एक भीनीं सी मुस्‍कान और भगवान के प्रति धन्‍यवाद



मैं प्रतापगढ़ जा रहा था एक रेलवे क्रासिंग पड़ती है उस समय अमृतसर से हाबड़ा जाने वाली ट्रेन का समय था। फाटक बंद था। मैं भी गाड़ी से उतर कर रेल को देखने पटरी की ओर चल दिया तभी देखता हूँ कि एक कुत्‍ता रेल की पटरी पर दौड़ रहा था उसके पीछे ट्रेन थी ट्रेन से भी तेज दौड़ने के प्रयास में कुत्‍ता और तेज दौड़ रहा था पर पर वह कुदरत की चाल से ट्रेन को पछाड़ पाने में असमर्थ था। ट्रेन का अगला हिस्सा आगे कि ओर कुछ ज्यादा झुका होता है ट्रेन से पहले कुत्‍ते का एक टक्कर मारी और कुत्‍ता नीचे की ओर लेट गया हो सकता हो पीड़ा के मारे ही क्यों न हो फिर बचने की प्रयास में खड़ा होता है और फिर वह डिब्बों के नीचे भाग से टकराया और फिर लेट गया। ट्रेन की गति इतनी तेज थी कि तीसरी बार जब वह उठा तो ट्रेन जा चुकी थी और वह पूर्ण रूपेण जीवित था। पर चोट तो लगी ही थी। जैसा कि मैंने इस दृश्य का देखने वाला पहला शख्स था मेरे तो रोंगटे खड़े हो गये। मेरे मन ईश्वर से बस इतनी ही प्रार्थना थी कि वह बच जाये। कहते है कि भगवान से कुछ सच्चे हृदय से माँगो तो भगवान कभी इनकार नही करते और आज प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला। मेरी निगाह एक टक कुत्‍ते पर थी और वह लगड़ाते हुए जा रहा था। मेरे साथ वह कई दर्जन लोगों के मुख पर एक भीनीं सी मुस्कान और भगवान के प्रति धन्यवाद देखने को मिल रहा था। मैं भी अपने गन्तव्य की और चल दिया।


Share: