मेरी दो पहियों की गाड़ी जिसमे बैठने का तैयार थी नौ सवारी




मैने गत दिनों एक पोस्‍ट "आजा मेरी गाड़ी मे बैठ जा" अपने अन्‍य Timeloss : समय नष्‍ट करने का एक भ्रष्‍‍ट साधन पर डाला था उसमे बैठने के लिसे 9 यात्रियों ने लिफ्ट माँगा था। चूकिं मै 9 इन लिये नही कह रहा कि मुझे नौ टिप्‍प्‍णियॉं मिली थी। कारण यह है समीर लाल जी, यह कारण भी नही है कि उन्‍होने दो बार टिप्‍प्‍णी कि मुख्‍य कारण है समीर लाल जी की साईज, समीर लाल जी के साईज के हिसाब से उनका दोहरा टिकट लगता है।
चलिए यह तो टिकट का मामला था किसी तरह समीर लाल जी ने इसे निपटा लिया किन्तु समीर लाल जी सहित नौ यात्रियों की समस्या थी कि गाड़ी रुक ही नही थी, इसका भी कारण था कि टिप्‍प्‍णी के रूप में कोई लेडिस सवारी दिख नहीं रही थी। :)
भारत की गाड़ियों में एक स्‍लोगन देखने को मिलता है वो है - बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला, उसी प्रकार मेरे पोस्ट के अंत में यह स्‍लोगन है-
जो मेरे ब्लॉग पर आया है और पढ़ कर बिना टिप्पणी के जायेगा।
मेरी बद्दुआ है कि उसके अगले लेख की मांग का सिंदूर उजड़ जायेगा।
मांग का सिंदूर उजड़ तात्‍पर्य है कोई टिप्‍प्‍णी न आने से है। ;)
यह कहने का भी एक कारण है कल मैने साभार एक लेख कट पेस्‍ट किया था लगभग एक दर्जन बन्‍धु दर्शन देने आये थे किन्‍तु मेरी कट पेस्‍ट और जागरण पर पढने की मेहनत पर थूकना(कुटिप्‍पणी करना कि अच्‍छा कट पेस्‍ट किया है भाई) भी उचित नही समझा। अब एक सूनी माँग के मुँह से श्राप नही तो फूल झडे़गा। ;)


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त्रिफला चूर्ण लाभ, उपयोग, खुराक और दुष्प्रभाव



त्रिफला आयुर्वेद में कई रोगों का सटीक इलाज करता है।  यह 3 औषधियों से बनता है। बेहड, आंवला और हरड इन तीनों के मिश्रण से बना चूर्ण त्रिफला कहा जाता है। ये प्रकृति का इंसान के लिए रोगनाशक और आरोग्य देने वाली महत्वपूर्ण दवाई है। जिसके बारे में हर इंसान को पता होना चाहिए। ये एक तरह की एन्टिबायोटिक है। त्रिफला आपको किसी भी आयुर्वेदिक दुकान पर मिल सकता है। लेकिन आपको त्रिफला का सेवन कैसे करना है और कितनी मात्रा में करना है ये भी आपको पता होना चाहिए। हाल में हुए एक नए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है की त्रिफला के सेवन से कैंसर के सेल नहीं बढ़ते । त्रिफला के नियमित सेवन से चर्म रोग, मूत्र रोग और सिर से संबन्धित बीमारियां जड़ से ख़त्म करती है।
 त्रिफला के फायदे

 त्रिफला के फायदे
  1. सांस सम्‍बंधी समस्‍या
    त्रिफला का प्रयोग सांस से जुड़े रोगों के उपचार में भी किया जाता है। त्रिफला के नियमित सेवन से सांस लेने पर होने वाली समस्या दूर होती है और फेफड़ों के संक्रमण (Lungs Infection) में भी फायदा होता है। 
  2. मोटापा
    ज्यादा मोटापे या चर्बी से परेशान लोगों को त्रिफला के सेवन की सलाह दी जाती है। त्रिफला, शरीर से वसा (Fat) को कम करता है, जो मोटापे को दूर करने में मदद करता है। 
  3. डायबिटीज में उपयोगी डायबिटीज या शुगर के इलाज में त्रिफला बहुत प्रभावी औषधि होती है। यह पेन्‍क्रियाज को प्रभावित करता है, जो रक्त में इंसुलिन की मात्रा को बढ़ाता की मात्रा है और इंसुलिन, शर्करा के स्‍तर को संतुलित रखता है। 
  4. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएजो लोग कमजोर प्रतिरोधक क्षमता के कारण बार- बार बीमार होते हैं, उन्हें त्रिफला का सेवन करना चाहिए। त्रिफला के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और सभी प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है। इसके अलावा यह शरीर में एंटीबॉडी की मात्रा को बढ़ाता है, जो एंटीजन के खिलाफ लड़ते है और शरीर को जीवाणुओं से मुक्त रखता है। 
  5. एंटी- ऑक्‍सीडेंट
    त्रिफला का सेवन रोजाना करना चाहिए। क्योंकि इसमें एंटी- ऑक्‍सीडेंट के गुण मौजूद होते हैं, जो बढ़ती उम्र के असर को कम करता है और आपको उम्र के अनुसार ज्‍यादा जवां रखता है। 
  6. रक्त शोधक
    त्‍वचा से जुड़े रोगों के उपचार में भी त्रिफला अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। त्रिफला, शरीर से विषैले पदार्थो को बाहर निकालकर ब्‍लड यानि खून साफ करता है और त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं से आराम दिलाता है। 
  7. पेट के रोगों में लाभदायक
    त्रिफला की तीनों जड़ी- बूटियां (हरड़, बहेड़ा व आंवला) शरीर की आंतरिक सफाई करती हैं। त्रिफला चूर्ण को गौमूत्र के साथ सेवन करने से अफारा, पेट दर्द, प्लीहा वृद्धि आदि समस्याओं से छुटकारा मिलता है। 
  8. सिरदर्द में लाभदायक
    आज की भागदौड़ वाली जीवनशैली के कारण तनाव या सिरदर्द जैसी समस्या आम बात हो गई है। इस तरह की समस्‍या को दूर करने में त्रिफला लाभकारी हो सकता है। त्रिफला, हल्दी, नीम की छाल, गिलोय आदि को पानी में तब तक उबालें, जब तक पानी आधा न रह जाए। बाद में इस पानी को छानकर सुबह- शाम गुड़ या शक्कर के साथ सेवन करें। ऐसा करने से तनाव, अवसाद, सिरदर्द आदि की समस्याएं दूर हो जाती है। 
  9. कब्ज में कारगरकब्ज की परेशानी में त्रिफला बहुत ही कारगर साबित होता है। इसके सेवन से कब्ज की पुरानी से पुरानी समस्या भी दूर हो जाती है। रात को सोते समय त्रिफला चूर्ण को गर्म दूध या गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज की परेशानी में आराम मिलता है। 
  10. आंखों की रोशनी बढ़ाए
    त्रिफला का रोजाना सेवन करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। रात को एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला भिगोकर रखें और सुबह भिगोए हुए त्रिफला को मसल और छानकर आंखों को धोएं। ऐसा करने आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण को पानी में भिगो कर रखें और शाम पानी छानकर पीएं। यह आंखों से जुड़ी सभी समस्याओं को दूर करता है। 
  11. मुंह की दुर्गन्‍ध दूर करे
    यदि आपके मुंह से दुर्गंध आती है तो त्रिफला आपके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है। एक गिलास ताजे पानी में एक चम्मच त्रिफला दो से तीन घंटे के लिए भिगोएं और बाद में इस पानी अच्छी तरह कुल्ला करें, मुंह की दुर्गंध से छुटकारा अवश्य मिलेगा। इसके अलावा त्रिफला चूर्ण से मंजन करने से भी मुंह के छाले और मुँह की दुर्गन्ध भी दूर होते हैं। 
  12. हीमोग्‍लोबिन बढ़ाए
    यदि आप एनीमिया या खून की समस्या से परेशान हैं तो त्रिफला आपके लिए लाभदायक सिद्ध हो सकता है। त्रिफला का नियमित रूप से सेवन करने पर शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं बढ़ती व संतुलित रहती हैं जो रक्त में हीमोग्‍लोबिन बढ़ाने का काम करती है।

     त्रिफला के नुकसान
    बिना सलाह त्रिफला लेने से हो सकता है नुकसान
    वैसे तो त्रिफला बिल्कुल सुरक्षित और असरदार आयुर्वेदिक दवा है लेकिन अगर इसे बिना किसी चिकित्सकीय परामर्श के लेते रहने से कुछ समस्याएं हो सकती हैं। दरअसल, पुराने जमाने में लोगों को एक साथ कई रोग नहीं होते थे लेकिन आज व्यक्ति को एक साथ की रोग होते हैं। ऐसे में अगर वह बिना डॉक्टर की सलाह पर त्रिफला या ऐसी अन्य दवाएं लेता है तो हो सकता है कि उसे दूसरी समस्याओं का सामना करना पड़े।
    1. गर्भावस्था में परहेज
      त्रिफला की तासीर गर्म और खुश्क होती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को त्रिफला का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान त्रिफला का सेवन करती है तो इससे घबराहट, पेचिश व अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
       
    2. डायरिया
      त्रिफला अकसर गैस्ट्रिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है, लेकिन कई बार बिना परामर्श के अधिक मात्रा में सेवन करने से डायरिया जैसी समस्या हो सकती है। इसके अलावा इसका दुष्प्रभाव शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन की समस्या भी पैदा कर सकता है।
       
    3. अनिद्रा की समस्यात्रिफला का अत्यधिक सेवन करने से कई बार लोगों को अनिद्रा (नींद न आना) की परेशानी हो जाती है 
    4. ब्लड प्रेशर पर प्रभाव
      त्रिफला के अधिक सेवन से लूज मोशन यानी दस्त की शिकायत हो जाती है, जिससे रोगी का ब्लड प्रेशर प्रभावित होता है। ऐसे स्थिति में ब्लड प्रेशर के मरीज को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
     
