अध्यक्ष पद पर विद्यार्थी परिषद् की इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पहली जीत है..
अगर हम अपने आपको संघ, बीजेपी, विहिप या अनुसांगिक सगठनों के जुड़े कहते है तो हमें अपने सगठनों से संबधित इतिहास भी सही से जान लेना चाहिए..
जहाँ तक मुझे पता है कि इससे पहले विद्यार्थी परिषद् की ओर से छात्र संघ अध्यक्ष विजय कुमार जी, रामदीन सिंह जी और लक्ष्मी शंकर ओझा हुए थे या हम कहना चाहते है वो संघ या विद्यार्थी परिषद् से नहीं के नहीं थे ??
यह हम कहना चाहते है कि पीछे 70 वर्षों में संघ की विचारधारा का नाम लेना वाला इलाहाबाद विश्वविद्यालय में नहीं था, इतनी कमजोर थी संघ की पकड़ और विचारधारा?
अतिउत्साह में कही न कही हम अपने पुराने अस्तित्व और अपने पुराने स्तंभों पर पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दे रहे है..
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वास्तु के अनुसार सोने के लिए सर्वोत्तम दिशा
दिन काम करने के लिए और रात आराम करने के लिए बने है लेकिन सोना भी अपने आप ने पूरा विज्ञान है। एक अच्छी नींद के लिए दिशाओं का बहुत महत्व है। दिशाओ को ध्यान में रखकर सोने से हम बहुत से बीमारियों से तो बचते ही है साथ ही साथ अपने शरीर को सही आराम देकर एक लम्बी जिंदगी जी सकते है। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व दिशा में सिर करके सोना सबसे अच्छा होता है लेकिन उत्तर दिशा में सोना सबसे खतरनाक है। अब तो विज्ञान भी इसको मानता है। इसके साथ ही साथ वास्तु शास्त्र में संभोग करने की खास दिशा बताई गई है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार सोने की सबसे अच्छी दिशा वह है जब आप अपना सिर दक्षिण की ओर और पैर उत्तर की ओर रखें। शोध में पाया गया है कि जानवर स्वाभाविक रूप से दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके सोते हैं। यह भी सिद्ध हो चुका है कि जो व्यक्ति सोने की सर्वोत्तम दिशा के लिए इस पद्धति का पालन करते हैं उनका रक्तचाप कम होता है और नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है।
वैज्ञानिक रूप से सोने के लिए सर्वोत्तम दिशा के लिए दक्षिणी ध्रुव की ओर मुख करने के पीछे का तर्क वास्तु द्वारा प्रदान किया गया है। इस पद्धति के अभ्यासकर्ताओं ने घरों और हमारे शरीरों को ऊर्जा वाले के रूप में देखा। पृथ्वी में एक ऊर्जावान चुंबकीय क्षेत्र भी है। इसे ध्यान में रखते हुए, विशेषज्ञों ने पाया कि - जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए, हमें अपनी कंपन ऊर्जा को प्राकृतिक ऊर्जा से मेल खाना चाहिए। यदि हमें अपने सिर को, जो कि हमारा उत्तर है, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के दक्षिणी ध्रुव की ओर और अपने पैरों को, जो कि हमारा दक्षिण है, पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के साथ संरेखित करना है, तो हम एक विपरीत ध्रुवीय प्रभाव पैदा करते हैं। अध्ययनों ने इस पद्धति को वैज्ञानिक सिद्ध किया है। साक्ष्य से पता चलता है कि हमारा शरीर पृथ्वी के विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों के प्रति संवेदनशील है।
सोने की सर्वोत्तम दिशा का पालन करने से सिरदर्द कम होता है, रक्तचाप का स्तर बेहतर होता है और रात को अच्छी आरामदायक नींद आती है।
