फेमली प्रॉब्लम



दो व्यक्ति एक बार में बैठे थे 
एक ने कहा .." यार.... बहुत बड़ी फेमिली प्रॉब्लम है "..
दूसरा व्यक्ति : तु पहले मेरी सुन...
मैंने एक विधवा महिला से शादी की जिसके एक लड़की थी ..कुछ दिनों बाद पता चला कि मेरे पिताजी को उस विधवा महिला कि पुत्री से प्यार है ...और उन्होने इस तरह मेरी ही लड़की से शादी कर ली ..अब मेरे पिताजी मेरे दामाद बन गए और मेरी बेटी मेरी माँ बन गयी....और मेरी ही पत्नी मेरी नानी हो गयी !!

ज्यादा प्रॉब्लम तब हुई जब जब मेरे लड़का हुआ ..अब मेरा लड़का मेरी माँ का भाई हो गया तो इस तरह मेरा मामा हो गया ....... परिस्थिति तो तब ख़राब हुई जब मेरे पिताजी को लड़का हुआ ....मेरे पिताजी का लड़का यानी मेरा भाई मेरा ही नवासा( दोहिता ) हो गया और इस तरह मैं स्वयम का ही दादा हो गया और स्वयं का ही पोता बन गया .....
" और तू कहता है कि तुझे फेमिली प्रॉब्लम है .". 
सूचना - ये रचना संकलन मात्र है, मेरी स्‍वयं की नही कै।


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चौपाटी में लाठी



भारत जैसे विशाल देश में, जब भाषा तथा क्षेत्रवाद को लेकर विवाद होते है तो कष्‍ट की अनुभूति होती है। मुझे मराठियों से काफी लगाव है इसका मुख्‍य कारण छत्रपति शिवाजी और काफी हद तक बाला साहब का व्‍यक्तित्‍व है। हाल के दिनों में जिस प्रकार मुम्‍बई में राज के सैनिकों ने तांडव किया वह यह दर्शाता है कि भारत में अभी भी क्षेत्रवाद का अंत नही है। 
तमिलनाडु से लेकर पूवोत्‍तर भारत राज्‍यों में जो दहशत देखने को मिलती है वह यह दर्शाता है कि भारत नागरिक आज भारत में भी सुरक्षित नही है। आज केन्‍द्र सरकार हो या राज्‍य सरकार आज अपने देश की सुरक्षा की गारंटी लेने को तैयार नही है। मेरे ख्‍याल से राज की मराठी व्‍यक्तियों को लेकर चिन्‍ता जायज है किन्‍तु उनका प्रर्दशन नाजायज था। पर यहॉं पर यह बात स्‍वीकार करने होगी कि जिनती चिन्‍ता राज ठाकरें को है शायद उतनी मराठियों को नही होगी। राज ठाकरे की नीयत महाराष्‍ट्र के अपनी पैठ बानने ही और वह इस नब्‍ज को दबा रहे है।
आज एक प्रश्‍न उठता है कि इस क्षेत्रवाद का अंत क्‍या होगा ? क्‍या सरकार को इस आतंरिक आतंकवाद को नियत्रण में करने का साहस नही है ? इस आंतरिक आंतंकवाद को देशद्रोह माना जाना चाहिए। और इसके पोषको को दण्डित किया जाना चाहिए ताकि भारत के सविधान की मूलभावना कि हम भारत के लोग को बरकरार रखा जा सकें।


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कुछ बातें ...



आज काफी दिनों बाद लिख रहा हूँ, चाहता हूँ कि कुछ न कुछ अच्‍छी खबरें ही सुनाऊँ, तो प्रस्‍तुत कुछ अच्छे काम जो युवाओं द्वारा किये जा रहे है-

अत्‍यंत हर्ष का विषय है कि हिन्‍द युग्‍म ने हिन्‍दी ब्‍लागिंग के क्षेत्र में दिनों दिन मील का पत्‍थर निर्माण करता चल रहा है। हाल के दिनों में युग्‍म के वरिष्‍ठ साथी श्री मोहिन्‍दर कुमार जी तथा श्रीमती रंजना भाटिया जी ने तरकश द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम स्‍थान प्राप्‍त किया। जो निश्चित रूप से किसी भी लेखक, कवि या समूह के लिये गर्व विषय होगा कि उनके साथी अथवा उनके सदस्‍य अपनी प्रतिभा का लोह मनवा रहे है। सर्व प्रथम इन दोनो साथियों को बधाई देना चाहूँगा।

अभी हाल में सूचना मिली की हमारे एक और वर‍िष्‍ठ साथी श्री सजीव सारथी के कुशल मार्ग दर्शन में कुछ साथियों ने पहला सुर नाम की संगीतमय प्रस्‍तुति प्रस्‍तुत किया है, जिसके लिये सजीव जी तथा उनके टीम की जितनी तारीफ की जाये कम होगी। इस सीडी के बारे में इतना जरूर कहना चाहूँगा कि इस संगीतमय प्रस्‍तुति में इसमें युग्‍म के विभिन्‍न कवियों के 10 कविताओं/गीतों को समाविष्‍ट किया गया है, तथा विभिन्‍न उम्दा नवोदित गायकों ने इसमें अपनी आवाज दिया है।

हिन्‍द युग्‍म की ओर से विश्‍व‍ पुस्तक मेले में, अपनी सहभागिता भी दिखाने का प्रयास किया है, इस मेले में युग्‍म का भी स्‍टाल लगा हुआ, आप सभी पाठको से नि‍वेदन है कि आप सभी एक बार अवश्‍य आपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर हमारें प्रयासों को देखे और हमें और कुछ नया करने के लिये प्रेरित करें। इस स्‍टाल पर आपको इस सीडी सहित अन्‍य समाग्रियॉं भी मिल जायेगी। आप सभी हाल नम्‍बर 12 ए, स्‍टैन्‍ड नम्‍बर एस1/10 वाणी प्रका‍शन के समाने जरूर पधारने का कष्‍ट कीजिएगा। याद रखिऐगा भूलियेगा मत :)


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