    त्रिफला लेते समय ये सावधानियाँ रखें
    • 6 साल से कम उम्र के बच्चों को त्रिफला न दें।
    • कुछ लोगों को त्रिफला के सेवन से ज़्यादा नींद आती है।
    • त्रिफला सेहत के लिए वरदान है लेकिन प्रेगनेंसी और स्तनपान के दौरान इसका सेवन न करें।
    • रात में त्रिफला के सेवन से कुछ लोगों में ज़्यादा मूत्र आने की समस्या भी पायी जाती है इसलिए ऐसी शिकायत होने पर रात्रि में इसका सेवन न करें।
    • अगर आप लम्बे समय तक इसका सेवन करते हैं तो इसकी मात्रा कम लें और छोटी अवधि के लिए त्रिफला का सेवन करें तो त्रिफला अधिक मात्रा में ले सकते हैं।


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    ब्लॉग मालिक द्वारा की जा रही है अपने ब्लॉग पर दूसरों के नाम पर टिप्पणियाँ





    कतिपय एक ब्लॉग के लेख पर ब्लॉग मालिकों द्वारा की जा रही है दूसरों के नाम पर टिप्पणियाँ जो गलत है और ब्लॉगिंग मर्यादा के खिलाफ है। हिन्दी ब्लॉगिंग के प्रतिष्ठित सदस्यों से अनुरोध है कि मामले की गंभीरता देखते हुए उचित कार्यवाही करे। चूंकि दूसरे के नाम की टिप्पणी खुद करना, शोभनीय नहीं है। आखिर कोई किसी के लेख को कैसे बिना अनुमति के टिप्‍पणी के रूप में ले सकता है? लेख अपनी जगह मायने रखता है और टिप्पणी अपनी जगह।विषय की गंभीरता को देखें क्योंकि यह हिन्‍दी चिट्ठाकारिता को ठेस पहुँचती है।

     




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    अल्‍पसंख्य‍क मामले मे स्‍थागानादेश




    इलाहाबाद उच्च न्यायालय के कल के निर्णय को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में विशेष पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस एसआर आलम और कृष्ण मुरारी की खंडपीठ ने फैसले पर रोक लगा दी।


    निर्णय पर रोक लगाने से पूर्व भारत सरकार के पूर्व वरिष्ठ स्थाई अधिवक्ता श्री बी. एन. सिंह ने न्यायालय से इस मामले पक्ष बनने की बात कहते हुए कहा कि यह मामला काफी महत्वपूर्ण है और इसे सोमवार को रखा जाए ताकि उसमें इंटर विनर एप्लीकेशन दाखिल की जा सके। न्यायालय ने उक्त याचना को अनसुना करते हुए कहा पहले आप इंटर विनर एप्लीकेशन लाये तभी आपको सुना जा सकता है। इसके जवाब में श्री सिंह ने कहा यह पुनर्विचार याचिका इतनी जल्दी आई है और इसे न्यायालय ने इतनी त्वरित सुनवाई हेतु न्यायालय में मँगवा लिया है अत: इसमें इंटरविनर नहीं दिया जा सकता है।


    इस मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता एसएमए काज़मी ने कि न्यायालय ने ये फैसला अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर किया है क्योंकि याचिका में ये मुद्दा उठाया ही नहीं गया था। तकनीकी आधार पर न्यायालय ने कल के रोक लगा कर सुनवाई की अगली तिथि 14/5/2007 निर्धारित कर दिया है।





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    माननीय न्‍यायमूर्ति पर ही आक्षेप! क्‍या यही लोकतंत्र है ?




    माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के तत्कालीन ऐतिहासिक फैसला कि उत्तर प्रदेश के मुसलमान अब अल्पसंख्यक नहीं है। न्यायालय के इस फैसले से सेक्‍युलर राजनीतिक दलों में ज्यादा बेचैनी है कि उनके प्रिय वोटर अब अल्पसंख्यक नहीं रह गये है। बेचैनी होना स्वाभाविक भी है हमेशा मुसलमानों को बरगला कर वोट की राजनीति खेलते थे। आखिर सेक्‍यूलिरिज्‍म के नाम पर हिन्दुओं के साथ भेद भाव? हिन्दू हितों की बात करना हिन्दुत्व व साम्प्रदायिकता है, और मुस्लिम हितों की बात करना धर्मनिरपेक्षता। यह कैसा राजनीति ?

    माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति श्री शम्भू नाथ श्रीवास्तव के इस निर्णय को यह कहा जाना कहा तक उचित होगा कि यह फैसला असंवैधानिक? माननीय न्यायमूर्ति ने अपने फैसले में क्या गलत कहा? इसका विश्लेषण इन निर्णय का विरोध करने वालों को करना चाहिये। शोचनीय विषय है कि जब भारत आजाद हुआ था तब भारत में मुस्लिमों की जनसंख्या का प्रतिशत 5% के आसपास था इस प्रकार इस सम्प्रदाय की जनसंख्या में कई गुनी वृद्धि देखने के मिली। जिसकी जनसंख्या में चार गुने से अधिक की वृद्धि हो रही है वह अल्पसंख्यक कैसे हो सकता है? अगर विश्लेषण किया जाये तो यह प्रतीत होता है कि भारत के सभी राज्यों में मुस्लिम धर्म की जनसंख्या 10% से अधिक है और यह कई राज्यों में 20-30% से ऊपर है कई राज्य ऐसे है जहां हिंदुओं की जनसंख्या 30% से भी कम है। वहां भी हिन्दू समुदाय बहुसंख्यक हो सकता तो मुस्लिम समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित किया जाना कहां तक उचित होगा?