कौन सी दिशा है सबसे अच्छी - पूर्व सबसे अच्छी दिशा है। पूर्वोत्तर भी ठीक है। इसके बाद पश्चिम है। अगर कोई विकल्प नहीं है तो दक्षिण। लेकिन उत्तर बिल्कुल नहीं। सोने के लिए उत्तर की दिशा मृत्यु की दिशा है। अगर आप उत्तरी गोलार्ध में हैं तो उत्तर के अलावा किसी भी दिशा में सिर करके सोया जा सकता है। अगर दक्षिणी गोलार्ध में हैं तो दक्षिण की ओर सिर करके न रखें।
गलत दिशा में सोने का परिणाम
- ऐसा नहीं है कि एक दिन गलत दिशा में सोने पर आप मर जाएंगे। मगर रोजाना ऐसा करने पर आप परेशानियों को दावत दे रहे हैं। आपके साथ किस तरह की परेशानियां हो सकती हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि आपका शरीर कितना मजबूत है।
- दक्षिण दिशा में पाँव रखकर कभी नहीं सोना चाहिए। इससे मस्तिष्क में रक्त का संचार कम को जाता है। स्मृतिभ्रंश, मौत व असंख्य बीमारियां होती है। अर्थात उत्तर की तरफ सिर करके सोने से आयु क्षीण होती है।
- जब हम उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोते है तो उत्तर की धनात्मक तरंग तथा सिर की धनात्मक तरंग एक दुसरे से दूर भागती है। जिससे हमारे दिमाग में हलचल होती है। बेचैनी बढ़ जाती है। इससे अच्छे से नींद नही आती है। सुबह सोकर उठने के बाद भी शरीर में थकान रहती है। रक्तचाप असंतुलित हो जाता है। तथा मानसिक बीमारियां होती है।
आखिर क्यों न सोयें इस दिशा में ?
- पृथ्वी के चारों ओर चुंबकीय तरंगे है जो उत्तरी ध्रुव से निकलती है और दक्षिणी ध्रुव तक जाती है। यह एक चुम्बक की तरह काम करते हैं।
- पृथ्वी के दोनों ध्रुवों उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव में चुम्बकीय प्रवाह होता है। उत्तरी ध्रुव पर ऋणात्मक प्रवाह तथा दक्षिणी ध्रुव पर ऋणात्मक प्रवाह होता है। उसी तरह मानव शरीर में भी सिर में धनात्मक प्रवाह तथा पैरों में ऋणात्मक प्रवाह होता है। विज्ञान के अनुसार दो धनात्मक ध्रुव या दो ऋणात्मक ध्रुव एक दुसरे से दूर भागते है।
- पूर्व दिशा न्यूट्रल है यहाँ न तो आकर्षण बल काम करता है और न ही प्रतिकर्षण बल काम करता है और यदि है भी तो संतुलित अवस्था में है।
सही दिशा में सोने के अद्भुत परिणाम - गलत दिशा में सोने के जितने नुकसान है उससे कई गुना ज्यादा सही दिशा में सोने के फायदे है। अलग अलग दिशाओ में सोने के अलग अलग फायदे आपको जरूर जानना चाहिए।
दक्षिण दिशा में सिर करके - दक्षिण की तरफ सिर करके सोने से आयु की वृद्धि होती है। जिस तरह उत्तर में सिर करके सोने के कारण रक्त में दबाव पड़ेगा है। नींद भी ठीक प्रकार से नही आती। हृदय की गति भी तेज हो जाती है। इसी का उल्टा करने पर यानी सिर दक्षिण में और पैर उत्तर में करके सोने कर आकर्षण बल काम करेगा और आपके शरीर को खींचेगा जिसके कारण शरीर को आराम मिलेगा और नींद अच्छी आएगी। ऐसा करने से ज्यादातर मानसिक रोगों में लाभ मिलता है।
अन्य दिशाओं में सिर करके - पूर्व दिशा वास्तु के अनुसार सोने के लिए बहुत अच्छी मानी गयी है। पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोने से ध्यान,एकाग्रता,आध्यात्मिकता और स्मृति में वृद्धि होती है। एक विद्यार्थी के लिए तो पूर्व दिशा में सिर रखकर सोना बहुत ही गुणकारी माना गया है। अतः पूर्व दिशा की ओर सिर रखकर सोना सबसे लाभप्रद माना गया है। पूर्व दिशा में मस्तक रखकर सोने से विधा की प्राप्ति होती है। दक्षिण में मस्तक रखकर सोने से धन लाभ और आरोग्य लाभ होता है। पश्चिम में मस्तक रखकर सोने से प्रबल चिंता होती है। हालाँकि पढ़ते-लिखते या कोई भी अभ्यास करना हो तो उत्तर की दिशा सबसे अच्छी है। जिन बच्चों की लम्बाई उनकी उम्र के हिसाब से नहीं बढ़ रही है, ऐसे बच्चों को दक्षिण दिशा में सिर करके सुलाना चाहिए। 4-5 सालों में लम्बाई सामान्य हो जायेगी।
दक्षिण दिशा में सिर करके - दक्षिण की तरफ सिर करके सोने से आयु की वृद्धि होती है। जिस तरह उत्तर में सिर करके सोने के कारण रक्त में दबाव पड़ेगा है। नींद भी ठीक प्रकार से नही आती। हृदय की गति भी तेज हो जाती है। इसी का उल्टा करने पर यानी सिर दक्षिण में और पैर उत्तर में करके सोने कर आकर्षण बल काम करेगा और आपके शरीर को खींचेगा जिसके कारण शरीर को आराम मिलेगा और नींद अच्छी आएगी। ऐसा करने से ज्यादातर मानसिक रोगों में लाभ मिलता है।
अन्य दिशाओं में सिर करके - पूर्व दिशा वास्तु के अनुसार सोने के लिए बहुत अच्छी मानी गयी है। पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोने से ध्यान,एकाग्रता,आध्यात्मिकता और स्मृति में वृद्धि होती है। एक विद्यार्थी के लिए तो पूर्व दिशा में सिर रखकर सोना बहुत ही गुणकारी माना गया है। अतः पूर्व दिशा की ओर सिर रखकर सोना सबसे लाभप्रद माना गया है। पूर्व दिशा में मस्तक रखकर सोने से विधा की प्राप्ति होती है। दक्षिण में मस्तक रखकर सोने से धन लाभ और आरोग्य लाभ होता है। पश्चिम में मस्तक रखकर सोने से प्रबल चिंता होती है। हालाँकि पढ़ते-लिखते या कोई भी अभ्यास करना हो तो उत्तर की दिशा सबसे अच्छी है। जिन बच्चों की लम्बाई उनकी उम्र के हिसाब से नहीं बढ़ रही है, ऐसे बच्चों को दक्षिण दिशा में सिर करके सुलाना चाहिए। 4-5 सालों में लम्बाई सामान्य हो जायेगी।
पत्नी के साथ सोते समय अथवा संभोग करते समय हमेशा दक्षिण दिशा में ही सोना चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा में उत्तरी ध्रुव (हमारे शरीर का उत्तरी ध्रुव मस्तिष्क है) और दक्षिणी ध्रुव पृथ्वी का दोनों के बीच आकर्षण बल काम करता है, जो की संभोग के समय के लिए बहुत अच्छा माना गया है। अतः पत्नी के साथ जब भी सोये या संभोग की स्थिति हो तो दक्षिण दिशा में ही मस्तिष्क करके सोना चाहिए। गृहस्थ को छोड़कर सभी को सोते समय सिर पूर्व दिशा में रखना चाहिए। गृहस्थ को दक्षिण दिशा में सिर रखना चाहिए। गृहस्थ लोगों के अतिरिक्त सभी लोगों को पूर्व दिशा में सिर करके सोना चाहिए और सभी गृहस्थ लोगों को दक्षिण दिशा में सिर करके सोना चाहिए।
यह सोने की सर्वोत्तम दिशा के ठीक विपरीत है। उत्तर की ओर सिर करके और दक्षिण की ओर पैर करके सोने से कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। शारीरिक रूप से, किसी के शरीर को प्रभावित करने वाले चुंबकीय क्षेत्र की ऊर्जा के कारण रक्तचाप और सिरदर्द में वृद्धि देखी जा सकती है। इससे न्यूरोलॉजिकल समस्याएं और नींद की कमी भी होती है। ऐसा केवल इसलिए होता है क्योंकि हमारे रक्त में आयरन होता है और जब हम इस तरह स्थित होते हैं तो यह हमारे मस्तिष्क और शरीर के ऊपरी हिस्से की ओर प्रवाहित होता है। फेंगशुई भी आपके बिस्तर का सिरहाना दक्षिण की ओर रखने की सलाह देता है।