    आखिर अल्पसंख्यकों को मापने के लिये क्या पैमाना होना चाहिये? आज अपना देश विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मुस्लिम देश है भले ही धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहा जाये किन्तु मुस्लिमों की जनसंख्या को झुठलाया नहीं जा सकता है। वह देश जहां विश्व के दूसरे नम्बर पर सबसे अधिक मुस्लिम रहते है वहां पर मुस्लिम अल्पसंख्यक कैसे हो सकते है। देश के ऐसे मक्कार नेताओं की तुच्छ सोच का नतीजा है कि इतनी अधिक संख्या में होने के बाद भी मुस्लिमों को अपने को अल्पसंख्यक घोषित करने के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है। और मुस्लिम समान इस भ्रम में हे कि उन्हें इस धूर्तों के बल पर अल्पसंख्यक बनाए रखा जाएगा।

    मैं टेलीविजन देख रहा था और उस समय एक समाचार चैनल में एक समाजवादी पार्टी के मुस्लिम नेता की हताशा देखते ही दिख रही थी। मैं उनकी बात को सुन का सकते में आ गया कि कोई व्यक्ति इस तरह से माननीय न्यायमूर्ति के ऊपर आक्षेप कैसे कर सकता है। यह तो प्रत्यक्ष रूप से न्यायमूर्ति तथा न्यायालय की अवमानना का प्रश्न उठता है। उन नेता के कथन थे -

    यह न्यायाधीश राजनीति से प्रेरित है और इसके पहले भी वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पर विवादित निर्णय दे चुके है। यह उत्तर प्रदेश के चुनाव के देखते हुए फैसला आया है।

    नेता द्वारा यह कहा जाना पूरी न्याय व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाना है। क्या अब मुस्लिमों का न्यायालय के प्रति कोई उत्तरदायित्व नहीं ? लगता है कि यही स्थिति रही तो कोई भी न्यायाधीश न्याय की तरफ सोच भी नहीं सकता है। मुझे याद है कि एक बिहार उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति ने एक बार अपने फैसले में मुस्लिम ध्वनि विस्तारक (लाउड स्‍पीकर) के सम्बन्ध में फैसला दिया था पूरी पूरा का पूरा मुस्लिम समुदाय न्यायमूर्ति के खिलाफ हो गया, उनके आवास पर पत्थरबाजी की गई बाद में न्यायमूर्ति को अपना तबादला अन्य राज्य में करवाना पढ़ा। क्या इस मुस्लिम नेता का बयान भड़काऊ नहीं था क्या यह माननीय न्यायमूर्ति के खिलाफ उन्माद का प्रतीक नहीं था।

    इस फैसले पर कुछ लोगों का कहना है कि यह असंवैधानिक फैसला है पर हाल में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि उसे संविधान का अधिकार है वह तय कर सकता है कि क्या संवैधानिक है या असंवैधानिक, तब उच्‍च न्‍यायालय के फैसले को असंवैधानिक कहना कहाँ तक सही है? अगर फैसला गलत है तो क्या सर्वोच्‍च न्‍यायालय की मौत हो गई है। माननीय न्यायमूर्तियों पर सीधा आक्षेप किया जाना कहाँ तक सही है ? क्या इससे न्याय व्यवस्था बरकरार रहेगी? 




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    इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय का एतिहासिक फैसला



     इलाहाबाद उच्च न्यायालय के भवन का छायाचित्र
     इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court)
    आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला दिया कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं है। न्यायालय ने कहा कि चूंकि मुस्लिमों की जनसंख्या उत्तर प्रदेश में 18% से ज्यादा है इसलिये इन्हें अल्पसंख्यक कहा जाना गलत है। न्यायालय ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे जिले है जहां पर मुस्लिमों की जनसंख्या 40% से ज्यादा है।

    नवीन जनगणना के अनुसार न्यायालय ने कहा कि भारत की आजादी के समय से घोषित अल्पसंख्यक सदा हमेशा के लिये अल्पसंख्यक घोषित नहीं रह सकते है। जैसा कि अल्पसंख्यकों के सम्बन्ध में आजादी के समय अल्पसंख्यकों के सम्बन्ध में 5% कम को ही अल्पसंख्यक माना जाए। जो कि आजादी के समय हिन्दू धर्म के अलावा सभी धर्मों की जनसंख्या 5% से कम थी जो कि आज मुस्लिम समुदाय आज 18% से ज्यादा है।
    न्यायालय के इस आदेश के बाद यह तय हो जाता है कि मुस्लिम समुदाय जो पिछले कई दशकों की अल्पसंख्यक सुख भोग रहे थे वह अब नहीं भोग पाएंगे।


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    हास्य निबंध - मुलायम हमारी चड्डी है



    चड्ढी की महिमा किसी से छिपी नहीं है। वह भी अगर चड्ढी मुलायम हो तो बात कि क्या? मुलायम देश की आन बान शान, रोशनी, अँधेरा, रोजी, मोना हो सकते है तो चड्ढी क्यों नहीं हो सकते? चड्ढी की महिमा किसी से छिपी नहीं है चाहे मंत्री हो या प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री हो या फिर सीएम का पीए या‍ गरीब से गरीब और अमीर से अमीर चड्ढी हमारे सभी के जीवन का अभिन्न अंग है चड्ढी रोजी, रोशनी और मोना की तरह।
    आजकल के दौर में टीवी में एक चड्ढी में एक युवक पूरे देश में दिखता है, कोई और कारण नहीं है सिर्फ अपनी चड्ढी की वजह से एक लड़की उस पर फिदा भी हो जाती है। शायद विज्ञापन में चड्ढी की ताकत का एहसास दिलाने की कोशिश किया जाता है कि देख बेटा चड्ढी में कितना दम है? चड्ढी तो एक फैशन हो गया है तरह-तरह की कलात्मक चड्ढियां बाजार में आ रही है, कुछ तो ऐसी है कि पहनो न पहनो बराबर है, उनकी ही मांग बाजार में ज्यादा है लोगों कि सोच होगी मैं इसमें कैसा लगूँगा? मुझे भी इस तरह के अंडरवियर मे देख कर मेरी प्रेमिका टीवी वाले की तरह किस करेगी।
    उत्तर प्रदेश के चुनाव में चड्ढी और भी महत्वपूर्ण हो जायेगी क्योंकि मुलायम हमारी चड्ढी जो ठहरा, भाई आप ही विचार कीजिए कोई अपनी सबसे मुलायम चड्ढी का विरोध कैसे कर सकता है। चुनावों में चड्ढी की भूमिका काफी बढ़ गई है हाल में आयोजित एक चड्ढी समारोह में प्रदेश के मुखिया ने अगली बार सत्ता में आने पर प्रत्येक नागरिकों को मुफ्त चड्ढी देने की घोषणा की है, घोषणा के ट्रायल के रूप में इस चुनाव में पार्टी कार्यकर्ता को चुनाव प्रचार के दौर केवल अण्‍डवियर में ही रहने के निर्देश जारी किये गये है। इस चुनाव के लिये कुछ नमूने के रूप में कुछ अण्‍डरवियर रखें गये है। जो पार्टी के कार्यकर्ताओं की इस इच्छा के अनुसार दिये जायेंगे। यहां धोषणा पत्र में कुछ चुनिन्‍दा चड्ढी ही रखी गई है। कुछ खास माडल के अण्‍डरवियर केवल कार्यालय में ही उपलब्ध है क्योंकि इनके चित्र घोषणा पत्र में छापने से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना जाता। चुनाव कार्यालय अर्थात मुलायम अण्‍डरवियर केन्द्र है जहां पर कार्यकर्ता अपने मन की अन्य डिजायन की उपलब्ध है।

     
    खास तौर पर युवा प्रत्‍याशियों के लिये
     
    ये है वाम पंथी भाईयों की चड्डी





     
    यह है खास तौर पर डाक्‍टर प्रत्‍यासियों के लिये
     
    यह है बाहुबली प्रत्याशियों की चड्डी
     
    कैजुअल चड्डी सेक्‍यूलर पार्टी के प्रत्‍याशियों के लिये

     
    यह खास तौर पर उन प्रत्‍याशियों की चड्डी है जो आधुनिक है सफेद पोश नही रहना चहते है और जो कम कपडों के शौकिन है।


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    विन्‍डोज लाइव राइटर का प्रयोग



    काफी दिनों पहले इसके बारे में सुना था और प्रयोग करने की कोशिश भी किया किन्तु सफलता नहीं मिला। आज प्रात: श्री अफलातून जी ने फिर से इसके बारे में बताया और मैं इसका प्रयोग करने की ओर अग्रसर हुआ। आज यह पहला लेख इससे डालने जा रहा हूँ अभी सफलता की आशा कम ही है।
    आज अफलातून जी ने बताया‍ कि इसमें ऑफ लाइन लिखकर आप अपने लेख को अपने ब्‍लाग पर डाल सकते है। यही देखने का प्रयास कर रहा हूँ कि यह चमत्कार होता है कि नहीं। मैं अकसर आनलाइन होकर लेख लिखता हूँ और बिना पढ़े उसे पोस्ट कर देता हूँ। जिसके कारण मेरे लेखों में व्याकरणात्मक अशुद्धियां देखने को मिलती है। लाइव राइटर के कारण अब इस प्रकार की अशुद्धियां कम देखने को मिल सकती है।
    पहले तो मै अकसर माइक्रोसोफ्ट वर्ड पर लिख कर अपने ब्‍लाग पर जा कर पोस्ट कर देता था इससे भी गलतियां कम होती थी। ठीक है अब मैं इसे पोस्ट करने का प्रयास करता हूँ देखता हूँ कि यह होता है कि नहीं।