वास्तु के अनुसार सोने की दिशा: पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोएं - पूर्व वह जगह है जहां सूर्य सबसे पहले उगता है और इसमें सकारात्मक ऊर्जा होती है जो आपके भौतिक शरीर से विपरीत नहीं होती है। आप सुबह सूरज की किरणों से ऊर्जावान और तरोताजा महसूस कर सकते हैं। इसलिए, वास्तु के अनुसार यह सोने के लिए सबसे पसंदीदा और सबसे अच्छी दिशा में से एक है। बेहतर याददाश्त और शैक्षणिक उपलब्धियों के लिए विशेषज्ञों द्वारा ईस्ट की विशेष रूप से सिफारिश की जाती है। आपके मस्तिष्क में बेहतर रक्त प्रवाह होना छात्रों, प्रोफेसरों और विद्वानों जैसे शैक्षणिक क्षेत्र के लोगों के लिए आवश्यक साबित होता है। अधिकांश हिंदू घरों में भी अपने पूजा कक्ष और मूर्तियाँ पूर्व दिशा की ओर रखते हैं।
वास्तु के अनुसार सोने की दिशा: पश्चिम की ओर सिर करके सोयें - पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोना कुछ लोगों के लिए सोने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। अपने करियर में सफलता चाहने वाले व्यवसायियों और पेशेवरों जैसे लोगों को सलाह दी जाती है कि वे अपना सिर पश्चिम की ओर और पैर पूर्व की ओर करके सोएं। यह वास्तु के अनुसार सोने के लिए सबसे अच्छी दिशा, यानी दक्षिण या पूर्व दिशा जितना प्रभावी नहीं है, लेकिन कोई इसे आज़मा सकता है। पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने से नकारात्मक ऊर्जा कम होने के संबंध में वास्तु ने कुछ लाभ भी सिद्ध किए हैं। वास्तु के अनुसार सोने की सर्वोत्तम दिशा में सोने से सफलता मिलती है पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने से व्यावसायिक सफलता मिलती है।
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श्री हनुमान जी की आरती और चित्र
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्टदलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरिवर कांपै। रोग दोष जाके निकट न झांपै।
अंजनिपुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाये। लंका जारि सीय सुधि लाये।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारि असुर संहारे। सीतारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि सजीवन प्राण उबारे।
पैठि पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखारे।
बायें भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर नर मुनि आरती उतारे। जय जय जय हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसि बैकुण्ठ परम पद पावै।
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मदरसों में तिरंगा फहराना जरूरी - इलाहाबाद उच्च न्यायालय
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि प्रदेश के सभी मदरसों में राष्ट्रीय पर्वों पर अनिवार्य रूप से ध्वजारोहण हो। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे खुद इसकी मनिटरिंग करें और सुनिश्चित करें कि 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर मदरसों में राष्ट्रीय झंडा फहराया जाय। कोर्ट ने बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिवों को ऐसा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
अलीगढ़ के अजीत गौड़ की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति डाॅ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने शिक्षा विभाग से पूछा है कि शिक्षण संस्थाओं में ध्वजारोहण के संबंध में उनकी क्या नीति है। दायर याचिका में कहा गया कि अलीगढ़ के तमाम मदरसों में राष्ट्रीय पर्व पर ध्वजारोहण नहीं किया गया जबकि ऐसा किया जाना प्रत्येक संस्था के लिए अनिवार्य है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि यह सिर्फ एक जिले का नहीं पूरे प्रदेश का मामला है।
आमतौर पर हाईकोर्ट में दाखिल होने वाली याचिकाओं पर प्रथम सुनवाई के बाद अदालत के निर्देश पर ही प्रदेश सरकार के वकील दिशा निर्देश प्राप्त करते हैं या जवाब दाखिल करते हैं लेकिन इस मामले में कोर्ट में याचिका की सुनवाई से पूर्व ही वकील को निर्देश प्राप्त हो चुके थे। याचिका पर सुनवाई प्रारंभ होते ही सरकारी वकील ने बताया कि इस मामले में उन्हें निर्देश मिल चुके हैं। याचिका पर जवाब देते हुए प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि अलीगढ़ के मदरसों में राष्ट्रगान गाया जाता है। उन्होंने राष्ट्रगान गाते हुए मदरसे की तस्वीर भी प्रस्तुत की।
पीठ ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यहां मामला राष्ट्रगान का नहीं राष्ट्रध्वज फहराये जाने का है। जो फोटो दिखाई जा रही है उसमें मदरसे के बच्चे किताब देखकर राष्ट्रगान पढ़ रहे हैं। कोर्ट ने इस पर आश्चर्य जताया कि किताब देखकर कौन राष्ट्रगान पढ़ता है। यह छोटे बच्चों को भी याद रहता है। पीठ का कहना था कि मदरसों सहित सभी शिक्षण संस्थाओं में राष्ट्रध्वज फहराया जाना चाहिए।
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उत्तर प्रदेश सरकार को तगड़ा झटका पुलिस उपनिरीक्षक व प्लाटून कमांडर भर्ती 2011 रद्द
उत्तर प्रदेश पुलिस उपनिरीक्षक व प्लाटून कमांडर भर्ती 2011 में उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार व उत्तर प्रदेश पुलिस प्रोन्नति व भर्ती बोर्ड द्वारा जमकर अनियमितता, भ्रष्टाचार व नियम विरूद्ध कार्य किए गए हैं जिसके कारण योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित हैं और अयोग्य अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया है, इस भर्ती में निम्न प्रकार से नियम विरुद्ध कृत्य व भ्रष्टाचार किया गया है।
- यह भर्ती प्रकिया मई 2011 में बसपा सरकार के कार्यकाल में प्रारम्भ हुई थी! प्रारम्भिक लिखित परीक्षा से एक माह पूर्व भर्ती बोर्ड ने परीक्षा के लिए अनुदेश जारी किये, जिसके अनुसार हर विषय में40% व कुल 50% अंक लाने वाले अभ्यार्थी ही सफल घोषित किये जायेंगे, जिसके आधार पर 11 दिसम्बर 2011 को प्रारम्भिक परीक्षा सम्पन्न हुई। प्रारम्भिक लिखित परीक्षा का परिणाम 1 जनवरी2013 को घोषित किया गया।
- प्रारम्भिक लिखित परीक्षा के विरूद्ध हर विषय में 40% अंक लाने में विफल परन्तु कुल50% अंक लाने वाले अभ्यार्थियों ने माननीय उच्च न्यायालय उत्तर प्रदेश की लखनऊ खण्डपीठ में याचिका संख्या S.S. 91/2013 दायर की, जिस पर माननीय न्यायाधीश महोदय ने 23/1/13 को निर्णय दिया कि आपको पूर्व ही सूचित किया जा चुका था कि 40%प्रत्येक खण्ड में प्राप्त करना अनिवार्य है और आपने परिणाम घोषित होने के पश्चात याचिका दायर की है इसलिए आपकी अपील ख़ारिज की जाती है।
- इस भर्ती प्रकिया के लिए शारीरिक, दक्षता परीक्षा 5 फरवरी 2013 को शुरू हुई, परन्तु 18 फरवरी को दौड़ लगते समय एक अभ्यार्थी की मृत्यु हो जाने से इसे रोक दिया गया।