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    एक भीनीं सी मुस्‍कान और भगवान के प्रति धन्‍यवाद



    मैं प्रतापगढ़ जा रहा था एक रेलवे क्रासिंग पड़ती है उस समय अमृतसर से हाबड़ा जाने वाली ट्रेन का समय था। फाटक बंद था। मैं भी गाड़ी से उतर कर रेल को देखने पटरी की ओर चल दिया तभी देखता हूँ कि एक कुत्‍ता रेल की पटरी पर दौड़ रहा था उसके पीछे ट्रेन थी ट्रेन से भी तेज दौड़ने के प्रयास में कुत्‍ता और तेज दौड़ रहा था पर पर वह कुदरत की चाल से ट्रेन को पछाड़ पाने में असमर्थ था। ट्रेन का अगला हिस्सा आगे कि ओर कुछ ज्यादा झुका होता है ट्रेन से पहले कुत्‍ते का एक टक्कर मारी और कुत्‍ता नीचे की ओर लेट गया हो सकता हो पीड़ा के मारे ही क्यों न हो फिर बचने की प्रयास में खड़ा होता है और फिर वह डिब्बों के नीचे भाग से टकराया और फिर लेट गया। ट्रेन की गति इतनी तेज थी कि तीसरी बार जब वह उठा तो ट्रेन जा चुकी थी और वह पूर्ण रूपेण जीवित था। पर चोट तो लगी ही थी। जैसा कि मैंने इस दृश्य का देखने वाला पहला शख्स था मेरे तो रोंगटे खड़े हो गये। मेरे मन ईश्वर से बस इतनी ही प्रार्थना थी कि वह बच जाये। कहते है कि भगवान से कुछ सच्चे हृदय से माँगो तो भगवान कभी इनकार नही करते और आज प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिला। मेरी निगाह एक टक कुत्‍ते पर थी और वह लगड़ाते हुए जा रहा था। मेरे साथ वह कई दर्जन लोगों के मुख पर एक भीनीं सी मुस्कान और भगवान के प्रति धन्यवाद देखने को मिल रहा था। मैं भी अपने गन्तव्य की और चल दिया।


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    पढ़ोगें तो मूर्ख बन जाओंगे के साथ कुछ गम्‍भीर प्रश्‍न



    आज अप्रैल फूल दिवस है, यानी अंग्रेज भाइयों ने हम भारतीयों के लिये मूर्ख बनाने का दिन भी दिन भी निर्धारित कर गये है। मैं इस दिवस को नहीं मानता हूँ, पर देशी हवा के बयार में मूर्खता का ऐसा प्रचलन हुआ है कि‍ मैं सोचने को मजबूर हूँ कि क्या इसकी भी आवश्यकता ?
     यह हमारी तुच्छ मानसिकता की सोच है कि हम न्‍यू इयर, वैलेंटाइन डे, अप्रैल फूल डे, जैसे अन्तर्राष्ट्रीय दिवस तो जो शोर से मनाते है। किन्तु हम कुछ अन्य इनसे भी ज्यादा महत्वपूर्ण दिवस क्यों भूल जाते है। मैं पश्चात संस्कृति अपनाने का विरोधी नहीं हूँ, विरोधी हूँ तो पश्चात संस्कृति की गंदगी अपनाने का।
    जब हम न्‍यू इयर, वैलेंटाइन डे, अप्रैल फूल डे मनाते है तो मनाए किन्तु हमने विश्व मातृ दिवस, विश्व पितृ दिवस, विश्व संगीत दिवस, विश्व फोटोग्राफी दिवस, चिकित्सक दिवस, पत्रकारिता दिवस, विश्व थ्रियेटर दिवस, अन्‍तर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस, अन्‍तर्राष्‍ट्रीय  प्रेस स्वतंत्रता दिवस, विश्व श्रमिक दिवस, विश्व विरासत दिवस, राष्ट्रीय युवा दिवस, विश्व मितव्ययिता दिवस, विश्व खाद्य दिवस और विश्व मांसाहार दिवस की ओर कभी ध्यान दिया ?
    मैंने यहां पर जितने भी दिवस गिनाए है, उन सभी दिवसों का सम्बन्ध किसी ने किसी हिन्दी चिट्ठाकार से अवश्य है। पर शोक और क्षोभ का विषय है कि कोई भी कभी भी इन सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिवसों पर न तो कभी लिखा ही न ही बधाई का आदान प्रदान हुआ।
    क्या हमने पश्चात गंदगी को एकत्र करने का ठेका ले रखा है? यह सोचनीय विषय है। आज मैं नारद पर गया तो चारों दिशाओं में मानवता के हत्यारे जार्ज बुश का चेहरा नजर आ रहा था। जैसा कि मुझे अनुमान तो था कि आज मूर्ख दिवस है पर इसे देख कर पक्का यकीन भी हो गया है। एक दो लेख को देखा तो मजाक मय ही माहौल था। फिर मुझे लगा कहीं सभी के चिठ्ठे पर मूर्ख बनाने का अभियान न चल रहा हो। और कही किसी पर टिप्‍प्‍णी किया तो मूर्ख की श्रेणी में न खड़ा कर दिया जाये।