- इस भर्ती प्रकिया में भर्ती बोर्ड द्वारा शारीरिक दक्षता परीक्षा में संसोधन कर 10किमी० की दौड़ को 4.8 किमी० कर दिया गया और प्रकिया पुनः 5 जुलाई 2013 को प्रारम्भ गयी जिस पर माननीय उच्च न्यायलय इलाहाबाद द्वारा रोक लगाये जाने के कारण दिनांक 7 जुलाई 2013 को प्रकिया रोक दी गयी।
- इसके पश्चात भर्ती बोर्ड द्वारा इस भर्ती को रद्द कर दिया गया जिसके विरूद्ध अभ्यार्थियों ने माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिका संख्या WRIT-A- 5576/2013 दायर की जिस पर माननीय न्यायाधीश महोदय ने दिनांक 9/12/2013 को मूल विज्ञप्ति के अनुसार भर्ती प्रक्रिया को शुरू करने का आदेश दिया।
- इस भर्ती प्रकिया में दिनांक 25/07/13 को माननीय उच्च न्यायालय की एक सदस्यीय पीठ ने याचिका संख्या WRIT-A-1476/2013 व 62 अन्य में आदेश दिया कि प्रारम्भिक लिखित परीक्षा में कुल50% अंक प्राप्त करने वाले अभ्यार्थी सफल घोषितकिये जाये और प्रत्येक विषय में न्यूनतम 40% प्राप्तकरने की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया जबकि यह मुद्दा याचिका संख्या S.S 91 /2013 द्वारा निस्तारित किया जा चुका था! दोनों ही याचिका पर सुनवाई माननीय उच्च न्यायलय की एक सदस्यीय पीठ द्वारा ही की गयी।
- याचिका संख्या WRIT-A-1476/2013 के निर्णय के अनुपालन में 49702 अभ्यार्थियों को भर्ती बोर्ड द्वारा सफल घोषित किया गया, इस आदेश के अनुपालन में भर्ती बोर्ड द्वारा उन अभ्यार्थियों को भी चयन किया गया जिन्होंने कुल 50% अंक प्राप्त नही किये।
- प्रारम्भिक लिखित परीक्षा में घोषित (सफल)49702 अभ्यार्थियों के सापेक्ष 46578 अभ्यार्थियों के लिए शारीरिक दक्षता परीक्षा हेतु बुलावा पत्र भेजा गया। 2524 अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण होते हुए भी बुलावा नही भेजा गया जिससे वे अपने रोजगार के अधिकार से वंचित हो गये।
- याचिका संख्या WRIT-A-57576/2013 के अनुपालन में शारीरिक दक्षता परीक्षा 10 किमी० की बाध्यता के साथ दिनांक 04/08/2014 को शुरू हुई और 3/09/2014 समाप्त हुई जबकि उपनिरीक्षक भर्ती नियमावली के अनुसार शारीरिक दक्षता परीक्षा अधिकतम एक सप्ताह की समय सीमा में पूरी की जानी थी।
- शारीरिक दक्षता परीक्षा में आई एस आई प्रमाणित उपकरण का प्रयोग नहीं किया गया जबकि उपनिरीक्षक भर्ती नियमावली 2008 के अनुसार उपकरण केवल आई एस आई प्रमाणित ही प्रयोग किये जाने थे, इस संबंध में माननीय उच्च न्यायालय में याचिका संख्या WRIT A 613/2015 व अन्य 47 याचिकाएं लंबित है और भर्ती बोर्ड बार बार इस मुद्दे पर माननीय न्यायालय को गुमराह कर रहा है।
- शारीरिक दक्षता परीक्षा में 15777 अभ्यर्थी सफल घोषित किये गये जिनकी मुख्य लिखित परीक्षा 14 सितम्बर 2014 को संपन्न हुई।
- मुख्य लिखित परीक्षा में 14256 अभ्यार्थी सफल घोषित किये गये।
- भर्ती प्रकिया के अगले चरण समूह परिसंवाद के लिये विज्ञप्ति के अनुसार 4010 रिक्तियों के सापेक्ष तीन गुना अभ्यार्थियों को अर्थात 12030 अभ्यार्थियों को बुलाया जाना था परन्तु भर्ती बोर्ड द्वारा सभी सफल अभ्यार्थियों अर्थात 14256 अभ्यार्थियों को बुलाया गया।
- मुख्य लिखित परीक्षामें जमकर नकल व व्हाइटनर का प्रयोग किया गया जिसके विरूद्ध याचिका संख्या WRIT-A-67782/2014 व 20 अन्य माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दायर की गयी परन्तु इस याचिका पर निर्णय होने के पूर्व ही दिनांक 16/03/2015 को परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया गया।