    मैंने आज के दिन के सारे लेख जिनकी हेडिग नारद पर थी सभी एक साथ एक सामान्य सा वाक्य (को पढ़ोगें तो मूर्ख बन जाओगे) जोड़ कर पढ़ना चालू किया तो
    ग़ज़लें और कविताएँ इसे पढ़ोगे तो मूर्ख बन जाओगे!
    कविता सीखो हे कविराज… इसे पढ़ोगे तो मूर्ख बन जाओगे!
    धर्म के नाम पर - को पढ़ोगें तो मूर्ख बन जाओगे
    आरक्षण : चाहिये ही चाहिये को पढ़ोगें तो मूर्ख बन जाओगे
    कादम्बिनी कार्यकारी सम्पादक श्री विष्णु नागर की क़लम से इसे पढ़ोगे तो मूर्ख बन जाओगे!
    एप्रिल वाला फूल के फल इसे पढ़ोगे तो मूर्ख बन जाओगे!
    सोवियत संघ में नेताजी के साथ क्या हुआ? इसे पढ़ोगे तो मूर्ख बन जाओगे!
    गूगल टीआईएसपी: ब्रॉडबैंड दा बाप इसे पढ़ोगे तो मूर्ख बन जाओगे!
    शर्त सिर्फ एक हिन्दी में लिखो (प्रतियोगिता) इसे पढ़ोगे तो मूर्ख बन जाओगे!
    फुरसतिया बोले हमहू साइट बनैबे… इसे पढ़ोगे तो मूर्ख बन जाओगे!
    यह कदम्ब का पेड़ इसे पढ़ोगे तो मूर्ख बन जाओगे!
    न्यायपालिका पर ताला क्यों नहीं लगा देते? इसे पढ़ोगे तो मूर्ख बन जाओगे!
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    आगे और भी है और आप को पढ़ोगे तो मूर्ख बन जाओगे लगा कर पढ़ सकते है। अब आप खुद सोचिये कि कौन आज लेख पढ़ कर मूर्ख बनना चाहेगा।
    एक बात तो मुझे समझ में आती कि जो लोग दूसरे सचेत लोगों को मूर्ख बनाने में लगे होकर हँसते है वे उसने बड़े मूर्ख है जो वास्तव में मूर्ख होते है।


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    किडनैपिंग पर क्या कानून है? – Law on Kidnapping in Hindi



    अपहरण पर कानून धारा 363a भारतीय दंड संहिता
    अपहरण पर कानून धारा 363a भारतीय दंड संहिता
    किसी नाबालिग लड़के, जिसकी उम्र सोलह साल से कम है या नाबालिग लड़की, जिसकी उम्र अठारह साल से कम है, को उसके संरक्षक की आज्ञा के बिना कहीं ले जाना अपहरण का अपराध है तथा इसके लिए अपराधी को सात साल की कैद और जुर्माना हो सकता है।
    अपहरण
    किसी नाबालिग लड़के, जिसकी उम्र सोलह साल से कम है या नाबालिग लड़की, जिसकी उम्र अठारह साल से कम है, को उसके संरक्षक की आज्ञा के बिना कहीं ले जाना अपहरण का अपराध है तथा इसके लिए अपराधी को सात साल की कैद और जुर्माना हो सकता है। अगर कोई बहला फुसला कर भी बच्चों को ले जाए तो कहने को तो बच्चा अपनी मर्जी से गया, लेकिन कानून में वह अपराध होगा। 
     
    व्यपहरण (Kidnapping )पर कानून
    (अंतर्गत धारा 362, 364, 364क, 365, 366, 367, 369 भारतीय दंड संहिता)
    व्यपहरण
    किसी बालिग व्यक्ति को जोर जबरदस्ती से या बहला फुसला कर किसी कारण से कहीं ले जाया जाए तो यह व्यपहरण का अपराध है। यह कारण निम्नलिखित हो सकते है। जैसे:- फिरौती की रकम के लिए, उसे गलत तरीके से कैद रखने के लिए, उसे गंभीर चोट पहुंचाने के लिए, उसे गुलाम बनाने के लिए इत्यादि। 
     
    धारा 366 भारतीय दंड संहिता Section 366 in The Indian Penal Code
    धारा के अन्तर्गत विवाह आदि के करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को अपहृत करना या उत्प्रेरक करने के बारे में बताया गया है। इसमें बताया गया है कि जो कोई किसी स्त्री का अपहरण या व्यपहरण उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी व्यक्ति से विवाह करने के लिए उस स्त्री को विवश करने के आशय से या यह विवश की जाएगी, यह सम्भाव्य जानते हुए अथवा आयुक्त सम्भोग करने के लिए उस स्त्री को विवश, यह विलुब्ध करने के लिए, यह सम्भाव्य जाने हुए करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक से भी दण्डनीय होगी। 
     
    अनैतिक व्यापार पर कानून
    (अंतर्गत धारा 366 क, 366ख, 372, 373 भारतीय दंड संहिता)
    यदि कोई व्यक्ति किसी भी लड़की को वेश्यावृति के लिए खरीदता या बेचता है तो उसे दस साल तक की कैद और जुर्माना की सजा होगी। अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम, 1956 यदि कोई व्यक्ति वेश्यावृति के लिए किसी व्यक्ति को खरीदता बेचता, बहलाता फुसलाता या उपलब्ध करवाता है तो उसे तीन से चौदह साल तक की कैद और जुर्माने की सजा होगी। 
     
    धारा 366 क भारतीय दंड संहिता Section 366A in The Indian Penal Code
    धारा 366 क के अन्तर्गत अप्राप्त लड़की को उपादान के बारे में बताया गया है। इसके अन्तर्गत कहा गया है कि जो कोई अठारह वर्ष से कम आयु की अप्राप्तवय लड़की को, अन्य व्यक्ति से आयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध करने के आशय से या तद्द्वारा विवश या विलब्ध किया जाएगा, यह सम्भाव्य जानते हुए ऐसी लड़की को किसी स्थान से जाने को कोई कार्य करने को, किसी भी साधन द्वारा उत्प्रेरित करेगा, वह कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी दण्डित किया जाएगा और जुर्माना से भी दण्डनीय होगा।
     
    धारा 366 ख भारतीय दंड संहिता Section 366B in The Indian Penal Code 
    धारा 366 (ख) के अन्तर्गत विदेश से लड़की को आयात करने के बारे में बताया गया है कम आयु की किसी लड़की का भारत के बाहर उसके किसी देश से या जम्मू-कश्मीर से आयात उसे किसी अन्य व्यक्ति से आयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध करने के आशय से या तद्द्वारा विवश या विलुब्ध की जाएगी, यह सम्भाव्य जानते हुए करेगा, वह कारवास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा। 
     
    धारा 372 भारतीय दंड संहिता  Section 372 in The Indian Penal Code
     वेश्यावृत्ति आदि के प्रयोजन के लिए अप्राप्तवय को बेचने के बारे में प्रावधान करती है। इसके अंतर्गत बताया गया है कि जो कोई 18 वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय से कि ऐसा व्यक्ति से आयुक्त संभोग करने के लिए या किसी विधि विरुद्ध या दुराचार प्रयोजन के लिए कम में लाया या उपयोग किया जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी ऐसे किसी प्रयोजन के लिए काम में लाया जाएगा, या उपभोग किया जाएगा, बेचेगा, भाड़े पर देगा या अन्यथा व्ययनित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
    (6 धारा के अन्तर्गत 2 स्पष्टीकरण दिये गये हैं। स्पष्टीकरण 1 के अन्तर्गत बताया गया है कि जबकि अठारह वर्ष से कम आयु की नारी किसी वेश्या को, या किसी अन्य व्यक्ति को, जो वेश्यागृह चलाता हो या उसका प्रबंध करता हो, बेची जाए, भाड़े पर दी जाए या अन्यथा व्ययनित की जाए, तब इस प्रकार ऐसी नारी को व्ययनित करने वाले व्यक्ति के बारे में,जब तक कि तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उप धारणा की जाएगी कि उसने उसको इस आशय से व्ययनित किया है कि वह वेश्यावृत्ति के उपभोग में लाई जाएगी। स्पष्टीकरण -2 के अन्तर्गत आयुक्त सम्भोग से इस धारा के प्रयोजनों के लिए ऐसे व्यक्तियों में मैथुन अभिप्रेत है जो विवाह से संयुक्त नहीं है, या ऐसे किसी सम्भोग या बंधन से संयुक्त नहीं कि जो यद्यपि विवाह की कोटि में तो नहीं आता तथापि इस समुदाय की, जिसके वे हैं या यदि वे भिन्न समुदायों के हैं, जो ऐसे दोनों समुदायों की स्वीय विधि या रूञ्ढ़ि द्वारा उनके बीच में विवाह सदृश्य सम्बन्ध अभिसात किया जाता है। 
     
    धारा 373 भारतीय दंड संहिता Section 373 in The Indian Penal Code
    वेश्यावृत्ति के प्रयोजन के लिए अप्राप्वय का खरीदना आदि के बारे में हैं जो कोई अठारह वर्ष में कम आयु के किसी व्यक्ति को इस आशय के बारे में है कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी वेश्यावृत्ति या किसी व्यक्ति से आयुक्त सम्भोग करने के लिए या किसी विधि विरुद्ध दुराचार प्रयोजन के लिए काम में लाया या उपयोग किया जाए या यह सम्भाव्य जानते हुए कि ऐसा व्यक्ति किसी आयु में भी ऐसे किसी प्रयोजन के लिए काम में लाया जाएगा या उपभोग किया जाएगा, खरीदेगा, भाड़े पर लेगा या अन्यथा उसका कब्जा अभिप्रेत करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
    इस धारा के स्पष्टीकरण के अन्तर्गत बताया गया है कि अठारह वर्ष से कम आयु की नारी को खरीदने वाला, भाड़े पर लेने वाला या अन्यथा उसका कब्जा करने वाले तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधारणा की जाएगी कि ऐसी नारी का कब्जा उसने इस आशय से अभिप्रेत किया है कि वह वेश्यावृत्ति के प्रयोजनों के लिए उपभोग में लायी जाएगी।


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