- याचिका संख्या WRIT-A-67782/2014 व 20 अन्य में माननीय न्यायधीश महोदय ने दिनांक 29/05/2015 को आदेश दिया कि व्हाइटनर, ब्लेड आदि का प्रयोग करने वाले अभ्यार्थी नियमावली अनुसार अयोग्य घोषित किये जाते है।
- याचिका संख्या WRIT-A-67782/2014 व 20अन्य के आदेश के अनुपालन में भर्ती बोर्ड ने संसोधित परीक्षा परिणाम घोषित किया परन्तु इस याचिका में भर्ती बोर्ड द्वारा माननीय उच्च न्यायालय को बताया कि 3038 अभ्यार्थियों ने व्हाइटनर, ब्लेड आदि का प्रयोग किया परन्तु संसोधित परीक्षा परिणाम में ऐसे अभ्यार्थियों का भी चयन किया गया जिन्होंने माननीय उच्च न्यायालय में स्वीकार किया था कि हमने व्हाइटनर, ब्लेड आदि का प्रयोग किया है और हमारा अभ्यर्थन निरस्त न किया जाये ! भर्ती बोर्ड द्वारा माननीय उच्च न्यायलय के सम्मुख बतायी गयी संख्या 3038 के सापेक्ष 2880 अभ्यार्थियों को ही सूची प्रस्तुत की।
- याचिका संख्या WRIT-A-67782/2014 के निर्णय के विरूद्ध याचिका संख्या SPECIAL APPEAL 437/2015 व 6 अन्य उच्च न्यायालय इलाहाबाद की दो सदस्यीय पीठ ने एक सदस्यीय पीठ के निर्णय को बराबर रखा।
- याचिका संख्या SPECIAL APPEAL 437/2015 के निर्णय के विरूद्ध माननीय उच्चतम न्यायलय में S.P.L (CIVIL) 21843-21844/2015 दायर की गयी जिस पर माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा माननीय उच्च न्यायलय के निर्णय पर कोई आदेश नही दिया और भर्ती बोर्ड द्वारा अयोग्य घोषित किये गये 810अभ्यार्थियों के समायोजन का प्रस्ताव यह कह कर पेश किया गया कि ये बहुत पढ़े लिखे और योग्य है, जिसे माननीय उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार कर लिया, याचिका के मूल मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं किया गया।
- इस भर्ती में नकल, व्हाइटनर, ब्लेड आदि का प्रयोग करने व असफल अभ्यार्थियों को मुख्य लिखित परीक्षा में शामिल करने के कारण मुख्य लिखित परीक्षा पुनः कराने के लिए याचिका संख्या S.S. 5158/2015 दायर की गयी। जिसमे माननीय न्यायधीश महोदय ने दिनांक 2 सितम्बर 2015 को न्यायलय की अनुमति के बिना नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी परन्तु भर्ती बोर्ड द्वारा सफल अभ्यार्थियों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया, जो स्पष्ट रूप से माननीय उच्च न्यायालय की अवहेलना है।
- इस भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण को भी गलत तरीके से लागू किया जिसके विरूद्ध याचिका संख्या WRIT-A-37599 /2015 दायर की गयी, इस पर माननीय न्यायधीश महोदय ने दिनांक 16/03/2015 को आरक्षण को सही तरीके से लागू करने तथा जिम्मेवार अधिकारियो पर जुर्माना लगाने का आदेश दिया।
- भर्ती बोर्ड ने अन्य राज्यों की निवासी महिला अभ्यर्थियों को सामान्य पुरूष अभ्यर्थी में शामिल कर दिया जिससे अन्य राज्यों की महिला अभ्यर्थी योग्य होते हुए भी चयन से वंचित हो गयी। जिसके विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय में याचिका संख्या WRIT A - 27845/2015 लम्बित है।
- रिट संख्या 5158/2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने परीक्षा परिणाम रद्द किया।
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